1- भाषाद्रोही हिन्दी गंगा है वकतव्य सुनकर एक श्रोता प्रतिक्रिया स्वरूप बोला बकवास है । पीछे बैठे व्यक्ति से रहा नहीं गया ...
1-भाषाद्रोही
हिन्दी गंगा है वकतव्य सुनकर एक श्रोता प्रतिक्रिया स्वरूप बोला बकवास है । पीछे बैठे व्यक्ति से रहा नहीं गया वह उत्तेजित होकर बोला अरे चुप रह भाषाद्रोही ।
2-बोहनी
पैसेन्जर-टी․टी से -सर ए-टू कम्पार्टमेण्ट में भी सीटें है यही चेक कर देंगे ।
टी․टी․सीट एडजेस्ट करवा दिया यह भी कर देता हूं ।
पैसेन्जर टी․टी․ को टिकट थमाकर बैठ गया ।
टी․टी․ बोला शादी में जा रहे है क्या ?
पैसेन्जर-हां ।
टी․टी․- बोहनी करवाईये ।
3-शिकारी
सुबह नौ बजे से रात आठ-आठ बजे तक काम ले रहा है,इसके बाद भी गलती निकाल कर गुर्राता है । आदमी बीमारी की हालत में भी काम कर रहा है जबकि आराम की सख्त जरूरत है । प्रोत्साहन के बदले दण्ड कैसा निर्दयी है ?
हां रामू-उंची योग्यता के बावजूद पद-दलित का दुख भोग रहा हूं ।
रामू-दुखीबाबू मुखिया को मुख की भांति होना चाहिये पर ये तो शिकारी हो गया है ।
4-डिनर पार्टी
आ गये । वक्त के बड़े पाबन्द हो छोटा कर्मचारी होकर भी ।
फर्ज है । कर्म भी तो पूजा है ना ।
डिनर पार्टी में क्यों नहीं आये ?
छोटा कर्मचारी तो काम के लिये होता है । लोग आंसू देकर काम करवाना जानते है । वैसे कौन पूछता है मुझ जैसा छोटा आदमी तो आंसू पीने के लिये पैदा हुए है।
शोषण और आंसू देने वाले लोग गिरे हुए होते है ।
5- श्रवणकुमार
पापा दादाजी खफा क्यों रहते है ।
क्यों खफा होगे ?
मम्मी इतनी खातिरदारी करते है। दादाजी की जैसी सेवा हो रही है वैसी तो कम लोगो की होती है। हम भाई -बहन एक पांव पर खड़े रहते है । इसके बाद भी कुढ़ते रहते है ।
पुराने ख्यालात के है ना । तुम लोग क्यों दुखी होते हो ?
पापा हम नहीं दादाजी दुखी है ।
क्यों दुखी होंगे ?
क्योंकि उनकी मर्जी का नहीं कर रहे हो ।
कैसी मर्जी ?
शहर में अकेले रहते । गांव में बड़ी कोठी बनवाते । ढेर सारी जमीन लिखवाते । पूरी तनख्वाह गांव भेजते तब दादाजी के लिये कलयुग के श्रवणकुमार होते भले हम ना पढ़ लिख पाते ।
नहीं बनना ऐसा श्रवणकुमार बेटा ।
6-दर्द
कैसी रही होली ?
ठीक ही समझिये जनाब ।
क्या ठीक समझूं? होली का रंग तो चढा ही नहीं है तुम पर ।
लुटी नसीब पर कौन रंग चढेगा ?
क्या कह रहे हो ?
चिन्ता और भय के अलावा लूटी नसीब वाले के माथे पर और कोई रंग देखा है क्या ?
ठीक कह रहे हो उजाड़ी नसीब का यही दर्द है ।
7- सावन-भादों
पा․․․․․․․․․पापा․․․․․․․․․․․
क्यों घिघिया रहे हो साफ-साफ तो बोलो ।
ये लो चाभी पापा।
क्यों ?
दादाजी के टांके कटवा लाओ ।
तुम जा रहे थे ना बेटा।
जा रहा था पर अब नही । ऐसी क्या बात हो गयी ?
दादाजी को ना जाने क्यों गुस्सा आ रहा है । गालियां दे रहे है । अब आप सम्भालो ।
ठीक है । मुझे तो सम्भाल लोगे ना?
बेटे की आंखों में सावन-भादों उमड पड़े ।
9- बिछोह
बाबूजी सामने देखकर बताओ दिखाई पड़ रहा है ।
जी डाक्टर साहब बहुत बढ़िया दिखायी पड़ रहा है आपरेशन के बाद ।
पच्चीस हजार खर्च कर दिये है आपके बेटे ने । आजकल धन्नासेठ औलादें तो मां -बाप को अनाथ-आश्रम भेज रही है । बड़े नसीब वालो हो बाबूजी। महीने भर बाद चश्मा बनेगा जाओ घर आराम करो ।
जल्दी बना दो ना डाक्टर ।
क्यों ?
गांव जाना है । अच्छा नहीं लग रहा है यहां ।
तकलीफ दे रहे है बेटा बहू क्या ?
नहीं ।
जानती हूं । स्वर्ग का सुख भोग रहे हो फिर भी गांव जाने की जिद ।
हां डाक्टर ?
