एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य - बदनाम होने का सुख

SHARE:

  सभी ने यह कहावत जरूर सुनी होगी कि “बद अच्छा बदनाम बुरा”। लेकिन यह पुराने जमाने की बात है। जो आज के समय में लागू नहीं होती। अब न बदनामी बुर...

 

सभी ने यह कहावत जरूर सुनी होगी कि “बद अच्छा बदनाम बुरा”। लेकिन यह पुराने जमाने की बात है। जो आज के समय में लागू नहीं होती। अब न बदनामी बुरी होती है और न ही बदनाम। आज बदनाम होने में बड़ा सुख है। इसलिए ही कई लोग जी खोलकर बदनाम होते हैं। और सुख भोगते हैं। वैसे मेरा अपना निजी अनुभव तो कुछ भी नहीं है। फिर भी देख-सुनकर इतना समझ में आ चुका है। और इसी आधार पर अपनी दलीलें पेश कर रहा हूँ। शायद किसी का कल्याण हो जाय। आज के समय में उपरोक्त कहावत का बदला हुआ रूप कुछ इस प्रकार है- “बदनाम भला सदनाम बुरा। बद सबसे अच्छा गुमनाम बुरा”।

आपको यदि कोई शंका हो तो आजमा कर देख लीजिए। कम से कम एक बार ही सही बदनाम होकर देख लीजिए। यदि सुख ना मिला तो कसम खा लीजियेगा। लेकिन सच में ऐसी नौबत ही नहीं आयेगी। विश्वास कीजिए आप भी इसके आदी हो जायेंगे।

आपकी चांदी हो जाएगी। तथा आप पर हँसने वालो की बर्बादी हो जायेगी। आप आगे बढ़ेंगे और वे पीछे हटेंगे। आप का नाम और काम दोनों पेपर में आएगा। साथ में फोटो भी रहेगी। इतना ही नहीं भोली-भाली जनता आपको नेताजी कहेगी।

नेता बनने के लिए बहुत उतावले मत हो जाइए। कम से कम इतना तो ध्यान रखिये कि सबकी किस्मत एक सी नहीं होती। आप किस क्षेत्र में कितना और कैसे बदनाम होते हैं। इसका भी तो असर पड़ेगा । एक ही क्षेत्र के काम के भी दो परिणाम हो सकते हैं। जैसे जब दो लोग कुश्ती लड़ते हैं तो कोई एक ही जीतता है। कुछ भी हो केवल नेतागिरी में ही सुख थोड़े है।

आपके साथ कौन बदनाम होता है अथवा आप किसको बदनाम करते हैं या आपको कौन बदनाम करता है। कभी-कभी यह भी मायने रखता है। इसलिए ही बहुत लोग उपयुक्त साथी के तलाश में रहते हैं। मौका देखकर खुद बदनाम होते हैं और दूसरों को भी बदनाम करते हैं। कई लोग ऐसे अवसरों पर पड़ोसी का खास खयाल रखते हैं। खुद तो सुख पाए और पड़ोसी को तरसाए तो पड़ोसी ही क्या ? जब साथ ही रहना है तो दुःख और सुख भी साथ-साथ क्यों न सहा जाय ? कई लोग तो सुख-दुःख साथ-साथ सहने के लिए कसम भी लेते हैं। दीगर है बाद में साथ ही छोड़ देते हैं ।

