नन्‍दलाल भारती की कहानी - पत्र ऐसा भी

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मगनलाल मिठाई मंगाओ,तुम्‍हारा प्रमोशन आर्डर रहा है। विभागाध्‍यक्ष की खुशी को देखकर मगनलाल की खुशी का ठिकाना न रहा। वह परिचर को पांच सौ का नो...

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मगनलाल मिठाई मंगाओ,तुम्‍हारा प्रमोशन आर्डर रहा है। विभागाध्‍यक्ष की खुशी को देखकर मगनलाल की खुशी का ठिकाना न रहा। वह परिचर को पांच सौ का नोट देते हुए परिचर सोहन से बोला साहब की पसन्‍द की मिठाई ला दो भाई। सोहन आर्डर तो आ जाने दो। अरे सोहन क्‍यों डरता है,साहब की बात का मान रखना है,साहब कभी व्‍यक्‍तिगत्‌ तौर पर मिठाई खाने का जिक्र नहीं किये। मेरे प्रमोशन से साहब की खुशी का ठिकाना नहीं है। लो दो भाई डर क्‍यों रहे हो साहब कह रहे है तो आ जायेगा। इतने में काल-बेल बजी सोहन बोला ठीक है मगन साहब साहब की सुन लेता हूं तो मिठाई नाशता सब लेकर आता हूं। मगनलाल जो तुम्‍हारी मर्जी करें लाना भाई पैसे की चिन्‍ता ना करना। जाओ साहब की पहले सुन लो। सोहन साहब के सामने हाजिर हुआ। साहब बोले कहां जा रहे हो। सोहन बोला-मगन साहब मिठाई नाश्‍ता बुलवा रहे है। साहब मगन बाबू को बुलाओ। मगनलाल-जी सर।

सहब बोले-मगनजी मैं महीने भर ऐसी चीजे नहीं खा सकता मेरा परहेज चल रहा है। कल ही तो योगा शिविर से आया हूं। बाद में खायेंगे। आपकी खुशी में हमारी खुशी है। आपका प्रमोशन तो पन्‍द्रह साल पहले होना था। ख्‍ौर,देर आये दुरूस्‍त आये अब से भी आपकी नसीब बदल जाये हमें तो बहुत खुशी होगी। हां सर विभाग के सौतेले व्‍यवहार से मेरे कैरियर का जनाजा निकल गया है। उम्‍मीद पर जिन्‍दा हूं, आपकी दुआओं से मेरी नसीब जरूर बदलेगी। बाइस साल की नौकरी आप जैसा कोई बांस नहीं मिला। अधिकतर अफसरों ने रिसते जख्‍म पर खार डालकर अपना काम करवाया फिर कीक मार दिया।

साहब-मगनजी बिते को भूला दो। जितना यााद करो उससे अधिक दुःख होगा। आप जैसे प्रसिद्ध आदमी के साथ मुझे काम करना का मौंका मिला,अच्‍छा लगा।

मगनलाल-सर जो आपको मेरी अच्‍छाई लग रही है वही लोगो के लिये बुराई है। इसी वजह से हारता रहा हूं देश की इतनी बड़ी संस्‍था में।

साहब-हार नहीं जीत कहो मगनलाल।

मगनलाल-बार-बार की हार के बाद भी जीत की उम्‍मीद पर तो जिन्‍दा हूं। आपने मेरी उम्‍मीदों को उम्र दे दिया थैंक यू सर।

साहब-चिन्‍ता ना करो मगनजी आप आसमान जरूर छुओगे। आपकी दुआयें जरूर काम आयेगी कहते हुए घनघना रहे फोन को उठाने के लिये मगनलाल दूसरे कक्ष की ओर दौड़ पड़ा।

