असग़र वजाहत का नाटक : जिस लाहौर नइ वेख्या, ओ जमया हि नइ - (6)

SHARE:

  (पिछले अंक से जारी...) दृश्‍य : नौ (हमीदा बेगम के घर के किसी कमरे/बरामदे में पड़ोस की औरतों की महफ़िल जमी है। फ़र्श पर रतन की मां बैठी ...

 

(पिछले अंक से जारी...)

दृश्‍य : नौ

(हमीदा बेगम के घर के किसी कमरे/बरामदे में पड़ोस की औरतों की महफ़िल जमी है। फ़र्श पर रतन की मां बैठी कुछ काढ़ रही है। सामने तन्‍नो बैठी है। तन्‍नो के बराबर एक 18-19 साल की लड़की साजिदा बैठी है। सामने हमीदा बेगम बैठी। उनके सामने पानदान खुला हुआ है। हमीदा बेगम के बराबर बेगम हिदायत हुसैन बैठी हैं।)

हमीदा बेगम : (बेगम हिदायत हुसैन से) बहन, पान तो यहां आंख लगाने के लिए नहीं मिलता... और बग़ैर पान के पान का मज़ा ही नहीं आता।

बेगम हिदायत : ऐ, यहां पान होता क्‍यों नहीं?

रतन की मां : बेटा पान तो उत्‍थोंईं अनन्‍दा सी... जद तों बंटवारा होया तां तो मोया पान वी न्‍यामत हो गया।

हमीदा बेगम : माई ये शहर हमारी समझ में तो आया नहीं।

रतन की मां : बेटे इस तरहां न कहा, लाहौर ज्‍या ते कोई शहर ही नहीं है दुलिनयां च।

हमीदा बेगम : लेकिन लखनऊ में जो बात है वो लाहौर में कहां...

रतन की मां : बेटे अपना वतन ते अपना ई होंदा... है उसदा कोई बदल नहीं।

तन्‍नो : दादी आपने हमें उलटे फंदे जो सिखये थे उसमें धागे को दो बार घुमाते हैं कि तीन बार।

रतन की मां : देख बेटी... फिर देख ले... इस तरह पैले फंदा पा... फिर इस तरह घुमा कं इदरन तरहां ले जा... फिर दो फंदे और पा दे।

साजिदा : दादी आपकी पंजाबी हमारी समझ में नहीं आती।

रतन की मां : बेटी होंण मैं कोई दूसरी जबान तो सिक्‍खण तो रई। हां मेरा पुत्तर रतन ज़रूर उदू्र जाणदा सी।

(आंखों के किनारे पोंछने लगती है।)

हमीदा बेगम : माई हो सकता है आपका बेटा और बीवी बच्‍चे खै़रियत से भारत में हों...

रतन की मां : बेटी इन्‍न बखत गुजर गया... अगर वो लोग जिंदा होंदे तां ज़रूर मेरी कोई खबर लेंदे।

बेगम हिदायत : माई ऐसा भी तो हो सकता है कि उन लोगों ने सोचा हो कि आप जब लाहौर में न होंगी... (हमीदा बेगम से) बहन आपने सुना सिराज साहब के भाई जिंदा हैं और करांची में रह रहे हैं... सिराज साहब वग़ैरह बेचारे के लिए रो-धो कर बैठ रहे थे।

हमीदा बेगम : हां, अल्‍लाह की रहमत से सब कुछ हो सकता है।

रतन की मां : रेडियो ते वी कई बार ऐलान कराया है लेकिन रतन दा किधरी कोई पता नहीं चलाया।

बेगम हिदायत : अल्‍लाह पर भरोसा रखो माई... वही सबकी निगेहदाश्‍त करने वाला है।

रतन की मां : ए ते है... (आंखें पोंछते हुए) बेटी आ गये तन्‍नू फंदे पाणें।

तन्‍नो : हां माई ये देखिए...

