एक बार नैमिषारण्य नामक तीर्थ में वेदों के जानने वाले सूत जी से अनेक देवताओं और ऋषियों ने पूछा, '' प्रभु, आप तो अर्न्तयामी हैं, भू...
एक बार नैमिषारण्य नामक तीर्थ में वेदों के जानने वाले सूत जी से अनेक देवताओं और ऋषियों ने पूछा, '' प्रभु, आप तो अर्न्तयामी हैं, भूत, भविष्य तथा वर्तमान की कोई बात आपसे छिपी नहीं हैं, हम लोगों ने अन्य पुराणों और व्यास जी आदि से कलयुग का वर्णन तो सुना है पर उसमें कलयुग में किस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था होगी इस पर हमने कुछ नहीं सुना है न पढ़ा ही है, हमारे मन में इस प्रश्न के प्रति घोर जिज्ञासा है कृपया आप हमारे प्रश्न का उत्तर देकर हमें कृतार्थ करें''।
सूत जी बोले, '' देवताओं और ऋषियों तुमने बहुत ही उत्तम प्रश्न किया है, कलयुग की शिक्षा व्यवस्था का बहुत बडा माहात्म्य है, इसके सुनने मात्र से कई पापों से छुटकारा मिल जाता है । यदि कोई कलयुगी छात्र मेरे द्वारा कहे गये इस कलयुगी शिक्षा महात्म्य को श्रवण करेगा तो उसकी कई बाधायें तो निश्चय ही दूर हो जायेगी तथा उसे परीक्षा में कभी भी असफलता का मुंह नहीं देखना पड़ेगा, मूर्ख से मूर्ख छात्र भी इस महात्म्य के श्रवण मात्र से या तो अच्छे अंकों को प्राप्त करेगा नहीं तो उसकी पूरक परीक्षा (supplementary Exam) को तो कोई रोक ही नहीं सकेगा । देवताओं एकाग्र चित्त होकर इस महात्म्य का श्रवण करेा ।
सूत जी बोले, '' विप्रों, कलयुग में प्रायः शिक्षा निजी क्षेत्र में होगी, राज्य द्वारा समय समय पर यह तो कहा जायेगा कि हम शिक्षा व्यवस्था को सुधार कर रहे हैं पर यह सुधार कब होगा इस विषय में स्वयं शासन को भी कुछ पता नहीं होगा । चिकित्सा, अभियन्त्रण (Engineering) आदि के व्यक्तिगत आश्रम होंगे जो जितना अधिक चढावा चढायेगा (Capitation fee) देगा उसे उतनी ही सुगमता से प्रवेश मिल जायेगा, चिकित्सा के लिये यह चढावा 10 से 40 लाख तक होगा, इंजीनियरिंग में यह 5 लाख से 20 लाख तक होगा । यह धन केवल वही व्यक्ति देंगे जो धन को कमाना जानेंगे । येन केन प्रकारेण जो जितना अधिक धन कमायेगा वहीं इन आश्रमों में स्थान पा सकेगा । मेहनत के पैसों से चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि में प्रवेश बिल्कुल वर्जित होगा, अंकों आधार न देखकर पैसों का आधार देखा जायेगा । झूठे प्रमाण पत्रों के आधार पर भी प्रवेश मिल जायेगा लेकिन मेहनती बच्चों को अच्छे अंक अपनी मेहनत से कमाने वाले को प्रवेश द्वार से ही वापस भेज दिया जायेगा ।
स्कूलों/ कालेजों में तो छात्र जिसे चाहेंगे उसे प्राचार्य या प्रधानाध्यापक के पद पर बैठा देगें अधिकतर छात्र नेताओं का स्कूल/कालेज प्रशासन चलाने में हाथ होगा, प्राचार्य/प्राध्यापक केवल छात्रों के आदेशों का पालन करेंगे छात्र जिसे चाहें जब चाहें उनके पदों से हटा देंगे उन्हें इस विषय में बोलने का कोई्र अधिकार नहीं होगा ।
देवताओं ने पूछा, '' सूत जी क्या उस समय पब्लिक स्कूल भी होंगे, यह किस क्षेत्र में होंगे शासनकीय अथवा निजी, उनकी व्यवस्था, प्रबन्ध प्रवेश आदि पर भी हमारी जिज्ञासा है , कृपया हमें सविस्तार बताने की कृपा करें ।''
