(टीप - इस अंतिम प्रविष्टि के साथ कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन हेतु समय सीमा के भीतर प्राप्त हुई समस्त मान्य प्रविष्टियों को प्रकाशित किया जा च...
(टीप - इस अंतिम प्रविष्टि के साथ कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन हेतु समय सीमा के भीतर प्राप्त हुई समस्त मान्य प्रविष्टियों को प्रकाशित किया जा चुका है. यदि किसी कहानीकार की कहानी अब तक अप्रकाशित है तो कृपया शीघ्र संपर्क करें. बहुत बार स्पैम में ईमेल चला जाता है. सभी कहानीकारों का हार्दिक धन्यवाद. चूंकि आप सभी का बहुत अच्छा सहयोग मिला और प्रविष्टियों की संख्या सैकड़ा पार कर गई अतः कुछ समय हमें निर्णायकों को भी देना होगा. अतः निवेदन है कि निर्णय की प्रतीक्षा धैर्य के साथ करें. - सं.)
मासूम चेहरे !
- रचनाकार -
रमाकांत बड़ारया
(नुक्कड़ नाटक शैली में लिखी इस कहानी का उद्देश्य ग्रामीण जन में विभिन्न शासकीय जनोत्थान योजनाओं की जानकारी देना है)
पोस्ट-मैन पोस्ट आफिस में चिट्ठियां छाँटकर अलग,अलग कर रहा है।
छांट कर वह एक थैले में भरता है। सायकल उठाता है, फिर वह गाँव की ओर मस्ती में झूमता, गुनगुनाता हुआ जा रहा है।
राह में एक राहगीर चंदन हाथ से इशारा कर उसे रोकता है, आवाज लगाते हुए अरे! अरे ! खबरी भईया,रुक,रुक! है,मेरी कोई चिठ्ठी पत्री ?
हाँ-हाँ है,तो तेरी एक चिठ्ठी।
खबरी भईया कर रहा था इंतजार इस पत्री का बहुत दिनों से। ला,ला दे भगवान तेरा भला करें।
थैले से चिठ्ठी निकालकर देते हुए पोस्ट-मैन बोला-‘‘लो चंदन जी, कहीं से कोई खुश-खबरी आने वाली है ,ससुराल से आई है क्या?
दे पढ़ दूँ’’‘अरे! जा-जा बड़ा आया पढ़ने वाला। क्या तू ये नहीं जानता किसी दूसरे की पत्री पढ़़ना असभ्यता है?पढ़ना जानता हूँ मैं’’बोला चंदन
बोला पोस्टमैन- ‘‘इसी को कहते हैं ,गुरु गुड़ रह जाता है और चेला शक्कर हो जाता है.भूल गया वो दिन जब बैठा रहता था घंटों मेरे सामने, गिड़-गिड़ाते हुए,पत्री पढ़ दे ,खबरी भईया,पढ़ दे कहते हुए। ’’
भगवान तेरा भला करे,कहकर पढ़ो पढ़ाओ ज्ञान बढ़ाओ अपना जीवन सुखी बनाओ मस्ती से गुन-गुनाते हुए आगे बढ़ जाता है।
आँखों से ओझल होता हुआ..................!
पोस्ट-मेन, पंचायत भवन पहुँचकर सायकल खड़ी करता है पंचायत भवन पहुँचकर सरपंच को प्रणाम करता है। सरपंच बोले‘‘बोलो खबरी क्या खबर लाये हो?
पोस्ट-मैन झोले से चिठ्ठी निकालकर देते हुए बोला-‘‘लीजिये सरपंच महोदय,लीजिये !’’
सरपंच चिठ्ठी खोलकर पढ़ते हैं। चिठ्ठी पढ़कर उनका चेहरा खुशी से खिल उठता हैं। बोले- ‘‘खबर तो बहुत अच्छी लाये हो! कलेक्टर का पत्र है। ऐसा करो जाकर उप-सरपंच,अक्षर सैनिक गोविंद और प्रशांत को खबर कर दो सरपंच ने तत्काल याद किया है! कहना बहुत जरुरी काम है। कलेक्टर का पत्र आया है ’’ ,
पोस्ट-मैन बोला-‘‘ जी सरपंच जी ! लो अभी गया,और आकर सूचित करता हूँ।
सायकल उठाकर प्रस्थान करता हुआ, गुन-गुनाते हुए जा रहा है। ‘‘ चिठ्ठी आई है ,चिठ्ठी आई है बड़े दिनों के ................!
खबरी पोस्ट मैन उप-सरपंच,अक्षर सैनिक गोविंद और प्रशांत को सरपंच द्वारा अविलम्ब पहुंचने की सूचना देता है, सौभाग्य से तीनों एक ही जगह मिल जाते हैं।
साथ ही कलेक्टर के पत्र पर चर्चा करना है की बात भी बताता है।
उप-सरपंच बोले -‘‘चलो खबरी
हम लोग पहुँचते हैं जाकर सरपंच को खबर पहुँचा दो। ’’
सरपंच तीनों का इंतजार करते हुए बैठे हैं। खबरी उनके आने की सूचना देता है।
पीछे-पीछे उप-सरपंच,गोविंद,और प्रशांत पंचायत भवन में प्रवेश करते, हैं,अभिवादन करते हैं। सरपंच उनको बैठने का इशारा करते हैं,इशारा पाकर वे कुर्सियों पर बैठते हैं।
सरपंच बोले भाईयों, मैंने आप लोगों को एक खास जानकारी देने के लिये बुलवाया है।
तकलीफ के लिये क्षमा करना। ’’प्रशांत बोला-‘‘कैसी बात करते हैं सरपंच जी। । हमारे लायक क्या काम है बताईये?’उप-सरपंच भी बोले-‘‘हाँ-हाँ वो क्या जानकारी है सरपंच जी ?’’
सरपंच बोले-‘‘आज कलेक्टर महोदय का पत्र आया हैं। गोविंद बोला-‘‘ क्या लिखा है इसमें जरा पढ़कर सुनाईये ?
सरपंच पत्र पढ़कर सुनाते हैं-‘पत्र मैं कलेक्टर ने जिले में‘बाल मजदूरों के कल्याण के लिये अभियान चलाने का निर्देश दिया है। बाल श्रमिकों को मुक्ति हेतु कार्य करना है। दुर्ग में कार्य शाला का आयोजन किया गया है। दो
प्रतिनिधि भेजने के लिये कहा गया है। ताकि सम्बंधित कानून की जानकारी हो सके आप लोगों का क्या विचार है?-’’
उप-सरपंच बोले-‘‘ सरपंच जी बाल मजदूर प्रथा कलंक है समाज पर! इसे समाप्त होना ही चाहिये। शिक्षा का प्रकाश उन तक पहुंचना ही चाहिये। हम लोग तैयार हैं ! सरपंच बोले-‘‘भाईयों हमारे पास समय कम है किस-किस को भेजा जाये बतायें?’’ उप-सरपंच बोले-‘‘सरपंच जी एक आप चले जायें,दूसरा आप चुन लें। ’’
गोविंद बोला-‘‘ सरपंच जी यदि मुझे भेजा जाता है तो मुझे प्रसन्नता होगी?’’
सरपंच बोले-‘‘गोविंद जी नेकी और पूछ-पूछ,इससे अच्छी बात और क्या होगी?तो भाईयों मेरा और गोविंद का
जाना तय हुआ। ’’ तो कल निकलते हैं। जी ! जी ! का स्वर गूँजता है।
सरपंच बोले-‘‘भाईयों, हमें कार्यशाला में जो भी जानकारी मिलेगी, सबको सूचित करेंगे।
आगे की रणनीति तैयार करेंगे। क्यों भाईयों ठीक रहेगा। ?’’
सभी एक स्वर से बोलते हैं-हाँ! हाँ ! ठीक रहेगा सरपंच जी।
सरपंच बोले-‘‘ भाईयों बहुत समय हो गया। ,घर में सबका इंतजार हो रहा होगा अब
चलें,फिर मिलते हैं। ’’ धन्यवाद जै- हिन्द ! संयुक्त स्वर गूंजता है-जै-हिन्द !!
सभी अपने -अपने घरों के लिये प्रस्थान करते हैं।
एक सप्ताह के बाद,सुबह-सुबह कोटवार का स्वर गूँजता है-,ढम्.!.ढ्म! !....‘‘सुनो -सुनो की आवाज सुनकर उत्सुकता बस लोग अपने घरों से बाहर निकलते हैं। सुनने बात क्या है?
कोटवार एक गली से दूसरी गली में घूम रहा है। मुनादी करते हुए। सुनो....सुनो ! .........
तभी एक घर से आवाज आती है,सुनो ..सुनो क्या सुनो कुछ सुनायेगा भी या बस ढ्म-ढ्म ही करता रहेगा?
जल्दी सुना नहीं तो बजा दूँगा तेरी ढपली !
कोटवार बोला-‘‘ छमा करना भईया पहले माहौल बनाना पड़ता है,समझा करो। ’’
े फिर लग जाता अपने काम में ढ़म्....ढ़म्....ढ़मा......ढम् ! !
कोटवार बोला-‘‘सुनो-सुनो! भाईयों एक जरुरी खबर !आज 3बजे ग्राम पंचायत भवन में सरपंच जी ने गाँव वालों की जरुरी बैठक रखी हैं। वे बतायेंगे बाल-मजदूर प्रथा कैसे समाप्त की जाये? इससे सम्बंधित कानून पालन करने कैसे अभियान चलाया जाये। इस पर चर्चा की जायेगी, जानकारी दी जायेगी। अपने सुझाव भी प्रस्तुत करने हैं।
अवश्य पधारें। ढ़म् !! ढ़म् !!! मुनादी करता हुआ आगे बढ़ जाता है। .............!
