सुरेश सर्वेद की कहानी - जागृति

SHARE:

खेत की मेढ़ पर कदम रखते ही मनहरण की द्य्ष्टि खेत के भीतरी हिस्से में दौड़ी. खेतों में बोई फसल को देखकर उसका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उसे ...

खेत की मेढ़ पर कदम रखते ही मनहरण की द्य्ष्टि खेत के भीतरी हिस्से में दौड़ी. खेतों में बोई फसल को देखकर उसका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उसे फसलें दुश्मनों की तरह लगी. वह बौखला गया- सबको जला दूंगा. स्साले मुंह चिढ़ाने उतारु है. . . ।

यह तो वह क्रोधावेश में कह गया था. वह एक किसान था. खेती किसानी उसका मुख्य कार्य था. जीविकोपार्जन का साधन. कहीं किसान अपनी बोई फसलों से चिढ़ेगा? मगर मनहरण को चिढ़ हुई थी. क्षण भर नहीं सरका था कि उसे अपने बौखलाए पन का ध्यान आया. विचार मे बदलाव आया और उसने स्वतः को कोसने से परहेज नहीं किया-मैं कितना मूर्ख हूं. खेत के इन पौधों की क्या गलती ? पानी ही न हो तो फिर कहाँ से इनमें हरियाली आयेगी. . . . । मनहरण ने मन की कड़ुवाहट को निकालने के लिए पंच सरपंच से लेकर विधायक और मंत्री तक को बड़बड़ा कर गालियां दे डाली-भिखमंग्गों की तरह आ जाते है ंस्साले वोट मांगने. प्रलोभन पर प्रलोभन देते हैं स्वार्थ सधा नहीं कि भूल जाते हैं कहाँ सड़क बनवानी है. कहाँ नहर बांध बनवाना है. कहाँ स्कूल खोलनी है और कहाँ अन्य व्यवस्था देनी है. प्रपंच ही प्रपंच रचते हैं. मिट्टी से भी सस्ती हो चुकी है स्सालों की जुबान. . . ।

मनहरण के विचार में परिवर्तन आ गया था. उसे जिन फसलो पर क्रोध आ रहा था उन फसलों पर अब दया आने लगी . वह करुणा से ओतप्रोत हो गया. उसकी आँखें छलछला आयी. दो -तीन बूंद आँसू आंखों से छलक कर धरती पर भी गिरे. शेष आँसुओं को गले में पड़े गमछे ने सोख लिया.

उसने एक बार पुनः फसलों पर नजर दौड़ाई. खेत की जमीन को ताका. जमीन में दरारे पड़ गयी थी. फसल अब फसल नहीं रह गयी थी. वह पीली पड़ अब सूखने लगी थी . फसलों की दुर्दशा देखकर उसकी आत्मा कराह उठी. उसका क्रोध भी फनफना उठा. पैर कांप गये. भुजाएं फड़क गयी. भौहें तनी अब उससे फसलो की दुर्दशा देखी नही जा रही थी. वह घर की ओर लौट गया.

बरसात के दिन थे. वातावरण एकदम विपरीत था. वह जल्दी जल्दी घर आया. क्रोध से वह तप रहा था. घर में प्रवेश करते ही पहले पत्नी पर भड़का फिर बच्चों पर चीखा और अंत में स्वयं पर झुंझलाया. मनहरण की गतिविधियाँ परिवार वालों को समझ आ गयी थी. वे समझ चुके थे कि मनहरण क्रोध से तप रहा है. खैर इसी मे है कि सब अपनेअपने काम में लग जाये. मुन्ना -मुन्नी पुस्तक पढ़ने लगे. पत्नी चांवल साफ करने लगी. मनहरण दीवाल से लगी खाट को धम्म से बिछाया और उसमे चित्त पड़ गया. वातावरण खामोश होना चाहता था पर बार - बार उस शान्त वातावरण में सूपे की थप खलल पैदा कर देती थी.

धरती पुत्र मनहरण शांतप्रिय व्यक्ति था. वह कभी कभी ही अशांत होता था. जिस दिन वह अशांत होता तो उससे बात करने की तो दूर उससे आंख मिलाने का भी कोई साहस कर ले तो उससे बहादुर और कोई नहीं. शांतिप्रिय व्यक्ति इसलिए क्योंकि वह काफी हद तक अन्याय और अत्याचार को सहने की ताकत रखता था. उसकी इंसानियत तब गड्मड् हो जाती जब अन्याय चरम सीमा को भी लाँघ जाता था. उसके नथुने तब फूलने लगते जब अन्याय ही अन्याय होता चला जाता था. उसकी प्रवृत्ति ठीक उस बाँध के समान थी जो सहनशक्ति तक पानी थामता है और अति हो जाने पर फूट कर तबाही मचा देता है. . . . ।

