देवेन्द्र कुमार पाठक 'महरूम', मोतीलाल, मनोज आजिज़, डाक्टर चंद जैन 'अंकुर', मनोहर चमोली ‘मनु' और प्रमोद कुमार सतीश के गीत, कविताएँ, नज्में व ग़ज़लें

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चौमास का गीत देवेन्द्र कुमार पाठक 'महरूम' पानी ही पानी खेत-बाग,नदी- ताल,जंगल-पहाड़ ; वर्षा वनकन्या -सी कर रही विहार ।   जन्मी आषाढ़...

चौमास का गीत

देवेन्द्र कुमार पाठक 'महरूम'

पानी ही पानी

खेत-बाग,नदी- ताल,जंगल-पहाड़ ; 
वर्षा वनकन्या -सी कर रही विहार । 
 
जन्मी आषाढ़-घर, सावन की पाली ; 
भादोँ ने पहनाई चूनर हरियाली ; 
पवन मानसूनी है करे छेड़-छाड़ । 
 
गले मिले चिरक्वाँरी रेवा के पाट ; 
लगी गली-खोर कीच-काई की हाट ; 
घर-घर चौमास छाए पाहुन-त्योहार। 
 
श्रम के हक-भाग कोदो-कुटकी का भात ; 
कर्ज़ चढ़ा धान, मका-ज्वारी के माथ ; 
पानी ही पानी दृग-देहरी,दिल-द्वार । 
 
निजहंता मुक्तिपथ चुना विवशताओँ ने ; 
रक्तिम उन्नति रोकी नहीँ आकाओँ ने ; 
रुका न, रुकेगा यह सियासती बाज़ार । 
 
मीनारोँ पर बैठी बहरी ख़ुदाई ; 
लंगड़ी-गूँगी लगती सारी प्रभुताई ; 
बाज़ारोँ-बनियोँ की गिरवी सरकार ।
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मोतीलाल की कविता


एक रास्ता बचा है

जो गुजरता है

धूल भरे मेड़ोँ से

खादानोँ से

जहाँ बहते हैँ

खून की धार पसीना बनकर

फिरभी वे मुस्कुराते हैँ

और बना लेते हैँ

सबके लिए रास्ते

एक रास्ता और है

जो गुजरता है

लाल-पीली बत्तियोँ से होकर

यूकलिप्टस व गुलमोहर के

महकते हवाओँ के बीच से

जहाँ चलते हैँ

नर्म मुलायम पाँव

परफ्यूम से सराबोर

काकटेल के बीच

और उनके लिए

पनपता है एक ही रास्ता

इन दो रास्तोँ के बीच

बहुत मुश्किल होता है

अपनी जमीन पर खड़ा रहना

मेरे लिए

अब नहीँ बचा है

कोई भी रास्ता

जिसका अपना घर न हो

वो भला क्योँ सोचेगा

रास्तोँ के बारे मेँ

और क्योँ पालेगा

रास्तोँ के सपने

हाँ उन रास्तोँ से

मुझे डर लगने लगा है

जो गुजरता है

मेरे भीतर से होकर

एक तीसरा रास्ता बनकर ।

* मोतीलाल/राउरकेला

--


मनोज 'आजिज़' के नज्म व ग़ज़लें


नज़्म                              


अनकही तसल्ली


                                          


बरसात के दिनों में
बादलों से भरा असमान
और कहीं दूर खोया हुआ
शर्माता चाँद का दीदार
बरबस निकाल लेता है जुबाँ से
वाह !
फिर कुछ सितारे भी अपने
मौजूदगी दर्ज कराते
निगाहों में |
कुछ कहते नहीं पर
दे जाते दिल में तसल्ली
कि हम हैं, रहेंगे
ये सच्चाई है
बाकि, कुछ दिन के मेहमान
निकाल फेंको बुजदिली को
डरो मत कुछ काले दिनों से --
वे सब बरसाती बादल हैं |



ग़ज़ल
बागे
वतन को जहन्नम कर दिया कुछ ने
दिले वतन में जखम कर दिया कुछ ने



गरीबों का खूं पीकर तंदुरुस्त हैं कुछ
बेशर्मी से खूब दामन भर दिया कुछ ने



कभी रौशन था नाम दुनिया में बेहद
मचाकर लुट झुका सर दिया कुछ ने



इंसां को इंसां से इंसानियत की आस थी
हर शू दह्शती आलम कर दिया कुछ ने


--.

