नन्दलाल भारती की कहानी - घनप्रिया

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घनप्रिया/कहानी बहुत थके लग रहे हो। माथे पर लकीरे तनी है,भाषण कैसा रहा । घनप्रिया का झटका लग गया । क्‍या,कैसे ? थोड़ा पानी मिलेगा क्‍या ? ...

घनप्रिया/कहानी

बहुत थके लग रहे हो। माथे पर लकीरे तनी है,भाषण कैसा रहा ।

घनप्रिया का झटका लग गया ।

क्‍या,कैसे ?

थोड़ा पानी मिलेगा क्‍या ?

क्‍यों नहीं पानी के साथ चाय भी मिलेगी । हरीराम और प्रतिभा की बाते चल रही थी कि इसी बीच कालबेल घनघना उठी। कालबेल की आवाज सुनकर हरीराम बोला देखो सोनू की मम्‍मी कोई आया ।

जी देखती हूं। कहते हुए प्रतिभा ने दरवाजा खोल दिया ।

अरे दरबार भईया आप ।

हां प्रतिभा भाभी मैं,आपके पड़ोस में आया था तो सोचा हरी भईया से भी मिलता चलूं। हरी भईया दफतर से आ गये की नहीं ।

प्रतिभा- हां आ गये है।हाथ पांव धोने बाथरूम में गये हैं। आप बैठिये।

इतने में हरीराम भ आ गये,दरवबार की ओर हाथ बढाते हुए बोले क्‍या दरबार ईद के चांद हो गये ।

दरबार-हां हमें तो मिलने आना पड़ता है आप तो अखबारों के माध्‍यम से भी मिल जाते हैं ।कल तो बड़ी खबर छपी थी ।

हरीराम-कैसी खबर थी ।

दरबार-सतर्कता सप्‍ताह की न्‍यूज ।

हरीराम-दफतर के कार्यक्रम की न्‍यूज की बात कर रहे हो ।

दरबार-आज तो क्‍लोजिंग सेरेमनी थी । भाषण तो दिया ही होगा ।आजकल तो जश्‍न में चल रहे हैं हरी भईया।

हरीराम-कहां जीवन में जश्‍न है वह भी अपने जैसे उपेक्षितों के ।

दरबार-कैसी बात कर रहे हैं हरी भईया ।

हरीराम-गलत तो नहीं कह रहा हूं ।सोनू की मम्‍मी थोड़ी चाय नाश्‍ते का इंतजाम करो ।

प्रतिभा-जरूर․․․․․․․

हरीराम-सोनू की मम्‍मी चाय मेें सुगर फ्री की जगह चीनी डाल देना ।आज सिर में बहुत दर्द है ।

प्रतिभा-क्‍यों किसी ने बदतमीजी कर दी क्‍या ?

हरीराम-नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।

दरबार-हरी भइया भाभी की शंका जायज लगती है। चिन्‍ता के बादल आपके माथे पर गरज रहे हैं,बरस रहे हैं।यार प्रमोशन नहीं हुआ तो क्‍या तुम्‍हारी तालीम व्‍यर्थ चली गयी। मित्र तुम्‍हारे पास ज्ञान है तो जनकल्‍याण में लगाओ,मानव कल्‍याण में लगाओं। नौका प्रमोशन बस रिटायरमेण्‍ट तक होता है, जनकल्‍याण का प्रमोशन तो हजारो बरस तक रहता है,आदमी धरती पर रहे या न रहे ।

हरीराम-दरबारजी अपनी औकात भर कर लेता हूं। रही प्रमोशन न होने की बात तो सच ये है कि मेरा प्रमोशन रोकवाया गया है,वह भी उन्‍ही व्‍यवस्‍थापकों द्वारा जो ग्रेजुयेट स्‍तर तक शिक्षित औैर सामन्‍तवादी विचारधारा के हैं। ऐसे लोग हायक्‍वालिफाइड कर्मचारी को आगे कैसे बढने दे सकते हैं। ऐसे वातावरण में हमारे जैसे व्‍यक्‍ति कीदनौकरी का चलते रहना किसी चमत्‍कार से कम नहीं है।

