कृष्ण गोपाल सिन्हा का व्यंग्य - देश का पाचन तंत्र

SHARE:

जनार्दन जी के यहाँ मेरा प्रवेश लेने और उनके डकार लेने की क्रिया लगभग एक ही साथ संपन्न हुयी. मेरे लिए यह अनुमान लगाना अत्यंत सहज था कि इससे ...

जनार्दन जी के यहाँ मेरा प्रवेश लेने और उनके डकार लेने की क्रिया लगभग एक ही साथ संपन्न हुयी. मेरे लिए यह अनुमान लगाना अत्यंत सहज था कि इससे पहले जनार्दन जी ने एक महत्वपूर्ण क्रिया के कर्ता रहे होंगे जिसका सम्बन्ध किसी खाद्य पदार्थ के सेवन से रहा होगा.मुझे तभी यह भी याद आया कि मेरी माताश्री भी अक्सर दो-चार डकार लिया करती थीं जिनमे कुछ मध्यम तो कुछ निम्न स्वर में होते थे. मुझे अत्यंत उच्च स्वर में डकार सुनने का भी सौभाग्य मिलता था जब मै अपने ननिहाल जाता था और वहाँ पड़ोस में रहने वाले एक दद्दा जी डकार लेते थे या दहाड़ते थे यह मै तब समझ नहीं पाटा था.खैर, अब आप कि तरह मेरे भी समझ में यह तो आ ही गया है कि यक एक शारीरिक मौखिक क्रिया है जो पाचन तंत्र से जुड़ा है और क्षुधा के शांत होने तथा संतुष्टि का एक्नोलेजमेंट है.

जनार्दन जी यह महसूस कर रहे थे कि इस तरह डकार लेते मैंने उन्ही शायद पहली बार देखा है और इसीलिये उन्होंने मुझसे पूछ ही लिया कि आप को भी क्या कभी डकार आती है. मेरा ध्यान डकार से जुडी क्रिया पर गया तो मैंने उन्हें बताया कि हाँ, जब कभी आती है तो ले लेता हूँ. जनार्दन जी के चहरे पर हल्की सी मुस्कराहट आयी तो मैंने भी मुस्कुराकर रिस्पोंस दिया. उन्होंने मुझे बताया कि डकार तो उनके नानाश्री भी लेते थे पर इसका पता अपने घर के लोगों के अलावा पास पड़ोस के लोगों को भी चल जाता था कि मुंशी जी अब भोजन करके निवृत्त हुए हैं.

मेरी बुद्धि के अनुसार डकार आने कि क्रिया भोजन ग्रहण कर लेने के पश्चात कि ऐसी क्रिया होती है जिससे पेट और पाचन तंत्र के सही ढंग से सही संचालन किये जाने का एलान होता है. मैंने जनार्दन जी से कहा कि यह तो एक स्वस्थ शरीर की स्वस्थ और स्वाभाविक प्रक्रिया है. मेरा इतना कहते ही उनके चहरे का भाव बदलने लगा. कुछ निराशा, कुछ क्षोभ,कुछ आक्रोश और कुछ वेदना का भाव लेकर वे बोले," भैया, भोजन के बाद डकार का आना या डकार लेना तो स्वस्थ लक्षण है परन्तु डकार जाने और डकार भी न लेने कि क्रिया और इसका बढ़ता प्रचलन एक बहुत ही गंभीर और चिंताजनक मुद्दा बन गया है.”

मुझे लग रहा था कि जनार्दन जी किसी गंभीर और शास्त्रीय विषय पर आने वाले है इसलिए मै उनकी बातों की गहराई थहाने की नाकाम कोशिश की जिसे वे भांप गए. कहने लगे, डकारें तो गायें और भैसे भी लेती हैं पर उन्होंने कभी भी इस बात की शिकायत नहीं की कि उनके हिस्से का चारा उनसे इतर योनि के जीव डकार जाते हैं.

