प्रमोद कुमार चमोली का व्यंग्य - लो जी ! हम भी बन गए बुद्धिजीवी

SHARE:

व्‍यंग्‍य लो जी ! हम भी बन गए बुद्धिजीवी · प्रमोद कुमार चमोली हमारे मित्र अनोखे लाल की गिनती शहर के बुद्धिजीवियों में होने लगी थी। वे अकस...

व्‍यंग्‍य

लो जी ! हम भी बन गए बुद्धिजीवी

· प्रमोद कुमार चमोली

image

हमारे मित्र अनोखे लाल की गिनती शहर के बुद्धिजीवियों में होने लगी थी। वे अकसर अखबारों में दिखने लगे थे। अब हमारा उनसे मिलना कम ही हो पाता था। लेकिन कभी मिल भी जाते तो उनकी बातों की हाईट हमारी फिजीकल हाईट से उपर होती थी। यानि उनकी बातें हमारे शरीर के सबसे उपरी भाग जिसे खोपड़ी कहते हैं, जिसमें एक अदद दिमाग भी होता है से एक दो बालिश्‍त ऊपर से निकल जाती थी। नतीजा हमारे पास उनकी बात की खिल्‍ली उड़ाने के अलावा और कोई उपाय ही नहीं बचता था। अनोखे कुछ नहीं कह पाते और पुरानी मित्रता का ख्‍याल कर हमें माफ कर देते। उनकी खिल्‍ली उड़ाना हमारी कुंठा प्रतिक्रिया थी। जो हमारी मित्र सुलभ ईर्ष्‍या से उपजी थी। दरअसल हम भी अपने आप को बुद्धिजीवी समझते थे पर हमें अनोखे भाई की तरह पहचान नहीं मिल पाई थी। हम शीघ्र ही वो मुकाम हासिल करना चाहते थे। जिसे पाने के लिए अनोखेलाल ने न जाने कितने पापड़ बेले थे। पर हमारा तथाकथित ज़मीर हमको अनोखे भाई की मदद लेने से रोक रहा था।

एक दिन अनोखेलाल शिष्‍टाचारवश हमसे सपत्‍नीक मिलने आ गए। फिर वही भारी भरकम बातों का दौर चला। भाभी जी साथ ही बैठी थी सो हम अपनी कुंठा उनकी खिल्‍ली उड़ाकर नहीं निकाल पाए। हमने उनकी तारीफों के पुल बांधने शुरू कर दिए। भैया अनोखे हमारे इस व्‍यवहार से भौंच्‍चके रह गए। पर उन्‍होंने अहसान उतारने के लिए हमारी तारीफ करते हुए कहा कि ‘भैया तुम जैसे लोग बहुत कम है जो बातों को समझ पाते हैं।' हमने तुरन्‍त ही पासा फेंक दिया कि ‘भैया एक तुम ही जो हमको समझ पाए हो। हम भी बुद्धिजीवी हैं पर हमें पहचान कहाँ मिल पाती है। इस देश में हमारे जैसे बहुत से बुद्धिजीवी बिना पहचान के जी रहें हैं।' शायद अनोखे ने हमारी दुखती रग पकड़ ली थी वे हमें कमरे से बाहर ले आए और बिना किसी हिचक के बोले ‘भैया तुम हमारे बचपन से अब पचपन तक के इकलौते सखा हो। अब हम तुम को बुद्धिजीवी बना कर ही दम लेंगे पर एक बात है कि जैसा हम कहेंगें वैसा ही आप को करना होगा। हमने तुरन्‍त हाँ कर दी। बस फिर क्‍या था हमारा ऑपरेशन बुद्धिजीवी शुरू हो गया।

