सोच का आधुनिकीकरण जौली अंकल छाया देवी के पति ने उसे आवाज देकर कहा कि तुम काम करने में इतनी मगन हो जाती हो कि तुम्हें फोन की घंटी तक सुन...
सोच का आधुनिकीकरण
जौली अंकल
छाया देवी के पति ने उसे आवाज देकर कहा कि तुम काम करने में इतनी मगन हो जाती हो कि तुम्हें फोन की घंटी तक सुनाई नहीं देती। छाया ने झट से फोन उठा कर बात करनी शुरू कर दी। जैसे-जैसे छाया फोन पर बात कर रही थी उसके चेहरे पर खुशी का निखार उतनी ही तेजी से झलकने लगा था। बात खत्म होने पर पति ने कहा कि क्या फिर से कोई ससुराल वाला आ रहा है। छाया ने कहा, यह फोन मेरे मायके से नहीं बल्कि मेरी एक बचपन की सहेली का था। छोटी उम्र में ही उसकी शादी विदेश में हो गई थी। अब वो तीस बरस के बाद कनाडा से वापिस अपने देश आ रही है। सबसे अच्छी बात तो उसने यह बताई कि वो हमारे घर पर ही रूकेगी। पतिदेव ने कहा कि इस महंगाई में घर का खर्चा तो पूरा हो नहीं पाता, अब बाकी की कसर तुम्हारे यह विदेशी मेहमान पूरी कर देंगे। छाया ने पति से कहा, कि आपको बिल्कुल चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मेरी सहेली बहुत ही सीधी-सादी है। उसे तो घर की दाल रोटी ही सबसे अच्छी लगती है, इसलिये आप पर कोई खास बोझ नहीं पड़ने वाला। हा, उन्हें एयरपोर्ट से लाने और शहर घुमाने में तुम्हें मेरी थोड़ी मदद जरूर करनी होगी।
अगले दिन सुबह छाया के पति जैसे ही पत्नी की सहेली को लेकर घर पहुंचे तो उससे गले मिलते ही छाया ने उससे सवाल किया कि इतने सालों बाद तुझे मेरी याद कैसे आ गई? अच्छे लोगो की एक यह खास खूबी होती है कि उन्हें याद नहीं रखना पड़ता वो हमेशा याद रहते है, छाया की सहेली ने कहा। साथ ही उसने कहा, कि बचपन में हम जहां खेला करते थे, मुझे वो सारी जगह और खासतौर से खेत देखने है। छाया ने उसे बताया कि अब हमारे यहां कोई खेत वगैरहा नहीं बचे। उन सारी जमीनों पर बड़े-बड़े घर और माल्स बन गये है। अब हमारा शहर भी तुम्हारे कनाड़ा से किसी तरह कम नहीं है। यहां भी एक से बढ़ कर एक बढ़िया चीज मिल जाती है। अब तो तुम यहां के लोगो का पहनावा, चमचमाती बढ़िया-बढ़िया कारे और देश के आधुनिकीकरण को देख कर हैरान हो जाओगी। छाया के पति ने पत्नी को छेड़ते हुए कहा कि गूगल देवी जी अब आप लोग बातें ही करती रहोगी या कुछ पेट पूजा का भी इंतजाम करोगी। छाया की सहेली ने कहा, कि जीजा जी आप मेरी सहेली को गूगल देवी क्यूं कहते हो? पति महोदय ने जवाब दिया कि इससे एक सवाल पूछो तो दस जवाब देती है, अब ऐसी औरत को गूगल देवी न कहे तो और क्या कहे। इसी हसीं-मज़ाक के साथ नाश्ता-पानी खत्म हुआ और कुछ देर में सभी लोग शहर घूमने निकल पड़े।
