सन् 2010 के दौरान देश में 2,93,200 सड़क दुर्घटनाओं में 70,000 से ज्यादा मृत्यु के शिकार हो गए और 1947 से अब तक 10 लाख लोग सड़कों पर म...
सन् 2010 के दौरान देश में 2,93,200 सड़क दुर्घटनाओं में 70,000 से ज्यादा मृत्यु के शिकार हो गए और 1947 से अब तक 10 लाख लोग सड़कों पर मौत का शिकार हो चुके है। हमारे देश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण विकसित देशों से अलग है। इनमें शराब, खराब सड़कें, यातायात के नियमों का उल्लंघन, वाहनों की स्थिति, प्रकार, संख्या, चालकों तथा लोगों में जागरूकता का अभाव आदि कारण प्रमुख हैं। मरने वालों में 80 प्रतिशत पैदल चलने वाले है। 25 प्रतिशत लोग बस के कारण मरते हैं। कुल दुर्घटनाओं में वाहनचालक की गलती 75 प्रतिशत, पथयात्री की गलती 4․7 प्रतिशत, मौसम 0․7 प्रतिशत, सड़कें 2․6 प्रतिशत तथा अन्य कारण 14․4 प्रतिशत पाए गए है। भारतीय सड़कों पर मरने वालों की संख्या में निरन्तर बढ़ोतरी हो रही है।
स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद देश में वाहनों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी हैं। 1950 में देश में सड़कों की कुल लम्बाई 3․98 लाख किलोमीटर थी जो अब 21 लाख किलोमीटर है। हमारे देश में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 2600 वाहन हैं। वाहनों की वृद्धि के साथ-साथ दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। प्रतिदिन औसतन 155 व्यक्ति सड़क दुर्घटनाओं में मरते हैं और 700 घायल होते है। प्रति हजार वाहनों पर 13 दुर्घटनाएं होती हैं। दुर्घटनाओं में वृद्धि, मृत्यु दर में वृद्धि, वाहनों की संख्या में वृद्धि-कुल मिलाकर सड़क पर हर समय नाचती मृत्यु। रोज मौत सड़क पर हमें छूती है और हम अब मरे कि तब मरे की स्थिति में सड़क पर मंडराते इस मौत के साये में घबरा उठते हैं। आखिर सड़कों पर नाचती मौत से कैसे बचा जा सकता है।
एक सीधा-सादा तरीका यह है कि घर से निकलें ही नहीं। मगर क्या ये संभव है ? शायद नहीं। अतः सड़क पर चलते समय सावधान रहें। यदि आप दुपहिया वाहनचालक हैं तो हैलमेट लगाएं। कारवालों की तुलना में दुपहिया वाहन चालकों पर पांच गुना ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। सड़क पर मृत्यु सामान्यतया चालक की किसी गलती के कारण ही होती है। ओवर टेकिंग, बिना सिगनल के मुड़ जाने तथा सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करने से ज्यादातर दुर्घटनाएं होती हैं।
सड़क सुरक्षा शिक्षा का सर्वप्रथम दायित्व मां-बाप का है। शहरों में रहने वाले लोगों को अपने बच्चों को सड़क सुरक्षा की जानकारी देनी चाहिए। सड़क पर दुर्घटना किसी के साथ भी घट सकती है, परन्तु बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना सबसे ज्यादा है। माता-पिता को बच्चों को यातायात के नियमों की जानकारी देनी चाहिए।
यातायात के कुछ बुनियादी नियम
