संगीत कला को ललित कलाओं में सर्वश्रेष्ठ होने का गौरव प्राप्त है। मन को एकाग्र कर मोक्ष द्वार तक ले जाने वाला संगीत के अतिरिक्त संगम व सरल...
संगीत कला को ललित कलाओं में सर्वश्रेष्ठ होने का गौरव प्राप्त है। मन को एकाग्र कर मोक्ष द्वार तक ले जाने वाला संगीत के अतिरिक्त संगम व सरल मार्ग और कोई नहीं है। यही इसकी सर्वश्रेष्ठता का प्रमुख कारण है। जीवन यात्रा के प्रत्येक क्षेत्र में संगीत का योग होने के कारण मानव सहज ही इससे सम्बद्ध हो जाता है। संगीत आदिकालीन कला है, जिसका प्रादुर्भाव सृष्टि रचना के साथ ही हो चुका था। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो भारतीय संगीत का इतिहास आरम्भ से ही उपलब्धियों का इतिहास रहा है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक की लंबी यात्रा करते हुए भारतीय संगीत ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं जिसका एक विशाल रूप हमारे सामने प्रस्तुत है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अनेक राजनैतिक, सामाजिक परिवर्तन हुए। संगीत सामान्य जनता के बीच शिक्षण-संस्थाओं तथा संगीत सम्मेलनों के रूप में प्रतिष्ठित हो गया और संगीत का विकास अत्यधिक तेजी से होने लगा। आज मनुष्य के जीवन का हर एक क्षेत्र संगीत से प्रभावित है यही कारण है कि वर्तमान समय में विद्यार्थियों की रुचि संगीत के प्रति बढ़ती जा रही है परन्तु संगीत की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात तथा उपाधि और प्रमाण पत्र एवं शोध आदि प्राप्त करने के बाद भी समस्या होती है कि वह अपने जीवन को किस राह पर लेकर जाए। शिक्षा पूर्ण होने के तुरन्त बाद वह अपनी नौकरी या व्यवसाय के प्रति चिंतित हो जाता है।
आज व्यवसाय मनुष्य का आवश्यक अंग है। व्यवसाय अर्थात् समाज में रहने के लिए मनुष्य जीवन यापन का जो सहारा लेता है उसे व्यवसाय कहते हैं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज की मर्यादाओं का पालन करने हेतु व समाज की धारा में प्रवाहमान होने हेतु मनुष्य को कोई व्यवसाय अवश्य अपनाना पड़ता है और संगीत अन्य विषयों की भांति समाज को व्यवसाय प्रदान करने का एक सबल माध्यम सिद्ध हुआ है। इससे स्पष्ट होता है कि संगीत जहां एक ओर हमें रंजकता व आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करता है वहीं संगीत हमें अर्थ प्राप्ति भी कराता है और इस अर्थ की प्राप्ति हमें संगीत को व्यवसाय के रूप में अपनाने से होती है। जीवन के अनेक क्षेत्रों में संगीत की विशेषताओं का व्यापक रूप सामने आया है। जीविका, अर्थोपार्जन तथा विशेष योग्यता की दृष्टि से संगीत के अनेक आयाम दृष्टिगत होते हैं जैसे संगीत, हाई स्कूल से लेकर स्नातकोत्तर एवं शोध स्तर तक के पाठ्यक्रम में संगीत को विषय के रूप में मान्यता, आकाशवाणी केन्द्रों का देश भर में संजाल, संगीत सम्मेलनों की परम्परा, सांस्कृतिक केन्द्र, दूरदर्शन, कैसेट्स एवं कैसेट प्लेयर के रूप में संगीत की सहज उपलब्धता, संगीतज्ञों की जीविका के लिये बहुआयामी माध्यम है परन्तु संगीत में परोक्षतः सकारात्मक परिस्थितियों के बावजूद वर्तमान संगीत एवं संगीतज्ञ के लिए समस्यायें बढ़ी हैं और नयी चुनौतियां सामने आ रही हैं। बदलते सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश में संगीत की नई सम्भावनाएँ दृष्टिगोचर होती है। ऐसे में अनेक क्षेत्र हैं, जिनमें संगीत के माध्यम से विशेष योग्यता द्वारा मात्र मनोरंजन अथवा संगीत शिक्षक की अपेक्षा आर्थिक दृष्टि से कैरियर के लिए अनेक आकर्षक अवसर उपलब्ध हो सकते हैं जैसे -
