मोनिका का आलेख - बाल अपराध बिगडता बचपन भटकता राष्ट्र

SHARE:

मोनिका अनुसन्‍धान कर्ता वनस्‍थली विधापीठ (राजस्‍थान) कौन होते हैं बाल - अपराधी भारतीय कानून के अनुसार, सोलह वर्ष की आयु तक के बच्चे अग...

clip_image002[4]

मोनिका

अनुसन्‍धान कर्ता

वनस्‍थली विधापीठ (राजस्‍थान)

कौन होते हैं बाल-अपराधी

भारतीय कानून के अनुसार, सोलह वर्ष की आयु तक के बच्चे अगर कोई ऐसा कृत्य करें जो समाज या कानून की नजर में अपराध है तो ऐसे अपराधियों को बाल․अपराधी की श्रेणी में रखा जाता है। किशोरावस्था में व्यक्तित्व के निर्माण तथा व्यवहार के निर्धारण में वातावरण का बहुत हाथ होता है। हमारा कानून भी यह स्वीकार करता है कि किशोरों द्वारा किए गए अनुचित व्यवहार के लिये किशोर बालक स्वयं नहीं बल्कि उसकी परिस्थितियां उत्तरदायी होती हैं, इसी वजह से भारत समेत अनेक देशों में किशोर अपराधों के लिए अलग कानून और न्यायालय और न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है। उनके न्यायाधीश और संबंधित वकील बालमनोविज्ञान के अच्छे जानकार होते हैं। किशोर․अपराधियों को दंड नहीं, बल्कि उनकी केस हिस्ट्री को जानने और उनके वातावरण का अध्ययन करने के बाद उन्हें ष्‍सुधार गृहष्‍ में रखा जाता है जहां उनकी दूषित हो चुकी मानसिकता को सुधारने का प्रयत्न किए जाने के साथ उनके साथ उनके भीतर उपज रही नकारात्मक भावनाओं को भी समाप्त करने की कोशिश की जाती है। ऐसे बच्चों के साथ घृणित बर्ताव ना अपना कर उनके प्रति सहानुभूति, प्रेमपूर्ण व्यवहार किया जाता है।

सामान्‍य रुप से देखें तो शहर के विद्यार्थियों से केवल जंगलों के बीच में बसे हुए गॉव के विद्यार्थियों में उद्दंडता, उच्छृंखलता और अनुशासनहीनता आज सामान्‍य हो गयी हैं। भावी पीढ़ी के इन कर्णधारों के चरित्र की झॉकी ले तो छुटपन से ही अश्‍लीलताओं, वासनाओं, दुर्व्‍यसनों की र्दुगन्‍ध उड़ती दिखाई देती है। छोटे- छोटे बच्‍चों को बीडी पीते गुटका खाते देखकर ऐसा लगता है कि सारा राष्‍ट बीडी पी रहा है, नशा कर रहा है युवतियों के पीछे अश्‍लील शब्‍द उछालता हैं, तो ऐसा लगता है कि सम्‍पूर्ण राष्‍ट काम वासना से उद्दीप्त हो रहा है। बडे आश्‍चर्य कि बात है कि आज के चार , पॉच, सातवें दर्जे के छोटे-छोटे बच्‍चे -बच्‍चियों जिन्‍हें उम्र का एहसास तक नहीं है वर्जनाओं और मर्यदाओं की सभी सीमाओं को पीछे छोड़ चुके हैं।

बाल- अपराधों की बढती संख्‍या भविष्‍य के लिए खतरे का संकेत हैं। बच्‍चे भविष्‍य की धरोहर है, लेकिन सामाजिक कमजोरियों और सरकार के दलमल रवैये के चलते हमारी यह धरोहर लगातार पतन के रास्‍ते आगे बढ़ती जा रही हैं बाल अपराधों की ब़ढती संख्‍या हमारे समाज के माथे एक ऐसा कलंक है जिससे तत्‍काल निजात पाने की जरुरत है। सामाजिक स्‍तर पर भी इसके अलग से कदम उठाने की आवश्यकता है इसके साथ- साथ माता पिता को भी अपनी जिम्‍मेदारियों का एहसास दिलाने की जरुरत है अन्‍यथा हमारे देश का भविष्‍य खराब होता रहेगा।

बालअपराध के लिए उत्तरदायी परिस्थितियां

· अभिभावकों और शिक्षकों की उपेक्षा बच्चे के चरित्र को बढ़ावा देने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका उसके अभिभावकों और शिक्षकों द्वारा निभाई जाती है। लेकिन अगर माता․पिता ही अपने बच्चे की गलत आदतों पर ध्यान नहीं दें तो ऐसे में उन बुरी आदतों को बढ़ावा मिलेगा जो आगे चलकर नुकसानदेह साबित हो सकती हैं।

