ईमानदारों का साथ भगवान देता है । सच्चों का साथ भगवान देता है , इसी बूते पर पिछले महीने साहब से पंगा ले लिया । तय माना था कि भगवान निर्बल का...
ईमानदारों का साथ भगवान देता है । सच्चों का साथ भगवान देता है , इसी बूते पर पिछले महीने साहब से पंगा ले लिया । तय माना था कि भगवान निर्बल का साथ देंगे । पर अफसोस , भगवान ने अबके भी बास का ही साथ दिया और मुझे मरवा दिया। मेरी रातों की नींद ,दिन की चैन जो थोड़ा बहुत बचा था वह भी गायब । फिर परम मित्र की शरण में जा बेईमानी ,मक्कारी को साक्षी मानकर कसम खाई कि मर जाए जो ईमानदारी ,सच के मामले में खुद के साथ भगवान के खड़ा होने पर विश्वास करे ।अब जब-जब देह धारण करुंगा बास तो क्या , बास के कुत्ते से भी पंगा नहीं लूंगा । वह पत्नी को झांसा दे पीए के साथ मटरगश्ती करता है तो करता रहे । मैं कौन होता हूं किसी पर बदचलनी का आरोप लगाने वाला ? जब बास की मेहरबानी होगी तो अपुन भी.....
बड़ी मुश्किल से बास के कारकूनों को पटा साहब के निकट पहुंचा । जान में जान आई ! सुबह का भूला महीने बाद बाद घर लौटा ! घर में खुशियों के दीप जले । घी बाती सब बास की दया से जनता के ।अपनी तो बस माचिस ! जिधर चाहा ,लगा दी ।
असीम पीड़ा भोगने के बाद मैं तो इसी निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि बास को बाप कहिए ,आठों याम मलाई चाटते रहिए । बास चाहे गधा ही क्यों न हो । आपको क्या जरूरत पड़ी है गधे को गधा कहने की ? बाकियों के दिमाग नहीं है क्या ? जो गधे के आगे दुम हिला रहे होते हैं ? आपको क्या जरुरत पड़ी है चोर को चोर कहने की ? उसकी हिम्मत है । औरों की आंखें फूटी हैं क्या ? आपको क्या जरुरत पड़ी है बास को आवारा कहने की ? जिनकी बीवियां बाल डाई करवा बास के साथ घूमती रहती हैं जब उनके पतियों को ही चिन्ता नहीं ,तो आप कौन होते हो दिन -रात चिन्ता में घुलने वाले ? बास पर कीचड़ उछालने वाले ? ज्यादा खारिश हो रही है तो अपने मुंह पर कीचड़ मलिए । खारिश चली जाएगी ।
बास की हां में जबसे हां मिलानी शुरू की है ,बल्ले बल्ले हो रही है । यदि आप भी मेरी तरह बल्ल बल्ले चाहते हैं तो बास से भूलकर भी पंगा न लें । वह जो भी कहे बस हां में हां मिलाते जाइए । आप के बाप का क्या जाता है ? विरोध में भी मुंह ही हिलाना है और समर्थन में भी , तो फायदे वाली जगह ही परिश्रम क्यों न किया जाए ? बन्धुओं, बास हर हाल में बास है बस ! भगवान हर हाल में भगवान चाहे न हो । अगर आप बास की हां में हां नहीं मिलाते तो नरक के अधिकारी हो सकते हैं । आज के बास यमराज नहीं डरते ,यमराज बास से डरते हैं तो आप फिर हैं किस खेत की मूली ?
यदि आप बास के कोप -प्रकोप से बचना चाहते हैं तो लीजिए मैनेजमेंट गुरू के कुछ फंडे - -
बास अगर दिन में कहे कि रात के बारह बजे हैं तो आप भी उसकी हां में हां मिलाइए ,आपके बाप का क्या जाता है ? अपने बास के सामने भूले से भी बास से बड़ा गधा होने का परिचय कभी न दें । चाहे आप उससे कितने ही बड़े गधे क्यों न हों । कारण ? आदमी हो या गधा ,अपने सामने अपने से बड़े को पसन्द नहीं करता ।
बास के सामने हमेशा भीगी बिल्ली बनें । घर में आप श्ोर हों या चीता ,इस बात का गरूर घर में ही छोड़ आएं । घर के श्ोर बास के सामने अक्सर कुत्ते ही साबित होते हैं । बास और बाप के आगे भीगी बिल्ली बने रहने में ही भलाई होती है ।
बास की सदा पिछाड़ी संभालिए । हराम का खाने की आदत डालिए । आदर्शों की बात कीजिए , मौका मिलते ही उन्हें ठुड्ड मार परे कीजिए। बास की उंगलियों पर नाचिए और मोक्ष के अधिकारी बनिए ।
बास का बाप बनने का कभी सपने में भी प्रयास न करें , भले ही बाप में बाप बनने के सारे अवगुण मौजूद हों । बाप के सामने बेटा बने रहने में भलाई होती है ,बेटा चाहे कितना ही लायक क्यों न हो !
हमेशा दफ्तर के काम के बदले बास का मूड टटोलते रहिए । बास किसी मामले में संवेदनशील हो या न , अपनी बात को मनवाने के मामले में बड़ा संवेदनशील होता है । बास को आपसे क्या पर्सनल उम्मीदें हैं , उन्हें जी-जान से पूरा कीजिए ।
बास से कटे नहीं । उसके पास हरदम बने रहने का मौका तलाश्ों । उसके साथ बने रहने का अवसर खोजते रहें । बास की सेवा के लिए आपको किन परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है , भूल जाएं । सेवा बिन मेवा नहीं मिलता , हमेशा याद रखें । बास की सेवा को मां-बाप से ज्यादा प्राथमिकता दें ।
कुशल पटाऊ बनें । जो बास को पटाने में सफल होते हैं ,मलाई उन्हीं के जीभों को चिकना करती है । ऐसों पर बास सदा मेहरबान रहते हैं। इतिहास साक्षी है । बास की सेवा को ईश्वरीय सेवा समझें । बास के हर काम को दैवीय समझें । अगर आप इस विधा में निपुण हो गए तो समझो भव सागर पार हो गए ।
बास आपको डांटे भी तो उसका विरोध न करें । लेने के देने पड़ सकते हैं । मलाई वैसे भी चिकनी होती है । मलाई के लिए बास का सब कुछ पचा जाइए । स्वर्णिम भविष्य की भलाई इसी में है। बास को हमेशा चने के झाड़ पर चढ़ाए रखें । जब भी मौका मिले बास की प्रशंसा के झंडे गाड़ें । चापलूसी करने से कभी बाज न आएं । क्योंकि चापलूसी हमेशा कुछ न कुछ देकर ही जाती है । बास पर दीवारों के पीछे भी कमेंट न करें । दीवारों के भी कान होते हैं । दफ्तर में अपना कोई सगा नहीं होता हमेशा याद रखें ।
बास से कभी न बिगाड़ें । बाप से बिगड़ जाए तो बिगड़ जाए । तो देर किस बात की ? आप भी मलाई खाने हो जाइए तैयार ! हे बास ! तू ही माता ,तू ही पिता है , तू ही है मेरी जात , हे बास़ .... हे बास ...
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संपर्क:
डॉ.अशोक गौतम
गौतम निवास ,अप्पर सेरी रोड
नजदीक वाटर टैंक ,सोलन -173212 हि. प्र.
Bahut sahee.
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डॉ.अशोक गौतम चर्चित व्यंगकार हैं । इस बढ़िया व्यंग्य के लिये बधाई ।- शरद कोकास " कवि"
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