प्रमोद भार्गव का कहानी संग्रह : मुक्त होती औरत (11) - भूतड़ी अमावस्या

SHARE:

( पिछले अंक में प्रकाशित कहानी 'मुखबिर' से जारी...) मुक्‍त होती औरत   प्रमोद भार्गव प्रकाशक प्रकाशन संस्‍थान 4268. अंसारी रो...

(पिछले अंक में प्रकाशित कहानी 'मुखबिर' से जारी...)

मुक्‍त होती औरत

 

pramod bhargava new

प्रमोद भार्गव

प्रकाशक

प्रकाशन संस्‍थान

4268. अंसारी रोड, दरियागंज

नयी दिल्‍ली-110002

मूल्‍य : 250.00 रुपये

प्रथम संस्‍करण : सन्‌ 2011

ISBN NO. 978-81-7714-291-4

आवरण : जगमोहन सिंह रावत

शब्‍द-संयोजन : कम्‍प्‍यूटेक सिस्‍टम, दिल्‍ली-110032

मुद्रक : बी. के. ऑफसेट, दिल्‍ली-110032

----

जीवनसंगिनी...

आभा भार्गव को

जिसकी आभा से

मेरी चमक प्रदीप्‍त है...!

---

प्रमोद भार्गव

जन्‍म 15 अगस्‍त, 1956, ग्राम अटलपुर, जिला-शिवपुरी (म.प्र.)

शिक्षा - स्‍नातकोत्तर (हिन्‍दी साहित्‍य)

रुचियाँ - लेखन, पत्रकारिता, पर्यटन, पर्यावरण, वन्‍य जीवन तथा इतिहास एवं पुरातत्त्वीय विषयों के अध्‍ययन में विशेष रुचि।

प्रकाशन प्‍यास भर पानी (उपन्‍यास), पहचाने हुए अजनबी, शपथ-पत्र एवं लौटते हुए (कहानी संग्रह), शहीद बालक (बाल उपन्‍यास); अनेक लेख एवं कहानियाँ प्रकाशित।

सम्‍मान 1. म.प्र. लेखक संघ, भोपाल द्वारा वर्ष 2008 का बाल साहित्‍य के क्षेत्र में चन्‍द्रप्रकाश जायसवाल सम्‍मान; 2. ग्‍वालियर साहित्‍य अकादमी द्वारा साहित्‍य एवं पत्रकारिता के लिए डॉ. धर्मवीर भारती सम्‍मान; 3. भवभूति शोध संस्‍थान डबरा (ग्‍वालियर) द्वारा ‘भवभूति अलंकरण'; 4. म.प्र. स्‍वतन्‍त्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन भोपाल द्वारा ‘सेवा सिन्‍धु सम्‍मान'; 5. म.प्र. हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन, इकाई कोलारस (शिवपुरी) साहित्‍य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में दीर्घकालिक सेवाओं के लिए सम्‍मानित।

अनुभवजन सत्ता की शुरुआत से 2003 तक शिवपुरी जिला संवाददाता। नयी दुनिया ग्‍वालियर में 1 वर्ष ब्यूरो प्रमुख शिवपुरी। उत्तर साक्षरता अभियान में दो वर्ष निदेशक के पद पर।

सम्‍प्रति - जिला संवाददाता आज तक (टी.वी. समाचार चैनल) सम्‍पादक - शब्‍दिता संवाद सेवा, शिवपुरी।

पता शब्‍दार्थ, 49, श्रीराम कॉलोनी, शिवपुरी (मप्र)

दूरभाष 07492-232007, 233882, 9425488224

ई-सम्पर्क : pramod.bhargava15@gmail.com

----

अनुक्रम

मुक्‍त होती औरत

पिता का मरना

दहशत

सती का ‘सत'