रतन की मां : हां शाबाश... तू ते इतनी जल्‍दी सिख गई।

बेगम हिदायत : अच्‍छा तो अब इजाज़त दीजिए... मैं चलती हूं।

रतन की मां : बेटी त्‍वानूं जद वी रजाई तलाई च तागे पाणें होंण तां मन्‍नू बुला गेणां। मैं ओ वी करा दवांगी।

बेगम हिदायत : अच्‍छा माई शुक्रिया... मैं ज़रूर आपको तकलीफ़ दूंगी... और खांसी की जो दवा आपने बना दी थी उससे बेटी को बड़ा फ़ायदा हुआ है। अब ख़त्‍म हो गई है।

रतन की मां : ते के होया फिर बणा दबांगी... इस विच की है तू मुलैठी, काली मिर्ज़, शहद और सोंठ मंगा के रख लई बस।

हमीदा बेगम : तो बहन आती रहा कीजिए।

बूगम हिदायत : हां, ज़रूर... और आप भ आइए... माई के साथ।

हमीदा बेगम : (हंसकर) माई के साथ ही मैं घर से निकलती हूं लेकिन माई जैसा ख़िदमत का जज़्‍बा हां से लाऊं... ये तो सुबह से निकलती हैं तो शाम ही को लौटती हैं।

रतन की मां : बेटी जद तक इस शरीर विच तकात है तद तक ही सब कुछ है नहीं तों एक दिन त्‍वाडे लोकां दे बोझ बणना ही है।

हमीदा बेगम : माई हम पर आप कभी बोझ नहीं होंगी... हम ख़ुशी-ख़ुशी आपकी ख़िदमत करेंगे।

बेगम हिदायत : अच्‍छा खुदा हाफ़िज़।

(बेगम हिदायत चली जाती है।)

रतन की मां : अजे मनूं आफ़ताब साहब दे घर जाणा हैं... उन्‍हों दे वड्‌डे मुंडे नूं माता निकल आई है ना... वो बड़ी परेशान है। एक मुंडा बीमार, दूसरा घर दे सारे कामकाज करने होय। मैं मुंडे कौल बैठांगी तां ओ बेचारी घर दा चूल्‍हा चौका करेगी।

(सिकन्‍दर मिर्ज़ा आते हैं।)

सिकंदर मिर्ज़ा : आदाब अर्ज़ है माई।

रतन की मां : जीदे रह पुत्तर।

सिकंदर मिर्ज़ा : रहते एक ही घर में हैं लेकिन आपसे मुलाक़ात इस तरह होती है जैसे अलग-अलग मोहल्‍ले में रहते हों।

हमीदा बेगम : माई घर में रहती ही कहां हैं। तड़के रावी में नहाने चली जाती हैं। सुबह अ़लीक साहब के यहां बड़ियां डाल रही हैं, तो कभी नफ़ीसा को अस्‍पताल ले जा रही हैं, तीसरे पहर बेगम आफ़ताब के लड़के की तीमारदारी कर रही हैं तो शाम को सकीना को अचार-डालना सिखा रही हैं... रात में दस बजे लौटती हैं। हम लोगों से मुलाक़ात हो तो कैसे हो...

सिकंदर मिर्ज़ा : जज़ाकल्‍लाह!

हमीदा बेगम : मोहल्‍ले के बच्‍चे की ज़बान पर माई का नाम रहता है... हर मर्ज़ की दवा हैं माई।

रतन की मां : बेटी कल्‍ली पई-पई करांवी तें की... सब दे नाल ज़रा दिल वी परे-परे जांदा है...हाथ-पैर वी हिलदे रहदें ने। मन्‍नू होण चाहिदा की है... अच्‍छा बेटे तेरे कल्‍लों एक गल पूछणी सी।

सिकंदर मिर्ज़ा : हुक्‍म दीजिए माई।

रतन की मां : बेटा दीवाली आ रही है... हमेशा दी तरहां इस साल वी मैं दीवे जलाण और पूरा करां... मिठाइयां बणांण। मैं तनूं कहण चाहदी सी कि तन्‍नूं कोई एतराज ते नई होएगा।

सिकंदर मिर्ज़ा : ये भी कोई पूछने की बात है? खुशी से वो सब कुछ कीजिए जो आप करती थीं। हमें इसमें कोई एतराज़ नहीं है... क्‍यों बेगम।

हमीदा बेगम : बेशक...