जब देर शाम यह लोग घर पहुंचे तो छाया ने अपनी सहेली से पूछा कि अब बताओ कि कैसा लगा तुम्हें अपना बरसों पुराना शहर। अब तो तुम्हें भी मानना ही पड़ेगा कि हमारा देश दुनियां के नक्शे में किसी तरह से कम नहीं है। छाया की सहेली ने कहा तुम्हारे मुंह से अपने देश के नवीकरण की बातें सुनकर बहुत अच्छा लग रहा है। लेकिन जो कुछ मैने आज देखा है वो मुझे अच्छा नहीं लगा। यह सच है इस शहर में जहां पहले उज़ाड़ जमीन होती थी वहां आज अच्छे-खासे शोरूम बन गये है। लोगो के पास पैसा भी खूब दिखाई दे रहा है। शहर की सड़कें और पुल सच में बहुत अच्छे बने हुए है। छाया ने कहा जब यह सब कुछ अच्छा लगा तो फिर तुम्हें कमी कहां नज़र आ रही है। उसकी सहेली ने कहा आप लोगो ने शहर और देश का आधुनिकीकरण तो कर लिया, लेकिन लगता है, आप लोग अपनी सोच का आधुनिकीकरण करना भूल गये है।
छाया ने कहा कि जरा साफ से कहो, मैं तुम्हारा मतलब नहीं समझी। उसकी सहेली ने प्यार से बताते हुए कहा कि जितना यह देश तुम्हें प्यारा है उतना ही मुझे इससे प्यार है। शायद इसीलिये आज तीस साल विदेश में रहने के बाद भी इसकी प्यारी मिट्टी की खुशबू मुझे खींच कर यहां ले आई है। लेकिन आज शहर घूमते वक्त जिस तरह से लोगो का व्यवहार देखा उससे मन को बहुत ठेस लगी है। छोटी-छोटी बात पर लोग गाली-गलौच एवं मरने-मारने पर उतारू हो जाते है। सड़क हो या सुंदर पार्क चलते-चलते उस पर थूकने लगते है। और तो और बिना आने-जाने वालों की परवाह किये कही भी पेशाब करने लगते है। सबसे बुरा तो मुझे उस समय लगा जब सारे शहर में यह बोर्ड देखे कि आज भी लोग लड़के की चाहत में लड़कियों की हत्या कर रहे है। मैं आई तो थी कुछ दिनों के लिये लेकिन अब सोच रही हॅू कि जिस देश में पैदा होकर इतनी बड़ी हुई हॅू उसका कर्ज उतारने के लिये थोड़ा अपना फर्ज भी पूरा कर दू। इसलिये अब मैंने फैसला किया है कि वापिस जाने की बजाए यही रहकर लोगो की सोच का आधुनिकीकरण करूंगी।
छाया ने सहेली से कहा, जिस काम को करने के बारे में तुम सोच रही हो वो इतना आसान नहीं है। जब हमारी सरकार ऐसे लोगो को नहीं सुधार सकी तो तुम यह काम कैसे कर पाओगी? सहेली ने छाया को हिम्मत बंधाते हुए कहा जब मदर टेरेसा जैसी महान हस्ती ने विदेश से आकर यहां दीन-दुखियों और मरते हुए लोगो की मदद करके एक बहुत ही मुश्किल काम को हकीकत में बदल दिया था तो हम यह छोटा सा काम क्यूं नहीं कर सकते। सहेली के आत्मविश्वास को देख कर छाया और उसके पति ने भी कहा अगर आपकी यही सोच है तो हम हर तरीके से आपकी मदद करने को तैयार है। छाया की सहेली की भावनाओं की कद्र करते हुए जौली अंकल उसकी इस मुहिम में साथ देते हुए कहते है कि ऐसा कोई व्यक्ति अकेला नहीं हो सकता जिसके पास इंसान की सोच का आधुनिकीकरण जैसा महान और सुन्दर विचार हो।
जौली अंकल
Hindi Story & Joke Books Writer
15-16 / 5, Community Centre, Ist Floor, Naraina, Phase - I
Near PVR, New Delhi - 110028 (India)
बहुत अच्छी कहानी है|
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