फ्लैनरी ऑक्नर की कहानी : भला आदमी मुश्किल से मिला है

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फ्‍लैनरी ऑक्‍नरः जन्‍म : 1925 में सवान्‍ना , जार्जिया में। लेखिका का पहला उपन्‍यास ‘ वाइज ब्‍लड ' 1952 में प्रकाशित हुआ। ‘ ए गुड मै...

फ्‍लैनरी ऑक्‍नरः

जन्‍म : 1925 में सवान्‍ना, जार्जिया में। लेखिका का पहला उपन्‍यासवाइज ब्‍लड' 1952 में प्रकाशित हुआ। ए गुड मैन इज़ हार्ड टू फाइन्‍ड' 1955 तथादि वायलेंट बीयर इट अवे' 1960 में प्रकाशित। दि कम्‍प्‍लीट स्‍टोरीज' को 1972 में नेशनल बुक एवार्ड दिया गया। 1964 में मृत्‍यु ।

फ्‍लैनरी ऑक्‍नर

भला आदमी मुश्‍किल से मिला है

अंग्रेजी से अनुवाद : मंज़ूर एहतेशाम

दादी फ्‍लोरीडा नहीं जाना चाहती थी। वह पूर्वी टेनैसी में अपने कुछ रिश्‍तेदारों से मिलना चाहती थी और हर तरह से बैली के निर्णय को बदलने का जतन कर रही थी। बैली उसका इकलौता बेटा था जिसके साथ वह रहती थी। वह मेज़ के पास कुर्सी पर बैठा ‘जॅर्नेल' पत्रिका के खेल सम्‍बन्‍धी पन्‍ने पलट रहा था। ‘देखो बैली', वह बोली ‘यह देखो और पढ़ो' और वह अपने निर्बल कूल्‍हों पर एक हाथ रखते हुए खड़ी हो गई और अख़बार के पन्‍ने उसके गंजे सिर पर खड़खड़ाकर फैला दिये- ‘यह कोई बदमाश है जो खुद को मिसफ़िट के नाम से पुकारता है। यह फेडरल पैन के जेल से भाग निकला है और फ्‍लोरीडा पहुंचकर जो उसने इन लोगों का हश्र किया है उसे पढ़ों तुम पढ़ो तो। मैं अपने बच्‍चों को उस जगह हर्गिज़ नहीं ले जा सकती जहां ऐसा मुजरिम खुले-बन्‍दों घूम रहा हो। अगर मैं ऐसा करूँ तो कभी अपनी आत्‍मा को जवाब नहीं दे पाऊँगी।'

जब बैली ने उसकी ओर सिर उठाके देखा तक नहीं तो दादी बच्‍चों की मां की ओर मुड़ी, एक जवान स्‍त्री जिसने पाजामा पहन रखा था जिसका चेहरा किसी बन्‍दगोभी-सा सुथरा और मासूम था और हरे रंग के रूमाल में यूँ लिपटा हुआ था कि दोनों सिरे किसी ख़रगोश के कान जैसे नज़र आते थे। वह सोफ़े़ पर बैठी थी और छोटे बच्‍चे को मर्तबान से निकालकर ख़ूबानी खिला रही थी। ‘बच्‍चे फ्‍लोरीडा पहले भी जा चुके हैं' बूढ़ी महिला ने कहा- ‘तुम्‍हें तब्‍दीली के लिए उन्‍हें कहीं और भी ले जाना चाहिए ताकि वे दुनिया के दूसरे भाग भी देखें और स्‍वभाव से उदार हो सकें। ये लोग कभी पूर्वी टेनैसी नहीं गये।'

बच्‍चों की मां ने जैसे उसकी बात सुनी ही नहीं लेकिन आठ वर्षीय लड़के जॉन वैसली ने जो मोटा था और चश्‍मा लगाता था, कहा - ‘अगर तुम फ्‍लोरीडा नहीं जाना चाहतीं तो घर पर क्‍यों नहीं रुकती,' वह और छोटी लड़की, जून स्‍टार, फर्श पर बैठे कॉमिक्‍स पढ़ रहे थे।

‘वह घर पर नहीं रुकेगी चाहे एक दिन का राजपाट ही क्‍यों न मिल जाए', जून स्‍टार ने अपना ज़र्द सिर उठाये बिना कहा।

‘अच्‍छा और तुम क्‍या कर लोगे अगर इस मिसफ़िट के हाथों पकड़े गए तो?' दादी ने पूछा।

‘मैं उसका मुंह नोच लूँगा', जॉन वैसली ने कहा।

‘दस लाख डॉलर दो तो भी वह घर पर नहीं रुकेगी' जून स्‍टार ने कहा - ‘इस डर से कि कहीं, कुछ मिस न हो जाए। उसे हर उस जगह जाना है जहां हम जायें।'

‘ठीक है लड़की,' दादी ने कहा - ‘मगर यह बात तब याद रखना जब अगली बार तुम्‍हें मुझसे अपने बालों में घूंघर डलवाना हो।'

जून स्‍टार ने कहा - उसके बाल कुदरती घंघराले थे।

अगली सुबह जाने के लिए दादी सबसे पहले कार में तैयार थी। उसके साथ एक बड़ा काला बैग जो देखने में किसी हिपपॉट्‌मस के सिर के समान लगता था, एक कोने में रखा था, और उसके तले में उसने एक डलिया छिपाई हुई थी जिसमें, पिट्टी सिंग, बिल्‍ला था, वह तीन दिन के लिए बिल्‍ले को घर में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्‍योंकि बिल्‍ला उसे याद करता था। यह भी ख़तरा था कि गैस के चूल्‍हों से छेड़खानी में गैस निकल आती और वह घुट के मर जाता। उसका बेटा बैली, किसी ठहरने की जगह पर बिल्‍ले के साथ रुकना बिल्‍कुल पसन्‍द नहीं करता था।

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दादी पिछली सीट पर बीच में बैठी थी, जॉन वैसली उसके एक तरफ़ और जून स्‍टार दूसरी तरफ़। बैली और बच्‍चों की मां और सबसे छोटा बच्‍चा सामने बैठे थे और उन्‍होंने आठ-पैंतालीस पर जब कार का माइलोमीटर 55890 दिखा रहा था एटलांटा छोड़ा था। दादी ने यह इसलिए लिख लिया था कि लौटकर वह कितने मील चले का हिसाब लगाना दिलचस्‍प होगा। शहर की सीमा से निकलने में उन्‍हें बीस मिनिट लगे।

बूढ़ी महिला आराम से पसरकर बैठ गयी थी और सफ़ेद सूती दस्‍ताने उतारकर अपने पर्स के साथ पिछले कांच के सामने शेल्‍फ़ पर रख दिये थे। बच्‍चों की मां अभी भी वही पाजामा पहले थी और उसका सिर हरे रुमाल में लिपटा था, लेकिन दादी के सिर पर गहरा नीला समुद्री मल्‍लाहों का-सा हैट था जिसमें नीले रंग के फूलों का गुच्‍छा लगा था और नीले रंग की ही उसकी पोशाक थी। जिस पर छोटी सफ़ेद बुनकी का छापा था। उसके कॉलर और कफ़ सफ़ेद महीन मलमल के थे जिसमें लेस की गोट लगी थी और गिरेबान में उसने कासनी कपड़े के फूलों का सुगंधित गुच्‍छा सजाया हुआ था। यह इसलिए कि अगर किसी दुर्घटना के बाद कोई उसे मरा हुआ देखे तो फ़ौरन समझ जाए कि वह एक सम्‍मानीय महिला थी।

