प्रमोद भार्गव की कहानी : मुखबिर

SHARE:

दोहरी चाल चल रहे गंगाराम गड़रिया को पूरी रात ठीक से नींद नहीं आई। वह करवटें बदलता रहा। वह बा...

clip_image002

दोहरी चाल चल रहे गंगाराम गड़रिया को पूरी रात ठीक से नींद नहीं आई। वह करवटें बदलता रहा। वह बार-बार सूख-सूख जाते गले को लोटा भर पानी गढ़ककर तर करने का उपक्रम करता रहा। पर बार-बार मुताश आ जाने से उसे मोरी पर जाकर मूतना पड़ता और उसे फिर से शरीर में जल अभाव का अनुभव होने लगता। इस बार-बार की हलचल से उसकी घरवाली की भी शायद नींद उचट गई। वह कुनमुनाई, ''मुनिया के बापू तुम अब डकैतों से रिश्‍ता खतम कर ये मुखबिरी का काम छोड़ो। जा काम में दोई तरफ से जान पर आफत बनी रहत है। इतै...., डकैत दयाराम-रामबाबू की दबिश....., तो उतै पुलिस की........। जा में ऐसी खास आमदनी भी नहीं कि मोड़ा-मोड़ी ठीक से पल जायें।''

-''मुनिया की अम्‍मा तेरी बात मेरे दिमाग में बैठत तो है, पर मोऐ ऐसो भान होत है कि गिरोह को जब सफाया होए, तबहीं जाके मुक्‍ति मिलै। ला रसद की गठरी लाके मोए दे और किबाड़ खोल, भुनसारो होवे से पेलेईं गांव की सीमा पार कर जंगल की डगर पकड़ूं।''

गंगाराम की घरवाली ने बिछौना छोड़ा। चौके में जाकर उसने बच्‍चों के सो जाने के बाद डकैतों के लिये रात में ही देशी घी में बनाकर रखी पूड़ी-सब्‍जी की गठरी उठाई और द्वार पर आ गई। उसने बेंढ़ा और सांकल खोल एक किबाड़ इतने धीरे से खोला कि आस-पड़ोस के किसी के कान में कोई ऐरो सुनाई न दे जाये।

गंगाराम ने किबाड़ों के बीच से गर्दन निकालकर धुप्‍प अंधेरे में झांका तो उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई। चारों ओर व्‍याप्‍त सन्‍नाटा उसे बेहद भयावह सा लगा। दरवाजा पार कर गलियारे में जब वह आया तो उसे लगा जैसे वह मौत की अंधी सुरंग में प्रवेश कर रहा है। उसने पत्‍नी के हाथ से पोटली लेते हुये उसका हाथ कसकर पकड़ लिया, जैसे इंगित कर रहा हो कि अब मैं जीवित न लौटूं तो मेरे बच्‍चों का भविष्‍य तेरे ही हाथों में है। और फिर वह दबे पांव चल दिया। वह जानता है कि मुनिया की अम्‍मा को इस क्षण अनायास ही किसी अज्ञात गर्भ को फोड़ उठे बवंडर से उपजीं शंका-कुशंकाओं ने जकड़ लिया होगा। लेकिन वह कब लाचार मुनिया की अम्‍मा के कहे को तवज्‍जो देता है। वह तो शुरू से ही डकैतों की मुखबिरी करने की खिलाफत करती रही है। वही है जो समाज में अपना रौब-रूतबा बनाए रखने के लिये खूंखार गिरोह से मिला रहकर अपनी जान को हथेली पर रखे फिरता है। इस मदद के बदले में उसे कुछ धन जरूर हासिल हो जाता है। पर वह यह भी जानता है कि यदि दयाराम-रामबाबू को नेकई संदेह हो गया कि वह पुलिस से भी मिलकर दोहरी चाल चल रहा है तो दूसरे मुखबिरों की तरह उसकी सड़ी-गली लाश वीरान जंगल के किसी गड्‌डे में मिलेगी।