बदनामी में सुख ही सुख है। इस राज को समझ व समझा पाना थोड़ा कठिन है। फिर भी प्रयास कर रहा हूँ। अपने से भी किसी का भला हो जाय तो क्या बुरा है ? थोड़ा सा दिमाग पर जोर डालकर सोचिए कि आखिर जो काम करके कोई बदनाम हो जाता है। वही काम अथवा उसी जैसा कोई दूसरा काम करके दूसरे लोग बदनाम क्यों होते हैं ? जैसे जब कोई घूस लेते हुए पकड़ा जाता है, जब कोई किसी के साथ भाग जाता है अथवा जब कोई किसी को भगा ले जाता है या जब कोई नेता किसी घोटाले में फंस जाता है तो चर्चा में आ जाता है। दीगर है कुछ संकीर्ण विचारधारा के लोग कहने लगते हैं कि बदनाम हो गए। लेकिन शर्करा की मिठास तो वही जान सकता है जो उसे चखे। गौर करने वाली बात यह है कि थोड़े दिन बाद कहीं न कहीं यही घटनाएँ फिर घटित होती हैं। यदि बदनामी से वास्तव में दुःख होता तो लोग बार –बार बदनाम क्यों होते ? अब तक बदनामी वाले सारे काम बंद नहीं हो गए होते ? लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है और एक के बाद एक बदनामी वाली घटनाएँ होती रहती हैं। मुझपर विश्वास करने की जरूरत नहीं है। देश-समाज व इतिहास गवाह है।

कुछ विद्वानों का मानना है कि बदनामी की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह स्थायी नहीं होती। जैसे कहा जाता है कि सुख स्थाई नहीं होता। ठीक वैसे ही बदनामी भी स्थायी नहीं होती। धीरे-धीरे पलायन कर जाती है। क्योंकि सुख का ही दूसरा रूप जो ठहरी। इसलिए ही लोग बार-बार बदनाम होते हैं। और आनंद उठाते रहते हैं। साथ ही कहते हैं कि जिंदगी का मजा तो बदनाम होने में ही है।

एक सज्जन का कहना है कि नाम होना चाहिए। चाहे जैसे भी हो। बदनाम होने से जो सुख मिलता है वह बेनाम होने से कई गुना बेहतर होता है। वैसे देखा जाय तो बेनाम कोई होता ही नहीं। जनसंख्या लाख बढ़ी हो पर अभी उतना थोड़े बढ़ी है कि नाम ही न मिले। हाँ काम न मिले यह दूसरी बात है। चैतू, नैतू , अन्टू, सन्टू इत्यादि तमाम नाम आसानी से मिल जाते हैं। नाम की कोई खास दिक्कत अब तक नहीं है। कुछ न कुछ नाम तो सबका होता ही है। दीगर है नाम होकर भी नहीं होता। आज के समय में तो कुत्तों व बिल्लियों आदि का भी नाम होता है। वैसे कुत्तों का बहुत नाम होता है। दाम तो इतना कि इंसान भी बिक जाय।

एक राज की बात और है। कुछ लोगों का कहना है कि वास्तव में बदनामी होती ही नहीं है। मतलब बदनामी का अस्तित्व ही नहीं है। बदनामी लोगों का वहम है। फिर भी कुछ लोग नाहक ही बदनामी से डरते हैं। जैसे दार्शनिक विद्वान कहते हैं कि कोई चीज सुंदर अथवा असुंदर नहीं होती। सुंदरता तो लोगों की दृष्टि में होती है। वैसे ही बदनामी भी लोगों की दृष्टि में ही होती है। मान लीजिए होती भी है तो हुआ करे। क्योकि इससे सुख जो मिलता है। सुख के लिए तो लोग क्या-क्या नहीं करते ? ऐसे में यदि बदनाम होने से ही काम बन जाय तो क्यों न बदनाम हुआ जाय ? कई लोग इसी सिद्धांत को अमल में लाते हैं।

बदनामी से वही लोग डरते हैं। जिनका मन संकीर्ण होता है तथा जो सिर्फ चने बेचते रहना चाहते हैं। क्योंकि उनके बाप-दादा आदि ने भी यही किया था। जो समझदार होते हैं वे खुलकर बदनाम होते हैं। बदनाम होने के बाद पार्टी देते हैं। भाषण देते हैं। फोटो खिंचवाते हैं। छोटे से लेकर बहुत बड़े-बड़े लोग अब तक बदनाम हो चुके हैं। जिनमें अनेकों नेता-अभिनेता तथा संत-महंत तक भी शामिल हैं। आजकल तो इसमें बहुत तेजी आ गई है।