नज़्म
गलत फहमी
     

आसमान का रंग ख़त्म
फ़ीका पड़ गया है
ऊँचे-ऊँचे नाकों से निकलते सांसों से
हवा लगती नहीं बदन पर
मिट्टी का तेज भी ख़त्म
मन-मिजाज़ भी बाहर लगा हुआ
पानी सुखकर बोतलों में,
खाना जनता-पैकेटों में
खदान ख़त्म , खदान के हीरे ख़त्म
सालों भर आम-जामुन
राजधानी के अमीरों के लिए
पेड़ों की छांव, दिलों का रहम
अब जंजीरों से बंधी हैं, नज़्मों में |
नदी बंधी है सैकड़ों खम्भों से
झरना अब संगमरमर के दीवारों में
और एक खबर--
कलम बाबुओं के दरवाजों पर
कर रही बैठकी
टी.वी स्क्रीनों में सारी कलाकारी |
इन सबके गुनाह क्या ?
गुनाह किसी का नहीं;
शायद ग़लतफ़हमी !



(शायर बहु भाषीय युवा साहित्यकार हैं और ५ साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादन
से जुड़ें हैं, पेशे से अंग्रेजी के अध्यापक हैं )
पता-- इच्छापुर, ग्वालापारा
        (
सान्शाईन स्कूल के पास )
पोस्ट- आर.आई .टी.
जमशेदपुर-- १४
झारखण्ड
इ-मेल-- mkp4ujsr@gmail.com


--

 

डाक्टर चंद जैन 'अंकुर ' की कविता


मेरा पूर्वज


नैसर्गिक संसद देहरी पर देहमान सा मेरा पूर्वज

वन विधान का हाल अपने निधिओं से पूछ रहा

बरगद का विशाल छत्र ,अपने छाया को फैलाये

चिडियों का कलरव, कोयल का गीत ,वन जन का दर्शक बन

राम राज्य सा अपने प्रधान को देख रहा

शहद, चिरोंजी ,जामुन बेर बादाम का पंचमेल

वनदेवी ने बनवाये

जब विराम काल होगा संसद चर्चाओं का, 

होगा मध्यांतर

मेरी माँ वन व्यवहार का पकवान ,

रामदूत को परस रहीं

इतने में कलयुग का मानव ,

अपने अभिमान में चूर

प्रदूषित कलवायु

वन की धरती में फूंक दिया

वन के संसद पर

अपने ह़ी वंशज ने ,

है उग्रवाद फैलाया

संसद भंग हुआ ...., 

वनप्रधान ने शिव भृकुटी तान दीये

और मानव के कलरथ पर चढ़कर

मुष्टि प्रहार कर

पांच प्रश्न विकसित विज्ञानी से पूछ दीये

ए धूर्त ,धरा पर क्या केवल तेरा हक़ है

वनजीवन का नैसर्गिक सुख ,

क्यूँ तूने छीन लिया है

तू कैसा विकसित है मानव ,

अस्पताल में मरने वाला

तू है निर्भरता की परिभाषा

एक दिन पूरा गुलाम हो जायेगा

तू अमरबेल बन , 

माँ की छाती में क्यूँ लिपटा है

तू कब समझेगा

मेरा ये श्राप याद रख

मेरी ह़ी पूंछ दे.......ख कर

तुझे तेरा सत्य याद आएगा |

डाक्टर चंद जैन 'अंकुर '

रायपुर

--

-मनोहर चमोली मनु' की कविता


मुझ में सीता तुम में राम



 


