ल गता है जैसे चाचा दिल्लगी दास अब इस भ्रष्टाचार से काफी आजिज आ चुके थे, नाम सुना नहीं कि भड़क उठते थे। मगर आज जब से भ्रष्टाचार मुक्त समाज...
लगता है जैसे चाचा दिल्लगी दास अब इस भ्रष्टाचार से काफी आजिज आ चुके थे, नाम सुना नहीं कि भड़क उठते थे। मगर आज जब से भ्रष्टाचार मुक्त समाज का नाम सुना है पुलक उठे हैं। सो चाचा बोले कि भतीजे इस भ्रष्टाचार के हटते ही मुल्क के मौजूदा तमाम मसअलात का खुद-ब-खुद तसफिया निकल जाएगा जैसे कि बेरोजगारी तो इस भ्रष्टाचार के खात्में के साथ ही इस मसअले का खात्मा समझो। क्योंकि फिर सरकारी नौकरियों में रिश्वत तो रहेगी नहीं,ऐसे में कौन जाना चाहेगा इनमें,और फिर कोई भी रोजगार कार्यालय में अपना नाम दर्ज नहीं करवाएगा सबको पता होगा कि जब रिश्वत ही नहीं रही और उपर से काम भी करना पड़ेगा तो फिर प्राइवेट सेक्टर क्या बुरा है। आगे चलकर सरकार को नियम भी बनाना पड़ सकता है कि प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम इतने वर्ष तो अनिवार्य रूप से अपनी सेवाएं किसी सरकारी महकमें में देनी पड़ेगी।
एक मसअला है महंगाई सो इसकी भी भ्रष्टाचार के साथ ही खात्मा हो जाएगा। जानते हो मुल्क में मूल्य वृद्धि का कारण क्या है ? वो है सरकारी खरीद,जिसमें तीन रुपए के क्रीत सामान का तेरह रुपए का बिल बनवाया जाता है और बिल बनाते-बनाते दुकानदार के भेजे में उन चीजों का वो सरकारी भाव वसूलने लग जाता है। जब भ्रष्टाचार मिट जाएगा तो सरकारी महकमात में अनावश्यक सामान कई गुना कीमत में नहीं खरीदा जाएगा,सरकारी खर्चों में भारी कमी आएगी जिसका सीधा असर महंगाई पर पचास रुपए में घी मिलने लग जाए तो अधिक ताअज्जुब नहीं होगा।
रही बात शिक्षा की तो फिर डिग्रियां पैसों से खरीदी नहीं जाएगी और कोई डिग्री खरीद कर करेगा भी क्या फिर तो सभी जगह काम काबीलियत देख कर दिया जाएगा। भ्रष्टाचार नहीं रहा तो शिक्षा के लिए चलाए जा रहे अभियान सफल होंगे, फिर साक्षरों-शिक्षितों के आकड़े झूंठे नहीं भेजे जांएगे, जहां शिक्षा नहीं पहुंच पाएगी उसके कारणों का पता लगा कर सार्थक उपाय किए जाएंगे। महंगाई नहीं रहेगी तो आम आदमी अपने बच्चों को बाल मजदूरी के लिए मजबूर न करके उन्हें स्कूल भेजने में समर्थ होगा। यानि कि अब तक शिक्षा आम आदमी तक भ्रष्टाचार ही नहीं पहुंचने दे रहा था।
इस भ्रष्टाचार के खात्में के पश्चात राजनीति में भी आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिलेंगे। तब कोई न तो चुनाव में खड़ा होना चाहेगा क्योंकि अगर भ्रष्टाचार नहीं रहा तो फिर राजनीति में रहेगा ही क्या, फिर मंत्री पद पाने के लिए न तो पार्टिया जुड़ेगी-तुड़ेगी, खरीद-फरोख्त होगी सो ऐसे में स्वेच्छा से कोई राजनीति में आना ही नहीं चाहेगा, खराब स्कूल रिकार्ड के मुताबिक किसी को जबरन ही राजनीति में उतारा जाएगा, अगर उसके सामने कोई खड़ा न हो तो ज्यादा अचम्भा नहीं होगा।
