कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -65- चंद्रकांता की कहानी : कल्पतरु

SHARE:

कहानी कल्पतरु चंद्रकांता   उफ्फ़! कितनी गहरी पीड़ा है यह मानों तालाब के पार्श्व पर पानी और उसके भीतर मछली तड़प रही हो. तुम्हें कैसे समझाऊं स...

कहानी

कल्पतरु

चंद्रकांता 

image

उफ्फ़! कितनी गहरी पीड़ा है यह मानों तालाब के पार्श्व पर पानी और उसके भीतर मछली तड़प रही हो. तुम्हें कैसे समझाऊं सुवास !तुम्हारे होते हुए भी एकाकीपन का यह बोध ह्रदय की भीत पर हर रोज़ उठा-पटक करता है. तुम ही कहो! तब, तुम्हारे होने का क्या औचित्य है ?

यह संदिग्धता वश किया गया कोई आक्षेप नहीं है; बल्कि हमारे इस संबंध से साधिकार किया गया बेहद स्वाभाविक सा प्रश्न है ताकि हमारे भविष्य पर कोई प्रश्न-चिह्न ना रहे.. और ये मौन को पालना कहाँ से सीख लिया तुमने !यह तो तुम्हारा स्वभाव नहीं था !.जानते हो, तुम्हारा यह अपरिचित मौन रात-दिवस अट्टहास सा करता आता है जिसके अनचाहे आलिंगन से मैं बिंध कर रह जाती हूँ ..और तुम्हें भी तो भीतर ही भीतर तोड़-मरोड़ रहा है यह.. आखिर ऐसा क्या जो तुम मुझसे साझा नहीं कर सकते ?

जिस दिन भावनाओं के उफान से इस मौन का बाँध टूटेगा तुममें भी, तुम बाकी ना रहोगे. प्लीज़ चुप मत रहो! अब तो परिभाषित करो इस मौन को. सुनो! अब यह घाव बनकर रिसने लगा है.. पल्लव ने उस मौन की कठोर दीवारों को अपने जवाब दे चुके धैर्य से आच्छादित करते हुए कहा.

--

रु. 15,000 के 'रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन' में आप भी भाग ले सकते हैं. अपनी अप्रकाशित कहानी भेज सकते हैं अथवा पुरस्कार व प्रायोजन स्वरूप आप अपनी किताबें पुरस्कृतों को भेंट दे सकते हैं. कहानी भेजने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2012 है.

अधिक व अद्यतन जानकारी के लिए यह कड़ी देखें - http://www.rachanakar.org/2012/07/blog-post_07.html

image

----

कॉलेज के दिनों से ही साथ थे पल्लव और सुवास. दिल्ली यूनिवर्सिटी में इन दोनों का प्रेम हमेशा चर्चित रहा. आज प्रणय के सात वसंतों बाद भी उनके सम्बन्ध में वही ताज़गी और वही आकर्षण था जो उस वक़्त हुआ करता था .संघर्ष के तोड़ देने वाले दिनों में भी उनके विश्वास और समर्पण की दीपशिखा प्रज्ज्वलित रही. प्रणय निवेदन की तो कभी जरुरत ही ना हुई मन की भाषा से ही सब लिखा पढ़ी हो गयी थी दोनों के बीच.

सुवास एक बेहद सुलझा हुआ पुरुष था. गंभीर व्यक्तित्व किन्तु लड़कपन की छुअन जिसमें अभी तलक बाकी थी. मेल ईगो जैसे कुंठित सूत्रों से अनभिज्ञ सुवास किसी भी स्त्री की अभिलाषा हो सकता था.

मैं तुम्हें खुश रखना चाहता हूँ पल्लव ..तुम भी जानती हो..जानती हो ना! एक अजीब सी छट-पटा-हट से टकराते सुवास ने पल्लव से कहा. शब्दों का माप-तौल तो नहीं जानता लेकिन, तुम मेरे जीवन का आधार हो..मेरी प्रतीक्षा, मेरी प्रेरणा हो ..हाँ, सही कहा तुमने - मुझमें, मैं भी बाकी ना रहूँगा.

लेकिन, तुम्हारे मेरे जीवन में नहीं रहने पर यह जीवन एक विवशता बनकर रह जाएगा. तुम्हारे बिना मर तो नहीं जाऊँगा क्यूंकि, दायित्वों का अधिभार इतना है कि, मरने को भी स्वतंत्र नहीं हूँ. ..मैं तो स्थितियों के अधीन रंगशाला की कठपुतली बनकर रह गया रह गया हूँ. जिसे स्टेज पर अभिनय तो करना होता है किन्तु, संवाद में जिसकी कहीं कोई भूमिका नहीं. और हिलती-डुलती भी है तो है स्वेच्छा से नहीं परवशता से...