इन्‍तजार करती माँ

नकटू

गंगा बटाईदार

कहानी विधायक विद्याधर शर्मा की

किरायेदारिन

मुखबिर

भूतड़ी अमावस्‍या

शंका

छल

जूली

परखनली का आदमी

---

कहानी

भूतड़ी अमावस्‍या

भूतों की भी कोई अमावस्‍या होती है यह पार्वती देवी ने इकलौते बेटे के भूतों के फेर में आ जाने के बाद ही जाना था। हालाँकि भूत जैसी किसी हवा के अस्‍तित्‍व पर उनका बहुत गहरा विश्‍वास नहीं था। हवा और देवताओं की सवारी जैसी अतीन्‍द्रिय शक्‍तियाँ उन्‍हें हकीकत कम और बे-बुनियाद ज्‍यादा लगती थीं। भय के चलते कमजोर प्राणी भूतों के वशीभूत हो जाता है, इस तर्क को ज्‍यादा वजनदार मानती थीं। उनके पति भोलानाथ भी कमोबेश इसी धारणा के अनुयायी थे। हालाँकि वे पूजापाठी ब्राह्मण परिवार से थे। पूजा-पाठ और कर्मकाण्‍ड ही उनकी रोजी-रोटी का परम्‍परागत पेशा था, जो उनके पति को विरासत में मिला था। वैसे भोलानाथ को कभी पुरोहिताई रास नहीं आयी। हायर सेकेण्‍डरी करने के बाद सरकारी नौकरी मिल गई होती तो वे पोथी-पत्रा को जीवनयापन का जरिया कभी न बनाते। पर जब नौकरी पा लेने की उम्र खिसकने लगी तो पापी पेट के लिए अन्‍य कोई सुविधाजनक चारा शेष नहीं रह गया था, सो भोलानाथ ने इसी को भाग्‍य की विडम्‍बना मानकर अपना लिया।

पार्वती देवी को अच्‍छी तरह याद है, जब बीस साल पहले मुन्‍ना पेट में था, तब ये नौकरी की तलाश में यहाँ-वहाँ भटकते रहते थे। कोई हिल्‍ला-पानी न लगने के कारण बात-बात पर सनक भी जाया करते थे। हमारे गाँव में उन दिनों लोकसभा चुनाव का प्रचार जोरों पर था। महाराज उम्‍मीदवार थे। उनके प्रचार के लिए न जाने कहाँ-कहाँ से, कौन-कौन अनजान लोगों ने गाँव-गाँव आकर डेरा डाला हुआ था। हमारे गाँव में भी तीन लोगों ने मजमा जमाया हुआ था। अमावस्‍या के दिन गोधूलि बेला थी। एकाएक रँभाती गाय-बछड़ों के गलों में बँधी घण्‍टियों की मधुर स्‍वर लहरियों को चीरती हुई सवारी के आह्वान की कर्कश हुँकार उठी। ये पौर में बैठे थे। चौंककर जैसे सोते से जागे। सामने निरपतिया था। बोले, ‘‘रे...निरपतिया जा कैसी हुँकार...?''

अनुभवी निरपतिया तपाक से बोला, ‘‘जा तो सवारी बुलावे की चौकी भरी जा रही है भैया।''

‘‘पर मन्‍दिर में चौकी भरी होत है का...? वह भी बालाजी के मन्‍दिर में? चल नेक देखें तो सही को है...!''

मन्‍दिर में देखा तो गूगल और अगरबत्ती का धुआँ भरा था और एक पच्‍चीसेक साल का युवक सवारी आ जाने का उपक्रम कर रहा था। उसकी छाती धौंकनी-सी चलकर हिचकियाँ उगल रही थी और वह बार-बार उठकर घुटनों के बल खड़ा होकर अजीब हरकतें कर रहा था। कभी वह हथेलियों से पेट पीटता तो कभी गहरी साँसें लेकर आँखें फाड़ते हुए जीभ निकालता। भोलानाथ और निरपतिया सवारी की बगल में जाकर बैठ गए। भोलानाथ ने गुस्‍से में आकर होम की राख अँगुलियों का झटका देकर फैला दी। सवारी की जैसे ही भोलानाथ द्वारा की गई धर्म विरोधी हरकत पर नजर पड़ी तो आँखें तरेरकर बोली, ‘‘को है रे मोड़ा आफत को आमन्‍त्रण देता है...। पच्‍चय दे अपना...?''

‘‘तें बता तेरा पच्‍चय का है, कहाँ की सवारी है...? कभी बालाजी के मन्‍दिर पर सवारी आत है? सवारी तो देवता के चबूतरे पर आत है...।''

‘‘घोर...अनर्थ... सर्वनाश को बुलावा...जल्‍द पच्‍चय दे अपना...वरना विनाश निश्‍चय है।''

‘‘तें बता, तें को है, मैं तो जई गाँव को हों मोय तो सब जानत हैं।''

‘‘मैं देवियों की देवी करौली...। अब तू बता...?''

‘‘मैं करौली का लोग करोला...!''

