तेजेन्द्र शर्मा विशेष : के. सी. मोहन का संस्मरण : एक जिम्मेदार कथाकार

SHARE:

   (तेजेंद्र शर्मा - जिन्होंने हाल ही में अपने जीवन के 60 वर्ष के पड़ाव को सार्थक और अनवरत सृजनशीलता के साथ पार किया है. उन्हें अनेकानेक बध...

   (तेजेंद्र शर्मा - जिन्होंने हाल ही में अपने जीवन के 60 वर्ष के पड़ाव को सार्थक और अनवरत सृजनशीलता के साथ पार किया है. उन्हें अनेकानेक बधाईयाँ व हार्दिक  शुभकामनाएं - सं.)

 

एक जि़म्‍मेदार कथाकार

- के सी मोहन

जिस लेखक की कलम में पाठक को साथ ले चलने की शक्ति नहीं है, वो चाहे कितने भी काग़ज़ काले करता रहे, किताबों का अम्‍बार लगा दे या फिर कितनी भी साहित्‍यिक तिकड़मबाजि़यां करता फिरे, वह लेखक होने का भ्रम तो पाल सकता है, लेकिन साहित्‍य के क्षेत्र में अपनी कोई जगह नहीं बना सकता। जगरांव में जन्‍मे तेजेन्‍द्र शर्मा की कहानियों में पाठक को अपने साथ बांध लेने की शक्ति है। उनकी कहानियां आवश्‍यक कथा-रस से ओतप्रोत हैं। उनकी कहानियों की बुनाई, चाल एवं निबाह पाठक को भीतर तक छू जाता है - यह तथ्‍य उनके हिन्‍दी में प्रकाशित कहानी संग्रहों काला सागर; 1990 ढिबरी टाईट; 1994 देह की कीमत; 1999 ये क्‍या हो गया (2003) और बेघर आंखें (2007) को पढ़ने के पश्‍चात सहज रूप में उजागर होता है।

तेजेन्‍द्र की कहानियों के विषय एवं घटनास्‍थल तेजेन्‍द्र के अपने व्‍यक्तित्‍व की ही भांति ख़ासा विस्‍तार लिये हैं - इन कहानियों के पढ़ने के साथ ही तेजेन्‍द्र के भीतर का सुलझा हुआ, निपुण एवं पहले दर्जे का कथाकार सहज ही पाठकों के सामने आ खड़ा होता है। सहजता तेजेन्‍द्र के स्‍वभाव का एक अंग है और यह उसकी कहानी कहने की नज़ाकत एवं चाल के साथ स्‍वयं ही आ जुड़ती है। वह बहुत नाज़ुक अंदाज़ में अपनी कहानी बयान करता है। उसकी अधिकतर कहानियों का एक सा आकार एवं फैलाव, तेजेन्‍द्र की एकाग्रता एवं एकनिष्‍ठ होने की ओर इशारा करता है।

कई लेखक बहुत परेशान हो कर कहानी कहते हैं। लेकिन तेजेन्‍द्र की लेखन शैली से प्रतीत होता है कि वह बिना कोई अतिरिक्त मेहनत किये अपनी बात कह देता है। वह साधारण भाषा में, बड़ी बात कहने की कूवत रखता है। दिलचस्‍प बात यह है कि वह मनुष्‍य के जीवन, स्‍वभाव एवं सोच संबन्‍धी पेचीदा विषयों को भी इत्‍मीनान से भरपूर एक कुशल कारीगर के समान तराशता है। मानवीय फि़तरत से संबन्‍धित मोह, लालच, मुहब्‍बत, दर्द, उमंगों, सपनों आदि के विषय में भी बहुत संजीदगी से पेश आता है। दुनिया में बदलते राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक हालात ने साहित्‍य रचना की प्रक्रिया पर ज़बरदस्‍त असर किया है - आज यह ज़रूरी नहीं है कि रचनाकार किसी विशेष वाद या एक निर्धारित सोच के साथ ही बंधा हो। असल बात यह कही जा सकती है कि लेखक का जि़म्‍मेदारी के साथ लिखना बहुत आवश्‍यक है। लेखक के लिये आवश्‍यक है कि वह समाज के अलग अलग वर्गों के साथ हो रहे अन्‍याय एवं ज्‍़यादतियों का अवश्‍य अनावरण करे। लेखक का यह भी फ़ज़र् बनता है कि वह जीवन को प्रभावित करने वाले भिन्‍न भिन्‍न पहलुओं पर भी अपने लेखन के ज़रिये टिप्‍पणी करे। यद्यपि प्रत्‍येक मनुष्‍य का अपना अपना सत्‍य अलग होता है, फिर भी इन्‍सान को अनुशासन की आवश्‍यकता के बारे में हमेशा से ही लिखा जाता रहा है। साधारणतः पाठक को रिझा लेना और बहका लेने का काम कुछ ख़ास कठिन नहीं है - तेजेन्‍द्र की शक्ति यही है कि उसने जि़म्‍मेदारी के साथ कहानियां कही हैं। उसने मानवीय मन के कमज़ोर पक्षों को (मनोयोग) सही तरीकों से उधेड़ा है।