उसने कहा कि उसे ख्‍याल में ड्राइविंग के लिए यह एक अच्‍छा दिन होने वाला था, न ज्‍यादा गर्म न ठण्‍डा, और उसने बैली को सावधान किया कि गति सीमा पचपन मील फी घण्‍टा थी और यह कि चैक करने वाले दस्‍ते इश्‍तहारों के बड़े बोर्डों और पेड़ों के छोटे झुरमुटों के पीदे छिपकर बैठते हैं और आपको स्‍पीड कम करने का अवसर दियो बिना आपका पीछा करते हैं। उसने फैले दृश्‍य के बारे में कुछ दिलचस्‍प तफ़सील बताईः पथरीला पहाड़, नीला ग्रेनाइट जो कुछ जगहों पर सड़क के दोनों ओर आ जाता था, चमकदार लाल मिट्टी के किनारे जो जहाँ-तहाँ नीलाहट लिये हुए थे, और तरह-तरह की फ़सलें जो हरे रंग की पंक्‍तियों में धरती को सजाये हुए थीं। दरख्‍त रुपहली धूप में पूरी तरह नहाये हुए थे और चमचमा रहे थे। बच्‍चे कॉमिक पत्रिकाएँ पढ़ रहे थे और उनकी मां सो चुकी थी।

‘हमें जॉर्जिया में रुके बिना सपाटे से निकल चलना चाहिए, बिना समय बरबाद किये, ‘जॉन वैसली ने कहा।

‘अगर मैं तुम्‍हारी उम्र की होती', दादी ने कहा, ‘तो अपनी पैदाइश की जगह के बारे में इस तरह से न कहती। टेनैसी में पर्वत हैं और जॉर्जिया में पहाड़।'

‘टेनैसी यूँ ही ऊलजलूल कूड़े का मैदान है', जॉन वैसली ने कहा, ‘और जॉर्जिया भी एक बकवास प्रदेश है।'

‘ठीक कहते हो', जून स्‍टार ने कहा।

‘हमारे ज़माने में, दादी ने अपनी नसों-उभरी पतली उँगलियाँ को मोड़ते हुए कहा, ‘बच्‍चे अपनी पैदाइश की जगह, अपने मां-बाप और सारी चीज़ों के लिए ज्‍यादा सम्‍मानपूर्वक ढंग से बात करते थे। तब लोग सही करते थे। देखो! उस प्‍यारे बच्‍चे को देखो', उसने एक झोपड़ी के बाहर खड़े नीगों बच्‍चे की ओर इशारा करके कहा - “क्‍या यह एक सुन्‍दर तस्‍वीर नहीं?” उसने पूछा और उन सबने मुड़कर कार के पिठले शीशे से उस छोटे नीग्रो लड़के को देखा। उसने हाथ हिलाकर अभिवादन किया।

‘उसने नीचे कुछ पहना नहीं था, ‘जून स्‍टार ने कहा।

‘उसके पास कुछ होगा नहीं', दादी ने समझाया ‘गाँव के काले बच्‍चों के पास हमारी तरह चीजे़ं नहीं होती। अगर मैं उसका चित्र बना सकती तो ज़रूर बनाती', - उसने कहा।

बच्‍चों ने मज़ाकिया ढंग से एक-दूसरे की ओर देखा।

दादी ने छोटे बच्‍चे को गोद में लेने का प्रस्‍ताव रखा और बच्‍चों की मां ने उसे अगली सीट से पीछे दे दिया। दादी ने उसे घुटनों पर बिठाया और उसे उठाला और उन चीजों के बारे में बताने लगी जिनके बीच से वह गुजर रहे थे। उसने अपनी आँखें घुमाई, चेहरा चढ़ाया और अपना झुर्रीदार मुँह उसके चिकने, मासूम चेहरे पर रख दिया। बच्‍चा उसे रह-रहकर एक खोयी मुस्‍कान से देखता रहा। वह एक लम्‍बे रुई के खेत से गुज़रे जिसके बीचो-बीच, बागड़ के अन्‍दर, पांच-छः क़ब्रें थीं, बिल्‍कुल किसी द्वीप की तरह। ‘उस क़ब्रिस्‍तान को देखो' - दादी ने उसकी ओर संकेत करते हुए कहा। ‘यह पहलेे मुर्दों को दफ़न करने की जगह-क़ब्रिस्‍तान था। इसका सम्‍बन्‍ध बागीचे से था।'

‘बाग़ीचा कहां है?' जॉन वैसली ने पूछा।

‘हवा के साथ उड़ गया', दादी ने कहा- ‘हा! हा।'

बच्‍चे जब साथ लायी सारी कॉमिक्‍स पढ़ चुके तो उन्‍होंने लंच निकाल कर खाया। दादी ने अपना खाना खाया और बच्‍चों को डिब्‍बा और पेपर-नैपकिन्‍स खिड़की से फेकने से मना किया। जब करने को और कुछ न बचा तो उन्‍होंने बादल चुनकर, बाक़ी दो से, यह 0अन्‍दाज़ा लगाने का खेल शुरू कर दिया कि वह क्‍या शक्‍ल बना रहा है। जॉन वैसली ने एक गाय की आकृति का सोचा और जून स्‍टार एक गाय की शक्‍ल भांप गई ओर जॉन वैसली ने कहा- ‘नहीं, एक मोटर' और जून स्‍टार ने कहा कि वह बेईमानी कर रहा है, और वह दोनों, दादी के इधर-उधर, एक-दूसरे को मारने की कोशिश करने लगे।

दादी ने कहा- अगर वे शांत रहेंगे तो वह उन्‍हें एक कहानी सुनायेगी। जब उसने कहानी सुनाई तो आंखें मटकाई, सिर हिलाया ओर बहुत नाटकीय मुद्रायें बनायीं। उसने कहा कि जब वह एक लड़की थी तो जास्‍पर, जॉर्जिया, के एक सज्‍जन, मिस्‍टर एडगर एटकिंस टीगार्डन ;ई.ए.टी.द्ध उसे चाहते थे। उसने कहा कि एक सुन्‍दर एवं सज्‍जन व्‍यक्‍ति थे और यह कि हर शनिवार की दोपहर वह उसके लिए एक तरबूज़ लेकर आते थे जिसमें उनके नाम के प्रारंभिक अखर ‘ई.ए.ट' कटे होते थे। तो एक शनिवार को, उसने कहा, मिस्‍टर टीगार्डन तरबूज लाये और घर पर कोई था नहीं और वह उसे घर के सामने की पोर्च पर रखकर अपनी बग्‍घी में जास्‍पर वापस लौट गए, लेकिन उसे वह तरबूज़ कीाी मिला ही नहीं, उसने कहा, क्‍योंकि एक नीग्रो बच्‍चे ने जब उस पर ‘ईएट', ‘ईट' अर्थात ‘खा जाओ' लिखा देखा तो उसने उसे खा लिया। यह कहानी सुनकर जॉन वैसली को बेहद गुदगुदी हुई और उसका खिलखिला-खिलखिला बुरा हाल हो गया, लेकिन जून स्‍टार को कहानी में कोई दम नज़र न आया। उसने कहा- वह ऐसे आदमी से किसी सूरत शादी नहीं कर सकती जो शनिवार को उसके लिए केवल तरबूज़ लेकर आये। दादी ने कहा- अगर वह खुद मिस्‍टर टीगार्डन से शादी कर लेती तो अच्‍छा ही होता क्‍योंकि वह सज्‍जन व्‍यक्‍ति थे और कोकाकोला का स्‍टॉक, जब वह पहले-पहले निकला था, ख़रीद लिया था और वह कछ साल पहले ही मरे थे, एक बहुत अमीर आदमी।

वह ‘द्‌ टॉवर' पर सींक के कबाब के सेंडविचेज के लिए रुक। ‘द टॉवर', आंशिक, एक पेट्रोल का स्‍टेशन और डॉन्‍सिंग हॉल था जो टिमोथी के बाहर ही खुले में था। रेड सैमी वट्‌स नाम का एक मोटा व्‍यक्‍ति उसे चलाता था, और यहां-तहां और सड़कों पर मीलों दूर तक विज्ञापन लगे थे, यह कहते ‘एक बार, रेड सैमी का बाबिक्‍यो। मशहूर रेड सैमी जैसा कोई नहीं। खुशमिज़्‍ााज और सेहतमन्‍द। अनुभवी! रेड सेमी आपका व्‍यक्‍ति है।'