मन्‍दिर में सन्‍नाटा खिंच गया। सवारी की हरकतों पर विराम लग गया। लेकिन सभा में मौजूद जसवंत ठाकुर को भोलानाथ की धर्म विरोधी हरकत नागवार गुजरी। उन्‍हें भी खाती बाबा की सवारी आती थी। वे हमेशा तलवार कमर में बाँधे रखते थे। उत्तेजित अवस्‍था में वे म्‍यान से तलवार खींचते हुए उठे और मन्‍दिर के बाहर चबूतरे पर आकर तलवार हवा में लहराकर खाती बाबा का आह्वान अधर्मियों के नाश के लिए करने लगे। सभी धर्मावलम्‍बी उठकर खाती बाबा के जयकारे लगाने लगे। त्रिशंकु की अवस्‍था में आ गए भोलानाथ ने चतुराई से काम लिया। उन्‍होंने निरपतिया के कान में बड़े ठाकुर हिम्‍मत सिंह को फौरन बुला लाने की फूँक भरी। हिम्‍मत सिंह के काँधे पर पूरे दिन, भरी बन्‍दूक टँगी रहती थी। वे भोलानाथ के अन्‍ध हिमायती थे। पूरे इलाके में उनकी तूती बोलती थी। कुछ ही देर में निरपतिया के संग हिम्‍मत सिंह मन्‍दिर के अहाते में। तब तक खाती बाबा की सवारी आ चुकी थी और घुल्‍ला खाती बाबा से पंडित भोलानाथ का सिर धड़ से कलम करने की इजाजत माँग रहा था। ठाकुर हिम्‍मत सिंह ने घुल्‍ला की बात सुनी तो ताव खा गए और मन्‍दिर के नीचे ही खड़े रहते हुए बन्‍दूक कन्‍धे से उतारते हुए बोले, ‘‘ये घुल्‍ला... और सुनो खाती बाबा पंडत को खरोंच भी आई तो रफल बन्‍दूक से छाती फोड़ देहें...।''

ठाकुर की धमकी काम कर गई। सनाका खिंच गया। जसवंत की तलवार म्‍यान में। घुल्‍ले की काया में समायी सवारियाँ वापस। जिस युवक को करौली मैया की सवारी आ रही थी वह भोलानाथ की तरफ देखकर मुस्‍कराया और बोला, ‘‘तबहीं तो मैं कहूँ, इतनी चुनौती पंडत के सिवाय और कोई नहीं दे सकत। नेक इतखों सरक आओ पंडत चरण रज ले लूँ...।''

घुल्‍लों में सवारियों के काया प्रवेश की पोल खुली तो भविष्‍य जानने को उतावले बैठे लोग रोब में आ गए। उन्‍होंने भोले-भाले लोगों को अब तक बेवकूफ बनाते रहने पर खूब, खरी-खोटी सुनाईं। समझ-बूझ के बाद बात आई गई जरूर हो गई, पर देवताओं के चबूतरों पर घुल्‍लों के शरीर में परकाया प्रवेश का सिलसिला थमा नहीं।

पार्वती देवी सोचती रहीं, जीवन भी बड़ा विस्‍मयकारी है। इसमें अनायास कैसे-कैसे क्षण अज्ञात गर्भ को फोड़कर बवण्‍डर की तरह आते हैं और शक्‍तिमानों को भी शिकंजे में भींचकर लाचारी की अवस्‍था में ला देते हैं। पार्वती देवी पति भोलानाथ और बीस साल के गबरू बेटे के साथ धाराजी में नर्मदा मैया की शरण में खड़ी हैं। विधाता का भी क्‍या विधान है भले-चंगे बेटे की मति कैसी कुमति में बदल गई कि वह एकाएक बौरा गया। व्‍यांघरे मारने लगा। बेटे की बुद्धि को नियन्‍त्रित करने के लिए वे पति के साथ कहाँ-कहाँ नहीं भटकीं..., शिवपुरी के बालाजी धाम, ग्‍वालियर की मल्‍होत्रा डॉक्‍टर, आगरे का पागलखाना, मेहँदीपुर के बालाजी और फिर दिल्‍ली के मनोचिकित्‍सक! लेकिन अवसाद, शक और भय से मुक्‍ति कहाँ मिल पाई बेटे को? दिल्‍ली के डॉक्‍टरों की बेतहाशा फीस, स्‍टेशन से अस्‍पताल तक आने-जाने का खर्च, ठहरने और खाने-पीने का खर्च। मति भ्रमित बेटे को घसीटते-घसीटते उसके इलाज के लिए अर्थव्‍यवस्‍था उनकी मुट्‌ठी से बाहर की बात होकर रह गई। डॉक्‍टर की सलाह थी, दो दिन छोड़कर एक दिन ईसीटी लगेगी। दस ईसीटी लगने के बाद बेटे की लोप स्‍मृति लौट सकती है। पर जब डॉक्‍टर ने उपचार में करीब एक लाख का खर्च बताया तो उनके पैरों तले, जमीन खिसक गई। पूजा-पाठ से तन सिकोड़कर इस जन्‍म में तो एकमुश्‍त एक लाख की राशि इकट्ठी होने से रही। सो उन्‍हें किसी ने समझाया धाराजी में नर्मदा की धार में भूतड़ी अमावस्‍या के दिन बेटे को स्‍नान करा लाओ बेटे पर चल रहे सारे ऊपर चक्‍कर नर्मदा मैयार अपने भँवरजाल में हर ले जाएगी।

