प्रमोद कुमार चमोली की कहानी - जाल

SHARE:

मरूस्‍थली इलाकों में वर्षा आधारित खेती। वर्षा क्‍या वर्षों में कभी-कभी। बरानी खेती का अंजाम ये कि चार-पाँच साल अकाल तो, फिर कभी मेहरबानी हो...

image

मरूस्‍थली इलाकों में वर्षा आधारित खेती। वर्षा क्‍या वर्षों में कभी-कभी। बरानी खेती का अंजाम ये कि चार-पाँच साल अकाल तो, फिर कभी मेहरबानी हो इन्‍द्रदेव की तो वर्षा। पिछले चार-पांच वर्षों से यह क्रम बदला। इन्‍द्रदेव ने मरूस्‍थल पर अपना प्‍यार लगातार बरसा दिया। बरानी फसलें लगातार चार पांच साल से अच्‍छी हो रही है। बुजुर्गों को अपनी जिन्‍दगी में पहली बार लगातार जमाना देखने को मिला। ‘वाह रे तेरी लीला।'' चार-पाँच साल मोठ-बाजरी की फसल बेच कर कुछ पैसा इकट्‌ठा कर लिया है राजाराम ने।

राजाराम का सपना था कि वो अपने खेत पड़ौसी सांवरे की तरह एक दिन ट्‌यूबवैल खुदवा कर खेती करेगा। अब पैसा पास हो तो सपने पूरे करने की हिम्‍मत आ ही जाती है। राजाराम ने सोच लिया अब तो खेत में ट्‌यूबवैल की बोरिंग होकर ही रहेगी। पर पहली बाधा पिताजी को तैयार करना था। राजाराम ने अपना प्रस्‍ताव पिताजी के सामने रखा। जीवन के अस्‍सी बंसतों का अनुभव रखने वाले पिताजी ने मना कर दिया और कहा कि बेटा ‘हमारे पुरखे बरानी ख्‍ेाती करते आये हैं। इस धरती में पानी होता तो वो कुआं नहीं खोदते। यहाँ पानी पाताल तोड़कर आता है। पानी इतना ही इस धरती में है कि हम पी सके।' राजाराम कहाँ मानने वाला था उसने पड़ौसी सांवरे का हवाला देकर बोरिंग करने के फायदे बताता रहा और अंत में बूढ़ी और कमजोर हेाती ज़िन्‍दगी ने यह समझ लिया कि अब उसकी ना का असर होने वाला नहीं है। समझदारी ‘हाँ' करने में है। ना चाहते हुए भी पिताजी ने राजाराम को हाँ भर दी। पर ये समझाते हुए कि जितना पैसा हमारे पास है उससे कुआ नहीं खुदेगा। राजाराम पूरी तरह तैयार था। पैसा ब्‍याज पर देने वालों की कमी नहीं है। सो बस उसे इन्‍तज़ार था तो पिताजी की हाँ मिलने का। हाँ मिल गयी राजाराम के पँख लग गये। एक दिन में पैसे का इन्‍तज़ाम हो गया और दूसरे दिन धड़धड़ाती मशीनें राजाराम के खेत की जमीन पर घाव कर के एक के बाद एक पाईप जमीन में डालती जा रही थी। पाईपों का अन्‍दर जाना ही खर्चों को इंगित करता है। पर मीटर की दर से होने वाली खुदाई ने राजाराम की बचत के पैसे दस पाईप जमीन में समाकर खा चुके थे। जानकारों के मुताबिक अभी लगभग दस पाईप की और जरूरत थी। राजाराम के साहुकार पैसा दे रहे थे। तीसरे दिन पच्‍चीस पाईप जमीन में समा चुके थे। बोरिंग पूरी हो गयी। पास मन्‍दिर भी बन गया। जोड़ तोड़ जुगाड़ से बिजली का कनेक्‍शन भी हो गया। बटन दबाते ही पानी की मोटी धार, स्‍प्रिंकलरों की फुहारों में बदलकर खेतों में बरसात करने लगी।