सूत जी बोले, '' द्विज श्रेष्ठों मैं आपके द्वारा पूछे गये इस गूढ प्रश्न को समझ गया एंव निज मति के अनुसार इसका उत्तर बताता हूं.............. देवताओं, कलयुग में दोनों ही प्रकार के स्कूल होंगे, शासकीय भी और निजी भी...........शासकीय में पढाने वाले अध्यापक वेतन भोगी होंगे तथा छात्रों की शिक्षा से उनका कोई तात्पर्य नहीं होगा किसी किसी सत्र में तो अध्यापक पूर्ण ज्ञान देंगे ही नहीं उन्हीं छात्रों को विश्ोष अवसर प्राप्त होगा जो अध्यापकों की अन्य वस्तुओं से पूजा अर्चा करेंगे । महिलायें भी अध्यापन कार्य करेगी तथा समय समय पर प्रसवकालीन अवकाश का उपभोग भी करेगीं तथा ऊनी वस्त्रों को कक्षा के मध्य ही बैठकर पूर्ण करेगी, उन्हें अपने वस्त्र विन्यास, केश विन्यास का विशेष घ्यान रखने की आदत होगी, प्रायः गरिष्ठ भोजन ही उनका प्रिय भोजन होगा । वही उन्हीं विद्यार्थियों पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगी जो उनकी स्कूल के शुल्क के अलावा भी भेंट पूजा करेगें । छात्र अध्यापक/ अध्यापिकाओं का समुचित आदर सम्मान नहीं करेंगे उन्हीं के सामने घूम्रपान, मद्यपान आदि का सेवन करेंगे तथा अध्यापक/अध्यापिकाओं को बाधित कर देंगे कि वह उनसे नजरें चुरा लें। निजी क्षेत्र के स्कूलों में तो हालत और भी बेहतर होंगे प्रवेश के लिये अभिभावक सुबह के तीन बजे से ही प्रवेश द्वार पहुंच जाया करेंगे , प्रवेश उसी छात्र को मिलेगा जिनके अभिभावक या तो उच्च व्यवसायी होंगे या सेना/प्रशासनिक सेवा में होंगे, बोरी या थैले भरकर शुल्क होगा, छात्रों के अभिभावकों से उनकी योग्यता के मापदण्ड पर ही उनके पुत्र/पुत्री को प्रवेश प्राप्त होगा । वाहन, वस्त्र, पुस्तकें स्कूल स्वयं देगें तथा अभिभावकों को मात्र स्कूल में पैसा जमा करने का अधिकार होगा, किसी प्रकार की सुविधा की मांग करने पर उन्हें प्रताडित किया जायेगा, बच्चे अच्छे से अच्छे वस्त्र पहन कर विद्यालय जायेंगे भले ही उन्होंने अपना गृह कार्य या कक्षा कार्य पूरा न किया हो, गृह कार्य या कक्षा कार्य पर ध्यान न देकर यह देखा जायेगा कि छात्र की पोशाक ठीक है अथवा नहीं । पढाई अभिभावक स्वयं करायेगें नये सत्र में नयी पुस्तकें होंगी भले ही वह बाजार में उपलब्ध न हो ।
विप्रों अब सन्ध्याकाल हो गया है शेष अगले दिन विस्तार से चर्चा करेंगे आज का प्रंसग इतना ही ।
यह कहकर सूत जी समाधि अवस्था में बैठ गये, देवता और ऋषि मुनि अपने-अपने आश्रमों को चले गये ।
इति पुराण कथा समाप्त
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रवि कान्त भारद्वाज
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bahut gahra kataksh kiya hai aapne
जवाब देंहटाएंबहुत गहन विचार व सूक्ष्म निरीक्षण के बाद दिया गया सदोपदेश, बधाई।
जवाब देंहटाएंnarad ji to bhavishya bhi jante hai shiksha ka
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