कहानी लेखन प्रतियोगिता आयोजन -111- किशन माधवानी ‘‘बेकस'' की कहानी : मूल से ब्याज मीठा

SHARE:

कहानी मूल से ब्‍याज मीठा किशन माधवानी ‘‘ बेकस '' गो लछा जी आज भी उसी प्रसन्‍न मुद्रा में सायकल चलाये जा रहे थे। जो सदा से उन...

कहानी

मूल से ब्‍याज मीठा

किशन माधवानी ‘‘ बेकस ''

गोलछा जी आज भी उसी प्रसन्‍न मुद्रा में सायकल चलाये जा रहे थे। जो सदा से उनकी पहचान रही है। जी हां, प्रसन्‍नता उनके स्‍वभाव में शामिल है। चेहरे पर कभी शिकन दिखी हो ऐसा मुझे याद नहीं आता। दाहिने -बांये झूमने वाले अंदाज में पैडल मारे जा रहे थे। पीछे कैरियर पर लगभग 3 साल का बड़ा ही प्‍यारा सा बच्‍चा उनके कंधों का सहारा लिये खड़ा था। दाहिने- बांये झूमने का आनंद शायद वह भी महसूस कर रहा था। और इस लिए हंसे जा रहा था। यह दृश्‍य देखकर मुझे 27 साल पहले वाले गोलछा जी याद आ गए। उस समय भी वे ठीक इसी तरह अपने बड़े बेटे बबलू को सायकल के पीछे कैरियर पर खड़ा करके घुमाने ले जाया करते थे। हां, फर्क यह जरूर था, उस समय वे सायकल जरा तनके चलाया करते थे। आज वे झूम - झूम के चला रहे थे। शायद उम्र का यही तकाजा था।

वो जब मेरे घर के सामने से निकलते तो एक हांक जरूर लगाया करते थे - ‘‘चलते हो क्‍या भाई घूमने ?'', और फिर एक पांव के सहारे जमीन पर खड़े हो जाया करते थे। उनकी आवाज सुनकर मैं भी अपनी सायकल उठाकर अपने एक साल के लड़के को सीट पर बैठाकर , खुद पीछे कैरियर पर बैठकर , दाहिने हाथ से उसे थामता था और बांये हाथ से हैंडल थामकर सायकल चलाता था। हम लोग लगभग 4 किलो मी. का चक्‍कर लगाकर वापस आते थे। हम दोनों लगभग उन्‍हीं दिनों ही पड़ोसी बने थे। 27 साल की इस लंबी अवधि में उनके हर दुख -सुख का गवाह मैं हूं और मेरे हर दुख - सुख के गवाह वे। किसी से कुछ छुपा नहीं है।

एक प्रिंटिंग प्रेस में साधारण से कंपोजर। वेतन बस इतना कि दो वक्‍त की रोटी आराम से निकल जाय। पुश्‍तैनी मकान, अपने पिता के इकलौते बेटे होने के नाते वो मकान ही उनकी जायजाद है। बाकी जीवन की गाड़ी बड़ी मुश्‍किलों से खींचते चले आ रहें है। फिर भी उनका चेहरा कभी मुरझाया नहीं। हमेशा खिला खिला।

उनका लड़का बबलू जब 4 साल का हुआ तो उसे किसी अच्‍छे स्‍कूल में दाखिला दिलाने का मन बना लिया, ताकि वो उनकी तरह जीवन की गाड़ी ‘‘ किसी तरह '' खींच के नहीं बल्‍कि शान से चला सके। मॉडल स्‍कूल में प्रवेश दिलाने में उनका लगभग पूरा वेतन स्‍वाहा हो रहा था। वे मेरे पास आये और अपनी मजबूरी मेरे सामने रखी। मुझे खुशी हुई कि उन्‍होंने अपने बच्‍चे के उज्‍जवल भविष्‍य की सोची और प्रयास शुरू किया। पूरी एडमीशन फीस मैनें उन्‍हें देकर खुले दिल से कहा -‘‘ वापस करने की जल्‍दी नहीं , जब हो जाये आराम से देना, घबराना नहीं। '' बच्‍चे को स्‍कूल में दाखिला दिलाकर उस दिन वे बड़े खुश हुए थे। और बड़े ही गर्वीले अंदाज में बोल पड़े थे और बोले अब यह बड़ा अफसर बन कर मेरी हर तकलीफ दूर कर देगा। फिर जिन्‍दगी आराम से कटेगी।''

अपना पेट काट काट , इधर उधर से उधारी करके बबलू को उच्‍च शिक्षा दिला दीं संयोग कुछ इतने अच्‍छे हुये कि फाइनल पास करते ही उन्‍हीं दिनों बैक की ओर से अफसरों की सीधी भर्ती का विज्ञापन निकला। बबलू पढ़ाई - लिखाई में तेज था ही। उसने भी फार्म भर दिया और सलैक्‍ट हो गया।

