1. धन तेरस नमस्कार बच्चों , अभी त्यौहारों का मौसम चल रहा है दुर्गा पूजा, दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दू...
1.
धन तेरस
नमस्कार बच्चों ,
अभी त्यौहारों का मौसम चल रहा है दुर्गा पूजा, दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज.....खूब मजे ले रहे है आप लोग। क्यों न ले आखिर हम भारत वासी हैं और हर त्योहार को उत्साह-उल्लास से मनाना तो हमारी परम्परा है। दीपावली के लिए तो आप सब ने सुन रखा होगा कि हम क्यों मनाने है?
दीपावली से दो दिन पहले "धनतेरस " का त्यौहार भी मनाया जाता है धन का अर्थ है लक्ष्मी और तेरस का अर्थ है तेरहवाँ दिन अर्थात् यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि को मनाया जाता है इसको धन-त्रयोदशी भी कहा जाता है आपको पता है इस दिन लोग कुछ न कुछ खरीददारी अवश्य करते हैं। मुख्य रूप से बर्तन। आजकल तो सोने और चाँदी के गहने /बर्तन खरीदने का प्रचलन बढ़ रहा है और लोग इस
दिन एक-दूसरे को उपहार भी बाँटने लगे हैं। चलो आज मैं आपको वो कहानी सुनाती हूँ जिसके साथ यह त्योहार जुड़ा है :-
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समुद्र मंथन धनतेरस की सुनो कहानी
कथा बड़ी ही जानी-मानी
इन्द्र था देवलोक का भूप
अति-सुन्दर था उसका रूप
धन-धान्य था अति अपार
स्वर्ग में सजता था दरबार
हो गया उसको बहुत अभिमान
भूल गया सबका सम्मान
अहम ने उसको कर दिया अन्धा
भूल गया वो सब मर्यादा
आए इक दिन ऋषि दुर्वासा
इन्द्र से मिलने की थी आशा
पर न इन्द्र ने दिया सम्मान
हुआ ऋषि का घोर अपमान
दे दिया देवराज को श्राप
जाओ लगेगा तुमको पाप
कुछ न रहेगा तेरे पास
यह मेरा है अटल अभिशाप
अब तो इन्द्र लगा पछताने
भूल पे अपनी आँसू बहाने
दानवों को अब मिल गया मौका
दे दिया देवराज को धोखा
लिया उन्होंने स्वर्ग को जीत
इन्द्र का सुख बन गया अतीत
हो गया उसका चेहरा मलिन
बन गया वो राजा से दीन
धनवंतरि गए यूँ बीत बहुत से साल
आया वृहस्पति को ख्याल
क्यों न वह कोई करे उपाय
देवराज का कष्ट मिटाए
गया ब्रह्म विष्णु के पास
बोला मैं हूँ बहुत उदास
दुखी बड़ा है मेरा शिष्य
उज्ज्वल कर दो उसका भविष्य
सोचा उन्होंने एक उपाय
जो सागर मन्थन किया जाए
अमृत उसमें से निकलेगा
जो कोई उसका पान करेगा
हो जाएगा वह अमर
नहीं रहेगा फिर कोई डर
फिर से इन्द्र को मिलेगा राज
पर अति कठिन है यह सब काज
जो असुरों का मिल जाए साथ
तो बन जाए बिगड़ी बात
वृहस्पति ने दानवों को बुलाया
और अमृत का राज बताया
लालच में दानव आ गए
देवों के संग में मिल गए
मन्दराचल पर्वत को लाए
वासुकि नाग को रस्सी बनाए
मन्दराचल की बनी मथानी
मथने लगे सागर का पानी
सर्व-प्रथम निकला कालकुट
पी गए उसको जटा जुट
गले में अपने विष को दबाए
तभी शिव नील-कण्ठ कहलाए
उच्चश्रवा घोड़ा फिर आया
कल्पवृक्ष देवों ने पाया
कामधेनु गाय भी आई
उनके साथ फिर लक्ष्मी आई
आखिर में धनवन्तरि आया
अमृत कलश हाथों में उठाया
देव-दानवों का मन ललचाया
विष्णु ने मोहनी रूप बनाया
अमृत देवों को पिलाया
स्वर्ग उन्हें वापिस दिलवाया
तेज इन्द्र ने फिर से पाया
दुर्वासा का श्राप मिटाया
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प्यारे बच्चों, "धनवन्तरि " को देवों का वैद्य भी कहा जाता है क्योंकि उसी के दिए अमृत
से देवों को अमरता और इन्द्र को अपना खोया तेज़ वापिस मिला था
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धनतेरस की सभी को हार्दिक बधाई एवम शुभ-कामनाएँ---सीमा सचदेव
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2.नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी / छोटी दीवाली
नमस्कार बच्चों ,
आज फिर मैं आई हूँ आपके सम्मुख एक नई कहानी और जानकारी के साथ