दरबार-ये तो अन्‍याय है,दुखी ना हो यार कहते हैं जिसका कोई नहीं उसका भगवान होता है।आज बहुत दुख लग रहे हो क्‍या बात हो गयी। प्रतिभा भाभी ने बिल्‍ुल सही पहचाना है।

हरीराम-बस वही सहारा है,उसकी दी हुई शक्‍ति से चल रहा हूं वरना ये सामन्‍तवादी रूढिवादी कब का खा गये होेते।रही दुखी होने की बात तो ऐसा तो रोज होता है पर आज की घटना किसी भयंकर एक्‍सीडेण्‍ट से कम ना थी।

दरबार-क्‍या हो गया दोस्‍त,बताने से दुख कम होता है। जानता हूं ऐसी बातें आफिस में शेयर नहीं कर सकते पर दोस्‍त यार और अपनी अर्धंगिनी के साथ तो कर सकते हो ।बताओ क्‍या ऐसी दुर्घटना घट गयी।

हरीराम-सतर्कता सप्‍ताह का अखिरी दिन था।कल शाम को रणछोड,जिला व्‍यवस्‍थापक है,मायूसी से आये और बोले हरीराम चीफगेस्‍ट नहीं मिल रहे हैं। मैं आव ना देखा ताव मरीप्रसाद बेधर्मा को फोन लगा दिया।

दरबार-ये मरी प्रसाद बेधर्मा कौन है?

हरीराम-धन सेवा कमीशन के रिटायर उच्‍च अधिकारी है।भ्रष्‍ट्राचार के बड़े-बड़े केस हैण्‍डिल किये हैं। एक झटके में कार्यक्रम का चीफगेस्‍ट बनना स्‍वीकार कर लिया ।रात में बात किया,सुबह उनकी धर्मपत्‍नी का समाचार अखबार में छपा था,बधाई दिया,पति-पत्‍नी दोनों से बात हुई और बारह बजे कार्यक्रम में पहुंचना है कि याद भी दिलाया ।उन्‍हे ये भी बताया कि आप को पौने बारह बजे लेने आ जाउंगा कम्‍पनी का कार से।

दरबार-मुख्‍यअतिथि को लाना और छोड़ना तो होना भी चाहिये शिष्‍टाचार तो यही कहता है।

हरीराम-ठीक कह रहे हो दरबारजी․․․․․․․․․․․․․․․․․

दरबार-क्‍या बात हो गयी कार्यक्रम में देर से पहुंचे ?

हरीराम- नहीं․․․․․․․․․․․․

दरबार-फिर क्‍यों अब तक होश उड़े हुए है।

हरीराम-एच․ओ․डी․ने एसी कार की व्‍यवस्‍था की ।मैं लेने पहुंचा पर वे आने से माना कर दिये। बोले मैं नहीं जा सकता। मैं तो कहीं चीफगेस्‍ट नहीं बनता। मैं बोला अरे बेधर्मा साहब ऐसा क्‍यों बोल रहे हैं,कल से अब तक दस बार कम से कम आप से बात हो चुकी हैं और आप ऐनवक्‍त पर ऐसी बात कर रहे हैं जो आपकी प्रतिष्‍ठा के खिलाफ है।

बेधर्मा-साँरी नहीं जा सकता ।

हरीराम-ऐसा नहीं करो साहब,मेरे कैरियर पर आंच आ सकती है। दस साल पुरानी आपसे जान पहचान है । आप ऐसा कह रहे हैं। जब कि आपसे इस सम्‍बन्‍ध कितनी बार बात हो चुकी है। सभागार में सभी लोग आपकी इंजार कर रहे हैं।