मेरा ज़हन अब उनकी बातों को समझने और ग्रहण करने को तैयार लग रहा था. जनार्दन जी इस बात को ताड़ते ही कहने लगे कि हाजमा ठीक हो, अपच और अनपच की शिकायत न हो तो डकारों का स्वाद खट्टा नहीं होता. डकार आ भी जाए और डकार ले भी ले तो ठीक ही होता है परन्तु हाजमा इतना दुरुस्त हो कि आप बहुत कुछ या कभी कभी सब कुछ खा जाए यानि डकार जाए और डकार भी न लें तो यह अच्छी बात नहीं है.दरअसल, हमारे लोकतंत्र में कई और तंत्र उभरे है और उभरते ही जा रहे हैं.

इसी क्रम में देश का पाचन तंत्र भी बहुत मजबूत होकर उभरा है. किसका हाजमा कितना दुरुस्त है, कौन कितना ज़्यादा हजम कर जाता है, किसमे कितना डकार जाने का हौसला और हुनर है, किसने डकार जाने और फिर भी डकार तक न लेने के कितने नए कीर्तिमान बनाए है, इन सब को थहाने की कोशिश आप और हम करने की गुस्ताखी करते भी है तो यह बात पक्की है कि हमें मुंह की खानी ही पड़ेगी.

जनार्दन जी ने जब डकार जाने के कीर्तिमानों की बात की तो मै मन ही मन ऐसे कीर्तिमानों और कारनामों को थहा तो नहीं सकता था इसलिए दहाने लगा कि संख्या और मात्रा के पैमाने से से ये कितने और कैसे रहे होंगे. मेरा यह सौभाग्य है कि मेरी तरह ही जनार्दन जी को भी मेरी अक्षमता और सीमाओं का शतप्रतिशत अहसास है और इसीलिये शायद उन्होंने यह अनुमान सही और मौके से लगाया कि डकार प्रकरणों के बारे किसी नतीजे पर पहुँचना मेरी समझ और बूते से परे था.बकौल जनार्दन जी डकारने के मामले में उन लोगों की मोनोपोली है जो बड़े है, बड़ी औकात और हैसियत वाले है, बड़े ओहदे पर काबिज़ है, छोटे-मोटे पद और पावर वालों के हिस्से में तो डकारने के लिए छोटी-मोटी चीजे ही होती है पर उसे ही डकार जाने का कोई भी मौक़ा वे हाथ से कत्तई जाने नहीं देते. आखिर यह भी तो नसीब की बात है कि आप के मुक़द्दर में जो आया है वही तो आप डकार सकेंगे. गोया, जो भी जहा है और जैसा भी उसे मौक़ा और गुंजाइश नसीब है उसे डकारने के अपने मूल अधिकार का इस्तेमाल किये बिना नहीं रह सकता. आखिर उसे भी तो ऊपर वाले को यह क़फियत देनी पड़ेगी कि माल और मौके के होते हुए उसने अपने इस राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन क्यों नहीं किया.

जनार्दन जी का डकार आख्यान चल ही रहा था कि मैंने बीपीएल और एपीएल की तर्ज पर योजना आयोग और आयकर विभाग द्वारा मिलकर बीडीएल ( डकार रेखा से नीचे) और एडील (डकार रेखा से ऊपर) का पता लगाने का सर्वेक्षण करवाए जाने की बात अभी सोचा ही था कि जनार्दन जी कहने लगे कि इस सिलसिले में कोई मानक या पैमाना तय करना आसान नहीं होगा क्योकि कई रेखाएं खीचनी पड़ेंगी. उन्होंने तर्क दिया कि नीचे से ऊपर तक डकारने वालों और डकारे जाने वाली चीजों की संख्या और वेराइटी बहुत ही बड़ी और व्यापक है. कोई सीमेंट तो कोई कोयला, कोई खाद्यान्न तो कोई चीनी, कोई सड़क तो कोई जहाज,कोई बजट तो कोई योजना ही डकार के फ़िराक में रहता है. यकीन मानिए, डकार जाना किसी डाका डालने से कम असुविधाजनक, असुरक्षित और आपराधिक होता है और कानूनन भी इसे साबित करने और दोषी ठहराए जाने की प्रक्रिया इतनी लम्बी होती है कि बहके रहने और अंत में बच जाने की काफी गुंजाइश रहती है.

