मोहल्ले की महिलाओं ने अपने फालतू समय को काटने के लिए एक पत्नी इनर व्हील क्लब बना रखा है। इस व्हील में वे पैसा अपने पतियों का ही फूंकती ...
मोहल्ले की महिलाओं ने अपने फालतू समय को काटने के लिए एक पत्नी इनर व्हील क्लब बना रखा है। इस व्हील में वे पैसा अपने पतियों का ही फूंकती थी। यह क्लब अक्सर किसी न किसी प्रकार की प्रदर्शनी का आयोजन करता रहता था।
पापड़ प्रदर्शनी, मंगोड़ी प्रदर्शनी, साड़ी प्रदर्शनी और कुछ नहीं हुआ तो नई ड्रेस पहनकर उसका प्रदर्शन कर देना। अक्सर ये महिलाएं किसी न किसी विषय पर प्रदर्शन करती ही रहती थी। धीरे-धीरे हुआ यों कि पत्नियों के पास प्रदर्शनी के विषय का अभाव हो गया। कुछ समय तक इनर व्हील क्लब ने अपने-अपने आभूषणों, ऐश्वर्य तथा मायके के गुणगान की प्रतियोगिताएं आयोजित कीं। मगर इन सब से क्लब का काम कब तक चलता।
फलतः इनर व्हील क्लब में अगली प्रदर्शनी के विषय हेतु गम्भीर विचार प्रारम्भ हुआ। इनर व्हील क्लब में नेता पत्नी थी, अफसर पत्नी, सेठानी थी और समाज सेविकाएं थी। सभी अपने आपको बुद्धिमान और तेज, स्मार्ट और सुन्दर समझती थीं। जब कभी भी कोई समस्या आती थी तो सब मिल कर कोई न कोई हल निकाल लेती थीं, मगर इस बार होली के अवसर पर किस विषय की प्रदर्शनी लगायी जाये। इस समस्या का कोई हल नजर नहीं आ रहा था।
ऐसा विकट प्रश्न ! लगा अब इनर व्हील क्लब का भविष्य खतरे में है। आखिर क्लब की सदस्याओं ने अपने पतियों से प्रदर्शनी के विषय पूछने का तय किया।
अजी सुनते हो। बड़े लेखक की दुम बने फिरते हो। तुम्हें मेरी कसम, बस एक प्लॉट मेरे क्लब के लिए बता दो।
कौन सा प्लॉट भाई।
बस इतना बता दो कि अगली होली पर प्रदर्शनी किस विषय की आयोजित की जाये।
अब इस विषय में मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ ?
क्यों नहीं कर सकते। मगर कोई मदद करना चाहे तब ना।
तो फिर ऐसा करो तुम मेरी प्रदर्शनी आयोजित कर दो। लेखक पति ने जल-भुन कर जवाब दिया।
यु आर ए जीनियस। क्लब सदस्या चहकी और साड़ी बदल कर क्लब कार्यालय में जा पहुंची।
मोटी सेठानी का घर ही क्लब का स्थाई कार्यालय था। क्योंकि सेठजी दुकान पर रहते थे और चाय नाश्ता मुफ्त में मिल जाता था। सभी सदस्याएं वहीं एकत्रित हुई। लेखक पत्नी ने अपनी लाख टके की बात कही-क्यों न हम इस होली पर पतियों की प्रदर्शनी का आयोजन करें। हम सबके पास एक एक अदद पति है। उसे झाड़ पोंछ कर तैयार करके प्रदर्शनी में सजा देंगे। किसी मंत्री से उद्घाटन करवा देंगे और अखबारों में रिपोर्ट छपवा देंगे।
वाह क्या शानदार आईडिया है। मगर क्या हमारे पति तैयार होंगे ? एक ने शंका जताई।
क्या बात करती हो यार तुम भी। यदि तुम अपने पति को तैयार नहीं कर सकती तो क्या कर सकती हो ?
