कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -74- बुशरा अलवेरा की कहानी : बदला

SHARE:

कहानी बदला बुशरा अलवेरा रु. 15,000 के 'रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन' में आप भी भाग ले सकते हैं. अपनी अप्रकाशित कहानी भेज सकत...

कहानी

बदला

बुशरा अलवेरा

रु. 15,000 के 'रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन' में आप भी भाग ले सकते हैं. अपनी अप्रकाशित कहानी भेज सकते हैं अथवा पुरस्कार व प्रायोजन स्वरूप आप अपनी किताबें पुरस्कृतों को भेंट दे सकते हैं. कहानी भेजने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2012 है.

अधिक व अद्यतन जानकारी के लिए यह कड़ी देखें - http://www.rachanakar.org/2012/07/blog-post_07.html

image

----

‘‘जब कोई सपना हकीकत में बदलता है, तो उसे व्‍यक्‍त करने के लिए शब्‍द ही कम पड़ जाते हैं। ऐसा की कुछ आज मेरे साथ हुआ। मेरे वर्षों की मेहनत, मेरा सपना आज मेरी आँखों के सम्‍मुख यथार्थ हो उठा है। वास्‍तव में यह अकल्‍पनीय है।'' डॉ0 अज्ञेय ने इन शब्‍दों के साथ अपनी डायरी बन्‍द कर दी और सोने चल दिये।

आज का दिन डॉ0 अज्ञेय के जीवन का एक महत्‍वपूर्ण दिन था। आज उन्‍होंने अपने अथक्‌ परिश्रम द्वारा अपने स्‍वप्‍न को वास्‍तविकता का चोला पहना दिया था।

डॉ0 अज्ञेय एक विख्‍यात्‌ नैनोटेक इंजीनियर थे और पिछले पाँच वर्षों से एक गुप्‍त प्रयोग में जुटे थे। यह प्रयोग एक विशिष्‍ट प्रकार के कैमरे को बनाने के लिए आरम्‍भ किया गया था। जिसमें जैविक ऊर्जा के प्रयोग द्वारा कैमरे को संचालित किया जा सकता था। इस अनोखे कैमरे को उन्‍होंने नाम दिया ‘आइरिस कैमरा'। यह कैमरा दिखने में एक साधारण नेत्र लेन्‍स की तरह था, परन्‍तु नैनो टेकनालोजी के समावेश से अपने आप में एक संपूर्ण डिजीटल कैमेरा था। इसे उन स्‍थानों पर भी ले जाना संभव था, जहाँ सामान्‍यता कैमरे को नहीं ले जाया जा सकता था। इस लेन्‍स रूपी कैमरे को आँखों की पुतलियों पर लगाकर मानसिक तरंगों के माध्‍मय से संचालित किया जा सकता था। अतएव जब इससे फोटो खींचनी हो तो मस्‍तिष्‍क में यह संदेश प्रसारित करके उस वस्‍तु की ओर देखने से उसका चित्र कैमरे पर उभर आता था और आँखों को एक बार बन्‍द करके पुनः खोलने पर चित्र कैमरे के मैमोरी कार्ड में संचित हो जाता था। जब इस नैनो मैमोरी कार्ड को कम्‍प्‍यूटर से जोड़ देते तो खीचें गये चित्र कम्‍प्‍यूटर की स्क्रीन पर उभर आते।

' ' '

पुलिस ने लाश के चारों ओर घेरा बना दिया था। पत्रकारों की भीड़ घर के दरवाजे पर उमड़ी हुई थी। सभी जानना चाहते थे कि यह हत्‍या थी अथवा आत्‍म हत्‍या ! पुलिस किसी प्रकार का कोई उत्‍तर देने में असमर्थ थी। क्राइम ब्राँच के सदस्‍य वारदात से जुड़े सुबूतों को इकठ्‌ठा करने में लगे हुए थे।

कल रात डॉ0 अज्ञेय की मृत्‍यु हो गयी थी उनके शरीर में पौटेशियम सायनाइड का इन्‍जेक्‍शन छुपा था।