1- शिक्षक - वर्तमान समय में विद्यालयों, शिक्षण-संस्थाओं तथा विश्वविद्यालयों में शिक्षक के रूप में अनेक पदों पर कार्य कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आजकल व्यक्तिगत शिक्षण अर्थात् प्राइवेट ट्यूशन के द्वारा भी व्यवसाय किया जा सकता है।
2- मंच प्रदर्शक - मंच प्रदर्शन का व्यवसाय अत्यंत चकाचौंध पूर्ण व चित्ताकर्षक व्यवसाय है। मंच प्रदर्शन से जहां एक और कलाकार अपनी कला के माध्यम से श्रोताओं को आनन्दित करता है वहीं दूसरी ओर कला के माध्यम से जीविका को भी प्राप्त करता है। मंच प्रदर्शन द्वारा अनेक सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक समारोहों, मेलों आदि पर गज़ल़, भजन व गीतों आदि के गायक, वाद्य वादक व नर्तक अपनी कला कौशल का प्रदर्शन कर अपनी जीविकोपार्जन कर सकते हैं।
3- शास्त्रकार एवं प्रकाशक ः- संगीत शास्त्रकारों का संगीत कला के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। वर्तमान समय में अनेक संगीत शास्त्री, अपने ग्रंथों के प्रकाशन द्वारा धन अर्जित कर सकते हैं। ग्रंथों के प्रकाशन से लेखकों के अतिरिक्त प्रकाशक भी अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। संगीत की सौम्यता व माधुर्य में शास्त्रबद्धता का उत्कृष्ट व उचित समन्वय ये शास्त्रकार कुशलतापूर्वक कर सकते हैं।
4- पार्श्वसंगीत ः- पार्श्व संगीत का प्रयोग करने वाले स्थलों में चित्रपट व दूरदर्शन सबसे अधिक प्रचार में है। इसके अतिरिक्त अन्य कई स्थलों जैसे - दैनिक कार्यक्रमों के प्रारम्भ होने की धुन, समाचार प्रारम्भ होने से पूर्व की धुन व अनेक मनोरंजक कार्यक्रम, सिनेमा, नाटक, विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में संगीत की व्यवसायिक सम्भावनाएँ प्रदर्शित होती हैं जिनमें अपनी क्षमता के अनुसार कार्य किया जा सकता है।
5- संगीत निर्देशन ः- संगीत निर्देशन का कार्यक्षेत्र अत्यंत विशाल है। संगीत की प्रत्येक विद्या में संगीतकार के लिए व्यवसाय की नयी राहें नज़र आती हैं। देशभक्ति गीत, वन्दना, पर्वोत्सव गीत, बाल-गीत, बंदिशें, सांस्कृतिक आयोजनों के गीत आदि सभी में संगीतकार की आवश्यकता अनुभव की जाती है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो पैसा और प्रसिद्धि दोनों देता है। अतः इस कार्यक्षेत्र का चयन कर जीविकोपार्जन किया जा सकता है।
6- विज्ञापन संगीत ः- इस आधुनिक व्यावसायिक युग में विज्ञापन उद्योग आकाशवाणी केन्द्रों, दूरदर्शन व टेलीविजन के विभिन्न चैनलों में अपनी चरम सीमा पर पहुंचा हुआ है, जहां विज्ञापन के स्वरूप व स्वभाव के अनुसार संगीत का प्रचुर मात्रा में प्रयोग हो रहा है। संगीत के विद्यार्थी भी उसमें अपनी सेवाएं दे सकते हैं। जिंगल, ऐनीमेटेड फिल्म कार्टून आदि में भी युवा संगीतकार अपना करियर बना सकते हं।
