फिल्म-सूत्र ओम श्री फिल्मेश्वराय नमः। अथ श्री फिल्म-सूत्रम् ॥ 1 ॥ टीका ः हे फिल्मेश्वर महाराज, आपको नमस्कार करता हूं ! अब मै...
फिल्म-सूत्र
ओम श्री फिल्मेश्वराय नमः।
अथ श्री फिल्म-सूत्रम् ॥ 1 ॥
टीका ः हे फिल्मेश्वर महाराज, आपको नमस्कार करता हूं ! अब मैं फिल्म-सूत्र का पारायण करता हूं।
हठात् शंका ः फिल्मेश्वर कौन-से भगवान हैं ?
निवारण ः वत्स ! 33 करोड़ देवी-देवताओं तथा 66 करोड़ भारतीयों द्वारा पूजित फिल्मेश्वर कलियुगी भगवान हैं। बोल श्री फिल्मेश्वर भगवान की․․․․․․․जय !
फिल्मे-क्षेत्रे, बम्बई-क्षेत्रे, समवेता युयुत्सवः।
हीरो-होराइन किम् कुर्वते॥ 2॥
टीका ः फिल्म-क्षेत्र बम्बई क्षेत्र हैं। यहां हीरो-हीरोइन क्या कर रहे हैं ?
शंका ः हीरो और हीरोइन क्या बला है ?
निवारण ः बालक, ये ही असली फिल्मेश्वर हैं ?
हीरो-हीरोइन येन गतः सः पंथाः ॥ 3 ॥
टीका ः हीरो-हीरोइन जिस मार्ग पर चलते हैं, वही सही मार्ग है।
अतिलघु शंका ः ऐसा क्यों माना जाता है ?
निवारण ः पुत्र, नयी पीढ़ी के आराध्य हीरो-हीरोइन ही हैं। तथा हर क्षेत्र में उन्हीं का अनुसरण किया जाता है।
फिल्म चरित्रम्, फिल्मस्य भाग्यम्।
देवो न जाने, कुतो आलोचकः ॥ 4 ॥
टीका ः फिल्म का चरित्र तथा फिल्म का भाग्य तो देवता भी नहीं जानते हैं, बेचारे आलोचक की क्या बिसात है !
सुदीर्घ शंका ः ‘फिल्म का भाग्य' इसको विस्तार से समझाइए, महाराज !
निवारण ः कौन-सी फिल्म बॉक्स-अॉफिस पर चलेगी और कौन-सी डिब्बे में बन्द होकर पड़ी रहेगी-यही भाग्य का खेल है !
अहम् फिल्मी शंखोऽस्मि।
वदामि न ददामि च ॥ 5 ॥
टीका ः मैं तो फिल्म रूपी ढपोर शंख हूं, केवल मुंह से बोलता हूं, ज्ञानादि न देता, न लेता हूं !
बालशंका ः क्या सभी फिल्में ऐसी ही होती हैं ?
निवारण ः हां, बम्बइया फिल्में सभी ढपोर शंख की तरह ही होती हैं।
फिल्मानाम् वर्गीकरणम् दुष्करणम् ॥ 6॥
टीका ः फिल्मों का वर्गीकरण दुष्कर कार्य हैं।
रहस्य च स्टंटवादी च
कला-फिल्मं समान्तरं च
नव फिल्मादि धामिकं चैव
इतिहासिकं एते फिल्म-प्रकाराः ॥ 7 ॥
टीका ः जासूसी, स्टंट, कला, समान्तर, नव, धार्मिक तथा ऐतिहासिक ये सभी फिल्मों के प्रकार हैं।
लघुशंका ः समांतर तथा स्टंट फिल्मों में क्या अन्तर हैं ?
निवारण ः जो फिल्म बॉक्स-अॉफिस पर हिट हो जाए वह स्टंट, तथा जिस फिल्म के लिए दर्शक ढूंढ़ने पर भी न मिले वह फिल्म निश्चित रूप से समांतर या नव या कला-फिल्म होती है।
प्रतिशंका ः इन फिल्मों को दर्शक क्यों नहीं मिलते हैं ?
