कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन - 17 - गोवर्धन यादव की कहानी - खुशियों के झरने

SHARE:

खुशियों के झरने स्थूल रुप से तो वे बस में बैठे थे ,लेकिन मानसिक रुप से वे अपने अतीत की चट्टानी गुफ़ा में यहां-वहां भटकते हुए लहूलुहान हुए जा...

खुशियों के झरने

स्थूल रुप से तो वे बस में बैठे थे ,लेकिन मानसिक रुप से वे अपने अतीत की चट्टानी गुफ़ा में यहां-वहां भटकते हुए लहूलुहान हुए जा रहे थे.

अभी परसों की ही तो बात है. सुबह की कुनकुनी धूप में बैठे वे अखबार पढ़ रहे थे. तभी उन्हें वरवरराव आता दिखाई दिया. वरवरराव उनके गहरे मित्रों में से हैं. उसे आता देख वे अनुमान लगाने लगे थे कि निश्चित ही वह कोई खुशखबरी लेकर आ रहा होगा. उन्होंने तपाक से हाथ मिलाया और पास पड़ी कुर्सी पर बैठने को कहा. बैठ चुकने के बाद उसने अपनी जेब से एक पता लिखा पर्चा बढ़ाते हुए कहा:-मैं कल ही चन्द्रपुर से लौटकर आया हूँ. मैंने बेटी अनुराधा के लिए एक अच्छे वर को खोज निकाला है. घर पर बेटा और उसकी माँ मिले थे. पिता शायद कहीं बाहर गए हुए थे. बातों ही बातों मे पता चला कि उन्हें एक सुशील और सुन्दर बहू की तलाश है. मैंने बिटिया के रंगरुप से लेकर, उसके एजुकेशन तक की जानकारी उन्हें दे दी है. तुम ऐसा करो, आज ही निकल जाओ.. भगवान दत्तात्रेय की कृपा रही तो यह शुभ कार्य सम्पन्न होने में देर नहीं लगेगी..हां जाते समय बच्ची का बायोडाटा और फ़ोटो ले जाना न भूलना”. उन्होंने अपने मित्र को गले से लगाते हुए कहा:- दोस्त हो तो तुम्हारे जैसा. कितना ध्यान रखते तो तुम मेरा और मेरे परिवार का.” कहते हुए उनकी आंखें भर आयीं थीं. बस से उतरकर उन्होंने आटो वाले से लिखित पते पर चलने को कहा. मकान नम्बर आदि चेक करने के बाद उन्होंने कालबेल बजायी. थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला. एक भद्र महिला दरवाजे पर नमूदार हुईं. अपना और अपने मित्र का परिचय देते हुए उन्होंने अपने आने का कारण कह सुनाया .उस महिला ने उन्हें अन्दर आने और ड्राईंग रुप में बैठने को कहा और खुद भी पास ही सोफ़े पर बैठते हुए अपनी नौकरानी को चाय-पानी लेकर आने को कहा. सारी औपचारिकताओं के बाद उन्होंने अपनी जेब से बच्ची की फ़ोटो तथा बायोडाटा बढ़ा दिया. उसने बडी बेसब्री से लिफ़ाफ़ा खोला और फ़ोटो देखते ही कहा:-’ मैं कब से इतनी सुन्दर बहू की तलाश में थी. फ़िर यूनिवर्सिटी के सर्टिफ़िकेट्स देखते हुए बोली:- अरे ! इसने तो सारी परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में पास की है. खैर, हमें कोई नौकरी-वौकरी थोड़ी करानी है इससे. उसे तो हम राजरानी की तरह रखेंगे अपने पास.” लड़के की माँ के मुँह से बातें सुनने के साथ ही उनके शरीर में रोमांच हो आया था.

अपना मनोरथ पूरा होता देख उन्होंने पूछा:-“भाई साहब दिखलाई नहीं दे रहे हैं,यदि उनकी भी इस रिश्ते पर स्वीकृति की मुहर लग जाती तो कितना अच्छा होता.” “ हां-हां क्यों नहीं, आप आराम से बैठिए. मैं उन्हें भिजवाती हूँ और आपके लिए कुछ गरमा-गरम नाश्ता बनवाती हूँ” कहते हुए वे अपनी सीट से उठ खड़ी हुई थीं. थोड़ी देर बाद एक व्यक्ति को अपनी तरफ़ आता देख उन्होंने अनुमान लगाया था कि ये ही लड़के के पिता होंगे. देखते ही वे अपनी जगह से उठ खड़े हुए और अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए अभिवादन करने लगे थे. सारी औपचारिकता और यहां-वहां की बातों को परे रखते हुए उन्होंने मुख्य बात पर केंद्रित होते हुए अपने आने का उद्देश्य कह सुनाया. देर तक चुप्पी साधे रहने के बाद लड़के के पिता ने कहा:-जोशीजी, जब हमारी पत्नी को बच्ची पसंद आ गई है तो फ़िर हमें किस बात पर ऐतराज हो सकता है. लेकिन मेरी सोच उससे एकदम उलट है. जब तक दोनों की कुण्डली नहीं मिलती, तब तक कुछ भी सोचना व्यर्थ है. आप कुण्डली छोड़ जाइए. मिलान के बाद ही कुछ हो सकता है”.

