चौबीसों घंटे सनसनीखेज खबरिया चैनल के प्रबंधक कई दिनों से बहुत परेशान थे। परेशान इसलिए नहीं थे कि उनके चैनल को विज्ञापनों की कमी थी। विज्ञ...
चौबीसों घंटे सनसनीखेज खबरिया चैनल के प्रबंधक कई दिनों से बहुत परेशान थे। परेशान इसलिए नहीं थे कि उनके चैनल को विज्ञापनों की कमी थी। विज्ञापन लेने के लिए कौन से हाथ पांव मारने पड़ते हैं। किसीको भी कह दो कि आपकी वो वाली टेप हमारे हाथ लग गई आप जब कहेंगे उसे तब चला देंगे। बस! काम हो गया। विज्ञापन हाजिर जितने का वो कहें।
प्रबंधक परेशान इसलिए थे कि उनके रिपोर्टर बड़े दिनों से कोई ऐसी सनसनीखेज खबर नहीं ला पा रहे थे जिसे हफ्ते तक लगातार चलाया जा सके।
जिस एक खबर के द्वारा दर्शकों को हफ्ता भर बहलाया फुसलाया जा सके। अब रोज रोज बिजली पानी की तंगी,बलात्कार,लूटमार की खबरें देने से टी आर पी तो बढ़ने से रही। अरे साहब! इतना बड़ा देश है, यहां आधारभूत जरूरतों,न्याय की तंगी नहीं होगी तो किस चीज की होगी। जनता है तो तंगी भी चलेगी। सच मानिए जनता और तंगी इस देश के एक सिक्के के दो पहलू हैं। जिस दिन जनता खत्म तंगी अपने आप अपना बोरिया बिस्तर बांध कर उड़न छू न हो जाए तो मेरा नाम बदल कर रख दीजिए।
चौबीसों घंटे सनसनी खेज का वह रिपोर्टर भी कई दिनों से परेशान चल रहा था। देश की सारी सनसनियां खत्म हो गईं अब और सनसनीखेज कहां से लाई जाएं! वह अपने कैमरा मैन के साथ बस स्टैंड के ढाबे पर बैठा चाय सुड़क रहा था कि अचानक तभी बस के नीचे एक बंदा आ गया। पर उसे इसमें कोई दम न लगा सो चुपचाप चाय सुड़कता रहा यह सोचकर कि बंदा है तो एक न एक दिन तो उसे किसी न किसीके नीचे आकर मरना ही है। आज क्या खबर की जाए कि.... ........ तभी उसे सामने दो बंदों को ले जाते हुए दो यमदूत दिखे। उसने पहले तो सोचा कि आज खबर मिल गई। काम हो गया। वह अपने साथ के कैमरा मैन को उठाने ही वाला था कि तभी उसे लगा कि क्यों न यमदूतों का पीछा कर यमलोक जाया जाए और वहां से यमपुरी का सीधा प्रसारण कर सनसनीखेज के दर्शकों को एक्सक्लूसिव भी दी जाए और उनका भी मनोरंजन किया जाए।
उसने लगभग सो रहे कैमरामैन को उठाया और वे दोनों छुपते छुपाते यमदूतों के पीछे हो लिए। कैमरामैन डरा तो उसने उससे कहा,' डरने की कोई बात नहीं। प्रेस क बंदोें को मरने से नहीं डरना चाहिए। वे पैदा ही मरने के लिए होते हैं। मैं हूं न! तेरे साथ क्राइम रिपोर्टर।' जाते जाते उसने सनसनी खेज के हैड आफिस फोन कर दिया कि वे आज एक्सक्लूसिव लाने यमलोक जा रहे हैं, ब्रेकिंग न्यूज में यह देना शुरू कर दो कि सनसनीखेज का रिपोर्टर यमलोक में। जैसे ही हम वहां पहुंचेंगे लाइव टेलीकास्ट शुरू कर देंगे।
और वे यमदूतों का पीछा करते करते यमलोक जा पहुंचे। ज्यों ही वे यमलोक में पहुंचे तो रिपोर्टर का सीना मारे खुशी के फूलता ही जा रहा था पर कैमरामैन डरा हुआ था, इसलिए कि उसके बीवी बच्चे थे पर रिपोर्टर अभी भी कुंआरा था।
यमलोक पहुंचते ही उसने केमरामैन से कैमरा आन करने को कहा। ज्यों ही कैमरा आन हुआ और यमलोक के दृश्य फिल्माए जाने लगे कि स्टूडियो में बैठे एंकर ने हंसते हुए घोषणा कि,'तो दर्शको! अब हम आपको सीधा ले चलते हैं यमलोक।' उन दोनों को देखते ही यमलोक के सुरक्षा व्यवस्था सतर्क हो उठी। घंटियां घनघनाने लगीं। कैमरे वाले घुसपैठिए उन्होंने पहली बार देखे थे,' कौन??' एक सुरक्षा प्रमुख ने कड़क कर पूछा तो सामने मृत्युलोक से गया पुलिस वाला हंसने लगा,' साथियो! छिन लो इनसे इनके यंत्र.....' अभी वह अपना वाक्य पूरा भी नहीं कर पाया था कि रिपोर्टर की आवाज दहाड़ी,' मैं कैमरामैन भानु के साथ बलबीर रसिया यमलोक से सनसनीखेज के दर्शकों के लिए ,नमस्कार! तो दोस्तो ! ये जो सामने आप देख रहे हैं लंबी लंबी लाइनें, ये मरे हुए लोगों की आत्माओं की हैं। पर हां, कई यहां पर भी घूंस देकर अपना नंबर पहले लगवा रहे हैं। ये दृश्य हम आपको बाद में दिखाएंगे। मतलब ये कि व्यवस्था यहां पर तार तार होती देखी जा सकती है। चलो इस बारे में मिलवाते हैं लाइन में खड़ी एक आत्मा से... आप कहां से आए हैं?'