रेड सैमी ‘द टॉवर' के बाहर नंगी ज़मीन पर अपना सिर एक ट्रक के नीचे डाले लेटा था, जबकि एक भूरा बन्‍दर लगभग फुट-भर ऊंचा, एक छोटे चायनाबैरी दरख्‍़त से बंधा बड़बड़ा रहा था। बच्‍चों को कार से उतरकर अपनी ओर दौड़ते देखते ही बन्‍दर दरख्‍त और फिर उसकी सबसे ऊँची शाख़ पर जा बैठा था।

अन्‍दर, ‘द टॉवर' एक लम्‍बा अंधेरा कमरा था जिसके एक किनारे काउण्‍टर था और दूसरे किनारे मेजें और बीच में नाचने की जगह। वह सब एक मेज पर बैठ गए और रेड सैम की पत्‍नी जो एक लम्‍बी, भूरे रंग की स्‍त्री थी जिसके बाल ओर आंखों की रंगत उसकी चमड़ी की रंगत से कम भूरी थी, आकर उनका आर्डर ले गई। बच्‍चों की मां ने एक सिक्‍का मशीन में डाला और, ‘टेनैसी वाल्‍ज' बजने लगा ओर दादी ने कहा- यह धुन सुनकर हमेशा उसका नाचने को मन होता है। उसने बैली ने पूछा, क्‍या वह नाचना चाहेगा, लेकिन वह केवल घूर कर चुप ही रहा। उसके स्‍वभाव में वह चंचलता ओर खुशमिज़ाजी नहीं थी जो उसकी मां में थी ओर यात्रा करते हुए वह नर्वस हो जाता था। दादी की भूरी आँखें बेहद चमकदार थीं। कुर्सी में बैठे-बैठे अपना सिर दायें-बायें हिलाते हुए वह यूँ दिखावा कर रही थी जैसे नाच रही हो। जून स्‍टार ने कहा, कुछ ऐसा बजाओ जिस पर मैं नाच सकूँ, इसलिऐ बच्‍चों की मां ने एक और सिक्‍का डाला और एक तेज़ गति की ध्‍ुान बजने लगी और जूर स्‍टार फ़र्श पर निकलकर नाच के क़दम उठाने और थिरकने लगी।

‘किनती प्‍यारी बच्‍ची है ना?' रेड सैम की पत्‍नी ने काउण्‍टर पर से झुककर कहा- ‘तुम हमारी बेटी बनोगी?'

‘नहीं, बिल्‍कुल नहीं बनूँगी', जून स्‍टार ने कहा- ‘मैं ऐसी उजाड़ जगह में नहीं रह सकती। चाहे कोई बहुत पैसा दे, तो भी!' और वह दौड़कर मेज़ पर लोट गई।

‘कितनी प्‍यारी है ना?' औरत ने दोहराया, सहजता से अपना मुँह फैलाकर।

‘तुम्‍हें शर्म नहीं आती?' दादी ने डांटा।

रेड सैम ने आकर पत्‍नी से कहा कि वह काउण्‍टर पर समय बरबाद करने के बजाय उन लोगों का आर्डर जल्‍दी पूरा करे। उसकी ख़ाकी पतलून उसके कूल्‍हों की हड्डी तक पहुँचती थी और पेट कमीज़ के किसी पोटली की तरह हिलता था। वह पास की टेबिल पर आकर बैठ गया और सिसकी और गुनगुनाहट की मिली-जुली आवाजे़ं निकालीं।

‘आप कुछ नहं कर सकते' उसने कहा- ‘आप कुछ भी नहीं कर सकते', उसने अपने सुर्ख चेहरे का पसीना मैली दस्‍ती से पोंछा- ‘आजकल आप किसी पर भरोसा नहीं कर सकते', उसने कहा- ‘क्‍या मैं ग़लत कह रहा हूँ?

‘लोग सचमुच वैसे नहीं रहे जैसे हुआ करते थे', दादी ने कहा।

‘पिछले हफ्‍ते दो लोग यहाँ आये', रेड सैमी ने कहा, ‘एक क्राइस्‍लर गाड़ी चलाते हुए। एक पुरानी कबाड़ा कार थी, लेकिन ठीक थी और वह लोग भी मुझे ठीक-ठाक लगे। कहने लगे वह मिल पर काम करते हैं, और आपको मालूम है, मैंने उन्‍हें पेट्रोल उधार ले जाने दिया? मैंने ऐसा क्‍यों किया?'

‘क्‍योंकि तुम एक भले आदमी हो', दादी ने फ़ौरन कहा।

‘हाँ, शायद', रेड सैम ने इस तरह कहा जैसे इस जवाब से डर गया हो।

उसकी पत्‍नी आर्डर ले आई, पाँच प्‍लेटें एक साथ बिना ट्रे के, हाथों में दो-दो और एक उसकी बांह पर सभी हुई। ‘ईश्‍वर की इस हरी-भरी दुनिया में कोई एक ऐसा नहीं जिस पर आप भरोसा कर सकें', उसने कहा- ‘और इसमें से मैं किसी का भी नाम नहीं निकाल सकती, कोई - किसी का भी नहीं' उसने रेड सैमी की ओर देखते हुए दोहराया।

‘तुमने उस अपराध, ‘मिसफ्ऱिट' के बारे में भी पढ़ा जो जेल से भाग निकला है? ‘दादी ने पूछा।

‘मुझे जरा भी आश्‍चर्य नहीं होगा अगर वह यहां धावा बोल दे, औरत ने कहा- ‘अगर उसे यहां इस जगह के होने का पता भी चल गया, तो मुझे उसे यहाँ देखकर बिल्‍कुल आश्‍चर्य नहीं होगा। अगर उसने सुन लिया कि दो पैसे भी यहां हैं, तो मुझे यह देखकर आश्‍चर्य हो ही नहीं सकता कि वह...'

‘बहुत हो गया', रेड सैम ने कहा - , ‘जाओ इन लोगों के लिए कोका-कोला लाओ', और औरत बाक़ी आर्डर लाने के लिए चली गई।

‘भला आदमी मुश्‍किल में मिलता हैं' रेड सैमी ने कहा - ‘हर चीज ख्‍वार होती जा रही है। मुझे वे दिन याद हैं जब बिना ताला लगाये घर छोड़ा जा सकता था। अब नहीं।'

वह और दादी अच्‍छे ज़माने की बातें करते रहे। बूढ़ी महिला ने कहा कि उसकी राय में यूरोप पूरी तरह मौजूदा बिगाड़ के लिए दोषी था। उसने कहा कि यूरोप इस तरह व्‍यवहार करता है, जैसे सब पैसों के बने हों और रेड सैम ने कहा, कुछ भी कहना व्‍यर्थ है और वह बिल्‍कुल सही कर रही थी। बच्‍चे दौड़कर बाहर सफेद धूप में चले गये थे। और दरख्‍त की घनी शाखों में बन्‍दर को देखने लगे थे। बन्‍दर अपने शरीर से पिस्‍सू पकड़ने और सावधानी से दांतों के बीच चबाने में व्‍यस्‍त था जैसेवे कोई स्‍वादिष्‍ट चीज़ हों।

गर्म दोपहर में वह लोग फिर रवाना हुए। दादी झपकियाँलेती और रह-रहकर अपने ही ख़र्राटों की आवाज से जागती रही। टूमसबोरो से कुछ पहले वह जाग उठी और एक पुराने बाग़ीचे को याद करने लगी जो उसने अपनी जवानी में एक बार देखा था। उसने कहा, उसघर के सामने छः सफेद खम्‍भे थे, और बलूत के दरख्‍त लगा लम्‍बा रास्‍ता था जो घर तक जाता था, और सामने दो लकड़ी की जाफ़री लगे कुंज थे जहां आप अपने चाहने वाले के साथ बाग में चहलकदमी के बाद बैठ सकते थे। उसने उस सड़क को ठीक से याद किया जो वहां पहुंचने के लिए मुड़ती थी। वह समझती थी कि बैली एक पुराने मकान को देखने के लिए समय बरबाद करना नहीं चाहेगा, लेकिन जितना-जितना वह उस जगह की बात कर रही थी, उतनी ही उसे एक बर फिर से देखने की तमन्‍ना और यह जानने की इच्‍छा कि क्‍या वह जाफ़री लगे कुंज अभी भी वहाँ थें, बढ़ती जा रही थी। ‘उस घर में एक छिपा हुआ तहखाना था', उसने चालाकी से कहा, सच बताने के बजाए यह सोचते हुए कि काश! वह सच बता रही होती- ‘जिसके बारे में कहा जाता था कि उसमें सारे परिवार की दौलत छिपी थी, लेकिन वह किसी को भी मिली नहीं...'