7- संगीत पत्रकार, समीक्षक व संपादक ः- कोई भी संगीतकार अपने कला कौशल के प्रदर्शन के पश्चात उसके लिए जन साधारण की प्रतिक्रिया अवश्य जानना चाहता है। इसके अतिरिक्त यदि कलाकारों के आलोचक भी हों तो उन्हें अपनी त्रुटियों का आभास भी हो जाता है। इन सब कार्यों की निष्पत्ति एक पत्रकार ही कर सकता है। आजकल स्थान-स्थान पर हो रहे कार्यक्रमों का अवलोकन करके उसकी आलोचनात्मक व्याख्या विभिन्न समाचारपत्रों, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, वार्षिक पत्रिकाओं में करके एक पत्रकार के रूप में जीविकोपार्जन किया जा सकता है। संगीत सम्मेलन, संगीत गोष्ठियां, विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित संगीत कार्यक्रमों के आयोजकों में संगीत समीक्षक के रूप में कार्य कर सकते हैं। ये पत्रकार, समीक्षक, आलोचक व सम्पादक आदि अर्थोपार्जन के साथ-साथ जन-कल्याण के विरुद्ध यदि कोई कार्य हो रहा हो तो उस पर तुरन्त अंकुश लगाने का कार्य भी कर सकते हैं।
8- वाद्य निर्माण व मरम्मत ः- वाद्यों के निर्माण के अभाव में सांगीतिक कार्यक्रमों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। असंख्य वाद्य निर्माता सांगीतिक वाद्यों के निर्माण द्वारा अर्थोपार्जन कर रहे हैं। आधुनिक समय में इलैक्ट्रॉनिक वाद्य जैसे इलेक्ट्रिक तानपुरा, इलेक्ट्रानिक लहरा इलेक्ट्रानिक तबला आदि का अत्यधिक प्रचलन है। इसके अतिरिक्त विदेशी यंत्र सिंथेसाइजर, इलेक्ट्रानिक ड्रम आदि विदेशी वाद्य यंत्र भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इनके प्रचार से इनके निर्माताओं व वितरकों को अच्छे व्यवसाय के साधन उपलब्ध हुए हैं तथा आगे और भी साधन उपलब्ध हो सकते हैं।
9- आकाशवाणी (रेडियो) ः- आकाशवाणी में प्रदर्शन द्वारा आजीविका प्राप्ति के सशक्त माध्यम है। आकाशवाणी में वह आर्टिस्ट तथा स्टाफ आर्टिस्ट के रूप में रोज़गार प्राप्त कर सकता है। आजकल रेडियो में एएफ़.एम. का एक ऐसा नया दौर आया है जिसमें अनेक चैनल पर सांगीतिक कार्यक्रम दिए जाते हैं। इसमें DJ (Disc Jockey), RJ(Radio Jockey), VJ (Video Jockey) के पद पर कार्य किया जा सकता है। इसमें कलाकारों के साक्षात्कार, मंच प्रदर्शन, नई-नई एलबम आदि इन सबके बारे में जानकारी भी दी जाती है।
10- ध्वनि मुद्रण (रेकॉर्डिस्ट) ः- आज संगीत के क्षेत्र में तकनीक विकसित हो गयी है। संगीत के विभिन्न क्षेत्रों में इस नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। फलस्वरूप रेकॉर्डिंग के नये-नये तंत्र, नये-नये साधन उपलब्ध हैं। ऐसी तकनीक आत्मसात करना उपयुक्त हो सकता है। अपना निजी (Sound Recording Studio) हो तो वह आर्थिक प्राप्ति का अच्छा साधन है। संगीत के साथ विद्यार्थी अगर ये तकनीक सीख सकेगा, तो दुनिया में उसे बहुत सारे अवसर उपलब्ध होंगे।
