मोतीलाल की दो कविताएँ : मैँ जीना चाहता हूँ एक पूरी जिँदगी एक इन्सान की तरह सारे अँधेरोँ को मिटाते हुए मैँ बोना चाहता हूँ बँजर जमीन मेँ बीज ब...
मोतीलाल की दो कविताएँ :
मैँ जीना चाहता हूँ
एक पूरी जिँदगी
एक इन्सान की तरह
सारे अँधेरोँ को मिटाते हुए
मैँ बोना चाहता हूँ
बँजर जमीन मेँ बीज
बैलोँ की तरह हाँफते
जिँदगी का बोझ ढोते हुए
मैँ सीना चाहता हूँ
एक फटी हुई कमीज
तपती दुपहरिया मेँ
धूलोँ की आँधी से बचते हुए
मैँ सेँकना चाहता हूँ
चुल्हे मेँ बासी रोटी
और बहाना चाहता हूँ
पसीनोँ के काँटे चुभोते हुए
मैँ खोलना चाहता हूँ
सभी संभावनाओँ के द्वार
आईने के किसी भी कोण से
आदमियत की घंटी बजाते हुए ।
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मित्रोँ
काल के इस विकट काल मेँ
बहुत सी चीजेँ
मृत्यु से जितनी बाहर है
उतनी ही अंदर भी है
मित्रोँ
काल से होड़ लेती
मेरी माँ
आज भी मुझे सुलाती है
अपने भूख को अनदेखा कर
पिता की बाट जोहती है
मित्रोँ
समय से लोहा लेता
मेरे पिता
आज भी मुझे दिशा दिखाते है
अपने चप्पलोँ की उपेक्षा कर
घर को घर बनाने मेँ जूटे रहते हैँ
मित्रोँ
काल के आसपास ही
जीवन की कुछ वे अनुभूतियाँ हैँ
जिसे काल ने
कभी भी ग्रसित नहीँ कर सका है
मित्रोँ
काल के इसी आसपास
बची है अब भी संभावनाएँ
काल से होड़ लेती हुई
मित्रोँ
यहीँ हम आस्वस्त हैँ
कि ढेर सारे अंत के बीच
बची हुई हैँ हमारी संवेदनाएँ ।
* मोतीलाल/राउरकेला
* 9931346271
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जसबीर चावला की कविता : जीत -हार
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मध्य रेखा से
स्वयं
ही
पैरों को
उखड़ने दिया तुमने
ताकि
मै जीतूँ
और तुम हारो
मैं
जीत कर भी
हार गया
पर क्या तुम
हार कर भी
जीती ?
वर्तमान पता- स्प्रिंग क्रीक अपार्टमेंट्स
100 , Buckingham Dr .
Santa Clara ,कैलिफोर्निया (U S )
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अखतर अली की कविता : पानी
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युद्ध विशेषज्ञों का मानना है
अगला विश्व युद्ध पानी के लिये
हो सकता है /
युद्ध तय है
वजह तय होना बाकी है /
कोई वजह नही मिली
तो पानी तो है ही /
पानी के लिये होगा रक्तपात
पानी से लगेगी आग /
प्रेम पर पानी फिर जायेगा
पानी पर लकीर खीच दी जायेगी
लकीर बनेगी बहाना ,
फिर होगा आरम्भ खून बहाना
पानी खून की तरह जम जाएगा
खून पानी की तरह बह जायेगा
धरती लहू से सींच दी जायेगी
लाशो की फसल
अच्छी होगी /
किसी की आँखों से पानी टपक रहा होगा
किसी की आँखों का पानी सूख चूका होगा /
पानी के लिए युद्ध देख
पानी भी शर्म से
पानी पानी हो जायेगा /
पानीदार चेहरे गुम जायेगे
सभ्यता पानी में बह जाएगी
बाढ़ भंवर और सुनामी के बाद
विश्व के रंगमंच पर
नये रूप में प्रस्तुत होगा
पानी /
रक्त से बुझेगी
पानी की प्यास /
मस्तिष्क को पानी
कीचड़ कीचड़
कर देगा /
जब पानी के लिये युद्ध होगा
तब पानी चुल्लू भर पानी में डूब मरेगा /
युद्ध के बाद
शांति की अपील करते बच्चे
हाथ में तख्ती लिये
सड़को पर निकलेगे
जिस पर लिखा होगा
जल ही जीवन है /
प्रभु
जिन्हें उम्मीद है
पानी के लिये युद्ध होगा
उनकी उम्मीदों पर
पानी फेर दो |
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अखतर अली
फजली अपार्टमेन्ट
आमानाका
रायपुर ( छत्तीसगढ़ )
मोबाईल - 09826126781
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री की कविता
एक कोशिश करें न करें
हाथ पर हाथ रहें धरे
पैर को न दे चुभन
पसीने से न भीगे दामन
आशा आकाश कुसुम पाने की
ऐश की जिन्दगी गुजारने की
पेट में न पड़े कोई बल
बिना मेहनत के चले हल
क्या किसी को कभी मिला
दूसरों की कोशिश का फल
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मीनाक्षी भालेराव के फ़िल्मी गीत ( आइटम सांग ) :
बंजारन
सीधी सो जा रे बंजारन
तेरा क्या जाये ,
कांचली में तेरी लगे है !