‘हे!' जॉन वैसली ने कहा- ‘चलो हम चलकर देखें। हम ढूँढ लेंगे। हम कोशिश करेंगे तो मिल जाएगी। वहाँ कौन रहता है? किस जगह से मुड़ना होत है? पापा, क्‍या कहम वहं नही चल सकते?'

‘हमने कभी कोई तहख़ाने वाला घर नहीं देखा!' हम ढूँढ लेंगे। हम कोशिश करेंगे तो मिल जाएगी। वहाँ कौन रहता है? किस जगह से मुड़ना होता है? पापा, क्‍या हम वहां नहीं चल सकते?'

‘हमने कभी कोई तहख़ाने वाला घर नहीं देखा!' जून स्‍टार ने चीख कर कहा- ‘हमें तहख़ाने वाले घर देखना चाहिए! पापा, कया हम जाकर तहख़ाने वाला घर नहीं देख सकते!'

यहाँ से ज्‍यादा दूर नहीं, मुझे मालूम है', दादी ने कहा। ‘बीस मिनिट से ज्‍यादा नहीं लगेंगे।'

बैली सीधा आगे देख रहा था। उसका जबड़ा किसी घोड़े की नाल सा भिचा था। ‘नहीं' उसने कहा।

बच्‍चों ने चीख़ना-चिल्‍लाना शुरू कर दिया कि वह तहखाने वाला घर देखना चाहते हैं। जॉन वैसली ने सामने वाली सीट के पीछे ठोकर लगाई और जून स्‍टार अपनी मां के कांधों पर झूल गई और उसके कान में झुँझलाहट के साथ रिरियाते हुए कहा कि उनहें छुट्टियों में भी कभी कुछ मज़ा नहीं कने दिया जाता, कि वह कभी भी वह नहीं कर पाते जो वह करना चाहते हैं। छोटा बच्‍चा चीखने लगा और जॉन वैसली ने सामने वाली सीट की पुश्‍त में इतनी कसकर किक मारी कि उसके बाप को चोट का एहसास अपने गुर्दे में हुआ।

‘ठीक है।' वह चिल्‍लाया और कार को किनारे करके रोक दिया।

‘तुम सब चुप करोगे? क्‍या तुम सब एक सैकिंड को चुप करोगे? अगर चुप नहीं करोगे तो हम कहीं भी नहीं जायेंगे।'

‘इन बच्‍चों के लिए अच्‍छा सबक होगा', दादी बुदबुदायी।

‘ठीक है', बैली ने कहा, ‘लेकिन यह समझ लोः यह आख़री बार हम इस तरह किसी चीज़ के लिए रुक रहे हैं। यह पहली और अन्‍तिम बार है।'

‘वह कच्‍ची सड़क जिस पर मुड़ना है लगभग मील-भर पीछे रह गई', दादी ने निर्देश दिया- ‘हम लोग निकल रहे थे तो मैंने उसे पहचान लिया।'

‘कच्‍ची सड़क,' बैली कराहा।

वापस मुड़कर जब वह उस कच्‍ची सड़क की ओर जा रहे थे, दादी उस घर की ओर बातें याद करती रही, सामने के दरवाजे में जड़ा खूबसूरत शीशा और हॉल के अन्‍दर का सुन्‍दर शमादान। जॉन वैसली ने कहा- तहख़ाना शायद आतिशदान में होगा।

‘तुम इस घर के अन्‍दर नहीं जा सकोगे,' बैली ने कहा, ‘तुम्‍हें नहीं मालूम वहां कौन रहता है।'

‘जब तक आप लोग सामने खड़े होकर बातचीत करोगे, मैं लपक कर पीदे की खिड़की से अन्‍दर चला जाऊँगा' जॉन वैसली ने सुझाया।

‘हम सब कार के अन्‍दर ही रहेंगे', उसकी मां ने कहा।

वे कच्‍ची सड़क पर उतर गये और कार लाल गुबार उड़ाती लहराती आगे बढ़ी। दादी ने याद किया वह ज़माना जब पक्‍की सड़कें नहीं होती थीं और तीस मील की यात्राा पूरे दिन भर की मेहनत होती थी। कच्‍ची सड़क ऊंची-नीची थी, उसमें रह-रहकर कटाव, और खतरनाक पुलियाँ और अंधे मोड़ थे। एकदम वह पहाड़ पर होते, नीचे दरख्‍तों की फुनगियों को दूर-दूर तक फैला हुआ देखते, अगले ही क्षण गाड़ी गहरी घाटी उतर रही होती जिसके किनारे लाल धूल में अटे दरख्‍त उनको तकते खड़े होते।

‘ठीक है।' वह चिल्‍लाया और कार को किनारे करके रोक दिया।

‘तुम सब चुप करोगे? क्‍या तुम सब कए सैकिंड को चुप करोगे? अगर चुप नहीं करोगे तो हम कहीं भी नहीं जायेंगे।'

‘इन बच्‍चों के लिए अच्‍छा सबक होगा,' दादी बुदबुदायी।

‘ठीक है', बैली ने कहा, ‘लेकिन यह समझ लोः यह आख़री बार हम इस तरह किसी चीज़ के लिए रुक रहे हैं। यह पहली और अन्‍तिम बार है।'

‘वह कच्‍ची सड़क जिस पर मुड़ना है लगभग मील भर पीछे रह गई', दादी ने निर्देश दिया- ‘हम लोग निकल रहे थे तो मैंने उसे पहचान लिया।'

‘कच्‍ची सड़क,' बैली कराहा।

वापस मुड़कर जब वह उस कच्‍ची सड़क की ओर जा रहे थे, दादी उस घर की ओर बातें याद करती रही, सामने के दरवाजे में जड़ा खूबसूरत शीशा और हॉल के अन्‍दर का सुन्‍दर शमादान। जॉन वैसली ने कहा- तहख़ाना शायद आतिशदान में होगा।

‘तुम इस घर के अन्‍दर नहीं जा सकोगे,' बैली ने कहा, ‘तुम्‍हें नहीं मालूम वहां कौन रहता है।'

‘जब तक आप लोग सामने खड़े होकर बातचीत करोगे, मैं लपक कर पीछे की खिड़की से अन्‍दर चला जाऊँगा' जॉन वैसली ने सुझाया।

‘हम सब कार के अन्‍दर ही रहेंगे,' उसकी मां ने कहा।

वे कच्‍ची सड़क पर उतर गये और कार लाल गुबार उड़ाती लहराती आगे बढ़ी। दादी ने याद किया वह ज़माना जब पक्‍की सड़कें नहीं होता थीं और तीस मील की यात्रा पूरे दिन भर की मेहनत होती थी। कच्‍ची सड़क ऊंची-नीची थी, उसमें रह-रहकर कटाव और ख़तरनाक पुलियाँ और अंधे मोड़ थे। एकदम वह पहाड़ पर होते, नीचे दरख्‍़तों की फुनगियों को दूर-दूर तक फैला हुआ देखते, अगले ही क्षण गाड़ी गहरी घाटी उतर रही होती जिसके किनारे लाल धूल में अटे दरख्‍त उनको तकते खड़े होते।