  • अश्लील फिल्में और साहित्य पढ़ना माता․पिता को यह ध्यान देना चाहिए कि उनका बच्चा कैसी फिल्में देखता है। क्योंकि अधिकांश बच्चे फिल्मों को देखकर ही प्रेरित होते हैं। वह फिल्म के नायक जैसा बनने के चक्कर में बड़ी गलतियां कर बैठते हैं। इसके अतिरिक्त अश्लील किताबें भी उनमें भद्दे चरित्र का निर्माण करती हैं। इसीलिए बच्चों को अभिभावकों का पूरा ध्यान मिलना बहुत जरूरी हो जाता है।
  • बच्चे की संगति ऐसा माना जाता है कि स्वभाव और आचरण पर संगत का असर सबसे ज्यादा पड़ता हैं। अगर कोई भी बच्चा गलत संगत में रहता है तो निःसंदेह उसका दुष्प्रभाव उसके भी आचरण पर पडेगा।
  • पारिवारिक परिस्थितियां आमतौर पर बच्चा वही करता है जो वह परिवार से सीखता है, इसीलिए अगर उसका परिवार आपराधिक वारदातों में संलिप्त है तो उसका भी ऐसा करना स्वाभाविक हो जाता है।

बालअपराध की श्रेणी में रखे जाने वाले कृत्य

बाल․अपराधों को हम सामाजिक और पारिवारिक दो भागों में बांट सकते हैं, हालांकि पारिवारिक अपराधों के प्रति दंड देने जैसी कोई व्यवस्था भारतीय कानून में नहीं हैं, लेकिन फिर भी 16 वर्ष से कम आयु वाले बच्चे अगर ऐसा कोई भी काम करते हैं जिसके दुष्प्रभावों का सामना उनके परिवार को करना पड़ता है तो वह बाल․अपराधी ही माने जाते हैं, पारिवारिक बाल अपराधों में निम्नलिखित कृत्य शामिल किए जाते हैं।

  • माता․पिता की अनुमति के बिना घर से भाग जाना
  • अपने पारिवारिक सदस्यों के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग करना
  • स्कूल से भाग जाना
  • ऐसी आदतों को अपनाना जो ना तो बच्चों के लिए हितकर है ना ही परिवार के लिएण्‍ परिवार के नियंत्रण में ना रहना।

परिवार शायद बच्चों के भद्दे और गलत आचरण को एक बार सहन कर सकता है लेकिन अगर बच्चे ऐसी आदतों को अपनाएं जो समाज की नजर में घृणित समझे जाते हैं तो निःसंदेह उसे अनदेखा नहीं किया जाता, बल्कि ऐसे अपराधों को किशोर․अपराध या बाल․अपराध की श्रेणी में रखा जाता है।

  • चोरी करना
  • लड़ाई,झगड़ा करना
  • यौन अपराध करना
  • जुआ खेलना, शराब पीना
  • अपराधी गुट या समूह में शामिल होना
  • ऐसी जगहों पर जाना, जहां बच्चों का जाना पूर्णत वर्जित है
  • दुकान से कोई समान उठाना
  • किसी के प्रति भद्दी और अभद्र भाषा का प्रयोग करना

अगर कोई भी बच्चा जो उपरोक्त गलत कृत्य करता है तो उसे अपराधी माना जाएगा, जिसके लिए उसे वयस्क अपराधियों से अलग रख सुधरने का एक मौका दिया जाता है।

भोपाल - कभी शांति का टापू कही जाने वाली राजधानी अब बाल अपराध के मामले में भी नंबर वन की तरफ बढ़ रही है। एक साल के भीतर करीब 50 बाल अपराधी किसी न किसी अपराध में लिप्त पाये गए हैं, जबकि दो सौ अन्य मामले ऐसे हैं जिनमें यह बच्चे किसी न किसी प्रकार से अपराध में संलिप्त पाये गए। हालांकि विशेष किशोर पुलिस इकाई एसजेपीयू बाल अपराधों पर काउंसिलिंग के जरिये लगाम लगाने में काफी हद तक कारगर साबित हुई है।