नर्मदा के आलीशान चट्टानी घाट पर उन्‍होंने भोलानाथ और बेटे को स्‍नान कराकर भीड़-भाड़ से दूर एक साफ-सुथरी सी चट्टान पर पूजा के लिए बिठा दिया। उनके जैसे सैकड़ों लोग प्रेतबाधा से पीड़ित परिजनों के भूत भगाने धाराजी की धार की शरण में थे। उनका आत्‍मविश्‍वास थोड़ा प्रबल हुआ, जब हजारों की संख्‍या में लोग आए हैं तो जरूर नर्मदा मैया चमत्‍कार दिखाती होंगी। उन्‍होंने नर्मदा की धार में खड़ी होकर पेटीकोट व धोती पानी भर जाने के बाद ऊपर न उठें इसलिए घुटनों के बीच दबा लिये और धोती का पल्‍लू बायीं काँख में दबाकर दायें हाथ से नाक पकड़कर नर्मदा मैया की जय के साथ सम्‍पूर्ण आस्‍था नर्मदा मैया की याचना पर केन्‍द्रित कर डुबकी लगा दी। लेकिन यह क्‍या स्‍थिर जल की तली से उनके पैर क्‍यों उखड़ रहे हैं...? ऐसा तो नदी में बरसात में एकाएक बाढ़ आने पर होता है। उन्‍हें लगा कोई बलशाली ताकत उन्‍हें प्रवाह में लेने को आकुल है। तुरन्‍त वे डुबकी से उबरीं। किनारे के निकट ही थीं पार्वती देवी। उन्‍होंने प्रति उत्‍पन्‍न मति से काम लेते हुए अपनी पूरी ताकत से छलाँगनुमा तैरकर चट्टान पकड़ ली और फिर दोनों हथेलियों के बल वे चट्टान पर चढ़ गईं। वे अब सुरक्षित थीं। उन्‍होंने हैरानी से देखा, ‘‘हे राम! नर्मदा में बेमौसम बाढ़...!'' उत्तरोत्तर नर्मदा के उग्र तेवर...! हाहाकार, चीत्‍कार डूबते-उतराते बूढ़े, महिलाएँ, बच्‍चे...। किंकर्तव्‍यविमूढ़ रह गई पार्वती देवी की संज्ञा लौटी। धाराजी की धार उनके घुटनों तक पहुँच रही थी। एकाएक उन्‍हें बेटे और पति का स्‍मरण हो आया। वे दौड़ीं। भोलानाथ बेटे का हाथ पकड़े पत्‍नी को तबाही के मंजर के बीच तलाश रहे थे। दोनों ने एक-दूसरे को देखा तो चैन आया। पानी लगातार बढ़ रहा था। सैकड़ों लोग धाराजी की धार की गुंजलक में थे। पार्वती देवी ने देखा एक तेरह-चौदह साल का किशोर बचाव के लिए थोड़ी ही दूरी पर हाथ-पैर मार रहा है। पार्वती देवी की ममता पसीज उठी। वे बालक को पकड़ने के लिए पानी में उतरीं। भोलानाथ ने टोका भी, लेकिन वे परमार्थ सुख के इतने चरम पर थीं कि पति की बात अनसुनी ही रह गई। उन्‍होंने घुटनों तक पानी में पहुँचकर लम्‍बा हाथ किया तो अचेत बालक की कमीज की कॉलर उनके हाथ में थी। वे लड़खड़ातीं इससे पहले भोलानाथ ने भी उन्‍हें सहारा दे दिया। बहता बालक उनके हाथों में था। उसकी साँसें अभी शेष थीं। उन्‍होंने उसे पेट के बल लिटाया और पानी निकालने लगे।