‘उस जगह को बस अब आ ही जाना चाहिए', बैली ने कहा- ‘नहीं तो मैं गाड़ी वापस मोड़ने वाला हूँ।'

सड़क देखकर लग रहा था उस पर महीनों से कोई नहीं गया था।

‘अब ज्‍यादा दूर नहीं है' दादी ने कहा और जैसे ही उसने यह कहा एक भयावह ख्‍याल उसके दिमाग में आया। ख्‍याल इतना शर्मिन्‍दा करने वाला था कि उसका चेहरा लाल हो गया और आंखें फैल गयीं औरउसके पैर गये जिससे बगल में रखा उसका बैग उलट-पलट गया। जैसे ही बैग हिला वह समाचार-पत्र जो उसने नीचे डदिया के मुँह पर रखा हुआ था, एक गुर्राहट के साथ ऊपर उठा और पिटी सिंग, बिल्‍ले, ने बैली के काँधे के ऊपर छलांग लगा दी।

बच्‍चे फ़र्श पर फिक गये थे और उनकी मां, सबसे छोटे बच्‍चे को पकड़े दरवाजे के बाहर ज़मीन पर बूढ़ी महिला अगली सीट पर पहुँच गयी थी। कार ने एक कुलाट खाई थी और दाहिने-बाजू-ऊँचे, सड़क के किनारे एक खड्ढे में जा गिरी थी। बैली ड्राईवर की सीट में ही बैठा रहा था और बिल्‍ला उसका चौड़ा चेहरा और नारंगी नाक, सफेद किसी आंख फोड़ टिड्डे की तरह उसकी गर्दन से चिपका रहा था।

जैसे ही बच्‍चों को लगा कि वह अपने हाथ-पाँव चला सकते हैं, वह झपटकर कार के बाहर निकल आये, चिल्‍लाते हुए, ‘हमारा एक्‍सीडेन्‍ट हो गया। ‘कार के डैशबोर्ड के नीचे सिमटी दादी, दिल में दुआ कर रही कि उसे चोट आई हो ताकि बैली के गुस्‍से का उसे फ़ौरन सामना न करना पड़े। वह भयावह ख्‍़याल जो उसे एक्‍सीडेन्‍ट से पहले आया यह था कि वह घर जिसे वह याद कर रही थी जॉर्जिया में नहीं बल्‍कि टेनैसी में था।

बैली ने बिल्‍ले को दोनों हाथों से पकड़कर गर्दन छुड़ाई थी और कार की खिड़की से फेक कर उसे एक चीड़ के दरख्‍त पर दे मारा था। फिर वह कार के बाहर निकलकर बच्‍चों की मां को ढूँढने लगा। वह लाल खड्ड के कोने से टेक लगाये बैठी थी, लेकिन सिर्फ़ उसके चेहरे पर घाव आया था और कंधे में अधिक चोट लगी थी। ‘हमारा एक्‍सीडेन्‍ट हो गया।' बच्‍चे खुशी से दीवाने होकर चिल्‍ला रहे थे।

‘लेकिन कोई मरा नहीं।' दादी को कार से लंगड़ाते हुए बाहर निकलते देखकर जून स्‍टार ने निराशा से कहा। उसका हैट सिर पर ही लगा था, लेकिन सामने की बाढ़ उलट कर सीधी खड़ी हो गयी थी और नीले फूलों का गुच्‍छा बाजू में झूल रहा था। बच्‍चों को छोड़कर एक्‍सीडेंट के झटके से उबरने के लिए सब लोग खड्ड में ही बैठ गए। सब काँप रहे थे।

‘हो सकता है कोई कार गुज़रे' बच्‍चों की मां ने फटी आवाज़ में कहा।

‘लगता है मुझे कहीं चोट आई है' दादी ने अपनी पसलियां दबाते हुऐ कहा, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। बैली की बत्तीसी बज रही थी। उसने पीली स्‍पोर्ट-शर्ट पहन रखी थी जिस पर चटकीने हरे रंग के तोते बने थे और उसका चेहरा भी शर्ट- सा पीला हो रहा था। दादी ने तय किया कि वह, घर, टेनैसी में होने की बात नहीं कहेगी।

सड़क कोई दस फीट ऊपर थी और वह केवल दूसरे किनारे लगे दरख्‍तों की चोटियाँदेख सकते थे। उस खड्ड के पीछे जिसमें वह बैठे लोग उन्‍हें देख रहे हों। दादी खड़े होकर अपने दोनों हाथ नाटकीय ढंग से उनका ध्‍यान खींचने को हिलाने लगी। कार धीमी गति से बढ़ती रही, एक मोड़ पर ओझल हुई और फिर दिखाई दी, धीमी गति से चलती, उसी पहाड़ पर जिस से वह आये थे। वह एक बड़ी काली रंग की टुची हुई अरथी जैसी कार थी। उसमें तीन आदमी थे।

वह ठीक उनके ऊपर आकर रुक गयी, और कुछ मिनिट तक ड्राइवर टकटकी लगाये सधे, भावहीन ढंग से नीचे, जहाँ वे बैठे थे, देखता रहा। वह कुछ बोला नहीं। फिर उसने मुड़कर बाकी दो लोगों से कुछ कहा और वह कार के बाहर आ गए। उनमें एक मोटा लड़का था, काली पतलून और लाल शर्ट पहले जिस पर रूपहले रंग को घोड़ा छपा हुआ था। उसने दायें ओर घूम-फिर कर ताका-झांका और उसका मुंह थोड़ा हँसी से खुल गया। दूसरे ने खाकी पतलून हैट कुछ इस तरह झुका कर लगाया था कि उसका ज्‍यादा चेहरा छिप गया था। वह धीरे-धीरे चलता बायीं और आकर खड़ा हो गया। दोनों में से कोई भी नहीं बोला।

ड्राइवर कार से निकल कर बाजू में खड़ा हो गया था, और नीचे उनकी ओर देख रहा था। वह बाकी दो से उम्र में ज्‍यादा था। उसके बाल सफेद होना शुरू हो गए थे और उसने चांदी के फ्रेम का चश्‍मा लगाया हुआ था जिससे वह कोई बुिद्धजीवी लगता था। उसका लम्‍बा चेहरा झुर्री पड़ा था और उसने कोई कमीज या बनियान नहीं पहनी थी। वह तंग, नीली जींस पहले हुए था और हाथों में एक काला हैट और बन्‍दूक पकड़े हुए था। दोनों लड़कों के पास भी बन्‍दूकें थीं।

‘हमारा एक्‍सीडेंट हो गया!' बच्‍चे चिल्‍लाये।

दादी को अजीब सा लगा जैसे वह उस चश्‍मा लगाये आदमी को पहचानती हो। उसका चेहरा इतना जाना-पहचाना था कि जिन्‍दगी भर वह उसे जानती रही हो, लेकिन वह कौन था, याद नहीं कर पा रही थी। वह कार से चलकर सावधानी से पैर जमाता, खड्ड में उतरने लगा। कत्‍थई और सफेद जूते बिना मोजे के पहने हुए था और टखने उसके लाल और दुबले थे। ‘गुड आफ्‍टरनून' उसने कहा। ‘लगता है आप लोग उलट गए।'

‘हमने दो कुलाटें खायीं।' दादी ने कहा।

‘एक', उसने ठीक किया- ‘हम खुद देख रहे थे। हिराम, देखो इनकी कार चालू है', उसने धीने से खाकी हैट लगाए लड़के से कहा।

‘तुम्‍हारे हाथ में बन्‍दूक क्‍यों है?' जॉन वैसली ने पूछा- ‘इस बन्‍दूक से तुम क्‍या करोगे?'

