एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य - कहीं छा न जाये

SHARE:

* कहीं छा ना जाये * इधर छा जाने की घटनाएँ कुछ इस कदर बढ़ी हैं कि लोग बहुत ही सशंकित रहने लगे हैं। सबको चिंता सताती रहती है कि कहीं छा न जा...

image

*कहीं छा ना जाये*

इधर छा जाने की घटनाएँ कुछ इस कदर बढ़ी हैं कि लोग बहुत ही सशंकित रहने लगे हैं। सबको चिंता सताती रहती है कि कहीं छा न जाए। कई लोगों को तो घर से बाहर निकलने के लिए कई बार सोचना पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई किसी के मन पर, कोई किसी के तन पर तो कोई किसी के दिल पर ही छा जाता है। छा जाने के लिए, करने वाले जोर- जबरदस्ती पर भी उतारूँ हो जाते हैं। तन, मन, वा दिल जैसी नाजुक चीजों को छोड़ दिया जाय तो भी छा जाने के लिए बहुत सी चीजें शेष रह जाती हैं।

आजकल कोई कब और कहाँ छा जाये कौन जान सकता है ? कोई किसी के घर पर छा जाता है। या किसी के घर पर छाकर उसे बेघर कर देना चाहता है। कोई किसी के धन पर छा जाता है। कोई किसी के जमीन पे छा जाता है। कोई सार्वजनिक जमीन पे तो कोई सरकारी। सड़कों तक पर भी छाने वाले छा जाते हैं। तब अन्य जगहों कि बात ही क्या किया जाये ? लेकिन छाने वाले जरूर धन, बल वाले होते हैं अथवा किस्मत के मारे होते हैं। क्योंकि कहीं भी छाना सबके बस की बात नहीं होती है।

फिर भी लौटन एक दिन बोले पाण्डेय जी आप तो छा गये हैं। मैंने कहा जरूर आपको कोई गलतफहमी हुयी है। यह कारस्तानी तो आपके पड़ोसी रंगलाल की ही हो सकती है। मुझे तो छाना आता ही नहीं। कहीं आजतक हम भी छायें हैं क्या ? कल वे ही बल्ली-बांस के जुगाड़ में लगे थे। खैर लौटन से अपना पिंड छूटा।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि छाना ही जोर नहीं पकड़ रहा है। उजाड़ना भी। कोई किसी को उजाड़ रहा है। कोई किसी को। अथवा उजाड़ देना चाहता है। झुग्गी-झोपड़ी वाले छाते ही रहते हैं। उनको उजाड़ना कोई बड़ी बात थोड़े होती है। लोग जब बड़े-बड़े को भी उजाड़ देते हैं। तब झुग्गी-झोपड़ी वालों की बात ही क्या है ? यहाँ से उजाड़े जायेंगे तो वहाँ छा जायेंगे। जिनके नसीब में उजड़ना वा छाना ही हो, उसे चाहे सरकार उजाड़े, चाहे नेता या नेता जैसे लोग। चाहे आंधी, वर्षा या तूफान। क्या फर्क पड़ता है ?

जब कोई छाता है। तब किसी को गम तो किसी को खुशी होती है। लेकिन छाने वाले को चाहे जहाँ छाये, हमेशा ख़ुशी ही होती है। बाद में भले गम हो। दरअसल इस पर निर्भर करता है कि क्या, कौन और कहाँ छाया है ? छाया की माया और माया की छाया दोनों अजीब है। साधु-संत भी फंस जाते हैं। माया कब चाहेंगी कि छाया उन्हें चाहने वाले के मन पर छाये । छाया को चाहने वाला ही क्यों चाहेगा कि छाया किसी और के मन पर छाये ? जाड़े से पीड़ित को पेड़ की छाया क्यों रास आएगी। वहीं गर्मी से पीड़ित तो छाया को चाहेगा ही। अगर आसमान में बादल छा जाये तो मयूर तो नाचेगा ही। किसी-किसी का मन-मयूर भी नाचता है। चाहे सावन में ही। ऐसा मैंने सुना है। लेकिन किसान जिसकी फसल पक कर तैयार हो, बादल के छाने पर कैसे नाचेगा ?

