प्रमोद भार्गव का आलेख - अयोध्‍या बनाम इतिहासकारों की कट्‌टरता

SHARE:

उच्‍च न्‍यायालय का फैसला आने के बाद जनता जर्नादन ने इसका सम्‍मान किया। मुद्‌दे से जुड़े प्रमुख पक्षकारों ने भी मर्यादित बयान देकर संयम व व...

pramod bhargav

उच्‍च न्‍यायालय का फैसला आने के बाद जनता जर्नादन ने इसका सम्‍मान किया। मुद्‌दे से जुड़े प्रमुख पक्षकारों ने भी मर्यादित बयान देकर संयम व विवेक की परिपक्‍वता दर्शाई। लेकिन अब संकट उन इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों की ज्ञान दक्षता को हैं जो बाबरी विवाद में मुसलिम पक्ष को हर तरह का गोला बारूद मुहैया कराने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। चुनौती व दिक्‍कत उन राजनीतिकों को भी हैं जो इस विवाद के जरिए अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहे हैं। इसलिए एक और आहत बुद्धिजीवी कह रहे हैं कि इस फैसले में इतिहास, साक्ष्‍य, तार्किकता और धर्मनिरपेक्ष मूल्‍यों को नजरअंदाज कर घार्मिक आस्‍था व दिव्‍यता को मान्‍यता दी गई। तमिलनाडु के मुख्‍यमंत्री करूणानिघि ने तो इस विवाद को ‘‘आर्य षड्‌यंत्र‘‘ ही घोषित कर दिया। इन बयानबाजियों से तो ऐसा लगता हैं कि फैसले के बाद जब शरारती तत्‍व अपनी मांदो में शांत हैं, तब कथित बुद्धिजीवी व इक्‍का - दुक्‍का राजनेता आम लोगों को बहकाने, उकसाने व भड़काने की कवयाद में लग गए है।

कोई भी देश इतिहास की किताब नहीं होता। लेकिन देश की ऐतिहासिकता होती है। पुरातत्‍वीय साक्ष्‍य और सांस्‍कृतिक मूल्‍य होते हैं। जिनसे ऐतिहासिकता सिद्ध होती है। जरूरी नहीं कि इतिहास, पुरात्‍व, साहित्‍य और दर्शन जैसे विषयों से जुड़े शिक्षक इतिहासकार लेखक और दार्शनिक हों ? इसलिए उनकी ही दी दलीलें सर्वमान्‍य हों ? दरअसल इस फैसले से वामपंथी बुद्धिजीवियों और इतिहासकारों की पूर्वग्रही सोच को करारा झठका लगा है। उनकी सारे तर्कों, साक्ष्‍यों और ऐतिहासिक समझ पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। वे इतिहास को मात्र प्रगतिशील विचारधारा मानकर चल रहे थे। जबकि इतिहास की सत्‍य के उद्‌घाटन के अतिरिक्‍त न तो कोई वैचारिक और सांस्‍कृतिक प्रतिबद्धता होती है और न ही इतिहास में पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष सोच का समावेश हो सकता है। दरअसल इतिहास तो होता ही घर्मनिरपेक्ष है। वैसे भी अयोध्‍या विवाद से जुड़ा यह फैसला हाईकोर्ट की देखरेख में विवादित परिसर में कराई खुदाई में निकले पुरातत्‍वीय साक्ष्‍यों, शिलालेखों और उपलब्‍ध दस्‍तावेजी प्रमाणों का आधार बनाकर दिया गया है न कि केवल धार्मिक आस्‍था की बिना पर ? बावजूद इसके मार्क्‍स और लेनिन की दुम थामे रखने वाले इतिहासज्ञ फैसले को झुठलाने के थोथे दावे करने में लगे हैं।

इन इतिहासकारों की दलिलों को ठेस इसलिए भी पहुंची हैं, क्‍योंकि इस फैसले की संयोग से यह विलक्षणता रही कि इस विवाद से जुड़े सबसे महत्‍वपूर्ण सवाल, क्‍या किसी मंदिर या धार्मिक स्‍थल को तोड़कर बाबरी मस्‍जिद बनाई थी, का जवाब शत-प्रतिशत के बहुमत से दिया गया है। तीनों न्‍यायमूर्तियों ने निर्विवाद रूप से माना है कि राम के बालरूप में ढांचे के जिस केन्‍द्रीय स्‍थल पर राम की मूर्ति स्‍थापित है ,वही स्‍थल राम जन्‍म भूमि है और यहां तोड़े गए मंदिर के अवशेष मिले हैं। भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा अदालत को उपलब्‍ध कराए सक्ष्‍यों के समक्ष वामपंथी बौद्धिकों की न तो दलीलें ठहर पाईं और न ही अदालत ने उनके साक्ष्‍यों को मान्‍य किया।