हमने अनोखेलाल के कहने से अपने बाल बड़े करने शुरू कर दिए। हालाँकि हम आदतन छोटे बाल ही रखते थे। हमें बाल बड़े करने में काफी दिक्‍कत हो रही थी। पर हमारे बच्‍चे इस बात से बेहद प्रसन्‍न थे क्‍यों कि अब हम उनको बाल छोटे रखने के लिए कहने का साहस नहीं कर पाते थे। खैर कुछ ही दिनों में हमारी अच्‍छी खासी सूरत बड़े बड़े खिचड़ी बालों में छिप गई थी। हम शीशे के आगे खड़े होकर खुद को बुद्धिजीवी समझने लगे थे। हम अपनी इस उजड़ी सूरत को लिए अनोखे से मिले तो वे बहुत प्रसन्‍न हुए और बोले ‘यार तुमने पहली बाधा को पार कर लिया है। अब तुम बुद्धिजीवी लोगों के बीच बैठ सकते हो। अब तुम्‍हें कई दिनों तक शाम को हम बुद्धिजीवी लोगों की संगत में चाय की थड़ी पर बैठना होगा और वहाँ चाय पर खर्चा करना होगा। हमने सहर्ष हामी भर दी।

हम नित्‍यप्रति चाय की थड़ी पर जाकर बैठने लगे। महँगाई के इस विकट दौर में हमारी जेब में पर ये अनावश्‍यक भार बढ़ गया था। पर हम इस मीठे भार को बड़ी खुशी से उठा रहे थे। हम जोश में थे। महीने भर तक यही क्रम जारी रहा। हमें बुद्धिजीवी बनने की बहुत जल्‍दी थी। पर हम बुद्धिजीवी स्‍थापित नहीं हो पा रहे थे।

हमें शक होने लगा था कि कहीं अनोखेलाल हमको बना तो नहीं रहे थे। हम अपनी कुंठा को अधिक दिनों तक नहीं छिपा पाए। हमने एक दिन अनोखे से बात कर ही ली। अनोखे ने हमें धैर्य नहीं खोने की सलाह दी और कहा ‘भैया आगे आपको स्‍वयं ही कुछ करना होगा। आप बुद्धिजीवियों को मात्र चाय पिला कर बुद्धिजीवी नहीं बन सकते। आपको चर्चा में हिस्‍सा लेना होगा। 'खैर हमने ऐसा भी किया पर होता क्‍या हम कोई भी चर्चा शुरू करते वह स्‍तरहीन करार दे दी जाती।

हम निरूत्‍साहित हुए पर अनोखे की हौसलाफजाई हमारे लिए संजीवनी का काम कर रही थी। अब हमने बाजार जाकर कई किताबें खरीद ली। उनसे पढ़ते और चर्चा करते। अब हमारी दुकान कुछ चलने लगी पर बिक्री कुछ ज्‍यादा नहीं हो पाई। हमने अब नकल करके लिखना भी सीख लिया था। इधर-उधर जुगाड़ बैठा कर उसे एक स्‍थानीय दैनिक अखबार में छपवाना शुरू कर दिया था। अब हमारे आर्टिकल पढ़ कर जमे हुए बुद्धिजीवी हमें और अधिक मेहनत का कह कर हल्‍का कर देते। खैर चाय की थड़ी पर बैठ-बैठ बुद्धिजीवियों के संक्रामक कीटाणु हमारे असर करने लगे लगे थे। अब हमें खुद से बेहतर कुछ नहीं लगता है। हम जो लिखते वह ही सर्वश्रेष्‍ठ होता दूसरों का लिखा हमारे लिए कचरे से अधिक नहीं था।

एक दिन अनोखे ने हमें ओबलाईज करने के उद्‌देश्‍य से उनकी लिखी एक पुस्‍तक के विमोचन के अवसर पर पत्रवाचन करने का अवसर दिया। हमने इस मौके को पूरा-पूरा लाभ उठाया और अपने पत्र में अनोखे की कहानियों को कूड़े का ढेर साबित कर दिया । बस फिर क्‍या था हमारी तो चल निकली हमने स्‍वयं को सनकी साबित कर दिया। लोगों की नजर में हम उच्‍चकोटि के बुद्धिजीवी हो गए। ये अलग बात है कि उस दिन के बाद हम अपने मित्र को खो चुके हैं।