जोशीजी ने दुनिया देखी थी. वे समझ गए. समझने में देर भी नहीं लगी कि सामने वाला व्यक्ति कुछ ज्यादा ही घाघ किस्म का है. दान-दहेज की बात सीधी-सीधी न करते हुए वह कुण्डली को लेकर टरकाना चाहता है. उन्होंने सधी चाल चलते हुए कहा:-श्रीमान, मेरे मित्र ने यहां से जाने के पूर्व बच्चे की कुण्डली की एक कापी ले लिया था. और घर से चलते समय मैंने दोनों की कुण्डलियों की मिलान एक योग्य पंडितजी से करा ली थी. राम-सीता की कुण्डलियों की तरह दोनों की कुण्डली मिलती है. दरअसल मेरी और आपकी कुण्डली मिलना जरुरी है. यदि यह मिल जाय तो बात आगे बढ़ सकती है.”

---------------------------------------------------------------------------------------

रु. 12,000 के 'रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन' में आप भी भाग ले सकते हैं.  अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2012

अधिक जानकारी के लिए यह कड़ी देखें - http://www.rachanakar.org/2012/07/blog-post_07.html

---------------------------------------------------------------------------------------

अब लड़के के पिता की बारी थी. पत्ते उन्हीं को खोलना था. बात किसी और बहाने टाली भी नहीं जा सकती थी. कुछ देर चुप्पी साधे रहने के बाद उसने कहा:-“ आप समझ सकते हैं कि आजकल पढ़ाई-लिखाई कितनी महंगी हो गई है. उसे पढ़ाने-लिखाने में लाखों की दौलत खर्च हुई है. आप यह न समझें कि मैं अपने लिए कुछ मांग रहा हूँ. आप जो भी देंगे, वह अपने होने वाले दामाद को ही तो देगें. मैं चाहता हूँ कि उसके स्टेटस के अनुसार उसे एक फ़ोरव्हीलर, कम से कम पांच तोले की चेन, इतना तो कम से कम चाहिए ही. आप अपनी बच्ची को पच्चीस-पचास तोले सोने और चांदी के जेवरात तो देंगे ही. दहेज में और क्या-क्या देना है, इसकी लिस्ट मैं आपको दिए देता हूँ, उसके अनुसार ब्रांडेड कंपनी का सामान खरीदना होगा. हां, एक बात बतलाना तो मैं भूल ही रहा था. हम बारात लेकर आपके यहां नहीं आ सकते. आपको यहां आना होगा और मण्डप का सारा खर्च भी आपको उठाना होगा”

बातें सुनते हुए जोशीजी के तन-बदन में आग सी लगने लगी थी. शरीर में खून खौलने लगा था. सांसें अनियंत्रित होने लगी थीं. माथे पर त्यौंरियां चढ़ आयी थी. अन्दर क्रोध की ज्वाला विकराल रुप लेकर भड़कने लगी थी. लगभग गरजते हुए उन्होंने कहा:-“भाईजी....शादी की बात को लेकर मुझे कुछ लोगों से मिलने का मौका मिला है, लेकिन मैंने तुमसे बड़ा भिखारी नहीं देखा. तुम लड़के की शादी कर रहे हो कि उसकी बोली लगा रहे हो? बोलो..कितने में बेचोगे अपने लड़के को? मैं खरीददार हूँ. एक लड़का, क्या पैदाकर लिया, कि तुम्हारे सामने हम लड़की वालों की कोई बिसात ही नहीं.! तुम्हारे यहां विवाह योग्य पुत्री होती, तब तुम्हें पता चल जाता कि एक बाप को कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं.? मुझे तुम जैसे भिखमंगों के यहाँ अपना रिश्ता नहीं जोड़ना है.”. कहते हुए जोशीजी का पूरा शरीर कांपने सा लगा था. वे अपनी सीट पर से उठ खड़े हुए और बाहर निकल आए थे.

