1 जिओ हजारों साल आदरणीय हमारे पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी को उनके जन्म दिन पर शुभ कामनाएं तुम जियो हजारों साल भारत माँ के...
1 जिओ हजारों साल
आदरणीय हमारे पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी को उनके जन्म दिन पर शुभ कामनाएं
तुम जियो हजारों साल
भारत माँ के लाल !
तुम ही तो इस धरती के
हल्दी चन्दन और गुलाल !
महक रहे हो बाग़ बगीचे
ओंठों के अनुराग ,
दिया दिवाली और दशहरा
तुम ही देश की फाग ,
दुगनी छाती भारत माँ की
तुम ही एक मिसाल !
तुम जियो हजारों साल
भारत माँ के लाल !
तुम ही तो इस धरती के
हल्दी चन्दन और गुलाल !
सारे रंग त्याग के तुमने
देशभक्ति का पहना चोला ,
कठिन साधना के साधक तुम
मंत्र ह्रदय में सबके घोला ,
शादियों साथ रहो दुनियां के
करते रहो कमाल !
तुम जियो हजारों साल
भारत माँ के लाल !
तुम ही तो इस धरती के
हल्दी चन्दन और गुलाल !
तुम ही तो हो
जनमानस की अविरल भाषा,
देश प्रेम की अमित छाप और
तुम ही हो परिभाषा ,
गंगोत्री बन बहो सदा तुम
रहे न धरती कोई मलाल !
तुम जियो हजारों साल
भारत माँ के लाल !
तुम ही तो इस धरती के
हल्दी चन्दन और गुलाल !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४
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2 भेड़ियों के पहरों में
रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
दरबारी दरबार के नहीं
और न ही नवरत्न हैं उज्जैनी राज के,
कौन सुने तर्जनी की पीड़ा
अंगूठे सब रत्न हुए राजा के ताज के ,
क्या कहिये
हचर मचर बग्घी के पहिये
टूटेगी धुरी छोड़ हारे हम कह कह के !
हारे हम कह कह के टूटेगी धुरी छोड़
टूटेगी धुरी छोड़ हारे हम कह कह के !
रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
यक्ष की पीडाएं भूलकर
गढने लगे कालिदास सूक्तियां अनूठी ,
फाड़ फाड़ मछली के पेट को
खोज रहे साकुंतली अनुपम अंगूठी ,
खप गईं पीढियां
चढ चढ रेतीली सीढियां
सूख गये आंसू आँखों से बह बह के !
आँखों से बह बह के सूख गये आंसू
सूख गये आंसू आँखों से बह बह के !
रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
गहरा है ,नया नया घाव है
चुटुक वैदिया में पक पक के हो गया नासूर ,
जीते जी चींटियाँ लीलेंगी अजगर
मिटटी के शेर का क्या है कसूर ,
पत्थर क्या जानें
सांसें पहचानें
छाती की पीड़ा प्राणों को दह दह के !
प्राणों को दह दह के छाती की पीड़ा
छाती की पीड़ा प्राणों को दह दह के !
रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४
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3 उन्माद
कब तक
यह उन्माद चलेगा
कितना कौन पिये !
बांह बाहु बल
झुठलाने को
तुली हुई है खुली हथेली,
गांठी गांठी
सधी हुई है
रहमहीन वार्तुली पहेली,
अंगुली अंगुली
खुली चुनौती
कितना कौन जिये !
कब तक
यह उन्माद चलेगा
कितना कौन पिये !
दया धर्म के
दिन झुठला कर
बांह चढी है
नख की पीड़ा,
मन मंसूबे
खोखल करता
कुतर रहा दिल घुन का कीड़ा,
छिन छिन
छलनी होती छाती
कितना कौन सिये !
कब तक
यह उन्माद चलेगा
कितना कौन पिये !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४
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4 समय कहाँ मुझको
सुनों सुनों भैया जी
समय कहाँ मुझको
कुछ और कहूँ किसको
कोयल की रागिनी
कानों में घोल रही मिश्री और क्या सुनूं !
बाग़ और बगीचों में
ठौर की
अमुआं के बौर की
मचली है गंध
बांसुरी बजाऊं या सांसो की सरगम में रंग सा भिनुं !