मुझ में भी है सीता

आज तलक जि़न्‍दा

जो तैयार है तुम्‍हारे संग

वनवास झेलने के लिए

लोक लाज के डर से

तुम्‍हारे कहे पर

देश बदर हो सकती है

दे सकती है अग्‍नि परीक्षा

अपनी पवित्रता के लिए

आज भी-कभी भी

और तुम में

हाँ ! तुम में

भी है राम

आज तलक जि़न्‍दा

जिसके लिए

उसकी सीता की

अस्‍मिता से अधिक

खास है समाज में

पुरुषत्व की साख

जो चाहता है

कि उसका

मैं रहे ऊपर

जो चाहता है

कि उसकी सीता

तत्‍पर रहे

अग्‍नि परीक्षा के लिए

पल प्रति पल

रहे तत्‍पर

दिन को रात

कहने के लिए

गलत को सही

मानने के लिए

हाँ! जब तक

तुम में राम

और मुझ में सीता

रहेगी जि़न्‍दा

एक घुटन रहेगी

साथ-साथ

मरते दम तलक।

--

मनोहर चमोली 'मनु',

भिताई,पोस्ट बॉक्स-23,

पौड़ी,पौड़ी गढ़वाल.246001

 

--

प्रमोद कुमार सतीश की कविता


जीव दया



धर्मों ने जीवनदायनी की संज्ञा दी

हमारे वंशजों ने जिसे मां का दर्जा दिया

स्वयं भगवान ने जिसकी आराधना की

वो गाय मां जो हमसे बोल भी नहीं सकती

उसके प्रति क्यों बदल गई हमारी भावना

क्यों इतने निर्दयी हो गए हम

जिसने हमारे जीवन का अमृत दिया

उसी के लिए खोल डाले इतने कत्लखाने

क्यों अपने ही विनाश का रास्ता का चुन लिया हमने

ये सवाल हमें खुद से ही पूछने होंगे

अपने स्वार्थ के लिए हमने क्या-क्या नहीं किया

नहीं की तो बस जीव दया

--

प्रमोद कुमार सतीश

म.नं. 109 तालपुरा झांसी

COMMENTS

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  1. यह विनम्र अपील है कि रचनाकार बंधु रचना प्रेषण से पूर्व लिंग,काल,क्रिया ,वचनादि या हड़बड़ी मेँ हुई टाइप आदि की भूल त्रुटियोँ को बार बार पढ़ सुधारकर भेजेँ. देवेन्द्र कुमार पाठक जी ने ईमेल से ऊपर कविताओं की त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाया है, जो निम्न है -
    त्रुटियाँ - :
    धूल भरे मेड़ोँ से >धूल भरी ,
    खादानोँ >खदानोँ या खानोँ,
    महकते हवाओँ > महकती हवाओँ (मोतीलाल) ;
    असमान >आस्मान ,आसमान ,
    अपने मौज़ूदगी> अपनी भौज़ूदगी ,
    बाकि >बाकी,
    लुट > लूट ,
    नाकोँ से निकलते साँसोँ > निकलती >
    सालोँ भर > साल भर, सालोँ- साल (मनोज आजिज़);
    देहमान>मेहमान,
    तान दीये >दिए(डा.चंद्र जैन)

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय अग्रज देवेन्द्र पाठक 'महरूम' का सुन्दर वर्षा गीत, जो अंत तक आते आते-आते उनके लेखन की मुख्या धारा से जुड़ता हुआ अर्थगर्भित होकर और भी महत्वपूर्ण हो गया है. पाठक जी को साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं
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नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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रचनाकार: देवेन्द्र कुमार पाठक 'महरूम', मोतीलाल, मनोज आजिज़, डाक्टर चंद जैन 'अंकुर', मनोहर चमोली ‘मनु' और प्रमोद कुमार सतीश के गीत, कविताएँ, नज्में व ग़ज़लें
देवेन्द्र कुमार पाठक 'महरूम', मोतीलाल, मनोज आजिज़, डाक्टर चंद जैन 'अंकुर', मनोहर चमोली ‘मनु' और प्रमोद कुमार सतीश के गीत, कविताएँ, नज्में व ग़ज़लें
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