तेजेन्‍द्र एक सेक्‍यूलर सोच का व्‍यक्ति है और यह तथ्‍य उनकी कहानियों में भी समाया हुआ है - उसकी कहानियां किसी प्रकार की बंदिशों में नहीं बन्‍धी हैं। वह कौम, जाति, बिरादरी, धर्म जैसे तंग संकल्‍पों से ऊपर उठ कर पूरे भरोसे से कथा ब्‍यान करता है। तेजेन्‍द्र उस इन्‍सान की बात करता है जो कि दिल्‍ली, पंजाब, कलकत्ता, मुंबई, कुवैत, यू.के. या जापान में रहता है - इन्‍सान कहीं भी क्‍यों ना चला जाए, तेजेन्‍द्र के पास उस इन्‍सान के मन के साथ रूबरू होने का कौशल हासिल है। तेजेन्‍द्र इन चरित्रों के अतीत से आपका परिचय करवाता है।

बहुत सी महिला कथाकारों ने इस मामले में बहुत नाम कमाया है कि अपने नारी पात्रों के दर्द एवं उनके साथ हो रही ज्‍़यादतियों का चित्रण वे बहुत शिद्दत से करती हैं। बहुत से पुरूष लेखकों ने भी औरतों के साथ हो रहे भेद भाव और ज्‍़यादतियों का चित्रण ख़ूबसूरती से किया है, लेकिन उन पुरूष लेखकों का जि़क्र उस प्रकार नहीं हो पाता जैसे कि नारी लेखकों का। तेजेन्‍द्र का नाम उन लेखकों में आसानी से शामिल किया जा सकता है जिन्‍होंने नारी के साथ हो रहे भेदभाव एवं उसकी समस्‍याओं को ना केवल अपनी कहानियों के विषयों में शामिल किया है बल्‍कि उनको बख़ूबी निभाया भी है। तेजेन्‍द्र की कथा कला ने यह साबित कर दिया है कि उसके पास नारी की मानसिक स्‍थिति एवं उसकी समस्‍याओं को तह तक समझने एवं उनका प्रस्‍तुतिकरण करने की सामर्थ्‍य भी है - उनकी कहानियां कैंसर, श्‍वेत श्‍याम, ये क्‍या हो गया एवं सिलवटें इस बात का प्रमाण है - ध्‍यान देने योग्‍य बात यह भी है कि मेरे अनुभव में तेजेन्‍द्र का रोज़मर्रा की जि़दगी में भी नारी जाति के प्रति ठीक वैसा ही व्‍यवहार है जैसा कि उनकी कहानियों में परिलक्षित होता है। बहुत से लेखक ऐसे भी हैं जो कि नारी जाति के प्रति बाहरी रूप में फंसे प्रगतिवादी एवं सहानुभूति रखने वाले दिखाई देते हैं जबकि अपनी निजि जि़न्‍दगी में औरतों के प्रति उनका रवैया खासा घिनौना है। जब जब वे ऐसी परिस्‍थितियों से रूबरू होते हैं, तो उनका असली चेहरा सामने आने में देर नहीं लगती।