कोई भी यह स्वीकार करने को तैयार नहीं थी कि वे अपने पतियों को तैयार नहीं कर सकती। अतः सर्वसम्मति से यह तय हुआ कि इस होली पर प्रियतम प्रदर्शनी प्रतियोगिता की जायेगी। सभी बहनें घर जायें और तैयार करें। श्रेष्ठ तीन प्रियतमों को पुरस्कृत करने का भी निर्णय लिया गया। चाय-नाश्ते के बाद इनर व्हील क्लब की सदस्याएं घर आ गयी।
सभी महिलाओं ने घर आकर अपने-अपने प्रियतमों को यह शुभ सूचना दी कि आगामी होली पर इनर व्हील क्लब पतियों की प्रदर्शनी करेगी। और उन्हें इसे प्रतियोगिता में भाग लेना है। कुछ पतियों ने आनाकानी की। मगर पत्नियों के आगे किसकी चलती है ? अर्थात् किसी की नहीं चलती है।
निश्चित दिवस याने होली के एक दिन पहले प्रत्येक पत्नी ने अपने-अपने पति को नहलाया, धुलाया, शेव कराई, क्रीम पाउडर लगाया, काजल टीका कंघा चोटी की। खूब आवभगत से खाना खिलाया। शानदार सूट पहनने को दिया इत्र फुलेल लगाया और प्रदर्शनी स्थल पर बलि के बकरे की तरह ले आयी।
प्रदर्शनी स्थल पर 1 से 20 तक नम्बर लगा दिये गये। प्रत्येक नम्बर पर एक पति महोदय, चुपचाप विराजमान हो गये। क्लब की सदस्याओं ने एक दिन पहले ही अखबारों में विज्ञापन दे दिये थे। जबरदस्त भीड़ थी। प्रेस और फोटोग्राफर भी थे। एक स्वतन्त्र टी.वी. कैमरा टीम भी इस अवसर पर मौजूद थी। उद्घाटन समारोह हेतु मंत्री को कहा गया। मगर वे दौरे पर निकल गये। एक अफसर पति उद्घाटन करने आये, मगर क्लब की सदस्याओं ने उन्हें 21 वें नम्बर पर प्रदर्शित कर दिया। अन्त में क्लब की अध्यक्षा सेठानी जी ने उद्घाटन भाषण दिया।
भाषण में उन्होंने पूरे देश में इस प्रकार के प्रदर्शन के लिए सरकार से अनुदान देने की मांग की। स्वायत्तता का ऐसा नमूना देख कर टी.वी. कैमरामैन भाग गया।
इतने सारे पतियों को अनुशासित व्यवस्थित प्रदर्शित होत देख कर पत्नियां बहुत खुश थीं। बस उन्हें एक ही चिन्ता खाये जा रही थी कि कहीं प्रदर्शनी में देखने आई, कोई स्मार्ट महिला उसके पति पर डोरे न डाल दे। उद्घाटन भाषण के बाद प्रदर्शनी को आम जनता के लिए खोल दिया गया। हर पति के पास उसकी पत्नी दर्शकों के प्रश्नों का जवाब देने के लिए उपलब्ध थी। एक मोटे पति को देखकर एक दर्शक ने कहा ये आलू किसका है जी ?
ये आलू नहीं, मेरे पति हैं भाई साहब ।
भाई साहब शब्द सुनकर वह दर्शक भाग गया। एक गंजे पति को देखकर एक महिला दर्शक ने उसकी पत्नी से पूछा -
आप इनके बालों के लिए कौन सा तेल खरीदती है। महिला ने अपने पति को प्यार से देखा और कहा-
छछुन्दर का जी।
एक अन्य पति को देखकर एक दर्शक ने पूछा-क्या ये शुरू से ही इतने ही सीधे-सादे हैं ?
नहीं जी, शुरू में तो आतंकवादी थे, मगर मेरे कब्जे में आने के बाद ठीक हो गये। उसकी पत्नी ने गर्व से जवाब दिया।
अच्छा इस पति नं. 12 की क्या विशेषता है ? एक महिला ने पूछा।
पति नं.12 की पत्नी ने जवाब दिया। ये लेखक पति हैं जी। और सबसे बड़ा आराम ये है कि इन्हें अनुशासन का दौरा पड़ता है वैसे पलायनवादी हैं।
हूं।
और ये जो पति नं. 16 से 21 हैं इनकी पत्नियाँ कहाँ हैं।
इन सभी की एक ही पत्नी है जो फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त है। जवाब आया।
प्रतियोगिता के अंत में पति नम्बर 3,12 व 21 को क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय घोषित किया गया और प्रतियोगिता समाप्त हुई। आप भी अपने शहर में ऐसे आयोजन करें और उद्घाटन हेतु खाकसार को अवसर दें।
0 0 0
यशवन्त कोठारी 86, लक्ष्मी नगर,, ब्रह्मपुरी बाहर,,जयपुर-302002 फोनः-2670596
ykkothari3@yahoo.com
निश्चित दिवस याने होली के एक दिन पहले प्रत्येक पत्नी ने अपने-अपने पति को नहलाया, धुलाया, शेव कराई, क्रीम पाउडर लगाया, काजल टीका कंघा चोटी की। खूब आवभगत से खाना खिलाया। शानदार सूट पहनने को दिया इत्र फुलेल लगाया और प्रदर्शनी स्थल पर बलि के बकरे की तरह ले आयी।
जवाब देंहटाएंक्या खूब लिखा !!
bahut khub
जवाब देंहटाएंyashvant jee ab aap steel helmet pahin kar nikalen, aapake is vyang par kuch naariyon ne naarajee jataaee hai aur ve gusse men hain, aapato jaanate hee hain agar unake haath belan aa jaaye to himaalay kee unchaaiyon ko chhukar sir kee maru bhoomi par gir jaae to kyaa hoga ! jara sanmhal kar rahiye ! bahut majedaar byang hai ! With regards. harendra
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग्गिंग ने मेरे विचारों को और मेरे बहुत से साथियों के विचारों को पर लगा दिए हैं . धन्यवाद् ब्लागस्पाट एंड गूगल
जवाब देंहटाएं