बेधर्मा-मेरी कोई बात आपसे हुई नहीं।

हरीराम-झूठ तो मत बोलिये पद प्रतिष्‍ठा और उम्र का लिहाज करिये जनाब ।

बेधर्मा-कब हुई बताओ ।

हरीराम-आज साहब सुबह बजे भी तो हुई है। देखो मेरे मोबाईल में है ना,आपकी मोबाईल में भी होगा ।

बेधर्मा-दिखाइये मेरी मोबाईल मेमारी में आपकी कोई काल नहीं है।

हरीराम-देखो साहब कहते हुए मोबाईल आगे बढा दिया पर क्‍या मेमरी कार्ड से मरीराम बेधर्मा का नम्‍बर नदारत। तकनीकी त्रुटि मानते हुए बोला साहब सुबह आपसे और आपकी मैडम से भी तो बात हुई है।

बेधर्मा-पैतरा बदलते हुए बोले मेरी बात तो नेत्रसुरक्षा सम्‍मान समारोह में जाने की बात हुई थी।

हरीराम-इतना झूठ क्‍यों बेधर्माजी। साहब आप पांच मिनट के लिये चलिये दूर-दूर से दूसरे विभागों से आये अतिथि आपका इंतजार कर रहे हैं।

बेधर्मा-कैसे आदमी हो मैंने कोई हामी नहीं भरी है,मैं नहीं जा सकता।

दरबार-नहीं गये ।

हरीराम-नहीं। मैं हैरान-परेशान कार्यक्रम में पहुंचा तो दफतर के लोग की निगाहें मेरी तरफ घूर रही थी। जैसा मैं कोई अपराधी हो गया हूं। सच मैं नफरत का पात्र बन गया । स्‍पीकर की सूची से मरा नाम भी कट गया।

दरबार-बेधर्मा के झूठ का नतीजा बुरा सलूक ।मुझे तो लगता है बेधर्मा भ्रष्‍ट है तभी तो ऐसे जलसे में नहीं गया जहां मान-सम्‍मान दिया जा रहा था। उसका जमींर जाग गया होगा,सोचा होगा वह तो खुद भ्रष्टाचार कर चुका है लोक सेवकों को क्‍या शपथ दिलायेगा।

हरीराम-हां कुछ ऐसा ही मुझे भी लग रहा है पर मोबाईल से नम्‍बर गायब कैसे हुआ ।

दरबार-भ्रष्‍ट लोग तरीके जानते हैं।

हरीराम-कौन सा तरीका हो सकता है।

दरबार-मोबाईल कम्‍पनी ऐसी सेवा देती है,इसके बदले किराया लेती है,आपको पता नहीं था क्‍या ?

हरीराम-नहीं․․․․․․․․

दरबार-आपका काम एक नम्‍बरी है। ऐसी सेवा का उपयोग तो बेधर्मा कर सकता है।

हरीराम-तो इसी सुविधा की आड़ में बेधर्मा कब बात हुई है मोबाईल में दिखाने की बात कर रहा था।मैं नहीं दिखा पाया। घनप्रिया की गाज गिर गयी ।

दरबार-भ्रष्‍ट दूसरों के दुख में ही सकून देखते हैं।

हरीराम-दरबार भईया अमानुषों द्वारा दिये गम मे जीने की आदत हो गयी है पर दुख तो दुख ही होता है।

दरबार-भाभीजी बोल रही थी अभी आये हो․․․․․․․․․․․․․․․․․․साढे आठ बज गये।नवम्‍बर के पहले सप्‍ताह में इतना अंधेरा जैसे आधी रात हो गयी हो ।

हरीराम-नेत्रसुरक्षा सम्‍मान समारोह में उपस्‍थित होना था । वही से आया राष्‍ट्रीय स्‍तर का कार्यक्रम था राज्‍यपाल मुख्‍य अतिथि थे। शहर और प्रदेश के नामी लोग हाजिर थे तो मेरी क्‍या औकात के ऐसे आमन्‍त्रण को ठुकरा दूं।एक बात है वो भ्रष्‍ट बेधर्मा नेत्र सुरक्षा सम्‍मान समारोह में नहीं दिखा। बेधर्मा मीठा तो बहुत बोलता है पर आज समझा उसकी मीठी बोली जहरीली है,काट ले तो लहर ना आये।

