छात्रों की संख्या की दृष्टि से देश की सबसे बड़ी इन्जीनियरिंग (ए.आई.ई.ई.ई.) की प्रवेश परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो जाने से देश भर के प्...
छात्रों की संख्या की दृष्टि से देश की सबसे बड़ी इन्जीनियरिंग (ए.आई.ई.ई.ई.) की प्रवेश परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हो जाने से देश भर के प्रवेशार्थी छात्रों, अभिभावकों एवं इस व्यवस्था से जुडे अन्य लोगों के बीच अफरातफरी का माहौल हैA आई.आई.टी. की प्रवेश परीक्षा के बाद देश की सबसे प्रतिष्ठित इस परीक्षा में लगभग 11 लाख छात्र प्रतिवर्ष बैठते हैं, इस वर्ष भी लगभग 11.5 लाख छात्रों ने इस परीक्षा हेतु आवेदन किया था परन्तु ऐन परीक्षा के वक्त प्रश्न पत्र लीक हो जाने के कारण छात्रों से बीच में ही प्रश्न पत्र छीन कर परीक्षा स्थगित होने की सूचना के साथ परीक्षा कक्षों से बाहर कर दिया गया। कुल मिलाकर यह परीक्षा देश के 80 शहरों के 1600 केन्द्रों पर सम्पन्न हो रही थी जिसमें लगभग 11.5 लाख छात्र परीक्षा में बैठे थे। इस परीक्षा कार्यक्रम में आन लाइन परीक्षा के तहत 4500 छात्रों ने परीक्षा दी। सी.बी.एस.ई. बोर्ड प्रतिवर्ष ए.आई.ई.ई.ई. की परीक्षा लगभग 10 वर्षो से करा रहा है।
बड़े ताज्जुब की बात है कि देश की प्रतिष्ठित परीक्षाओं में शातिरों द्वारा सेंध लगाकर प्रश्न पत्र लीक होने की घटनायें अब जल्दी-जल्दी घटने लगी है। पिछले वर्ष ही उत्तर प्रदेश की बी.एड. की प्रवेश परीक्षा में भी इसी तरह की घटना हुई थी। जिसमें थोडे दिनों की पुलिस-प्रशासनिक सरगर्मी के बाद कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा सकी। देश और प्रदेशों की कई अन्य प्रवेश परीक्षाओं के साथ भी इस तरह की घटनायें घट चुकी है। परन्तु कार्यवाही के परिणाम जाहिर नहीं हो सके है। ए.आई.ई.ई.ई. की प्रवेश परीक्षा की अफरातफरी के कारण करोड़ों रूपयो की हानि के साथ-साथ छात्रों को असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। जिससे इस प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित होने वाले छात्र बेचैन है। इस प्रतिस्पर्धा के युग में जब आई.टी. का बोलबाला है तब इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति हमारी कार्य कुशलता पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। सी.बी.एस.ई. बोर्ड द्वारा संचालित ए.आई.ई.ई.ई. की प्रवेश परीक्षा 01 मई को प्रस्तावित थी। उत्तर प्रदेश की एस.टी.एफ के पकड़ने के बाद परीक्षाओं के एकाएक बिना भविष्य के स्पष्ट घोषित कार्यक्रम के स्थगित करने से परीक्षा केन्द्रो पर भगदड़ का माहौल बन गया था। बोर्ड द्वारा कोई स्पष्ट सूचना न तो परीक्षा केन्द्रों पर भेजी जा सकी और न ही उनकी अपनी अधिकारिक बेबसाइट पर उपलब्ध थी। हैरानी की बात यह है कि बोर्ड द्वारा कुल मिलाकर परीक्षा कार्यक्रम पॉच बार संशोधित किय जाने की सूचना अलग-अलग स्रोतों से छात्रों को मिल रही थी। पहली बार 24 अप्रैल, उसके बाद क्रमशः 01 मई, 08 मई, 10 मई और अन्तोगत्वा 11 मई को छूटे हुए छात्रों की परीक्षा सम्पन्न होने की सूचना सी.बी.एस.ई की आधिकारिक वेबसाइट पर 2 मई को उपलब्ध हुई। ज्यादातर छात्रों की परीक्षा उसी दिन 09ः30 बजे के स्थान पर 12 बजे सम्पन्न हो गई परन्तु छूटे हुए लगभग 32500 छात्रों की परीक्षा अब 11 मई को सम्पन्न होने की सूचना है।
इस प्रवेश परीक्षा कार्यक्रम स्थगित होने के बाद इस पूरी प्रवेश परीक्षा व्यवस्था पर कई तरह के सवाल खड़े हो गये है मसलन, एक ही दिन में अलग-अलग कोड़ के प्रश्न पत्रों के प्रश्न नहीं बदलते है लेकिन क्रम बदल जाते है। परन्तु दूसरे दिन परीक्षा कराने से प्रश्न पत्र बदल जाने के साथ-साथ प्रश्न भी बदल जायेगें। जिससे इस परीक्षा की रैंकिग (।प्त्) में अन्तर आ जायेगा। वर्ष 2008 तथा 2009 की प्रवेश परीक्षा की कट अॉफ देखने से पता चलता है कि मात्र 10 अंकों के कम या ज्यादा होने से 5 हजार से लेकर 7 हजार छात्रों तक असर पड़ता है। प्रतिस्पर्धा के इस युग में इस तरह की यह परीक्षा व्यवस्था किसी भी तरह से उचित नहीं कही जा सकती है। इसी तरह सी.बी.एस.