प्रमोद भार्गव का आलेख – भूख और सड़ते अनाज का अर्थशास्‍त्र

SHARE:

हमारे देश में सड़ता अनाज इंसान की प्राकृतिक भूख की जरूरत से नहीं लाभ-हानि के विश्‍वव्‍यापी अर्थशास्‍त्र से जुड़ा है। इसलिए चुनिंदा संपादको...

pramod bhargav

हमारे देश में सड़ता अनाज इंसान की प्राकृतिक भूख की जरूरत से नहीं लाभ-हानि के विश्‍वव्‍यापी अर्थशास्‍त्र से जुड़ा है। इसलिए चुनिंदा संपादकों के साथ बातचीत में अर्थशास्‍त्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को यह कहने में कोई आत्‍मग्रंथि परेशान नहीं करती कि यदि अनाज को यों ही भूखों को बांट दिया गया तो किसानों को पैदावार के लिए प्रोत्‍साहित नहीं किया जा सकता। क्‍या विडंबना है कि आर्थिक मंदी के दौर में जब औद्योगिक घरानों को बडे़ पैकेज दिए तब क्‍यों यह बात नहीं सोची गई कि प्रोत्‍साहन पैकेजों से उद्योगपति ज्‍यादा औद्योगिक उत्‍पाद बाध्‍य नहीं होंगे ? यही नही कंपनियों की दी जाने वाली अनेक प्रकार की छूटें (सब्‍सिडी) जन कल्‍याण योजनाओं के खर्च से चार गुना ज्‍यादा हैं। छूट के बावजूद देश के प्रमुख सौ उद्योगपतियों पर 1.41 लाख करोड़ रूपये कर के रूप में बकाया हैं। मौजूदा बजट में ही गरीबों की खाद्य सुरक्षा की दुहाई देने वाली सरकार ने कुटिल चतुराई से 450 करोड़ रूपये की छूट की कटौती की है। लेकिन ये सब तथ्‍य इसलिए नजरअंदाज कर दिए जाते हैं क्‍योंकि भूख और सड़ते अनाज का भी अपना एक अर्थशास्‍त्र है, जिसकी बहाली सरकार के लिए जरूरी है। अलबत्ता सड़ते अनाज को मुफ्‍त या सस्‍ते में बांटकर खाद्य सुरक्षा के दृष्‍टिगत नई खरीदी पर सरकार के ऊपर छूट का दोहरा बोझ बढ़ता ? मुफ्‍त में अनाज बांटा जाता तो व्‍यापारियों के हित प्रभावित होते। अनाज के दाम घटते और अनाज भण्‍डारों में व्‍यर्थ पड़ा रहता ? इसलिए प्रधानमंत्री के इस बयान को हम गरीबी और कुपोषण के सिलसिले में भले ही आर्थिक सरंचना की विफलता कहें, लेकिन बाजार और व्‍यापारी के हित-पोषण की अर्थशास्‍त्रीय दृष्‍टि से यह सफलता का सूक्‍ति वाक्‍य है।

सच्‍चाई तो यह है कि बाजारवाज के मद्‌देनजर हमारे देश में भूख को भी आर्थिक दोहन का मुकम्‍मल आधार बनाया जा रहा है। देश में 30 से 35 लाख टन अनाज भण्‍डारण की क्षमता है, लेकिन समर्थन मूल्‍य पर अनाज खरीदा जाता है 60 से 65 लाख टन। ऐसे में आधा अनाज खुले में भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। तिस पर भर भी गौरतलब यह है कि समाचार माध्‍यमों से हैरानी में डालने वाली जानकारियां यहां तक आ रही हैं कि भारतीय खाद्य निगम ने अपने कुछ गोदाम बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों को सस्‍ती दरों पर किराये पर उठा दिये हैं। ऐसे विपरीत हालातों में कंपनियों का माल तो सुरक्षित है, लेकिन सरकारी खरीद का कुछ माल बरामदों में तो कुछ खुले में सड़ रहा है। इन गरीब विरोधी हालातों के चलते 168 लाख टन गेहूं बरबाद हो चुका है। इस अनाज से देश के 20 करोड़ भूखों को एक साल तक खाद्य सुरक्षा हासिल कराई जा सकती थी। देश में तकरीबन इतने ही ऐसे लोग हैं। अनाज को इसलिए भी जान बूझकर सड़ने को छोड़ दिया जाता है जिससे अनाज खरीद पर किए गोलमाल पर पर्दा डला रहे।