‘मैडम,' आदमी ने बच्‍चों की माँ से कहा, ‘अपने बच्‍चों को पास बिठाने का कष्‍ट करेंगी। बच्‍चे मुझे नर्वस करते हैं। मैं चाहता हूं तुम सब लोग जहाँ हो वहीं बैठ जाओ।'

‘हम क्‍या करें यह तुम हमें क्‍यों बता रहे हो?' जून स्‍टार ने पूछा।

उनके पीछे दरख्‍तों की कतारें, अंधेरे, खेले मुंह की तरह जबड़े खोले खड़ी थीं।

‘इधर आ जाओ', उनकी माँ ने कहा।

‘देखो बात यह है!' एकदम बैली ने कहा, ‘हम मुश्‍किल में फंस गए हैं। हम...'

दादी ने एक चीख मारी। वह लड़खड़ाती अपने पैरों पर खड़ी होकर घूरने लगी थी ‘तुम मिसाफ़िट हो!' उसने कहा- ‘मैं तुम्‍हें फौरन पहचान गयी थी।'

‘हूँ' आदमी ने इस तरह मुस्‍कुराकर कहा जैसे उसे पहचाने जाने की बहुत खुशी हो, ‘लेकिन तुम सबके लिए बेहतर होता, अगर तुमने मुझे पहचाना न होता।'

बैली ने तेजी से मुड़कर अपनी माँ से ऐसा कुछ कहा कि बच्‍चे भी सहम गए। बूढ़ी महिला रोने लगी और मिसफ़िट का चेहरा लाल हो गया।

‘मैडम' उसने कहा, ‘तुम परेशान मत हो। कभी-कभी इंसान ऐसी बातें कह जाता हैं जो उसका मतलब नहीं होता। मुझे नहीं लगता वह तुमसे यह बातें कहना चाहता था।'

‘तुम एक औरत को तो गोली नहीं मारोगे, नहीं ना?' दादी ने कहा और आस्‍तीन से एक साफ रूमाल निकालकर अपनी आंखें मलने लगी।

मिसफ़िट ने अपने जूते की नोक से ज़मीन में गड्डा किया, फिर उसे ढंक दिया- ‘ऐसा करते मुझे घृणा होगी' उसने कहा।

‘सुनो!' दानी लगभग चीखी, ‘मुझे मालूम है तुम एक भले आदमी हो। तुम्‍हें देखकर ही लगता है कि तुम्‍हारी रगों में साधारण खून नहीं है। मुझे मालूम है तुम्‍हारा सम्‍बन्‍ध अच्‍छे परिवार से है।'

‘जी हाँ' - उसने कहा, ‘दुनिया से सबसे अच्‍छे परिवार से-' मुस्‍कुराने पर उसके मजबूत सफेद दांत दिखाई देते थे- ‘ऊपर वाले ने मेरी मां से बेहतर कोई औरत नहीं बनाई और मेरे बाप का दिल तो सच्‍चा सोना था,' उसने कहा। लाल कमीज वाला लड़का उनके पीछे आकर खड़ा हो गया था और वह बन्‍दूक ताने हुए था। ‘इन बच्‍चों को देखो, बॉबाली', उसने कहा।

‘तुम जानते हो इनसे मैं नर्वस हो जाता हूँ।' उसनं उन छह लोगों को अपने सामने एक-दूसरे से सट कर बैठा ऐसी नजरों से देखा जैसे वह शर्मिन्‍दा हो और कुछ कहने को नहीं सूझ रहा हो- ‘आसमान में बादल तक नहीं- ‘उसने ऊपर देखते हुए टिपप्‍णी की। ‘सूरज नहीं दिख रहा मगर बादल भी नजर नहीं आ रहे।'

‘हाँ, बहुत सुन्‍दर दिन है', दादी ने कहा- ‘सुनो' वह बोली, ‘तुम्‍हें खुद को मिसफ़िट ;अर्थ अनुपयुक्‍तद्ध नहीं कहना चाहिए क्‍योंकि मैं जानती हूं तुम दिल से भले आदमी हो- ‘मैं एक नजर देखकर ही कह सकती हूं।'

‘हुश!', बैली चीखा। ‘हुश! हुश!' सब चुप हो जाओ और मुझे बात करने दो।'द वह ऐसी मुद्रा में बैठा था जो तेज दौड़ शुरू करते समय किसी धावक की होती है लेकिन वह अपनी जगह से हिला नहीं।

‘मैं भी यही कहता हूं, मैडम' मिसफ़िट ने कहते हुए बन्‍दूक के दस्‍ते से ज़मीन पर एक छोटा-सा गोल घेरा खींचा।

‘इस कार को ठीक करने में आधा घंटा लगेगा' हिराम ने गाड़ी के उठे हुए हुड को देखते हुए कहा।

‘ठीक है, लेकिन पहले तुम और बॉबी ली' इसे और उस छोटे बच्‍चे को साथ लेकर वहाँ जाओ', मसफ़िट ने बैली और जान वैसली की तरफ इशारा करते हुए कहा- ‘यह बच्‍चे तुमसे कुछ पूछना चाहते हैं, तुम्‍हें इनके साथ उधर जंगल में जाने में तकलीफ तो नहीं होगी?'

‘सुनो' बैली ने दोबारा काह, ‘हम बड़ी मुश्‍किल में फंस गए हैं। कोई अन्‍दाजा नहीं लगा सकता उसका' कहते हुए उसकी आवाज चटक गई। उसकी आंखें उसकी शर्ट पर बने तोते जैसी ही नीली और चमकदार थी और वह बिना हिले-डुले अपनी जगह बैठा था।

दादी ने हैट का किनारा सीधा करना चाहा जैसे वह भी बैली के साथ जंगल में जा रही हो लेकिन वह टूटकर उसके हाथ में आ गया। वह कुछ देर उसे घुरती खड़ी रही फिर जमीन पर डाल दिया। हिराम ने बैली का कंधा पकड़कर यों झिंझोडा जैसे वह किसी बुढ़े आदमी की मदद कर रहा हो। जॉन वैसली ने अपने बाप का हाथ पकड़ लिया ओर बॉबी ली उनके पीछे हो लिया । वह लोग जंगल की ओर बढ़ गए ओर जेसे ही अंधेरे के करीब आए बैली मुड़ा और एक खाकी, नंगे चनार के तने से टिक कर जोर से चिल्‍लाया, ‘मैं एक मिनिट में आता हूं, माँ, मेरा इंतजार करना।'

‘फौरन आ जाओ!' उसकी माँ चीखी लेकिन वह लोग जंगल में खो गए।

‘बैली बेटे!' दादी ने दर्दनाक आवाज में पुकारा लेकिन फौरन ही उसे अहसास हुआ वह अपने सामने ज़मीन पर बैठै मिसफ़िट को देख रही थी- ‘मैं जानती हूं कि तुम एक भले आदमी हो,' उसने लाचारी से कहा- ‘तुम कोई ऐसे वैसे नहीं हो।'

‘नई, मैं भला आदमी नहीं हूं' मिसफ़िट ने पलभर ठहर कर यों कहा जैसे वह उसकी बात को अच्‍छे से सोच लेना चाहता हो, ‘लेकिन मैं दुनिया का सबसे बुरा आदमी भी नहीं। मेरा बाप कहता था मैं अपने भाई-बहनों से हट कर कुत्तों की एक बिल्‍कुल दूसरी नस्‍ल से हूं। ‘पता है', मेरा बाप कहता था', ‘अगर कुछ लोग जिन्‍दगी के बारे में बिना कोई सवाल किये जाते हैं, और दूसरे अपने सवालों का जवाब चाहते हैं तो लड़का दूसरी तरह के लोगों में से है। यह हर चीज मेंखुद को खपायेगा।' उसने अपना काला हैट लगा दिया और एकदम नजरें उठााकर जंगल की तरफ यूं देखा जैसे वह फिर से शर्मिन्‍दा हो। ‘माफ करना आप महिलाओं के सामने मैं बिना कमीज पहले खड़ा हूँ' उसने हल्‍के से अपने कंधे झुकाते हुए कहा- ‘जेल से भागने के बाद हमने जो कपड़े पहले हुए थे वह तो जमीन में दफन कर दिए और अब जब तक कुछ बेहतर न मिल जाए, यूंही काम चला रहे है। यह भी कुछ लोगों से मांग कर पहले हुए हैं, उसने समझाया।