मूंगफली की बुवाई का समय भी था। पर जेब में पैसा देखने को नहीं फिर साहुकार के पास और बीज, खाद सब चाहिए। खेती भी कब बिना पैसे होती है। पैसे का जुगाड़ बनाना था। पैसे का जुगाड़ हो गया। राजाराम अपना सभी दांव पर लगा चुका था। जमीन, मकान के कागज और पत्‍नी गहने साहूकारों की तिजोरी में उसकी गारण्‍टी दे रहे थे। राजाराम जी तोड़ मेहनत कर रहा था धरती सोना उगल रही थी। मौसम भी राजाराम के साथ। कुल मिला मूंगफली की अच्‍छी फसल हुई। राजाराम फूला नहीं समा रहा था। मण्‍डी जाकर उसने फसल को बेचा अच्‍छा दाम मिला। एक फसल में सारा कर्जा चुकता। साथ में शान से जीने के लिए मोटी रकम भी जेब में। राजाराम के हौसलों को पंख लग गये।

पिताजी के पास बैठकर राजाराम ने नोटों की गडि्‌डयों उनके हाथ में रख दी। धूंधली आंखों से उन्‍होंने नोटों को देखा और राजाराम को देकर कहा कि ‘देख राजा ये पैसे बैंक में रख दें। मुसीबत में काम आयेंगे।' राजाराम के मन में कुछ और ही था वो धीरे से बोला कि ‘पिताजी अभी पैसे बैंक में रखने का समय नहीं आया है। पैसे को पैसा खींचता है। मैं अभी ट्रैक्‍टर लूंगा।'' पिताजी को उसकी ये उड़ान अच्‍छी नहीं लग रही थी। पर उन्‍होंने इतना ही कहा जो करे सोच समझकर करना जोश में होश रखना जरूरी।'

बड़ी अजीब बात है, जोश में होश! या तो जोश ही होता है, या होश ही। खैर राजाराम जोश में था। बैंक से कर्जा लिया ट्रैक्‍टर ले लिया। बड़ा जमींदार कहलाने लगा। अपनी रोबीली मुच्‍छों को ऐंठ देकर जब ट्रेक्‍टर में बैठता तो लगता जैसे फिल्‍म का हीरो हो। खैर समय चलता रहा। बेटियों का घर था। शादियां करनी थी। अब भई! बड़ा जमींदार तो रिश्‍ते ऊंचे घरों में होने थे। दो-तीन साल की फसलों ने सारी तस्‍वीर बदल दी थी। अब घर के आगे डीजल खाने वाला एक और हाथी बोलेरों गाड़ी के रूप में खड़ा था। वक्‍त की मेहरबानी हो तो हर किसी को पहलवानी आ ही जाती है।

राजाराम ने लड़कियों की शादियां हुई। इतनी शानदार की पूरा गांव क्‍या पूरी तहसील में लोग कहने लगे ‘वाह भई राजाराम'। मगर वक्‍त हमेशा एक सा नहीं रहता। अकाल दर अकाल, रेगिस्‍तान अपनी असली नियति पर आ चुका था।

बोरिंग का पानी कम होने लगा। फसल का क्षेत्र घटने लगा। बोरिंग और करवानी पड़ी फिर उधार, फिर ब्‍याज। पर ये क्‍या इस बोरिंग से भी एक ही साल पानी। मौसम ने अपना मुंह फेर लिया मूंगफली पर भी बीमारी लग गई। फसल चौपट हुई, बाजार भी क्रूर हो गया। जितनी फसल हुई उसके भाव भी नीचे। ओने पौने दामों में बिकी फसल से खेती का खर्चा ही नहीं निकला जमा पूंजी धीरे-धीरे अन्‍त की ओर पहुँचने लगी। साहुकार मुँह मोड़ने लगे। चढ़ते सूरज को ही सब सलाम करते हैं,डूबती नांव से सब कूद कर भागने लगते हैं। बैंकों से लिये ऋण के लिये रिकवरी वाले तंग करने लगे। ट्रैक्‍टर, जीप घर के आगे खड़ी रखना मजबूरी। इन लोहे के हाथियों का खर्चा उठाना मुश्‍किल हो रहा था। मजबूरी ऐसी की बाहर निकाल नहीं सकते रिकवरी वाले चील की तरह झपट्‌टा मारने के लिए घात लगाये बैठे थे।