बाहर आकर उन्होंने कब रिक्शा लिया, कब उसमें बैठ गए और कब अपने घर की ओर रवाना हो गए, उन्हें याद नहीं पड़ता. क्रोध अब तक उन पर तारी था.

बस की सीट पर बैठे वे अन्दर ही अन्दर लहूलुहान हो रहे थे. एक विचार तिरोहित होता, तो दूसरा सवार हो जाता. अब उन्हें अपने आप पर भी क्रोध आने लगा था. क्रोध इस बात पर आने लगा था कि वे एक ऐसे कार्यालय में सुपरवाइजर हैं, जहाँ से अरबों-खरबों की योजनाएं रोज बनती है, भ्रष्टाचार की गंगा जहां प्रतिदिन बहती है. बस चुल्लू भर पानी पीने के लिए हाथ बढ़ाने भर की देरी थी. फ़िर भला रोका भी किसने था? बैठे-बिठाए लाखों कमाए जा सकते थे. पर वे तो बने रहे सिद्धांतवादी. क्या मिला उन्हें सिद्धांतवादी बन कर? पास में फ़ोरव्हीलर क्या, टूटी-फ़ूटी बाइक भी नहीं है. बैंक बैलेंस तो है ही नहीं. और न ही रहने को आलीशान कोठी है. बस बाप-दादाओं के हाथ का बना मकान है, जिसमें वे अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. अब पछताने से क्या फ़ायदा. सिद्धांत-विद्धांत को ताक में रखकर, लूट में शामिल हो जाता तो शायद ये दिन न देखने पड़ते. तरह-तरह के विचार आकर उन्हें उद्वेलित कर जाते. वे कुछ और सोच पाते, तभी उन्हें अपनी प्यारी बिटिया अनुराधा की याद हो आयी. कितनी सुशील, कितनी विनयशील और संस्कारों से ओतप्रोत है. देखने-दिखाने में किसी अप्सरा के कम नहीं लगती. पढ़ने-लिखने में एकदम होशियार. वर्तमान समय में वह उत्कृष्ट विद्यालय में व्याख्याता के पद पर काम भी कर रही है. बावजूद इसके उसने अपनी ओर से कभी कोई ऐसी डिमांड नहीं रखी, जिसे मैं पूरा न कर पाऊँ. पता नहीं बिचारी के भाग्य में क्या लिखा-बदा है? सारे गुणों की खान होने के बावजूद भी उसकी शादी अब तक जुड़ नहीं पाई है.

उन्हें याद आया. पहली बार एक रिश्ता आया था. लड़का पढ़ा-लिखा किसी सर्विस में था. देखते ही हम सबने उसे पसंद भी कर लिया था. लेकिन उसकी शर्त थी. उसे एक ऐसी लड़की चाहिए जिसने संगीत में एम.ए. किया हो. अब बताइए, आप अपनी बच्चियों को आखिर कितनी चीजों में पारंगत करवा सकते है? बात आयी गई हो गई. एक रिश्ता और आया था. लड़का देखने में मजनूं टाइप का दिखलाई पड़ता था. साथ में उसकी मां भी थी. उसने जो मेकअप किया था, वह इतना भड़कीला और फ़ूहड किस्म का था कि देखने वाला खुद ही अपनी गर्दन नीची कर लेगा, वह अपने आपको अति आधुनिक किस्म और सोच का बतला रही थी. लड़के की मां का कहना था कि लड़की को लड़के के साथ डेटिंग पर जाना होगा. साथ में रहेंगे-घूमेंगे-फ़िरेंगे, एक दूसरे के विचारों में समानताएं खोजेंगे, उसके बाद हम तय करेंगे कि शादी की जाए अथवा नहीं. उसकी यह मांग हम किसी को भी मंजूर नहीं थी .आनन-फ़ानन में एक बहाना गढ़ा गया और हमने उसे मना कर दिया. उनकी पत्नी सुलभा का मत था कि लड़के की जानकारी मिलने के तुरन्त बाद हमको उसके घर जाकर जांच-पडताल करनी चाहिए. यदि सब ठीक-ठाक रहा तो बात को आगे बढ़ाना चाहिए. इसी बात को मद्देनजर रखते हुए वे चन्द्रपुर आए थे. वरवरराव भी अपनी जगह एकदम ठीक थे. उन्हें जैसे ही पता चला, उन्होंने हमें तुरन्त आकर बतलाया भी. यदि उस समय लड़के की मां के साथ ही उसके पिता भी मिल गए होते, तो मामला समझ मे तुरन्त ही आ जाता. वह हर मामले में मुझसे ज्यादा होशियार है. बाल की खाल निकालना उसे आता है. पेट की बात उगलवाने में वह सिद्धहस्त है. अब जो होना था, वह हो गया. इसमें किसी का दोष नहीं है. वे अभी भी अपने अतीत की कन्दराओं में भटक रहे थे. उन्हें पता ही नहीं चल पाया कि बस शहर में प्रवेश करते हुए बस-स्थानक पर आकर खड़ी हो गयी है. वे और न जाने कितनी देर बैठे रहते ,यदि बस कण्डक्टर उनसे उतरने को न कहता.