स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या भी भ्रष्टाचार के पीछे-पीछे ही रवाना हो जाएगी, क्योंकि फिर हॉस्पिटल सप्लाई की पूरी की पूरी दवाईयां मरीजों को मिलेगी तो मरीज को बाजार से दवाएं नहीं खरीदनी पड़ेगी, डॉक्टर तब चिकित्सा को व्यवसाय न मानकर सेवा समझ कर बिना फीस लिए रात दिन रोगियों की जांच और देखभाल करेंगे तो यकीनन मरीज स्वस्थ होकर अपने पांवों से चलकर घर जाएगा न कि अस्पताल से मुर्दाघर के रास्ते चार लोगों के कंधों पर सवार होकर कब्रिस्तान को। और आतंकवाद जैसे शब्दों की तो लोग वर्तनी तक भूल जाएंगे। मगर भतीजे यह सब मुमकिन कैसे होगा? मेरी राय में तो इसका तात्कालिक उपाय है इस मुद्रा के चलन को बंद कर दिया जाए तो ये रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार एक दम से रोका जा सकता है। अगर मुद्रा विनिमय नहीं रहा तो आम जीवन में वस्तु विनिमय चल पड़ेगा जो भ्रष्टाचार के रास्ते का रोड़ा बन जाएगा। फिर मंत्रीजी व ठेकेदार इंजीनियर कोलतार, रोड़ी, सिमेंट, कंकरीट खाकर कहां जमा करेंगे, एक पटवारी किसान से रिश्वत में ग्वार लेकर अपनी किसी भैंस को ले जाकर खिलाएगा, डॉक्टर एक कुम्हार से फीस में एक की जगह दो मटकियां लेकर सर पर धरे कहां फिरेगा, एक बिजली विभाग का कर्मचारी किसी बिजली चोर आरा मशीन वाले से कितनी लकड़ियां सर पर धर कर ले जाएगा। अगर मुफ्त में रगडा़ना चाहा तो नाई चीरा लगा देगा, धोबी कपड़े जला देगा, दर्जी कपड़ा खाकर तंग पतलून सिल देगा, गड़रिया रास्ते में बकरी का आधा दुध निकाल लेगा, ब्राह्मण गणेश पूजा के श्लोकों की जगह गरुण पुराण के पृष्ठ पढ़कर परिणय संस्कार सम्पन्न करवा देगा आदि-आदि।
चाचा ने भ्रष्टाचार पर अपना तफसरा जारी रखते हुए आगे कहा, इस वस्तु विनिमय से भ्रष्टाचार पर अंकुश तो जरुर लगेगा मगर भ्रष्टाचार के संवाहक विषाणु आदमी के खून में तो फिर भी बने रहेंगे। और यह ‘बाबू' नाम का जीव वस्तु व सेवा विनिमय की स्थिती में भी रिश्वत खाने का नया नायाब नुस्खा निकाल ही लेगा। भ्रष्टाचार का नेस्तनाबूद न तो कोई नया कानून बनाने से होगा और न ही पुराने कानूनों को कड़ाई से अमल में लाने का कानून बनाने से । अगर हमें वाकई भ्रष्टाचार मुक्त समाज की रचना करनी है तो इसका एकमात्र उपाय है ‘भ्रष्टाचार उन्मूलक टीके' की ईजाद। जो टीका हर आम और हर खास आदमी के लगा दिया जाए। नए पैदा होने वाले बच्चों को टीका कैम्प लगा-लगाकर पिलाया जाए, अनुज्ञापत्र पासपोर्ट, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, स्कूल के दाखिले, पैन टेन नम्बर आदि प्राप्त करने से पूर्व यह टीका लगाने की अनिवार्यता कर दी जाएगी तब ही भ्रष्टाचार का सफाया सम्भव हो पाएगा। वरना यह ‘खबर' एक ‘कहानी' भर बन कर रह जाएगी।
पुरुषोत्तम विश्वकर्मा
सटीक व्यंग ...
जवाब देंहटाएंकाश कि भ्रष्टाचार खत्म हो सके...
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