अब घंटों बुद्धिजीवी लोगों की संगत में बैठ कर अपना समय व्‍यतीत करते हैं। नतीजा यह है कि घर पर खटपट होने लगी। घर का कोई काम करना हमें बेकार लगता है। हमें यह भी याद नहीं है कि हमारे बच्‍चे कौनसी कक्षाओं में पढ़ते हैं। हमारी श्रीमती जी और बच्‍चे हमारे सनकीपन से बड़े परेशान हैं। पर हम पर तो बुद्धिजीवी स्‍थापित होने की सनक कुछ ऐसी चढ़ी है कि हमें घर परिवार तुच्‍छ लगने लगा। आटे,तेल और लूण की जद्‌दोजहद से इतर हम चर्चाओं के माध्‍यम से सम्‍पूर्ण मानवजाति के उत्‍थान के स्‍वप्‍निल संसार में हम स्‍वयं को काफी हल्‍का महसूस कर रहें हैं

--

प्रमोद कुमार चमोली

राधास्‍वामी सत्‍संग भवन के सामने

गली नं.-2, अम्‍बेडकर कॉलोनी

पुरानी शिवबाड़ी रोड

बीकानेर

मोबाइल-9414031050

COMMENTS

BLOGGER: 16
  1. उत्तर
    1. शुक्रिया, आभार मृदुला प्रधान जी

      हटाएं
  2. kyaa baat hai ...pramod jee waah waah ....

    जवाब देंहटाएं
  3. hahahahahah...mazaa aa gya.ab aap hi bataayen ki in buddhijiviyon ka kya kren..???????????

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १८/९/१२ को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका चर्चा मच पर स्वागत है |

    जवाब देंहटाएं
  5. बधाई हो प्रमोद बाबू, सनकी बुद्धिजीवी बनने पर हार्दिक बधाई!!
    व्यंग्य की गहराई वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है|
    शुभकामनाएं|

    जवाब देंहटाएं
  6. स्तरीय व्यंग्य पढवाया भाई साहब .कई शैर भी बीच बीच में याद आते रहे एक सुन ही लीजिए -
    कितनी आसानी से मशहूर किया है खुद को ,
    मैं ने अपने से बड़े शख्श को गाली दी है .

    जिस आदमी के दोस्त आप जैसे हों उसे दुश्मनों की ज़रुरत क्या है ?बुद्धि जीवी आपस में दोस्त नहीं होते .
    ram ram bhai
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    मंगलवार, 18 सितम्बर 2012
    कमर के बीच वाले भाग और पसली की हड्डियों (पर्शुका )की तकलीफें :काइरोप्रेक्टिक समाधान

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कितनी आसानी से मशहूर किया है खुद को ,
      मैं ने अपने से बड़े शख्श को गाली दी है .wah !
      shukria aabhar

      हटाएं
  7. चलिए घर में खटपट होती है तो होए, बुद्धिजीवी तो बन ही गए. बढिया व्यंग्य,
    घुघूतीबासूती

    जवाब देंहटाएं
  8. बुध्दीजीवियों में शामिल होने पर बधाई । चाहे दोस्त दोस्त ना रहा ।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद कुमार चमोली का व्यंग्य - लो जी ! हम भी बन गए बुद्धिजीवी
प्रमोद कुमार चमोली का व्यंग्य - लो जी ! हम भी बन गए बुद्धिजीवी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTXEbfWgwfCfyXKwe2MAxdPNedSMxxAGCxoC9Z-qRHxaU7PApUnq19QDP2vP4cYlVRkg81E1hnHzTx3y-9Jqetg0t9sLesMge8IIOgqoJB2j2vwEsGoc3L7Xi6OEOMk5L1Hvtp/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTXEbfWgwfCfyXKwe2MAxdPNedSMxxAGCxoC9Z-qRHxaU7PApUnq19QDP2vP4cYlVRkg81E1hnHzTx3y-9Jqetg0t9sLesMge8IIOgqoJB2j2vwEsGoc3L7Xi6OEOMk5L1Hvtp/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/09/blog-post_8967.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/09/blog-post_8967.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content