उसकी मुनादी का यह सिलसिला लगातार एक गली से दूसरी गली निरंतर चलता है। ढ़म्! ढ़म्!! की आवाज दूर-दूर तक सुनाई देती है। पंचायत भवन में बड़ी चहल-पहल है,चौपाल जमीं है। गाँव के बुजुर्ग युवक,युवतियाँ उपस्थित हैं। लोगों का आना निरंतर जारी हैं।
सरपंच उठकर बोलते हैं-‘‘भाईयों-बहनों ,मैंने और भाई गोविंद ने श्रीमान कलेक्टर महोदय के आदेशानुसार बाल श्रमिक प्रथा से संबंधित कार्यशाला में भाग लिया। जैसा हमें बताया गया जिले भर में उन्मूलन अभियान चलाया जाना है , पंचायतों को इसमें खास जिम्मेवारी दी गई हैं। हमारा कर्तव्य हो जाता है ,हम इसमें जी जान से जुट जायें। ।
आप लोगों का क्या विचार है? अवगत करायें ,ताकि उचित निर्णय लिया जा सके।
प्रशांत खड़े होकर बोलते है-ं-‘‘सरपंच जी हम सबको इस अभियान में जी जान से जुट जाना चाहिये !
मासूम बच्चों का शोषण बंद होना ही चाहिये।
उन्हें उनके अधिकार मिलना ही चाहिये ताकि,उनका जीवन अंधकार मय होने से बचें। शिक्षा का प्रकाश मासूम बच्चों तक पहुँचे ये हमारा प्रयास हो। यह तभी सम्भव है जब मासूमों को कल कारखानों ,होटल दूकानों में एक बँधुआ मजदूर की तरह काम करने से बचाया जाये। उन्हें स्कूलों में भेजा जाये।
सरपंच खड़े होकर बोलते हैं-‘‘ वाह ! प्रशांत जी ,बहुत खूब कहा आपने! समाज को आप जैसे होनहार युवकों की जरुरत हैं। भाईयों आप लोगों का क्या विचार है ? क्या आप लोग प्रशांत जी े विचारों से सहमत हैं ?
करतल ध्वनि के बीच आवाज गूँजती है,सरपंच आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं ! हम तुम्हारे साथ हैं !!
भाईयों,आप लोगों का उत्साह देखकर मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ। अब मैं बताता हूँ,इसके लिये हमें क्या करना होगा। हमें निम्न सलाह दी गई है, मैं आप लोगों को बताता हूं। ध्यान लगाकर सुनें शंका हो तो बे-हिचक पूछ कर शंका का समाधान करें।
1 .अपने आस-पास सर्वे कर यह पता लगायें कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कहाँ-कहाँ पगार देकर काम करवाया जा रहा है,उसकी सूची बनाकर पंचायत कार्यालय में दें।
2. जिन व्यक्तियों, संस्थानों दुकानों, कारखानों, वर्कशॉपों में 14 वर्ष से के उम्र के बच्चों से काम करवाया जा रहा है, उन्हें कानूनी प्रावधानों की जानकारी देकर ऐसा ना करने की सलाह दें।
3. सूची में यह भी उल्लेख करना है कि,किसको क्या-क्या सलाह दी गई। ताकि प्रशासन बाद में इसकी जाँच करवा सके ,इसका क्या असर हुआ ?
4. गाँव में दीवारों पर नारे लिखवाये जायें जिससे ग्रामीणों को प्रेरणा मिले। यदि वे अपने बच्चों से मजदूरी करवाने दुकानों, कारखानों, वर्कशॉपों में भेज रहें हों तो कानूनी प्रावधानों का डर एवं भय हो जिससे उन्मूलन अभियान को सफलता मिले। प्रशान्त बोला-‘‘भाईयों अभी आपको सरपंच जी नें जो जानकारी दी ,हमें क्या करना है ?
आप समझ गये होंगे। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम करवाना, बंधवा मजदूर की तरह काम करवाना, पगार देकर काम करवाना कानूनन अपराध है। जिसमें सजा तक का प्रावधान है।
ठीक वैसे ही जैसे बाल विवाह करना कानूनी अपराध है। ’’
सरपंच बोले-‘‘तो भाइयों हम कल से ही इस काम में जूट जाते हैं दल बल के साथ पंचायत क्षेत्र में सर्वे कर जानकारियाँ एकत्रित कर प्रशासन को सूचित करते हैं,15 दिनों पश्चात् पंचायत भवन से रैली निकालकर कार्यक्रम भी आयोजित करवाना हैं। कार्यक्रम में बाल-श्रमिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को आमंत्रित किया जायेगा।
उप-सरपंच बोले-‘‘ ऐसा ही होगा सरपंच जी !’’
सरपंच सबको धन्यवाद देते हुए बोले-कल सुबह यहीं एकत्रित हों। युद्ध स्तर पर अभियान शुरु करेंगे। रैली निकालकर दबिश देंगे। ’’ चर्चा कर बैठक समापन की घोषणा करते हैं।
सभी उठकर अपने -अपने घरों को प्रस्थान करते हैं।
दूसरे दिन ,सुबह-सुबह सरपंच, उपसरपंच, पंचगण, गोविंद , प्रशांत दल-बल के साथ ,हाथों में बैनर लिये पंचायत भवन से निकल रहे हैं। नारे लगाते जा रहे हैं।
‘‘ बाल श्रमिक अभियान को सफल बदायें,
छोटे बच्चों से मजदूरी न करवायें
बच्चों से काम करवाना जुर्म है
उनको बचाना हमारा धर्म है।
कोटवार ढपली पर थाप देता है ! ढ़म्....! ढ़म्.. ढ़मा-ढ्म् !दल नारे लगाता हुआ आगे बढ़ रहा है।
सामने से नारे लगाता हुआ 20-25 व्यक्तियों का एक दूसरा दल चला आ रहा है! हाथों में बैनर लिये हैं।
‘‘बाल श्रमिकों को मुक्ति दिलायें
, जीवन उनका सुखी बनायें ’’
कुछ समय पश्चात् दोनों दल अपस में एक हो जाते हैं ,मिलकर आगे बढ़ रहे हैं। लोगों का उत्साह देखते ही बनता है। अपनी आत्मा की आवाज सुनकर लोग सडक पर उतर आये हैं।
निर्देशानसार पेन्टर दीवालों पर नारे लिखते जा रहा हैं। सरपंच पेन्टर को निर्देश दे रहे हैं-‘‘ देखो पेन्टर, जहाँ-जहाँ होटल ,वर्कशाप, कारखाने, हो नारे लिखते जाओ। एक भी जगह न छूटे !’’
तभी प्रशांत आवाज लगाता है-‘‘ सरपंच जीं ओ देखिये एक बंगले से एक मेम साहब निकल रहीं हैं।
उनकी बच्ची की गाडी ,एक नाबालिग बच्ची खींच रही है! ’’
सरपंच बोले -‘‘ चलो भाईयों चलकर पूछते हैं ! सभी बंगले पर पहुँचते हैं।
सरपंच महिला को नमस्ते करते हें।
महिला सरपंच से कहती है-‘‘ कहिये भाई साहब क्या बात है?’’
सरपंच कहते हैं-बहन जी ,कलेक्टर के निर्देश पर बाल श्रमिक मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है।
बैनर की ओर इशारा करते हैं !
बैनर पढ़कर महिला बोली -‘‘भाई साहब इसमें मैं आपकी क्या मदद कर सकतीं हूं ?
‘‘हम चाहते हैं बहन जी आप,चाईल्ड-लेबर एक्ट का पालन करें, आपके साथ जो बच्ची है,वह 14 वर्ष से कम उम्र की है। ’’-बोले सरपंच .महिला हंसकर कहती है ,है! तो इससे आपको क्या लेना देना है ?
प्रशांत ने समझाया बहन जी ,कानून के मुताबिक 14वर्ष से कम उम्र के लड़के-लड़कियों से काम लेना कानूनन अपराध है,क्या आप नहीं जानती ? क्या आप ये भी नहीं जानती ,इस जुर्म में सजा भी हो सकती है.आपको?
महिला ने कहा -‘‘हमें ये तो पता नहीं है। मैं अपने सिस्टर से बात करूँगी यहाँ तो प्रायः छोटे बच्चे काम कर रहे है ये इन्डस्ट्रीयल एरिया है ,प्रायः हर कहीं न कहीं छोटे बच्चे काम कर रहे हैं।
प्रशान्त कहते है। -‘‘ हम यह पता लगाने निकले हैं, कहाँ-कहाँ 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लिया जा रहा है। उनको समझाएँगे उन बच्चों से काम न लें सूची बनाकर विभाग को देगें।
उसके बाद विभाग जाँच कर उचित कार्यवाही करेगा।
महिला बोली-‘‘ किस-कस पर कितने लोगों पर कार्यवाही होती है हम भी देखेगें। अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ। ’’
निशान्त बोला-‘‘आप ठीक कह रहीं है बहिन जी ,कानून तो बनाए जाते हैं पर उनके लागू करने की पहल नहीं हो पाती, जब जागो तभी सवेरा प्रयास किये जायें तो सफलता अवश्य मिलती है।
बहन जी आप एक बात बतायें! क्या आप नहीं चाहेंगीं,आपकी यह बेबी बड़ी होकर शिक्षित हो ,सभ्य हो,सुखी हो। यही आप इस बच्ची के बारे में क्यों नहीं सोचतीं जिसे आपने ,अपनी बच्ची की सेवा में लगाया हुआ है ?