दरबार-हां आप जैसे नेक इंसान को घनप्रिया का कड़कता घाव जो दे गया ।

हरीराम-सच घनप्रिया की प्रलय से कम नहीं ।

दरबार-लूटी नसीब वालों को हर ओर घनप्रिया का घाव मिलता है,विभाग में अनवाण्‍टेड घोषित हो चुके हैं लाख योग्‍य होकर भी,आज झूठ भी साबित हो गये। दुख पर दुख पर बेधर्मा ने घनप्रिया का वज्रपात कर इंसानियत को घायल कर दिया । कैसे लोग विश्‍वास करेंगे लोगों की बातों का ।

प्रतिभा-अरे ये घनप्रिया कहां से आ गयी।

दरबार-हरी भईया के जीवन में जर्बदस्‍ती घुस आयी है।

प्रतिभा-किस शैतान ने घुसा दिया ।

दरबार-सामन्‍ती विभाग ने तो तालीम की सिसकती आस दे ही रखी है पर भ्रष्‍ट बेधर्मा ने घनप्रिया का घाव दे दिया वह भी जागरूकता सतर्क के खास दिवस पर।

प्रतिभा-मैं तो पहले ही समझ गयी थी कि सोनू के पापा के साथ कुछ अनहोनी हुई है,तभी इतने उदास और परेशान है। सोनू के पापा है कि छिपा रहे थे। इनको पता होना चाहिये कि हमारा तीस साल का पुराना साथ है और हमने सात जन्‍म तक साथ जीने मरने की कसम भी खाये है। विभाग ने तो दमन की कसम खा ही रखी है।बेधर्मा जैसे मित्र घनप्रिया का चोट करने लगे।

दरबार-भाभी भ्रष्‍ट लोग चोट ही देते हैं चाहे आम आदमी हो या हरी भईया या देश।

प्रतिभा-चाय पीजिये।सतर्कता आयोग नेक काम कर रहा है। जागरूकता सप्‍ताह से आम और खास लोग सतर्क होगे,भ्रष्‍टाचार से बचेगे। आयोग के प्रयास से भ्रष्टाचार रूकेगा और भ्रष्टाचारियों पर घनप्रिया भी गिरेगी और गिर भी रही है,चाय पीजिये ।

दरबार-जागरूकता सप्‍ताह के आखिरी दिन लोकहित में काम करने की कसम के साथ।

प्रतिभा-कसम नहीं चाय पिला रही हूं।

दरबार-ठहाका लगाते हुए कसम ही तो भ्रष्‍टाचार पर घनप्रिया का वज्रपात करेगी। अब क्‍या हरीराम, प्रतिभा और दरबार की आवाज भ्रष्‍टाचार के खिलाफ शंखनाद बन गयी ।

नन्‍दलाल भारती․․․․․․11․11․2011

--

नन्‍दलाल भारती दूरभाष-0731-4057553

एम․ए․ ।समाजशास्‍त्र। एल․एल․बी․ । आनर्स ।

कवि,कहानीकार,उपन्‍यासकार

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. RAGHUNATH MISRA,ADVOCATE,KOTA8:17 pm

    Kahani ke kathya aur prastuti dono achhi hai. kahanikar ne kahani kala ke tatvon ke sath taal mel bithane ka bharsak prayas kiya hai,jo prasansaniya hai. kahanikar aur rachnakar dono ko badhai.
    Shubhekshu,
    RAGHUNATH MISRA,ADVOCATE,KOTA

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रचनाकार: नन्दलाल भारती की कहानी - घनप्रिया
नन्दलाल भारती की कहानी - घनप्रिया
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