यशवन्‍त कोठारी का आलेख - स्‍त्री प्रजाति के खत्‍म होने का खतरा

SHARE:

क्‍या एक दिन संपूर्ण विश्‍व से स्‍त्री प्रजाति के खत्‍म हो जाने का खतरा शुरू हो जायेगा क्‍या भारत में स्‍त्रियों कि संख्‍या पुरुषों के मुका...

क्‍या एक दिन संपूर्ण विश्‍व से स्‍त्री प्रजाति के खत्‍म हो जाने का खतरा शुरू हो जायेगा क्‍या भारत में स्‍त्रियों कि संख्‍या पुरुषों के मुकाबले में निरंतर गिर रही है और क्‍या पुरुषों के मुकाबले कम होती स्‍त्रियों के कारण समाज और जीवन में भयानक परिवर्तन आ सकते हैं ये कुछ प्रश्‍न है जो आजकल बुद्धिजीवियों को सोचने को मजबूर कर रहे है आइये पहले आंकड़ों की भाषा देखें।

भारत में 1801 में 10,000 पुरुषों के मुकाबले में 872 स्‍त्रियां थी जो अब 1881 में 1821 रह गयी है। और शायद अगली जनगणना तक 804 रह जायेगी ऐसी स्‍थिति चीन की भी है चीनी समाज इस भयंकर त्रासदी को ज्‍यादा बुरी तरह से झेल रहा है और वहां पर हजारों पुरुष शादी से वंचित है पूरे चीनी समाज का ढांचा चरमरा रहा है। भारत के दक्षिण राज्‍यों में स्‍थिति थोड़ी ठीक है मगर पंजाब,हरियाणा और दिल्‍ली में स्‍थिति और भी भयावह है।

पंजाब में प्रति 1000 पुरुष के पीछे 772 महिलायें व हरियाणा में 765 ही हैं। हरियाणा के कुछ स्‍थानों में ग्रामीण महिलाओं की संख्‍या तो 715 तक रह गई है। स्‍त्री पुरुषों के अनुपात में यह दूरी सोचने को मजबूर करती है। गांवों में शहरों की तुलना में स्‍त्रियों का अनुपात ज्‍यादा है हर वर्ष 13 मिलियन लड़कियों में से मात्र 11 मिलियन जीवित रहती है। 2 मिलियन लड़कियां मर जाती है। प्रकृति स्‍त्रियों की रक्षा करती है,वे प्राकृतिक रूप से ज्‍यादा ताकतवर है,मगर उनका अनुपात कम हो रहा है। किसी छोटी मोटी बीमारी से यदि 100-200 व्‍यक्‍ति मर जाते है तो बावेला मच जाता है मगर गर्भपात से इस वर्ष 6 लाख मौतें हुई और किसी ने आवाज तक नहीं उठाई।

महिलाओं की गिरती हुई जनसंख्‍या के क्‍या कारण है और इस सम्‍पूर्ण अव्‍यवस्‍था के सामाजिक सरोकार क्‍या है? महिलाओं पर अत्‍याचार लड़की पैदा करने के दुख,बांझ होने के कष्‍ट उनके स्‍वास्‍थ्य के प्रति उपेक्षा उनके अधिकारों का हनन,जीना नरक के समान ,मरना आसान। दान-दहेज खा लो। बहु को जला दो। कामकाजी महिलाओं के अपने कष्‍ट और उपर से भ्रूण हत्‍याओं का अबाध चलता सिलसिला। राजस्‍थान के जैसलमेर जिले में आज भी नवजात बच्‍चियों को मार दिया जाता है। भ्रूण के मादा की संभावना मात्र से भ्रूण लिंग परीक्षण होते हि गर्भपात करा देना। मादा जाति को नष्‍ट करने का षड़यंत्र लगती है।

में ही भ्रूण नष्‍ट करने की 50,000 से अधिक घटनायें हुई है। और इसी कारण समाज में महिलाओं की संख्‍या बड़ी तेजी से कम हुई। भ्रूण हत्‍याओं पर प्रतिबंध तो लगा मगर इससे समस्‍या सुलझी नहीं। शायद नहीं क्‍योंकि डाक्‍टर और निजी क्‍लिनिक सोनोग्राफी क्रोमोसोम संबंधी बीमारियों तथा यौन रोगों के नाम पर भ्रूण परीक्षण कर रहे है और भ्रूण हत्‍या भी जारी है।

वास्‍तव में भ्रूण हत्‍या या बालिका हत्‍या को जनसंख्‍या नियंत्रण के रूप में सोचा जा रहा है,जो गलत है। पुत्र प्राप्‍ति के प्रबल कारकों में से एक है मादा भ्रूण हत्‍या।