बस से उतरकर उन्होंने रिक्शा लिया और अपने घर की ओर रवाना हो गए. मन पर अब भी भारी चट्टानों का बोझ लदा हुआ था और सिर भिन्ना रहा था.

तरह-तरह के विचार अब भी मन में उमड़-घुमड़ रहे थे. घर की देहलीज पर रिक्शा कब आकर रुक गया था, उन्हें पता ही नहीं चल पाया. दरवाजा बंद था और घर के अन्दर से ठहाकों के मिश्रित स्वर बाहर आ रहे थे. वे ठिठककर खडे हो गए थे. उन स्वरों में उनकी पत्नी सुलभा का भी स्वर था. वे उसकी हंसी को, एक लम्बे अरसे के बाद सुन पा रहे थे. “निश्चित ही कोई अनोखी बात होगी, तभी तो इतने सारे स्वर एक साथ सुनाई दे रहे है.”

अधीर होकर उन्होंने दरवाजे पर दस्तक दी. दरवाजा खोलने वाला और कोई नहीं, बल्कि उनकी पत्नी ही थी. उन्हें आया देख उसने बड़े ही मनोहारी ढंग से हंसते हुए कहा:-“ आओ..जोशीजी आओ.” जोशीजी समझ नहीं पा रहे थे कि आज उसने पहली बार इस तरह से उन्हें सम्बोधित किया है, वरना वह तो एजी, ओजी आदि कहा करती थी. निश्चित ही कुछ बड़ी अनहोनी हुई है, तभी तो यह बदलाव देखने को मिल रहा है. माजरा क्या है, यह अब तक समझ में नहीं आया था. जैसे ही उन्होंने अपने कदम आगे बढ़ाए ही थे कि सुलभा ने इनके मुँह में बर्फ़ी का टुकड़ा डालते हुए कहा:-“बधाई हो जोशीजी...बधाई”

वे कुछ बोल पाते इसके पूर्व, एक अजनबी युवक और अनुराधा ने आगे बढ़कर उनके चरण-स्पर्श किए. जोशीजी ने सहजरुप से आशीर्वाद देने के लिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिए थे. मन में अब तक खलबली मची हुई थी वे जानना चाहते थे कि ये सब क्या और क्यों हो रहा है.

अपने पिता से आशीष लेने के पश्चात अनुराधा ने लगभग सकुचाते हुए धीरे से कहा” बाबा ,मैंने अपने सहकर्मी राजेश के साथ गंधर्व विवाह करने का फ़ैसला कर लिया है और बस आपकी सहमति हमें चाहिए.”

अंधा क्या चाहे, दो आँख. जोशीजी को और चाहिए भी क्या था.? जिस काम के लिए वे यहाँ-वहाँ भटकते रहे थे, उनकी बेटी ने उनका सारा बोझ एकदम हल्का कर दिया था. दोनों को गले लगाते हुए उन्हें महसूस हो रहा था कि अन्दर खुशियों के अनेक झरने फ़ूटकर बह निकले हैं और वे उसमें सराबोर हो रहे हैं.

--

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. Kash har ladki ko aisa hi var mile,ladke ladkiyan aaj jagrat ho jayen to in dahej ke loloop bhediyon ko sabak mil jaye,
    ACHHI KAHANI

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन - 17 - गोवर्धन यादव की कहानी - खुशियों के झरने
कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन - 17 - गोवर्धन यादव की कहानी - खुशियों के झरने
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLaaeoTdLgTI56tMcRRY-vSta0xZwO1jpwjNEc78iAPFdQBKzOOl8V6tfyTyktXKfAbzQjJL5ey-eeXgCw7Fbc9aNY-udipN6v99JmRt9s4FT4EvpZzEsiHhRGo6KClyJXa0l4/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLaaeoTdLgTI56tMcRRY-vSta0xZwO1jpwjNEc78iAPFdQBKzOOl8V6tfyTyktXKfAbzQjJL5ey-eeXgCw7Fbc9aNY-udipN6v99JmRt9s4FT4EvpZzEsiHhRGo6KClyJXa0l4/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/08/17.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/08/17.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content