ढूंढ कर दिखाओ आजकल टेलीविजन पर एक विज्ञापन आ रहा है ''ढूंढ कर दिखाओ'', विज्ञापन कम्पनी ने जिस वस्तु का प्रयोग कर ढूंढ कर...
ढूंढ कर दिखाओ
आजकल टेलीविजन पर एक विज्ञापन आ रहा है ''ढूंढ कर दिखाओ'', विज्ञापन कम्पनी ने जिस वस्तु का प्रयोग कर ढूंढ कर दिखाने की बात कही है उसमें उनका विश्वास, उनकी टीम की कर्मठता साफ झलकती है। लेकिन आज कल हर आदमी ढूंढ कर दिखाने या देखने के प्रयत्न में लगा है। मान लिजिये आपके किसी मित्र ने एक अच्छा सा मोबाइल खरीदा है वह यही कहेगा कि मैंने बहुत कोशिश करने के बाद यह मोबाइल पाया है, आपको ऐसा पूरे बाजार में नहीं मिलेगा, कोशिश करो जरा ढूंढ कर दिखाओ । इस तरह की वस्तुओं अथवा अन्य वस्तुओं के लिये आपको यह स्लोगन सुनाई पडेगा ही पड़ेगा। कहने का तात्पर्य है कि आजकल हर कोई ढूंढ कर दिखाने में लगा है।
अब अन्ना हजारे की बात ले लीजिये उन्होंने अपनी कोर कमेटी में साफ छवि के लोग रखे, किरण बेदी, अरविन्द केजरीवाल, आदि और कहा कि यह लोग साफ छवि के लोग है। लेकिन भाई लोग तो ढूंढ ढूंढ कर देखने लगे, ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि इनकी छवि साफ हो, दिमाग में कीडा कुलबुलाया और वह भी उसी मुहिम में लग गये और फिर जो कुछ भाई लोगों ने ढूंढ कर निकाला है, उसने तो कोर कमेटी पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। अन्ना हजारे के कहे गये 3. साल पहले के शब्द तक ढूंढ कर दिखा दिये। इल्जाम तक लगा दिया कि अन्ना का तरीका तालिबानी है। अब अगर यह कहा जाये कि तालिबानी तरीका क्या है जरा ढूंढ कर दिखाओ तो भाई लोग उसे भी ढूंढ कर दिखा देंगे।
राजस्थान का भॅवरी देवी केस, सी.बी.आई. लगी है ढूंढने कि आखिर भॅवरी देवी गई कहां, बेचारे कई मंत्री तो इस चक्कर में अस्पताल में चले गये, सी.बी.आई. फिर भी लगी है ढूंढने में, बेचारे नेताओं पर तरस ही नहीं आता, अगर ढूंढ भी लिया तो क्या कर लोगे? लेकिन सी.बी.आई. भी उसी मुहिम में शामिल है कि ढूंढ कर दिखाओ? मानों आजकल ढूंढ कर दिखाने के अलावा और कोई काम ही नहीं रह गया । हमारे छिपाने वाले भाई लोग भी इस प्रतिस्पर्धा में लगे हैं कि ऐसी जगह छिपायेगे और फिर कहेंगे ढूंढ कर दिखाओ।
उत्तराखण्ड के एक ड्ग इन्सपेक्टर को 5. हजार की रिश्वत लेते पकडा गया रंगे हाथ, अब उसने और पैसे कहा छिपा रखे हैं उसे ढूंढ कर दिखाना था, घर पर छापे मारे गये, मिली सोने की मूर्ति, चॉदी की मूर्ति और भी न जाने क्या क्या मुझे तो उन चीजों के नाम भी नहीं पता देखने और ढूंढ कर निकालने की तो बात ही छोड दें, यानि इन पक्तियों का लेखक इस मामले में कितना गंवार, कितनी उसकी आई.क्यू. है, कितना अदना सा आदमी है क्या आप मेरे पक्ष में कुछ कहेंगे? नहीं न? क्योंकि हमारे में से अधिक से अधिक आदमी आजकल ढूंढ कर निकालने के काम में लगे हैं......लगे रहो मुन्ना भाई वाली बात है। फिर इन्सपेक्टर साहब से पूछा गया कि बताओ और कहॉ छिपा रखा है, वो क्यों बताने लगे, साम दाम दण्ड भेद सारी नीतियॉ आजमायी गयी लेकिन साहब ड्ग इन्सपेक्टर साहब ने शायद कोई बहुत बढिया ड्ग खा कर छिपाये थे, किसी के दिमाग में आया अरे एक जगह तो रह ही गई उसका लाकर, उसने लाकर की चाबी देने से मना कर दिया। अब भाई ढूंढने वालों की इसमें बेइज्जती होती अतः पुलिस का सहारा लिया गया कानून का सहारा लिया गया और जब लॉकर खोला गया तो ढूढने वालों को पूरा डेढ़ धण्टा लगा उसे गिनने में।
