लक्ष्मण व्यास का आलेख : नए दौर में अतीत का संघर्ष

SHARE:

सामंती मूल्‍य दृष्‍टि और पुरुष प्रधान पितृसत्तात्‍मक समाज के पुरजोर प्रयासों के बावजूद मीरा लोक स्‍मृति में बची रही इसका क्‍या कारण है ? ...

meera.

सामंती मूल्‍य दृष्‍टि और पुरुष प्रधान पितृसत्तात्‍मक समाज के पुरजोर प्रयासों के बावजूद मीरा लोक स्‍मृति में बची रही इसका क्‍या कारण है ? हाल में आई पुस्‍तक 'मीरा ः एक पुनर्मूल्‍यांकन' इन सवालों के गिर्द मीरा के साहित्‍य और व्‍यक्‍तित्‍व का नया विश्‍लेषण प्रस्‍तुत करती है। पल्‍लव के संपादन में इस पुस्‍तक के अधिकांश लेख समकालीन विमर्शों की रोशनी में तत्‍कालीन राजनैतिक, सामाजिक, सांस्‍कृतिक व आर्थिक परिस्‍थितियों में एक स्‍वतंत्र चेता नारी के संघर्ष के विभिन्‍न पहलूओं से देखने का प्रयास करते हैं। यह पुस्‍तक भक्‍तों के जैकारा (जयकारा) साहित्‍य से बिल्‍कुल अलग सामंती ढांचे की निरंकुशता, सामाजिक जकड़बन्‍दियों पितृसत्तात्‍मक समाज की कैद में छुटकारा पाने और अपना मुकाम हासिल करने की मीरा की संघर्ष गाथा को समझने और परखने का उपक्रम करती है।

मीरा पर उपलब्‍ध ढेर सारी सामग्री के बीच एक और पुस्‍तक की क्‍या जरूरत है ? इस संबंध में संपादक पल्‍लव का कहना है- ' बावजूद छोटी बड़ी पुस्‍तकों के मीरा की कविता का सही महत्त्व अभी पहचाना नहीं जा सकता है। प्रयत्‍न रहा है कि मीरा के व्‍यक्‍तित्‍व और उनकी कविता पर पडे़ आवरणों से हटकर उनका सही मूल्‍यांकन किया जाए।'

इस मूल्‍यांकन की दिशा के बारे में अंदाजा हम सुरेश पंड़ित के लेख की इन पंक्‍तियों में लगा सकते है- ' मीराबाई कृष्‍ण के प्रति अटूट भक्‍ति के कारण जितनी लोकप्रिय हुई, उतनी अपने समय के सामंतवाद, पुरूष वर्चस्‍व, कुलीन रीति रिवाज आदि के विरुद्ध बगावत का बिगुल बजाने वाली एक अपराजेय महिला के रूप में क्‍यों नहीं हुई ? ' कुल छब्‍बीस लेख मीरा की कविता और जीवन को विभिन्‍न कोणों से विश्‍लेषित करते है अतः मत विभिन्‍नताएं भी है जो स्‍वाभाविक है, ये विभिन्‍नताएं ही पुस्‍तक की खूबी भी है स्‍त्री विमर्श के आलोक में अनुराधा, अनामिका, चन्‍द्रा सदायत, शिव कुमार मिश्र, मधु किश्‍वर व रुथ वनिता के लेख मीरा के जीवन और कविता का मूल्‍यांकन करते है, पितृसत्ता-राजसत्ता के शोषणकारी स्‍वरूप को सामने लाते है। हिमांशु पंड्‌या का आलेख बताता है कि मठाधीशों को स्‍वतंत्र स्‍त्री का अस्‍तित्‍व किस कदर असहनीय है, कोई भी धर्म इस स्‍वतन्‍त्रता की इजाजत नहीं देता। पंड्‌या अपने आलेख में बताते हैं कि हिन्‍दी की प्रगतिशील आलोचना मीरा के मूल्‍यांकन के संदर्भ में किस रुढ़ दृष्‍टि का शिकार रही। पंकज बिष्‍ट अकादमिक लेखों की गंभीरता के बीच सरस, आत्‍मीय व विरासत को तत्‌कालीन व समकालीन संदर्भों में विश्‍लेषित करते हैं। मीरा से जुड़े विभिन्‍न स्‍थलों पर लिखे उनके यात्रा संस्‍मरण‘विद्रोह की पगडंडी' में पैनी निरीक्षण दृष्‍टि उजागर होती है। इसमें उन्‍होंने मेड़ता और चित्तौड़गढ़ की यात्राओं पर लिखते हुए मीरा की कविता और जीवन पर सहृदयता से विचार किया है।

