(बाएँ से दाएँ – आलोक भट्टाचार्य, ओम शर्मा, संतोष श्रीवास्तव, विनोद टिबरवाल, योगेंद्र आहूजा, आलोक श्रीवास्तव, डॉ. नामवर सिंह, सागर सरह...
(बाएँ से दाएँ – आलोक भट्टाचार्य, ओम शर्मा, संतोष श्रीवास्तव, विनोद टिबरवाल, योगेंद्र आहूजा, आलोक श्रीवास्तव, डॉ. नामवर सिंह, सागर सरहदी, विनोद तिवारी, प्रमिला वर्मा.)
किसी पुरस्कार का महत्व उसकी राशि से नहीं बल्कि उसका महत्व पुरस्कार देनेवाले और पुरस्कार प्राप्त करने वाले की प्रामाणिकता से तय होता है। चयन और रचनाकर्म की यही प्रामाणिकता किसी पुरस्कार के प्रति समाज में आकर्षण व विश्वास पैदा करती है। हेमंत स्मृति कविता सम्मान व विजय वर्मा कथा सम्मान ऐसे ही महत्वपूर्ण पुरस्कारों की श्रेणी में आते हैं। उक्त विचार प्रख्यात साहित्य समीक्षक व आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने हेमंत फाउंडेशन एवं राजस्थान सेवा संघ के संयुक्त तत्वावधान में मुंबई के जे.बी.नगर स्थित श्री राजस्थानी सेवा संघ प्रांगण में आयोजित विजय वर्मा कथा सम्मान तथा हेमंत स्मृति कविता सम्मान समारोह में व्यक्त किया। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2009 के लिए कथाकार श्री योगेंद्र आहूजा (दिल्ली) को उनकी कथा संग्रह अंधेरे में हँसी के लिए विजय वर्मा कथा सम्मान और गजलकार श्री आलोक श्रीवास्तव को उनकी गजल संग्रह ‘आमीन’ के लिए हेमंत स्मृति कविता सम्मान से सम्मानित किया गया। दोनों पुरस्कृत रचनाओं पर नामवर सिंह ने कहा कि इन पुस्तकों पर मौखिक टिप्पणी इनके उच्च साहित्यिक स्तर के साथ अन्याय होगा अतः मैं इन रचनाओं पर समीक्षा लिखूंगा। उन्होंने कहा कि दुष्यंत के बाद हिंदी जगत में जो एक निराशा और खालीपन की पूर्ति आमीन के आलोक ने बहुत हद तक दूर कर दिया है। यह पुस्तक अपना एक विशिष्ट स्थान बना चुका है।
पुरस्कृत रचनाकारों को स्मृति चिन्ह, शॉल, पुष्पगुच्छ व पाँच हजार रूपये की राशि देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलन व माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। तत्पश्चात प्रारंभ हुए कार्यक्रमों में सर्वप्रथम स्वागताध्यक्ष विनोद टीबडेवाला ने सभी आगंतुकों का स्वागत कर पुरस्कार वितरण में श्री झाबरमल टीबडेवाला विश्वविद्यालय, झँझनूँ द्वारा सक्रिय योगदान दिये जाने की प्रतिबद्धता की बात कही। हेमंत फाउंडेशन के महासचिव प्रख्यात कवि पत्रकार आलोक भट्टाचार्य ने पुरस्कारों के चयन की पूरी प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया कि किस तरह अंततः इन दो विजेताओं का निष्पक्ष चयन संभव हो पाया। ट्रस्ट की प्रबंध न्यासी, कथा लेखिका संतोष श्रीवास्तव ने अपने व्यक्तव्य में ट्रस्ट का परिचय देते हुए दोनों सम्मानित रचनाकारों के लिए कहा कि योगेंद्र आहूजा की कहानियाँ निराशा में अंधकार को चीरकर खुशियों की तलाश कराती हैं और आलोक श्रीवास्तव की गजलें इस छन्दमुक्त माहौल में छन्द के प्रति मोह जगाती हैं। उन्होंने अगले वर्ष से फाउंडेशन द्वारा पत्रकारिता पर एक नये पुरस्कार ‘गुलाब मदनमोहन वर्मा पत्रकारिता पुरस्कार’ की घोषणा भी की।
इसके बाद पुरस्कृत रचनाओं से कुछ चुनिंदा अंशों के मंच पर प्रस्तुतीकरण के क्रम में सबसे पहले आकाशवाणी के जाने माने उद्घोषक आनंद सिंह द्वारा ‘अंधेरे में हँसी’ कहानी संग्रह से ‘कुश्ती’ नाटक का पाठ किया गया। गायिका लता सिन्हा द्वारा गजल संग्रह ‘आमीन’ से ‘मोहब्बत’ गजल का गायन किया गया। कार्यक्रम के दौरान देवी नागरानी द्वारा स्व. हेमंत की रचना ‘मेरे रहते’ का परिचय दिया गया। साथ ही उन्होंने ‘मेरे रहते’ संग्रह से एक गजल प्रस्तुत कर मंच व