( अध्याय 5 से जारी…) हिंदी की अन्तर-क्षेत्रीय, सार्वदेशीय एवं अंतरराष्ट्रीय भूमिका प्रोफेसर महावीर सरन जैन एम0ए0, डी0फिल, डी0ल...
हिंदी की अन्तर-क्षेत्रीय, सार्वदेशीय एवं अंतरराष्ट्रीय भूमिका
प्रोफेसर महावीर सरन जैन
एम0ए0, डी0फिल, डी0लिट्0
प्रोफेसर महावीर सरन जैन(सेवानिवृत्त निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान) 123, हरिएन्कलेव, चांदपुर रोड, बुलन्दशहर - 203001
अध्याय 6.
द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् विदेशों में हिन्दी भाषापरक अध्ययन
विदेशों में हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में प्रचुर एवं महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। प्रस्तुत आलेख में उन अनेक देशों के हिन्दी साहित्य के सर्जकों के योगदान की चर्चा करना अभीष्ट नहीं है। प्रस्तुत लेख में हिन्दी भाषा की शिक्षण सामग्री , वार्तालाप , शब्दकोश तथा हिन्दी - व्याकरण एवं हिन्दी भाषा के भाषा वैज्ञानिक अध्ययन के सम्बन्ध में ही संक्षेप में विचार किया जाएगा।
1 हिन्दी भाषा की पाठ्य पुस्तकें -
(1) संयुक्त राज्य अमेरिका - यहां के विभिन्न विश्वविद्यालयों के हिंदी प्राध्यापकों ने हिंदी भाषा की अनेक पाठ्यपुस्तकों की रचना की है। प्रमुख पुस्तकें अग्रलिखित हैं -
1. हेनिंग्सवाल्ड - स्पोकन हिंदुस्तानी - दो खण्ड (सन् 1945) अमेरिकनकौंसिल आफ लर्नेड सोसाइटी, वाशिंगटन
2. फेअरबैंक्स : हिंदी एक्सरसाइजेज एण्ड रीडिंग्ज (सन् 1955) कोर्नेल यूनिवर्सिटी प्रेस, न्यूयार्क
3. गम्पर्ज : हिंदी रीडर - भाग - 1 (1960) यूनिवर्सिटी आफ केलीफोर्निया, बर्कले
4. हार्टिनः हिंदी बेसिक रीडर्स - यूनिट 1-8 (1960) सेन्टर फार एप्लाइड लिंग्विस्टिक ऑफ मॉडर्न लैंग्वेजेज, वाशिंगटन
5. अग्यूलर तथा ब्रूस आर.प्रे. तथा अन्य (प्रीति कौल, जौहरी तथा ब्रजेन्द्र सिंह) : ए बेसिक कोर्स इन हिंदी (1961) मिशीगन यूनिवर्सिटी
6. गम्पर्ज एवं जून रूमरी तथा अन्य (डॉ0 अमर बहादुर सिंह एवं सी0एम0 नईम) : कन्वर्सेशनल हिंदी - उर्दू - दो खंडो में (1962-63) यूनिवर्सिटी ऑफ केलीफोर्निया
7. फेअरबैंक्स तथा पंडित : हिंदी : ए स्पोकिन एप्रोच (1965) दकन कॉलेज, पूना
8. फेअरबैंक्स तथा डॉ0 मिश्र : स्पोकन एण्ड रिटिन हिंदी (1966) कार्नेल यूनिवर्सिटी प्रेस, न्यूयार्क
9. डॉ0 यमुना काचरु : इंटरमीडिएट हिंदी कोर्स (1966) इलिनाय यूनिवर्सिटी
10. ऊषा सक्सेना : इंटरमीडिएट हिंदी विद ग्लोसरी एंड स्ट्रक्चरल नोट्स (1967), विस्कोन्सिन यूनिवर्सिटी, मैडीसन
11. रिचर्ड एम हैरिस तथा रमानाथ शर्मा : ऐ बेसिक हिंदी रीडर (1969) कार्नेल यूनिवर्सिटी प्रेस, न्यूयार्क