भूगोल, शिक्षा एवं व्‍यवसायों के क्षेत्र में कुदरत ने तेजेन्‍द्र को विस्‍तृत एवं गहरे अनुभवों से लैस किया है। इन अनुभवों का निचोड़ तेजेन्‍द्र ने अपनी कहानियों में बहुत संजीदगी से इस्‍तेमाल किया है। साथ ही कहानी लेखन में आ रहे परिवर्तनों एवं रूझानों से भी तेजेन्‍द्र अनभिज्ञ नहीं है। उसकी कहानियों में हमारे आसपास के जीवन में घटती जि़न्‍दगी की तस्‍वीर बहुत सहज रूप से परिलक्षित होती है। वह अपनी कहानियों में अतिरिक्त चमक डालने से बचता है - तकनीक एवं भाषा के कारण उसके वृत्तांत पाठक का ध्‍यान अपनी ओर खींचते हैं। वह सादी भाषा में बात करता है। छोटे वाक्‍य। कोई फि़ज़ूल की भर्ती नहीं। रोज़मर्रा की भाषा। कहानी एक लड़ी की तरह जुड़ी हुई प्रतीत होती है। पिछले वाक्‍य का अगले वाक्‍य से नाता, सरोकार। अगले पैरे का अगले से। कहानी की लड़ी से एक भी मनका गायब नहीं हो सकता।‍

तेजेन्‍द्र ने अंग्रेज़ी भाषा में शिक्षा ग्रहण की है - भारत के महानगरों से होता हुआ पश्‍चिम के महानगर लंदन में बैठा है, लेकिन उसकी बहुत सी कहानियों में उसकी पंजाबी पहचान, सोच, एवं संस्‍कार आपको आ मिलते हैं, लेकिन वह अपने पात्रों के साथ रियायत नहीं करता - वह उनको ठीक वैसे ही पेश करता है जैसे कि वे जीवन में पेश आते हैं। महानगरों की पेचीदा जि़न्‍दगी बिता रहा, वह, रोज़मर्रा के मसलों पर तो नज़र रखता ही है, वहीं वह पंजाब की जि़न्‍दगी एवं मसलों से भी बेलाग या बेख़बर नहीं।

पंजाब समस्‍या की पीड़ा तेजेन्‍द्र के मन ने भी झेली है। पंजाब मसले की कई परतें हैं। मुझे तेजेन्‍द्र की एक कहानी याद आती है, नई दहलीज़, जो कि धर्म एवं बिरादरी के झंझटों की बदौलत मानवीय मन में आए प्रभावों को उघेड़ती है - इस कहानी में वार्तालाप, बहस आपको झिंझोड़ते हैं और वहीं यह भी दर्शाते हैं कि बातचीत (डॉयलॉग) कितनी आवश्‍यक है।‍

कहानी देह की कीमत एवं काला सागर बेहतरीन कहानियां हैं - इन कहानियों में मनुष्‍य की लालच की प्रवृत्ति की परतों को उघेड़ा गया है और संबन्‍धों में आए खोखलेपन का दर्दनाक वर्णन है। इन्‍सान लालच में फंस कर कितना गिर सकता है, यह जानने के लिये इन कहानियों से बढ़ कर और कोई रचना नहीं हो सकती - यह कहानियां मनुष्‍य की लालसा एवं लोभ का सशक्त चित्रण करती हैं - रिश्‍ते नाते आपकी आंखों के सामने तार-तार, फीता-फीता होते हैं।

कई देशों, ख़ासकर एशियन देशों, से आई पहली पीढ़ी के लोगों के मसले इतने सीधे सादे नहीं होते जितने कि कुछ लोग समझ बैठते हैं - वैसे इन मसलों के बारे में विचार भी काफ़ी किया गया है और लिखा भी बहुत गया है - यह मसला हर किसी के घेरे में आने वाला नहीं है - तेजेन्‍द्र की कहानी अभिशप्‍त पढ़ने के बाद पाठक के सामने पहली पीढ़ी के प्रवासियों के जीवन एवं उमंगों का कच्‍चा चिट्‌ठा जैसे पूरी तरह से खुल जाता है। विलायत की जि़न्‍दगी, एशियाई मूल के व्‍यक्ति की दुविधाएं, बेचैनियां, हार जीत एवं उमंगों के विषय में यदि जानना चाहें तो बस तेजेन्‍द्र की यह एक कहानी पढ़ना काफ़ी है।