जिसके समझ में एक बार यह राज आ जाता है। वह किसी का भी नहीं सुनता। एक लड़की थी। उसकी मम्मी रोज समझाती कि बेटी कोई ऐसा-वैसा कदम न उठाना कि घर की बदनामी हो। बेटी ने वैसा ही कदम उठा लिया। क्योंकि उसे राज पता था। अब वह ‘मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए’ वाला गीत गाती है। और मम्मी सिर पर घर उठाये रहती हैं जबकि उन्हें पहले कदम उठाने में ही आपत्ति थी।

बाप बेटे से कहता कि बेटा कुछ भी ऐसा न करना जिससे दुबारा जेल जाना पड़े। बड़ी बदनामी होगी। लड़का कहता कि कितने ही लोग जेल जाकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बन गए। उनका गौरव बढ़ गया। आज उसी जेल से आपका गौरव घटता है। जरा सोचिए आज नेता लोग तो खुद गिरफ्तारी देते हैं। बेटे को सारा राज पता था। इसलिए वह कहता कि एक बार मैं जेल काट आया हूँ। हमें कोई गम नहीं है। कौन समझाये कि जेल लोहे और ईंट की बनी होती है। कोई मूली-गाजर थोड़े है। इसलिए उसे काटना तो आसान नहीं है। लोग वर्षों तक जेल काटते रह जाते हैं। लेकिन वहाँ से भागना अथवा जेल तोड़ना उतना मुश्किल नहीं होता। क्योंकि अक्सर सुनने में आता रहता है कि कैदी जेल तोड़कर भाग गया। जेल काटने के तुरंत बाद भागने की जरूरत नहीं रहती। कुछ दिन के बाद यह नौबत आ सकती है। और सुना है अक्सर आती है।

लोग कहते हैं कि सरकार भ्रष्ट है। अब बताइये यही वह बिरली सरकार है जो भ्रष्ट है कि इसके पहले वाली सरकारों में भी कभी भ्रष्टाचार था अथवा नहीं। यदि पहले भी था तो आज क्यों है ? कारण बदनाम होने से सुख मिलता है। नेता जी का कहना है कि अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो भूखों मर जायेंगे। क्योंकि जनता की भूख खाकर हमारी भूख बहुत बढ़ गई है। और मैं भूखा रहूँ तो जनता हमें माफ नहीं करेगी। अगली बार हम अवश्य हार जायेंगे। इसलिए ही ऐसा कदम उठाना पड़ता है। जेल का भी गम नहीं है। देश अपना, सरकार अपनी तो जेल अपना। जेल में भी अपना खेल चलता रहता है। वहाँ भी अपने मेल वाले हैं। बाहर से भी मिलने वाले और अंदर तो मिलते ही हैं।

कहाँ तक बताएँ। अब इतना ही कहना है कि जिसको बदनाम होना हो वह यथा शीघ्र हो जाए। कहीं ऐसा न हो कि जब तक मूड बने तब तक दूसरे लोग बदनामी के सारे तौर-तरीकों व नुस्खों का पेटेंट करा चुके हों। जिस तरह से लोग बदनाम हो रहे हैं यानी बदनाम होने की घटनाएँ बढ़ रही हैं, उससे तो यही लगता है। और अब तो और जहमत है क्योंकि राज का खुलासा हो चुका है। किसी की सुनना मत। क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि जो दवा एक आदमी को सूट नहीं करती वह आपको भी सूट नहीं करेगी। जरूरत है तो बस किस्मत आजमाने की।

---------

डॉ. एस. के. पाण्डेय,

समशापुर (उ. प्र.)।

http://www.sriramprabhukripa.blogspot.com/

*********

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य - बदनाम होने का सुख
एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य - बदनाम होने का सुख
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2011/07/blog-post_4743.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2011/07/blog-post_4743.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content