(2) सोवियत रूस - डॉ0 दीमशित्स, डॉ0 उलत्सिफेरोव एवं डॉ0 गोर्यूनोव ने तीन खण्डों में हिंदी भाषा की पाठ्यपुस्तक का निर्माण किया है जिसका प्रकाशन मास्को से 1979 से 1983 की अवधि के बीच हुआ। भारतीय राजदूतावास के जवाहर लाल नेहरू केन्द्र ने इन्टरनेट द्वारा हिन्दी शिक्षण कार्यक्रम आरम्भ किया है। प्रशिक्षणार्थी इन्टरनेट पर हिन्दी के पाठ पढ़ सकते हैं। इलैक्ट्रानिक हिन्दी-रूसी शब्दकोश भी उपलब्ध है।
(3) जर्मनी - हम्बोल्ट विश्वविद्यालय में सन् 1967 में हिन्दी व्याकरण गाइड का निर्माण हुआ। डॉ0 लोठार लुत्से तथा डॉ0 बहादुर सिंह द्वारा निर्मित ‘द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी' का प्रकाशन सन् 1970 में हुआ।
(4) ब्रिटेन (इंग्लैंड) - डॉ0 मैकग्रेगर के संपादकत्व में ‘एक्सरसाइजिज इन स्पोकन हिंदी' शीर्षक पाठ्यपुस्तक सन् 1970 में निर्मित हुई। सन् 1972 में इनकी ‘ऐन आउट लाइन ऑफ हिंदी ग्रामर विद एक्सरसाइजिज' शीर्षक पुस्तक प्रकाशित हुई।
(5) जापान - प्रो0 क्यूयादोइ ने हिंदी व्याकरण और पाठमाला (1963) तथा हिंदी पाठमाला (1966) का निर्माण किया। प्रो0 कात्सुरो कोगा के सम्पादकत्व में 1966 में हिंदी पाठमाला भाग - । तथा 1977 में हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग-॥ प्रकाशित हुईं। जापान में अन्य पाठ्यपुस्तकें भी निर्मित हुई हैं जिनमें प्रो0 तोमिओ मिज़ोकामी कृत ‘हिंदी : ग्रेमेटिकल मेनुअल' (अभ्यास पुस्तिका)
उल्लेखनीय है जिसका प्रकाशन क्रमशः 1980 एवं 1999 में हुआ। हिन्दी भाषा की प्रारम्भिक पाठ्यपुस्तकों में प्रो0 कात्सुरो कोगा कृत ‘हिन्दी प्रवेशिका', प्रोफेसर एइजो सावा कृत ‘हिन्दी प्रवेशिका'- जापान में देवनागरी लिपि में प्रकाशित हिन्दी की पहली पुस्तक, तथा प्रो0 तोशिओ तानाका एवं प्रोफेसर काजुहिको माजिदा कृत ‘एक्सप्रेस हिन्दी' का भी उल्लेख किया जा सकता है।
(6) चेक - डॉ0 विन्तर्सेथ पोरीज़्का की ‘हिन्दोस्टीना' (हिंदी भाषा का पाठ्यक्रम) एक उल्लेखनीय पाठ्यपुस्तक है जिसका सन् 1963 में प्राग के स्टेट पैडागाजिकल पब्लिशिंग हाउस से प्रकाशन हुआ। इस पाठ्यपुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें चेक भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी में भी व्याख्याएं प्रस्तुत हैं।
(7) हंगरी - आर्पाद दैब्रैत्सैनी (1911-1984) ने हिंदी की दो पाठ्यपुस्तकें तैयार कीं :
1. नौसिखियों के लिए हिंदी की पाठ्यपुस्तक , बुदापेस्त (1959)
2. हंगरी भाषियों के लिए हिंदी भाषा पाठ्यक्रम, बुदापेस्त (1983)
(8) रोमानिया - रोमानियन छात्रों के लिए डॉ0 विद्यासागर ने सन् 1972 में ‘कुर्स द लिम्बा हिंदी' तथा डॉ0 सूरजभान सिंह ने सन् 1980-81 में ‘मेनुअल द लिम्बा हिंदी' (दो भाग) का निर्माण किया। बुकारेस्त विश्वविद्यालय ने इनका प्रकाशन किया।
(9) स्पेन - स्पेनिश छात्रों के लिए श्रीमती आन्ना थापर ने ‘ग्रामेटिका द हिंदी' शीर्षक हिंदी भाषा पाठ्यपुस्तक लिखी जिसका प्रकाशन अल्हम्ब्रा प्रकाशन संस्थान, मेड्रिड से सन् 1987 में हुआ।