कांच चार .
के मुखड़ा देख लेने दे
तेरा क्या जाए
सीधी-----------------
नयन कटारी तेरी जैसे
मधुशाला के प्याले
मदिरा पी लेने दे
तेरा क्या जाये
सीधी--------------
चाल है तेरी ऐसी
जैसे नागिन सी बल खाए
बाहों में भर लेने दे
तेरा क्या जाये
सीधी------------------
टेलर मास्टर
टेलर मास्टर तू लेले मेरा नाप ,
जवानी मेरी सतरंगी !
३६------२६--------३६ का मेरा हिसाब ,
इंचीटेप का दिखा दे कमाल
सुई धागे का फेंक तू जाल
जवानी मेरी सतरंगी
टेलर-----------------------------------
छूले मुझे रखता क्यों मलाल
बदन मेरा है बेमिसाल
अपने हाथों का दिखा दे कमाल
तो कर दूं मैं तुझे माला मॉल
जवानी मेरी सतरंगी
टेलर--------------------------------------------
सजन
सजन मोहे तू सब रंग लादे
इंद्रधनुष के सातों रंगो से
तू मेरी चुनरी रंगवा दे
सजन..............................
सूरज की अनछुई किरणों से
तू मोहे नहला दे
खिली हुई धूप सा तू मोहे
जगमगा दे
सजन------------------------------
नदियों सी सागर मैं मिल जाऊं
पावन पवित्र मैं हो जाऊं
ऐसा एक आलिंगन दे दे
सजन--------------------------------
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सावन
वो सावन कैसा होता होगा
जिस सावन पिया मिले
वो नयना , कैसे होते होंगे ,
जो पिया की ,राह तकते होंगे !
वो धड़कनें कैसे धड़कती होंगी
जो पिया का नाम जपती ,
वो मुख कैसा होता होगा
जिसे पिया टकटक तकते
सावन सलोने
अब के बरस मोहे पि मिला दे
ओ सावन सलोने
तोरा रगं मैं गोरा कर दूंगी
रे सावन सलोने
अपनी बूंदों की टपटप को तू
सुरों में पिरो दे
मैं सगींत से सजा दूंगी
रे सावन सलोने
इंद्रधनुषी रंगों को मेरे अंगना तू
सजा दे
मैं तोहे सुनहरी तीर बनवा दूंगी
रे सावन सलोने
कर दे मोरी लाल चुनरिया तू
पि को मैं लुभाऊं
तोरा अंगना हरियाली से सजा दूँ
रे सावन सलोने
पिया
मैं बरसूंगी बन के बदरिया
आ पिया आकर
अंग लगा ले
कर दूंगी मैं आंचल की
छाया
आ पिया आकर
मांग सजा दे
अंगना तोरा खुशियों से
भर दूँ
आ पिया आकर
ब्याह रचा ले
Its Excellent collection on different subjects.
जवाब देंहटाएंdhnyvad ji aapki prtikriyaa ke liye
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