लेखकों ने मीरा के जीवन और संघर्ष को अपने ढंग से देखा है अतः विचारों की बहुलता के साथ-साथ सहमतियां असहनीय भी है। डॉ. विश्‍वनाथ त्रिपाठी ने लिखा है- मीरा भक्‍त थी, भक्‍त होना न तो बुरी बात है न आपत्तिजनक, यदि व सभी लोगों की तरह घर में रहकर पूजा-पाठ करके भक्‍ति करके अपना वैधव्‍य काटती रहती तो राणा को क्‍या आपत्ति होती। आपत्ति का कारण साधु-संगति ही ज्ञात होता है मीरा केवल भक्‍त नहीं थी वह राजमहल की वधू भी थी, वह सामान्‍य भक्‍ति की तरह सामान्‍य लोगों से मिलती जुलती थी तो राणा कुल की मर्यादा कैसे न भंग होती'। वरिष्‍ठ समालोचक नवलकिशोर ने अपने आलेख ‘मीरा चर्चा में जैनेन्‍द्रीय सुनीता प्रसंग‘ में इस सवाल पर अपने विचार व्‍यक्त किये हैं। यहाँ वे एक ओर जैनेन्‍द्र के चर्चित उपन्‍यास सुनीता का प्रसंग लाकर मीरा की नयी अर्थवत्ता की तलाश करते हैं तो दूसरी ओर विमर्श प्रसंग पर उनका मत है - ‘मीरा का साहित्‍येतर अनुशीलन कितना ही वांछनीय हो - उनके समग्र अध्‍ययन के लिए वह बहुत जरूरी भी है - उनके काव्‍य का सौन्‍दर्यात्‍मक अनुभव हम काव्‍य रसिक के रूप में ही कर सकेंगे। इस दिशा में हमारी आलोचना - परंपरा हमारे लिए साधक और बाधक दोनों हैं। हम उनके काव्‍य को भक्‍ति काव्‍य की परिधि में ही पढ़ते और सुनते हैं तो उनके काव्‍य में मन्‍द-मुखर आत्‍मकथा और समाजाख्‍यान को सुन ही नहीं पाएंगी लेकिन उनके प्रेम निवेदन का उनकी भक्‍ति और उसकी परंपरा से उसे अलगा कर विखंडन करते हैं तो हमारी सारी उद्‌घोषणाएं आरोपणाएं होंगी - मीरा के काव्‍य और काल से संदर्भित स्‍थापना नहीं।‘

पुस्‍तक में आये अपने आलेख में प्रो. मैनेजर पाण्‍डेय ने मीरा के संघर्ष और प्रतिरोध का बारीक विश्‍लेषण किया है, वे लिखते हैं-'मीरा का विद्रोह अन्‍धे के हाथ लगा बटेर नहीं है। वे अपने संघर्ष की परिस्‍थितियों के बारे में पूरी तरह सजग हैं। विरोधी शक्‍तियों के खूंखार स्‍वभाव और अपनी स्‍थिति की पहचान के बाद ही उन्‍होंने कहा था कि-तन की आश कबहुं नहिं कीनो, ज्‍यों रण मांही सूरो। उनका संघर्ष सचमुच असाधारण है।' वहीं शिव कुमार मिश्र अपने लेख में मीरा के विद्रोह के अलक्षित पक्षों का संधान करते हैं- 'पदों का साक्ष्‍य देखे तो मीरा का यह विद्रोह उनका एकदम निजी व्‍यक्‍तित्‍व विद्रोह ही लगता है वह व्‍यजंक है परन्‍तु वह व्‍यक्‍तित्‍व विद्रोह ही। 'हमें मीरा के ऐसे पद ही मिलते जिनमें उनका यह विद्रोह उनके 'स्‍व' से आगे जाकर स्‍त्री जाति की यातना और मीरा जैसी उनकी मनोकांक्षा से जुड़ा हो, बंधनों से अपनी 'मुक्‍ति' का आग्रह मीरा में जरूर है परन्‍तु उस मुक्‍ति की आकांक्षा के तार-स्‍त्री जाति की वैसी ही मुक्‍ति से सीधे नहीं जुड़ते' इसी लेख में वे आगे विचार व्‍यक्‍त करते है-' मीरा तो प्रतिरोध में है- मुक्‍त होगी जैसा कि वे हुईं- पर मीरा की मुक्‍ति से भी ज्‍यादा अहम सवाल हमारे लिए यह होना चाहिये कि मीरा की उस सास और ननद की मुक्‍ति भी स्‍त्री-मुक्‍ति के अभियान से जुड़ी हुई है, मुक्‍त उन्‍हें भी होना है, जिसके लिए सचमुच गुलाम होने का सुख बहुत बड़ी यातना है।' अपने विश्‍लेषण में वे आगे जोड़ते हैं-' मीरा ने अपने समय में अपनी सीमाओं में जो किया बड़ा काम था, उनका महत्व इस बात में है कि मुक्‍ति के सपनों के उन्‍होंने पराधीनों की आंखों में जीवित रखा।'