प्रतिनिवारण ः क्योंकि इन फिल्मों को केवल आलोचक देखते है।
प्रोड्यूसरः रक्षति कौमारे, वितरकः रक्षति यौवने।
दर्शकाः रक्षंति वार्धक्ये, न फिल्मं स्वातंत्रयमर्हति ॥ 8॥
टीका ः फिल्म की रक्षा कुमारी होने तक अर्थात् बनते रहने तक प्रोड्यूसर तथा फाइनेन्सर करता है। फिल्म के यौवन काल में उसकी सुरक्षा वितरक करता है। वृद्धावस्था में दर्शक उसे बार-बार देखकर उसकी रक्षा करता है। अतः औरत की तरह फिल्म भी स्वतन्त्र नहीं होती।
कुशंका ः क्या आलोचक फिल्म की रक्षा नहीं करते हैं ?
निवारण ः बेचारे आलोचकों को खुद की रक्षा भी दूसरों से करानी पड़ती हैं। वे क्या फिल्म की रक्षा करेंगे !
सर्वोपनिषदों गावो दोग्धा दर्शकानां जगत्।
तदेव वत्सः सुधीभोक्ता,दुग्धं-फिल्मामृतं महत्॥ 9॥
टीका ः सभी उपनिषद गौएं हैं-सम्पूर्ण सांसारिक ज्ञान का दोहन करने के पश्चात् दर्शक रूपी बछड़े को फिल्म रूपी दुग्धामृत का पान कराया जाता है ।
पुनः शंका ः फिल्म को अमृत क्यों कहा गया है ?
निवारण ः तुम बड़े भोले हो वत्स ! फिल्म का नाम सुनकर मुर्दा भी एक बार जी उठता है। इसीलिए इसे अमृत कहा गया है।
श्रमजीवी भवेत् जूनियर आर्टिस्ट, धनजीवी हीरो-हीरोइन,
बलजीवी भवेत् डमी, बुद्धिजीवी हि फिल्म-लेखकः ॥ 10 ॥
टीका ः श्रमजीवी लोग फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट बनते हैं। धनजीवी हीरो-हीरोइन होते हैं। बलजीवी हमेशा ‘डमी' बनते हैं। तथा बुद्धिजीवी फिल्मी-लेखक होते हैं।
अतिशंका ः डमी क्या करते हैं ?
निवारण ः डमी फिल्मों में भंयकर मारपीट के सीन फिल्माकर हीरो की लाज बचाते हैं।
प्रतिशंका ः क्या फिल्मी-लेखक वास्तव में बुद्धिजीवी होते हैं ?
प्रतिनिवारण ः फिल्मी-लेखक का बुद्धिजीवी होना अपने आप में एक व्यंग्य है !
हीरो हीरोस्य भक्षणम् ॥ 11 ॥
टीका ः बड़ा हीरो छोटे हीरो को खा जाता है-यह सांसरिक नियम यहां भी लागू होता है।
सुशंका ः कोई उदाहरण देकर समझाइए।
निवारण ः फिल्म ‘शोले' में अमिताभ धर्मेन्द्र को, फिल्म ‘कभी-कभी' में अमिताभ को शशि कपूर खा गया था।
हीरोइनस्तु यत्र पूज्यन्ते।
रमन्ते तत्र देवताः॥ 12 ॥
टीका ः जहां पर हीरोइनों की पूजा होती है, वहां देवता रमण करते हैं।
सुलघुशंका ः ये देवता कौन हैं ?
निवारण ः ये देवता मनुस्मृति वाले नहीं हैं। ये कलियुगी देवता देर रात तक चलने वाली पार्टियों में रमण करते हैं।
येषां कोमल-प्रेमालाप-कौशलम्,
तेषां कर्कश तर्क वक्र हस्त कौशलमपि।
ये कांता-कुच कररूहाः सानन्दमारोपिताः,
तैः कि जीप शिखरे नारोपणीयाः बन्दूकाः॥ 13॥
टीका ः हीरो सामान्यतः कोमल प्रेमालाप में ही अपना कौशल दिखा सकते हैं, लेकिन फिल्मों में वे अपने कर्कश तर्कों तथा हाथों के कौशल भी दिखा जाते हैं। वे कामिनियों के कुचमण्डल पर नाखूनी नक्काशी करते हुए जीप पर सवार होकर बन्दूक या पिस्टल का प्रयोग करके दुश्मन को धराशायी कर देते हैं।
नातिदीर्घ शंका ः ऐसे सर्वगुण-सम्पन्न हीरो कहां मिलते हैं ?