संध्या का समय था. चिड़ियां दाना चुगकर अपने बसेरों को लौट रही थीं. दुधारु गायें रंभाने लगी थी. बछड़े मां से मिलने आतुर थे. संध्या ने रात का रुप लेना शुरु कर दिया था. अब मंदिर में घंटा-घंटी बजने लगे . आरती की आवाज उभरने लगी. भोजन बन चुका था. मनहरण भोजन करने बैठ गया. वह पहला निवाला मुंह में डालने ही वाला था कि कोटवार की हाँक उसके कान से टकरायी. मुंह तक पहुंचे निवाले को रोककर वह कोटवार की हाँक को सुनने लगा. कोटवार ने रात में पंचायत जुड़ने की मुनादी दी थी.

रात में लोग पंचायत स्थल पर एकत्रित हुए.

गांव से दूर श्मशान था. वहाँ आवारा कुत्ते भौकने लगे थे. कुत्ते एक दूसरे क ो अपनी आवाज द्वारा परास्त करने के प्रयास में थे. कुत्तों की स्वर लहरी गाँव तक पहुंच रही थी.

इस गाँव का रिवाज ही अजीब था. जब - जब यहाँ पंचायत जुड़ती, मुद्दे की बातों पर बहस न होकर विषयांतर हो जाया करता था. बहस छिड़ती और ग्रामीण आपस में टकराने लगते. बैठक में अनेक ग्रामीण उपस्थित होते और खासकर तब जब मजेदार विषयों पर पंचायत जुड़ती थी. गड़े मुर्दे तो उखाड़े ही जाते साथ ही जिसके विरुद्ध पंचायत जुड़ती उसकी भी हंसी उड़ा दी जाती थी.

पंचायत लगभग जुड़ चुकी थी. पंचायत किस विषय को लेकर जुड़ी थी यह उत्सुकता का विषय था. सरपंच के कहने पर ही यह पंचायत बुलायी गयी थी. उसने कहना शुरु किया-आज पंचायत कुछ ऐसे मुद्दों को लेकर बुलायी गयी है जो गंभीर समस्या है. नहर बनवाने को लेकर पंचायत जोड़ी गयी है. प्रश्न यह है कि यदि नहर निकालते समय किसी की जमीन आयी तो वह जमीन देगा या नहीं. जब सबकी सहमति मिलेगी तभी नहर बनाने आगे की प्रक्रिया की जायेगी.

- हमें भला क्या आपत्ति होगी यदि हाथ दो हाथ जमीन देना पड़े तो इसमे आपत्ति कैसी ? कम से कम नहर बनने के बाद हमें अवर्षा के समय पानी तो भरपूर मिलेगा । लगभग सभी ग्रामीणों का यही विचार था.

- अगर आप सब सहमत हैं तो समझो प्रस्ताव तो भेज ही दिया गया साथ ही नहर भी यथा संभव शीघ्र बन जायेगी.

पंचायत में ही कार्यवाही की गई. नहर कहाँ से निकलनी है यह तो विभागीय कार्य था बावजूद ग्रामीणों ने एक रुपरेखा तैयार की जिससे सभी को बराबर का पानी मिल सके. इसके बाद ग्रामीण अपने-अपने घर लौट गये.

उस बैठक के बाद ग्रामीण आगे क्या कार्यवाही होने वाली है को जानने उत्सुक थे. एक दिन गांव भर खबर फैल गयी कि जिस स्थान से नहर बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था उस दिशा को विभाग ने सही नहीं माना और ऐसी दिशा तय की गई जिधर से नहर निकलने के बाद मुश्किल से बीस प्रतिशत कृषि भूमि को पानी मिल सकता था. इससे गाँव का हित तो होता अपितु गांव के कई किसानों की जमीन दब अवश्य जायेगी. इस खबर से गाँव में कानाफूंसी होने लगी और चर्चा तो यहाँ तक चल पड़ी कि जिस दिशा से नहर निकालने विभागीय कार्यवाही की जा रही है. उधर सरपंच की ही सबसे ज्यादा खेती है. खबर मनहरण के कानों तक पहुंची. वह सीधा सरपंच के घर गया. सरपंच घर पर ही था उसने मनहरण को देखकर कहा- आओ मनहरण,बोलो ,कैसे आना हुआ. . . . ?

- सुना है- विभाग ने दिशा बदल कर नहर बनाने की प्रक्रिया शुरु कर दी है. . . ।

- तुमने ठीक ही सुना है. . . . ।

- मगर ऐसा क्यों हुआ . . . . . ?