लंबे-लंबे डगों से कोस नापता हुआ गंगाराम पहली ही बरसात में हरिया चुके खोड़न के जंगल की परिधि में पहुंच गया था। गर्मी को राहत देने वाली सुबह की ठंडी हवा की पुरवाई चलने के बावजूद गंगाराम की रूह कांप रही है। उसे अनुभव हो रहा है जैसे सावन-भादो का महीना न होकर अगहन माघ की हडि्‌डयों के जोड़ कंप-कंपा देने वाली ठण्‍ड हो। वह फिर सोच में पड़ गया कि उसने भी कहां, यह बेवजह मुखबिर बन जाने की जोखिम उठा ली। एक तरफ गिरो तो कुआं और दूसरी तरफ गिरो तो खाई । पुलिस और डकैत ! ये दो पाटन के बीच पिसते-पिसते मुंएं पूरे छह साल गुजर गए, पर चैन कहां ? बीते दो साल पहले जर-जमीन और बंदूक के लालच में वह पुलिस का भी मुखबिर बन बैठा। इन दो सालों में उसने दो मर्तबा पुलिस को दयाराम-रामबाबू गड़रिया गिरोह की उपस्‍थिति की पिनपॉइन्‍ट खबर भी पुलिस को दीं, पर पुलिस कहां गिरोह का बाल भी बांका कर पाई ? हर बार नया बहाना गढ़कर पुलिस ने सीधी मुठभेड़ टाल दी। इस बार उसने भी पक्‍का मन बना लिया है कि अब की बार पुलिस ने मुठभेड़ टाली तो वह फिर पुलिस के लिये मुखबिरी कभी नहीं करेगा। दरोगा आलोक भदौरिया से बेहिचक कह देगा, ' कोई और मुखबिर ढूंड़ों साहब और हमारे प्राण बख्‍शो !' मुखबिरी के दौरान जान हलक पर आ अटक जाती है, सांस फूल जाती है और जुबान से बोल तक नहीं फूटते। गड़रिया को कहीं जरा भी भनक लग गई कि गंगाराम कहीं दाल में कुछ काला कर रहा है तो उसकी इहलीला खत्‍म ! अब तक कितने ही मुखबिरों का काम तमाम कर चुके हैं दयाराम-रामबाबु बंधू।

सूरज देवता प्रगट हो गये थे। जंगली पेड़ों की डाल-पत्‍तों से टकराकर सूर्य-किरणें आंख मिचौनी खेल रही थीं, पक्षियों की चह-चहाहट भी शुरू हो गई थी। दूर दराज से बरसाती झोरों के बहने की स्‍वर लहरियां भी वातावरण में गुंजायमान थी। प्रकृति के इस मुधुर परिवेश में गंगाराम को जंगल एक ठहरा हुआ सन्‍नाटा अनुभव हो रहा था। सर्प चाल सी लहर आई पगडंडी पर गंगाराम लंबे-लंबे डग भर रहा था। उसे जब हलक सूखा सा जान पड़ता तो वह छैले के पत्‍ते तोड़कर चबाते हुए आगे बढ़ता रहता। उसे जौराई टीले के नीचे बहने वाले झोरे के पास पीपल के पेड़ तक शीघ्र पहुंचना था। यहीं से दयाराम-रामबाबू गड़रिया गिरोह के गुजरने की खबर उसके पास गिरोह द्वारा पहुंचाई गई थी। उसे हुक्‍म था कि वह भोजन लेकर झोरे पर हाजिर हो।

समय करीब आ रहा था। कई मर्तबा वह इस दुर्गम सफर पर निकला है, पर वक्‍त की पाबंदी की शर्त से बंधा होने के कारण उसे आज का सफर बेहद लंबा महसूस हो रहा था। उसे एक तरफ तो गिरोह को रसद पहुंचानी थी, दूसरे पुलिस को भी सीधी मुठभेड़ के लिये उसने खबर दे दी थी। पुलिस ने अब तक चुपचाप मोर्चा संभाल लिया होगा, ऐसी पिन पाइंट खबर बमुश्‍किल ही मिलती है। खबर देते वक्‍त भदौरिया दरोगा ने उसकी पीठ थपथपाते हुये उसके हाथ पर दस हजार की गड्‌डी रख दी थी। उस गड्‌डी के स्‍पर्श से उसके सारे शरीर में अनायास ही गर्माहट पैदा हो गई थी। इसके पहले गंगाराम की हौसला-अफजाही के लिये भदौरिया दरोगा ने उसे मढ़ीखेड़ा डेम के रेस्‍ट हाउस में पुलिस कप्‍तान से भी मिलवाया था, तब कप्‍तान साहब ने उसे हिदायत दी थी कि मुठभेड़ स्‍थल ऐसा चुनना जो पुलिस के लिये पूरी तरह सुरक्षित व मुफीद हो और गिरोह को पुलिस होने की भनक तक न लगे। कप्‍तान साहब ने इसी वक्‍त पुलिस को यह भी सख्‍त हिदायत दी थी कि गिरोह के गुजरने के दौरान पहली गोली कप्‍तान साहब ही चलाऐंगे इसके इसके पहले मोर्चे पर तैनात कोई भी सिपाही गोली नहीं दागेगा। गैंग भले ही गुजर जाये। गंगाराम को तो बस ऊंची जगह पर खड़े होकर गिरोह द्वारा झोरा पार करते समय बीड़ी सुलगाकर मोर्चे पर तैनात पुलिस बल को इशारा भर देना था कि गिरोह गुजर रहा है। बस फिर क्‍या था पुलिस की बंदूकें आग उगलेंगी और दयाराम-रामबाबू को राम-नाम सत्‍य !