'मीरा का मर्म' शीर्षक से लिखे अपने आलेख में प्रो. रामबक्ष ने बताया है कि मीरा ने स्‍त्री के मूल अधिकार 400 वर्ष पहले मांग लिए और वह 'बावरी' करार दे दी गई। वे मीरा के दर्द की नयी व्‍याख्‍या करते हैं-'कौन विरोध कर रहा है ? कौन समर्थन कर रहा है ? कौन प्रेम के वशीभूत होकर समझा रहा है ? कौन मुझसे चिढ़ रहा है ? यह महत्त्वपूर्ण नहीं है। मेरी सबसे बड़ी चिन्‍ता यह है कि कोई मेरे दर्द को समझ नहीं रहा है। जो मित्र है, शुभचिन्‍तक है, वह भी नहीं समझ रहा है और जो विरोधी है, वह भी बिना जाने समझे विरोध कर रहा है। इसलिए दोनों नादान हैं और इसलिए क्षम्‍य हैं। मीरा के पदों में बार-बार गूंजता रहता है कि हेरी मैं तो दरद दीवाणी, म्‍हारो दरद न जाणे कोय। यह दर्द सबसे बड़ा है और यह दर्द मीरा के समकालीनों को बहुत बाद में समझ में आया। साथ रहने वालों में से तो किसी के भी समझ नहीं आया।' डॉ. चन्‍द्रा सदायत का आलेख 'मीरा और भारतीय भक्‍त कवयित्रियाँ' एक तुलनात्‍मक अध्‍ययन प्रस्‍तुत करता है। मीरा के काव्‍य की विशिष्‍टता के बारे में उनका कहना है- 'काव्‍यानुभूति की व्‍यापकता और गहराई काव्‍य की भाषा की सहजता और लोकोन्‍मुखता तथा पदों की संगीतमयता के कारण जैसी अखिल भारतीय ज्‍योति मीरा की है वैसी किसी अन्‍य भक्‍त कवयित्री की नही।' यहां वे हिन्‍दी पाठ्‌यक्रम में मीरा के काव्‍य की उपेक्षा के कारणों में उस विचारधारा को उजागर करती है जो- 'मीराबाई को प्रयत्‍नपूर्वक पाठ्‌यक्रम से अलग और नई पीढ़ी से दूर रखती है।' डॉ. आशीष त्रिपाठी का आलेख भी पर्याप्‍त बहस का अवसर देता है क्‍योंकि वे जहाँ मीरा के भक्‍ति तत्‍व का विश्‍लेषण करते है वहीं मीरा की मध्‍यकालीन सीमाओं को पहचान कर उनके भाग्‍यवाद की आलोचना भी करते हैं। इस अन्‍तर्विरोध का कारण वे यह बताते हैं कि मीरा की वैचारिकता आधुनिक वैज्ञानिक दृष्‍टिकोण सी नहीं हो सकती थी और उनका प्रेम भी एक हद तक भावावेषी था। लेकिन डॉ. त्रिपाठी लिखते है कि अपनी सीमित क्रान्‍तिकारिता के बावजूद आज भी मीरा के विद्रोह का आत्‍यंतिक महत्‍व है क्‍योंकि मीरा का समाज एक मायने में आज भी मौजूद है। जिस समाज ने आज से लगभग पांच सौ बरस पहले मीरा को बिगड़ी हुई लोक लाज हीन, कुलनासी, भटकी हुई और बावरी कहा था, वही समाज आज तसलीमा नसरीन को ‘नष्‍ट लड़की‘ तथा किश्‍वर नाहिद को ‘बुरी औरत‘ कहकर संबोधित कर रहा है।

कहना न होगा कि किसी मध्‍यकालीन रचनाकार का ऐसा नया मूल्‍यांकन इधर कम ही हो पाया है। संपादक ने परस्‍पर संवादधर्मी आलेख एकत्र कर नयी बहस की संभावना बनाई है। परिशिष्‍ट में रामचन्‍द्र शुक्‍ल और मिश्र बन्‍धुओं के इतिहास अंश दिये हैं, बेहतर होता कि ऐसे सभी महत्त्वपूर्ण इतिहास ग्रन्‍थों के मीरा सम्‍बन्‍धी वर्णन पर एक आलेख ही दे दिया जाता।

-----

'मीरा ः एक पुनर्मूल्‍यांकन'/सं.पल्‍लव/आधार प्रकाशन, पंचकूला/मूल्‍य 450 रु.

लक्ष्‍मण व्‍यास

सी 20 आकाशवाणी कालोनी, उदयपुर 313002

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. सही कहा । आज के इस दौर में अतीत से कहां न्याय हो पा रहा है।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: लक्ष्मण व्यास का आलेख : नए दौर में अतीत का संघर्ष
लक्ष्मण व्यास का आलेख : नए दौर में अतीत का संघर्ष
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiy8v3FbbrlN5QqlFGRyw0hLKAYfkiWoSoV5GGF3ELba4nP7Z_VP_ZBqVhrQ9vkycxTXtFP1dP_14DWljABbhLCC-vXincY0kUHKhb3NiYcrK9uwN1DzpBrSlIBWVkcqoZuesVS/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiy8v3FbbrlN5QqlFGRyw0hLKAYfkiWoSoV5GGF3ELba4nP7Z_VP_ZBqVhrQ9vkycxTXtFP1dP_14DWljABbhLCC-vXincY0kUHKhb3NiYcrK9uwN1DzpBrSlIBWVkcqoZuesVS/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2009/08/blog-post_9008.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2009/08/blog-post_9008.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content