पुस्तक समीक्षा : पाँव जमीन पर : लोक जीवन का उत्सव

SHARE:

लोक जीवन की लय को स्पंदित और अभिव्यक्त करती शैलेन्द्र चौहान की नई किताब ‘पांव जमीन पर’ एक महत्वपूर्ण प्रस्तुति है। कवि कथाकार शैलेन्द्र का ल...


लोक जीवन की लय को स्पंदित और अभिव्यक्त करती शैलेन्द्र चौहान की नई किताब ‘पांव जमीन पर’ एक महत्वपूर्ण प्रस्तुति है। कवि कथाकार शैलेन्द्र का लेखन एक सचेत सामाजिक कर्म है। उनका चिन्तन प्रतिबद्धता का चिन्तन है। वह जन प्रतिबद्ध लेखक हैं। विवेच्य पुस्तक में शैलेन्द्र चौहान ने भारतीय ग्राम्य जीवन की जो बहुरंगी तस्वीर उकेरी है उसमें एक गहरी ईमानदारी है और अनुभूति की आंच पर पकी संवेदनशीलता है। ग्राम्य जीवन के जीवट, सुख-दु:ख, हास-परिहास, वैमनस्य, खान-पान, बोली-बानी, रहन-सहन आदि को बहुत जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है। यह सब मिलकर पाठक के समक्ष सजीव चित्र की सृष्टि करते हैं और चाक्षुष आनंद देते हैं। लोक जीवन का उत्सव इनमें कदम-कदम पर झलकता है


पीपलखेड़ा गाँव के पोस्टमास्टर ‘बड़े भैया’ हों, कोठीचार के पूरण काका, रघुवंशी जी, तोमर माट साब हों या क्रूर बजरंग सिंह या गाँव में आया साधु हो - सबका सजीव चित्रण हुआ है। नदी, झरने, जंगल, तालाब, पहाड़, गाँव के गैल - गलियारे, पशु-पक्षी, खेत किसान और फसलें हों, मंडी बामोरा का हायर सेकेंडरी स्कूल, सहपाठी, शिक्षक और वहां का परिवेश हो, विदिशा का बहुविध वर्णन हो, शैलेन्द्र ने पूरी ईमानदारी और इन्वोल्वमेंट के साथ इन्हें सृजा है। शैलेन्द्र के स्वयं अपने गाँव के लोग, परिजन, सम्बन्धी, मित्र और परिचित, गढ़े-गढ़ाये चरित्र न होकर जीते-जागते एवं गतिशील चरित्र हैं। ‘पांव जमीन पर’ जिस अंदाज में लिखी गई रिपोर्ताज कथाएं है वे हिन्दी साहित्य में विरल हैं - जनमुखी होने के साथ-साथ।


प्रस्तावना के रूप में कथाकार उदय प्रकाश कहते हैं- शैलेंद्र के लिए लोकजीवन किसी सेमिनार या किताब के जरिये सीखा गया शब्द नहीं है। लोकधर्मिता अपने बचपन के साथ उसकी शिराओं में बहने वाली एक अदृश्य नदी का नाम है। ऐसा बचपन जिसमें चॉकलेट और मल्टीप्लेक्स नहीं हैं, वीडियोगेम, मोबाइल और साइबर कैफे नहीं हैं, टाई, जूते, रंगीन बैग, टिफिन और स्कूल बसेज़ नहीं हैं। वहाँ एक प्रायमरी पाठशाला है, कच्ची-पक्की पहली कक्षा है, जिसमें एक चकित-सा बेहद संवेदनशील बच्चा है, जो अपनी काठ की पट्टी को घोंटना और चमकाना सीख गया है, जो बर्रू से वर्णमाला लिखना सीख रहा है। घर के ओसार या स्कूल के आसपास किसी पेड़ के नीचे सबसे अलग बैठा हुआ ब्लेड से कलम की नोक छील रहा है। जितनी अच्छी कलम की नोक होगी, अक्षर और शब्द उतने ही सुंदर बनेंगे।