'जी कोलकाता से!' भूख से मरी आत्मा कैमरे के सामने आते ही मुस्कुराने लगी।
'कितने दिन हो गए आपको यहां लाइन में खड़े हुए?'
'बीस दिन हो गए।'
'तो इतने दिनों खड़े होने के बाद भी आपको किसीने पूछा नहीं?'
'जी नहीं।'
'तो दर्शको! आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां पर व्यवस्था की दशा क्या है। इतने दिन तो कहीं भी लाइन में हमारे देश की जनता को भी खड़े नहीं होना पड़ता। तो चौबीस घंटे सनसनीखेज लगाता है यमलोक की व्यवस्था पर सवालिया निशान! तो दर्शको, मरने के बाद चैन से रहना है तो जाग जाओ।'
'पर यार तुम हो कौन??' अबके यमलोक के अधिकारी ने उससे पूछा।
' तो दर्शको! अब कैमरे के सामने है यमलोक के आला अधिकारी। तो चलो उन्हीं से लगे हाथ आपको मिलवाते हैं जनाब आप कौन??'
'पर मैं तो आपसे यह पूछ रहा हूं कि आप हैं कौन??'
'तो यहां भी पत्रकारों से मजाक!'
'मैंने मजाक नहीं किया। पर आप अपना परिचय तो दीजिए प्लीज!'
' दर्शको! तो आप देख ही रहे हैं कि जहां पर पत्रकारों को भी अपना परिचय देना पड़े वहां का हाल क्या होगा, फिर उसने कैमरामैन को कैमरा अपनी ओर करने को कहने के बाद कहा,'मैं चौबीस घंटे सनसनीखेज टीवी चैनल के लिए कैमरामैन भानु के साथ क्राइम रिपोर्टर बलवीर रसिया।'
' पहले बता देते तो आपके खाने पीने का पूरा इंतजाम करे रखते।' आला अधिकारी ने कहा।
'हमें खरीदने की एक और नाकाम कोशिश। जनाब, हम कुछ खाने पीने के मूड में नहीं हैं। तो देखा दर्शको! यहां भी पत्रकारों को खरीदने की कोशिश!पर पत्रकार अब नहीं बिकेगा। वह बिक बिक कर तंग आ गया है।' तभी स्टूडियो से समाचार वाचिका ने कहा,' तो दर्शको, अब हम लेते हैं बड़ा सा कमर्शियल ब्रेक। आगे के आंखों देखे हाल के लिए हम फिर आपसे रूबरू होंगे थोड़ी देर बाद। आप टीवी के सामने बने रहिए।' पहले की तरह पांच मिनट तक कमर्शियल ब्रेक चला। दो मिनट का आंखों देखा हाल तो पांच मिनट का कमर्शियल ब्रेक।
'तो दर्शको! हम फिर हाजिर हैं अपने रिपोर्टर के साथ यमलोक में। हम आपको बता दें कि किस तरह अपनी जान को जोखिम में डालकर चौबीस घंटे सनसनीखेज ने पहली और केवल पहली बार अपने दर्शकों के सामने यमलोक में चल रही अव्यवस्था का ख्ुालासा करने का साहस किया है। तो हां बलवीर रसिया क्या आप तक हमारी आवाज पहुंच रही है?'