बेटी प्रज्ञा कुछ भी बता पाने की स्‍थिति में नहीं थी। पिता की इस अचानक हुई मृत्‍यु के सदमे से वह उबर नहीं पा रही थी। बड़ा भाई प्रहलाद भी खबर मिलते ही हास्‍टल से घर के लिए निकल चुका था। प्रहलाद बी.टेक. द्वितीय वर्ष का छात्र था। उसको अपने कानों पर विश्‍वास नहीं हो पा रहा था। ‘‘मेरे पिता की तो किसी से कोई शत्रुता भी नहीं थी, फिर किसने हमारे सिर से पिता का साया छीन लिया''? अथवा ‘‘पिता जी ने आत्‍म हत्‍या क्‍यों की'' ? जैसे सवालों से उसका दिमाग फटा जा रहा था।

रात का एक बज रहा था, पर प्रहलाद की आँखों में नींद कहाँ ? रह रहकर आँखों के सम्‍मुख पिता का चेहरा उभर आता।

वह उठा और पिता के कमरे में जाकर बैठ गया। पिता की हर वस्‍तु उससे कुछ कहती प्रतीत हो रही थी। हर तरफ खामोशी का साम्राज्‍य पसरा था। आँखों से आँसू बिना रूके बहे जा रहे थे ............। तभी उसकी नजर किसी वस्‍तु पर जाकर ठहर गयी .......।

पिता की डायरी मिल गयी थी, उसे। ‘‘ओह, पिताजी तो प्रतिदिन ही अपनी दिनचर्या का संक्षिप्‍त विवरण डायरी में लिखा करते थे। मृत्‍यु का कारण शायद इसमें छिपा हो।'' - यह सोचकर उसने डायरी के पृष्‍ठों को पलटना शुरू किया। ‘‘आज मेरे जीवन का एक बड़ ही महत्‍वपूर्ण दिन है। आज मुझे मेरे उद्‌देश्‍य में सफलता मिल गयी है।'' प्रहलाद ने अगला पृष्‍ठ पलटा। उस पृष्‍ठ पर आइरिस कैमरे के आविष्‍कार की पूरी कहानी वर्णित थी।

उसने आगे पढ़ा - ‘‘ना जाने लोग ऐसा क्‍यों करते है ? हर चीज का दुर्पयोग क्‍यों करना चाहते है .....? मेरा आविष्‍कार मानवता की भलायी के लिए होगा। मैं उसे गलत हाथों में बिल्‍कुल भी नहीं पड़ने दूँगा.......। इसके लिए चाहें कुछ भी करना पड़े, मैं करूँगा......।'' यही पिता जी की डायरी के अन्‍तिम शब्‍द थे।

प्रहलाद के सम्‍मुख यह बात अब पूर्णतया स्‍पष्‍ट हो चुकी थी कि पिताजी ने आत्‍म हत्‍या नहीं की थी, अपितु उनका आविष्‍कार ही उनकी हत्‍या का कारण था।

उसने मन ही मन अपने पिता की हत्‍या का बदला लेने की ठानी।

' ' '

प्रहलाद कटघरे में खड़ा था। सरकारी वकील उससे सवाल पर सवाल किये जा रहे थे। प्रहलाद बोला ‘‘जब मुझे पता चला कि मेरे पिता के हत्‍यारे का विवरण फोरन्‍सिक लैब पहुँच चुका हैं, तब मैंने भेष बदलकर लैब में सफाई कर्मचारी के पद पर नौकरी कर ली। एक दिन मौके का फायदा उठाकर पिता द्वारा आविष्‍कृत ‘आइरिस कैमरे से, जो उनकी मौत का कारण बना था, हत्‍यारे के विवरण का चित्र उतार लिया। परन्‍तु जब साहब मेरा विश्‍वास करें, मैने उसे नहीं मारा।''

सरकारी वकील में प्रश्‍नों के बाण छोड़े -‘‘अभी तो तुमने कहा कि तुमने रिपोर्ट्‌स लैब से चुरायीं और अब कहते हो कि तुमने खून नहीं किया। तुमने क्‍या अदालत को मजाक समझा है'' ?