(10). कोरिया - कोरियन छात्रों के लिए प्रो0 उ-जो-किम ने ‘हिंदी पाठ' एवं प्रो0 हैंगजंग सू ने ‘हिंदी उच्चारण शिक्षण' का प्रणयन किया है।
(11) त्रिनिडाड एण्ड टुबेगो - केरेबियन देशों में हिन्दी की पाठ्यपुस्तकों की रचना की दृष्टि से त्रिनिडाड का नाम उल्लेखनीय है। इस देश के छात्रों को हिंदी पढ़ाने की दृष्टि से कमला रामलखन ने ‘हिंदी प्रभात' शीर्षक से 11 आधारभूत पाठ्यसामग्री का निर्माण किया है। इसका प्रकाशन देवनागरी पब्लिशर्स द्वारा 1993 में किया गया ।
(12) चीन - प्रोफेसर जिन दिंग हान, प्रोफेसर थाड. रन हू एवं प्रोफेसर मा मां कांग ने हिन्दी की बुनियादी पाठ्य पुस्तक (चार भाग) का प्रणयन किया है।
(13) उज्बेकिस्तान - हिन्दी भाषा की तीन पाठ्य पुस्तकों का निर्माण प्रोफेसर रहमान बिरदी मुहम्मद जानोव ने किया है।
(14) थाईलैंड - डॉ0 चांलोड्. सारबदनूक ने ‘हिन्दी भाषा' (स्व सीखनी, थाई भाषियों के लिए) का निर्माण किया है।
2 वार्तालाप- रूस से हिंदी भाषा की जो पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं उनमें हिंदी में बातचीत के भी नमूने हैं। वार्तालाप पुस्तिकाओं की दृष्टि से चेक विद्वान डॉ0 ओदोलेन स्मेकल कृत ‘हिंदी वार्तालाप', जर्मन के डॉ0 (श्रीमती) डगमर मर्कोबा अंसारी तथा एम0 अहमद अंसारी की ‘जर्मन-हिंदी बातचीत' तथा जापान के प्रो0 क्यूया दोई की ‘हिंदी-जापानी वार्तालाप', प्रोफेसर हिदेआकि इशिदा दाइतो बुंका कृत ‘व्यावहारिक हिंदी वार्तालाप' एवं प्रोफेसर नोरिओ ओकागुचि एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती योशिको कृत ‘सरल हिन्दी वार्तालाप' अधिक चर्चित हैं।
3 शब्दकोश-
विदेशों में जिन विदेशी भाषाओं के साथ हिंदी के शब्दकोश प्रकाशित हुए हैं उनमें अंग्रेजी, जर्मनी, हंगेरियन, रोमानियन, रूसी, उज्बेकी, जापानी प्रमुख हैं।
1. अंग्रेजी - हिन्दी कोश : फादर कामिल बुल्के
2. हिन्दी - अंग्रेजी कोश : डॉ0 आर0एस0 मेग्रेगर (केंब्रिज)
3. हिंदी -जर्मनी शब्दकोश : डॉ0 हेल्मट नेस्पिताल
4. हिंदी - जर्मनी शब्दकोश : एरिका क्लेम
5. जर्मनी-हिंदी कोश : डॉ0 श्रीमती मारग्रेट गात्सलाफ
6. हिन्दी - फ्रांसिसी कोश : निकोल बलबीर
7. हंगेरियन - हिंदी शब्दकोश : पेतैर कोश
8. हिंदी-रोमानिया शब्दकोश : डॉ0 विद्यासागर दयाल - सहलेखक-इयोन
पेतेरेस्कु
9. रोमानिया - हिंदी शब्दकोश : डॉ0 विद्यासागर दयाल - सहलेखक इयोन
पेतेरेस्कु
10. हिंदी-रूसी कोश : डॉ0 अलेक्जेइ पेत्रोविच बारान्निकोव
11. रूसी-हिन्दी शब्दकोश - जे0एम0 दिमशित्स
12. संक्षिप्त हिन्दी-रूसी एवं रूसी-हिन्दी शब्दकोश - जे0एम0 दिमशित्स
13. संक्षिप्त हिन्दी कोश (हिन्दी-जापानी तथा जापानी-हिन्दी) : प्रो0 क्यूयादोइ
14. जापानी-हिन्दी शब्दकोश - प्रोफेसर कात्सुरा कोगा
15. हिन्दी - जापानी शब्दकोश - प्रोफेसर कात्सुरा कोगा