सरकार की तरफदारी करने वाले कुछ अर्थशास्‍त्रियों का तर्क है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्‍यम से बांटे जाने वाले इस अनाज में बहुत झोल हैं। भ्रष्‍ट व्‍यवस्‍था के चलते अनाज का एक बहुत बड़ा हिस्‍सा फिर से कारोबारी सस्‍ती दरों पर खरीद लेंगे और फिर सरकार को बेच देंगे। यह आशंका जायज है। राजनेता, अधिकारी और व्‍यापारियों के बीच कदाचरण का ताजा और उम्‍दा उदाहरण अरूणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री गोगांग अपांग का है। हाल ही में उन्‍हें पीडीएस से जुडे़ एक हजार करोड़ रूपये के घोटाले में हिरासत में लिया गया है। लेकिन वितरण प्रणाली में दोष के चलते गरीबी रेखा के नीचे रह रही एक तिहाई आबादी को भूखे पेट नहीं छोड़ा जा सकता ? न्‍यायाधीश डीपी वाधवा भी कह चुके हैं कि पीडीएस में उपभोक्‍ता तक राशन पहुंचते-पहुंचते अस्‍सी प्रतिशत तक काला बाजारी की गिरफ्‍त में आ जाता है।

सर्वोच्‍च न्‍यायालय को नीति-निर्धारण में दखल न देने की हिदायत देकर प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि सरकार गरीबों की हितकारी है या विरोधी ? जनता के ‘आहार के अधिकार' को अनीति में बदलकर जब उनकी खाद्य सामग्री सड़ने को खुले में छोड़ दी जाएगी तो नागरिकों का संवैधानिक दायित्‍व बनता है कि वे न्‍यायालय का दरवाजा खट खटाएं। अदालत के आदेश की अवहेलना करते हुए प्रधानमंत्री ने जब अपना रूख साफ कर दिया तो अब जनता और जन संगठनों का हक बनता है कि वे वास्‍तविक खाद्य सुरक्षा के लिए देश की राजनैतिक अर्थव्‍यवस्‍था बदलने में मजबूती से जुटे जाएं। जिससे नए रूप में जब यह कानून सामने आए तो इतना सशक्‍त, असरकारी और जवाबदेह हो कि मौजदा प्राणलियों से भूखे के पेट में पहुंचने वाला अनाज ‘ऊंट के मुंह में जीरा' भर न रह जाए। इसके साथ ही खाद्य सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता संपूर्ण राष्‍ट्र के प्रति हो न होकर देश के केवल 150 जिलो के प्रति है।

इस समय अमेरिका के दबाव में पूरी दुनिया में ऐसे उपाय और नीतियां अमल में लाई जा रही हैं जिससे खाद्यान्‍न का व्‍यापार बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों के कब्‍जे में पहुंच जाए। दुनिया के अनाज व्‍यापार पर फिलहाल तीन कंपनियां कारगिल, एडीएम और बंग कुण्‍डली मारकर बैठी हैं। विश्‍व का 90 फीसदी अनाज बाजार पर इनका सीध्‍ ाा नियंत्रण है। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष, विश्‍व व्‍यापार संगठन और विश्‍व बैंक के हमेशा ऐसे प्रयास रहते हैं कि इन खाद्यान्‍न कंपनियों और इनके कृपापात्र बड़े कृषकों को अनाज आयात-निर्यात के अवसर मिलें। तिसरी दुनिया के जो देश इन कंपनियों की जकड़न में आ गए हैं उन्‍हें ये ऐसी फसलों की पैदावार के लिए विवश करते हैं जिससे यूरोप और अमेरिका के हित साध्‍य हों। ऐसी ही लाचारी के चलते केन्‍या को फूल उत्‍पादन और ब्राजील को अमेरिका के लिए सोयाबीन पैदा करने के लिए मजबूर किया गया। नतीजतन स्‍थानीय लोगों की खाद्य सुरक्षा संकट में आ गई। इन्‍हीं विवशताओं के चलते मेक्‍सिको में पचास लाख छोटे किसान और कृषि मजदूर नगरों की ओर पलायन कर गए। कृषि विरोधी ऐसी ही वजहों से विश्‍व की कृषि पैदावार में 3.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

हमारे देश में अनाज का संकट वास्‍तविक नहीं है सरकारी योजनाओं में भ्रष्‍टाचार फलने-फूलने और व्‍यापारियों को लाभ पहुंचाने के दृष्‍टिगत खाद्य संकट कृत्रिम रूप से भी खड़ा किया जाता है। सामान्‍य स्‍थिति में भी एफसीआई के भण्‍डारों में पचास हजार करोड़ रूपये से ज्‍यादा का खाद्यान्‍न बर्बाद हो जाता है। फसल काटने, दांय (थ्रेसिंग) करने से लेकर किसान के घर और फिर अनाज मंडियों से सरकारी व निजी भण्‍डार गृहों तक पहुंचाते-पहुंचाते इतना अनाज बर्बादी की भेंट चढ़ जाता है, जितनी आस्‍ट्रेलिया जैसे देशों की कुल पैदावार है। व्‍यर्थ जाने वाले इस अनाज का संचय और उचित भण्‍डारण व वितरण कर लिया जाए तो भारत विश्‍व भूख सूचकांक से बाहर आ जाएगा।