यह भी काम पर आने के बदले स्कूल जाये। पढ़े लिखे और काबिल बने।
महिला व्यंगात्मक लहजे में बोली -‘यह तो उसके माँ-बाप को सोचना चाहिये! हम क्यों सोचें?
सरपंच बाले-‘‘आप ठीक कहतीं हैं बहन जी। अभी हम आपको समझा रहे हैं कल इसके माँ-बाप को भी समझायेंगे।
क्या नाम है बेटी आपका ?- कुमारी द्रौपदी !
क्या नाम है बेटी आपके पिताजी का? -सुखराम !
कहाँ रहती हो बेटी? -ग्राम ढौर!
द्रौपदी क्या आप पढ़ना चाहती हो?
हाँ, मैं पढ़ना चाहती हूँ !
हम लोग यदि आपको स्कूल भेजें तो जाओगी? -हाँ ! जाउंगी।
क्या सच में स्कूल भेजेंगे आप लोग मुझे?
चिंता मत करो बेटी हम कोशिश करेंगे तुम स्कूल जाओ !
सरपंच बोले प्रशांत गेट पर लिखा पता नोट किया?
हाँ! सरपंच जी नोट कर लिया।
सरपंच कहते हैं ‘‘ बहन जी छमा करना हमारी वजह से आपको देर हुई, तकलीफ हुईं।
हमने आपका कीमती समय खराब किया। अपने पति महोदय को कहेंगी सरपंच कुरुद ने आपको याद किया है।
जी ! कहकर आगे बढ़ जातीं हैं।
सरपंच अपने साथियों के साथ ,अन्य बंगलों में जा जा कर पूछताछ करते हैं,जानकारियाँ नोट करते जाते हैं।
पेन्टर को एक बड़े अगरबत्ती कारखाने की दीवाल पर नारा लिखते हुए देखकर सरपंच रुकते हैं उसका हौसला बढ़ाते हुए बोले-‘‘बहुत अच्छे ऐसे ही लगे रहो। दीवाल पर लिखे नारे को जोर से पढ़ते हैं-
बच्चों से श्रम करवाना जुर्म है,
बच्चे पढें-लिखें काबिल बनें
समझें-समझायें ये अपना धर्म है।
शासन ने दिया ये मंत्र है
गोविंद बोला-‘‘भाईयों नारे को एक बार और जोर से दुहरायें’ संयुक्त स्वर जोरों से गूँजता है-
बच्चों से श्रम करवाना जुर्म है ,जुर्म है..................!!!!!
बाल श्रमिकों को मुक्त कराना हमारा धर्म है,
हमारा धर्म है। शासन ने दिया ये मंत्र है
अभियान पर निकले दल में चल रहे लोगों के हौसले को देखते ही बनता है। सच ही कहा गया है,नेक काम करने वालों को ताकत और हौसला उपर से मिलता है। नारे लगाता हुआ दल आगे बढ़ रहा है। लोगों में भी जानने
की बड़ी उत्सुकता है,सरपंच उनकी जिज्ञासा को निराकृत करते जाते हैं।
सरपंच बोलते हैं-‘‘भाईयों,चलो अगरबत्ती कारखाने में चलकर देखते हैं।
आवाज आती है , हाँ-हाँ! चलो,चलो कहते हुए समूह अगरबत्ती कारखाने के गेट पर पहुंचते हैं।
उप-सरपंच चौकीदार से बोलते हैं-‘‘चौकीदार,गेट खोलो हमे मैनेजर से मिलना है।
चौकीदार कहता है-‘‘आप लोग रुकिये! मैं मैनेजर को खबर करता हूं। आपसे कुछ लोग मिलना चाहते हैां
कहकर वह अंदर जाता है।
कुछ देर बाद आकर गेट खोलते हुए बोलता है‘‘ जाइये आप लोग जाकर मैनेजर से मिल सकते हैं। ’’
सरपंच, उप-सरपंच, गोविंद, प्रशांत जाकर मैनेजर से मिलते हैं। बैठते हुए आने का मकसद बताते हैं,
सरपंच बोलते हैं-‘‘भाई साहब जिले में बाल श्रमिक प्रथा उन्मूलन का अभियान चलाया जा रहा है।
इसी मकसद से आपके यहाँ आना हुआ है।
हमें पता लगाना है ,हमारी पंचायत के इलाके में कितने बाल श्रमिक काम कर रहे हैं,और कहाँ-कहाँ काम कर रहे हैं? हम लोग आपसे यह जानना चाहते हैं,आपके कारखाने में कितने बाल श्रमिक काम कर रहे हैं?’’
सुनकर मैनेजर बोले-‘‘देखिये भाई साहब इस नोटिस बोर्ड में लिखा है यहां 14 वर्ष व कम उम्र का कोइ श्रमिक काम नहीं करता। सरपंच बोले-‘‘ भाई साहब पर यहाँ हकीकत तो कुछ और ही दिखाई दे रही है। ’’
मैनेजर बोला-‘‘क्या आज आप लोगों को पता चल रहा है,वास्तविकता और हकीकत में अंतर होता हैं।
ये तो सदियों से चला आ रहा है?’’
सुनकर बोला प्रशांत -‘‘मैनेजर साहब सदियों की बात छोड़ो ,ज्यादा दिन की बात नहीं है,जब राजे -महाराजे हुआ करते थे , पर क्या अब हैं वे ?मैनेजर तमककर बोलता है-‘‘भाई साहब ये देखना तो लेबर इंसपेक्टर का काम है ,आप लोग क्यों इस पचड़े में पड़ते हैं?
सरपंच बोले -‘‘जब बुराई खतम नहीं होती,तो उसे खत्म करने लोगों को आगे आना पडता है ,समझ लो हम यही कर रहे हैं,पर प्रशासन के निर्देश पर ?
क्या मैं आपका परिचय प्राप्त कर सकता हूँ?’’-बोला मैनेजर। क्यों नहीं ? क्यों नहीं ?
मैं सरपंच ग्राम पंचायत कुरुद, मेरे साथी उप-सरपंच,अक्षर सैनिक द्वय प्रशांत एवं गोविंद।
मैनेजर बोले-‘‘ सरपंच जी ,मैं एक नेक सलाह दूँ! आप यदि अन्यथा न लें। ’’अरे कैसी बात करते हैं मैनेजर
साहब !कौन जानता है,कब किसकी नेक सलाह काम आ जाये? स्वागत है! बोले -सरपंच।
नेक सलाह देते हुए,मैनेजर बोलते हैं-‘‘ सरपंचजी आप लोग,इस मामले से दूर ही रहें तो बेहतर होगा ,क्योंकि कारखाने के मालिक बहुत बड़ी पहुँच रखते हैं। उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता।
सरपंच बोले -‘‘भाई जी क्या मैं भी आपको एक नेक सलाह दूं ,शायद तुम्हें,और तुम्हारे सेठ जी को कभी न
कभी काम आ जाये। ’’मैनेजर बोला-‘‘ वो क्या सरपंच जी ?’’ सरपंच बोलते हैं -‘‘
एक कानून के हाथ बहुत लम्बे होते हैं।
दो हाँय बला की चीज होती है,जो अच्छे‘अच्छों को तबाह कर देती हैं। हमारा संदेश सेठ जी तक जरुर पहुंचा देंगे
आपकी बड़ी मेहरबानी होगी ! मैनेजर बोला जरुर पहुंचा दूंगा। मुझे डर है कहीं ....................!
उल्टा आप लोग ही परेशानी में पड सकते हैं। यदि कुछ चंदा,चाय पानी का कोई इरादा हो तो सेठ जी इस मामले में बहुत उदार हैं, बोल दीजिये व्यवस्था करवा दूंगा?’’अरे नहीं -नहीं ऐसी कोई बात नहीं हैं
!शुक्रिया मैनेजर साहब !’’
मेरा आपसे अनुरोध है, क्या आप मुझे कारखाने में अगरबत्तियां बनते हुए दिखवा सकते हैं?
नहीं -नहीं ! संभव नहीं है ! अंदर जाने की किसी को इजाजत नहीं है।
अंदर तो आज तक लेबर इंस्पेक्टर भी नहीं गया ,जो अधिकृत अधिकारी है?
फिर तो आप कुछ भी नहीं हैं !
प्रशांत पूछता है,मैनेजर -‘‘ साहब एक बात बताइये -क्या आपका कोई बच्चा इस कारखाने में काम करता है ?
अरे कैसी बेहूदा बात कह रहे हैं आप ?वो क्यों करेगा काम यहाँ।
क्या उसको यहाँ काम कर अपना भविष्य खराब करना है ?
क्या आप चाहेंगे आपका बच्चा यहाँ काम करे ?