बाल अपराधियों के लगातार बढ़ते ग्राफ से हर कोई चिंतित है। हम जिन मामलों का जिक्र कर रहे हैंए वो तो रिकॉर्ड में दर्ज हैं, लेकिन कई मामले ऐसे हैं जिनका पता भी नहीं पड़ता। जब अपराध भाव से ग्रस्त बच्चों की काउंसिलिंग की जाती है तो कई ऐसे महत्वपूर्ण पहलू निकलकर सामने आते हैं। अधिकतर मामलों में बच्चे घरेलू तनाव के कारण अपराध कर देते हैं। हत्या, चोरी, मारपीट, नशा या अपहरण जैसे मामलों में तो किशोर माहिर हो गए हैं। हालांकि इन घटनाओं के लिए परिस्थितियां जिम्मेदार हैं।

एसजेपीयू की भूमिका

हालांकि विशेष किशोर पुलिस इकाई एसजेपीयू बाल अपराध को रोकने में कारगर साबित हो रही है। भोपाल सहित उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, कटनी, शिवपुरी, गुना शहरों में प्रारंभ हुए इसे सवा साल हो गया है।

इससे पहले यदि बाल अपराधी पकड़ा जाता तो उसे थाने में रखा जाता था। जहां आपराधिक प्रवृत्तियों का इनके मन․मस्तिष्क पर विपरीत असर पड़ता था। यहां इन्हें काउंसिलिंग के माध्यम से समझाया जाता है। बाल अपराधियों को रखने की यहां विशेष सुविधाएं भी हैं।

clip_image004[4]

बच्‍चों में शराब ,सिगरेट पीना, हल्‍की मादक दवाईयॉ लेना, गुप-चुप और सपाट से स्‍कूल अचानक स्‍कूल से गायब हो जाना, साईबर कैफे में इंटरनेट पर अश्‍लीलता से सरोवार होना, और बार आदि में जाने के लिए झूठ बोलना, ऐसा परिधान का चयन करना जिन्‍हे वे घर में भी पहनने का एहसास नहीं जुटा पाते आदि प्रचलन बन गया हैं। हकीकत यह है कि आज के अधिकतर बच्‍चों में न अभिभावकों के प्रति सम्‍मान और श्रद्धा ही बचा है और न व्‍यस्‍कों के साथ प्रेम और सहयोग की भावना। नैतिकता का स्‍तर इतना नीचे गिरता जा रहा है कि अध्‍यापक और बाजार में बैठे दुकानदार उनके लिए समान है। कुछ शेष रहा है, तो फैशन, सिनेमा और मटर गस्‍ती का अन्‍त-हीन आलम।

मानसिक रूप से दोषपूर्ण, मानसिक रोग से ग्रसित, परिस्‍थितजन्‍य एवं सांस्‍कृतिक वातावरण के अतिरिक्‍त बालकों द्वारा किये गये अधिकांश अपराधों में से लगभग 2․3 प्रतिशत ही पुलिस और न्‍यायलय के ध्‍यान में आती है। बाल अपराधों का हम यदि आंकलन करें तो स्‍थानीय एवं स्‍पेशल विधियों के तहत 1998 में सबसे अधिक आबकारी एक्‍ट (23․9) और गेम्‍बलिंग एक्‍ट (4․6) के अर्न्‍तगत आते हैं। सन 1998 में 5 राज्‍यों महाराष्‍ट (21․6) मध्‍य प्रदेश (27․2) राजस्‍थान (8․5) बिहार (6․8) आन्‍ध्र- प्रदेश (8․0) में पूरे देश में आई․ पी․ सी․ के तहत स्‍कूल अपराधों में से 77 प्रतिशत हुए। बाल अपराध के मुख्‍य कारकों में गरीबी और अशिक्षा सबसे महत्वपूर्ण आयाम हैं। बाल अपराध की दरें लडकियों की अपेक्षा लडकों में अधिक पायी जाती है। बाल अपराध की दरें प्रारम्‍भ की किशोरवस्‍था 12-16 वर्ष में सबसे ऊँची है । बाल अपराध ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा नगरों में अधिक है।

बाल अपराधियों को दिए जाने वाले दंड

कोर्ट यह मानता है कि इस उम्र के बच्चे अगर जल्दी बिगड़ते हैं और उन्हें अगर सुधारने का प्रयत्न किया जाए तो वह सुधर भी जल्दी जाते हैं। इसीलिए उन्हें किशोर न्यायसुरक्षा और देखभाल अधिनियम 2000 के तहत सजा दी जाती है। इस अधिनियम के अंतर्गत बाल अपराधियों को कोई भी सख्त या कठोर सजा ना देकर उनके मस्तिष्क को स्वच्छ करने का प्रयत्न किया जाता है। उन्हें तरह तरह की व्यायसायिक परीक्षण देकर आने वाले जीवन के लिए आत्म․निर्भर बनाने की भी कोशिश की जाती है, हालांकि सुधार गृह में भी उनके साथ कड़ा व्यवहार ही किया जाता है, लेकिन सिर्फ उतना जितना माता․पिता अपने बच्चों के साथ करते हैं।

