नई सोच त्रिवेणी तुरकर -- रु. 12,000 के 'रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन' में आप भी भाग ले सकते हैं. अथवा पुरस्कार स्वरूप आप अपन...
नई सोच
त्रिवेणी तुरकर
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रु. 12,000 के 'रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन' में आप भी भाग ले सकते हैं. अथवा पुरस्कार स्वरूप आप अपनी किताबें पुरस्कृतों को भेंट दे सकते हैं. अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2012
अधिक जानकारी के लिए यह कड़ी देखें - http://www.rachanakar.org/2012/07/blog-post_07.html
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मां, हमें स्कूल से कल वृद्धाश्रम व परसों अनाथाश्रम में भेंट के लिये जाना है। सभी बच्चों को अपने अपने घरों से उनके काम में आने लायक कुछ वस्तुयें व खाने योग्य पदार्थ भेंट स्वरुप लेकर जाना है। स्कूल से घर आते ही नेहा ने अपनी मां को बताया ।
बस्ता रखकर व हाथ मुंह धेाकर नेहा अपनी दादी के पास जाकर बैठ गई व उन्हें अपने स्कूल की बातें बताने लगी। बातें करते करते उसने दादी से पूछा कि वृद्धाश्रम व अनाथालय क्यों बनाये जाते हैंघ् दादी ने उसे समझाया कि कुछ ऐसे बुजुर्ग जिनकी देख भाल करने वाले कोई नहीं होते या जिनकी देखभाल करने वाले किसी कारण से उनके पास नहीं होते ऐसे लोगों की देखभाल करने के लिये सेवाभावी संस्थायें व सरकार द्वारा वृद्धाश्रम चलाये जाते हैं। यहां इनके निवास ए भोजन व स्वास्थ्य की देख․रेख के साथ ही अन्य सुविधायें भी दी जाती हैं। इसी तरह ऐसे बच्चे जिनके माता पिता जीवित न हों तथा उनका पालन करने वाला कोई न हो उनके लिये अनाथाश्रम की व्यवस्था की जाती है। हम सभी का नैतिक कर्तव्य है कि भरसक इनकी सहायता करें ।
यह सब सुनकर नेहा ने अपनी दादी से कहा आप कितने अच्छे से मुझे बहुत सी बातें समझा देती हैं। मेरी एक सहेली है मीनल उसके घर में सिर्फ मां व पिताजी ही हैं ए उसके दादा दादी बहुत पहले ही स्वर्गवासी हो चुके हैं । जब भी मैं उससे आप लोगों की बारे में बतलाती हूं वह उदास होकर कहती है काश मेरे भी दादा दादी आज जीवित होते तो मेरे बचपन में भी कितना आनंद होता। दादी ने नेहा से कहा कि जब भी तुम्हें छुटटी हो उसे साथ में घर ले आया करो मैं उसकी उदासी दूर करने की कोशिश करुंगी। दादाजी भी उसके साथ गप्पें मारेंगे ।
दूसरे दिन नेहा अपने साथ कुछ किताबें और फल लेकर स्कूल के अन्य बच्चों व अपने शिक्षकों के साथ वृद्धाश्रम में पहुंची। वहां के व्यवस्थापक ने शिक्षकों का स्वागत किया व बच्चों से बातचीत करते हुये जानकारी दी कि इस समय यहां पर 25 महिलायें व 25 पुरुष हैं। ये सभी बुजुर्ग 60 या उससे अधिक उम्र के हैं। कुछ अपना दैनिक कार्य स्वयम कर लेते हैं और कुछ को इन कार्यो के लिये सहायता देनी पडती है। इसके बाद उन्हें वहां के बुजुर्गों से मिलने का अवसर मिला। बच्चों ने सभी को आदर सहित प्रणाम करते हुये किसी को बाबाजी, किसी को नानाजी, किसी को दादाजी, महिलाओं को किसी को दादी, किसी को नानी कहकर बातें की व उन्हें फल भेंट किये। फिर सभी लोग सभागृह में आकर बैठे जहां बच्चों ने कुछ गीत सुनाये । एक दादाजी ने बहुत अच्छी कहानी सुनाई। वहां की महिलाओं ने अच्छे अच्छे भजन गाये। दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। बच्चे वहां से एक नई सोच लेकर लौटे।
दूसरे दिन सभी मिलकर अनाथाश्रम में गये सभी बच्चे अपने साथ कुछ न कुछ भेंट खिलौने पुस्तकें व खाने की वस्तुयें लेकर गये थे। वहां के व्यवस्थापक ने सबका स्वागत किया व उन्हें बच्चों से मिलवाया। वहां अलग अलग उम्र के बच्चे थे। इन सब से मिलकर व भेंट पाकर वे बहुत खुश हुये। एक बच्चा वहां के बाग से फूल लेकर आया व सभी शिक्षकों व बच्चों को फूल देकर धन्यवाद दिया। वहां के व्यवस्थापक ने बतलाया कि यहां स्कूल जाने वाली उम्र के सभी बच्चों को पढ़ने के लिये भेजा जाता है। इन्हें कुछ काम भी सिखाये जाते हैं जिससे ये आत्मनिर्भर बन सकें। यहां के कुछ बच्चे बड़े होकर नौकरी या कामधंधे में लग गये हैं व अब यथाशक्ति इस संस्था की मदद करते रहते हैं। कुछ अपना पूरा समय इन बच्चों की सहायता करने में लगाते हैं। सारा दिन बच्चों के आपसी मेलजोल में कब बीत गया पता ही नहीं चला। फिर बार बार मिलने का वादा कर सभी वापस लौट आये। इन दो दिनों में बच्चों ने बहुत कुछ जाना। वे आपस में इनके ही बारे में बातें कर रहे थे।
घर लौटते समय नेहा के मन में कुछ विचार उठ रहे थे। रात्रि के भोजन के समय घर के सभी सदस्यों के सामने नेहा ने अपने मन की बात रखी। क्या वृद्धाश्रम व अनाथालय एक ही जगह पर नहीं बनाये जा सकते इससे बच्चे और बुजुर्ग एक दूसरे के पास आयेंगे जिससे वे खुश रहेंगे और एक दूसरे को सहारा भी दे सकेंगे। यह सुनकर नेहा के दादाजी ने कहा अरे वाह! नेहा तुमने तो बहुत ही अच्छी बात सोची है। मेरे कुछ मित्र अपने धन व समय का सदुपयोग करना चाहते हैं। हम सब मिलकर इस पर विचार करेंगे।
इसके कुछ दिनों बाद ही नेहा का जन्मदिन आया। घर पर नेहा के मित्रों के साथ ही दादाजी के भी कुछ मित्र आये हुये थे। नेहा को जन्म दिन की बधाई देते हुये उनमें से एक सज्ज्न ने कहा हम सब नेहा के लिये एक खुश खबर लेकर आये हैं। एक समाज सेवी संस्था बच्चों व बुजुर्गों को एक साथ रखने व उनकी उचित देखभाल करने के लिये जल्द ही काम की शुरुवात करने वाली है। इसके लिये जमीन भी दान में मिल गई है। यह सुनकर नेहा ने कहा आप लोगों ने मुझे जन्मदिन का अमूल्य उपहार दिया है। मैं और मेरे दोस्त भी इस काम में अपना सहयोग देंगे ।
त्रिवेणी तुरकर
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