दिन बित गया,कुछ अधिकारियों के प्रमोशन आर्डर आ गया। दफतर बन्‍द होते -होते पता चला की स्‍टेट आफिस की फैक्‍स मशीन खराब हो गयी। कल मगनलाल का प्रमोशन आर्डर आ जायेगा। साहब और अन्‍य कर्मचरियों के साथ हंसी-खुशी मगनलाल भी दफतर से खर की ओर प्रस्‍थान किया। दूसरा दिन बित गया ममगनलाल साहब के सामने हाजिर हुआ। साहब देखते ही समझ गये। मगनलाल से मुखातिब होते हुए बोले मगनजी आपका आर्डर अभी तक नहीं आया। कल हेडआफिस आपके सामने बात हुई प्रमोशन हो गया है। प्रमोशन की सूची में आपका नाम है। बैठिये स्‍टेटआफिस से पूछता हूं फैक्‍स ठीक हुआ की नहीं। कहते हुए साहब ने फोन लगा दिया। स्‍टेट आफिस से पता चला कि मगनलाल फिर प्रमोशन से वंचित कर दिया गया है। यह सुनकर साहब को 440 बोल्‍ट का झटका लग गया। वे बोले सांरी मगनजी आपका प्रमोशन रूक गया।

मगनलाल-सर पन्‍द्रह साल से रूक रहा है।

साहब-क्‍या कह रहे हो ?आप इतना पढा-लिखा दो दर्जन से अधिक सम्‍मान प्राप्‍त व्‍यक्‍ति का मामूली सा विभाग में प्रमोशन क्‍या नहीं हो रहा है। मुझे तो आये साल भर भी नहीं हुए हैं इस बीच मैंने तो संस्‍थाहित में आपकी सेवाओं का एक्‍सलेण्‍ट पाया है। आपकी सी.आर भी बहुत अच्‍छी मैंने लिखी है,पहले की आपकी सी.आर.कैसी थी।

मगनलाल-सर बाइस साल से अपने कर्तव्‍यनिष्‍ठा और समय की पाबन्‍दी पर अडिग हूं। काम की अधिकता तो आप देख ही रहे है। काम के बारे में मैं क्‍या कहूं आपसे।

साहब-मगनलाल सब कुछ आपका एक्‍सलेण्‍ट है फिर आपके साथ अत्‍याचार क्‍यों.................?

मगनलाल-सच कहूं.....................

साहब-वही पूछ रहा हूं।

मगनलाल-सर अदरवाइज ना लीजियेगा।

साहब -कैसी बात कर रहे हो मगनजी..............?

मगन-मैं अनुसूचित जाति का अधिक पढा लिखा व्‍यक्‍ति हूं। इस स्‍वायतशासी विभाग में। कई बड़े अधिकारी तो यहां तक बोल चुके है कि तुम जो कर रहे हो उससे आगे का सपना मत देखो अपनी जाति वालों को देखो भर पेट खाने को भी नहीं मिल रहा है। तुम तो कई गुना बेहतर हो पंखे के नीचे बैठे हो तुम्‍हारे बच्‍चे अच्‍छे स्‍कूलों में पढ रहे है। इतनी ही बड़े पद की भूख है तो गले में पट्‌टी पहन लो बड़े पद की। एक साहब ने तो नौकरी से निकलवाने तक का प्रयास किया। एक साहब जो विभाग के बड़े पद से पैसठ साल के बाद रिटायर हुए है उन्‍होने तो प्रमोशन न होने देने की कसम तक खा लिया था। एल.एल.बी.कर लिया है तो वकालत कर रहा है,मुझसे देख लूंगा तेरी वकालत। एक बड़े अधिकारी ने व्‍यंगबाण छोड़ते हुए बोले कि तुम तो नेता हो गये,नेताओं की तरह कपड़ा पहनने लगे हो। उन्‍ही सब का नतीजा मेरा प्रमोशन न होने देना कैडर न बदलने देना मेरी अर्जियों को कूड़ेदान में डालना इसके अतिरिक्‍त कई दूसरे अत्‍याचार।

साहब-मगनजी आपके साथ अन्‍याय संविधान के खिलाफ है।

मगनलाल-सर आपसे एक राय लेना चाहता हूं।

साहब-पूछिये।

मगनलाल-कमीशन में अर्जी लगा दूं क्‍या ?