कहानी के अंत में तेजेन्‍द्र कहता है, ‘‘रजनीकांत की बुड़बुड़ बंद हुई, तो उसे सामने शीशे में अपना चेहरा ही बोलता दिखाई दिया ․ रजनी, तुम कुछ नहीं करोगे ना तो तू अपनी पत्‍नी को छोड़ेगा और ना ही ये देश। तुम और तुम्‍हारे दोस्‍त यह जीवन जीने के लिये अभिशप्‍त हो। अपनी अपनी पत्‍नियों के साथ रहना तुम्‍हारी नियति बन गया है। तुम चाहते हुए भी इस जीवन के सुख साधनों को छोड़ नहीं सकते तुम उन लोगों में से हो जो रोज़ शाम शराब के गिलास पर सवारी कर अपने देश वापिस चले जाते हैं और सुबह होते ही ठण्‍डी रोटी खा कर वेयर हाऊस वापिस पहुंच जाते हैं - गांव मुल्‍क़ अब केवल तुम्‍हारे ख्‍़यालों में रह सकते हैं, तुम्‍हारी वापसी अब संभव नहीं। तुम यहीं जियोगे और एक दिन मर भी जाओगे।‍''

उपरोक्त कहानी विलायत में रह रही पहली पीढ़ी के प्रवासियों की जि़न्‍दगी और अंत का खुलासा है - तेजेन्‍द्र ने इस विषय को बहुत समझ के साथ निभाया है।‍

मेरा और तेजेन्‍द्र का परिचय लन्‍दन में ही हुआ। मैने तेजेन्‍द्र को रोज़मर्रा की जि़न्‍दगी में से गुज़रते और विभिन्‍न सांस्‍कृतिक गतिविधियों का आयोजन करते हुए देखा है। अलग अलग शहरों में रहते और भिन्‍न प्रकार के लेखकों, कलाकारों, कवियों को अपने कार्यक्रमों के मंच पर इकट्‌ठा करते हुए देखा है। मुझे यह कहने में संकोच नहीं कि तेजेन्‍द्र के व्‍यक्तित्‍व में एक अद्‌भुत आयोजक रहता है। उसे लोगों को साथ लेकर चलना आता है। मुझे निजी स्‍तर पर हाल ही में एक नुक़सान हुआ है कि तेजेन्‍द्र ने अचानक वाइन पीना छोड़ दिया है। मुझे उसने इसका कोई कारण नहीं बताया, मगर उसने ऐसा किया है तो कुछ सोच कर ही किया होगा। किन्‍तु उस कम्‍बख्‍़त को यह नहीं मालूम कि जो बातें हम दोनो एक गिलास वाइन पर कर लेते थे वो एक टब चाय पीकर नहीं हो सकतीं। सच तो यह है कि उसके हिस्‍से की वाइन भी अब मुझे ही पीनी पड़ती है।

तेजेन्‍द्र की वामपन्‍थी लेखकों एवं देशों के विषय में खासी नकारात्‍मक राय है। उसका कहना है कि उन्‍होंने रूस एवं ईस्‍टर्न ब्‍लॉक के देशों की यात्राएं की हैं और तथाकथित वामपन्‍थी लेखकों का आचरण देखा है। किन्‍तु जब कथा यू‍के - का इन्‍दु शर्मा कथा सम्‍मान असग़र वजाहत, विभूति नारायण राय एवं संजीव जैसे नामों को मिलता है तो हमें इस सम्‍मान की पारदर्शिता का अहसास होने लगता है।

मैं मूलतः पंजाबी भाषा में साहित्‍य रचना करता हूं। तेजेन्‍द्र को मिलने से पहले ब्रिटेन में रहते मेरा हिन्‍दी लेखकों या बुद्धिजीवियों के साथ कोई ताल्‍लुक नहीं था। यह श्रेय तेजेन्‍द्र को ही जाता है कि ब्रिटेन ही नहीं बल्‍कि भारत के भी बहुत से हिन्‍दी बुद्धिजीवियों के साथ मेरा परिचय हुआ। और इस तरह मुझे समकालीन हिन्‍दी साहित्‍य पढ़ने का भी सुअवसर प्राप्‍त हुआ। प्रगतिशील लेखक संघ, साउथहॉल (यू.‍के.) का सचिव होने के नाते मैं तेजेन्‍द्र को ब्रिटेन के पंजाबी साहित्‍यकारों से भी मिला पाया। और अब एक तरह से ब्रिटेनवासी हिन्‍दी और पंजाबी लेखकों में एक वार्तालाप स्‍थापित हो पाया है।