न्‍यायालय ने न केवल एएसआई से अपनी देखरेख में खुदाई कराई, बल्‍कि विवाद से जुड़े सभी पक्षकारों को अपना पर्यवेक्षक नियुक्‍त करने का भी आग्रह किया। नतीजतन 29 मुसलिमों सहित 131 मजदूरों के समूह ने खुदाई शुरू की। खुदाई में विवाहित स्‍थल पर मस्‍जिद से पहले दसवीं सदी का एक ढांचा होने के प्रमाण मिले जिसकी हिंदु मंदिरों जैसी समरूपता थी। मिले पुरावशेषों में शिवमूर्ति, खम्‍बे, कमल, कौस्‍तुभ, आभूषण जैसे हिन्‍दु प्रतिक चिन्‍ह भी मिले। यहां मिली ईटें बाबर के भारत आने से पहले की पाई गईं। कुछ पुरावशेष जमीन से 20 फुट नीचे तक मिले। जिन्‍हें एएसआई ने 1500 साल पुराना माना। विवादित स्‍थल की मूल सतह और नींव 30 फुट की गहराई तक नहीं मिली, जिससे अनुमान लगाया गया की उस स्‍थान पर ढाई हजार साल पहले तक कोई न कोई ढांचा रहा है।

यही नहीं उत्‍खनन निर्विवाद व निष्‍पक्ष रहे इसके लिए उच्‍च न्‍यायालय के आदेश पालन में एएसआई ने सर्वेक्षण के लिए आधुनिकतम तकनीक का सहारा भी लिया। इस मकसद पूर्ति के लिए जापान और कनाडा की कंपनियों ने संयुक्‍त रूप से ‘ग्राउंड पेनेटेटिंग राडार सिस्‍टम‘ से विवादित परिसर व इससे जुड़े क्षेत्र के 4000 फोटो भी लिए। इससे जमीन के नीचे मंदिर की बुनियाद दबी होने के रहस्‍य का खुलासा हुआ। यह राडार एक भू-भौतिक प्रणाली है। इसमें राडार स्‍पंदन विधि का प्रयोग करके जमीन के भीतर के चित्र लिए जा सकते हैं। इस प्रणाली में इलेक्‍टोमेग्‍नेट रेडिएशन का रेडियो स्‍पेक्‍ट्रम के माइक्रोवेब बैंड में उपयोग किया जाता है और रिफलेक्‍टेड सिग्‍नल इमेज बनाते हैं। इससे विभिन्‍न फ्रिक्‍वेंसी का उपयोग कर 30 मीटर से लेकर एक एक किलोमीटर तक की गहराई की जांच की जा सकती है। यह पूरी प्रणाली एक माइक्रो कंप्‍यूटर से संचालित होती है। आखिरकार खुदाई की पुरातन और आधुनिक तकनीकों का भरपूर इस्‍तेमाल करने के बाद एएसआई ने अगस्‍त 2003 में 574 पृष्‍ठों की रिपोर्ट इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनउ खण्‍डपीठ को सौंपी। इस रिपोर्ट में अनेक राजपत्रों, पुस्‍तकों और विदेशी यात्रियों के संस्‍मरणों का हवाला भी दिया गया है। इतनी महत्‍वपूर्ण रिपोर्ट होने के बाद ही शायद पुरातात्‍विक सर्वेक्षण से जुड़ी यह ऐसी पहली रिपोर्ट है जिसे न्‍यायालय ने किसी फैसले का निर्णायक आधार माना।

इसके बावजूद वामपंथी इतिहासकार इस फैसले को हिंदू आस्‍था का आधार मान रहे हैं। ये निराधार आशंकाएं हाईकोर्ट और एएसआई दोनों पर ही बेवजह सवाल उठाती हैं। जबकि तमाम कुशंकाओं का जवाब पुरातत्‍वविद्‌ अरुणकुमार शर्मा ने प्रमाणों के सत्‍यापन के साथ दिया है। सवाल उठाया गया है कि चूना-सुर्खी का गारा किसी पुराने हिंदू मंदिर का हिस्‍सा नहीं हो सकता ? इस बाबत्‌ शर्मा का तर्क है कि भारत में सिंधु घाटी सभ्‍यता के समय से ही चूने और सुर्खी से जुड़े भवनों के प्रमाण मिलते हैं। सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड ने इसे मस्‍जिद साबित करने के नजरिए से ढांचे में लगी महराबों को आधार बनाया। जवाब में अरुण शर्मा ने लोहे से लोहा काटने' वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए 1462 में अरबी भाषा में लिखी गई किताब ‘तारीखे-फरिस्‍ता' की मिसाल अदालत में पेश की। इसके अनुसार 90 हिजरी से ही हिंदू मंदिरों में मेहराबों का इस्‍तेमाल होने लगा था। खुदाई में मिले पुरावशेषों ने यह भी निर्धारित कर दिया है कि वे केवल धार्मिक स्‍थल के ही अवशेष हैं न कि किसी आवासीय बस्‍ती अथवा घर के।