---

दृश्‍य : दस

(रतन की मां हवेली में चिराग़ां कर रही है। तन्‍नो और जावेद उसकी मदद कर रहे हैं। पीछे से संगीत की आवाज़ आ रही है। हमीदा बेगम एक कोने में बैठी चिराग़ां देख रही है। जब सब तरफ़ चिरागां जल चुकते हैं ता माई दाहिनी तरफ़ पूजा करने की जगह पर बैठ जाती है। तन्‍नो और जावेद अपनी मां के पास आकर बैठ जाते हैं।

रतन की मां पूजा करना शुरू करती है। पूजा पूरी होती है तो वो खड़ी हो जाती हैं और मिठाई लेकर हमीदा बेगम, तन्‍नो और जावेद की तरफ़ आती है। संगीत की आवाज़ तेज़ हो जाती है। ये तीनों मिठाई खाते हैं। संगीत की आवाज़ कम हो जाती है।)

हमीदा बेगम : दीवाली मुबारक हो माई।

रतन की मां : त्‍वानूं सब नूं वी मुबारक होवे। (कुछ ठहरकर कांपती आवाज़ में) खब़रे मेरा रतन किधरी दीवाली मना ही रया होवे।

हमीदा बेगम : माई त्‍योहार के दिन आंसू न निकालो... अल्‍लाह ने चाहा तो ज़रूर दिल्‍ली में होगा और जल्‍दी तुमसे मिलेगा।

(रतन की मां अपने आंसू पोंछ लेती है।)

रतन की मां : बेटी, मैं मोहल्‍ले च मिठाई वंडण जा रई हां... देर हो जाये तां घबराणा नई...

तन्‍नो : ठीक है दादी... आप जाइए।

(रतन की मां जाती है।)

हमीदा बेगम : बेचारी... उसका दुख देखा नहीं जाता।

तन्‍नो : अम्‍मां ये सब हुआ क्‍यों?

हमीदाब ेगम : क्‍या बेटी?

तन्‍नो : यही हिंदोस्‍तान, पाकिस्‍तान?

हमीदा बेगम : बेटी, मुझे क्‍या मालूम....

तन्‍नो : तो हम लोग पाकिस्‍तान क्‍यों आ गए।

हमीदा बेगम : मैं क्‍या जानूं बेटी?

तन्‍नो : अम्‍मां, अगर हम लोग और माई एक ही घर में रह सकते हैं तो हिन्‍दुस्‍तान में हिन्‍दू और मुसलमान क्‍यों नहीं रह सकते थे।

हमीदा बेगम : रह सकते क्‍या... सदियों से रहते आये थे।

तन्‍नो : फिर पाकिस्‍तान क्‍यों बना?

हमीदा बेगम : तुम अपने अब्‍बा से पूछना।

---

दृश्‍य : ग्‍यारह

(नासिर अपने कमरे में बैठे कुछ लिख रहे हैं। सामान बेतरतीबी से फैला हुआ है। हिदायत हुसैन अंदर आते हैं।)

हिदायत हुसैन : वालेकुमस्‍सलाम... आइए हिदायत भाई बैठिए...

