कूट संकेतों की दुनिया. आइये, मैं आपको कूट संकेतों की रहस्यमय दुनियां में ले चलूं . एक यन्त्र जिसने लगभग समूची दुनिया में एक- छत्र राज्य कि...
कूट संकेतों की दुनिया.
आइये, मैं आपको कूट संकेतों की रहस्यमय दुनियां में ले चलूं . एक यन्त्र जिसने लगभग समूची दुनिया में एक- छत्र राज्य किया. उस यंत्र से डैश-डाट, डैश-डाट लगातार बजता रहता था ,और उन संकेतों का जानकार, उसे अपनी भाषा में लिपिबद्ध करता चलता था. उस यंत्र का नाम था “मोर्स साउन्डर” और जिससे उसे संचालित किया जाता था, का नाम” मोर्स की” कहलाया. एक समय वह भी था,जब आदमी को अपने दूर-दराज में बैठे किसी व्यक्ति को कोई जरुरी खबर देनी होती थी, तो उसके पास कोई साधन नहीं थे. आम साधारण आदमी बाजार-हाट में, अपने किसी परिचित को पाकर,उसके हाथ मौखिक अथवा लिखित समाचार दे देता था,और कहता था कि अमुक आदमी तक इसे पहुँचा देना. वह यह नहीं जानता था कि वह पत्र उस आदमी तक पहुँचाया गया अथवा नहीं. वह यह भी नहीं जान पाता था कि उसकी बात गुप्त भी रह पाती है,अथवा नहीं. हाँ, राजा-महाराजाओं के समय में उन्होंने अपने तरीके इजाद कर लिए थे और वे कुछ हद तक उसमें सफ़ल भी रहे थे. लेकिन बावजूद इसके उसमें समय ज्यादा नष्ट होता था.
अमेरिका के चार्ल्स टाउन( मेसाच्सेट्स) में 27 अप्रैल 1791 में एक बालक ने जन्म लिया,जिसका नाम सेमुअल एफ़.बी.मोर्स रखा गया. आगे चलकर इसी व्यक्ति ने एकल तार टेलीग्राफ़ी प्रणाली और मोर्स कोड का आविष्कार किया, जो चंद मिनटॊं में समाचार, एक स्थान से दूसरे स्थान को पहुँचा देता था. इसमें सबसे बडी खास बात तो यह होती थी कि, उसे जानकार व्यक्ति के अलावा ,न तो कोई समझ पाता था और न ही कूट संकेतों को अपनी भाषा में लिख ही पाता था. इस तरह उस व्यक्ति ने समूचे संसार में तहलका मचा दिया.
यह बालक जन्मजात चित्रकार था. वह बेहद ही सुन्दर चित्र बनाया करता था. बडा होकर उसने, उस जमाने के सम्राटॊं के पोट्रेट बनाए और बेशुमार धन कमाया.
अपने शहर से दूर , न्युयार्क शहर के वाशिंगटन मे चित्रकारी कर रहा था. उसके पिता जेविडिया मोर्स ने एक घुडसवार के हाथों एक दुखद समाचार भिजवाया कि उसकी पत्नि का निधन हो गया है. अपनी पत्नि के असमय निधन से उसे बेहद दुख हुआ और उसने अपनी चित्रकारी से मोह भंग हो गया. समाचार उसे मिला तो लेकिन तब तक काफ़ी समय बीत चुका था और वह चाहकर भी वहाँ शीघ्रता से पहुँच नहीं सकता था. उसने निर्णय लिया कि वह कोई ऐसा कारगर उपाय खोज निकालेगा,जिससे समाचार तेज गति से एक स्थान से दूसस्रे स्थान को भेजा जा सके.
सन 1832 में जब वह समुद्रीक यात्रा कर रहा था. संयोग से उसकी मुलाकात, बोस्टन के चार्ल्स थामस जैक्सन नामक एक व्यक्ति से हुई,जिसने विद्धुत चुंबक पर अनेकों प्रयोग किए थे. मोर्स ने उसके सिद्धांत पर आधारित एक ऐसे यंत्र को विकसित किया जो एकल-तार टेलीग्राफ़ी की अवधारणा पर आधारित था. जन्मजात बैज्ञानिक न होते हुए भी उसने यह कारनामा कर दिखाया.
टेलीग्राफ़ी के इस प्रयोग में सफ़लता प्राप्त होते ही इसे सरकारी उपक्रम डाकघर से जोड दिया गया जो उस समय तक पूरे देश में सक्रीयता के साथ अपनी सेवाएं दे रहा था. इस तरह एक नया विभाग “ भारतीय पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ़ डिपार्टमेन्ट” अस्तित्व मे आया. देश के सभी जिलों की तहसीलों को उनके जिला मुख्यालय के प्रधान डाकघरॊं के बीच टेलीग्राफ़ लाइने बिछायी गई और उसे प्रदेश के मुख्यालय मे खोले गए केन्द्रीय तार घरों से जोड दिया गया. इस तरह समूचा देश टेलीग्राफ सिस्टम से जुड गया
स्व, राजीव गांधीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश ने आई.टी युग में प्रवेश किया. देखते-ही देखते समूचे देश में कंप्युटर, मोबाईल फ़ोन और टीवी घरों-घर पहुँच गए. पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ दो हिस्सों में बंट गया और वह भारत संचार निगम लिमी. बन,एक स्वतंत्र इकाई के रुप में काम करने लगा.यह घटना २००० की है. विश्व में नयी टेक्नोलाजी के आने के बाद, टेलीग्राफ़ी , जो पूरे विश्व में प्रयोग में लायी जा रही थी , की व्यवस्था समाप्त हो गई . टेलीग्राफ़ के कोड को डिकोड करना आमजन के लिए असंभव था. इसीलिए यह सबसे विश्वसनीय बना रहा. टेलीग्राफ़ की भाषा को सीखने के लिए कठिन परिश्रम और प्रशिक्षण की जरुरत होती है. डाक विभाग में कार्य करते हुए मैंने अंग्रेजी तथा हिन्दी में तार भेजने की दक्षता हासिल की थी. अब भी मुझे वे संकेत याद हैं,जिनका उल्लेख यहाँ कर रहा हूँ.हालांकि आज यह किसी काम के नहीं है,लेकिन इसका अपना इतिहास है और आज वह स्वयं एक इतिहास का विषय बन कर रह गया है,अतः इसका मूल्य और भी बढ जाता है.
किसी भी शब्द के लिए टेलीग्राफ़िक कोड चार अथवा उससे कम की संख्यां में बनाए गए, तथा अंकों को पांच की संख्या में, इस तरह अंग्रेजी भाषा के प्रत्येक शब्द के लिए प्रथक-प्रथक कोड बने,जो किसी अन्य से मेल नहीं खाते थे. कुछ अलग से संकेत देने पर, अंग्रेजी भाषा का वह शब्द ,हिन्दी में लिखा जाता था
A . - B - . . . C - . - . D - . . E .
F . . - . G - - . H . . . . I . . J . - - -
K - . - L . - . . M - - N - . O - - -
P . - - . Q - - . - R . - . S . . . T -
U . . - V. . . - W . - - X - . . - Y - . - - Z - - . .
अंकों के लिए पांच चिन्हों का प्रयोग किया जाता है. जैसे
1 . . . . - 2 . . . - - 3 . . - - - 4 . - - - - 5 . . . . . 6 - . . . . 7 - - . . . 8 - - - . . 9 - - - - . 10 - - - - -
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103 कावेरी नगर ,छिन्दवाडा,म.प्र. ४८०००१
07162-246651,9424356400
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