गर्भपात को कानूनी मान्‍यता मिल जाने के कारण भ्रूण हत्‍या को बढ़ावा मिला है हमारे देश में स्‍त्री पुरुष अनुपात में निरंतर गिरावट आ रही है, क्‍योंकि संतान प्राप्‍ति के नाम पर केवल पुत्र की ही चाहत है, और परिवार कल्‍याण कार्यक्रमों के कारण केवल एक या दो बच्‍चे और वे भी नर। चीन इस संकट को झेल रहा है,वहां एक बच्‍चा एक परिवार के नारे के कारण ना भ्रूण ही विकसित हुये अब स्‍त्री पुरुष अनुपात गड़बड़ा गया है स्‍त्रियों के अनुपात में गिरावट के सामाजिक परिणाम अवश्‍य ही खराब होंगे। निरक्षरता,खराब ,स्‍वास्‍थ्‍य आदि कि कारण लोगों में मनोवैज्ञानिक यौन कुण्‍ठाओं का विकास होगा। जो आगे जाकर पूरे समाज को विकृत करेगा। इस देश का पुरुष हर काम स्‍त्री के माथे डाल देना चाहता है,मगर वह कन्‍या का बाप नहीं बनना चाहता हैं। परिवार कल्‍याण संबंधी गर्भ निरोधकों का इस्‍तेमाल भी पुरुष नहीं करना चाहता। हानिकारक प्रभावों के बावजूद यह सब भी स्‍त्री को जिम्‍मेदारी मानी जाती है। मादा भ्रूण हत्‍याओं पर रोक तथा महिलाओं के प्रति अत्‍याचारों को कम करने के लिये पुरुषों को परिवार कल्‍याण कार्यक्रमों को अपने स्‍तर पर अपनाना चाहिये। भ्रूण परीक्षण संबंधी कानूनों के कड़ाई से लागू करने की आवश्‍यकता है।

जनसंख्‍या वृद्धि के नियंत्रण को रोकने के लिये आर्थिक दण्‍ड व्‍यवस्‍था भी लागू की जा सकती है। भ्रूण परीक्षण को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध माना जाना चाहिये। सन्‌ 2024 तक हमारे देश की जनसंख्‍या 140 करोड़ हो जाने की संभावना है और यदि इसी दर से मादा भ्रूण हत्‍यायें होती रही तो शायद तब तक स्‍त्री प्रजाति को अस्‍तित्‍व की संकट की लडाई लड़नी पड़ेगी। यदि स्‍त्रियों का अस्‍तित्‍व नहीं रहेगा,तो मानवता कहां बचेगी? पूरी पृथ्‍वी पर एक नवीन प्रकार का पर्यावरणीय असंतुलन आ जायेगा। और स्‍त्रियां नष्‍ट हो जायेगी। शायद ऐसा नहीं होगा, क्‍योंकि वंश चलाने के लिये मनुष्‍य नामक जाति कि अस्‍तित्‍व को बनाये रखने के लिए स्‍त्री प्रजाति का संरक्षण ही नहीं उसका सही अनुपात भी आवश्‍यक हैं केवल सरकारी सोच या रीति नीति से कुछ नहीं होगा। पूरे समाज को अपने सरोकारों की चिंता करते हुये स्‍त्री की रक्षा में जुट जाना होगा। यह काम केवल सरकार या महिला संगठनों का ही नहीं है। यह तो सबका है। सबको मिलकर स्‍त्री जाति की रक्षा और अनुपात को बढ़ाने के काम करना होगा,क्‍योंकि भारत में स्‍त्री संबंधी अधिकांश आंदोलनों का नेतृत्‍व पुरुषों ने किया है यथा राजा राममोहन राय, स्‍वामी दयानन्‍द ,ईश्‍वरचंद्र विद्यासागर, गांधी नेहरू जे पी आदि। अतः यदि परिवार समाज और राष्‍ट्र स्‍त्रियों की रक्षा का काम नहीं करेगा तो प्रकृति करेगी, क्‍योंकि एक सीमा के बाद प्रकृति किसी अन्‍याय को बर्दाश्‍त नहीं करती हैं।

परिवार कल्‍याण, सुरक्षित मात्रृत्‍व तथा इस तरह के अन्‍य कार्यक्रमों की तरह ही स्‍त्रियों की सुरक्षा हेतु भी एक राष्ट्रीय कार्यक्रम की आवश्‍यकता है ताकि वे सुरक्षित रहें। स्‍त्रियां ही नहीं होगी जो मानव का अस्‍तित्‍व ही समाप्‍त हो जायेगा। हमें इस संकट को समझना होगा। समय रहते चेतना होगा।

'''''''''

यशवन्‍त कोठारी

86,लक्ष्‍मी नगर ब्रहमपुरी बाहर,

जयपुर-302002

फोनः-0141-2670596

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. देश में भ्रूण हत्या रोकने के कानून बेहद सख्त है , इनका पालन नहीं होता है |
    बहरहाल, समयोचित आलेख है , किन्तु शीर्षक प्रतिकर्षित करता है |

    जवाब देंहटाएं
  2. होइहै वही जो राम रचि राखा....जो जस करम सोई फ़ल चाखा....

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: यशवन्‍त कोठारी का आलेख - स्‍त्री प्रजाति के खत्‍म होने का खतरा
यशवन्‍त कोठारी का आलेख - स्‍त्री प्रजाति के खत्‍म होने का खतरा
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLT841lzYU1uwhhkJELJiAkJacPvcwo8aqKDR5HfH1xpl5nRPW7BVVtfOb6Y40oqXOH2hLRaQ4_1nr-kidXNxmbeVFvUuhNc26Jb5PL-47rfTxG8SqPdJcP3J5jvfE-cvqKP7m/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgLT841lzYU1uwhhkJELJiAkJacPvcwo8aqKDR5HfH1xpl5nRPW7BVVtfOb6Y40oqXOH2hLRaQ4_1nr-kidXNxmbeVFvUuhNc26Jb5PL-47rfTxG8SqPdJcP3J5jvfE-cvqKP7m/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2011/01/blog-post_4541.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2011/01/blog-post_4541.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content