स्वयं शैलेन्द्र इन रिपोर्ताज के बारे में बताते हैं - एक गाँव से दूसरा गाँव, एक स्कूल से दूसरा स्कूल, वहां की भौगोलिक स्थितियां, वेश-भूषा, परिवेश और वे लोग जिन्होंने मुझे सहज ज्ञान से परिचित कराया, आत्मीय, परिजन, सम्बन्धी, गुरुजन,सहपाठी, और शुभचिंतकों की लम्बी फेहरिस्त रही है, जिनसे मेरे व्यक्तित्व में कुछ न कुछ समृद्ध हुआ है।


प्रेमचंद का ग्रामीण किसान कुलीन जमींदारों के अन्यायों, सूदखोर व्यापारियों के शोषण, सत्ता के निचले पायदान पर बैठे कर्मचारियों के दबावों और दमन के बावजूद आत्महत्या नहीं करता था। वह आखिरी दम तक हिम्मत न हारकर संघर्षपूर्ण स्थितियों कि चुनौती स्वीकारता था और जब व जैसे हो संभव प्रतिरोध भी करता था फिर उसकी चाहे कितनी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। गाँव अब पहले जैसे नहीं रह गए हैं वहां नगरों, महानगरों जैसा विकास चाहे न पहुंचा हो उनकी वे विसंगतियां जरुर पहुँच गईं हैं जिन्होंने उनके जीवन को अब उतना सरस, आत्मीय और जिंदादिल नहीं रहने दिया है जितना पहले वह थे। खुली अर्थ व्यवस्था वाले भूमंडलीकरण ने तो गांवों के अस्तित्व को ही नकार दिया है, किसानों और खेतिहर मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे से बाहर कर दिया है। विकास के नाम पर जब चाहे उन्हें उजाड़ा जा सकता है वहां विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाया जा सकता है। उनके जीवन स्तर को बढ़ाने व सुधारने की बात एक मरीचिका भर बन गई है गुजिश्ता एक दशक से किसानों में बढती आत्महत्या की प्रवृत्ति ने उन्हें और गांव को एक बार फिर आर्थिक, सामाजिक समस्या के केंद्र में ला दिया है। बावजूद इसके वह हमारे साहित्य में मुकम्मल तरीके से प्रतिबिंबित नहीं हुआ है, बल्कि इधर के कथा साहित्य से गांव धीरे-धीरे कम होता चला गया है। उन कथाकारों में से हैं जिनके कथा साहित्य में गांव बार-बार आया है। गरीबों, पिछड़े वर्ग के लोगों, दलितों और छोटे व मझोले किसानों पर इतना प्रमाणिक वर्णन फिलहाल अन्यत्र नहीं मिलेगा जितना कि यहाँ है। खेतिहर किसान की समस्यायें और उनके सुख-दु:ख, राग-द्वेष पूरी प्रामाणिकता के साथ उभर कर सामने आए हैं। दरअसल गांव-किसान से उनके लगाव की अहम् वजह अपनी मिट्टी से गहरा रिश्ता है जो उन्हें आज भी बांधे रखता है।


मैं आज भी मानता हूँ कि असली भारत गांव में ही है। बावजूद इसके कि आज गांव लगभग पूरी तरह से टूट चुका है उसका एक बडा हिस्सा महानगरों से जुड़ गया है। अगर आज की कहानी में गांव कम हुआ है तो उसका एक कारण शहरीकरण है। हालांकि आठवें दशक के पश्चात की कहानी में गांव जरूर था लेकिन उस सीमा तक किसान वहां नहीं था। आजादी के बाद गांव का बहुत तेजी से विखण्डन हुआ था, परिणामस्वरूप जिस वर्ग ने गांव से तेजी से पलायन किया उसमें सीमांत किसान और कृषि आधारित कुटीर उद्योगों से जुडे लोग ज्यादा मात्रा में थे। इसलिए किसान की अपेक्षा उस वर्ग पर कहानी में ज्यादा फोकस हुआ। दूसरा कारण यह है कि किसान की समस्यायें स्वयं उसके द्वारा पैदा की हुई समस्यायें नहीं थीं। वे साहूकार ने पैदा की थीं, राजनीति ने पैदा की थीं या अधिकारी वर्ग ने पैदा की थीं लिहाजा कहानियां, किसान के नाम से नहीं, बल्कि एक बड़े कैनवास गांव के आदमी के नाम से लिखी गई। उनका एक कहानी संग्रह नहीं यह कोई कहानी नहीं सन १९९६ में प्रकाशित हुआ था जिसकी कुछ कहानियां इस पुस्तक कि पूर्वपीठिका थीं यथा दादी, मोहरे और उसका लौट आना. उस संग्रह में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों पर एक बेमिसाल कहानी थी 'भूमिका', अब तक ऐसी कहानी कहीं अन्यत्र नहीं देखने में आई है।