निवारण ः हीरो तो बेचारे साधारण इन्सान हैं, लेकिन निर्देशक नामक जीव इनको ऐसा नचाते हैं कि वे ये चमत्कारी कौशल दिखा जाते हैं।
हेमा मालिनी च जया बच्चन च वैजयन्ती माला,
रेखा च राखी च स्मिता पाटिलः
तेषा स्मरण-मात्रेण स्वर्गानन्दं प्रजायते ॥ 14 ॥
टीका ः हेमा मालिनी, जया बच्चन, वैजयन्तीमाला, रेखा, राखी, स्मिता पाटिल आदि नामों के स्मरण मात्र से मानव को स्वर्गानन्द की प्राप्ति होती है।
सुदीर्घ शंका ः ये देवियां कौन हैं ? क्या ये नव दुर्गाएं हैं ?
निवारण ः ये बालाएं फिल्मी कामिनियां, तारिकाएं हैं। इनको सामने देखने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा है। अतः शास्त्रों में केवल स्मरण करने का विधान है !
धरमेन्दरं राजेश खन्ना च अमिताभःं शशिकपूरं च
राजकपूरः च संजीव कुमार ः नव पीढ्याः आदर्श पुरुषा ॥ 15 ॥
टीका ः धर्मेन्द्र, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, शशिकपूर, राजकपूर तथा संजीव कुमार नयी पीढ़ी के आदर्श पुरुष हैं।
सकार शंका ः क्या अन्य कोई आदर्श उपलब्ध नहीं हैं ?
निवारण ः प्रश्न उपलब्धि का नहीं, चाहत का है ! लगभग सभी युवाओं ने अपने हृदय-पटल पर इनके चित्र बना रखे हैं। एक हीरो की शादी की सूचना मिलते ही, भारत के सभी नगरों से कई युवतियों द्वारा आत्महत्या के समाचार मिलते हैं। इसी प्रकार किसी हीरोइन की सगाई की सूचना-मात्र से सैकड़ों देवदास पैदा हो जाते हैं।
नित्यम् सेव्येत फिलमम्।
नित्यं, वर्धते बलम् ॥ 16 ॥
टीका ः नित्य फिल्म देखने से बल की वृद्धि होती है।
अतिशंका ः आयुर्वेद के इस सिद्धान्त को क्या चरक से मान्यता मिल गई है ?
निवारण ः यह तो स्वानुभूत सत्य है मेरे भाई ! इसे किसी मान्यता की आवश्यकता नहीं है।
सुफलम् प्राप्नुवन्ति, प्रातः भजन्ति ये,
हीरो-हीरोइन भवेद् दास-दासी,
अभिलाष-दात्रे,
फिल्मेश्वराय नमः ॥ 17 ॥
टीका ः जो व्यक्ति फिल्मेश्वर भगवान को नमन कर प्रातः इस सूत्र का पारायण करेगा, हीरो-हीरोइन उसके दास-दासियां बनेंगे तथा उसकी समस्त अभिलाषाएं पूर्ण होगी।
इति शंका ः अगर कोई व्यक्ति स्वयं हीरो-हीरोइन बनना चाहे तो उसे क्या करना चाहिए ?
निवारण ः उस व्यक्ति को नियमपूर्वक सुबह उठकर इस सूत्र का पारायण 108 बार करना चाहिए।
इति श्री फिल्म-सूत्रम् ॥ 18 ॥
टीका ः मैं अब फिल्म-सूत्र का समापन करता हूं !
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यशवन्त कोठारी 86, लक्ष्मी नगर, ब्रह्मपुरी बाहर, जयपुर-302002 फोनः-2670596
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