वकील ने आगे कहा - ‘‘माई लार्ड, ये अदालत की एहमयित नहीं समझ रहा है और अदालत का कीमती वक्‍त बर्बाद कर रहा है। खूनी यही है। इसने अपनी पिता की मौत का बदला लिया हैं। कानून को अपने हाथ में लिया है.......।''

‘‘माई लार्ड, बेशक मैं उसे मारने के उद्‌देश्‍य से उसके घर गया था, परन्‍तु जब मैं वह पहुँचा, तो मैंने देखा कि वह अपने 4-5 वर्षीय बच्‍चे के साथ खेल रहा है। उसे देखकर मुझे अपने बचपन के दिन याद आ गये, कि पिताजी भी मुझे इसी तरह खेलाया करते थे।'' प्रहलाद्‌ अपना पक्ष रखते हुए बोला।

वह आगे बोला - ‘‘तभी मेरे मस्‍तिष्‍क में सहसा एक प्रश्‍न कौंधा। यदि मैंने इसे मार दिया, तो यह बच्‍चा भी मेरी ही तरह अनाथ हो जायेगा......... और वह भी अपने पिता की मौत का बदला लेना चाहेगा.......। यह सिलसिला फिर कब खत्‍म होगा ? यह सोचकर मैंने उसे न मारने का निर्णय लिया और वहाँ से चल पड़ा। परन्‍तु तभी, गोली चलने की आवाज आयी पीछे मुड़कर देखा, तो वह आदमी मर चुका था............। बच्‍चा बिलख-बिलखकर रो रहा था। देखते ही देखते गोली की आवाज सुनकर गेट पर पेहरा देता चौकीदार वहाँ‍ आ पहुँचा‍ और उसने मुझे धर दबोचा....। और अब मैं यहाँ आपके सामने हूँ।'' इतना कहकर वह चुप हो गया।

अदालत की कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए सरकारी वकील ने प्रहलाद से कहा - ‘‘मिस्‍टर प्रहलाद बातें बनाने से जुर्म नहीं छुपता आपको अपनी बेगुनाही का सुबूत देना होगा।''

तभी पीछे से एक आवाज आयी -‘‘वह बेगुनाह है ........... उसने हत्‍या नहीं की...........। खूनी तो में हूँ। ''

यह सुनकर पूरी अदालत भौचक्‍की सी रह गयी। सबने पीछे मुड़कर देखा। एक दुबली-पतली काठी की लड़की अदालत के दरवाजे पर खड़ी थी। उसने अपना वाक्‍य पूरा किया और अदालत के सम्‍मुख आकर ठहर गयी।

उसे देखकर प्रहलाद के पैरों तले जमीन खिसक गयी। वह प्रहलाद की छोटी बहन थी, प्रज्ञा।

चेहरे पर शन्‍यू भाव लिये वह चुपचाप कठघरे में आकार खड़ी हो गयी।

उसने न्‍यायाधीश की ओर देखा और फिर बोली - ‘‘जज साहब, मैं डॉ0 अज्ञेय की छोटी बेटी प्रज्ञा हूँ। मेरे पिता एक बड़े ही अच्‍छे इन्‍सान थे, उन्‍होंने कभी किसी का अहित नहीं चाहा। पूरा जीवन विज्ञान की उपासना की और उन्‍होंने वरदान के रूप मेंं एक अनोखे आविष्‍कार को यथार्थ में पा लिया। पिताजी ने ‘आइरिस कैमरा' बनाने में सफलता प्राप्‍त कर ली थी। कुछ की दिनों के भीतर वे उसे प्रदर्शित करने वाले थे। लेकिन .....................''

इतना कहते-कहते उसका गला भर आया। उसके मुख से शब्‍द नहीं निकल पा रहे थे ............. दुख और संवेदना के फन्‍दे ने उसके गले को जकड़ लिया था। अदालत में सन्‍नाटा छाया हुआ था। शायद ऐसा पहली बार हुआ था कि हत्‍यारा अदालत में स्‍वयं चलकर आया था। सभी प्रज्ञा की ओर सम्‍बोधित थे।