(हर तरफ़ किताबें बिखरी हैं। नासिर एक कुर्सी से किताबें हटाकर उन्‍हें बैठने का इशारा करता है। हिदायत हुसैन कमरे में चारों तरफ नज़रें दौड़ाते हैं। हर तरफ़ अफ़रातफ़री है।)

हिदायत : अरे भाई चीज़ों को सीक़े से भी रखा जा सकता है। क़रीने से रहा करो यद।

नासिर : मैं बहुत क़रीने से रहता हूं हिदायत भाइ्रर्।

हिदायत : (हंसकर) वो तो नजर आ रहा है।

नासिर : नहीं... अफ़सोस कि मेरा क़रीना नज़र नहीं आता।

हिदायत : तुम्‍हारा करीना क्‍या है।

नासिर : देखिए किस करीने से अपने ख्‍़यालात और जज़बात को दो मिसरे को अश्‍आर में पिरोता हूं।

हिदायत : हां भाई ग़ज़ल कहने में तो तुम्‍हारा सानी नहीं है।

नासिर : शुक्रिया... तो हिदायत भाई करीने से दिमाग़ के अंदर काम कर सकता हूं या बाहर... बाहर के काम सभी लोग करीने से करते हैं, इसलिए मैं दिमाग़ के अन्‍दर के काम करीने सक करता हूं।

हिदायत : अच्‍छा एक बात बताओ।

नासिर : जी फ़रमाइए।

हिदायत : तुम शेर क्‍यों कहते हो?

नासिर : अगर मुझे शेर के अलावा उतनी ख़ुशी किसी और काम में होती तो मैं शायरी न करता, दरअसल आज भी अगर मुझे कोई ऐसा खुशी मिल जाये तो शायरी का बदल हो तो मैं शायरी छोड़ दूं। लेकिन शायरी से ज़्‍यादा खुशी मुझे किसी और चीज़ में नहीं मिलती।

हिदायत : क्‍या ख़ुशी मिलती है तुम्‍हें शायरी से।

नासिर : सर की, हक़ीक़त की तरजुमानी... उसे इस तरह बयान करना कि उसकी आंच से दिल पिद्यल जाये...

हिदायत : अरे भाई ये तो हम लोग तनक़ीदल बातें करने लगे... मैं आया था तुम्‍हारी ताज़ा ग़ज़ल सुनने।

नासिर : ताज़ातरीन ग़ज़ल सुनाऊं...

हिदायत : इरशाद।

नासिर : थोड़ी सी ख़िताब है... जिसके लिए उम्‍मीद है माफ़ फ़रमायेंगे... अर्ज़ है-

साज़े हस्‍ती की सदा ग़ौर से सुन

क्‍यों है ये शोर बपा ग़ोर से सुन

चढ़ते सूरज की अदा को पहचान

डूबते दिन की निदा ग़ौर से सुन

इसी मंज़िल में हैं सब हिज्रो-विसाल

रहरवे आब्‍ला पा ग़ौर से सुन

इसी गोशे में है सब दैरो हरम

दिल सनम है के खुदा ग़ौर से सुन

काबा सुनसान है क्‍यों ए वायज़

हाथ कानों से उठा ग़ौर से सुन

दिल से हर वक़्‍त कोई कहता है

मैं नहीं तुझसे जुदा ग़ौर से सुन

हर क़दम राहे तलब में वासिर

जरसे दिल की सदा ग़ौर से सुन

(हिदायत हुसैन उन्‍हें बीच-बीच में दाद देते हैं। नासिर के ग़ज़ल सुना चुकने के बाद हिदायत कुछ क्षण के लिए ख़ामोश हो जाते हैं।)

हिदायत : बड़ी इल्‍हामी कैफ़ियत है ग़ज़ल में।

नासिर : मुझे ख़ुशी है कि ग़ज़ल आको पसन्‍द आई।

(दरवाज़े पर दस्‍तक सुनाई देती है।)

नासिर : कौन है? अन्‍दर तशरीफ़ लाइए।

(रतन की मां हाथ में मिठाई लिए अन्‍दर आती है। उन्‍हें देखकर नासिर खड़ा हो जाता है।)

नासिर : माई तशरीफ़ लाइए... आपने नाहक तकलीफ़ की... मुझे बुलवा लिया होता।

रतन की मां : त्‍योहार च कोई किसी नूं बुलवांदा नई है बेटा... लोग खुद एक दूजे दे घर जांदे ने।

नासिर : (आश्‍चर्य से) त्‍योहार? आज कौन-सा त्‍योहार है माई।

रतन की मां : बेटा अज दीवाली है।

नासिर : माई, दीवाली मुबारक हो।

रतन की मां : त्‍वानूं वी दीवाली मुबारक होए... मैं त्‍वानूं मिठाई खिलादी हां।

नासिर : वतन की याद ताज़ा हो गयी...