साहब-प्रबन्‍धन अधिक खिलाफ हो जायेगा। आप एम.डी.और डायरेक्‍टर साहब को एक औत पत्र्र लिखो।

मगनलाल-पहले भी लिख चुका हूं पर वहां तक पहुंच ही नहीं पाया बाइस साल में।

साहब-पहुंचेगा। मैं पहुंचाता हूं। पत्र लिखो उचित माध्‍यम से मैं फारवर्ड करूंगा। ये अत्‍याचार है,योग्‍य व्‍यक्‍ति के साथ अन्‍याय है।

मगनलाल-ठीक है सर लिखदेता हूं। हो सकता है आपका प्रयास से मृत श्‍ौय्‌या पर पड़े मेरे कैरियर को जीवन मिल जाये।

साहब-मगनजी आशावादी बने रहिये। आप कर्तव्‍यनिष्‍ठ,ध्‍ौर्यवान है। जानते है जिसका कोई नहीं उसका भगवान है। निराश मत होइये। एम.डी.और डायरेक्‍टर साहब के नाम पत्र लिख लाइये।

मगनलाल-कार्यालय के कामों को प्राथमिकता देते हुए लंच के समय में पत्र लिखने में जुट गया। सबसे पहले 1- श्रीमान्‌ प्रबन्‍ध निदेशक महोदय, 2- विपणन निदेशक महोदय को संबोधित करते हुए उचित माध्‍यम से पदोन्‍नत के सम्‍बन्‍ध में -अनुरोध पत्र का इस प्रकार लिखा। महोदय प्रणाम,सर्वप्रथम क्षमा का अनुरोध स्‍वीकारें। महोदय्‌ विगत्‌ 21 वर्षो से संस्‍था की सेवा,इर्मानदारी,कर्तव्‍यनिष्‍ठा एवं सम्‍पूर्ण समर्पण भाव के साथ कर रहा हूँ। संस्‍था की सेवा करते हुए उच्‍च श्‍ौक्षणिक एवं व्‍यावसायिक शिक्षा प्राप्‍ति के साथ कई कीर्तिमान भी स्‍थापित किया हूँ जिसके लिये मैं संस्‍था का ऋणी हूं। महोदय, विगत्‌ कई वर्षो से उल्‍लेखित श्‍ौक्षणिक एवं व्‍यावसायिक शिक्षा के आधार पर कैडर में बदलाव के लिए अनुरोध कर रहा हूँ। एम.ए.एल.एल.बी.,पोस्‍ट ग्रेजुएट डिप्‍लोमा इन ह्‌यूमन रिर्सोस डेवलपमेण्ट , इन श्‍ौक्षणिक एवं व्‍यावसायिक योग्‍यताओं केे अतिरिक्‍त मेरे श्‍ौक्षणिक एवं साहित्‍य योगदान के लिये निम्‍नानुसार 25 से अधिक पुरस्‍कार एवं सम्‍मान भी प्राप्‍त हो चुका है। महोदय, उपरोक्त श्‍ौक्षणिक,व्‍यावसायिक योग्‍यताओं एवं अन्‍य योग्‍यताओं के अतिरिक्‍त दूसरी बार आहूत डी.पी.सी. के बाद भी मेरी पदोन्‍नति नहीं हुई है। महोदय, ध्‍यानाकर्षण का विषय है कि विगत्‌ कई वर्षो के अनुरोध के बाद भी मेरे कैडर में बदलाव नहीं हु आ है और अब तो पदोन्‍नत से भी वंचित किया जा रहा हूँ। महोदय, विनम्रता एवं अदब के साथ अनुरोध करना चाहूंगा कि मेरे कैडर में बदलाव का न होना और अब तो पदोन्‍नत से वंचित किया जाना मेरे भविष्‍य की मौत है।