- तुम तो यह जानते ही हो कि पूर्व से पश्चिम हमने नहर निकालने प्रस्ताव तैयार किया था. उत्तर -दक्षिण गाँव होने के कारण हम गाँव के समीप से नहर नहीं चाहते थे. मगर विभाग का कहना है कि उत्तर से दक्षिण नहर नहीं बनाई जा सकती क्योंकि इससे जंगल की करोड़ों रुपयों की लकड़ियाँ काटनी पड़ेंगी. वन भूमि नहर के चपेट में आयेगी जबकि यह सुरक्षित वन क्षेत्र है. सुरक्षित वनक्षेत्र से लकड़ियाँ भी तो नहीं काटी जा सकती. इससे दो विभागों मे टकराव की स्थिति निर्मित होगी और इस विवाद के मध्य हम कई वर्षों तक नहर पाने से वंचित रह जायेंगे.

- अब क्या होगा सरपंचजी . . . ?  मनहरण की आवाज में उदासी थी.

- यही तो मैं भी सोच रहा हूं मनहरण. आज रात फिर बैठक रखा हूं.

मनहरण ने सरपंच से विदा ली और लौट आया.

रात को फिर पंचायत जुड़ी.

सरपंच ने कहा- तुम सबको यह पता चल ही चुका होगा कि विभाग द्वारा नहर की दिशा बदल दी गई है. मैं आप लोगों से सलाह लेना चाहता हूँ कि अब क्या करना चाहिए. क्या हमें विभाग द्वारा निर्धारित दिशा से नहर बनने देना चाहिए ? आप अपनी बात रख सकते हैं. . . . ।

सरपंच के सामने मुंह खोलने का साहस गाँव वाले तो क्या वे लोग भी नहीं कर पाते थे जिन पंचों के भरोसे उनकी कुर्सी टिकी हुई थी.  इसी का परिणाम था कि सरपंच को जो उचित लगता वही होता था. मगर आज तो किसी को कुछ बोलना ही था यदि नहीं बोला गया तो सरपंच मनमानी करके नहर निकलवा देगा और उसका पानी स्वयं के खेतों तक पहुंचवा देगा यह गांव वाले जान चुके थे. मगर बोले तो बोले कौन ? अभी ग्रामीण उधेड़ बुन में थे कि मनहरण ने ग्रामीणों से कहा-यदि आप सबकी सहमति हो तो मैं अपनी बात रखूं ?

ग्रामीणों ने मौन स्वीेकृति दी. मनहरण ने कहा- आज से दस वर्ष पूर्व की घटना आप सबक ो याद ही होगी. अकाल की मार झेले थे हम सब. त्राहि-त्राहि मची थी. पानी के अभाव में फसल तो हुई नहीं हम अपने जानवरो को भी नहीं बचा सके. कईयों की जमीनें पानी के मोल बिक गयी. गाँव के कई परिवारों ने रोजी रोटी के लिए परदेश पलायन कर लिया. तब भी हम गंभीर हुए थे और नहर की मांग की थी. हम वर्तमान में जिन स्थानों से नहर निकालने का प्रस्ताव पारित किए हैं पहले भी उसी दिशा से नहर निकालने की माँग की गई थी तब उसे स्वीकृति भी मिल गयी थी मगर अब सरपंच का कहना है कि सुरक्षित वन के कारण विभाग उधर से नहर निकालने की अनुमति नहीं दे रहा है. . . . . ।

बैठक में पूरी तरह सन्नाटा छा गया . पूरा गाँव मनहरण की बात को गंभीर होकर सुन रहा था . मनहरण ने आगे कहा- आप सब यह भी जान रहे हैं कि जिस दिशा से हमने नहर निकालने की मांग की थी उस दिशा से नहर बनाना भी शुरु हो गया था. कुछ दिन काम भी चला फिर अचानक बंद कर दिया गया और फिर चूँकि बरसात लग गयी. अतः बीच में काम रोक दिया गया, क्या तुममे से कोई जानता हैं ?

ग्रामीणों क ो तो कुछ समझ नहीं आ रहा था मगर सरपंच सब कुछ समझ गया था. मनहरण ने कहा- सरपंच साहब से मैं कुछ प्रश्न क रना चाहूंगा यदि उन्हें कोई आपत्ति न हो तो ?

- मुझे भला क्यों आपत्ति होने लगी. तुम निश्चिंत होकर प्रश्न करो मैं उत्तर दूंगा.

- जिन दिनों हम अकाल की मार सह रहे थे ,उन दिनों भी आप ही सरपंच थे न ?

- तुम्हारा कहना गलत नहीं. वास्तव में उन दिनों मैं ही सरपंच था.

- तब भी नहर निकालने की योजना बनी थी,योजना ही नहीं बनी थी अपितु काम भी शुरु हो गया था और कुछ दूर तक उसी ओर से नहर बनने का कार्य सम्पादित हो रहा था जिधर से वर्तमान मे मांग की गई है. प्रथम प्रश्न यह है कि नहर बनते बनते आखिर क्यों रोक दिया गया ? दूसरा यह कि जिस ओर से नहर पूर्व में बनाने स्वीकृति दे दी गई थी उसमें फिर अड़ंगा क्यों ?