रतन की मां : बेटा की तुस्‍सी अपणें वतन च दीवाली मनादें सी।

नासिर : हां माई हम सब त्‍योहार मनाते ही नहीं थे, नए-नए त्‍योहार ढूंढते थे।

रतन की मां : लो मिठाई खाओ।

(रतन की मां दोनों के सामने मिठाई रख देती है। वे दोनों खाते हैं।)

नासिर : माई, आपके हाथ के खाने में वही लज़्‍ज़त है जो मेरी दादी के हाथ के खाने में थी।

हिदायत : बहुत लज़ीज़ मिठाई है।

रतन की मां : बेटे ज्‍यादा बणा नहीं सकी... फिर डर वी रई सी कि...

(अपने आप रुक जाती है।)

हिदायत : क्‍यों डर रही थी माई?

रतन की मां : बेटे पाकिस्‍तान बण गया है नां...

नासिर : तो पाकिस्‍तान में क्‍या दीवाली नहीं मनाई जा सकती।

रतन की मां : मैं समझी पता नई लोग की कहणंगे खब़रें की समझणगें।

नासिर : लोगों को कहने दो माई, लोग तो कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं। इतनी मेरी भी सुन लीजिए कि इस्‍लाम दूसरे मज़हबों की क़द्र और इज़्‍ज़त करना सिखाता है।

रतन की मां : बेटा ठीक है कह दां है। साड्‌डे लाहौर विच हिन्‍दू- मुसलमान एक सी तो तां पता नई किसने की कीत्ता कि अचानक भरा-भरा नाल खून दी होली खेलण लग पाया।

(दोनों चुप रहते हैं।)

रतन की मां : अच्‍छा मैं चलदी हां... गली च दूसरे घरां च वी मिठाई वंड्‌ड आवां।

नासिर : सलाम माई।

रतन की मां : ज़ींदा रह पुत्तर।

(रतन की मां निकल जाती है।)

नासिर : हिदायत भाई अब मैं घर में नहीं बैठ सकता।

हिदायत : क्‍यों?

नासिर : यादों से मुलाक़ात मुझे घर की चहारदीवारी में पसन्‍द नहीं है।

हिदायत : कहो ये के आवारगी का दौरा पड़ गया है।

नासिर : आप भी चहिए...

हिदायत : ना भाई... तुम्‍हारे पैरों जैसी ताक़त नहीं है मेरा पास... खुदा हाफ़िज़।

नासिर : खुदा हाफ़िज़।

(हिदायत बाहर निकल जाते हैं।)

---

(क्रमशः अगले अंकों में जारी...)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: असग़र वजाहत का नाटक : जिस लाहौर नइ वेख्या, ओ जमया हि नइ - (6)
असग़र वजाहत का नाटक : जिस लाहौर नइ वेख्या, ओ जमया हि नइ - (6)
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEglB-t5dQKNKzH-26SOK2ise7vGhA2SY2CGVu9SJGiqMUHLN_lUagy5F197gsobyOBVfs-Un56RRzaMMy2Eftu2w5QKt7pyu4PIGqltyLGrObEvir54ecx2vOnsxj80g_3Ka30t/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEglB-t5dQKNKzH-26SOK2ise7vGhA2SY2CGVu9SJGiqMUHLN_lUagy5F197gsobyOBVfs-Un56RRzaMMy2Eftu2w5QKt7pyu4PIGqltyLGrObEvir54ecx2vOnsxj80g_3Ka30t/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/03/6.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/03/6.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content