आप तो जानते ही है कि दीवाली पाँच दिन का उत्सव है कल मैने आपको
पहले दिन "धनतेरस" की कहानी सुनाई थी आज बताऊँगी दीवाली के दूसरे
दिन का रहस्य ,जिसको "छोटी दीवाली" भी कहा जाता है इसके साथ बहुत सी
बातें जुड़ी हैं मुख्य कथा है- नरकासुर वध की इस लिए इस त्योहार को
नरक चतुर्दशी कहा जाता है इस दिन भी लोगो द्वारा दीपक जला कर घरों
को रोशन किया जाता है ,इस लिए इसे "छोटी दीवाली" भी कहते है
तो यह सुनो छोटी दीवाली की कहानी:-
छोटी दीवाली की कहानी
सुनाती थी मुझे मेरी नानी
आज मैं तुम सबको सुनाऊँ
एक नया इतिहास बताऊँ
दानव था इक नरकासुर
था वो बड़ा ही ताकतवर
राज्य उसका था विशाल
पर देवों के लिए था काल
देवों पर पा ली विजय
बन गया नरकासुर अजय
देव-माता का किया अपमान
खाली कर दिए उसके कान
अदिती माँ के कुण्डल लिए छीन
किए कार्य उसने हीन
पुत्री उसकी सोलह हजार
रखा उनको अपने दरबार
उनको अपना गुलाम बनाया
साधु सन्तों को सताया
पर बच्चों यह रखना ध्यान
ज्यादा नही चलता अभिमान
इक दिन टूट गया अहँकार
हो गया श्री कृष्ण अवतार
नरकासुर को मार गिराया
देव-कन्याओ को बचाया
सब के सन्ग में ब्याह रचाया
सबको अपनी रानी बनाया
देव-माता के ले लिए कुण्डल
स्वर्ग में फिर से हो गया मङ्गल
सबने मिलकर खुशी मनाई
छोटी दीवाली यह कहलाई
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नरकासुर, प्रज्योतिश्पुर (जो आजकल दक्षिण नेपाल में है) का राजा था
देवों की माता का नाम अदिति था
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२. बच्चों इस दिन के साथ और भी कथाएँ जुड़ी है आपको याद है ना
कुछ दिन पहले मैने आपको "ओणम" की कहानी सुनाई थी देखे लिन्क:-
वह कहानी भी इसी दिन के साथ जुडी है मै जानती हूँ आपके मन में बहुत
से प्रश्न उठ रहे होँगे कि ओणम का त्योहार तो बहुत दिन पहले था और
"छोटी दीवाली" अब आ रही है ,तो यह कहानी उससे सबन्धित कैसे ?
यही सोच रहे है न आप चलो मैं आपको बताती हूँ
इस दिन श्री विष्णु भगवान ने वामन अवतार लेकर " राजा बलि "
का वध किया था कहानी तो आप जानते ही है लेकिन फिर दया
करके "राजा बलि " को वर्ष में एक बार वापिस आने का वरदान भी
दिया था उसी वरदान के कारण राजा बलि वर्ष में एक बार जब
वापिस आते है तो "ओणम " का त्योहार मनाया जाता है
और राजा बलि का वध क्योंकि कार्तिक मास की चौदहवीं तिथि को
हुआ था ,इस लिए यह त्योहार दीपावली से एक दिन पहले
छोटी दीवाली के रूप में मनाया जाता है
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३. इस दिन के साथ एक और कथा भी सम्बन्धित है आपने श्री राम जी
की कहानी तो सुनी ही होगी कि दीपावली के दिन वह चौदह वर्ष का वनवास
काट कर अयोध्या वापिस आए थे पर क्या आपको पता है श्री राम जी ने
अपने वापिस आने से पहले हनुमान जी को अयोध्या अपने वापिस आने
का समाचार देने हेतु भेजा था और इस दिन श्री हनुमान जी ने अयोध्या
वासियों को श्री रामजी के वापिस आने का समाचार सुनाया था और लोगो
ने खुशी में घरों में दीपमाला की थी तभी इसको छोटी दीवाली कहा जाता है
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४. एक और बात इस दिन श्री हनुमान जी का जन्मोत्सव
( श्री हनुमान ज्यन्ती)भी मनाया जाता है
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५.बन्गाल में इसको " काली चौदस " कहा जाता है और
देवी माँ काली का जन्मोत्सव मनाया जाता है बडे से पण्डाल
मे माँ काली की मूर्ति प्रतिष्ठित कर धूमधाम से पूजा की जाती है
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तो बच्चो कैसी लगी आपको यह जानकारी ,बताना जरूर
आप सबको छोटी दीवाली की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएँ ......सीमा सचदेव
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3.दीपावली की शुभकामनाएँ
