सज्जनो , आप कोई भी हों! किसी भी आयु के हों! किसी भी तबके के हों! किसी भी विभाग के हों! किसी भी पद पर हों! इस देश के नागरिक हों या इस देश मे...
सज्जनो, आप कोई भी हों! किसी भी आयु के हों! किसी भी तबके के हों! किसी भी विभाग के हों! किसी भी पद पर हों! इस देश के नागरिक हों या इस देश में घुसपैठ कर रह रहे हों! इस देश का नमक खा रहे हों या इस देश की चीनी खा रहे हों! आप क्लास फोर कर्मचारी हों या क्लास वन अफसर हों! आप आदरणीय हों या अनादरणीय! आप जमा खोर हों या पुलिस के चहेते चोर! आप कम तोलते हों चाहे जम कर झूठ बोलते हों! आप केवल और केवल एक अदद पत्नी के पति हों चाहे पत्नी के साथ चार-चार पे्रमिकाएं शान से रख रहे हों! आप इधर फ्लर्ट करते हों चाहे उधर फ्लर्ट करते हों! आप सेकुलर हों चाहे नॉन सेकुलर! आप वेज हों या नान वेज! आप अध्यापक हों या विद्यार्थी! आप सवारी हों या सारथी!आप नकल करने वाले हों या नकल करवाने वाले! आप दूध पीने वाले हों या दूध में पानी मिलाने वाले! आप नकली माल बनाने वाले हों या नकली माल बड़े शौक से खाने वाले! आप मलाई ब्लाटिंग पेपर डाल कर बनाने वाले हों या जहरीली मलाई खाने वाले! आप समाज चालक हों या समाज पालक! आप डाक्टर हों या मरीज हों !आप बीमारी हों या तावीज हों! आप लेखक हों या पाठक हों! आप कोई भी हों, पर बस हों! आप टांगें पसार कर खाने वाले हों या फिर तिनके उखाड़ कर खाने वाले हों!
यह केवल और केवल आप के लिए है। आपके पास समय हो या न! आपके पास विवेक हो या न! आपके पास सच हो या न! आपके पास निष्ठा हो या न! आपके पास ईमानदारी हो या न! आपके पास देश प्रेम हो या न! आप जल्दी में हों या फुर्सत में! आप किसी भी स्थिति में हों! यह आपके हित में है कि आप अपने समय में से थोड़ा समय निकालकर इस खुशखबरी पर एक नजर जरूर डालें प्लीज! यह खुशखबरी आपके लिए पत्नी के होते हुए प्रेमिका से भी जरूरी है। यह खुशखबरी आपके जीवन को पूरी तरह बदलकर रख देगी। अतः एक बार आपसे फिर अपील है कि आप कसी भी स्थिति में इस खुशखबरी को नजरअंदाज न करें। क्योंकि यह खुशखबरी किसी न किसी बहाने हर एक से जुड़ी है। यह खुशखबरी विशुद्ध खुशखबरी है। इसलिए इस खुशखबरी में और तो सबकुछ है,पर खुशखबरी भी है। वैसे विशुद्ध खुशखबरी की पहचान यही होती है कि उसमें और तो सबकुछ होता है पर वह नहीं होता जो असल में होना चाहिए।
यह खुशखबरी है एक असली जिंदगी की! आपके- मेरे सच के पल-पल का पूरा मुआवजा देने वाले पूरे पलों की! आपको जल्दी से जल्दी हम्माम में उतरने का निमंत्रण देने की। कभी -कभी आपको भी मेरी तरह लगता होगा कि भ्रष्ट होकर ज्यादा नहीं जिया जा सकता! भ्रष्ट होकर मरने के बाद नरक में जाना ही पड़ेगा! आपको मेरी तरह कभी- कभी भ्रम होता होगा कि भ्रष्टाचार न जन हित में है न देश हित में! आपको कभी- कभी यह भी लगता होगा कि समाज में सब प्यार -पे्रम से रहें। आपको कभी-कभी लगता होगा कि․․․ समाज में ये होना चाहिए वो होना चाहिए। पर दोस्तो! आपका यह सोचना गलत है। आपकी इस दुविधाग्रस्त सोच को बदलने का प्रयास है यह खुशखबरी।
यह खुशखबरी मेरे साठ वर्षों के भ्रष्ट जीवन का निचोड़ है जिसे मैंने छाती चौड़ी कर, ईमानदारी की छाती पर मूंग दलते हुए जिया है, पूरे ईमान से , पूरी शान से!