- तुम्हारा प्रश्न ठीक है. पूर्व में जो रुपये मिले थे वह खर्च हो गए अतः काम अधूरा रह गया. पता नहीं शासन अब उस दिशा से नहर निकालने क्यों सहमत नहीं है. . . ।

- आप और कितना झूठ बोलेगे सरपंच साहब. . . . ?  मनहरण की आवाज तेज हो गयी.  उसने कहा- आखिर आप कब तक हम ग्रामीणों को बेवकूफ बनाते रहेंगे. . . । वह ग्रामीणों की ओर मुखातिब हुआ- गाँव वालो शायद आप लोगों को सच्चाई का ज्ञान नहीं इसलिए इनकी बातों पर आंखें मूंद कर हम सहमत हो जाते है. पूर्व में नहर बनते-बनते इसलिए रोक दी गई क्योंकि शासन से राशि तो पर्याप्त मिली थी मगर उसमें अधिकारियों से मिल कर भारी मात्रा में भ्रष्टाचार किया गया. राहत राशि का दुरुपयोग किया गया. इसलिए शासन ने जांच का आदेश देकर काम रुकवा दिया जाँच भी शुरु हुई मगर खा पी कर मामला रफा - दफा कर दिया गया. जिस नहर नाली की माँग हम कर रहे हैं. कागजों में बन चुकी है क्या एक काम के लिए दो दो बार राशि दी जा सकती है ? दूसरी बात यह कि जिधर से सरपंच नहर निकलवाने की योजना बना रहे है -मुझे बताएँ कि इससे क्या सरपंच के सिवा हम किसी को लाभ मिल सकता है . . . ?

ग्रामीणों में कानाफूसी शुरु हो गयी. उन्हें एक एक प्रकरण याद आने लगा. मनहरण ने आगे कहा-क्या अब भी हम ऐसे भ्रष्ट और स्वार्थी सरपंच को बर्दाश्त करते रहेंगे. . . क्या हम छले जाते ही रहेगे. . . क्या हमने सोचने-समझने की शक्ति खो दी है. क्या हमें अब ऐसे नाकाबपोश सामजसेवियों की असलियत समाज के समक्ष नहीं रख देनी चाहिए. . . ।

मनहरण हाँफ गया था. सरपंच हड़बड़ा गया था और ग्रामीण उत्तेजित हो गए . किसी एक ने आवाज दी- सरपंच मुर्दाबाद. . . .  इसी के साथ पूरी जनता जनार्दन - मुर्दाबाद -मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे. सरपंच वहां से खिसकने की सोच रहा था पर भीड़ से वह बचता तो बचता कैसे ? लोहा गरम था. मनहरण ने कहा- ऐसे सरपंच को हम पद से हटा कर ही दम लेंगें. . . । वहां सभी वार्डो के पंच भी उपस्थित थे. आनन-फानन में सचिव को बुलाया गया. सरपंच को अपदस्थ करने का प्रस्ताव तैयार किया गया. सरपंच के विपक्ष मे पूरे आठों पंच उतर आये. एकतरफा कार्यवाही हुई और सरपंच को हटाने की कार्यवाही कर शासन को भेज दिया गया. कुछ दिनों बाद गाँव में एक और नारा गूंजायमान हुआ- मनहरण भइया. . .

- जिन्दाबाद. . . . .

- मनहरण भइया. . .

- जिन्दाबाद. . .

-गांव का नेता कैसा हो

- मनहरण भइया जैसा हो. . . . ।

और इसी के साथ गांव जाग गया.

---

साईं मंदिर के पीछे,

वार्ड नं. 16,

तुलसीपुर, राजनांदगांव - छग

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. वाह! लाजवाब लेखन | आनंदमय और बहुत ही सुन्दर, सुखद अभिव्यक्ति विचारों की | पढ़कर प्रसन्नता हुई | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सुरेश सर्वेद की कहानी - जागृति
सुरेश सर्वेद की कहानी - जागृति
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgI7rl1Wl9J0TZfJwsPqAOxdMqcn1QohLx5irWXSfGIIHmqqh0CwbNqQCpdGVXqrizKB5ZGfBTxnnSgtDJpVrDzdoHa-zJZ3J28Hp-ZxeHbuJe93u73b51H_UWoSjjxP2EjTffr/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgI7rl1Wl9J0TZfJwsPqAOxdMqcn1QohLx5irWXSfGIIHmqqh0CwbNqQCpdGVXqrizKB5ZGfBTxnnSgtDJpVrDzdoHa-zJZ3J28Hp-ZxeHbuJe93u73b51H_UWoSjjxP2EjTffr/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/04/blog-post_6261.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/04/blog-post_6261.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content