ई. की आधिकारिक सूचनायें केवल आन लाइन ही मिल रही है जबकि देश का बड़ा भाग अभी भी इन्टरनेट की पहूॅच से काफी दूर है। इस हालात से जब देश में पूरी तरह से विद्युतीकरण भी नहीं हो पाया है उस समय इतनी महत्वपूर्ण सूचनायें मात्र आन लाइन देने से छात्रों को जानकारी शायद ही हो पाये । जानकर ताज्जुब होगा कि इसी परीक्षा के आन लाइन कार्यक्रम में मात्र 4500 छात्रों ने परीक्षा दी है तथा जिन आन लाइन परीक्षा देने वाले छात्रों की परीक्षा छूट गई उन्हे भी कागज और पेन से परीक्षायें देनी पड़ रहीं है। अतः बोर्ड स्वयं आई.टी. सेवाओं के मामले में विफल सिद्ध हुआ है। अतः इस तरह की सूचनाये देश के हिन्दी, अंग्रेजी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के बड़े-बड़े अखबारोे, टी.वी. तथा अन्य माध्यमेां से उपलब्ध कराई जानी चाहिए। सी.बी.एस.ई. बोर्ड को यह व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए कि एक भी छात्र की परीक्षा उनकी गलती से छूटे नहीं। बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट की सभी सूचनायें अपर्याप्त तरीके से मात्र अंग्रेजी में ही दी जा रही है जबकि देश के बहुत बड़े भू-भाग पर हिन्दी सहित अन्य भाषाओं को ज्यादा पढ़ा लिखा जाता है। इस तरह से परीक्षा संचालित कराने वाला बोर्ड विपरीत परिस्थितियों पूरी तरह से नकारा साबित हुआ है।
इस हड़बड़ाहट में परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर संशोधित करने से देश भर के छात्रों में भ्रम का वातावरण पैदा हो गया है तथा परीक्षा की शुचिता पर प्रश्न चिन्ह उठ लग गया है। बेहतर यह होता कि बोर्ड परीक्षा टुकड़ों में सम्पन्न कराने के बजाये स्थगित कर एक साथ पूर्व सूचना देकर कराने के विकल्प का इस्तेमाल करती। सी.बी.एस.ई बोर्ड द्वारा संचालित ए.आई.ई.ई.ई. की प्रवेश परीक्षा की 4 अलग-अलग श्रेणियॉ घोषित करने से भी भ्रम का वातावरण निर्मित हो गया है। 4 में से 3 श्रेणियों में पुनः दो दिन बाद ही 05 मई तक रजिस्टे्रश्न कराकर 09 मई से एडमिट कार्ड लोन की हड़बड़ाहट से पूरे देश में छात्रों के बीच अफरातफरी का महौल जारी है। इतने व्यस्त प्रवेश परीक्षा कार्यक्रमों में से इस तरह के वातावण से छात्र अपना सम्पूर्ण प्रदर्शन शायद ही कर पायें।
इस तरह की अव्यवस्था से कुछ प्रश्न उभर कर देश की नीति विशेषज्ञों, शिक्षाशात्रियों, प्रशासनिक और सरकारी अधिकारियों के समक्ष उभर कर आते है जिनका उत्तर ही समाधान होगा। इस समय देश में इन्जीनियरिंग और मेडिकल की कई तरह की प्रवेश परीक्षाये अलग-2 स्तरों पर एक ही कोर्स के लिए आयोजित की जा रही है जिससे छात्रों के घन, समय, क्षमता तथा धैर्य का बेमतलब मेें नुकसान होता है, उदाहरण के लिए इन्जीरियरिंग में प्रवेश हेतु आई.आई.टी.जेईई के अलावा, ए.आई.ई.ई.ई., विट्स पिलानी, बी आईटी वेल्लूर तथा कई विश्वविद्यालयों की अपनी-अपनी प्रवेश परीक्षायें आदि के साथ-साथ सम्बन्धित राज्य की इन्जीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा जिसमें ज्यादातर वही छात्र बैठते है जो अन्य लगभग सभी परीक्षाओं में बैठ चुके होतें हैं। अतः छात्रों का अप्रैल, मई और जून का महीन प्रवेश परीक्षा के नाम पर व्यर्थ में बर्बाद होता है। इसी तरह मेडिकल और एम.बी.ए. सहित तमाम अन्य कोर्सों के लिए छात्रों को बेमतलब संघर्ष करने के लिए छोड़ दिया जाता है। अब तो इस बात की भी जानकारी मिल रही है कि बहुत से संस्थान, विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा को मात्र इस लिये कराते हैं ताकि वे बड़े पैमाने पर धनोपार्जन कर सके। इस उबाऊ परीक्षा कार्यक्रम से छात्रों की क्रियाशीलता, कर्मठता तथा उनकी रचनात्मकता पर गहरा असर पड़ता है। छात्र केवल परीक्षा देने वाले हाड़ मॉस के पुतले रह जाते है जिनसे भविष्य की कोई आशा व्यर्थ में की जाती है। अब समय आ गया है कि इन्जीनियरिंग, मेडिकल, एम.बी.ए. तथा अन्य सभी तरह की परीक्षाये अखिल भारतीय स्तर पर एक कोर्स के लिए केवल एक ही परीक्षा कराई जाये। बड़े पैमान पर होने वाली परीक्षाओं पर प्रतिबन्ध लगाया जाये। कालेजों, संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों की रैंकिग की जाये तथा छात्रों को मेरिट के आधार पर संस्थान, विश्वविद्यालय या कालेेज चुनने का अवसर दिया जाये। इत तरह पूरी परीक्षा व्यवस्था उबाऊ न होकर एकरूपता लिये हुए होगी जिससे छात्र तनावमुक्त रह कर परीक्षा दे सकेगें।
डॉ0 मनोज मिश्र
एशोसिएट प्रोेफेसर
भौतिक विज्ञान विभाग,
डी0ए-वी0 कालेज,
कानपुर।
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