मैनेजर साहब मैं तो यह चाहता हूँ,किसी भी जगह बाल श्रमिक काम करता हुआ ना मिले।
मेरे चाहने से क्या होता है ?ये तो उनको सोचना चाहिये जो अपने बच्चों को यहाँ काम करने भेजते हैं।
ये तो उनको सोचना चाहिये ,जो बालकों को श्रमिक के रुप में काम पर लगाते हैं।
मैनेजर साहब क्या मैं एक बात कहूँ ?‘‘कोई हर्ज नहीं,बे-हिचक कहिये। ’’-बोले मैनेजर
14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लेना ,काम करवाना ,काम पर लगाना दंडनीय अपराध है।
क्या आप नहीं जानते ?काम पर लगाने वाला शख्स तो पर्दे के पीछे है।
बाल श्रमिकों से काम तो आप ले रहे हो,क्या आप ?इस जुर्म से बच सकते हो !
संकट कह कर नहीं आता, जरा इस पर गौर करना। क्योंकि कानून के हाथ बड़े लम्बे होते हैं,इसे कभी भी मत भूलना। आप चाहो तो कानून की मदद कर एक जिम्मेदार नागरिक के रुप में सोचकर ,इन मासूम बच्चों के भविष्य को निखारने में अहम् भूमिका निभा सकते हो ,जो तुम्हारे हाथ में है । जरुर विचार करना ।
मैनेजर व्यंग करता है‘‘ पर उपदेश कुशल बहुतेरे’’
इतना तो निश्चित है,यहाँ बाल श्रमिक होने से इंकार नहीं किया जा सकता सभी नारे लगाते हुए बाहर निकल रहे हैं।
बच्चों से काम लेना ,जुर्म है.... जुर्म है !
बाल श्रमिकों को मुक्ति दिलाना,हमारा धर्म हैं। !
स्कूल जायें और खूब पढ़ें, खेलें कूदें खूब बढ़ें!
इनसे काम करवाने वाले कुछ तो शर्म करें !
सरपंच बोले- ‘‘चलो भाईयों अब आगे चलें !’’
संयुक्त स्वर गूंजता है! हां! हाँ ! ! चलो भाईयो चलों !’’ देर किस बात की!
सरपंच के पीछ-पीछे सारा दल आगे बढ़ रहा है! नारे लगाता हुआ !
सरपंच अपने समूह के साथ नारे लगाते हुए जा रहे हैं। रास्ते में एक रेस्टारेंट देखकर उसके के सामने खड़े होकर नारे लगाते हैं।
बाल श्रमिकों को मुक्त करो !मुक्त करो भाई मुक्त करो
बच्चों से श्रम करवाना जुर्म है जुर्म है जुर्म है
रेस्टोरेंट का मालिक सड़क पर आकर पूछता है,भाई आप लोग चाहते क्या हो? ये नारे बाजी क्यों कर रहे हो ?
सरपंच उन्हें समझाते हुए कहते है-‘‘भाई साहब बाल श्रमिकों की मुक्ति के लिये कलेक्टर के निर्देंश पर यह अभियान चलाया जा रहा है!लेबर चाइल्ड से संबंधित कानून है हमारे देश में सरकार चाहती है।
लोगों में जाग्रति आये,कानून से लोग परिचित हों। लोगों को दंड का भय हो! अपने संस्थानों में 14 वर्ष व कम उम्र के बालक बालिकाओं से मजदूरी श्रम नहीं करवाया जा सकता ,अगर कोई ऐसा करता है तो यह दंडनीय अपराध है ऐसे अपराध के लिये सजा का कानून में प्रावधान है। क्या आप जानते हैं? अगर नहीं तो अब जान लें।
भाई साहब कानून लागू करने की जिम्मेदारी जिन पर है, वो मजे से सो रहे हैं। उन्होने आप लोगों को लाइन में लगा दिया। यह जानते हुए कि कुछ नहीं होने वाला। कोई सिर फिरा मिल गया तो मुसीबत में पड़़ोगे सो अलग। ं
हमें कानून का भय ना दिखाओ,कितने कानून हैं,और कितने कानूनों का पालन होता हैं।
क्या आप नहीं जानते ?
वो देखो सडक पर अण्डा बिक रहा है हाईकोर्ट द्वारा सडक पर ,किराना दूकानों में अण्डा बेचने पर बेन है इसके बाद भी धड़ल्ले से बिक रहा है।
राज्य में गुटका पर बेन है ,फिर भी क्या खुले आम ब्लेक में नहीं बिक रहा ? आपको खरीदते वही लोग मिलेंगे जिनका दायित्व बिक्री पर रोक लगाना है। कानून का सख्ती से पालन करवाना है।
आप लोग जाग्रति लाने का काम कर रहे हैं ,अच्छा है पर हमारी भी मजबूरी है।
काम करने वाले ये बच्चे न रहें तो ताला लग जायेगा हमारे इस ‘‘खूब-सूरत’’ रेस्टोरेंट में। देश में समस्यायें तो बहुत हैं भाई साहब !
वक्त आने पर धीरे- धीरे,एक -एक कर समाज में व्याप्त बुराईयों का अंत हो जाता ह,ै कानून के साथ-साथ जिम्मेदार नागरिक का भी फर्ज निभाना पड़ता है। क्योंकि -
बनता है बिगड़ता है देश ,बसने वालों से इसमें
इसको सदा याद रखना
अच्छे नागरिक बनना और बनाना
इसको सदा याद रखना
अच्छा भाई साहब क्षमा करना जो हमारे कारण आपको तकलीफ हुई।
आपके विचार जानकर प्रसन्नता हुई। धन्यवाद !
अपने साथियों के साथ आगे बढ़ रहे हैं ,चलते हुए सरपंच बोलते हैं -
भाईयों! अब बहुत समय हो गया घर चलते हैं।
कल सुबह पंचायत भवन में मिलते हैं!कल बचे हुए क्षेत्र में अपना अभियान चलेगा। क्यों क्या विचार है, भईया आप लोगों का ?सब मिलकर बोलते हैं-‘‘ सरपंच जी ठीक कहा आपने कल बचा हुआ क्षेत्र देखेंगे। ’’
सुबह का समय है,पंचायत भवन में अपने 20-25 साथियों के साथ हाथों में नारों के बैनर लेकर अभियान पर निकलने का आहवान् कर रहे हैं- सरपंच बोले -‘‘चलो साथियों चलो ! चलो !’’
इसी समय हाई-स्कूल के प्राचार्य भी अपने 50 छात्रों के साथी अभियान से जुड़ते हैं। सरपंच से मिलकर एक पत्र सौंपते हैं। सरपंच उनका आभार व्यक्त करते हैं !सारा माहौल नारों से गूंज उठता है-
बच्चों से काम लेना
बंद करो ! बंद करो !
कुछ तो शर्म करो
कुछ तो शर्म करो
नारे लगाता हुआ अभियान दल ,औद्योगिक क्षेत्र में दबिश देता है ! एक फेब्रीकेशन वर्कशाप के सामने जाकर नारे बाजी शुरु कर देते हैं। लेबर एक्ट का पालन करो बच्चों से काम लेना बंद करे कानून तोड़ने वालों इन मासूमों पर रहम करो सरपंच ,और प्राचार्य वर्क शाप के मालिक से मिलते हैं। पहले तो वह बात करने से इंकार कर देता है। उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की गई सरपंच ने उन्हें कलेक्टर के पत्र की प्रति देते हुए कहा -‘‘भाई साहब जरा सोच कर देखिये !
पत्र पढ़कर बाले -‘‘ऐसे अभियान चलाना सरकार की मजबूरी है। कुछ दिन चलेगा वही एक ढ़ाल की दो पात। डर गये तो हो गया काम राम राम! अभियान की हवा निकलते देर नहीं लगेगी।
सरपंच बोले -‘‘सरदार जी बहुत -बहुत धन्यवाद !
सब दिन होत न एक समान, भाई साहब बुद्धिमान वही होते हैं,जो हवा का रुख देख कर चलते हैं।
समय बड़ा बलवान होता है। अच्छे अच्छों को नानी याद करा देता है। कानून का जब डंडा चलता है तो वह ,
अच्छे अच्छों की हुलिया बिगाड़ देता है।
सरदार जी बोले भाई साहब ज्यादा बात न करें। आप बहुत ज्यादा बोल रहे हैं। अपने रास्ते चलें।
सरपंच अपने साथियों के साथ पूरे क्षेत्र में भ्रमण कर बाल श्रमिकों के सम्बंध में जानकारियां एकत्रित करते हैं यह सिलसिला सुबह से लेकर शाम तक चलता है,फिर भी लोगों के उत्साह में कहीं कमी दिखाई नहीं देती।
प्राशांत बोले -‘‘ सरपंच जी !
अगर सब लोग इसी तरह समाज में व्याप्त बुराईयों को समाप्त करने का संकल्प लें तो क्या कहने ’’।
प्राचार्य बोले-‘‘आप ठीक कहते हैं श्रीमान हम सबको आदर्श एवं एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते समाज में व्याप्त बुराईयों को समाप्त करने के लिये हमेशा तैयार रहना चाहिये ,जो आप कर रहे। समाज इसको हमेशा याद रखेगा। ’’ सरपंच बाले - ‘‘अरे सर जी आप भी !
हां तो भाईयों , सबका घर में इंतजार हो रहा होगा ! चलो अब चलते हैं। कल सुबह पंचायत भवन पहुँचें।
रिपोर्ट तैयार कर कार्यालय कलेक्टर भिजवाना है। सर जी आप भी जरूर आईयेगा !