किशोर न्यायसुरक्षा और देखभाल अधिनियम 2000 में किए गए संशोधन

सन 2006 में बाल․अपराधियों को सुधारने के उद्देश्य से बनाए गए अधिनियम में कुछ संशोधन किए गए जिसके अनुसार किसी भी बाल․अपराधी का नाम, पहचान या उसके निजी जानकारी सार्वजनिक करना एक दंडनीय अपराध माना जाएगा और ऐसा करने वाले को 25,000 रूपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता हैंण्‍ इसके अलावा खंड 29 के अनुसार बाल․अपराधियों को सजा देने वाले पांच सदस्य समिति में कम से कम एक महिला भी शामिल होनी चाहिए।

हमारे देश में बाल अपराधियों की संख्या दिनों․दिन बढ़ती जा रही है खासतौर पर निम्न आर्थिक वर्ग से संबंधित वह बच्चे जो झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं। वो इन अपराधों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं, क्योंकि उनके माता․पिता दोनों ही मजदूरी करते हैं इसीलिए वह अपने बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते। लेकिन सिर्फ यह समझ लेना कि बाल․अपराध इसी वर्ग तक सीमित है तो यह कदाचित सही नहीं है। आंकड़ों की मानें तो पढ़े․लिखे और अच्छे स्कूल में जाने वाले बच्चे भी गलत क्रिया․कलापों में संलिप्त हो जाते हैं। जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह होता है कि उनके माता․पिता उन पर ध्यान ही नहीं देते। वह अपने जीवन में स्वयं इतने व्यस्त होते हैं कि उन्हें बच्चों की सुध․बुध ही नहीं रहती। हमें यह ध्यान रखना चाहिए आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं जिनके कंधों पर हमारे समाज की पूरी जिम्मेदारी है। अगर हमारी अनदेखी की वजह से यह कंधे कमजोर पड़ जाएंगे तो यह हमारे लिए कतई हितकारी नहीं होगा।

सुझाव-

आधुनिक जीवन शैली में भी इन मूल्‍यों को समायिक ढंग से समाहित करके अनेक गतिरोधों को समाप्‍त किया जा सकता है। गहरे अपनेपन के आधार अभिभावकों और बच्‍चों के बीच की दूरी और दरार को मिटाकर वर्तमान समस्‍याओं से उपजते बाल अपराध से निजात पाई जा सकती है। अतः हम बच्‍चों को उचित संस्‍कार देने व उनमें मानवीय मूल्‍यों का स्‍थापना करने के लिए सजग, सचेष्‍ट और सक्रिय होना होगा, तभी इस बिगडते बचपन और भटकते राष्‍ट्र के नव पीढी के कर्णधारों का भाग्‍य और भविष्‍य उज्‍जवल हो सकता है।

COMMENTS

BLOGGER: 5
  1. Dharmendra Tripathi6:28 pm

    Soochhma manovagyanik vishleshan.Sundar rachana.

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी10:32 am

    apke dwara prastute vichar bhut hi ache hai....badhti jansankhya or bal apradh dono hi rastra ki progress ko badhit kar rahen hai...

    जवाब देंहटाएं
  3. बेनामी11:21 am

    monika very nice artical................

    जवाब देंहटाएं
  4. मोनिका जी सुंदर और ज्ञानवर्धक आलेख के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें |

    जवाब देंहटाएं
  5. monica apne bhut acha alekh prastut kiya hai.

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: मोनिका का आलेख - बाल अपराध बिगडता बचपन भटकता राष्ट्र
मोनिका का आलेख - बाल अपराध बिगडता बचपन भटकता राष्ट्र
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiU9I6xnqP1gXSUE1iVx_RG9w_IzNj3FK94cPqODY161T5fwafrDA1dmLfHA9Zib1aowMOoP2DypNP7xjYznGeLvH8r-eGqVu541mLpC8C1lbMZ3d9fvuwzRRameYgrt-UDfikh/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiU9I6xnqP1gXSUE1iVx_RG9w_IzNj3FK94cPqODY161T5fwafrDA1dmLfHA9Zib1aowMOoP2DypNP7xjYznGeLvH8r-eGqVu541mLpC8C1lbMZ3d9fvuwzRRameYgrt-UDfikh/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/05/blog-post_9217.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/05/blog-post_9217.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content