जनार्दन जी के डकार चर्चा के बीच बोलने की ज़रा सी गुंजाइश दिखाई दी तो मैंने उनसे यह पूछने में कोई कोताही नहीं की डकारने वालों के बारे में सरकार ने अगर कोई श्वेत पत्र जारी नहीं किया तो कम से कम टॉप टेन की दो चार सूचियाँ तो जारी कर ही सकती थी. जनार्दन जी ने मेरे पूछने की लाज रखते हुए बोले," ऐसी सूचियों का तो कोई अंत ही नहीं होगा. टॉप टेन के जगह टॉप हंड्रेड या टॉप थाउजेंड या लैक भी गिनाये जाय तो भी लाखों के छूट जाने की पूरी गारंटी ली जा सकती है.”

स्वभाव से संकोची होते हुए भी मैंने उनसे यह पूछने में संकोच करना कत्तई मुनासिब नहीं समझा कि आखिर इसके लिए भी कोई मौसम, स्थान, अवसर या 'मोडस ओपरेंडी' तो होता होगा. आदतन अनर्गल शंकाओं और जिज्ञासाओं पर धान न देने वाले जनार्दन जी ने मेरी बात को शायद इसलिए इग्नोर कर दिया क्योकि डकारने के लिए किसी ख़ास स्थान, अवसर, मौके और कार्य प्रणाली की ज़रूरत नहीं पड़ती. बस जब, जहां, जैसा, जितना और जैसे तैसे डकारने की गुंजाइश हो इससे बाज आना नासमझी और नादानी ही मानी जायेगी.

अब आगे बिना मेरी किसी जिज्ञासा या कुतूहल के ही वे बताने लगे कि डकार जाने के कौशल का प्रदर्शन अब अलग अलग स्तरों पर होने लगा. लोकल और छुट-पुट मामलों को दरकिनार कर दिया जाय तो क्षेत्रीय, प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर कई रिकॉर्ड बनाए जाने लगे हैं. इस दिशा में इर्ष्या कम और स्पर्धा की भावना ज्यादा देखी और पायी जाती है. डकारने वालों को इस बात पर गर्व और यकीन होगा कि कॉमनवेल्थ गेम्स की तर्ज पर एशियन गेम्स और ओलिम्पिक में भी उनका प्रदर्शन पहले की अपेक्षा ज़्यादा शानदार और उत्साहजनक होगा. जहां तक इर्ष्या और स्पर्धा की बात है तो डकारने के मामले में एक बड़ी ही स्वस्थ और स्थापित परम्परा यह देखी जाती है कि जब कोई डकारता है उसका प्रतिस्पर्धी इस बात को जोर-शोर प्रचारित और प्रसारित करता है. लेकिन जब डकारने का सुयोग ऐसे किसी के हाथ लगता है तो पहले डकार चुका 'मानव' अपनी बारी आने पर शोर मचाने के रोल में आ जाता है.

मेरे ज़हन में देश के स्वनामधन्य 'डकार पुरुष' के नए पुराने संस्करण बारी बारे से आने लगे. मई यह तय ही नहीं कर पा रहा था कि उन्हें किस क्रम में सजाएं या बिठाएं. भीड़ बढ़ती जा रही थी. इतने में शायद मेरे भीड़ में फसते जाने का अनुमान जनार्दन जी को हो ही गया. मुझे बाहर निकालने की कोशिश में वे कहने लगे कि डकारने वालों के के लिए पिछला दो दशक काफी भाग्यशाली साबित हुआ है. देश ने चालीस साल में जितनी उन्नति या अवनति देखी उस सब को मिलाकर भी उससे कई गुना ज़्यादा और तेज़ रफ़्तार से डकारने वालों ने अपना कौशल और हुनर दिखाते हुए जितना डकार सकते थे उससे भी ज़्यादा डकारा है. दरअसल, कोशिश तो यह भी रही कि पूरा देश ही डकार जाय पर अचानक अन्ना के आ जाने से पूरा डकारतंत्र सहम गया है.