’’प्राचार्य बाले -‘‘ जरूर ! जरूर आउंगा।
मिलने के वादे के साथ सभी अपने ,अपने घरों की ओर अपने कदम बढ़ाते हुए दृष्टिगोचर हो रहे हैं।
तीसरा दिन ,पंचायत भवन में वादा मुताबिक सरपंच ,उप-सरपंच प्राचार्य, गोविंद,प्रशांत और युवक चर्चा करते हुए ,रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। जो भी देखा गया सब कुछ रिपोर्ट में शामिल किया गया। सरपंच रिपोर्ट पढ़कर सुनाते हैं। सभी अपनी सहमति के साथ हस्ताक्षर कर उसको अंतिम रूप देते हैं।
सरपंच प्राचार्य एवं छात्रों के प्रति अभियान को सफल बनाने में उनकी भूमिका के लिये आभार व्यक्त करते हैं , साथ ही उन्हें प्रशस्ति पत्र सौंपते हैं।
प्राचार्य बोले -‘‘ सरपंच जी इसमें प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है ,ये तो हमारी नैतिक जिम्मेदारी थी जो हमने निभाई। ’’
सरपंच बोले -‘‘ सो तो है,पर सहयोग की सराहना करना भी हमारा कर्तव्य बनता है सो हमने निभाया। ’’
प्राचार्य बोले -‘‘ ये तो आपका बड़प्पन है,सरपंच जी’’
इसी समय एक सज्जन का आगमन होता है। वे बताते हैं वे एक दैनिक अखबार के पत्रकार हैं। आपने बाल श्रमिकों के कल्याण के लिये अभियान चलाया हुआ है ,इसकी रिर्पोटिंग के लिये जानकारी प्राप्त करने आया हूं।
सरपंच बोले -‘‘ ये तो बड़ी खुशी की बात है। ’’ वे सरपंच से अभियान से संम्बंधित इंटरव्यू लेकर जानकारियां प्राप्त करते है। आभार व्यक्त कर विदा लेते है।
दैनिक समाचार पत्र में सरपंच का इंटरव्यू छपा है , अभियान के दौरान सम्पर्क करते हुए ग्रुप फोटो भी छपा है। समाचार पत्र में ग्राम पंचायत द्वारा बाल श्रमिकों की मुक्ति क लिये चलाये गये अभियान की सराहना की गई है। समाचार पत्र में सरपंच के शासन से इस अनुरोध को प्रमुखता से उल्लेख किया गया है कि शासन प्रशासन क्षेत्र
में होटल,रेस्टारेंट, वर्कशाप,छोटे-बड़े कारखानों के मालिकों एवं क्षेत्र के हाउसिंग बोर्ड ,कालोनियों के अध्यक्षों की एक कार्यशाला आयोजित कर चाइल्ड लेबर एक्ट का सख्ती से पालन करवाने का,करने का उनसे अनुरोध करे। उन्हें समझाया जाये यदि बाल श्रमिक कहीं भी काम करते पाये गये तो कानून अपना काम करेगा।
साथ ही साथ सरपंच ने शासन प्रशासन सं यह भी अनुरोध किया है, यह भी देखा जाये ,कानून का पालन करवाना जिनकी जिम्मेदारी है वे कहाँ तक अपनी भूमिका को अंजाम दे रहे हैं ?
उनको भी दंड का भय हो। मिली भगत का गोरख-धंधा बंद हो।
सच्चे अर्थों में बाल श्रमिकों को मुक्ति मिले उनका भविष्य निर्माण हो, योजना कागजों में सिमटकर न रह जाये।
सरपंच के घर बधाईयाँ देने वालों का आना जाना लगा हुआ हैं। सरपंच स-पत्नीक बधाईयाँ स्वीकार कर रहे हैं।
आज का दिन सरपंच के लिये ही नहीं ,संपूर्ण पंचायत के लिये गर्व की बात है। लोगों के आगमन का सिलसिला देर रात तक चलता है।
समाचार पत्र में छपे समाचार के आधार पर कलेक्टर अपने अधीन अधिकारियों की बैठक लेकर ग्राम पंचायत से प्राप्त रिपोर्ट का अध्ययन करते हैं। संस्थानों ,कालोनियों में सत्यापन के लिये एक टीम गठित करते हैं।
चाइल्ड लेबर एक्ट पर अमल करने ,करवाने मार्गदर्शन हेतु एक विशाल कार्यक्रम कुरुद में आयोजन का निर्णय लेते हैं। दैनिक समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित करवाने का आदेश देते हैं।
साथ ही सरपंच ग्राम पंचायत कुरुद को कार्यक्रम की पूर्ण रुपरेखा विवरण प्रेषित करने आदेशित करते हैं।
सरपंच उप-सरपंच,गोविंद, प्रशांत,महिला-पुरुष पंच कार्यालय में बैठकर समाचार पत्र में छपे समाचार को पढ़कर आपस में विचार विमर्श कर रहे हैं। उसी समय पोस्टमैन आकर सरपंच को डाक सौंपता है। लिफाफा देखकर ही जानकारी हो जाती है, पत्र कार्यालय कलेक्टर से आया है।
खोलकर पढ़ते हैं,पढ़कर बोले -‘‘भाईयों समाचार पत्र में जो समाचार छपा है इस पत्र में कार्यक्रम की रुपरेखा दी गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रमिक दिवस पर बाल श्रमिकों की समस्याओं का निदान कैसे हों ! इस पर चर्चा के लिये यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। सब इसे पढ़ ़लें ,और अच्छे से समझ लें ं। अच्छी तरह मुनादी हेतु कोटवार को समझा दें।
आज ग्राम में बड़ी चहल पहल है,ग्राम की दीवारें नारों से सराबोर हैं।
जगह जगह बैनर जगे हुए हैं। बाल श्रमिकों को मुक्ति दिलाने कानून का सख्ती से पालन करने का संदेश दे रहे हैं।
कोटवार गाँव में मुनादी करते हुए घूम रहा है साथ में महिलाओं का एक दल बैनर लिये साथ में चल रहा है।
ढ़म् !ढ़म् ! ढ़मा ढ़म् सुनो-सुनो गाँव वालों सुनो कल हमारे गाँव में बाल श्रमिकों से संबन्धित कानून की जानकारी देने बाल श्रमिकों को मुक्ति दिलाने, उनके भविष्य को उज्जवल बनाने जानकारी देने, पंचायत भवन में कल सुबह, कार्यक्रम रखा गया है। आप लाग अवश्य पधारें।
संयुक्त स्वर- महिलायें नारे लगाती है-
‘‘बाल श्रमिकों को मुक्ति दिलाओ,
उनका सुखी जीवन बनाओ ,
जीवन उनका सुखी बनाओ।
एक गली से दूसरी गली ,एक चौराहे से दूसरे चौराहे !
कोटवार की मुनादी का यह सिलसिला लगातार सूर्यास्त तक चलता है ! !
लोग उत्सुकता से पूछते हैं,चर्चा करते है। ये तो समाज की भलाई का काम है।
जितनी तारीफ करो कम है । भईया हमको तो कम लगती है !
ग्राम पंचायत भवन में पंडाल लगा हुआ है, कुर्सियाँ जमीं हई हैं एवं नीचे दरियाँ बिछी हुई है। ं
स्टेज पर टेबल,कुर्सियाँ लगी हुईं हैं ,माइक लगा है।
पंच ,सरपंच अक्षर सैनिक व्यवस्था में लगे हुए हैं। ग्रामीण महिला ,पुरुष, बच्चों एवं व्यावसायिक संस्थानों के मालिकों के आने का क्रम चल रहा हैं, लोग स्वप्रेरित होकर आ रहे है। कुर्सियाँ भर चुकीं हैं। दरी पर भी जगह खाली नहीं दिखती। सरपंच माइक पर घोषणा करते हैं -
‘‘भाईयों अभी अभी मुझे फोन से सूचना प्राप्त हुई है,कि अधिकारी गण !कुरुद पहुँच चुके हैं।
बस यहाँ पहुँचने ही वाले है। कृपया अपनी अपनी जगह शांत होकर बैठे रहें।
कुछ क्षण पश्चात् अधिकारियों का काफिला पहुँचता है।
सरपंच उन्हें साथ लाकर मंच पर बिठाते हैं।
अतिथि गण ,बाल श्रमिक कल्याण परियोजना अधिकारी,लेबर इंसपेक्टर मंच पर विराजमान हैं।
सरपंच उनका परिचय करवाते है।
उनका पुष्पाहार से स्वागत् करते हैं,स्वागत करवाते हैं। तालियाँ गूंजती हैं!!!
सरपंच बोले -‘‘ अब मैं माननीय, लेबर इंस्पेक्टर महोदय जी से निवेदन करता हूँ,वे आयें और बाल श्रमिकों की मुक्ति और बाल श्रमिकों के कल्याण की योजनाओं के सम्बंध जानकारियां दें ताकि समाज में जाग्रति आ सके। आईये श्रीमान...! लेबर इंस्पेक्टर माइक हाथ में लेकर बोले -‘‘ भाईयों सबसे पहले में आप सभी को धन्यवाद देता हूँ जो आप लोगों ने बाल श्रमिकों के कल्याण का बीड़ा उठाया है।
आप लोगों ने शासन की मंशा के अनुरुप एक बहुत बड़े अपराध के खात्मे की शुरुआत की है। आप लोगों ने यह संदेश देने की कोशिश की है,यदि अपने 14वर्ष व कम उम्र के बच्चों को काम पर न लगवायें ,वरन् उन्हें स्कूल भिजवायें जिससे वे काबिल बनें अपने पैरों खड़े हों। उनके अधिकारों का हनन् न हो पाप का भागीदार होने से बचें 14 वर्ष व कम उम्र के बच्चों से काम करवाना, मजदूरी करवाना अपराध है। मेरा उन लोगों से निवेदन हैं। जो ऐसे कम उम्र के बच्चों से यदि मजदूरी करवा रहे हैं तो तत्काल बंद करें। ऐसे मामलों की यदि किसी को जानकारी है तो, मुझे, व पुलिस की जानकारी में लायें ताकि उचित कार्यवाही की जा सके , यह पुण्य कार्य अवश्य करें।
धन्यवाद ! जै-हिन्द। तालियां गूंजती हैं ! !!