इस खुशखबरी की तुलना आजतक की किसी भी खुशखबरी से नहीं की जा सकती। यह खुशखबरी विशुद्ध भ्रष्टाचार को स्थापित करने वाली आत्माओं का अमर गान है। भ्रष्टाचार के विकास में सहयोग देने वाली ऐसी खुशखबरी न तो समाज ने आजतक पढ़ी होगी, न सुनी होगी।
इस खुशखबरी को पढ़ने-सुनने के बाद अनपढ़ से लेकर डी․लिट․ तक न सिर्फ भ्रष्टाचार के विकास में सहयोग देने के लिए बाहें चढ़ाए चीखता हुआ घर से निकल पड़ेगा अपितु भ्रष्टाचार की फास्ट गति को सुपर फास्ट में बदल देगा। इस खुशखबरी को पढ़ने-सुनने के बाद आप न सिर्फ भ्रष्टाचारी होने पर गर्व महसूस करेंगे बल्कि भ्रष्टाचार के मार्ग पर निरंतर चलते हुए जो कभी-कभी आपका विश्वास डगमगाता रहा है, उसे भी नया खून मिलेगा। आपकी रग-रग में नई शक्ति का संचार होगा। इस खुशखबरी को देख आपको इस बात का अहसास होगा कि आप में भी भ्रष्टाचार के विकास में सहयोग देने की अपार संभावनाएं हैं। आप भी सगर्व वह सब कर सकते हैं जो छोटे से छोटा नेता पलक झपकते कर जाता है। मित्रों! भ्रष्टाचार की रेखा हाथ में बनकर ऊपर से नहीं आती, यहीं बनती है, इसी समाज का हवा-पानी लेते हुए। और यह खुशखबरी आपके हाथों तो हाथों, आपके पांवों में भी भ्रष्टाचार की रेखाएं खींचने की ताकत रखती है। इस खुशखबरी को पाकर आप अव्वल दर्जे के भ्रष्टाचारी हो समाज में नाम और ईनाम दोनों पा सकते हैं। याद रखिए, जिस घर में भ्रष्टाचार की पूजा नहीं होती ,उस घर में देवता निवास नहीं करते।
जन हितार्थ इस किताब का नाम है सुपर फास्ट क्रप्शन ः पार्ट वन एंड पार्ट टू और इसकी कीमत है आलू के दाम से भी कम। एक के साथ एक फ्री। वह इसलिए कि देश का गरीब से भी गरीब बंदा भी इस अनमोल किताब का तुच्छ मोल दे अमूल्य लाभ उठा सके। अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना मेरी आदत नहीं। मेरी किताब का लोहा आप इस किताब को पढ़कर खुद मान जाएंगे। मेरी किताब की सफलता भी इसी में है कि आप सफल उद्यमी बनें। यह किताब खोमचे वालों से लेकर बड़े-बड़े दफ्तरों के काऊंटरों पर उपलब्ध है। तय है किताब हाथों-हाथ उठेगी। आप उस किताब से वंचित न रहें इसलिए वक्त से पहले खरीद लें। आप यह किताब सीधे भी मंगवा सकते हैं। किताब पसंद न आए तो पैसे वापिस। किताब की सीमित प्रतियां छपी हैं। भ्रष्टाचारी होना केवल उन्हीं की बपौती नहीं। आपका भी खानदानी हक है। अपना हक शान से खरीदें और घर बैठे हो जाइए सबसे बड़े भ्रष्टाचारी।
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अशोक गौतम
गौतम निवास,अपर सेरी रोड
नजदीक मेन वाटर टैंक, सोलन-173212 हि․प्र․
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