' हां दीपिका। तो दर्शको,अब आपको बताते हैं दिल दहलाने वाले दृश्य! कमजोर दिल के दर्शकों से अनुरोध है कि वे या तो टीवी के पास ही जमे रहें पर हार्ट अटैक को रोकने वाली दवाई अपने नजदीक रख लें। तो ये दखिए, देश के अग्रणी नेता को किस तरह घसीटा जा रहा है। वे चीख रहे हैं। पर किसी पर उनकी चीख का कोई असर नहीं। यमदूत हैं कि कसाई की तरह उन्हें घसीटे जा रहे हैं। कहीं कोई सुनवाई नहीं, कहीं कोई संवेदना नहीं। ये देखिए.....' कहने के बाद कैमरामैन घसीटे जा रहे नेता की ओर कैमरा घुमाता है पर नेता कैमरे से बचने की पूरी कोशिश का रहे हैं,' नेता जी आपको यहां की व्यवस्था के बारे में कुछ कहना हो? आप यहां के हालात देख कर भूख हड़ताल कब करने जा रहे हैं ?' पर नेता कुछ नहीं कहते ,चुपचाप जैसे यमदूत घसीट रहे हैं वैसे ही घीसटते जा रहे हैं,' ये देखिए इन्होंने हमारे लोकप्रिय नेता पर इतने जुल्म कर किए हैं कि इनके मुंह से आह तक नहीं निकल पा रही । हम इस मामले को मानवाधिकार आयोग तक ले जाएंगे। ये देखिए.... नरक में किस तरह हमारे देश में ईमानदारी के तमगे पाने वालों को धुना जा रहा है , पर सब चुप।
लगता है यहां किसीको अभिव्यक्ति का अधिकार नहीं। हमारा चैनल इस बारे भी यमराज सरकार से बात करेगा।'
' अब बहुत नहीं हो गया पत्रकार! पहले यहां की व्यवस्था को समझ लेते तो सही जानकारी से मृत्युलोक के दर्शकों को सुधरने के अवसर तो मिलते।' तब तक वहां चित्रगुप्त आ चुके थे ,उन्होंने विनम्र हो कहा तो सनसनीखेज का पत्रकार हुंकार भरता बोला,'पत्रकार को कुछ भी समझने की आवश्यकता नहीं होती। वह जन्म से ही समझदार होता है। जो जन्म से समझदार होता है वही सच्चा पत्रकार होता है।'
' आपके यहां के ही एक पत्रकार को यह कहते सुना था कि पत्रकारिता मिशन है।'
'नहीं, अब प्रोफेशन हो गई है। युद्ध और एक्सक्लूसिव में सब जायज है।' अचानक चित्रगुप्त अपनी लोई ठीक करने लगे कि उनका हाथ कैमरामैन के कैमरे को छू गया तो रिपोर्टर भड़भड़ाया , ये देखिए दर्शको ! यहां भी सनसनीखेज की आवाज को दबाने का एक और प्रयास। चित्रगुप्त सच का सामना न करने पर कैमरामैन से उलझ पड़े हैं। पत्रकारिता पर एक ओर प्रहार ।'
'पर मित्र, मैं तो अपनी लोई ठीक कर रहा था।'
'प्रहार को दबाने की एक और नाकाम कोशिश पर सनसनीखेज न्याय के लिए आवाज उठा कर ही दम लेगा।'
'तो दर्शको अब एक बार फिर लेते हैं कमर्शियल ब्रेक। आप जैसे भी हो बस, हमारे साथ बने रहिए...'
बलवीर रसिया और चित्रगुप्त के बीच कमर्शियल ब्रेक के दौरान अनौपचारिक बात-
'पत्रकार! आप तो अपनी पत्रकारिता का दुरूपयोग ही करते जा रहे हो! यहां दूसरी बार भी आने लायक रहो। उस वक्त यहां किसीके पास कोई पावर नहीं होती। ये नरक में सब धरती पर मनमानी कर स्वर्ग सा जीवन जीने वाले ही हैं।'
'सर माफ कीजिएगा। बाद की बाद में देखी जाएगी। मुझे तो अभी की पड़ी है। दर्शकों को आज एक्सक्लूसिव से कम कुछ भी नहीं चाहिए। वक्त से पहले मैं मरना नहीं चाहता। जब तक जिंदा हूं जीने का हक तो मेरा भी होगा ही। आज तो प्लीज ऐसी एक्सक्लूसिव बनाने में मेरा सहयोग दीजिए कि पूरा हफ्ता हमारे चैनल पर यही खबर चलती रहे। मेरा प्रमोशन आज तो बस आपके हाथ में है।' सनसनीखेज के रिपोर्टर ने उनसे दोनों हाथ जोड़ निवेदन किया तो वे उसकी पीठ थपथपा उसे दो कूपन दे मुस्कुराते हुए आगे हो लिए,' ये सामने होटल है। किसी चीज की जरूरत हो तो वहां ये कूपन दिखा देना। हमारे लिए अतिथि देवो भव है।'
'तो मेरी आवाज आप तक पहुंच रही है न बलवीर रसिया!'
'जी दीपिका जी! तो दर्शकों अब हम आपको आगे बताते हैं कि किस तरह.....
डॉ.अशोक गौतम
गौतम निवास, अप्पर सेरी रोड सोलन-173212 हि.प्र.
अंतिम पैरा बहुत बढ़िया है. अगली बार देखिये किधर जाते हैं रिपोर्टर महोदय.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया व्यंग्य.
जवाब देंहटाएं