दिल में तरंगित हैं प्रणय गीत
फुट रहे आँखों में अंखुए अनार के ,
पुलकित है अंग अंग लौटा है फिर मौसम
बिम्ब वही लेकर बहार के ,
गा गा के फाग
खुशियाँ मनाऊं
या कलियों की खुशुबू हो जाऊं
चौकड़ियाँ भर भर के
बिरह बौर भीतर ही भीतर रुई सा धुनुं !
सुनों सुनों भैया जी
समय कहाँ मुझको
कुछ और कहूँ किसको
कोयल की रागिनी
कानों में घोल रही मिश्री और क्या सुनूं !
बाग़ और बगीचों में
ठौर की
अमुआं के बौर की
मचली है गंध
बांसुरी बजाऊं या सांसो की सरगम में रंग सा भिनुं !
उडती पतरोई सा मैं भी उडूं
मन की कहूँ या उठते हाथों को देखूं ,
या उनकी उँगलियों की उठती आवाजों में
खुद को मछली सा सेंकूं ,
मंद मंद बहती
बयार में
बसवट की छेड़ी सितार में
अनचीन्हीं छवियों की
आंख में रंगों के ख्वाब मैं आंख से बुनूं !
सुनों सुनों भैया जी
समय कहाँ मुझको
कुछ और कहूँ किसको
कोयल की रागिनी
कानों में घोल रही मिश्री और क्या सुनूं !
बाग़ और बगीचों में
ठौर की
अमुआं के बौर की
मचली है गंध
बांसुरी बजाऊं या सांसो की सरगम में रंग सा भिनुं !
रक्त की सिराओं में रह रह के
पनप रही कंठों में कजरी की प्यास ,
तेशुओं की रस भीनीं टहनी
खोज रहा अंतर का बौराया अमलतास ,
अमरईया के नये नये
बिरवों की
नयी नयी शाखाओं के सिरवों की
कोंपल से खेलते
चुनगुन चिरैया के जत्थे मैं कैसे गिनुं !
सुनों सुनों भैया जी
समय कहाँ मुझको
कुछ और कहूँ किसको
कोयल की रागिनी
कानों में घोल रही मिश्री और क्या सुनूं !
बाग़ और बगीचों में
ठौर की
अमुआं के बौर की
मचली है गंध
बांसुरी बजाऊं या सांसो की सरगम में रंग सा भिनुं !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४
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5 देवों के देव हैं
देवों के देव हैं
प्रथम पूजे
मेरे गुरुदेव हैं !
कहते हैं शिला लेख
भोज पत्र हनुमत ही
सत्यमेव देव हैं !
श्री राम साथ जग जननी को
ध्यान धर
छू छू के चरण कमल
अपने हनुमान के,
सेतुबंधू सेनापति
कर्मयोग है जिनके हाथ में
ओंठों में गीत मेरे
ऐसे भगवन के,
जो बिगड़ी बना दे
सबको अपना ले ऐसे हनुमान जी
सबके गुरु देव हैं !
देवों के देव हैं
प्रथम पूज्य
मेरे गुरुदेव हैं !
कहते हैं शिला लेख
भोज पत्र हनुमत ही
सत्यमेव देव हैं !
गाता हूँ धर कर उनपर लगन
हो खुद में मगन
नाचूं मैं अपने मन के अगन,
अपना लो हम पर बरसाकर
दया दृष्टि
पाप भरे कूप से उबारो
सुख सुविधा दे दो होकर मगन ,
जो पर्वत उठाले
लक्ष्मण बचाले ऐसे हनुमान जी
मेरे गुरुदेव हैं !
देवों के देव हैं
प्रथम पूजे
मेरे गुरुदेव हैं !
कहते हैं शिला लेख
भोज पत्र हनुमत ही
सत्यमेव देव हैं !
भोलानाथ
डा,राधाकृषणन स्कूल के बगल में
एन,एच-7 कटनी रोड मैहर
जिला सतना मध्य प्रदेश
इंडिया-संपर्क-09425885234
मैहर "
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6 उड़ रही है गंध
उड़ रही है गंध
या चू रही है चांदनी
या किया सिंगार तुमने आज फूलों से !
झूल कर आई अभी तुम
क्या कदम की डालियाँ
या गंधशाली नन्द झूलों से !
घर की तुलसी
औरआँगन के शिवालय में
आलोकित हो रही है आज पिंडी ,
रंग फूलों से भरी पूरी जलहरी
आकाश तक लहरा रही
शिव पर्व की झंडी ,
जलती हुई समिधा में
छूटी जा रहीं आहुतियाँ
छू रही है तर्जनी आग भूलों से !