अयोध्‍या और सरयू नदी के किनारे बने विवादित ढांचे को हिंदू स्‍थापत्‍य की संरचना सिद्ध करने के लिए ‘ मयमत्‌म' जैसे प्राचीन ग्रंथ का भी सहारा लिया गया । इस ग्रंथ के सिलसिले में मान्‍यता है कि इसकी रचना रावण के ससुर मय राक्षस ने की थी। विवादित ढांचा इसी पुस्‍तक में दर्ज वास्‍तुशिल्‍प के आधार पर बना है। डेढ़ हजार से भी ज्‍यादा पन्‍नों के इस मूल संस्‍कृत ग्रंथ का अनुवाद अंग्रेजी में बेल्‍जियम के ब्रूनों डेगन्‍स ने किया है। ब्रूनों अंतराष्‍टीय ख्‍याति प्राप्‍त वास्‍तुविद और संस्‍कृत के प्राध्‍यापक हैं। साहित्‍यकार मदन मोहन शर्मा शाही के उपन्‍यास ‘लंकेश्‍वर' में मयदानवों के वास्‍तुविद्‌ होने का विस्‍तार से वर्णन दर्ज है।

जब विचारधारा आडंबर साबित हो रही हो और तुष्‍टिकरण से राजनीति चमकाने वालों को नकारा जाना लगा हो, ऐसे स्‍थिति में अनेक गलतियां और विसंगतियों होने के बावजूद यह फैसला स्‍वागत योग्‍य है। जो मुलायम सिंह इस फैसले से मुसलिमों को ठगे जाने का अहसास करा रहे हैं, दरअसल यहां मुस्‍लिम नहीं मुलायम खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। मुकदमे के प्रमुख पक्षकार हाशिम अंसारी ने तो कह भी दिया कि मुलायम वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं और उनसे बड़ा मक्‍कार कोई नेता नहीं है। वे फैसले के मुताबिक एक तिहाई हिस्‍सा भी हिंदू भाई जहां चाहें वहां लेने को तैयार है। दूसरी तरफ अयोध्‍या के प्रमुख संस महंत नृत्‍य गोपालदास ने उदारता का शंखनाद करते हुए कहा है कि यदि मुसलमान भाई मस्‍जिद का निर्माण बाबर का नाम हटाकर यदि किसी इस्‍लाम के सूफी संत या पैंगबर के नाम करते हैं तो वे खुद मस्‍जिद निर्माण में कार सेवा करेंगे। इससे देश में राम-रहीम-रसखान की संस्‍कृति का विस्‍तार होगा।

नवाचार के इन सद्‌भावों को प्रोत्‍साहित करने की बजाय वामपंथी बुद्धिजीवी भावनाओं को उकसाने का काम कर कट्‌टरतावाद को बढ़ावा दे रहे हैं। दरअसल जनवादी कभी व्‍यक्‍ति से जुड़े ही नहीं रहे। उनके अंतर्मन में अपने मध्‍यवर्गीय अस्‍तित्‍व को लेकर हमेशा या तो संरक्षण का भाव रहा या अपराध बोध का। इसलिए अपने वर्गचरित्र के प्रति आत्‍मग्‍लानि प्रच्‍छन्‍न बनी रहे इस हेतु इन धर्मनिरपेक्षतावादियों ने मार्क्‍सवादी वामपंथ को सुरक्षा कवच बनाया हुआ है। इसलिए ये इतिहास को इतिहास के रुप में विकसित होने देने में हमेशा रोड़ा बने रहे। भाजपा शासित राज्‍य सरकारों ने जब कभी इतिहास के पुनर्लेखन की बात उठाई भी तो इन्‍होंने इतिहास के भगवाकरण का हौवा खड़ा किया। जब उपनिषद्‌ महाभारत, रामायण, और पुराणों के रचनात्‍मक भाष्‍य लेखन की बात उठती है तो ये इन ग्रंथों और इनसे जुड़े पात्रों को मिथकीय जताकर उनकी खिल्‍ली तक उड़ाते हैं। जब देश का साधु समाज, काजी और मौलवी कट्‌टरता से छुटकारे के लिए उदारता दिखा रहे हों तब जरुरी हो जाता है कि ये बुद्धिजीवी अंग्रेजपरस्‍त उस औपनिवेशिक मानसिकता की केंचुल से बाहर निकलें जो इतिहास की सोच को खंडित बनाती है। देश के बुद्धिजीवियों को अब मार्क्‍स के बुत के समक्ष दण्‍डवत बने रहने की बजाय इतिहास को आधुनिक दृष्‍टि से देखने की जरुरत है जिससे मानवीय जीवन सरल और भयमुक्‍त हो। अन्‍यथा बुद्धिजीवियों की यह कट्‌टरता उनकी निष्‍पक्षता को संदेह के दायरे में ला खड़ा करेगी ?