महोदय पुनः क्षमा चाहूंगा,कृपया अन्‍यथा न लें। महोदय, मैं दलित परिवार से हूं। स्‍कालरशिप के सहारे बी.ए.तक की शिक्षा प्राप्‍त कर रोजगार की तलाश में पहली बार शहर आया था। पांच वर्ष की लम्‍बी बेरोजगारी के बाद संस्‍था में टाइपिस्‍ट के पद पर सेवा का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ। संस्‍था की सेवा में रहकर मैंने उज्‍जवल भविष्‍य की उम्‍मीद में कई दिक्‍कतों का मुकाबला करते हुए एम.ए.। समाजशास्‍त्र। एल.एल.बी.। आनर्स। पोस्‍ट ग्रेजुएट डिप्‍लोमा इन ह्‌यूमन रिर्सोस डेवलपमेण्ट तक की उच्‍च शिक्षा प्राप्‍ति के साथ दर्जन से अधिक किताबों का सृजन कर चुका हूं। आकाशवाणी से रचनाओं के प्रसारणों,देश-दुनिया की पत्र-पत्रिकाओं,ई -पत्र-पत्रिकाओं में स्‍थान मिलने के साथ, उपन्‍यास के प्रकाशनार्थ अनुदान प्राप्‍त हुआ। यह उपन्‍यास विगत्‌ वर्षो से धारावाहिक के रूप में प्रकाशित हो रहा है,जिसके एवज्‌ में एक पैसा नहीं ले रहा हूं। मेरे साहित्‍य पर श्‍ौक्षणिक एवं भाषा की दृष्‍टि से शोध किया जा रहा है। महोदय,मेरी उपरोक्‍त योग्‍यताओं एवं उपलब्‍धियों से यकीनन संस्‍था के स्‍वाभिमान में अभिवृद्धि हुई है। महोदय,दुर्भाग्‍य का विषय है कि उच्‍च योग्‍यताओं एवं उपलब्‍धियों के बाद भी संस्‍था में पदोन्‍नत नहीं हो रही है। अन्‍तोगत्‍वा करबद्ध निवेदन है कि मेरी योग्‍यताओं को देखते हुए मेरे अनुरोध पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर मेरे कैडर में योग्‍यतानुसार बदलाव के साथ पदोन्‍नत प्रदान कर मेरी श्‍ौक्षणिक, व्‍यावसायिक योग्‍यताओं को जीवनदान प्रदान करने का कष्‍ट करें। महोदय आपश्री से निवेदन है कि अपने सम्‍मुख उपस्‍थित होकर मुझे अपनी स्‍थिति को स्‍पष्‍ट करने का अमूल्य समय प्रदान कर हमें अनुग्रहीत करें, मैं आपद्वय का सदा आभारी रहूंगा।

मगन लाल अपने लिखे पत्र को कई बार-पढा। खुद सन्‍तुष्‍ट होकर साहब के पास पहुंचा साहब पत्र के एक-एक शब्‍द को तौले फिर बोले मगनजी आप तो बहुत अच्‍छा लिखते है। लो मैं सिग्‍नेचर कर दिया। अब स्‍कैन कर पहले स्‍टेट आफिस,डायरेक्‍टर इसके एम.डी.साहब को मेल करो। मगनलाल वैसा ही किया। कुछ ही देर में साहब का फोन घनघनाने लगा। स्‍टेट आफिस के सीनियर अफसरों सहित दूसरे अफसर भी नेक और संस्‍थाहित में कार्य करने वाले साहब को आड़े हाथों लेने लगे यह कहकर कि आपने मगनलाल की अर्जी आगे क्‍यों बढाये।