इतनी देर तक जनार्दन जी से कोई प्रश्न न पूछने से पेट में गैस बनने की वजह से एक अलग प्रकार के डकार लेने की संभावना लगी तो पूछ बैठा कि क्या विश्वव्यापी मंदी के दौर में भी इसके फलने फूलने के आसार हैं. मोंटेक और मनमोहन सरीखे अर्थशास्त्री होने के अंदाज़ में आने की कोशिश में वे बताने लगे कि कच्चे तेल और सोने- चांदी के भाव में भले ही उतार-चढ़ाव आये, सेंसेक्स और मुद्रा-स्फीति घटे बढे, महंगाई बढे ज्यादा और घटे नाम भर को, पर डकारने के इंडेक्स ने अभी तक कभी नीचे का रुझान तो नहीं किया,आगे की अन्ना जाने या फिर देश की जनता जाने. पल भर के लिए जनार्दन जी ने सांस ली पर मै तो जानता था कि उनका चुप रहना पल को पार कर सवा पल का भी नहीं हो सकता था. उन्होंने अपनी एक तजबीज ये रखी कि सरकार को एक टास्क फ़ोर्स यह पता लगाने के लिए बनाना चाहिए कि अगर बजट में ही डकारने के लिए अलग से पर्याप्त धन की व्यवस्था कर कर दी जाय तो डकारने में सहूलियत तो होगी ही साथ ही दूसरे मदों के बजट पर डकारने वालों की नज़र नहीं होगी.

जनार्दन जी की इस तजबीज पर कोई राय या प्रतिक्रया देने से मैंने खुद को बचा कर रक्खा क्योकि मै यह महसूस करने लगाता कि डकारने वालों की तरह मेरा हाज़मा इतना दुरुस्त नहीं था कि डकारने के किसी भी पहलू को अब और आगे हज़म कर पाता. मुझे लग रहा था कि लोग हैं कि क्या क्या हज़म कर जाते हैं और एक मै हूँ कि डकारने से जुडी बातों को अब और सुनने और उन्हें हज़म में खुद को नाकामयाब पाने लगा था. मैंने एक बहुत ही साधारण और धीमे स्वर में अपने खाते वाला डकार लिया ही था कि जनार्दन बाबू यह समझ गए कि अब और आगे सुनने या जानने की मेरी औकात नहीं थी. उन्होंने आज के इस डकारनामे को समापन की और धकेलते हुए कहने लगे, "बन्धु,यह डकारनामा भी हरिकथा की ही तरह अनंत है, आप के लिये आज बस इतना ही बहुत है पर आगे भी जब मिलेंगे और आप की रूचि और उत्कंठा होगी तो इस पर और चर्चा की जा सकती हैं क्योकि अभी इस बात की कत्तई गुंजाइश नहीं दिखाई देती कि डकारने के भाव और सेंसेक्स में कोई मंदी या गिरावट के आसार हो."

मुझे जनार्दन जी के इस विराम पर आकर बहुत राहत मिलता महसूस हुआ और उनसे अनुमति के साथ आशीष लेकर मैंने  वहाँ से प्रस्थान किया.

******************

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कृष्ण गोपाल सिन्हा का व्यंग्य - देश का पाचन तंत्र
कृष्ण गोपाल सिन्हा का व्यंग्य - देश का पाचन तंत्र
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPokI8Zy3eCq86Ij60lWh2SEwQLBiWVCU2tldpNhYssn3OX8YmM-TYKZYqbypLix3YWtmrWP7jhKC6NHlYLeL6BABxgk8KrxUIpORmf6QhK5eZuUzxl4MX5o5lxuw5ICkC8Edp/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPokI8Zy3eCq86Ij60lWh2SEwQLBiWVCU2tldpNhYssn3OX8YmM-TYKZYqbypLix3YWtmrWP7jhKC6NHlYLeL6BABxgk8KrxUIpORmf6QhK5eZuUzxl4MX5o5lxuw5ICkC8Edp/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2011/11/blog-post_9688.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2011/11/blog-post_9688.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content