पल्लव ठीक से कुछ समझ नहीं पायी कि आखिर सुवास क्या कहना चाह रहा है. मन ही मन वह उन टूटे सूत्रों को जोड़ने लगी और सुवास से कहा –

‘ और मैं तुम्हारे जीवन में क्यूँ नहीं रहूंगी? आगे कहो सुवास, रुको नहीं कहते रहो..तुमहें भीतर ही भीतर घुटता देख बहुत दुःख होता है. मेरी चिंता नहीं करो आज अपने मन का समस्त भार मेरी पलकों पर उतार दो..’

पल्लव बहुत प्रयास किये लेकिन अंततः मेरा ट्रांसफर आगरा हो गया है अब वहीँ लेक्चररशिप करनी होगी और इधर माँ ने जिद पकड़ ली है कि बहन के लिए अपना कर्तव्य पूरा करो. पहले उसका ब्याह करो. और उन्होंने यह भी कहा कि 'मुझे तुम्हारा पल्लव से मिलना जुलना पसंद नहीं. घरेलू लड़कियों जैसी तो कहीं से नहीं दिखती वह..कपड़े पहनने का शहूर नहीं..कभी दुपट्टा लेते नहीं देखा उसे ..कल को बहू बनकर इस घर में आ गयी तो कहे देती हूँ एक गिलास पानी के भी मोहताज़ हो जायेंगे हम. दो क्लास पढ़-लिख क्या ली खुद को इंदिरा गांधी समझती है. न्याय दिलाती फिरती है लोगों को.

अरे! कल को कोई ऊँच-नीच हो गयी तो कौन जिम्मेदार होगा इसके लिए. खैर! मैं कौन होती हूँ तुम दोनों के बीच बोलने वाली. तुम्हारे बाबूजी चले गए एक दिन मैं भी चली जाउंगी इसी तरह. बस अपनी बहन के हाथ पीले कर दो फिर जो जी में आये करना'. .

इतना कहकर सुवास चुप हो गया और परिस्थितियों के समक्ष एक बेबस याचक की तरह पल्लव को निहारने लगा. पल्लव का सांवला रंग-रूप, किसी शिल्पकार की कूची से गढ़ी हुई उसकी गहरी काली मिटटी जैसी आँखें, बाहर परिवेश में आषाढ़ की दस्तक, घुमड़ते-बलखाते बादलों का शोर और उन्मादी बूंदों की खनक यह सब उसे और अधिक आकर्षक बना रहा था.

कभी तितली की तरह मचलती और चिरैया की तरह चहचहाती, गुड़िया सी दिखने वाली पल्लव अपना उत्तर पाकर भी एकदम शांत थी. जैसे बहुत लंबा सफ़र तय कर आई अल्हड़ हवा किसी तंग परबत पर आकर ठहर गयी हो.

कुछ क्षणों के लिए पल्लव भी मौन हो गयी. फिर ना मालूम क्या सोचकर बोली-

‘सुवास तुमने तेज़ बारिश के बाद आँगन में फर्श पर बाकी रह गए पानी को देखा है कभी ! उसमें आस-पास की जड़ता का जीवंत अक्स दिखाई देता है लेकिन जैसे-जैसे वह पानी सूखता जाता है कुछ देर पहले उसके भीतर दिखाई पड़ने वाला वह अक्स धुंधला होता जाता है और एक वक़्त बाद वहां कुछ भी शेष नहीं रहता. ठीक ऐसे ही हमारा मन-मस्तिष्क भी खूबसूरत रोमानी कल्पनाओं के सरोवर में मनचाही डुबकी लगाता है ..भीगता है.. और बीच-बीच में हवा का स्पर्श पाने से जब गीली देह सूखने लगती है तो शरीर कमल की पंखुड़ियों की तरह सिकुड्ने लगता है और कुछ क्षणों पश्चात वापिस अपनी चिर-नियत गति पा लेता है.’

हमारी तुम्हारी यह चाहना भी कुछ ऐसी ही है. जिसमें हमारे अभिसार के अमिट पलछिन हैं, कल्पनाओं की वह खूबसूरत मासूम दुनिया है जहाँ केवल हम-तुम हैं सोसायटी की कड़वी हकीक़त और उसके घुन चुके रिवाजों से सामना करने वाला वह आत्मविश्वास भी है जो हमें एक साथ रहने का आधार देता है .सुवास जीवन का आरोह-अवरोह कितना ही विचलित कर देने वाला क्यूँ न हो मैं तुम्हारे हर निर्णय में तुम्हारे साथ हूँ.. और साथ नहीं रह पाने से हमारा एक दूसरे के लिए प्रेम कम नहीं हो जाएगा.

सुवास हम तुम आपस में गुंथे हैं जैसे शब्द में भाव गुंथा होता है.

बीहड़ में खो जाने के डर से तुम्हारा खूबसूरत साथ छोड़ दूँगी यह ख़याल भी मन में नहीं लाना. मेरे लिए प्रेम सुविधा का नहीं समर्पण का नाम है.