साहब ने फोन पर जबाब दिया-मगनलाल एक प्रतिष्‍ठित व्‍यक्‍ति है,इस व्‍यक्‍ति ने संस्‍था का प्रचार प्रसार कर सम्‍मान दिया है। वह भी विभाग के बिना किसी खर्च किये। ऐसे व्‍यक्‍ति को तो उच्‍च पद पर सुशोभित होना चाहिये। विभाग के अहंकारी अधिकारियों ने सर्वश्रेष्‍ठ योग्‍य कर्मचारी के आगे बढने के रास्‍ते रोक दिये। विभाग में मात्र स्‍नातक बड़े से बड़े पदों पर विराजमान है।

कुछ दिनों में साहब का ट्रान्‍स्‍फर हो गया। मगनलाल का न तो प्रमोशन हुआ न कैडर बदला उपर से उसे काले पानी के सजा की धमकियां मिलने लगी। उपर सेे अनुशासनहीनता के अपराध का जुर्म कायम होने लगा। मगनलाल घबराया नहीं कर्तव्‍यनिष्‍ठा के साथ मौन जंग जारी रखा। मगनलाल के कर्तव्‍यनिष्‍ठा और सद्‌भावना के भाव ने देश-दुनिया के लाखों व्‍यक्‍तिों के साथ विभाग व्‍यक्‍तियों के दिलों पर दस्तख्‍त दे दिया परन्‍तु सामन्‍तवादी प्रशासकों के कान पर जू नहीं रेंगा और पक्‍की हो गयी मगनलाल के कैरियर मौत की सजा। इसके बाद भी मगनलाल की कलम थमीं नहीं। एक दिन मगनलाल की श्रेष्‍ठता सर्वमान्‍य तो हुई पर श्रम की मण्‍डी में उसके लम्‍बे अनुभवों बड़ी-बड़ी डिग्रियों को खामोश कर दिया गया सिर्फ जातीय आयोग्‍यत के नाम पर। इसके बाद प्रमोशन और कैडर में बदलाव के लिये मगनलाल एक और अनुरोध पत्र कभी नहीं लिखा और नहीं संस्‍थाहित में अपने कर्तव्‍यनिष्‍ठा से विमुख हुआ सेवाकाल के अन्‍तिम दिन तक भी। इसी दृढप्रतिज्ञ भाव ने मगनलाल को मिशाल बना दिया। वह इतना श्रेष्‍ठ बन गया कि उसके लिये सामन्‍तवादी श्रम की मण्‍डी का बड़ा पद भी बौना था देश-दुनिया के मानवतावादी लोगों की नजरों में।

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नन्‍दलाल भारती 20.09.2011

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जनप्रवाह। साप्‍ताहिक। ग्‍वालियर द्वारा उपन्‍यास-चांदी की हंसुली का धारावाहिक प्रकाशन

उपन्‍यास-चांदी की हंसुली,सुलभ साहित्‍य इंटरनेशल द्वारा अनुदान प्राप्त

लंग्‍वेज रिसर्च टेक्‍नालोजी सेन्‍टर,आई.आई.आई.टी.हैदराबाद द्वारा रचनायें श्‍ौक्षणिक एवं शोध कार्य।

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. संतोष सक्सेना7:20 pm

    मैंने आज तक कोई मगन लाल नहीं देखा.कितने ऐसे डिपार्टमेन्ट दिखा दूं जिसमें यह हालत तथाकथित सवर्णों की है. न जाने कितने ऐसे किस्से हैं कि दलित जूनियर तीन रैंक आगे पहुंच गया सवर्ण सीनियर से. और फिर भी दलित बनकर उसे के पुत्र-पुत्री आरक्षण का आनन्द उठा रहे हैं, जबकि उसी दलित बिरादरी के न जाने कितने लोग पेट भी नहीं भर पा रहे. रिक्शे वाले सवर्ण देखना चाहेंगे तो वह भी दिखा दूंगा/.

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रचनाकार: नन्‍दलाल भारती की कहानी - पत्र ऐसा भी
नन्‍दलाल भारती की कहानी - पत्र ऐसा भी
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