अब मैं बाल श्रमिक कल्याण परियोजना अधिकारी से निवेदन करुंगा आकर मार्गदर्शन के दो शब्द कहें।
आईये श्रीमान !!परियोजना अधिकारी अपने स्थान पर खड़े होकर बोलते हैं- ये मेरा सौभाग्य है कि, आज मुझे आपसे चर्चा का अवसर मिला। भाईयों हमारे गॉवों व शहरों में ऐसे हजारों बच्चे हैं ,जिनकी उम्र 14 वर्ष व कम है,जिनके पढ़ने -लिखने व खेलने कूदने के दिन हैं। परंतु अफसोस के साथ कहना पड रहा है क्या ऐसा है ?
पढ़-लिखकर अपना भविष्य बनाने स्कूल जाने के बदले होटल, रेस्टारेंट, कारखानों, दूकानों, बंगलों में काम करने जाते हैं। इनका शोषण हो रहा है। इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है,हम सब इसके लिये कहीं दोषी हैं।
एक बुजुर्ग खड़ा होकर कहता है-‘‘साहब जी, इसमें बुराई क्या है ? परिवार के खर्चे चलाने में अगर वह सहायता करता है !
परियोजना अधिकारी बोले-‘‘दादा जी मैं बताता हूं इसमें गलत क्या है ?
पहले तो यह कानून के खिलाफ है! इससे उसके मूलभूत अधिकारों का हनन् होता है। उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ होता है !!
दादा जी अगर बच्चा स्कूल जाता,उच्च-शिक्षा प्राप्त करता काबिल बनता।
बेहतर नौकरी पाकर परिवार का खर्च बेहतर ढंग से चलाता!रहन -सहन में सुधार होता ,भावी पीढ़ी सुखमय जीवन बिताती। क्या चाहते हैं आप? एक युवक खड़े होकर कहता है-‘‘सर जी ये तो सिर्फ कहने की बातें हैं, आजकल नौकरियाँ कहाँ मिलती हैं। ’’
परियोजना अधिकारी समझाते हुए बोले -‘‘ बंधु आपका प्रश्न वाजिब है।
नौकरियाँ हर एक के लिये सम्भव नहीं हैं। परंतु इसका मतलब ये तो नहीं,हम मासूमों को मजदूरी में झोंक दें।
काश! बाल श्रमिकों की मानसिक स्थिति को आप समझ सकते ?
बंधु संभव है,पढ़ लिख कर किसी को नौकरी न मिले परंतु पढ़ लिखकर वह छोटा मोटा उ़द्योग व्यापार चलाकर मेहनत के बल पर बड़े उद्योग व्यापार का मालिक हो जाये!प्रगतिशील किसान बन जाये !
अवसरों की कोई सीमा नहीं है।
पढ़ लिखकर व्यक्ति काबिल नागरिक बनता है। पढ़ा लिखा व्यक्ति अपने परिवार की देखभाल बेहतर ढंग से कर सकता है।
युवक बोला -‘‘ समझ गया सर जी ! समझ गया !!,
तब तो बाल श्रमिकों का शोषण बंद होना चाहिये।
मासूमों से श्रम करने कराने वालों पर पर कार्यवाही होना चाहिये !
परियोजना अधिकारी सुनकर बाले -‘‘ बंधु ,अब की आपने पते की बात !
है हमारे देश में है एक कानून! बाल-श्रमिक एक्ट !
यदि कोई 14 से कम उम्र के बच्चों से खेतों ,कारखानों ,वर्क शापों, होटल-रेस्टारेंट ,बंगलों में ,कहीं भी मजदूरी करवाता है तो उसके विरुद्ध कार्यवाही पुलिस ,लेबर इंस्पेक्टर केस दायर करवा सकते हैं।
एक्ट का उल्लंघन पाये जाने पर कम से कम 3 माह की सजा, 10000रु के जुर्माने का प्रावधान है।
दुबारा अपराध सिद्ध होने पर सजा दुगनी हो हो सकती है। 14 से 18 वर्ष के बच्चों से खदानों केमिकल वेस्ट व किसी भी खतरनाक उद्योगों में. श्रम.कराने पर अपराध माना जायेगा।
इसे समझें समझायें ! ................!!
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करवाने की व्यवस्था की गई है। एक बुजुर्ग खड़ा होकर कहता है-‘‘साहब जी !पहले तो ऐसा नहीं होता था। अब ऐसा क्यों?’’
परियोजना अधिकारी बोले -‘‘दादा जी !कानून पहले से है,परंतु इस पर प्रभावकारी अमल नहीं हो पा रहा था। अब सरकार इस ओर बहुत ध्यान दे रही है। जन-जाग्रति के लिये ही यह आयोजन किया जा रहा है।
अब समय बदल गया है। सरकार चाहती है,मासूम बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मूलभूत अधिकार मिलें!उनसे वंचित न रहें।
उन्हें मानसिक,शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के समान अवसर प्राप्त हों।
आपकी सक्रियता, भेदभाव नहीं होने देगी। कानून लागू करना असंम्भव भी नहीं होगा। यदि हम और आप ठान लें तो, ‘‘ये मासूम चेहरे’’बंगलों, कारखानों, दूकानों ,होटल, रेस्टारेंटों , वर्कशापों, में काम करते नजर आने की बजाय स्कूलों में मिलेंगे। ’’
भाईयों एक बात और ! सरपंच बोले-‘‘ वो क्या सर जी ?
परियोजना अधिकारी बोले -‘‘सरकार ने हमारे जिले में 40 बाल श्रमिक विद्यालयों की स्थापना की है ,जहां बाल श्रमिकों की पहचान कर उन्हें मुक्त करवाया जाकर उन्हें यहीं भरती करवाया जायेगा। यहां शिक्षा के अलावा रोजगार परख शिक्षा,व प्रशिक्षण भी दिलाया जायेगा ! जब बच्चा पढ़ लिखकर किसी उद्योग व्यवसाय का प्रशिक्षण का ज्ञान लेकर बाहर निकलेगा अपने पैरों पर खड़े होने की काबिलियत इनमें होगी। इन्हें कोई भी संस्थान अपने यहाँ नौकरी रख लेगा।
चलो मान लेते हैं, उसे कोई नौकरी नहीं मिलती। कोई कुशल कारीगर,उद्यमी कभी खाली हाथ नहीं रह सकता वह स्वयं का उद्योग व्यवसाय स्थापित कर सकता है। जिससे उसकी मेहनत का लाभ स्वयं उसे ही मिलेगा ,कोई उसकी मेहनत का बटवारा नहीं कर सकता !’’
एक युवक खडा़ होकर पूछता है-‘‘अपना उद्योग ,व्यापार शुरु करने उसके पास पैसा कहाँ से आयेगा ?’’
परियोजना अधिकारी बोले-‘‘ बहुत अच्छा प्रश्न किया आपने !बताता हूं सुनो,यह भी अब कोई समस्या नहीं रही! आप जानते होंगे सरकार गाँव शहरों में स्वर्ण जयंती स्व-रोजगार योजनायें ,चला रही है। खादी-ग्रामोद्योग जिला उ़द्योग केन्द्रों के माध्यम से कक्षा 8वीं से लेकर बेरोजगार युवकों को आर्थिक सहायता दी जा रही है। प्रधान मंत्री स्व-रोजगार योजना चल रही है। हम प्रकरण बनवाकर आर्थिक सहायता दिलवाने का प्रयास करेंगे।
क्यों बंधु है न हर समस्या का हल ?
ध्यान रखें बाल श्रमिक के सम्बंध में पुलिस , लेबर इंस्पेक्टर, कलेक्टर कार्यालय बाल-श्रमिक कल्याण परियोजना
अधिकारी कार्यालय देना न भूलें। अनदेखा न करें ! हमारा सामूहिक दायित्व है,मिलकर लाचार बाल श्रमिकों को मुक्त करायें ! इसके लिये विभाग एक समयबद्ध कार्य-प्रारंभ करने जा रहा है। लेबर चाइल्ड एक्ट का उल्लंघन करने वालों
की अब खैर नहीं है।
कानून तोड़ने वाले अंदर होंगे ,चाइल्ड लेबर बाहर होगे। ’’आप लोगों को कोई शंका हो तो ,पूछ ले?। ’’
सरपंच बोले -‘‘महोदय जी ,हमने अपने क्षेत्र में बाल श्रमिकों की पहचान के लिये सर्वे किया था। हमें कुछ धमकियाँ भी मिलीं ! हमने एक सूची विस्तृत विवरण साथ कलेक्टर को भेजी थी। आपको भी दं रहा हूँ उचित कार्यवाही अपेक्षित है। ’’ परियोजना अधिकारी सूची लेते हुए बोले -‘‘ सरपंच जी आपकी सूची पर अवश्य ही कार्यवाही होगी,चिंता न करें आप जल्दी देखेंगे। यदि काई धमकी देता है तो,पुलिस में सूचना देकर उसकी प्रति कलेक्टर को दें शासन का पूर्ण सहयोग मिलेगा। इसे गांठ बांध कर रख लें .