भारतीय खाद्य निगम यदि विकेंद्रीकृत भण्‍डारण नीति अपनाए तो ग्राम स्‍तर पर भी भण्‍डारण के श्रेष्‍ठ प्रबंध किए जा सकते हैं, जिनमें अनाज बारिश, बाढ़, चूहों व अन्‍य कीटों से बचाकर पूरे साल सुरक्षित रख लिया जाता है। गांव में ही समर्थन मूल्‍य पर अनाज खरीदकर एफसीआई उसके भण्‍डारण की जवाबदेही किसान पर डाल दे। भण्‍डारण सुविधा व सुरक्षा के दृष्‍टिगत किसान को प्रति िक्‍ंवटल एक तय राशि अलग से दे। यदि ऐसे उपाय सुनिश्‍चित होते हैं तो देश यातायात लदाई-उतराई में होने वाले खर्च से भी बचेगा। इस अनाज को किसान के भण्‍डार से निकालकर सीधे गांव में मध्‍यान्‍ह भोजन और बीपीएल व एपीएल कार्ड धारियों को भी पीडीएस के जरिये आसानी से उपलब्‍ध कराया जा सकता। इस विधि को यदि नीतिगत मूर्त रूप दे दिया जाता है तो व्‍यापारिक कालाबाजारी की आशंकाएं भी नगण्‍य रह जाएंगी।

लेकिन देश में जब जान-बूझकर केंद्रीयकरण की (कु) नीति अपनाकर चंद बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों को खेती और फसल के उत्‍पादन के साथ बीज, जीएम बीज, खाद, कीटनाशक और खरपतवार नाशक उत्‍पादों के निर्माण की जिम्‍मेबारी सप्रयास सौंपी जा रही हो तो भला ग्राम स्‍तर पर अनाज भण्‍डारण की बात कैसे सोची जा सकती है। कुछ ऐसे ही कुत्‍सित उपायों से कृषि और किसान को संकट में डाला जा रहा है। जबकि देश की 66 फीसदी आबादी सीधे कृषि से जुड़ी है। इसके बावजूद देश की आमदनी से जुड़े स्रोत पर कृषि का दावा केवल 17 प्रतिशत माना जाता है। वहीं निजी कंपनियों का हिस्‍सा एक प्रतिशत से भी कम है, लेकिन वे 33 फीसदी कमाई पर अपना दावा जताती हैं। और शेष कमाई मसलन 55 प्रतिशत सरकारी अधिकारी कर्मचारी हथिया लेते हैं।

आय पर दावों की इतनी विषमता के बावजूद केंद्र सरकार की मंशा है कि बीपीएल और एपीएल कार्ड धारियों की संख्‍या में इजाफा न हो, ताकि खाद्यान्‍न छूट से लेकर गरीबी उन्‍मूलन से जुड़ी योजनाओं पर दी जाने वाली छूटें कम बनी रहें। इसलिए प्रधानमंत्री की यह बात भी गरीबों के प्रति छद्‌म संवेदना प्रतीत होती है, जिसमें वे राहुल गांधी के विचार से सहमति जताते हुए कहते हैं कि देश में दो तरह के भारतीय मौजूद हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि कृषि और गैर कृषि व्‍यवसायों में लगे लोगों की आय के बीच बहुत बड़ा अंतर है, जो अस्‍थिरता पैदा करने वाला है। इन हालातों को समझने की कोशिश करने के बावजूद आम आदमी के भले की दुहाई देने वाली सरकार बजट घाटा कम करने के बहाने 450 करोड़ रूपये की छूटों में बेहिचक कटौती कर लेती है। इससे जाहिर होता है कि सरकार इंसान की प्राकृतिक भूख अर्थात भोजन के अधिकार के प्रति ईमानदार नहीं है। इस भूख के प्रति सरकार अतनी हृदयहीन व निंरकुश हो गई है कि वह सड़ते अनाज को भी गरीबों में बांटने को तैयार नहीं है। सरकार के लिए सड़ता अनाज भी अर्थशास्‍त्रीय लेखा-जोखा भर रह गया है।

 

---

प्रमोद भार्गव

शब्‍दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी

शिवपुरी म.प्र.

लेखक प्रिंट और इलेक्‍ट्रोनिक मीडिया से जुड़े वरिष्‍ठ पत्रकार है।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद भार्गव का आलेख – भूख और सड़ते अनाज का अर्थशास्‍त्र
प्रमोद भार्गव का आलेख – भूख और सड़ते अनाज का अर्थशास्‍त्र
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiynJ7xWlRVrDwNZwDx53tjrpUm84_u00Q3xNm85vt6Wf7UzqUQBlT7XGULWis_vJQAQu3U1C0ZN5TVEys_j1eRCuCrijHn_SS1ly6pc2ALPepN-ePdGt5NKIc4d75DYxu5M-Mt/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiynJ7xWlRVrDwNZwDx53tjrpUm84_u00Q3xNm85vt6Wf7UzqUQBlT7XGULWis_vJQAQu3U1C0ZN5TVEys_j1eRCuCrijHn_SS1ly6pc2ALPepN-ePdGt5NKIc4d75DYxu5M-Mt/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2010/09/blog-post_6391.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2010/09/blog-post_6391.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content