उड़ रही है गंध
या चू रही है चांदनी
या किया सिंगार तुमने आज फूलों से !
झूल कर आई अभी तुम
क्या कदम की डालियाँ
या गंधशाली नन्द झूलों से !
घर के आगे छत के उपर
मादिनी के रंग में कंठ तक
भींगा है आंचल,
ओठ में टेशू की लाली
और आँखों में पलाशी
हो रहा है आज काजल,
बस रही है कंठ कोयल
छेड़ कर रागिनी
या लौटी बसंत है छंद लिखे कूलों से !
उड़ रही है गंध
या चू रही है चांदनी
या किया सिंगार तुमने आज फूलों से !
झूल कर आई अभी तुम
क्या कदम की डालियाँ
या गंधशाली नन्द झूलों से !
सांसों की बगिया में
जन्मों से गंध बसी
भीतर जो नाम की तुम्हारे,
अंग अंग महक रहीं
पुष्पित पंखुरियां
ओस धुली रात है चाँद क्या विचारे,
चौकड़ियाँ भर भर
हिरनी के शावक देह भर हिराने
वाकिव हैं आदिम उसूलों से !
उड़ रही है गंध
या चू रही है चांदनी
या किया सिंगार तुमने आज फूलों से !
झूल कर आई अभी तुम
क्या कदम की डालियाँ
या गंधशाली नन्द झूलों से !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४
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7 शिल्पी हूँ गीतों का
मैं तो शिल्पी हूँ गीतों का
समय चूक भूल हुई मझसे
फिर भी मैं म्याख सा
दिल में ठुंक जाऊंगा !
फेस्बूकिया पेजों के
इन घुमावदार मोड़ों पर
पत्थर बन मील का
दिखाने को पंथ रुक जाऊंगा !
विष्मित हूँ बिना वस्त्र
लोगों को देखकर
मशखरे है या मंदारी
मिर्गी की लय में क्यों नाच रहे,
साधकों का रंग नहीं दिखता
फिर ये रामायण के
पन्नों से सरेआम
महाभारत क्यों बांच रहे,
भोंकने को माहिर हैं
गीतों के शेर नहीं
पाले तो इस बन्दर बाँट में
खुद ही चुक जाऊंगा !
मैं तो शिल्पी हूँ गीतों का
समय चूक भूल हुई मझसे
फिर भी मैं म्याख सा
दिल में ठुंक जाऊंगा !
फेस्बूकिया पेजों के
इन घुमावदार मोड़ों पर
पत्थर बन मील का
दिखाने को पंथ रुक जाऊंगा
नामों के साथ और
कितनी संज्ञाएँ समेटे
निस्तारी डबरे में मस्त हैं
आवारा भैंसें,
जुगाली की सरगम
खुद उनकी अपनी है वादकों से
कह दो बीन न बजाएं
और न सांसें हुलैसें,
बीरबल की हंडिया में
आंच नहीं चावल हैं कच्चे
दूर धरे चूल्हे में
मैं भी फुंक जाऊंगा !
मैं तो शिल्पी हूँ गीतों का
समय चूक भूल हुई मझसे
फिर भी मैं म्याख सा
दिल में ठुंक जाऊंगा !
फेस्बूकिया पेजों के
इन घुमावदार मोड़ों पर
पत्थर बन मील का
दिखाने को पंथ रुक जाऊंगा !
हरे भरे जंगल में दिखते हैं
दूर बहुत बरगद
और पीपल के साथ साथ
फूले गुलमोहर के बाग़,
मनसूबे बांधकर
हम भी चले आये हैं
ठंडी ठंडी छाँव में बैठ कर
सीखेंगे छेड़ेंगे राग,
अंतर के वन में
तरासूंगा मूरत
उकेरुंगा छवियाँ फिर उनमे ही
मैं खुद ही लुक जाऊँगा !
मैं तो शिल्पी हूँ गीतों का
समय चूक भूल हुई मझसे
फिर भी मैं म्याख सा
दिल में ठुंक जाऊंगा !
फेस्बूकिया पेजों के
इन घुमावदार मोड़ों पर
पत्थर बन मील का
दिखाने को पंथ रुक जाऊंगा !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -09425885234—8989139763
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8 खौन्दा है कितना
बिना सींग गदहों ने
खौन्दा है कितना
वन पूरा भयभीत है !