‘‘ वक्त बदलता है इतिहास बदलता है। शोषित और पीड़ित जब अपना रंग बदलता है ’’
सरपंच बोले-‘‘हाँ..!हाँ !! ऐसा करेंगे। परियोजना अधिकारी बोले-‘‘सरपंच जी एक बात और ?
सरपंच बाले -‘‘वो क्या सर जी ?
परियोजना अधिकारी बोले-‘‘ सरपंच जी कलेक्टर का सख्त आदेश है हमारा भी प्रयास है,जिला 100 प्रतिशत बाल श्रमिक मुक्त होना चाहिये। संयुक्त स्वर गूँजता है-‘‘ जरुर होगा! जरुर होगा सर जी ! !
आंखों के सामने बाल मजदूरों के चेहरे झूलने लगते हैं। आँखें नम होने लगती हैं।
सरपंच बोले ‘‘उपस्थित सज्जनों आप सबको मैं धन्यवाद देता हूँ जो आप सभी ने अपना अमूल्य समय निकालकर कार्यक्रम को सफल बनाया अपनी गरिमा मय उपस्थिति दी। अब मैं कार्यक्रम समापन की घोषण करता हूँ,।
धन्यवाद जै-हिन्द !
इसी समय एक फकीर का स्वर गूँजता है -‘‘जाग मुसाफिर भोर भई जाग मुसाफिर............!!
सभी का ध्यान उस ओर आकर्षित होता है !
फकीर क्रमशः दूर होता जा रहा है,परंतु बोल अब भी कानों में गूँज रहे हैं।
जाग मु....सा.......फि.......र.............!!
लोगों का भी अपने-अपने घरों को प्रस्थान कर रहे हैं।
अधिकारियों का दल भी प्रस्थान करता हुआ दृष्टिगोचर हो रहा है।
सरपंच और उनके साथी जाते हुए देखते खड़े हैं।
............़़..................................
कार्यालय कलेक्टर में आज बाल श्रमिक अभियान की समीक्षा के जरिये मीटिंग रखी गई है। मीटिंग में श्रम आयुक्त, लेबर इंस्पेक्टर, बाल श्रमिक कल्याण परियोजना अधिकारी आपस में चर्चा कर रहे हैं। जिले भर से प्राप्त एक -एक प्रतिवेदन में दी गई जानकारियों को बड़ी ही गंभीरता से ले रहे हैं। समीक्षा पूर्ण होने के पश्चात् कलेक्टर बोले-‘‘ इस समीक्षा से एक बात सामने आई है,हमें इस क्षेत्र में बहुत काम करने की जरुरत है। मैंने एक लिस्ट तैयार की है,जहाँ से हमें बाल श्रमिकों को मुक्त करवाना है। जहाँ-जहाँ छापे डाला जाना है किसी को कानों -कान खबर नहीं होना चाहिये। अगर ऐसा होता है, तो आप लोग ही जिम्मेवार होंगे।
लापरवाही और दोषी अधिकारियों को कदापि नहीं बक्शा जायेगा।
सभी एक स्वर से कहते हैं-‘‘ ऐसा कदापि नहीं होगा,आपको शिकायत का कोई मौका नहीं मिलेगा सर आप निश्चिंत रहें ! कलेक्टर ने सभी को क्षेत्र वार सूची सौंपते हुए सफलता की कामना करते हुए ,कहा ‘‘शुभ-कामना !’’
जाईये सफलता के झंडे गाड़िये ! खूब लहराईये !
पूरे जिले में कलेक्टर के निर्देश पर शहरी ग्रामीण कल-कारखानों में अगरबत्ती, बीडी, फेब्रीकेशन वर्कशापों थ्रेशर, ब्रिक्स यूनिट, हाँटल -रेस्टारेटों, बंगलों, कृषि फार्मों में दबिश देकर करीब 25 बाल-श्रमिकों को मुक्त कराया गया। पहले बच्चों को उनके मॉ-बाप को सौंपा गया। उन्हें समझाकर फिर बाल-श्रमिक विद्यालयों में प्रवेश दिलाया गया जिन संस्थानों से बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया, एवं उनके खिलाफ बाल-श्रमिक एक्ट के तहत जुर्म कायम किया गया किसी को नहीं बक्शा गया। संस्थानों में सलाह दी गई विभाग को सूचित करें उनके संस्थानों में क्या काम ,उत्पादन किया जाता है। मालिक,संचालक, व्यवथापक ,का नाम संस्थान का पोस्टल एड्रेस दिया गया हो।
साथ ही संस्थान प्रमुखों को यह भी निर्देश दिये गये कि यदि बच्चों से काम ले रहे हैं तो एक रजिस्टर रखें जिसमें नाम,पिता का नाम उम्र ग्राम का नाम , एवंम उससे क्या काम लिया जाता है का उल्लेख होना चाहिये ताकि विवादास्पद स्थिति में उम्र का विवाद निपटाया जा सकें। उन्हें यह भी हिदायत दी गर्ई दिशा निर्देशों की अवहेलना के परिणाम स्वरुप अथवा गलत रिकार्ड रखने पर नियमानुसार कारावास,अर्थदंड अथवा दोनों ही हो सकते हैं।
पारदर्शिता रखने की हिदायतें दी गईं। समाचार पत्रों में बाल-श्रमिक मुक्ति अभियान का समाचार प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया गया जिला प्रशासन द्वारा चलाये गये अभियान की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई। बाल-श्रमिकों की मुक्ति के इस अभियान को क्रांतिकारी कदम निरुपित किया गया। बाल श्रमिक विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त हुए बच्चों ने 5वीं 8वीं कुछ ने 10वीं परीक्षा भी पास कर ली। इतना ही नहीं इस अवधि में बाल श्रमिकों को रोजगार परक रुचि अनुसार प्रशिक्षण दिया जाकर कर दक्ष बनाया गया।
फर्नीचर निर्माण, इलेक्ट्रीशियन,फिटर ,वेल्डिंग, दरी निर्माण, बुटिक ,टेलरिंग, कारीगर के रुप में दक्षता प्राप्त की। प्रेक्टिकल ज्ञान के आधार पर कुछ को, शासन के प्रयासों से स्थानीय उद्योगों में नियुक्ति दिलवायी गईं। जिन्हें अपने व्यवसाय में रुचि थी, उनकी रुचि अनुरुप बैंक से आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने हेतु प्रकरण तैयार करवाये गये हैं। अपने नाम के आगे बाल श्रमिक के लेबिल के हटने से सभी प्रसन्न हैं। परिजन प्रसन्न हैं शिक्षा ने उनके बच्चों को काबिल बना दिया है।
आज ग्राम में बड़ी चहल पहल है, ग्राम पंचायत भवन में उत्सव सा माहौल है। आज यहां व्यवसायिक शिक्षा लेकर बाल श्रमिक स्कूल से दक्ष होकर निकलने वाले बाल श्रमिकों का सम्मान होने जा रहा है। आज ही ग्रामीण बैंक द्वारा कुछ कुशल कारीगरों को उनका स्वयं का उ़द्योग लगाने व्यवसाय स्थापित करने ऋण वितरण किया जायेगा। पंच सरपंच व्यवस्था में लगे हैं। बैनर पोस्टर लगाये जा रहे हैं।
कोटवार ग्राम में मुनादी कर रहा है,युवकों की टोली लुभावने नारे लगाते हुए आगे बढ़ रही है ---
‘‘बाल श्रमिकों को मुक्ति दिलाने ,जाग उठा है मेरा गॉव
बाल श्रमिकों को मुक्ति दिलाने , जाग उठा है हिन्दुस्तान ,’’
लोगों के आगमन का सिलसिला जारी है,लोग आ-आकर खाली कुर्सियों पर बैठते जा रहे हैं। उत्सव सा माहौल लग रहा है। गीत के बोल कानों को सुकून दे रहे हैं-‘‘छोड़ो कल की बातें ,कल की बात पुरानी ................!
सामने की लाइन में शिक्षित-प्रशिक्षित बाल श्रमिक बैठे हैं,जिन्हें सम्मानित किया जाना है,।
ऋण वितरण किया जाना है।
इसी बीच सरपंच घोषणा करते हैं-‘‘भाईयों शांत रहें ,मंत्री महोदय का बस कुछ ही देर में आगमन होने वाला है।
जैसे ही घोषणा समाप्त होती है,कारों का काफिला पहुँचना शुरु हो जाता है। कार से कलेक्टर उतरते हैं,फिर मंत्री महोदय उतरते हैं ा सरपंच उनकी अगुवानी कर स्टेज पर ले जाकर स-सम्मान बिठाते हैं सरपंच, एवं कुछ स्थानीय नागरिक एवं द्रौपदी पुष्पाहार से स्वागत् करते हैं। सरपंच माइक पर आकर बोलते है-‘‘भार्ईयों,आज हमारी ग्राम पंचायत के लिये बड़े ़गर्व व सौभाग्य का दिन है। आज प्रदेश सरकार बाल श्रमिकों के कल्याण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होने जा रही है। बेबस और लाचार मासूम चेहरों को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर कर रही है। आज उनका सम्मान एवं उनको ऋण वितरण किया जायेगा।
सरपंच बोले-‘‘अब मैं उन्हें स्टेज पर आमंत्रित करता हूँ, जिनके माथे से बाल श्रमिक का कलंक हट चुका है। सभी एक एक कर मंच पर चढ़ रहे हैं। लाइन लगाकर खड़े हो रहे हैं। तालियाँ गूंजती हैं ! ! !
