अफवाहों का वर्ष रात के तीन बज रहे थे। अचानक मेरे मोबाइल की घंटी बजने लगी। मैंने कॉल रिसीव किया। उधर से हमारे एक सम्बन्धी घबराए हुए बोल रहे ...
अफवाहों का वर्ष
रात के तीन बज रहे थे। अचानक मेरे मोबाइल की घंटी बजने लगी। मैंने कॉल रिसीव किया। उधर से हमारे एक सम्बन्धी घबराए हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा “ आज की रात हम लोग सोये नहीं हैं। सुना है देश के कई हिस्सों के लोग पथरा गए हैं। लोग कह रहे हैं कि आज की रात को जो सोयेगा उसका शरीर पत्थर का हो जायेगा”।
मैंने कहा “यह एक अफवाह मात्र है”। वे बोले “यह २०१२ है। इसमें कुछ भी हो सकता है”। मैंने कहा “कुछ नहीं होगा। केवल अफवाहें उड़ाई जाती रहेंगी। एक से एक अफवाहें सुनाई पडेंगी।
भगवान करें कुछ न हो कहकर उन्होंने फोन रख दिया। पत्नी बोली आखिर क्या हो गया है लोगों को। अभी २०१२ लगा नहीं कि लोग एक से एक मनगढंत अफवाहें फैलाने लगे। प्रलय आये यह कोई नहीं चाहता। फिर भी लगता है जैसे लोग उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। यदा-कदा उड़ाते रहते हैं कि वहाँ तबाही आ गयी। वहाँ भूकम्प आ गया। यहाँ भी आने वाला है। आदि। अभी देखो लोग कितनी रातों के नीद खराब करते हैं।
मैंने कहा मुझे तो हंसी आती है यह सब सुनकर। सोओगे तो पथरा जाओगे। क्या अफवाह है ? अभी देखो क्या-क्या सुनने को मिलता है। सच में यही स्थिति रही तो २०१२ को इतिहास में ‘अफवाहों का वर्ष’ के नाम से जाना जाएगा।
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प्रलय आ रही है
खबरीलाल यह खबर उड़ाते हुए अपने घर से निकले कि प्रलय आ रही है। फिर क्या था, सारे गाँव के लोग इनके पीछे हो लिए। इन सबको देखकर दूसरे गाँव के लोग भी निकल पड़े।
खबर प्रलय की तरह बढ़ती ही जा रही थी। प्रलय की बात सुनकर कुछ लोगों के प्राण पखेरू उड़ गए। खबरीलाल बोले देख लिया न यह प्रलय की शुरुआत है। यदि बचना हो तो भागो।
किसी बुद्धिजीवी ने पूछा कि भाई आप लोग क्यों भाग रहे हो ? खबरीलाल बोले सुना नहीं प्रलय आ रही है। बुद्धिजीवी बोले तुम्हें पता है कि प्रलय आ रही है तो क्या तुमने प्रलय आते हुए देखा है ? खबरीलाल बोले आज तक प्रलय किसी ने देखा है कि हम ही देखेंगे। प्रलय देखने के लिए बचता कौन है ? बुद्धिजीवी बोले फिर भी यदि प्रलय आ ही रही है तो भागने की क्या जरूरत है ? कहाँ जाओगे ? प्रलय से कोई कहाँ भाग सकता है ? खबरीलाल बोले हम लोगों का समय खराब मत करो। हम सब जहाँ तक भाग पाएंगे भागेगें। हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वाले नहीं हैं।
हम खुद भागेगें तो हमें देखकर दूसरे भी भागेगें। और हो सकता है हम सबको भागता देखकर प्रलय भी भाग जाये। लोगों ने कहा अरे भाई प्रयास करने में क्या बुराई है ? भागो ! और सब भागने लगे।
बुद्धिजीवी ने कुछ सोचा और बोले हाँ प्रयास करने में कोई बुराई नहीं है और खुद खबरीलाल के साथ भागने लगे। खबरीलाल बोले यह २०१२ है। इसके लगते ही बरसात शुरू हो गई है। बादल भी गर्जा है। और हवा भी चली है। ऐसे बता रहे थे, जैसे २०१२ के पहले ऐसा कभी हुआ ही नहीं।