हमेशा बायीं ओर रहें। विपरीत दिशा से आ रहे यातायात को दाईं ओर से जाने दें। केवल दाईं आरे से ओवरटेक करें। बाईं ओर से केवल तभी ओवरटेक करना चाहिए जब आगे वाला वाहन दाईं ओर मुड़ने का संकेत दे रहा हो। यदि ओवरटेक करने से किसी को असुविधा या खतरा होने की संभावना है अथवा आगे सड़क साफ दिखाई न दे रही हो तो कभी ओवरटेक न करें। जब कोई वाहन आपको ओवरटेक करना चाहता हो, तो अपनी गति को बढ़ाकर उस वाहन को अपने से आगे निकलने से न रोकें। चौराहे अथवा सड़क के किनारे की ओर बढ़ते समय गति धीमी रखें और यदि किसी को कोई खतरा न हों, तभी उधर बढ़ें। जंक्शन से मुख्य सड़क पर आते समय उस पर चल रहे वाहनों को रास्ता दें। चौराहे पर दाईं तरफ चल रहे सभी वाहनों को जाने दें। यदि कहीं ‘धीमा चलें, आगे मुख्य सड़क है' का संकेत लगा हो, तो अपने बाईं ओर चलते वाहनों को भी रास्ता दें। यदि कहीं जुलूस निकल रहा हो अथवा सड़क की मरम्मत हो रही हो, तो गति धीमी रखें। आपकी रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए। बाईं ओर मुड़ते समय सड़क के बाएं किनारे के साथ-साथ चलें।
दाईं ओर मुड़ने के लिए सड़क के मध्य की ओर चलें, यदि आवश्यक हो तो चौराहे पर थोड़ा रुकें, फिर जिस सड़क पर आपको जाना है, उसके बाएं किनारे की ओर चलें।
सुरक्षित ड्राइविंग कोड
सड़क पर अन्य व्यक्तियों की सुरक्षा के प्रति सतर्कता, शिष्टता एवं सम्मान। यातायात नियमों तथा कानूनों की जानकारी रखनी चाहिए।
अन्य वाहन चालकों की गलतियों तथा गैरकानूनी हरकतों के प्रति सतर्कता रखनी चाहिए। दुर्घटना रोकने के प्रति उत्सुकता, गलती चाहे किसी की भी हो।
दूसरों के सड़क पर चलने के अधिकार का सम्मान करें। सड़क पर चलने के अधिकार की परिभाषा ‘सड़क मार्ग के तत्काल प्रयोग के विशेषाधिकार' के रूप में दी गई है। इन नियमों में बताया गया है कि कब, कैसे, कहां होना चाहिए और किसी समय विशेष पर किसी वाहन को दूसरे वाहन के लिए रास्ता छोड़ना चाहिए। आप जानते हैं कि आपको सड़क पर चलने का अधिकार तब तक नहीं मिल सकता जब तक दूसरा चालक आपके लिए रास्ता न छोड़ें। अपने दाईं तरफ चलने वाले वाहनों को सदा आगे निकलने दें।
अपनी सुरक्षा के लिए गाड़ी चलाते समय सदा लेन अनुशासन का पालन करें। सड़क पर लेन की रेखाएं दो महत्वपूर्ण काम करती हैं। ये रेखाएं सुनिश्चित करती हैं कि उपलब्ध सड़क का सदुपयोग हो तथा ये यातायात को सुरक्षित भी बनाती हैं।
प्रत्येक सड़क पर लेन होती है, चाहे उनकी रेखाएं हों या नहीं। जहां ये रेखाएं न खिंची हों, अपने दिमाग में सड़क को अलग-अलग लेनों में बांटिए। अब आप अपना रास्ता तय करें ताकि उसे अचानक न बदलना पड़े। बिना किसी कारण एक लेन से दूसरे लेन में न जाएं। आत्मरक्षा के प्रति सचेत चालक बार-बार अपनी लेन नहीं बदलते।
सड़क पर आपका सामना हर तरह के चालकों से हो सकता है। गाड़ी चलाने के उनके ढंग में कई कमियां होती है और अक्सर वे इस प्रकार आपके सामने आ जाते हैं कि दुर्घटना से बचने के लिए आपको बार-बार अपनी दिशा बदलनी पड़ती है। आप यह मानकर नहीं चल सकते कि दूसरा चालक भी आपकी तरह आत्मरक्षा के प्रति सजग है और यातायात नियमों का आप ही की तरह पालन करता है। इसके विपरीत यदि आप यह मानकर चलें कि दूसरा चालक बिना सोचे-विचारे गैरकानूनी और गलत ढंग से गाड़ी चलाता है, तो आप सावधानी बरतने के लिए तैयार रहेंगे और दुर्घटना से बचा जा सकेगा।
सड़क पर सुरक्षित रहें, इसके लिए जरूरी है कि सावधान रहें और उस चालक का ध्यान रखें जो आपका ध्यान नहीं रखता। धीरे चलें। गति कम होने से या तो दुर्घटना नहीं होती या फिर खतरनाक नहीं होती।
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यशवन्त कोठारी
86, लक्ष्मी नगर, ब्रह्मपुरी बाहर,
जयपुर-302002 फोनः-2670596
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