राजाराम अनमना रहने लगा। सारा दिन घर पर पड़ा रहता। पिताजी से हालत छिपी नहीं की उन्‍होंने पूछा तो कुछ बताया नहीं उम्र के कारण उन्‍हें आंखों से धुंधला दिखाई देता था। पर उनका अनुभव सारे वाक्‌ये को समझ चुका था। मजबूर थे खुद के पास जो था वो राजाराम को दे दिया। वो इतना ही था कि ऊँठ के मुँह में जीरा। सारी शानों शौकत, होशियारी मिट्‌टी में मिल चुकी थी। वो अपने बनाये जाल में फंस चुका था। साहुकार घर पर आकर रहन रखी जमीन को बेचने की धमकी दे रहे थे। वक्‍त की एक करवट से राजाराम अर्श से फर्श पर आ चुका था। उसके पास करने को कुछ नहीं था। बोरिंग और पाईप मांग रहा था। अब पाईप की तो बात दूर खाने का खर्चा चलाना मुश्‍किल था। बोरिंग से आने वाली पानी की पंकिल धार से घर के लिये अनाज तो उगाना ही था।

आज रात को बारह बजे से बिजली आनी थी। पाईप बदलने थे। राजाराम की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। वो खाट पर लेटा आसमान में तारों को देख रहा था। पत्‍नी और बच्‍चे उसके मन की हलचल से बेखबर सो रहे थे। अचानक उसके दिमाग में कुछ आया वो उठा और खूंटी पर टंगी मजबूत रस्‍सी को उसने धीरे से निकाला। बिजली आने का समय हो रहा था। अंधेरा घना था। ठण्‍डी हवाएं नींदों को और गहरापन दे रही थी। राजाराम धीरे से उठकर हाथ में रस्‍सी लिये खेत के किनारे पर लगे पेड़ की ओर बढ़ रहा था। वहाँ पहुँचकर उसने पेड़ पर चढ़कर रस्‍सी को मजबूती से बाँधा। एक छोर पर फंदा बनाया जिसे वो गले का हार बनाने वाला था। राजाराम पेड़ पर बैठा उस फंदे को हाथ में लिये कुछ सोच रहा था कि अचानक खेत की बाड़ के पास कुत्तों के भौंकने की आवाज और तेज सड़सड़ाहट की आवाज सुनाई दी। अंधेरे के कारण साफ दिखायी नहीं दे रहाथा। जितना दिख रहा था उससे यह अनुमान लगा कि दो कुत्ते एक हिरण के पीछे भाग रहे हैं। हिरण पूरी ताकत से भाग रहा है। कुत्ते हिरण को पकड़ने वाले ही थे कि हिरण ने ऊँची बाड़ पर छलांग लगाकर उनके खेत में घुस गया। कुत्ते उसके पीछे छलांग लगाते उससे पहले राजाराम छलांग लगाकर घायल हिरण को पकड़ चुका था। राजाराम ने शोर किया और कुत्तों को पत्‍थर फैंक कर भगाया। बारह बज चुके थे। बिजली भी आ गयी। तेज आवाजें ओर शोरगुल सुनकर उसकी पत्‍नी, बच्‍चे और पिताजी भी वहाँ पहुँच चुके थे। उन्‍हें सब समझ आ गया था। उन्‍हें गुस्‍सा भी आ रहा था। पर वो सब पी गये उन्‍हें लग गया कि ये हिरण काल को टाल गया है। राजाराम हिरण पर हाथ फेरकर पुचकार रहा था। पिताजी कभी उसे और कभी पेड़ पर हिल रहे फंदे को देख रहे थे। उन्‍होंने जाकर फंदा निकाला और राजाराम से कहा राजया इस हिरण को पुचकारता रहेगा। इसे शहर ले जाकर डॉक्‍टर को दिखा नहीं तो ये मर जायेगा। राजाराम नजर नीची किये जड़वत बैठा पिताजी के हाथ में फंदे को देख रहा था। अचानक वो तेजी से उठा और हिरण को जीप में डालकर शहर की ओर ले गया। जीप तेज गति से चल रही थी। घायल अचेत हिरण को जीवन दिलवाना था। राजाराम जीप चलाते हुए असहाय घायल हिरण के पूरी ताकत लगाकर बाड़ कूदने का दृश्‍य बार-बार ध्‍यान में आ रहा था।