लंबे कदम नापता हुआ गंगाराम निर्धारित स्‍थल पर पहुंच ही गया। उसने पूरे जतन से सहेज कर लाई रसद की पोटली झोरे के किनारे एक समतल चट्‌टान पर रख दी। फिर वह पीपल के नीचे आकर खड़ा हो गया, उसने लिये यह जगह कोई नई नहीं थी, खोड़न से लेकर डोंगरी झोंपड़ी बम्‍हारी और रीछ-खो के जंगल का चप्‍पा-चप्‍पा उसका देखा-परखा था। वह यह देखकर आश्‍वस्‍त हो गया कि पुलिस ने उसके आने के पहले ही दो तरफ से मोर्चा संभाल लिया है। उसने कंधे पर टंगी स्‍वाफी से मूंह पर छलछला आये पसीने को पोंछते हुये सोचा, 'ईश्‍वर की कृपा हुई तो आज गड़रिया गिरोह का सफाया तय है। व्‍यूह रचना तो कुछ ऐसी ही रची जा चुकी है कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे। बस गैंग दिये वचन अनुसार इस मौके से गुजर भर जाये।'

दम साधे गंगाराम पीपल के सहारे खड़ा है। भय संशय और बैचेनी उसे भीतर ही भीतर इस आशंका से खाये जा रही है कि कहीं ऐन वक्‍त पर कोई गड़बड़ी न हो जाए ? कहीं उसी के जान के लाले न पड़ जायें ? एक बार तो उसे लगा कि उसकी ऊर्जा कहीं शरीर में ही वाष्‍पीकृत होकर रोम-रोम से निकलती जा रही है, और वह जैसे गश खाकर गिरने ही वाला है। कुछ पलों के लिये उसने पीपल के तने का सहारा लेकर खुद को भगवान भरोसे निढाल-सा छोड़ दिया, और गहरी सांस लेकर आह भरी, 'हे रामजी अब एक तेरा ही आसरा है.....।'

गंगाराम ने निस्‍तब्‍ध वातावरण में साहस जुटाया। दूसरे क्षण उसे लगा कि जैसे कुछ समय के लिये लकवाग्रस्‍त हो गये उसके शरीर में प्राणवायु संचारित हो रही हो...। उसने पेड़ का सहारा छोड़ा। कुर्ते की जेब से बिंडल माचिस निकाले और बीड़ी सुलगाने के लिये जैसे ही तत्‍पर हुआ कि उसकी चेतना ने स्‍मृति लौटाई, 'बीड़ी तो गैंग के सामने से पास होने पर ही सुलगानी है।' उसे भयमुक्‍त होने की अनुभूति हुई और उसने बीड़ी पीने का मंसूबा फिलहाल टाल दिया।

गंगाराम ने अपनी समस्‍त इंद्रियां सर्तक करने की कोशिश की..., बीयावान जंगल में झाड़ झंखाड़ों के खड़कने के साथ दांई ओर से पग ध्‍वनियों की आहट सुनाई दी। गैंग के आगमन का संकेत भी इसी दिशा से था। चौकन्‍ना होकर गंगाराम ने आहट की ओर दृष्‍टि उठाई...। पहले वीरा धोबी.....फिर सिरनाम आदिवासी.....फिर गिरोह का मुखिया, शातिर दिमाग, मास्‍टर माइंड....., पांच लाख का इनामी सरगना दयाराम और फिर दयाराम का मां जाया छोटा भाई रामबाबू गड़रिया....! और फिर अन्‍य गिरोह के सदस्‍य डकैत।