छाता कोई है और छाती जलती है किसी और की। एक पड़ोसी को अपने पड़ोसी का छाना तो कतई रास नहीं आता। एक सच्चा पड़ोसी सदा इसी उधेड़-बुन में रहता है कि कहीं ये छा ना जाये। बचपन में एक कहानी सुनी थी। जिसमें दो पड़ोसी थे। एक छाता जा रहा था। लेकिन दूसरे को उसका छाना फूटी आँख भी नहीं सुहा रहा था। किसी तरीके से उसने एक देवता को खुश किया। देवता सारी बात समझ रहे थे। बोले जो मांगना हो मांग लो। लेकिन ध्यान रखना, जो तुम मांगोगे उसका दुगुना तुम्हारे पड़ोसी को अपने आप तुरंत मिल जायेगा। पड़ोसी बेचारा असमंजस में पड़ गया। मगर फौरन युक्ति सूझ गयी। सोचा देखता हूँ। अब आगे और कैसे छाते हैं ? बोला मंजूर है। दो वरदान चाहिये। पहला मेरी एक आँख फूट जाये। दूसरा मेरे मुख्य द्वार के ठीक सामने एक गहरा कुआँ खुद जाये। सच्चे पड़ोसी का यही उत्तम कर्तब्य होता है।

आजके समय में कौन छाना नहीं चाहता ? यदि छाना है तो तिकड़मबाजी, जर-जुगाड़ सभी हथकंडे अपनाने ही पड़ते हैं। साथ ही चौकस वा चौकन्ना भी रहना पड़ता है कि कहीं छा ना जाये ? खासकर अच्छे वा सच्चे पड़ोसियों को तो रात-रात नींद नहीं आती। जब एक पड़ोसी किसी तरह सोने का उद्यम करता है। तब नेक पड़ोसी या तो ढ़ोल पीटना शुरू करता है। मतलब तब उसे शास्त्रीय संगीत का शौक चर्राता है। या इनकम टैक्स वालों को चाय पिलाना शुरू करता है। ऐसे पड़ोसी दो टका जबाब भी दे देते हैं कि हम अपने घर में चाहे कुआँ खोदें। तुम्हारी छाती काहे को जलती है। हम अपने दरवाजे पर मिर्चा सुलगाते हैं। तब भी आप हल्ला मंचा कर सारे मोहल्ले वालों को क्यों सुनाते हो ?

गाँव में ऐसे ही दो पड़ोसियों में झगड़ा हो गया। जब पहला अपने घर में आग लगाने चला। तब दूसरा गुहार लगाने लगा। सच में पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आते हैं। चाहे कोई समझे या ना समझे अथवा देर में समझे। पहला यही कहे जा रहा था कि हम अपना घर फूँक रहे हैं तो तुम्हारी छाती क्यों फटी जा रही है ? दरअसल दोनों का घर छप्पर का ही था ।

आज के समय में कौन एक-दूसरे को छाते देख सकता है ? आज एक देश दूसरे देश को छाते नहीं देख सकता। एक समाज दूसरे समाज को छाते हुए नहीं देख सकता। देश और समाज की तो बात छोड़िये एक भाई दूसरे भाई को भी छाते हुए नहीं देख सकता। किसी ना किसी उद्यम से लोग दूसरों के छाने पर रोक लगाना चाहते हैं। लेकिन खुद दिनों-दिन छाना चाहते हैं। छा जाने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते ? दोस्ती से लेकर दुश्मनी तक। नीति से अनीति तक। चोरी से बेमानी तक। मतलब जिससे भी छाया जा सके लोग वह करने को तैयार रहते हैं। अपना तन तक खोल-खोल कर दिखाते हैं। कुछ लोग भरे समाज में नंगे तक हो जाते हैं। गाते हैं, नाचते हैं और नाचते-नाचते कपड़ा खिसका देते हैं। ताकि टीवी में दिखकर छा जाएँ। समाचार पत्रों में छा जाएँ। छाने की महिमा बहुत है। छाने के तरीके बहुत हैं। किसी छाते हुए को उजाड़ने के भी नाना तरीके हैं।

जब एक नेता दूसरे नेता को छाते देखता है। तब उसे खाया अन्न नहीं पचता कि कहीं अगले चुनाव में पत्ता ही साफ ना कर दे। किसी ना किसी तरीके से उसे रोकता हैं। अथवा सीमित कर देने का प्रयास करता हैं। कुछ नहीं हुआ तो उसे सांप्रदायिक बताना शरू कर देता हैं। जब एक डॉक्टर का लगाया इंजेक्सन पक जाता है। तब वह मरीज को पटा कर अपने मुकाबले छाते हुए डॉक्टर को बदनाम करके उसका छाना कम करता है। एक मास्टर का पढ़ाया हुआ लड़का जब परीक्षा में फेल हो जाता है। तब वह उस लड़के को पटा कर उसे अपने प्रतिद्वंदी का पढ़ाया हुआ बताता हैं और उसके कोचिंग में ताला लगवाने का प्रयास करता है। इसी तरह अन्य सभी लोग छाने वालों की खबर लेते हैं। हिदुस्तान में तिकड़म लगाने वालों की कमी नहीं है। इसलिए ही विदेश में कई लोग भारत को तिकड़म वालों का देश भी कहते हैं।