उसने अपने आप को संभाला और बोली ‘‘लेकिन मेरे पिता की हत्‍या हो गयी .......। पिता का हत्‍यारा कोई और नहीं उन्‍हीं का प्रिय शिष्‍य संजीव था, जो दो वर्ष पूर्व किसी कम्‍पनी में नौकरी लग जाने के कारण पिता जी के काम को बीच में ही छोड़कर चला गया था।

एक दिन वह घर आया। पिता जी उसे देखकर बहुत प्रसन्‍न हुए और उन्‍होंने उसे बताया कि उनका प्रयोग सफल हो गया है। यह सुनकर वह बोला ‘‘मैं इसीलिए हो तो आया हूँ। आप वह आविष्‍कार मुझे सौंप दे, मैं आपको मुँह मांगी कीमत देने को तैयार हूँ।''

पिताजी उसके इस रवैये से आहत हो उठे। वह बोला - ‘‘शायद आपको स्‍वयं अपने आविष्‍कार के महत्‍व का अंदाजा नहीं होगा। इसकी तो इंटरनेशनल कार्मेट में मुँह मांगी कीमत मिलेगी। आप इसे यहाँ प्रदर्शित करके कितना लाभ पायेंगे ?'' पिताजी अपने शिष्‍य संजीव को बीच में ही टोका। वे बोले ''संजीव तुम्‍हें क्‍या हो गया है ? तुम कितनी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो। इन दो वर्षों में तुम इतने बदल जाओगे मैने कभी सोचा नहीं था ! क्‍या जीवन में पैसा ही सब कुछ होता है ......................... मान-सम्‍मान कुछ भी नहीं .............।'' संजीव वहाँ से चला गया। वह दोबारा आया। पिताजी को लगा कि शायद संजीव को अपनी गल्‍तियों का एहसास हो गया है, इसीलिए वह आया है।

परन्‍तु उसकी मंशा तो कुछ और ही थी। वह पिता जी के कमरे में गया। मैं भी चुपके-चुपके उसके पीछे गयी। वह पिताजी से मॉगी माँगने नहीं आया था। उसने दोबारा वही बातें शुरू कर दीं। पिताजी ने उसे बुरी तरह डाँटा और घर से निकल जाने को कहा साथ ही कभी न आने की चेतावनी दी।

परन्‍तु उसी क्षण उसने अपनी जेब से एक सीरिन्‍ज निकाली। पिताजी कुछ समझ पाते इससे पहले ही उसने वह सीरिन्‍ज पिताजी के शरीर में चुभा दी। क्षणभर के लिए हर तरफ सन्‍नाटा छा गया ............ मैं स्‍तब्‍ध थी ............... जड़ हो चुकी थी ................. अपनी आँखों पर विश्‍वास नहीं हो पा रहा था........।

आज न केवल मेरे पिता की हत्‍या हुई थी बल्‍कि उनके विश्‍वास की भी हत्‍या हो चुकी थी। गुरू और शिष्‍य का पवित्र रिश्‍ता दागदार हो चुका था..........।''

इतना कहकर वह शान्‍त हो गयी। फिर बोली - ‘‘मैंने अपना बदला ले लिया..........। मैं भी अनाथ हो गयी और उसका बेटा भी ..........''

प्रहलाद विस्मित सा होकर अपनी बहन की ओर देखने लगा और सोचने लगा ‘‘काश ............। मैंने ही गुनाह कुबूल कर लिया होता .................''

---

बुशरा अलवेरा

 

बाराबंकी यू.पी. 225001

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -74- बुशरा अलवेरा की कहानी : बदला
कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -74- बुशरा अलवेरा की कहानी : बदला
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgnLLUY5Lb7o3jtMuX56DIP499rjPd2obVgx7LL9cbv-baETK5BeTqa1bCRkyk66VrMcpJa2vfRbfsVNd7pGQAGcHskeMFQfzokJ0JGEn-yUtIilXjLLDy-ooJqZfTxf70WND7w/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgnLLUY5Lb7o3jtMuX56DIP499rjPd2obVgx7LL9cbv-baETK5BeTqa1bCRkyk66VrMcpJa2vfRbfsVNd7pGQAGcHskeMFQfzokJ0JGEn-yUtIilXjLLDy-ooJqZfTxf70WND7w/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/09/74.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/09/74.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content