‘कोई बात नहीं, दादी ने कहा- ‘शायद बैली के पास सूटकेस में एक ज्‍यादा कमीज होगी'।

‘मैं अभी और फौरन देखता हूं, मिसफ़िट ने कहा।

‘वह उसे कहां ले जा रहे हैं?' बच्‍चों की मां ने चीख कर कहा।

‘मेरा बाप खुद बड़ा बदमाश था मिसफ़िट ने कहा। कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था। लेकिन कानून से यह टक्‍कर नहीं लेता था। उससे वैसे ही निवटने का गुन जानता था।'

‘तुम भी अगर चाहो तो ईमानदार हो सकते हो' दादी ने कहा- ‘सोचो कितना सुख होगा घर बसाने, आराम की जिन्‍दगी गुजारने और यह, चिन्‍ता न करने में कि पूरा समय कोई तुम्‍हारा पीछा कर रहा है।'

मिसफ़िट पूरे समय बंदूक के दस्‍ते से ज़मीन खखूरता रहा जैसे वह इसी बारे में सोच रहा हो- ‘हां, कोई न कोई हमेशा पीछे लगा रहता है-' वह बुदबुदाया।

दादी ने देखा कि उसके हैट के नीचे उभरी कंधे की हड्डियाँ बहुत दुबली थीं क्‍योंकि वह खड़ी हुई उसे ऊपर से देख रही थी- ‘तुम दुआ मांगते हो?' उसने पूछा।

उसने अपना सिर हिलाया। वह केवल दोनों कांधों के बीच काले हैट की कुलबुलाहट देख पाई ‘नई' उसने कहा।

जंगल से एक गोली चलने की आवाज आयी, फिर कुछ ठहर कर दूसरी। फिर सन्‍नाटा। बूढ़ी महिला का सिर झटके से घूमा। जंगल के दरख्‍तों में बहती हवा की आवाज ऐसी थी जेसे कोई गहरे अन्‍दर सांस खींच रहा हो। ‘बैली बेटे!' उसने चिल्‍लाकर आवाज दी।

‘कुछ समय के लिए मैंने भजन भी गाये मिसफ़िट ने कहा- ‘सब कुछ ही किया। फौज में नौकरी की, ज़मीन पर भी, समुद्र में भी, अपने देश में और विदेश में, दो बार शादी की, लोगों को दफन करने का काम किया, रेलगाड़ी पर नौकर रहा, जमीन पर हल जोता, समुद्री तूफान में फंसा, एक आदमी को आपनी आंखों के सामने जिन्‍दा जलते देखा', और उसने नज़र उठाकर बच्‍चों की माँ और छोटी बच्‍ची की ओर देखा, जो एक-दूसरे से चिपटी बैठी थी, उनके चेहरे सफेद और आंखें चुंधियाई हुई मैंने एक औरत को कोड़ों से पीटे जाते भी देखा,' उसने कहा।

‘दुआ' दादी शुरू हुई- ‘दुआ, दुआ।'

‘जहां तक याद कर सकता हूं मैं कभी बुरा व्‍यक्‍ति नहीं था,' मिसफ़िट ने ऐसी आवाज में कहा जैसे सपना देख रहा हो, ‘लेकिन बीच में मुझ से कहीं जाने क्‍या गलती हो गई कि मुझे सजा दे दी गई। मुझे जिन्‍दा दफना दिया गया, उसने नजरें उठाकर दादी की ओर तकते हुए, उसकी तबज्‍जोह चाही।

‘तभी तुम्‍हें प्रार्थना शुरू कर देनी चाहिए थी' उसने कहा- ‘तुमने क्‍या किया था जिसके लिए तुम्‍हें पहली बार सजा मिली'?

‘दाहिने मुड़ो, तो एक दीवार, मिसफ़िट ने नजरे उठाकर खुले आसमान की ओर देखते हुए कहा- ‘बायें मुड़ो, तो एक दीवार। ऊपर देखो छत, नीचे देखो फर्श। मैं भूल गया मैडम, मैंने क्‍या किया था और आज तक याद नहीं कर पाया हूं। कभी-कभी लगता है याद आ रहा है लेकिन आता नहीं।'

‘हो सकता है गलती से तुम्‍हारे साथ ऐसा कर दिया गया हो' बूढ़ी महिला ने अनिश्‍चित स्‍वर में कहा था।

‘नई, उसने कहा- ‘वह गलती नहीं थी। उनके पास मेरे बारे में दस्‍तावेज थे।'

तुमने कुछ चुरा लिया होगा, उसने कहा।

मिसफ़िट मजाक उड़ाने के अन्‍दाज से हँसा ‘किसी के पास ऐसा कुछ नहीं था जो मैं लेना चाहता। जहां मुझे सुधारने की मंशा से बन्‍द किया गया था वहां के बडे़ डॉक्‍टर ने बताया कि असल में मैंने अपने बाप की हत्‍या की थी लेकिन मुझे मालूम है वह गलत कह रहा था। मेरा बाप उन्‍नीस कुछ उन्‍नीस की फ्‍लू की दवा में मरा था ओर मेरा उससे कुछ लेना-देना नहीं था। माउन्‍ट होपवैल चर्च के कब्रिस्‍तान में उसे दफनाया गया था, तुम वहां जा सकती हो, जा कर देख सकती हों।'

‘अगर तुम दुआ करो', बूढी महिला ने कहा- ईशू तुम्‍हारी सहायता करेंगे।'

‘ठीक बात है' मिसफ़िट ने कहा।

‘तो फिर तुम प्रार्थना क्‍यों नहीं करते उसने सहसा खुशी से कंपकंपा कर कहा।

‘मैं कोई मदद नहीं चाहता' उसने कहा ‘मेरा गुजारा खुद से भी ठीक-ठीक चल रहा है।'

बॉबी ली और हिराम टहलते हुए जंगल से वापस लौट आये थे। बॉबी के पास एक पीली शर्ट थी जिस पर चमकदार नीले तोते बने हुए थे।

‘बॉबी ली, वह शर्ट मुझे दे दो' मिसफ़िट ने कहा। फैंकी हुई कमीज उसके कंधे पर आकर गिरी और उसने उसे पहल लिया। दादी समझ नहीं पा रही थी कि शर्ट देखकर उसे क्‍या याद आ रहा था। ‘नहीं, मैडम' मिसफ़िट ने कमीज के बटन लगाते हुए कहा, ‘मुझे पता चल गया, बात अपराध की नहीं। आप एक काम कर सकते हैं या अपना दूसरा काम कर सकते है। एक आदमी की हत्‍या कर सकते हैं या उसकी कार का टायर चुरा सकते हैं, क्‍योंकि जल्‍द ही या कुछ समय बाद आप भूल जाएंगे कि आपने क्‍या किया था और सिर्फ उसकी सजा भुगतेंगे।'

बच्‍चों की मां हांफने की आवाजें निकालने लगी थी ज्‍से वह सांस नहीं ले पा रही हो। ‘मैडम,' उसने कहा, ‘क्‍या आप और यह छोटी लड़की टहलते हुए बॉबी ली और हिराम, के साथ वहां अपने पति के पास जाना पसंद करेंगी?'

