पिछली कड़ियाँ - एक , दो , तीन , चार , पांच , छः , सात , आठ , नौ , दस , ग्यारह , बारह , तेरह , चौदह आओ क...
पिछली कड़ियाँ - एक , दो , तीन, चार, पांच, छः , सात, आठ, नौ, दस, ग्यारह, बारह , तेरह, चौदह
आओ कहें...दिल की बात
कैस जौनपुरी
गोली मार दूँगा
इरशाद - और बताइए ठाकुर साहब, क्या हाल चाल है...?
भुवन - बस इरशाद भाई, सब बढ़िया है. आपको शादी में आना है, सपरिवार.
इरशाद - बिल्कुल जनाब, आप नहीं बुलाएँगे, हम तब भी आएँगे.
भुवन - क्या बात है, ये हुई न अपनों वाली बात...!
इरशाद - और बताइए साहब, खुश तो हैं ना...?
भुवन - हाँ इरशाद भाई, बहुत खुश हैं. अब आप इतने करीबी हैं तो एक बात कहना चाह रहा था...
इरशाद - हाँ, हाँ...कहिए...!
भुवन - थोड़ा डर लग रहा है.
इरशाद - किस बात का...?
भुवन - वही, अगर लड़की सही नहीं मिली तब क्या होगा...?
इरशाद - मतलब...?
भुवन - अरे वही, आप तो समझते हैं. आजकल की लड़कियाँ स्कूल से ही ब्वॉयफ्रेंड बनाने लग जाती हैं. और पता नहीं क्या क्या...आप तो सब जानते हैं.
इरशाद - हूँहूँ....तो आपको क्या लगता है...?
भुवन - अब क्या बताएँ, वही, मन में डर रहता है कि कहीं उसका भी कोई ब्वॉयफ्रेंड हुआ तो...?
इरशाद - तो...?
भुवन - तो मैं तो गोली मार दूँगा. मैं तो सीधा बोलता हूँ. आप जानते हैं मेरा नेचर कैसा है.
इरशाद - अच्छा जी, अभी शादी हुई नहीं और गोली मारने की तैयारी चल रही है. अच्छा है. लेकिन एक बात बताइए, आपको पता कैसे चलेगा कि कुछ है...?
भुवन - वो तो पता चल जाएगा.
इरशाद - कैसे...?
भुवन - वो तो पहली ही रात में सब पता चल जाएगा. अब आपसे क्या छुपाना, आप तो जानते हैं सब.
इरशाद - लेकिन साहब, हम ये भी जानते हैं कि जो बात आपको पहली ही रात में पता चल जायेगी, उसका कारण कुछ और भी हो सकता है. जरुरी नहीं कि किसी के साथ संबंध हों तभी ऐसा होता है. आजकल इतनी सारी रिसर्च आ चुकी हैं. आप कहाँ पुरानी सोच में पड़े हुए हैं...?
भुवन - नहीं, इरशाद भाई, अगर ऐसा हुआ तो मैं तो जीते-जी मर जाऊँगा. साला, मैं तो किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहूँगा.
इरशाद - क्यूँ..? क्या सबको पता चल जाएगा बिना बताए....?
भुवन - नहीं साहब, मुझे ये बर्दाश्त नहीं कि मेरी होने वाली बीवी का किसी से अफेयर हो.
इरशाद - अच्छा ठीक है, अभी है तो नहीं ना. क्या पता शादी के कुछ साल बाद अफेयर हो जाए किसी से.... तब क्या करेंगे...?
भुवन - बताया न आपको, मैं तो सीधा गोली मारूँगा.
इरशाद - हूँहूँ...आप तो हमेशा बन्दूक लेके तैयार रहते हैं. अच्छा ये बताइए, अगर आपकी होने वाली बीवी वैसी नही हुई जैसा आप सोच रहे हैं, तब...?
भुवन - तब तो मैं उसे बहुत प्यार करूँगा. हथेली पे रखूँगा. जो कहेगी हर ख्वाहिश पूरी करूँगा. एक से एक महँगी चीज दिलाऊंगा. मुँह से निकला नहीं कि हाजिर.