कथा यू.‍के. - के माध्‍यम से पिछले चौदह वर्षों से तेजेन्‍द्र ने हिन्‍दी साहित्‍य का एक अकेला अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मान स्‍थापित किया है। वैसे तो भारत में बहुत से सम्‍मान साहित्‍य के लिये दिये जाते हैं। लेकिन देखा गया है कि अधिकतर सम्‍मान तिकड़मबाज़ी और गुटबन्‍दी से जकड़े रहते हैं। बहुत कम पुरस्‍कारों या सम्‍मानों को आम आदमी या लेखक गंभीरता से लेते हैं। लेकिन इन्‍दु शर्मा कथा सम्‍मान एक ऐसा सम्‍मान है जिसने अपनी पारदर्शिता एवं जेनविननेस से हिन्‍दी साहित्‍य जगत में अभूतपूर्व स्‍थान अर्जित किया है। अब स्‍थिति यह है कि हिन्‍दी प्रेमी बहुत आतुरता से इस सम्‍मान की घोषणा की प्रतीक्षा करते हैं। और यह सम्‍मान पाने वाले लेखक भी इस सम्‍मान को पाकर गौरवान्‍वित महसूस करते हैं।

तेजेन्‍द्र में मैनें एक और विशेषता देखी है कि यह इन्‍सान कभी थकता नहीं। उसकी सोच सकारात्‍मक है और वह केवल आगे की सोचता है। निजी समस्‍याओं से जूझते हुए भी वह अपना संतुलन बनाए रखता है और अपनी सहजता को बरक़रार रखते हुए हालात का सामना करता है। वह दोस्‍तों का दोस्‍त है और कड़वाहट भुला देना उसके व्‍यक्तित्‍व का एक ख़ास अंग है। मुझे विश्‍वास है कि आने वाले समय में तेजेन्‍द्र की क़लम से लगातार श्रेष्‍ठ साहित्‍य की धारा बहती रहेगी।

के.‍सी. मोहन लन्‍दन में पंजाबी के प्रतिष्‍ठित पत्रकार, कवि एवं कहानीकार हैं। वे प्रगतिशील लेखक संघ. साउथहॉल, यू.के. के सचिव हैं। उनका एक कहानी संग्रह एवं एक इंटरव्‍यू का संकलन प्रकाशित हो चुका है। उनकी कहानियों का अनुवाद संग्रह रूप में हिन्‍दी एवं शाहमुखी (उर्दू) में भी हो चुका है। वे ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ़ जर्नलिस्‍ट्‌स के भी सदस्‍य हैं। संप्रतिः लंदन की एक काउंसिल के सोशल सर्विस विभाग में कार्यरत।

--

साभार-

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: तेजेन्द्र शर्मा विशेष : के. सी. मोहन का संस्मरण : एक जिम्मेदार कथाकार
तेजेन्द्र शर्मा विशेष : के. सी. मोहन का संस्मरण : एक जिम्मेदार कथाकार
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgfsGMncVRpBgAWPTDXV9f-71eSse3LEYJMqMxm0IxOH1FUTllwlQgnSV1VLUIQ1osGRlirF3_nugnFuUf2z40y9553MpMICi_WZVoZLxNhdTLE-DjjlaxIQ1SXgPSgAPVihFHd/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgfsGMncVRpBgAWPTDXV9f-71eSse3LEYJMqMxm0IxOH1FUTllwlQgnSV1VLUIQ1osGRlirF3_nugnFuUf2z40y9553MpMICi_WZVoZLxNhdTLE-DjjlaxIQ1SXgPSgAPVihFHd/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/10/blog-post_2115.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/10/blog-post_2115.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content