श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। ख्यात पत्रकार व लेखिका तथा ट्रस्ट की सचिव प्रमिला वर्मा ने आलोक श्रीवास्तव की ‘आमीन’ पर दिल्ली के जानकीप्रसाद शर्मा द्वारा लिखित परिचयात्मक समीक्षा का पाठ किया। ‘अंधेरे में हँसी’ कहानीसंग्रह का परिचय ओमा शर्मा ने दिया। पुरस्कृत लेखक योगेंद्र आहूजा ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोई लेखक कोरे कागज का सामना करते हुए वाक्य बनाकर व विराम चिन्हों का प्रयोग कर आकांक्षाओं व भावनाओं को उकेरता है परंतु वर्तमान समय में शब्द की सत्ता पर बाहरी व भीतरी दोनों खतरे बढ रहे हैं। ऐसे में उत्सवधर्मिता व उत्तेजना से दूर रहकर अच्छे साहित्य का सृजन महती आवश्यकता है, जिसे हम सभी लेखकों को समझना होगा। गजल संग्रह ‘आमीन’ के कवि आलोक श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य को काव्यात्मक रूप देते हुए वर्तमान लेखन के संदर्भ में टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘‘करोगे याद तो हर बात याद आयेगी, पर अब तो बातों को भुलाने की भी कीमत मिलती है।’’ वर्तमान में आधुनिक कविता के दौर में गजलों को महत्व और सम्मान मिलने से उत्साहित होकर उन्होंने आगे कहा ‘अब तो खुशी के नाम पर कुछ भी नहीं रहा, जिंदगी के नाम पर कुछ भी नहीं रहा, आये थे मीर ख्वाब में, कल डाँटकर गये, क्या शायरी के नाम पर कुछ भी नहीं रहा’।
मंचस्थ अतिथियों ने अपने उद्बोधन में पुरस्कृत लेखकों की प्रशंसा करते हुए वर्तमान साहित्यिक संदर्भों की चर्चा की। नवनीत पत्रिका के संपादक विश्वनाथ सचदेव ने अपने उद्बोधन में कहा कि लेखकों के परिवार द्वारा लेखकों का सम्मान किये जाने का यह अप्रतिम उदाहरण प्रशंसनीय व अनुकरणीय है। दलित साहित्य के आंदोलन में योगेंद्र आहूजा के कहानी संग्रह की कहानियाँ नये उत्साह का संचार करेंगी। उन्होंने आगे कहा कि साहित्य से क्रांति नहीं होती बल्कि साहित्य क्रांति की जमीन तैयार करता है। साहित्य को समाज का ऐसा दर्पण बनना चाहिए जो न सिर्फ समाज के दोषों को दिखाये बल्कि उन दोषों का निराकरण भी सुझाये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध नाटककार व फिल्मकार सागर सरहदी ने अपने भाषण में कहा कि असल मुद्दों की परख करके सच्चाई को सामने लाना किसी लेखक का मूल प्रयास होना चाहिए। साथ ही एक आंदोलन चलाकर पत्रकारों और रचनाकारों को मुंशी प्रेमचंद व निराला की तरह नई चेतना का संचार करना चाहिए। कार्यक्रम के समाप्ति की ओर बढ़ने से पहले स्वागताध्यक्ष विनोद टीबडेवाला ने घोषणा की कि अगले वर्ष से पुरस्कारों की श्रेणियाँ बढा दी जाएंगी और साथ ही पुरस्कार राशि पांच गुना बढ़ाकर पचीस हजार कर दी जाएंगी।
कार्यक्रम के दौरान कई गणमान्य लेखक और साहित्यकार उपस्थित रहे इनमें प्रमुख रूप से राजस्थानी सेवा संघ के जनसंचार संस्थान के निदेशक विनोद तिवारी, दादासाहेब फालके पुरस्कार विजेता सुरेंद्र श्रीवास्तव, टी वी लाकार बृजभूषण साहनी, शंभुनाथ यादव, अनूप सेठी, हृदयेश मयंक, सुमंत मिश्र, दिव्या जैन, सुमन आहूजा, धीरेंद्र अस्थाना, शुलभा कोरे, मिलिंद जोशी, मनीषा जोशी, बिजय कुमार जैन, दिलीप गुप्ता, विजय सिंह आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में भगडका कॉलेज की प्राचार्या श्रीमती वालेचा व पत्रकार ओमपकाश सिंह का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का सफल संचालन कवि पत्रकार आलोक भट्टाचार्य ने किया और अतिथियों का आभार सोनू पाहूजा ने व्यक्त किया।
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बहुत अच्छा लेख ....पसंद आया
जवाब देंहटाएंअनिल कान्त
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