11- संगीत विपणन ः- संगीत विपणन पक्ष आज सबसे आवश्यक है क्योंकि किसी भी बात की लोकप्रियता उसके मार्केटिंग पर ही आधारित होती है। आज चाहे शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, सुगम संगीत, सूफी संगीत या भक्ति रचनायें हो, सभी कुछ बहुत लोकप्रिय हो रहा है, हजारों की संख्या में लोग इस संगीत को सुनने के लिए पहुंचते हैं। हमारे मेधावी विद्यार्थी इस क्षेत्र की सम्भावनाओं को समझकर अपने संगीत कौशल का प्रयोग कर सकते हैं और इसे जीविकोपार्जन का मार्ग बना सकते हैं।
12- वेबसाइट ः- वेबसाइट हमारे पारम्परिक संगीत में शिक्षित युवा वर्ग की जीविका का एक अपूर्व साधन बन सकता है। विश्व भर में भारतीय संगीत के प्रति रुझान बढ़ रहा है, इसे सीखने व समझने की उत्सुकता बढ़ रही है। वेबसाइट के माध्यम से भारतीय संगीत की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है तथा विदेशों तक भी पहुंचायी जा सकती है। इस प्रकार इस क्षेत्र को भी व्यवसाय के रूप में अपनाया जा सकता है।
13- संगीत चिकित्सा ः- संगीत को आरोग्य दायिनी शक्ति कहा गया है। संगीत जहां मनुष्य को मानसिक शांति प्रदान करता है, उसे तनावमुक्त करता है वहीं उसे इस क्षेत्र में व्यवसाय की राह भी दिखाता है। विदेशों में म्यूजिक थैरेपी की बहुत दिशाएं खुली हुई हैं परन्तु हमारे यहां इस क्षेत्र में संकुचित दायरा है । आज को युवा पीढ़ी इस क्षेत्र में अपनी किस्मत को आजमा सकती है। वर्तमान में संगीत चिकित्सा से सम्बन्धित शिक्षा ग्रहण करके विद्यार्थी Hospitals, general, Psychiatric schools, outpatient clinics, mental health centers, Nursing homes स्थानों पर नियुक्त होकर संगीत व्यवसाय कर सकते हैं।
उपर्युक्त कार्यों के अलावा संगीत के क्षेत्र में और भी व्यवसायिक सम्भावनाएँ हो सकती हैं जैसे संगीत नाटिका, ऑपेरा, सहगान, समूहगान, संगीत प्रेक्षागृह, तकनीक, ध्वन्यांकन प्राविधिक अभियान्त्रिक, कम्प्यूटर, उच्चानुशीलन, उद्घोषक, फ्यूजन म्यूजिक, बच्चों की शिक्षा में संगीत का प्रयोग, गीत-बन्दिशों का स्वरों मं बांधना (कम्पोजीशन), संगीत द्वारा श्रमिकों की कार्यक्षमता, उत्पादन में वृद्धि आदि के रूप में संगीत की नवीन व्यवसायिक सम्भावनाएं सामने आ रही हैं। संगीत सुनने, सीखने, सुरक्षित रखने की तकनीक में बड़ा सुधार हुआ है, सुविधायें सुलभ हो गयी है। ऐसा परिवेश निर्मित हो चुका कि नये परिवेश, नयी सम्भावनाओं के कारण भारतीय संगीत अनेकानेक विशेषताओं से समृद्ध होता जायेगा तथा अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण भारतीय संगीत न केवल अद्वितीय बल्कि शाश्वत रहेगा।
कविता जी के आलेख अत्यधिक उपयोगी हैं। उनका डाक-पता व फ़ोन नं. चाहता हूँ।
जवाब देंहटाएं*महेंद्रभटनागर
सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर
फ़ोन : ०७५१-४०९२९०८
११० बलवंतनगर, ग्वालियर — ४७४ ००२ [म.प्र.]
संगीत मेँ कौन सा कौर्स किया जा सकता है इसके स्थान कहाँ है र्कपया जानकारी देँ।
जवाब देंहटाएंसंगीत कोर्स की जानकारी देँ thankyou
जवाब देंहटाएंसंगीत का कोर्स तो हर बड़े शहरों में करवाया जाता है.
हटाएंअलबत्ता यदि आप भारत से हैं तो इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़, छत्तीसगढ़ भारत से आप संगीत में प्रथमा से लेकर बैचलर, मास्टर और डॉक्टर की डिग्री हासिल कर सकते हैं.