इरशाद - क्या बात है...! इतना प्यार दिल में लिए घूम रहे हैं और साथ में बन्दूक भी. ये क्या कहानी है...?
भुवन - अरे इरशाद भाई, वो रजुआ है ना. वही कह रहा था कि पहली रात में देख लेना सब पता चल जाएगा. साले ने दिमाग घुमा दिया मेरा. तब से यही सोच रहा हूँ. लेकिन अभी आप से बात करके मुझे लग रहा है कि जिस बात का मुझे पता ही नहीं है उसके लिए क्यूँ परेशान हो रहा हूँ.
इरशाद - वही तो मैं कह रहा हूँ साहब. ये जिन्दगी जीने के लिए मिली है, गोली मारने के लिए नहीं. अब मेरी बात सुनिए. भाभी जी चाहे जैसी भी होंगी, अच्छी होंगी. अगर आपको किसी बात का शक है तो आप पहले पता कीजिए. एक बार शादी कर लेने के बाद वो आपकी जिम्मेदारी हो जायेंगी. फिर आप ये नहीं कह सकते कि गोली मार दूँगा. क्यूंकि तब लोग कहेंगे कि पहले क्या कर रहे थे आप. अगर आपको शक था तो पहले ही मना कर देना चाहिए था. अब शादी करके ड्रामा करने से क्या फायदा...?
भुवन - नहीं आप सही कह रहे हैं. इस तरह से दोनों तरफ बदनामी हो जायेगी.
इरशाद - आप सब समझते हैं मगर फिर भी...
भुवन - अरे इरशाद भाई, शादी का मामला है ना, थोड़ा डर तो है ही. और फिर लोग भी मिल जाते हैं न दिमाग घुमाने के लिए. हर कोई आपकी तरह सुलझा हुआ आदमी नहीं होता है न. आप तो दाग लगे हुए को भी बेदाग़ बना दें. ऐसी खासियत है आपके अन्दर.
इरशाद - नहीं साहब, ऐसी कोई बात नहीं. मैं तो बस इतना कह रहा हूँ कि शादी होने जा रही है आपकी. खुश रहिए. ये बेफजूल की बातों में कहाँ फँस रहे हैं. आजकल तो साईकिल चलाने, रस्सी कूदने और पेड़ पर चढ़ने और पता नहीं कितनी वजहें हैं, जिनसे ऐसा हो जाता है. अब अगर आप यही बात दिमाग में लेके पहली रात में जाएँगे, तो ना तो आप खुश रहेंगे. और ना ही सामने वाले को खुश कर पाएँगे. और आपकी जानकारी के लिए बता दूँ, जिस तरह आप पहली रात में छानबीन की तैयारी में हैं, उसी तरह लड़कियाँ भी रहती हैं. अगर आप पहली रात में चूक गए, तो जिन्दगी भर के लिए आपकी वही इमेज बनी रहेगी.
भुवन - इरशाद भाई, ये तो किसी ने बताया ही नहीं.
इरशाद - तो हम बता रहे हैं न. वैसे सही कहें तो आप किसी बात की चिन्ता लेके कमरे में मत जाइयेगा. आप बिल्कुल फ्री माइंड से जाइयेगा. और उस वक्त जो आपके दिमाग में आए, वही कीजियेगा. और कुछ समझ में ना आए तो भाभी जी से पूछ लीजियेगा. वैसे भी औरतों से राय लीजिए तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है.
भुवन - लेकिन उसे कैसे पता होगा..? उसे पता होगा तो मतलब गडबड है ना...?
इरशाद - ओह हो...! आप फिर गलत सोचने लगे. लड़की लड़की होती है. और एक लड़की कभी भी लड़के से तो अच्छी ही रहती है. और फिर उसे उसकी माँ और सहेलियाँ काफी कुछ समझा-बुझा के भेजती हैं. जिस तरह आप कोचिंग ले रहे हैं. उसी तरह उधर भी कोचिंग चल रही होगी. और आपको तो पता नहीं है, औरतों की बातें तो आप सुन भी नहीं सकते. हम आदमी लोग तो थोड़ा शरमा भी जाते हैं. औरतें तो इकदम खुल के बात करती हैं.