लेकिन यह क्‍या बालक का शरीर ठण्‍डा हो गया। धड़कन एकाएक थम गई। अपने प्राणों की बाजी लगाकर अज्ञात बालक के प्राण बचाकर पुण्‍य कमाने की सोच रही पार्वती की आँखों में आँसू छलक आए। उनका उपक्रम बेकार गया। पार्वती देवी ने बालक की लाश को पिछोरा उढ़ाया और इस इन्‍तजार में बैठी रहीं कि बालक के परिजनों को लाश सुपुर्द कर उसका विधान से क्रियाकर्म करा दें। लाशों के ढेर। मातमी सन्‍नाटा, जलती चिताएँ, गन्‍धाती मुराद के बीच दुख का ढिंढोरा पीटते नेता और सरकारी अफसर आते-जाते रहे। मुख्‍यमन्‍त्री ने ऐलान किया कि प्रत्‍येक मृतक के परिजन को एक लाख रुपये का मुआवजा और अन्‍तिम संस्‍कार की सुविधा तत्‍काल मिलेगी। मुआवजे की भनक पार्वती देवी के कानों में भी पड़ी। पार्वती के कान खड़े हुए। उन्‍होंने मन में दोहराया, मृतक के परिजन को एक लाख रुपये का नगद मुआवजा। क्‍या भगवान उनकी सुन रहा है...? क्‍यों न सामने पड़ी बालक की लाश को अपना बेटा बताकर एक लाख हड़प लिये जाएँ। इस राशि से दिल्‍ली में उनके पगलाए बेटे का उपचार हो सकता है। उन्‍हें यह करने में आसानी भी होगी, क्‍योंकि मृतक बालक का कोई परिजन तो अब तक आया नहीं। शायद कुपित नर्मदा ने उन्‍हें लील लिया हो? सवालों के भँवर में उलझी पार्वती देवी ने निश्‍चय किया, वह मुआवजा हासिल करेंगी। उसने भोलानाथ के कान में गुफ्‍तगू की। भोलानाथ ने न-नुकुर की। उनकी न हाँ रही और न, ना।

पार्वती देवी की प्रतिउत्‍पन्‍न मति काम कर रही थी। वे भोलानाथ को कमोबेश घसीटती-सी, रोने का उपक्रम करते हुए मुआवजे के कागजात तैयार कर रहे पटवारी के पास पहुँचीं। अज्ञात मृतक बालक का नाम उन्‍होंने दर्ज कराया और बाप का नाम लिखाया शिवप्रसाद शर्मा। लाश की पुत्र के रूप में सरकारी तसदीक हो जाने के बाद पार्वती देवी और भोलानाथ को बेटे के अन्‍तिम संस्‍कार की इजाजत दे दी गई। इसके बाद उन्‍होंने बतौर मुआवजा एक लाख रुपये की सिलक हासिल कर ली। चिताओं से उठ रहे धुएँ और गन्‍धाती मुराद के बीच से थैले में एक लाख की एकमुश्‍त सिलक सँभाले पार्वती देवी तीन सौ किलोमीटर दूर बसे अपने गाँव के लिए रेल पकड़ने को उतावली थीं। अनायास उनके चेहरे पर कुटिल मुस्‍कान आई और वह बुदबुदाई जय हो नर्मदा मैया, तूने मेरी तो पुकार सुन ली। पार्वती देवी को फिर लगा, जिन्‍दगी में कैसे-कैसे रहस्‍यमय क्षण अज्ञात गर्भ को फोड़कर प्रकट होते रहते हैं।

-----

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद भार्गव का कहानी संग्रह : मुक्त होती औरत (11) - भूतड़ी अमावस्या
प्रमोद भार्गव का कहानी संग्रह : मुक्त होती औरत (11) - भूतड़ी अमावस्या
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgw6YkA6LCFE_8bSBW66AsIZLXa_gWQYS207PEPWn7sJfqcTu-HsoZFlpLNSch-RjdTxOCadgCihcLtdTiKuO_iwmHY6cRb0ui3nl7zaNHp1x0WaSAlGcYIJO_w9Wx-6Fbv7C0N/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgw6YkA6LCFE_8bSBW66AsIZLXa_gWQYS207PEPWn7sJfqcTu-HsoZFlpLNSch-RjdTxOCadgCihcLtdTiKuO_iwmHY6cRb0ui3nl7zaNHp1x0WaSAlGcYIJO_w9Wx-6Fbv7C0N/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2011/01/11.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2011/01/11.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content