‘हाँ, धन्‍यवाद,' माँ ने कातर हो कहा। उसका उलटा बाजू असहाय ढंग से लटक रहा था और दूसरे हाथ से उसने छोटी बच्‍ची को उठा रखा था जो सो गयी थीं ‘हिराम, इस महिला की ऊपर चढ़ने में मदद करो,' मिसफ़िट ने उसे खड्ड चढ़ने में लड़खड़ाते हुए देखकर कहा, ‘ और बॉबीली, उस बच्‍ची का हाथ थाम लो'।

‘मैं इसका हाथ नहीं थामूँगी', जून स्‍टार ने कहा, ‘यह बिल्‍कुल सुअर जैसा लगता है।'

मोटा लड़का शरमा कर हँसा और उसका कंधा पकड़ कर उसकी माँ और हिराम के पीछे-पीछे खींचता हुआ जंगल की ओर ले गया।

मिसफ़िट के साथ अकेले, दादी को लगा, उसकी आवाज खो गई है। आसमान में न तो कोई बादल था ना ही सूरज। उसके आसपास जंगल के अलावा कुछ नहीं था। वह उससे कहना चाहती थी कि उसे प्रार्थना करना चाहिए। कई बार उसने मुँह खोला और बन्‍द किया तब कोई आवाज निकल पाई। उसे पता चला वह ‘ईशू-ईशू' कह रही है अर्थात ईशू तुम्‍हारी मदद करेंगे लेकिन जिस ढंग से वह कर रही थी, ऐसी आवाज लग रही थी जैसे कोसना दे रही हो।

‘सच है', मिसफ़िट ने ऐसे कहा जैसे वह सहमत हो, ‘ईशू ने सारी चीज़ों को गड़बड़ कर रख दिया है। उसके साथ भी लगभग वैसा ही हुआ जैसा मेरे साथ हुआ सिवाय इसके कि उसने कोई अपराध नहीं किया था और मेरे बारे में लोग प्रमाणित कर सकते थे कि मैं अपराधी था क्‍योंकि उनके पास मेरे बारे में कुछ दस्‍तावेज थे। बेशक, उसने कहा ‘वह दस्‍तावेज उन्‍होंने मुझे कभी नहीं दिखाये। इसीलिए अब मैं अपने हस्‍ताक्षर सीख और जो कुछ करता हूँ उस पर अपने हस्‍ताक्षर करके अपने पास रख लूँ। तब पता रहेगा कि तुमने क्‍या किया है और तुम अपराध की दण्‍ड से तुलना कर सकोगे और देख सकोगे कि क्‍या दोनों में बराबरी है और आखिर में तुम्‍हारे पास यह प्रमाणित करने का कोई सबूत होगा कि तुम्‍हारे साथ ठीक सलूक नहीं किया गया। मैं खुद को मिसफ़िट कहता हूँ' उसने कहा ‘क्‍योंकि मैंने जो कुछ बुरा किया है उसकी तुलना उस दण्‍ड से नहीं कर सकता जो मुझे मिला है।'

बेधनेवाली चीख जंगल से उभरी थी और उसके बाद ही गोली की आवाज। ‘तुम्‍हें यह सही लगती है मैडम कि किसी को तो कमरतोड़ दण्‍ड दे दिया जाए ओर दूसरे को दण्‍ड दिया ही न जाए?'

‘ईशू' बूढ़ी महिला चीखी ‘तुम्‍हारी रगों में भला खून है। मुझे मालूम है तुम एक औरत की हत्‍या नहीं करोगे। मुझे मालूम है तुम्‍हारा सम्‍बन्‍ध अच्‍छे खानदान से है! सुनो! ईशू की कसम, तुम्‍हें औरत की हत्‍या नहीं करनी चाहिए। मेरे पास जितने पैसे हैं सब ले लो।'

‘मैडम,' मिसफ़िट ने उसके पीछे दूर जंगल में देखते हुए कहा, ‘कोई मुर्दा शरीर अपने दफन करने वाले को बख्‍़शीश नहीं दे सका।'

दो गोलियां और चलने की आवाज आई और दादी ने, बूढ़े प्‍यासे गिद्ध की तरह जो पानी मांग रहा हो, पुकारा ‘बैली बेटे, बैली बेटे।' जैसे उसका दिल टुकड़े-टुकड़े हो रहा हो। ‘ईशू ही इकलौता ऐसा था जो मुर्दों में जान डाल सकता था,' मिसफ़िट ने बात जारी रखी, ‘और उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। उसने सब चीजों का संतुलन ही बिगाड़ दिया। अगर वह करता था जो कहा जाता तो तुम्‍हारे पास इसके सिवा कुछ भी करने को नहीं कि उसके बताये रास्‍ते पर चलो, और अगर वह वैसा नहीं करता था तो तुम इसके सिवा क्‍या कर सकते हो कि यह जो थोड़ी सी मुहलत मिली है इसमें जितना ज्‍यादा हो सके अपना मनोरंजन करो किसी की हत्‍या करके या उसके घर में आग लगा के या कोई और कमीनापन करके। कमीनपन के सिवा कोई मनोरंजन नही', उसने लगभग गुर्राते स्‍वर में कहा था। ‘हो सकता है उसने मुर्दे में जाने नहीं डाली हों बूढ़ी महिला इदस तरह बुदबुदायी जैसे उसे मालूम न हो वह क्‍या कह रही थी और चक्‍कर खाकर खड्डे में अपने कदमों में ही ढेर हो गई। ‘मैं तो वहां था नहीं इसलिए नहीं कह सकता, उसने ऐसा नहीं किया', मिसफ़िट ने कहा - ‘काश कि मैं वहां होता, उसने जमीन पर मुक्‍का मारते हुए कहा। ‘यह ठीक नहीं हुआ कि मैं वहां नहीं था वरना मुझे मालूम होता। सूनो मैडम,' उसने ऊंची आवाज में कहा, ‘अगर में वहां होता तो मुझे मालूम होता और तब मैं वैसा नहीं होता जैया अब हूं।' उसकी आवाज टूटती सी लगी और दादी को अपना दिमाग पल भर को साफ होता हुआ महसूस हुआ। उसे उस व्‍यक्‍ति का तड़पड़ाता चेहरा अपने चेहरे के पास लगा, ऐसे जैसे वह रोने को हो और वह बुदबुदायी, ‘अरे तुम तो बिल्‍कुल मेरे बच्‍चों के समान हो। तुम मेरे अपने बच्‍चों में से एक हो।' उसने हाथ बढ़ा कर उसका कंधा छुआ। मिसफ़िट इस तरह उछल कर पीछे हट गया जैसे उसे सांप ने डस लिया हो और तीन गोलियां उसके छाती में दाग दीं। फिर उसने बन्‍दूक नीचे रख दी और चश्‍मा उतार कर साफ करने लगा।

हिराम और बॉबी ली जंगल से लौटकर खड्ड से नीचे दादी की ओर देखते हुए खड़े हो गए थे जो खून के डबरे में पैर मरोड़े किसी बच्‍चे के समान खुले आसमान की तरफ मुस्‍कराते हुए देख रही थी।

बिना चश्‍मे के मिसफ़िट की आँखें लाल-डोरे पड़ी, पीली और निस्‍सहाय थीं। ‘इसे उठाव और वहीं फैक दो जहां दूसरो को फैंका है' उसने उस बिल्‍ले को उठाते हुए कहा था जो उसके पैरों से लिपट रहा था।

‘बहुत बातूनी औरत थी, थी ना?' बॉबी ली ने गुनगुनाते हुए खड्ड में उतरते हुए कहा।

वह एक अच्‍छी औरत हो सकती थी, मिसफ़िट ने कहा, ‘अगर कोई जिन्‍दगी भर हर मिनिट उसे गोली मारने वाला होता।'

‘मजा आ गया' बॉबी ली ने कहा।

‘चुप रहो, बॉबी ली', मिसफ़िट ने कहा, ‘जिन्‍दगी में कोई असली मजा नहीं है।'

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रचना समय अप्रैल 09 में पूर्व प्रकाशित. अनुमति से पुनर्प्रकाशित.

रचना समय अप्रैल 09

संपादक - हरि भटनागर

सहयोग - बृजनारायण शर्मा

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फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: फ्लैनरी ऑक्नर की कहानी : भला आदमी मुश्किल से मिला है
फ्लैनरी ऑक्नर की कहानी : भला आदमी मुश्किल से मिला है
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