उस दिन गोलछा जी मेरे घर रसगुल्‍ले लेकर आये। उनके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे, वे पूरे मोहल्‍ले में जैसे उड़े - उड़े से चल रहे थे। ऐसा होना मानव मात्र के लिए स्‍वाभाविक ही था।

खुशी से झूमते हुए उन्‍होंने एक रसगुल्‍ला मेरे मुंह में ठूंस दिया। और बोल पड़े ‘‘ देखा सोहन लाल ! मेरा बबलू बैंक आफिसर बन गया। आखिर बेटा किसका है। मेरी तो शान ही बढ़ा दी उस लड़के ने। अब तो यार सब दुख दूर ही समझो। आखिर मैं अब एक बैंक आफिसर का बाप हूं। '' मैंने भी उन्‍हीं की प्‍लेट से एक रसगुल्‍ला निकाला और उनको खिलाते हुए बधाई दी। वे तुरंत यह कहते हुए बाहर निकल गए ‘‘ चलता हूं भाई , सारे मोहल्‍ले को यह खुशखबरी देनी है। ''

लगभग एक साल बाद उनकी श्रीमती जी अचानक घबरायी हुई मेरे घर आई और उखड़ी हुई सांसों से रूआंसे स्‍वर में बोली कि‘‘ भाई साहब थोड़ा जल्‍दी चलिये ना देखिये तो इनको क्‍या हो गया है। '' मैं तुरंत उनके साथ उनके घर भागा। आकर देखा तो गोलछा जी एक टक छत को घूरे जा रहे थे। और लंबी लंबी सांसें से ले रहे थे। मैंने उनके सीने पर हाथ रखकर देखा , धड़कन बहुत तेज थी। पलंग पर बैठ कर मैनें उनके माथे पर हाथ रखकर कहा ‘‘ क्‍या हुआ गोलछा भाई अच्‍छे भले तो प्रेस गए थे, यह अचानक क्‍या हो गया है आपको बताइये तो जरा क्‍या बात है ?'' मेरी आवाज सुनकर उन्‍होंने बिना सर को हिलाये , सिर्फ आंखें मेरी ओर फेरी और रोते हुए बोल पड़े - सोहन लाल ! सब खत्‍म हो गया।, सारी आशायें , सारे सपने बिखर गए, कुछ नहीं बचा मेरे भाई , कुछ बाकी नहीं रहा , सब खत्‍म ,सब खत्‍म '' और फिर वे फफक - फफक कर रो पड़े । ‘‘ अरे भाई बताओगे भी आखिर हुआ क्‍या ? '' मैं उनका हाथ अपने हाथों में लेते हुए बोला। इतने में उनकी श्रीमती जी पानी का गिलास लेकर आई थी, मैंने वो लेकर उनको पीने के लिए कहा - और उनके होठों से लगा दिया। आधे अधूरे उठकर पानी पिया और गहरी सांस लेकर तकिये के सहारे उठकर बैठ गए। और धीमी सी आवाज में उन्‍होंने कहना शुरू किया - ‘‘ दोपहर को बबलू प्रेस में आया था, हमारी तो उसने नाक ही कटवा दी , कहीं का ना छोड़ा हमें , क्‍या -क्‍या सपने देखे थे उसकी अफसरी को लेके सब टूट गए। सब आशायें धूल में मिला दी उसने । उसको कुछ दिन पहले बैंक की ओर से एक बंगला अलाट हुआ है, जिसकी खबर भी उसने हमें लगने नहीं दी। कल आफिस की एक मैडम से उसने लव मैरिज कर ली है। और जाकर उस बंगले में रहने लग गया है, क्‍योंकि मैडम नहीं चाहती एक साधारण सा प्रेस कंपोजर उस बंगले में उसके साथ रहे, या इतने बड़े आफिसर की बीबी होकर वह हमारे साथ इस पुराने से मकान में रहे। '' कहते कहते उनकी आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