शैलेन्द्र ग्राम जीवन के चितेरे रचनाकार हैं। हिन्दुस्तान की सामाजिक संस्कृति की हिमायत, जायज हकों की लडाई और सकारात्मक जीवन मूल्यों के प्रति निरंतर संघर्ष, उनकी रचनाओं की विशेषता है। वे प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु, अमरकांत, मार्कण्डेय, शैलेश मटियानी, पुन्नी सिंह, जगदीश चन्द्र की तरह आंचलिक परिवेश के रचनाकार हैं। अपने कथा साहित्य में स्थानीय बोली के प्रयोग पर जोर देते हुए वे कहते हैं, यद्यपि ऐसा माना जाता है कि आदमी का शोषण, उत्पीडन, दारिद्र, अभाव, अशिक्षा, बेरोजगारी इत्यादि सभी जगह पर एक जैसे हैं, लेकिन मेरा मानना है कि एक जैसे होते हुए भी इनमें बहुत बारीक अंतर भी है और यदि उस बारीकी को हम सफलतापूर्वक पकड़ना चाहें तो हमारे पास लोक बोलियों से शक्तिशाली अन्य कोई औजार नहीं है। मूलधारा से अलग दूरदराज स्थान पर रहकर जीवन व्यतीत करने वाले आदमी की पीडा को अभिव्यक्त करने वाले शब्द खड़ी बोली के पास नहीं हैं और अगर हैं भी तो वे किसी बोली से ही आए होंगे। जिस परिवेश में आदमी रहता है उसी के अनुरूप आदमी की पीडा को उसी के शब्दों में अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है।


जाहिर है ये रिपोर्ताज न तो कोरे दृश्यचित्रण हैं न मात्र संस्मरण। इनमें भारतीय ग्राम्य परिवेश, कई-कई आयामों में, ईमानदारी और सजगता से बहुविध सृजित एवं दृष्टव्य है। ग्रामीण भाग की आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक स्थितियां, संरचना, मानसिक बुनावट, श्रम और संस्कृत जिस सहजता से शैलेन्द्र ने उकेरे हैं वह समसामयिक हिंदी साहित्य में अद्वितीय है।

निश्चित रूप से हिंदी साहित्य को समृद्ध करने के लिए रचनाकार साधुवाद का पात्र है। सोने पर सुहागा यह कि पुस्तक की छपाई एवं गेट अप अत्यंत सुन्दर और मनमोहक है।

--


कथा रिपोर्ताज : पांव जमीन पर / शैलेन्द्र चौहान, मूल्य - रुपये 80/- प्रकाशन वर्ष - 2010
प्रकाशन : बोधि प्रकाशन, एफ-77, करतारपुर औद्योगिक क्षेत्र, बाईस गोदाम, जयपुर - 302006
-प्रो. मोहन सपरा, E.G.1083, Gobindgarh, SD College Rd. Jalandhar (Punjab), M-

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: पुस्तक समीक्षा : पाँव जमीन पर : लोक जीवन का उत्सव
पुस्तक समीक्षा : पाँव जमीन पर : लोक जीवन का उत्सव
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/09/blog-post_5.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/09/blog-post_5.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content