जब मैं एमएससी में था तो एक लड़का जो दिन-रात पढ़ता रहता था। बहुत परेशान रहता था कि उसके मुकाबले कहीं कोई दूसरा न छा जाए। इसलिए खुद तो बहुत मेहनत करके पढ़ता था और जब उसका मन पढ़ने से ऊबता तो अन्य छात्रो के पास आकर उनकी किताब बंद कर दिया करता था। और कहता था क्या पागलखाने जाने की इच्छा है ? चलो कुछ दुनियाबीदुनिया की बात सुनाते हैं। क्लास की लड़कियों की ऐसी-ऐसी बातें जो शायद उन्हें भी मालुम नहीं होती, एक से एक कहानी, कविता, चुटकुले सुनाकर व सुनकर खुद तो जाकर पढ़ने लगता। जबकि लोगों से कहता चलकर अब सोते हैं। दरवाजा बंद करके अंदर पढ़ाई करता। अन्य सभी उसी कविता, कहानी में मस्त रहते। अधिकांश लोग जिनके पास वह बैठता था फेल हो जाते थे। रजल्ट आने पर वह छा जाता था।

छाने की चिंता से बेचारे पशु तक अछूते नहीं हैं। लोग गाँव, शहर, ताल-तलैया व बाग-बगीचों में पहले से ही छाये हैं। बश चले तो नदियों को पाट डालें, दुर्गति तो कर ही चुके हैं। धीरे-धीरे जंगलों में भी छाये जा रहे हैं। कुछ वुद्धिजीवियों का मानना है कि मनुष्यों के आये दिन छाने के नये-नये कीर्तमान स्थापित करने से मानवता लाज को भी लजा रही है। तथा पशुता अकुला रही है। लडकियों व महिलाओं को तो हमेशा भय बना रहता है। पशु, पशु की दुर्गति होते देख मस्त रहता है। कोई-कोई पशु तो बचाव में भी आ जाते हैं। लेकिन मानव खुद मानव की दुर्गति करते और कराते हैं। दूसरे की दुर्गति होते देख ताली बजाते हैं। जब तक अपने सिर पर नहीं पड़ता मजा लेते हैं। जब पड़ता है तब जोर-जोर चिल्लाना शुरू करते हैं। जन्मदाता माता-पिता को अनाथालय भेज देते हैं। गो माता का माँस तक खा जाते हैं। ईश्वर को कहते हैं कि इश्वर ! कौन इश्वर ? कहा रहता हैं ? मैं ही हूँ। मैं ही ईश्वर हूँ। हाँ एक दूसरा भी है- नगदेश्वर ! और कोई ईश्वर नहीं है।

बेचारे पशुओं को तो इतना ज्ञान कभी नहीं रहा कि किसके तन पर छाना है किसके नहीं। उनके लिए कोई नियम और नीति कभी नहीं थी। पशुओं का कहना है कि मानव को अब अपने लिए कोई उचित संज्ञा खोज लेनी चाहिये। क्योकि पशु तो पशु थे और आज भी पशु ही हैं। लेकिन मानव दिन-दिन गिरते जा रहे हैं। पशु को तो कुछ पता नहीं कि क्या मानें और क्या ना मानें ? इसीलिए तो वे पशु हैं। लेकिन मानव का मतलब है मानौं ! लेकिन आज जब वह कुछ भी नहीं मान रहा है। जैसे माता-पिता, सदगुर, गो, ईश्वर आदि। तब उसे मानव कहलाने का अधिकार भी नहीं है। पशुओं के बहुत से गुन और अधिकार पर मानव छा गए हैं। और उन्हें डर है कि जो शेष हैं उन पर भी कहीं छा न जाएँ ?

---------

डॉ. एस. के. पाण्डेय,

समशापुर (उ.प्र.)।

URL1: http://sites.google.com/site/skpvinyavali/

ब्लॉग: http://www.sriramprabhukripa.blogspot.com/

*********

*********

(चित्र - मुखौटा कलाकृति - नव सिद्धार्थ आर्ट ग्रुप)

COMMENTS

BLOGGER: 2
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य - कहीं छा न जाये
एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य - कहीं छा न जाये
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzyOclckGrBxHUTDmqVcUGbp9o72aNO9zodOLY8rfWsUTScrXkmGtvyU44xNEMn62pbQCo_-PacNgcM2FR3lkBE-TUEsZIpKFI3dq5MngL3uIbXr0PphdN4qXaRsFX4DrTT3nI/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzyOclckGrBxHUTDmqVcUGbp9o72aNO9zodOLY8rfWsUTScrXkmGtvyU44xNEMn62pbQCo_-PacNgcM2FR3lkBE-TUEsZIpKFI3dq5MngL3uIbXr0PphdN4qXaRsFX4DrTT3nI/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/04/blog-post_7227.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/04/blog-post_7227.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content