गांव में कोई बड़ी सम्पत्ति छोड़ आये हैं क्या ?
कुछ है ही नहीं ।
जैसा सुख भोग रहे वैसा तो बड़े-बड़े धनासेठों को नहीं नसीब होता । क्यों स्वर्ग के सुख पर लात मार रहे कैसा बिछोह है बाबूजी ?
--------
(चित्र – रमेश कटारा की कलाकृति – साभार, मानव संग्रहालय, भोपाल)
-----
नन्दलाल भारती
आजाददीप-15 एम,वीणा नगर,इंदौर -452010 ।मध्य प्रदेश।
E-mail-nlbharatiauthor@gmail.com
http:// nandlalbharati.blog.co.in / hindisahityasarovar.blogspot.comnandlalbharati.mywebdunia.com
नाम- नन्दलाल भारती
कवि,कहानीकार,उपन्यासकार
शिक्षा - एम․ए․ । समाजशास्त्र । एल․एल․बी․ । आनर्स ।
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ह्यूमन रिर्सोस डेवलपमेण्ट (PGDHRD)
जन्म स्थान- ग्राम-चौकी ।खैरा।पो․नरसिंहपुर जिला-आजमगढ ।उ․प्र।
जन्मतिथि- 01․01․1963 प्रकाशित पुस्तकें ई पुस्तकें․․․․․․․․․․․․
उपन्यास-अमानत,एवं अन्य प्रतिनिधि पुस्तके। उपन्यास- तीन
दमन,चांदी की हंसुली और अभिशाप
कहानी संग्रह-3
मुट्ठी भर आग
हंसते जख्म
सपनों की बारात
लघुकथा संग्रह-2
उखड.े पांव
कतरा-कतरा आंसू
काव्यसंग्रह-3
काब्यबोध
काव्यांजलि
मीनाक्षी
आलेख संग्रह-1
विमर्श
सम्मान
विश्व भारती प्रज्ञा सम्मान,भोपल,म․प्र․, विश्व हिन्दी साहित्य अलंकरण,इलाहाबाद।उ․प्र․।
लेखक मित्र ।मानद उपाधि।देहरादून।उत्तराखण्ड। भारती पुष्प। मानद उपाधि।इलाहाबाद,
भाषा रत्न, पानीपत । डां․अम्बेडकर फेलोशिप सम्मान,दिल्ली,
काव्य साधना,भुसावल, महाराष्ट्र, ज्योतिबा फुले शिक्षाविद्,इंदौर ।म․प्र․।
डां․बाबा साहेब अम्बेडकर विशेष समाज सेवा,इंदौर विद्यावाचस्पति,परियावां।उ․प्र․।
कलम कलाधर मानद उपाधि ,उदयपुर ।राज․। साहित्यकला रत्न ।मानद उपाधि। कुशीनगर ।उ․प्र․।
साहित्य प्रतिभा,इंदौर।म․प्र․। सूफी सन्त महाकवि जायसी,रायबरेली ।उ․प्र․।एवं अन्य
आकाशवाणी से काव्यपाठ का प्रसारण ।कहानी, लघु कहानी,कविताौर आलेखों का देश के समाचार पत्रो/पत्रिकओंमें एवं www.swargvibha.tk,www.swatantraawaz.com
rachanakar.com / hindi.chakradeo.net www.srijangatha.com,esnips.con, sahityakunj.net,chitthajagat.in,hindi-blog-podcast.blogspot.com, technorati.jp/blogspot.com, sf.blogspot.com, archive.org ,ourcity.yahoo.in/varanasi/hindi, ourcity.yahoo.in/raipur/hindi, apnaguide.com/hindi/index,bbchindi.com, hotbot.com, ourcity.yahoo.co.in/dehradun/hindi, inourcity.yaho.com/Bhopal/hindi,laghukatha.com एवं अन्य ई-पत्र पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन ।
आजीवन सदस्य
इण्डियन सोसायटी आफ आथर्स ।इंसा। नई दिल्ली
साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी,परियांवा।प्रतापगढ।उ․प्र․।
हिन्दी परिवार,इंदौर ।मध्य प्रदेश।
आशा मेमोरियल मित्रलोक पब्लिक पुस्तकालय,देहरादून ।उत्तराखण्ड।
साहित्य जनमंच,गाजियाबाद।उ․प्र․। एवं अन्य
मध्य प्रदेश लेखक संघ,म․प्र․भोपाल
अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास,ग्वालियर ।म․प्र․।
स्थायी पता
आजाद दीप, 15-एम-वीणा नगर ,इंदौर ।म․प्र․।
दूरभाष-0731-4057553 चलितवार्ता-09753081066
Email- nlbharatiauthor@gmail.com
http://www.nandlalbharati.mywebdunia.comhttp://www.nandlalbharati.bolg.co.in http://hindisahityasarovar.blospot.com
www.facebook.com/nandlal.bharati
चांदी की हंसुली ।उपन्यास। का जनप्रवाह ।साप्ता।द्वारा धारावाहिक प्रकाशन जारी ।
-स्वर्ग विभा तारा राष्ट्रीय सम्मान-2009 के लिये के लिये चयन ।
बढ़िया हैं।
जवाब देंहटाएंsarthak
जवाब देंहटाएं