यह बारहसिंगा दिखाओ
न हमको
मालुम रण नीत है !
तुमसे खतरनाक
खल नायक
और कोई न दूसरा,
कितनो को खा गये
हांका में
मार मार मूसरा,
जंगल में मंगल है
माने ना जाने ना
नपी तुली प्रीत है !
बिना सींग गदहों ने
खौन्दा है कितना
वन पूरा भयभीत है !
यह बारहसिंगा दिखाओ
न हमको
मालुम रण नीत है !
आँधियों के दिन हैं
बगीचे का बरगद
कुछ दूर है,
काँटों से
गिला नहीं
बड़ा मीठा खुजूर है,
भोले हैं वनवासी
करमा और कजरी
उनके जीवन का गीत है !
बिना सींग गदहों ने
खौन्दा है कितना
वन पूरा भयभीत है !
यह बारहसिंगा दिखाओ
न हमको
मालुम रण नीत है !
और म्यूजियम में
सजना
मंजूर नहीं उनको,
समय गया राजशाही का
ख़बरदार
करते हैं तुमको,
अंधी पंचायत के
पचड़ों की गुत्थी
कनमी कुतिया की रीत है !
बिना सींग गदहों ने
खौन्दा है कितना
वन पूरा भयभीत है !
यह बारहसिंगा दिखाओ
न हमको
मालुम रण नीत है !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन.अच्. -७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४
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9 अपनी कविताओं के साथ
अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
जोड़ जोड़ तिनके
पेट बाँध अपना चोंच से सजाया है
सिर की यह छाँव ,
आतंकी माफिया की आँख चढी
जबर जस्ती की बेड़ियाँ
डाल गये मेरे भी पांव ,
कर दूँ मैं कैसे हवाले
और कहाँ जाऊं छोड़ कर
मैं अपना घरबार !
अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
कोतवाली कचहरी
सब उनकी हैं घूम लिया
मैं ले कर अपनी फ़रियाद ,
हंसी में उड़ाकर लगाका ठहाके
चापलूस खा खा के रिशपत
बढा रहे म्याद,
उठ गई आश्था अब न्याय से
कुछ भी तो शेष नहीं
कुंठित मन से होगा कैसे निस्तार !
अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
तैयार नहीं कोई सुनने को
कुछ भी उनके खिलाफ
रद्दी में फेंक दी कितनी ही अर्जियां ,
रोज रोज फोन पर
लगातार गालियों से भरी हुई
आती हैं नयी नयी भेड़ियों की धमकियाँ ,
बैठ कर अँधेरे में
सोचता हूँ खोजता हूँ सूत्र नए
पंजों से मुक्त कब होगा मेरा संसार !
अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
नौकरी भी रही नहीं
आवक के श्रोत सभी
एक एक कर के सूख गये ,
बहुत मुश्किल है
घर से निकलना
होते हैं निर्मित रोज दंगे फसाद नये ,
मुझे खुद ही पता नहीं
अपनी परस्थितियों से हारा
करता हूँ और किसका इंतजार !
अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४
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10 भैया जी
भैया जी बात अपनी
भीटर मत रोकिये
ओंठों पर लाकर
आंख में सजाइए !
दिल में रखना
बहुत अच्छी बात है
पर दिल की
दिलवालों को सुनाइये !
अन्दर ही अन्दर
गुनगुनानें से क्या होगा
चुग जाएँगी चिड़िया खेत,
देखते रह जाओगे
ढेले सजेंगे बहुत मेले
पर समय सरक जायेगा
मुट्ठी से जैसे रेत,
एक पंक्ति के बदले
जीवन भर गीतों में
अपने आप के
बिरह मत बुलाइए !
देखता हूँ मैं
आपकी आँखों में ऊग रहे हैं
नागफनियों के बंज़र,
और आप हैं की गाये जा रहे हैं
आँखों की लगी
भीतर के मंजर,
आप खूब गाइये
झूम झूम गाइये और नाचिये
पर ख्याल रख
किसी और को न रुलाइये !
सजाइए अपने ही भीतर
काम कंदला के मंडप
सांसों में मन की शहनाइयाँ,
जन जन की ओठों में
खूब धरा रसबोरे गीत
अब और नहीं धरिये तन्हाईयाँ,
निकालिए मुहूरत
खरीदिये कंगना और
कांच की हरी हरी चूडियाँ पहनाइए !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
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