आई दिवाली आई दिवाली
ढेरों खुशियाँ लाई दिवाली
मिलकर खाएँगे मिठाई
लड्डू पेडे बर्फी भाई
सजेंगें घर में वन्दनवार
मिलेंगें ढेरों उपहार
महालक्ष्मी का होगा पूजन
लड्डू खाएँगे गजनन्दन
नए-नए कपड़े हम पहनेगे
घूम-घाम कर मजे करेंगें
जगमग-जगमग दीप जलेंगें
फुलझडियाँ और पटाखे चलेंगें
होगी रौशन काली रात
तम में भी होगा प्रकाश
महालक्ष्मी घर में आएगी
ढेरों खुशियाँ दे जाएगी
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भोला का सपना
आया दीपों का त्योहार
सज रहा था सारा घर-बार
देख रहा था सबकुछ भोला
जाकर वो पापा से बोला
क्यों हो रहे सब इतने तैयार
सज रहा क्यों सबका घर-बार
खूब पटाखे और मिठाई
क्यों बाज़ार में सबने सजाई
भोले भोला की भोली बात
पापा को जैसे मिली सौगात
प्यार से फिर उसको समझाया
साज-सज्जा का राज बताया
बताई राम-लखन की कहानी
कथा बडी है जानी मानी
चौदह वर्ष काटा वनवास
फिर आया था दिन यह खास
जिस दिन वो घर वापिस आए
लोगों ने घर-बार सजाए
खुशी में इसकी दीप जलाए
तो यह दीपावली कहलाए
करते महालक्ष्मी का पूजन
ताकि हो जाए माँ प्रसन्न
हो धन -धान्य की बरसात
मिट जाए अँधियारी रात
चलाएँगे फुलझडियाँ और पटाखे
सोएँगे खूब मिठाई खा के
आएगी लक्ष्मी अपने घर
देगी हमे मन चाहा वर
खुश था भोला सुन के बात
दीपावली की आएगी रात
महालक्ष्मी को वो देखेगा
जो चाहेगा वो माँगेगा
सोचते ही भोला सो गया
सुन्दर सपनो में खो गया
देखा उसने सपना अजीब
हो गए सारे लोग गरीब
लक्ष्मी नही कहीं भी आई
न ही देखी कोई मिठाई
रोने लगा यह देख के भोला
लक्ष्मी ने आ दरवाजा खोला
पूछा भोला ने क्यों नही आई ?
न ही हमको मिली मिठाई
बोली लक्ष्मी,कैसे आऊँ ?
क्या-क्या मै तुमको बतलाऊँ ?
करते सब मेरा अपमान
कितना करते है नुकसान
देती हूँ मैं इसलिए धन
ताकि सुखमय हो सबका जीवन
पर न करे अच्छा उपयोग
फैलाएँ कितने ही रोग
छोड़े सब इतने पटाखे
फैले धुआँ सब नभ में जा के
दूषित हो जाए शुद्ध वायु
हो जाए कम जीवों की आयु
ऐसी वायु में ले जो साँस
बिमारियाँ उसमे पनपे खास
होता है कितना ही शोर
सुनने में भी लगता जोर
व्यर्थ में लक्ष्मी को जलाएँ
फिर घर में पूजा करवाएँ
मै तो बसती हूँ कण-कण में
खुश होती शुद्ध पर्यावरण में
पर्यावरण जो न हो शुद्ध
तो मैं हो जाती हूँ क्रुद्ध
वहाँ पे मैं फिर नही रह पाऊँ
कभी भी फिर वापिस न आऊँ
जो मुझे बुलाना चाहते हो घर
करो सदा लक्ष्मी का आदर
न फैलाओ कोई प्रदूषण
शुद्ध रखो अपना पर्यावरण
जो सब मिलकर वृक्ष लगाओ
तो मुझे अपने घर पर पाओ
होगी जो चहुँ ओर हरियाली
तो होगी हर दिन दिवाली
मानोगे जो मेरी बात
तो मैं आऊँगी हर रात
कुछ बच्चे ऐसे भी यहाँ पर
कपड़े नही है जिनके तन पर
जिनको नही मिलता है खाना
उनके साथ त्योहार मनाना
एक बात का रखना ध्यान
खतरे में न हो किसी की जान
नही लेना कोई सस्ती मिठाई
जिसमे घटिया चीजें मिलाई
खाकर जिसको हो बीमार
करना पड़ेगा फिर उपचार
फिर मैं आऊँगी घर पर
दूँगी तुम्हें मन चाहा वर
कह कर लक्ष्मी माँ हुई ओझल
भोला की आँखें गई खुल
जाकर उसने सबको बताया
लक्ष्मी का सन्देश सुनाया
सबकी बात समझ में आई
मिलकर इक योजना बनाई
खूब लगाए पौधे मिलकर
फिर सबने अपने घर जाकर
कई सारे पकवान बनाए
भूखे बच्चों को खिलाए
दिए उनको कपड़े उपहार
मनाया दिवाली का त्योहार
.................
..................
बच्चों तुम भी रखना ध्यान
पर्यावरण न हो नुकसान
खुशी-खुशी त्योहार मनाना
अपना वातावरण बचाना
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दीपावली के पावन अवसर पर
सभी हिन्दवासियोँ को हार्दिक बधाई एवम् ढेरोँ शुभ-कामनाएँ........सीमा सचदेव
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संपर्क:
sachdeva.shubham एट yahoo.com
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