आगे बोले कि बिल्ली रो रही थी। कुत्ते भौंक रहे थे। चूहे और चींटी अपने बिलों से निकलकर भाग रहे थे। इन्हें कौन बताए कि चूहे यदि रात में नहीं निकलेंगे तो कब निकलेंगे। पानी बरसने पर चीटियों के बिल से निकलने पर क्या आश्चर्य है ? भला कुत्ते किस रात में नहीं भौकते हैं। वो भी खबरीलाल का कुत्ता क्यों नहीं रोयेगा। क्योंकि इनके पड़ोसी दो दिन से कहीं गए हुए हैं। इनका कुत्ता रहता है इनके यहाँ और खाना पाता है इनके पड़ोसी के यहाँ।
खबरीलाल बोले यह सब प्रलय की निशानी है। बहुत बड़ा भूकम्प आ रहा है। हमारा सीना धड़क रहा है। कुछ होकर रहेगा। सभी लोगों ने देखा कि उनकी भी धड़कनें बढ़ी हुयी हैं। खबरी ने कहा लगता है कि देश के कई शहर तबाह हो गए हैं। कुछ भी नहीं बचा है। अपने-अपने सगे-सम्बन्धियों और नात-रिश्तेदारों तक यह खबर पहुँचाने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल करो। कहने भर की देर थी। मोबाइल कम्पनियों की चांदी और कितनों के नीद की बर्बादी हो गई।
यह सिलसिला बढ़ता गया और मेरा मोबाइल भी बज उठा। आवाज आई घर छोड़कर भाग जाओ। प्रलय आ रही है। भूकम्प आ रहा है। खबरीलाल ने यह खबर आप तक पहुँचाई है। कई शहर तबाह हो गए हैं। बोले हैं कि आप जितना हो सके उतने लोगों को लेकर बाहर खड़े होकर इस ठंढ़ में कांपे। तो हो सकता है कि आप सबको काँपता देखकर भूकम्प कांप कर भाग जाए अथवा आये तो कांप ही न सके।
हम जग तो गए ही थे, सो कुछ सोच-बिचार करने लगे। इतने में फिर फोन बजा। किसी ने पूछा आप बचे हैं। भूकम्प नहीं आया। मैंने कहा भूकम्प नहीं आया, भूकम्प का फोन आया था। हम बचे हैं और बचे ही रहेंगे। हम २०१३ में भी मिलेंगे। क्योंकि बिनास २०१२ में नहीं होगा। बिनास वाली प्रलय नहीं आएगी। वैसे कई प्रलय आ सकती है।
हम सोचने लगे जब देश तबाह हो तो ऐसे में देश का कोई शहर तबाह हो या हो जाये तो इसमें क्या आश्चर्य है ? मँहगाई, घूसखोरी, बेमानी, हत्या, लूट, घुसपैठ आदि से क्या देश तबाह नहीं है ? इनसे लोगों को तरह-तरह के झटके लगते रहते हैं। इस प्रकार से देखा जाय तो प्रतीकात्मक रूप से खबरीलाल पूर्णतयः गलत नहीं हैं। लेकिन इस तरह से हड़कम्प मचाने की क्या जरूरत है ?
यदि सही में भूकम्प ही आएगा तो खबरीलाल की खबर धरी रह जायेगी। क्योंकि आज का विज्ञान भी नहीं बता पाता है कि भूकम्प कब आएगा ? इतना जरूर बता देता है कि तीव्रता क्या थी यानि हल्का था या तेज ? और कितने देर तक आया था। यदि बच जाय तो इतना कोई गवाँर भी बता सकता है। फिर विज्ञान या खबरीलाल के विज्ञान से इसमें क्या फायदा ?
प्रलय का रूपक यदि परिवर्तन मान लिया जाय तो खबरीलाल गलत नहीं होंगे। ऐसी प्रलय आ रही है। और आएगी। लेकिन लोगों को घर छोड़ने के पहले समझना होगा। नहीं तो घर छोड़कर भागते रहे तो सामान खरीदने के लिए पैसे जुटाने पड़ सकते हैं। क्योंकि जब घर वापस पहुँचेगें तो घर तो मिलेगा लेकिन घर में सामान नहीं होगा।
हम यह सब सोचते रहे और इधर खबरीलाल और इनकी टीम को भागते-भागते सुबह हो गई। प्रलय रात में ही आनी थी। ये बोले हमारा प्रयास सार्थक हुआ। हमें भागते देखकर प्रलय भाग गई। लेकिन हमें सावधान रहना होगा। क्योंकि यह २०१२ है। कभी सुनाई पड़े कि प्रलय आ रही है तो चूकना मत। भागना और जितने लोगों को हो सके भगाना।
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डॉ. एस. के. पाण्डेय,
समशापुर (उ. प्र.)।
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