16. हिन्दी-चीनी कोश - पेइचिंग विश्वविद्यालय के हिन्दी अध्यापकों द्वारा लगभग 30 वर्ष पूर्व निर्मित शब्द कोश (लगभग 45 हजार हिन्दी शब्द)
17. बृहद हिन्दी-चीनी कोश - पेइचिंग विश्वविद्यालय के हिन्दी अध्यापकों द्वारा निर्मित लगभग 90 हजार हिन्दी शब्दों का कोश
18. हिन्दी-उज्बेकी शब्दकोश : डॉ0 श0 अहमेदोव
4 हिन्दी-भाषा का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन
1- संयुक्त राज्य अमेरिका -
यमुना काचरु : ‘एन इंट्रोडक्शन टू हिंदी सिन्टैक्स
फ्रेंकलिन साउथवर्थ : ‘द स्टूडेंट्स हिंदी- उर्दू रिफरेंस मैनुअल
2- इंग्लैंड - प्रो0 आर0एस0 मैकग्रेगर : आउटलाइन ऑफ हिंदी ग्रामर विद एक्सरसाइजिज'। सन् राल्फ लिलि टर्नर के भाषा वैज्ञानिक कार्यों का महत्व न केवल हिन्दी अपितु भारतीय आर्यभाषाओं के अध्ययन की दृष्टि से है। इनकी डिक्शनरी ने भारतीय भाषा वैज्ञानिक अध्ययन परम्परा के नए अध्याय का सूत्रपात किया है।
3- जर्मनी - डा0 श्रीमती मारग्रेट गात्स्लाफ : ‘हिंदी व्याकरण'
4- रूस - डॉ0 लाज्मन दीमशित्स : ‘हिंदी व्याकरण की रूपरेखा'। हिन्दी भाषा के विभिन्न पक्षों पर कार्य करने वाले रूसी विद्वानों में रोमशित्स, चेर्निशेव, लिपरोव्स्की तथा पियोत्र एलेक्सेविच बारान्निकोव के नाम सर्वाधिक उल्लेखनीय हैं।
5- फिन्लैंड - डॉ0 बर्तिल तिक्कनेन ने ‘हिंदिन किएलिओप्पि' (हिन्दी का व्याकरण) लिखा जो हेलसिंकी से सन् 1991 में प्रकाशित हुआ।
6. जापान - जापान के भाषा वैज्ञानिकों ने हिंदी के विविध पक्षों पर भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से अनेक कार्य सम्पन्न किए हैं। प्रकाशित पुस्तकों, शोधप्रबंधों एवं लेखों की सूची प्रो0 कात्सुरो कोगा ने ‘जापान में हिंदी अध्ययन-अध्यापन की स्थिति' शीर्षक लेख में प्रस्तुत की है। इनमें निम्नलिखित अध्ययन अधिक उल्लेखनीय हैं :
1- इन्दोबुन्तेन् (हिन्दी व्याकरण) : प्रो0 एइजो सावा 2. हिंदी ध्वनिग्राम और वर्तनी : तेजीसाकाता 3. हिन्दी फोनोलॉजी : नोरिहिको उचिदा 4. हिंदी भाषा का परिचयात्मक व्याकरण : तोशिओ तानाका एवं काजुहिको माजिदा 5. आधुनिक हिंदी में संयुक्त क्रियाएं : तोमियो मिज़ोकामि 6. मुल्ला वजही कृत ‘ सबरस ‘ की दक्खिनी हिन्दी का भाषा विश्लेषण : प्रोफेसर अकिरा ताकाहाषि।
2- प्रोफेसर काजुहिको माजिदा ने कम्प्यूटर की सहायता से प्रेमचन्द के गोदान में प्रयुक्त सभी क्रियाओं का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन सम्पन्न किया है। यह अध्ययन वर्णानुक्रम तथा प्रत्येक क्रिया की उपन्यास में आवृत्ति सहित सम्पन्न हुआ है।
7. चीन - प्रोफेसर यिन होंग युएन का हिन्दी व्याकरण (चीनी भाषा में) उपलब्ध है।
8. थाईलैण्ड - डॉ0 चालोड. सारबद्नूक ने व्यावहारिक हिन्दी व्याकरण की रचना की है।
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(क्रमशः अगले अंकों में जारी…)
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