पास में खड़ी उनकी श्रीमति जी भी सिसकने लगी थी। और हिचकियां लेते हुए लगभग विलाप करते हुए कहने लगी -‘‘ देख रहे हो आज की औलाद के रंग भैया ! अपने जिगर का खून जलाकर जलाकर इस लायक बनाया था। उस नामुराद को कि बुढ़ापे का सहारा बनेगा। लेकिन हमारे भाग में यही बदा है तो कोई क्‍या करे। उसकी शादी को लेकर क्‍या क्‍या सपने संजो रखे थे उसे घोड़ी पर दूल्‍हे के रूप में देखने आंखे तो जिन्‍दगी भर तरसती ही रह गई ना। ? घर की लक्ष्‍मी को घर में प्रवेश वाली सारी रस्‍में जैसे दिमाग में घूम - घूम कर मुंह चिढ़ा रही है। आशाओं के जो अंकुर हृदय में फूटे थे। उन सबको एक ही झटके में जैसे रौंद दिया मुरदार ने।'' मैं उस समय दोनों को सात्‍वंना भरे दो शब्‍द कहने के अलावा कुछ भी करने में असमर्थ था। दोनों को समझा बुझाकर मैं घर वापस आ गया। मेरी नींद पूरी तरह उचट चुकी थी। जो कुछ हुआ अच्‍छा नहीं हुआ। मन खट्‌टा हो गया था। औलाद मां बाप के लिए कुछ भी नहीं सोचती। क्‍या इसी दिन के लिए भगवान से बेटे मांगे जाते है ? इससे तो बै औलाद होना अच्‍छा, एक ही दर्द रहता है।

कम से कम बाकी तरह के दुखों से तो बच जाता है इंसान।

इस घटना के पांच साल बाद फिर गोलछा जी की सायकल पर ठीक 27 साल पहले वाले बबलू की तरह दूसरा बच्‍चा देखकर मैं स्‍वयं को उनके पास जाने से रोक नहीं पाया। करीब से उस बच्‍चे का चेहरा देखा तो बबलू का ही प्रतिरूप लगा। मैंने गोलछा जी की तरफ प्रश्‍न वाचक दृष्‍टि उछालते हुए हाथों के इशारे से पूछने की कोशिश की। कि कौन है यह। समझ तो गया था मैं कि बबलू का ही लड़का होगा। गोलछा जी हंसते हुए बोल पड़े - ‘‘ अरे भाई पोता है, मेरा पोता देखो हूबहू बबलू की कार्बन कापी है कि नहीं ? '' ‘‘ वो तो मैं भी देख रहा हूं पर ये सब है क्‍या ? फिर इतिहास को दोहराने का इरादा है ? मैं कंझाते हुए बोला -‘‘ अरे यार तुम किस मिट्‌टी के बने हो आखिर , मेरी समझ से तो बाहर है ये सब ''

‘‘ क्‍या करूं भाई ! खून तो आखिर अपना ही है ना। अपने खून को शरीर से अलग कैसे किया जा सकता है। घाव से खून बह गया था। तो शरीर कमजोर हो गया था जैसे। जब शरीर को पराया खून चढ़ाने से भी फुर्ती आ जाती है तब ये तो अपना ही खून सिमट कर फिर हमारे पास वापस आया है, फिर इसे कैसे दूर बह जाने दूं ?'' कहते हुए गोलछा जी ने ठंडी आह भरी और बात को जारी रखते हुए कहा - ‘‘ जल्‍दी से जल्‍दी शॉर्टकट से ऊंचाईयों पर पहुंचने की ललक ने बबलू को इतना नीचे गिरा दिया कि वह भ्रष्‍ट रास्‍तों पर भटक गया। वह गलत तरीकों से पैसे कमाने के लालच के भंवर में फंसता चला गया। और कुछ गलत काम कर बैठा। बैंक वालों ने जांच बैठा दी और सभी गड़बड़ियां साबित हो गई। बैंक ने उसे बर्खास्‍त कर दिया और तीन दिनों के अंदर बंगला खाली करने की नोटिस दी है। वह लव मैरिज वाली मैडम , भ्रष्ट तरीकों से कमाई हुई सारी नगदी और जेवर लेकर फरार हो गई। कल रात को आकर अपने किये की माफी मांगने लगा।

और पैरों पर गिर गया। दिल तो किया के ना कर दूं। और धक्‍के देकर बाहर निकाल दूं, परन्‍तु नजर इस बिट्टू पर पड़ी तो सारा गुस्‍से का लावा ठंडी बर्फ हो गया। एक अजीब सी कशिश इसकी तरफ खींचने लगी। मैं खुद को रोक नहीं पाया। और इसे गोदी में उठाकर चूमने लगा, एक निराले सुख का अनुभव हुआ। जो शब्‍दों में बयान करने से परे है।

वैसे भी सोहन लाल ! यह कहावत तो सच ही है ना

‘‘ मूल से ब्‍याज मीठा'' ऐसा कह के वे पैडल मार कर आगे बढ़ गए

इति शुभम्‌

---

 

किशन माधवानी ‘‘ बेकस ''

सतनाम साक्षी हाउस

37 महेन्‍द्र नगर लालबाग

राजनांदगांव (छ.ग.)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी लेखन प्रतियोगिता आयोजन -111- किशन माधवानी ‘‘बेकस'' की कहानी : मूल से ब्याज मीठा
कहानी लेखन प्रतियोगिता आयोजन -111- किशन माधवानी ‘‘बेकस'' की कहानी : मूल से ब्याज मीठा
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/10/111.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/10/111.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content