सरपंच श्रम मंत्री महोदय को बाल श्रमिकों का पुष्पाहार से स्वागत करने आमंत्रित करते हैं। ’’ मंत्री महोदय सभी का पुष्पाहार पहनाकर अभिनंदन् करते हुए उन्हें शुभकामनायें दे रहे हैं। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सारा माहौल उत्साह से भर जाता है। मंत्री महोदय कु.द्रौपदी को आमंत्रित करते हैं। फिर बोलते हैं--
बोलो द्रौपदी आज तुम्हें कैसा लग रहा है?’’
द्रौपदी बोलती है‘‘माननीय मंत्री जी, मैं आज बहुत खुश हूँ।
मैं सरकार के उन सभी महानुभावों का आभार व्यक्त करती हूं जिनकी बदौलत मुझे आज यह दिन देखने मिला। अब मैं अपने परिवार का सहारा बन सकती हूँ।
मंत्री महोदय बोले -‘‘बहुत अच्छा बेटी द्रौपदी ,बहुत अच्छा!
सारा माहौल तालियों की आवाज से गूंज उठता है।
सुखराम को इशारा कर बुलाते हैं! वह इशारा पाकर आता है!
मंत्री बोले-‘‘ बोलो सुखराम तुम्हारा क्या कहना है? कहो!’’सुखराम बोला-‘‘आदरणीय मंत्री जी मैंने सपने में भी नहीं सोचा था ,सरकार हमारा का सम्मान करेगी !
मैं सरपंच ,लेबर-इंस्पेक्टर, कलेक्टर साहब,अपने परिवार के सभी सदस्यों का आभार मानता हूँ जिन्होंने मुझे रास्ता दिखाया। इस मंजिल तक पहुंचाया,काबिल बनाया।
मैं बैंक अध्यक्ष जी का आभारी हूं जिन्होंने शासकीय योजना अंतर्गत खुद का उद्योग स्थापित करने आर्थिक सहायता प्रदान करने का साहस किया एवं, विश्वास जताया। ’’तालियां गूँजती हैं !
सरपंच-‘‘अब मैं, माननीय ग्रामीण बैंक अध्यक्ष से निवेदन करता हूँ वे दो शब्द कहें ! आईये श्रीमान् .......!!
अध्यक्ष माइक पर आकर बोलते हैं-‘‘मंच पर आसीन अतिथि गण, भाईयों बहनों जिस उद्देश्य को लेकर ग्रामीण बैंकों की स्थापना की गई है,वह यही है। वास्तविक जरुरतमंदों तक आर्थिक सहायता पहुंचे। हम अपने उद्देश्य में कहां तक सफल हुए हैं आपके सामने है। जै!-हिन्द ! ‘‘अब मैं माननीय कलेक्टर महोदय से निवेदन करता हूँ मार्गदर्शन करें,आईये श्रीमान् !’’
कलेक्टर माइक हाथ में लेते हुए बोले -‘‘आदरणीय मंत्री जी,बैंक अध्यक्ष जी ,नागरिक भाई-बहनों! हमने कानून के मुताबिक जिनकी जगह जहाँ है, उनको वहाँ तक पहुँचा दिया है। शासन की योजना अनुसार बच्चों के हाथों में कलम की ताकत दी ज्ञान का प्रकाश दिया। कानून आगे भी ऐसे ही सख्ती से अपना काम करेगा। हमारा प्रमुख लक्ष्य है, बाल श्रमिक मुक्त जिला। हमे भविष्य में भी आपका ऐसा ही सहयोग मिलेगा। धन्यवाद जै-हिन्द!
अब मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करुंगा मार्गदर्शन करें !!
श्रम मंत्री हाथ उठाकर अभिवादन् करते हैं। तालियां गूंजती हैं ! संबोधित करते हुए बोले -‘‘भाईयों !आपके क्षेत्र में,जिले में बाल श्रमिकों के कल्याण के लिये जो कार्य किया गया है,वह सराहनीय है। मैं इसके लिये तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं। इस कार्य की जितनी प्रशंसा की जाये वह कम है मैं शासन की ओर से इस पुनीत कार्य के लिये 25000 रु सम्मान राशि ग्राम पंचायत को भेंट कर रहा हूं,। आइये सरपंच जी स्वीकार करें! सरपंच आकर चेक प्राप्त करते हैं। खूब तालियां बजती हैं !
मैं बच्चों के माता पिता ,परिवार का भी आभारी हूँ,जिन्होंने बच्चों के भविष्य निर्माण के लिये कष्ट सहकर सराहनीय भूमिका निभाई। आपने कुछ खोया नहीं है,सिर्फ पाया है। इन बच्चों के चेहरों को देखो,इनके चेहरों पर मुस्कान लाने के लिये शासन मील का पत्थर साबित हुआ है। , और आप इनके लिये एक मसीहा बनकर उभरे हैं ख्याल रखना अभियान कमजोर न पड़े धन्यवाद जै-हिन्द !
तालियाँ इतनी कि अंत होता दिखाई नहीं दे रहा !
सरपंच अब मैं बैंक अध्यक्ष से निवेदन करता हूं,वे स्वीकृत राशि वितरण का कार्य प्रारंभ करें।
बैंक अध्यक्ष एवं श्रम मंत्री दोनो खड़े होते हैं।
बैंक अध्यक्ष स्वीकृत राशि वितरण हेतु नाम पुकारते हैं-‘‘कु. द्रौपदी आयें इन्हें स्वर्णजयंती ग्राम स्व-रोजगार योजना अंतर्गत 50 हजार रुपये स्वीकृत कर वितरित किये जा रहे हैं। रेडीमेड वस्त्र निर्माण उ़द्योग स्थापित करने इसमें इन्हें सिलाई मशीनें 2 एवं कपड़े खरीदना हैं। कु.द्रौपदी आकर मंत्री महोदय के कर कमलों से सामग्री आपूर्ति आदेश प्राप्त करती है, साथ ही 5 हजार रु का चेक भी खूब तालियाँ बजती हैं !
बैंक अध्यक्ष अब सुखराम को स्वीकृत राशि प्राप्त करने आमंत्रित करते हैं कहते हैं ,इन्हें,फर्नीचर निर्माण के लिये 50 हजार रुपये वितरित किये जा रहे हैं। सुखराम आकर स्वीकृति आदेश एवं 5 हजार रुपये का चेक प्राप्त करता है। इस राशि से उसे उपकरण एवं लकड़ियां क्रय करना है जिससे वह फर्नीचर निर्माण कर सके। खूब तालियाँ गूँजती हैं ! इसी तरह अन्य बाल श्रमिक लाभान्वित किये जाते हैं। ऋण वितरण समाप्ति पश्चात मंत्री बोले-‘‘आज जो बाल श्रमिक लाभान्वित हुए है, उनसे मेरा निवेदन है,अपना उ़द्योग बेहतर तरीके से चलायेंगे व परिवार की आय में वृद्धि कर अपने जीवन स्तर में सुधार करेंगे ऐसी में आशा करता हूं।
बैंक एवं अन्य अधिकारी समय समय पर निरीक्षण के लिये आयेंगे,एवं मार्गदर्शन देंगे। उत्पादन बिक्री में सहयोग भी करेंगे। सरपंच माइक पर आकर बोलते है ‘‘ भाइयों बहनों आपने अपना अमूल्य समय देकर इस कार्यक्रम और अभियान को सफल बनाया इसके लिये सभी बधाई के पात्र हैं। मैं बैंक अध्यक्ष का विशेष आभार मानता हूँ क्योंकि बाल श्रमिक मुक्ति अभियान,बाल श्रमिकों का कल्याण उनको आर्थिक सहायता के बगैर अंधेरा रहता,बैंक ने इन्हें बेरोजगार रहने से बचाया अपने पैरों पर खड़ा होने का अवार दिया। रोजी रोटी की बहुत बड़ी समस्या का निदान किया। आप सभी का आभार मानते हुए इस कार्यक्रम के समापन की घोषण करता हूं। धन्यवाद जै-हिन्द !
लाउड-स्पीकर पर गाने का स्वर मंद -मंद सुनाई दे रहा है-छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी .....हम हिन्दुस्तानी ......नये दौर की........मिलकर लिखेंगे.........हम नई कहानी !
ग्रामीण अपने अपने घरों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं,अधिकारियों का काफिला जाते हुए !
आँखों से ओझल हो रहा है ।
कहते हैं -‘‘घूरे के दिन भी फिरते हैं ,फिर तो ये इन्सान हैं। ’’
कहते हैं-,--पर हित सरिस धरम नहीं भाई ,पर पीड़ा सम नहीं अधिमाई। ’’
जो इस मर्म को समझ लेता है,उसे आदमी के भेष में,मैं तो कहता हूँ वो खुदा होता है !
एक हैवान होता है ,एक इंसान होता है।
दर्द दुखियों का जो पी ले , रमाकांत वही भगवान होता है।
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....रचनाकार....
रमाकांत बडारया
सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक -बैंक
शांतिवन चौक के पास, शंकर नगर,
दुर्ग-491001, मो.9926529074
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