राधास्‍वामी सत्‍संग भवन के सामने,

गली नं. 2, अम्‍बेडकर कॉलोनी,

पुरानी शिवबाड़ी रोड़, बीकानेर

मोबाइल.09414031050

COMMENTS

BLOGGER: 13
  1. भारतीय किसानों की सामाजिक स्थिति और मनोदशा को चित्रित करने वाली अच्छी रचना है. लेखक का साधुवाद..

    जवाब देंहटाएं
  2. rachna achchhi lagi, khaaskar ant men hiran ka bimb khoobsurat hai

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दीपक जी बहुत बहुत आभार आपने कहानी को पसंद किया

      हटाएं
  3. हिरण की मानिँद कुलाँचे भर जाल मेँ फँसते युवा मन पर अनुभवी बुजुर्ग के नजरिये का अँकुश होने की अनिवार्यता बताता कथानक जमीन से जुड़ा है। प्रमोद जी की लेखनी हकीकतबयानी मेँ माहिर है । मरुधरा का ही नहीँ समस्त धरा का जीवन अमृत पानी के अँधाधुँध दोहन के दुष्परिणामोँ का सहज कथक । साधुवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  4. हिरण की मानिँद कुलाँचे भर जाल मेँ फँसते युवा मन पर अनुभवी बुजुर्ग के नजरिये का अँकुश होने की अनिवार्यता बताता कथानक जमीन से जुड़ा है। प्रमोद जी की लेखनी हकीकतबयानी मेँ माहिर है । मरुधरा का ही नहीँ समस्त धरा का जीवन अमृत पानी के अँधाधुँध दोहन के दुष्परिणामोँ का सहज कथक । साधुवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  5. wah ! kahaani har lihaaz se umdaa hai..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मनोहर चमोली जी उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया

      हटाएं
  6. प्रमोद जी कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. DHANANJAY VYAS3:23 pm

    pramod ji ki kahaani bahut hi shaandaar hai khaas baat ant me swayam jeevan se haar maan chukaa vyakti dosare ki jaan bachaane me jis nayee oorjaa ke saath dubaaraa khadaa hota hai.. atyant saarthak evam sukhaant mod detaa hai is kahaanee ko...!!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. व्यास जी कहानी पसंद करने और समीक्षात्मक टिप्पणी के बहुत बहुत आभार

      हटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद कुमार चमोली की कहानी - जाल
प्रमोद कुमार चमोली की कहानी - जाल
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgjtq_Xgkeo3ZSk4gfKMP8XSnwL6PtUeV5kP4eSC6xAFTKgrS2Wo_nPkbpoA0ZmCobf5ZXC0Iqpi7Sdi0Avjp9Dh-ZCKzPu7l9h7OCkosLl15gmYLzOnK9qoXEz1TAXXEyQycCv/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgjtq_Xgkeo3ZSk4gfKMP8XSnwL6PtUeV5kP4eSC6xAFTKgrS2Wo_nPkbpoA0ZmCobf5ZXC0Iqpi7Sdi0Avjp9Dh-ZCKzPu7l9h7OCkosLl15gmYLzOnK9qoXEz1TAXXEyQycCv/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/05/blog-post_29.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/05/blog-post_29.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content