भुवन - बड़ा लफड़ा है. जितना दिमाग लगाओ उतना ही प्रपंच.
इरशाद - इसलिए दिमाग को बिल्कुल किनारे रख दीजिए और शादी में मन लगाइए. जितना खुश रहेंगे उतना अच्छा है. और पहली रात में भाभी जी को कोई तोहफा जरुर दीजियेगा.
भुवन - वो किसलिए...?
इरशाद - ये सही कहा आपने...? बन्दूक और गोली का इन्तजाम कर लिया और मुँह-दिखाई का कुछ नहीं...! अरे मियाँ, पहली बार वो आपके सामने आएँगी. आप घूँघट उतारेंगे. और फिर पता नहीं क्या-क्या उतारेंगे. ऐसे ही फ्री में...?
भुवन - अब आप मजाक कर रहे हैं.
इरशाद - हम सही कह रहे हैं. खाली हाथ मत जाइयेगा.
भुवन - अच्छा चलिए ये सब तो ठीक है. और कुछ स्पेशल ध्यान रखने वाली बात हो तो वो भी बता दीजिए.
इरशाद - भाई साहब, आप अपनी बीवी से मिलने जा रहे हैं, कोई जंग लड़ने नहीं जा रहे हैं. किसी तैयारी की जरुरत नहीं है. सब हो जाएगा, अपने आप. बस आप उस दिन पीके टुन्न मत रहिएगा. किसी भी दुल्हन को अच्छा नहीं लगेगा कि उसका पति पहली ही रात में पी के आए.
भुवन - लेकिन वो रजुआ कह रहा था कि बियर पी के जाओ तो ज्यादा अच्छा रहता है. मतलब...ज्यादा देर तक...
इरशाद - अच्छा, तो ये भी बाकी है अभी. अरे साहब, आपको एक बात बताएँ, एक-दूसरे से बात करके, प्यार से जितना मजा आयेगा, उतना ना तो बियर से आयेगा, ना ही किसी दवा से. और भगवान के लिए, ऐसी कोई उल्टी-सीधी चीज इस्तेमाल मत कीजियेगा.
भुवन - नहीं, नहीं करेंगे. अब आप कह रहे हैं तो नहीं करेंगे. वो साला रजुआ पागल है. उसे कुछ नहीं मालूम. आपको सब मालूम है. और सही चीज मालूम है. आपने अभी तक जितनी बातें बताई हैं, सब में सिर्फ अच्छाई है. किसी भी बात में कोई बुराई नहीं है. और सबसे बड़ी बात, इस तरीके में प्यार है, अपनापन है. मैं जो सोच रहा था, उसमें तो कुछ नहीं था. सिर्फ शक था, अविश्वास था. लेकिन अब ठीक है. आपने मेरी आँखे खोल दी. अब गोली नहीं मारूँगा.
इरशाद - चलिए अच्छा है. अब इसी बात को ध्यान में रखियेगा. सिर्फ पहली ही रात नहीं, पूरी जिन्दगी के लिए यही तरीका काम करेगा.
भुवन - बिल्कुल इरशाद भाई, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. आपने एक खून होने से बचा लिया. अब रजुआ को गोली मारूँगा. क्या कहते हैं..?
इरशाद - उसको बस धमका दीजियेगा कि आगे से किसी को ऐसी उल्टी-सीधी पट्टी न पढाये.
भुवन - इरशाद भाई, आपकी इसी अदा का तो मैं कायल हूँ. आपने रजुआ को भी बचा लिया. आपके दिल में सबके लिए प्यार है. कितने अच्छे हैं आप. आई लव यू.
इरशाद - अपना तो यही तरीका है जनाब.
भुवन - अच्छा है. बहुत अच्छा तरीका है आपका. सबको खुश रखने वाला.
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कैस जौनपुरी
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