गंगाराम ने पीपल के नीचे खड़े रहते हुये ही हाथ जोड़कर डकैतों का अभिवादन किया और फिर हिम्‍मत जुटाकर अपने कर्तव्‍य के पालनात बीड़ी सुलगाने के लिये तीली माचिस के रोगन से रगड़ी..., फुर्र सी हुई और तीली बुझ गई.....। एकाएक उसकी देह थराथरा उठी। उसने भरपूर संयम व विवेक की चेतना से मन-मस्‍तिष्‍क पर जोर डालकर अनायास ही थरथरा उठी देह को नियंत्रित करने की पुरजोर कोशिश करते हुये फिर से नई तीली को रोबन पर रगड़ा.....। चिंगारी लौ में तब्‍दील हुई। तुरंत उसने हवा के प्रवाह से लौ को बचाने के लिये तीली हथेलियों की ओट में ले ली और फिर बमुश्‍किल बीड़ी सुलगाने में कामयाब हुआ।

वीरा धोबी रसद की पोटली उठाकर झोरा पार कर गया था और फिर एक-एक कर सब झोरा पार कर करधही के जंगली पेड़ों से आक्षादित पहाड़ की सुरक्षित ओट में होते चले गये। गंगाराम बीड़ी के लंबे-लंबे सूटे लेकर धुंआं उड़ेलकर पुलिस को गैंग के गुजरने का संकेत देता रहा, पर पुलिस की बंदूक की नालों ने धुंआ नहीं उड़ेला। आशंकित गंगाराम किंकर्तव्‍यविमूढ़ ! यह क्‍या इतना सुनहरा अवसर पुलिस ने गवां दिया.....? पुलिस की गोली चलती को एक-एक कर गिरोह के पूरे सदस्‍य धराशायी होकर धरती पर पड़े होते। पर पुलिस ने गोली क्‍यों नहीं चलाई ? क्‍या पुलिस डकैतों से सीधी मुठभेड़ करने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाई....?

बदहवास गंगाराम उस टीले के पीछे पहुंचा जहां पर पुलिस तैनात थी, पुलिस कप्‍तान भारी भरकम गोल पत्‍थर के पीछे ए.के. 47 थामे उकडूँ बैठे मोर्चा संभाले हुये थे, परन्‍तु उनके चेहरे पर पसीने की उभरी लकीरों के साथ उससे आंखें न मिला पाने की लाचारी स्‍पष्‍ट झलक रही थी। उम्र के थपेड़े खाये गंगाराम ने कप्‍तान साहब के चेहरे पर उभरे भावों को पढ़ा, 'शायद कप्‍तान साहब का ईमान पहले से ही डोला हुआ था, फिर चाहे वह जान के लालच में डोला हो अथवा पकड़ों को छोड़ने वाली फिरौती की धनराशि के कमीशन में !'

पुलिस और डकैत, दो पाटों के दर्मियान खड़ा गंगाराम सोच रहा था कि सीधी मुठभेड़ को अंजाम नहीं देने के यथार्थ का अर्थ जैसे उसके समक्ष विश्‍वास की अंधेरी सुरंग फाड़कर उजागर हो रहा है। गंगाराम अंजाने खौफ से बेख्‍याली के आलम की गिरफ्त में आने लगा। बेसुधी की हालत में उसे अहसास हुआ कि वह किसी भयंकर अजगर की गुंजलक में जकड़ता जा रहा है।

----

प्रमोद भार्गव

शाही निवास, शंकर कॉलोनी

शिवपुरी (म.प्र.) 473-551

फोन- 07492-232007, 233882

मो. 94254-88224

----

जीवन-परिचय

c

नाम ः प्रमोद भार्गव

पिता का नाम ः स्‍व. श्री नारायण प्रसाद भार्गव

जन्‍म दिनांक ः 15 अगस्‍त 1956

जन्‍म स्‍थान ः ग्राम अटलपुर, जिला-शिवपुरी (म. प्र.)