अपनी धमनियों की आहट से अपरिचित सुवास एकाग्रचित हो पल्लव की हर एक बात उसके कहे एक-एक शब्द को ध्यान से सुन रहा था चेहरे पर कहीं कोई शिकन नहीं थी ..कोई प्रश्न नहीं था..मानो सांझ अपने सुरमई पंखों को क्षितिज पर फैलाकर धीरे-धीरे सागर की गोद में उतर रही हो और सागर उसके इस शिवत्व पूर्ण सौन्दर्य से अभिभूत होकर जड़वत रह गया हो.

...अनायास ही उसकी समाधि भंग हुई ..तेज़ हवा के झोंकों से खिड़कियाँ आपस में बज रही थीं हवा अपनी पूरी शक्ति से पर्दों के पीछे की तरफ धकेल रही थी..उसने देखा कि पल्लव उसके पास ही जमीन पर आकर बैठ गयी है..और बेहद इत्मीनान से उसने अपने दोनों हाथों को उसकी गोद में रखा हुआ है. जैसे कोई थक चुका पथिक किसी कल्पतरु का आश्रय पाना चाहता हो .सुवास ने भी पल्लव के हाथ थाम लिए और अपलक देखता रहा उसकी और.. मानों अपनी समस्त वेदना उन हाथों में उतार देना चाहता हो ..

शायद बहुत कुछ कहना चाहता था अपनी पल्लव से; उसे बताना चाहता था की समाज उनके बीच कहीं नहीं है लेकिन उसे कुछ वक़्त चाहिए उन सपनों को पूरा करने के लिए जो उन्होंने साथ बुने हैं.

एक और पहर बीत गया उन दोनों को इसी तरह बैठे हुए. अचानक पल्लव की देह में हरकत हुई और किसी पराजित वीरांगना की तरह उसने कहा..

‘चलती हूँ सुवास. तुम्हारे मौन पर तुम्हारा स्वत्व, मुझे संवाद की ये आड़ी-तिरछी शिलाएं लांघने की इजाजत नहीं देता. तुम्हें समझती हूँ, तुममें खुद को जीती रही हूँ अब तक ..और कुछ कहने की जरुरत नहीं लेकिन एक निवेदन है तुमसे अपनी इस विवशता के लिए कभी खुद को कटघरे में मत रखना. जानते हो! प्रेम की सार्थकता एक साथ रहने से कहीं अधिक उसे निभाने में है..

कभी वक़्त के नियत पृष्ठों के उस पार मिलना तुम्हें तुम्हारे हिस्से की गुनगुनी धूप लौटानी है.. और पल्लव ने सुवास की भीगी पलकों पर अपनी नरम गुलाबी अधखुली पंखुड़ियों को स्पर्श करते हुए कहा तुम्हारे साथ थी..साथ रहूंगी. .लेकिन अभी जाने की इजाजत दो..भोर होने ही वाली है ..’

. . . . . .

लेखिका का नाम:चंद्रकांता
परिचय:स्वतंत्र लेखक,चित्रकार,सोशल एक्टिविस्ट
पता:आर.के.पुरम दिल्ली.
ई मेल :chandrakanta.80@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 3
  1. Chandrakanta, you have portrayed an inspiring piece of reality on a very motivational note through which no one knows how many lives will potentially be impacted. The story very quietly outlines integrated simplistic yet soulful beauty hailing the sublime nature of love.

    What most impressively took me aback is how mellifluously reality found its way on a successful note.

    Wish, you keep on writing evermore, to let the literature-love be emblazoned.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत कठिन शब्‍दों का इस्‍तेमाल किया गया है। कहानी विकसित होने से पहले ही टूट रही है। लेकिन मैंने पहली बार तुम्‍हारा लिखा गद्य पढा । प्रयास के लिए बधाई । लेकिन ईमानदारी की बात यह है कि और मेहनत की जरुरत है।

    जवाब देंहटाएं
  3. कहानी जटिल है । शुरू होने से पहले ही टूट गयी है कहानी। और मेहनत की जरुरत है। मैं जानता हूं कि तुम्‍हें लिटरेचर की समझ है और स्‍त्री आंदोलनों की । और काम करो

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -65- चंद्रकांता की कहानी : कल्पतरु
कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -65- चंद्रकांता की कहानी : कल्पतरु
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjAW6Rm0ddMScPvmFPOFwhxWrHkASUn4S4B-2TpY3f_lmn1Pd32eXCksDHHNy9PofTgK2gkYfRRc7ETjzxtN4qJCueyFClyWyycRmpaB8sQFm5g-sTZW6Gp_zV52lEg_46F72mZ/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjAW6Rm0ddMScPvmFPOFwhxWrHkASUn4S4B-2TpY3f_lmn1Pd32eXCksDHHNy9PofTgK2gkYfRRc7ETjzxtN4qJCueyFClyWyycRmpaB8sQFm5g-sTZW6Gp_zV52lEg_46F72mZ/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/08/65.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/08/65.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content