प्रमोद भार्गव

शब्‍दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी

शिवपुरी म.प्र.

-----

लेखक प्रिंट और इलेक्‍ट्रोनिक मीडिया से जुड़े वरिष्‍ठ पत्रकार हैं ।

COMMENTS

BLOGGER: 5
  1. निर्विवाद सत्य!!
    "दरअसल इस फैसले से वामपंथी बुद्धिजीवियों और इतिहासकारों की पूर्वग्रही सोच को करारा झठका लगा है। उनकी सारे तर्कों, साक्ष्‍यों और ऐतिहासिक समझ पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। "

    जवाब देंहटाएं
  2. बुद्धिजीवियों की यह कट्‌टरता उनकी निष्‍पक्षता को संदेह के दायरे में ला खड़ा करेगी ?

    खड़ा करेगी से क्या मतलब है. अब उन्हे निष्पक्ष मानता कौन है?

    जवाब देंहटाएं
  3. सही कहा संजय जी,
    अब उन्हे निष्पक्ष मानता कौन है?
    प्रमोद जी ने कहा……
    "बावजूद इसके मार्क्‍स और लेनिन की दुम थामे रखने वाले इतिहासज्ञ फैसले को झुठलाने के थोथे दावे करने में लगे हैं।"

    जवाब देंहटाएं
  4. इस सब से पता चलता है कि आम हिन्दू कितना सहिष्णु है और इस सहिष्णु हिन्दुत्व के दुश्मन हमारे तथाकथित धर्मनिरपेक्षी हिन्दू ही हैं...

    जवाब देंहटाएं
  5. "दरअसल इस फैसले से वामपंथी बुद्धिजीवियों और इतिहासकारों की पूर्वग्रही सोच को करारा झठका लगा है। उनकी सारे तर्कों, साक्ष्‍यों और ऐतिहासिक समझ पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। " तथा--

    ""नवाचार के इन सद्‌भावों को प्रोत्‍साहित करने की बजाय वामपंथी बुद्धिजीवी भावनाओं को उकसाने का काम कर कट्‌टरतावाद को बढ़ावा दे रहे हैं। दरअसल जनवादी कभी व्‍यक्‍ति से जुड़े ही नहीं रहे। उनके अंतर्मन में अपने मध्‍यवर्गीय अस्‍तित्‍व को लेकर हमेशा या तो संरक्षण का भाव रहा या अपराध बोध का। इसलिए अपने वर्गचरित्र के प्रति आत्‍मग्‍लानि प्रच्‍छन्‍न बनी रहे इस हेतु इन धर्मनिरपेक्षतावादियों ने मार्क्‍सवादी वामपंथ को सुरक्षा कवच बनाया हुआ है। ""--
    ------बहुत सुन्दर व सटीक व्याख्या है बामपन्थी नासमझी व मानसिकता की , वे सदैव भारतीयता के विरोध में ही रहते हैं।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद भार्गव का आलेख - अयोध्‍या बनाम इतिहासकारों की कट्‌टरता
प्रमोद भार्गव का आलेख - अयोध्‍या बनाम इतिहासकारों की कट्‌टरता
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgQMaiTlIxONStx1kRQ3eY4sb5iaJ600IJ3BUu5XQ6SoHVI7BbTYFRvk5I3GeSjfWPFMyu2tzFPN3oADU1Du0roL6s3gx0wU10yUBy4kK4zJSrbFDy7K9MRyL998Tw62I7YDETR/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgQMaiTlIxONStx1kRQ3eY4sb5iaJ600IJ3BUu5XQ6SoHVI7BbTYFRvk5I3GeSjfWPFMyu2tzFPN3oADU1Du0roL6s3gx0wU10yUBy4kK4zJSrbFDy7K9MRyL998Tw62I7YDETR/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2010/10/blog-post_1207.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2010/10/blog-post_1207.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content