शिक्षा ः स्‍नात्‍कोत्तर (हिन्‍दी साहित्‍य)

रूचियां ः लेखन, पत्रकारिता, पर्यटन, पर्यावरण, वन्‍य जीवन तथा इतिहास एवं पुरातत्‍वीय विषयों के अध्‍ययन में

विशेष रूचि।

प्रकाशन ः प्‍यास भर पानी (उपन्‍यास), मुक्‍त होती

औरत, पहचाने हुए अजनबी, शपथ-पत्र एवं

लौटते हुए (कहानी संग्रह), शहीद बालक

(बाल उपन्‍यास) सोन चिरैया सफेद शेर,

चीता, संगाई, शर्मिला भालू, जंगल के

विचित्र जीव जंतु (वन्‍य जीवन) घट रहा है

पानी(जल समस्‍या) इन पुस्‍तकों के अलावा

हंस, समकालीन भारतीय साहित्‍य,वर्तमान

साहित्‍य, प्रेरणा, संवेद, सेतु, कथा परिकथा,

धर्मयुग, जनसत्ता, नवभारत टाइम्‍स,

हिन्‍दुस्‍तान राष्‍ट्रीय सहारा, नईदुनियां,

दैनिक भास्‍कर, दैनिक जागरण,

लोकमत समाचार, राजस्‍थान पत्रिका,

नवज्‍योति,पंजाब केसरी, दैनिक ट्रिब्‍यून,

रांची एक्‍सप्रेस, नवभारत, साप्‍ताहिक

हिन्‍दुस्‍तान, कादम्‍बिनी, सरिता, मुक्‍ता, सुमन

सौरभ, मेरी सहेली, मनोरमा, गृहशोभा, गृहलक्ष्‍मी, आदि पत्र पत्रिकाओं में

अनेक लेख एवं कहानियां प्रकाशित।

सम्‍मान ः 1. म.प्र. लेखक संघ, भोपाल द्वारा वर्ष 2008

का बाल साहित्‍य के क्षेत्र में चंद्रप्रकाश

जायसवाल सम्‍मान। 2. ग्‍वालियर साहित्‍य अकादमी द्वारा

साहित्‍य एवं पत्रकारिता के लिए डॉ.

धर्मवीर भारती सम्‍मान।

3. भवभूति शोध संस्‍थान डबरा

(ग्‍वालियर) द्वारा ‘भवभूति अलंकरण'।

4. म.प्र. स्‍वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकरी

संगठन भोपाल द्वारा ‘सेवा सिंधु सम्‍मान'।

5. म.प्र. हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन,

इकाई-कोलारस (शिवपुरी) साहित्‍य एवं

पत्रकारिता के क्षेत्र में दीर्घकालिक सेवाओं

के लिए सम्‍मानित।

6. भार्गव ब्राह्मण समाज, ग्‍वालियर द्वारा

साहित्‍य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में

सम्‍मानित।

अनुभव ः जनसत्ता की शुरूआत से 2003 तक

शिवपुरी जिला संवाददाता।

नईदुनियां ग्‍वालियर में 1 वर्ष ब्‍यूरो प्रमुख,

शिवपुरी।

उत्तर साक्षरता अभियान में दो वर्ष निदेशक

के पद पर।

संप्रति ः जिला संवाददाता आज तक (टी.वी.

समाचार चैनल)

संपादक -शब्‍दिता संवाद सेवा, शिवपुरी

दूरभाष ः 07492-232008, 232007 मोबा.

09425488224

संपर्क ः शब्‍दार्थ, 49 श्रीराम कॉलोनी, शिवपुरी (म.प्र.)

ई-मेल % PramodSVP997@rediffmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. This story is reality of the people living "called" below poovert line. They daily walk on the edge of the swords. Sailing on two boats knowingly that death is waiting for them with opened mouth. The fact is "they died every day". harendra singh rawat

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद भार्गव की कहानी : मुखबिर
प्रमोद भार्गव की कहानी : मुखबिर
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzNPlQot_c8ZTgqXDsID5lf_omjBYXjZ5tdLFLrYy1GZ94sb8QAvOgr0rcOPtNDowliiv8LkHfPMZTb7QMyR4eLSFEPctUoJbLtmxSNw4YNB_ZdQg2HiwMETzt9sw5CQTMFf1B/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzNPlQot_c8ZTgqXDsID5lf_omjBYXjZ5tdLFLrYy1GZ94sb8QAvOgr0rcOPtNDowliiv8LkHfPMZTb7QMyR4eLSFEPctUoJbLtmxSNw4YNB_ZdQg2HiwMETzt9sw5CQTMFf1B/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2010/04/blog-post_4516.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2010/04/blog-post_4516.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content