आप को आरूषी वाला केस तो याद होगा ही, अभी तक असली कातिल को नहीं ढूंढ पाये, बेचारों को कोर्ट से डॉट तक खानी पडी, मतलब यह कि अगर ढूंढने निकले हो तो ढूंढ कर दिखाओ, बहानेबाजी मत करो।
आप किसी मित्र या रिश्तेदारी में जाते हैं, वहां पर भी आपको अक्सर मां बाप यह कहते मिलेंगे हमारी लड़की के लिये कोई अच्छा सा वर ढूंढो, हमारा लड़का एम.बी.ए.,है, इसके लिये भी कोई नौकरी ढूंढना। यानि हर जड़ चेतन में समाज में, नाते रिस्तेदारी में ढूंढने की अनवरत प्रकिया चल रही है।
राजनीति में अक्सर यह हाइड एंड सीक का खेल चलता ही रहता है। ऐसी ऐसी चीजों एक दूसरे के बारे में ढूढ कर लाते हैं कि तबीयत करती है इन चीजों को सालाजार म्यूजियम में रख दिया जाये।
मुझे तो ऐसा लगने लगा है कि हमारा देश एक ऐसा गहरा समुद्र हैं जिसमें असंख्य चीजें ढूंढने की है, शायद समुद्र मन्थन के समय भी ऐसी ऐसी चीजें नहीं निकली हों। या हो सकता हैं वैसी हिम्मत उस समय के देव और दानवों में न रही हो .........
अब ढूंढने वालों को मैं भी एक चैलेन्ज देना चाहता हूं, जरा ढूंढ कर एक ऐसा डाक्टर निकालो जो ढूंढ ढूंढ कर निस्वार्थ रोगियों की चिकित्सा कर रहा हो। जरा ढूंढ कर एक ऐसा नेता दिखाओ जो बिल्कुल संत हो, जरा ढूढ कर ऐसा आदमी निकालो जिसने बिना दहेज लिये किसी गरीब की लडकी से शादी की हो। जरा ढूंढ कर एक आदमी निकालो जो भारत में प्रेम, कर्तव्य निष्ठा, हक, मजदूरी, लगनशीलता, देशप्रेम, चोरी चकारी से दूर रहने की शिक्षा बांट रहा हो (बिना कोई अपना स्वार्थ रखें) आम लोगों को पढा रहा हो। जरा ढूंढ कर एक ऐसा विभाग निकालो जिसके अफसर, कर्मचारी भ्रष्ट न हो, जरा ढूंढ कर एक ऐसा ठेकेदार दिखाओ जिसका दावा हो कि उसका बनाया पुल या इमारत 3.. साल तक खराब होने वाली नहीं है। जरा ढूंढ कर एक ऐसा वैज्ञानिक निकालो जिसने एक ऐसा जीन या वस्तु तैयार की हो कि कोई भ्रष्ट नहीं होगा, कोई गबन नहीं करेगा, कोई निरपराध को नहीं फंसा पायेगा, कोई भूखा नहीं सो पायेगा । एक ऐसा लीडर जिसकी तुलना संत रविदास, मार्टिन लूथर किंग, लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गांधी, हरि सिंह नलवा, राणा प्रताप, शबरी, जटायू, विवेकानन्द,आदि से की जा सके। कोई ऐसी कम्पनी ढूंढ कर दिखाओ जिसके अधिकारियों/कर्मचारियों ने कम से कम वेतन में अधिक से अधिक उत्पादन का प्रण किया हो, हडताल न करने प्रण लिया हो, अगर ऐसा कोई ढूंढ पाये तो मैं समझूंगा कि हमारी ढूंढने की मुहिम सही दिशा की ओर जा रही है...........फिर भी ढूंढने वालों को मेरी हार्दिक शुभकामनायें।
RK Bhardwaj
151/1 Teachers’ Colony, Govind Garg,
Dehradun (Uttarakhand)
E mail: rkantbhardwaj@gmail.com
अब तो क्या कहा जाए.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
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