चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (समापन किश्त)

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मेरी आत्म कथा चार्ली चैप्लिन   चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा -अनुवाद : सूरज प्रकाश ( पिछले अंक 18 से जारी …) इकतीस पेरिस...

मेरी आत्म कथा

charlie chaplin

चार्ली चैप्लिन

 

चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा

-अनुवाद : सूरज प्रकाश

suraj prakash

(पिछले अंक 18 से जारी…)

इकतीस

पेरिस और रोम में प्रदर्शनों के बाद हम लंदन लौट आये और वहां पर कई सप्ताह तक टिके रहे। मुझे अभी तक अपने परिवार के लिए कोई मकान नहीं मिला था। मेरे एक मित्र ने स्विट्ज़रलैंड का सुझाव दिया। बेशक मुझे लंदन में बसना अच्छा लगता लेकिन हमें इस बात का शक था कि वहां की आबोहवा बच्चों को माफिक आयेगी या नहीं और उस समय सच कहूं तो हमारी चिंता उस धन को लेकर थी जो स्टेट्स में अटका हुआ था।

इसलिए उदासी की हल्की सी भावना लिये हमने अपना सामान समेटा और चारों बच्चों के साथ स्विट्ज़रलैंड पहुंच गये। हम अस्थायी रूप से बीउ रिवेज होटल, लाउसेन में टिके। होटल के ठीक सामने झील थी। पतझड़ के दिन थे, मौसम थोड़ा शुष्क था लेकिन पहाड़ सुंदर दिखते थे।

हमें ढंग का मकान खोजने में चार महीने लग गये थे। ऊना अपने पांचवें बच्चे को जन्म देने वाली थी। उसने साफ तौर पर कह दिया कि वह अस्पताल के बाद होटल नहीं लौटना चाहती। यही एमर्जेन्सी थी कि मुझे घर ढूंढने में जल्दी मचानी पड़ी और अंतत: हमें वेवेय से थोड़ा ऊपर कोर्सियर गांव में मनोइर दे बान में घर मिल गया। हमारी हैरानी की सीमा नहीं रही जब हमें पता चला कि ये सैंतीस एकड़ का है और इसमें बड़ी वाली ब्लैक चेरी, स्वादिष्ट ग्रीन प्लम, सेब और आड़ुओं के अलावा बहुत सारे फलों के दरख्त हैं। वहां पर सब्जियों के खेत भी थे और वहां खूब सब्जियां उगतीं। फलों और सब्जियों के मौसम में हम कहीं भी गये होते, इनका आनंद लेने के लिए खास तौर पर वापिस आते। ये लौटना तीर्थ यात्रा की तरह होता। टैरेस के सामने पांच एकड़ का लॉन था जिसमें ऊंचे शानदार दरख्त थे और वहां से दूर पहाड़ों और झील का नज़ारा नज़र आता।

मैंने बहुत सक्षम स्टाफ रखा। मिस राशल फोर्ड जो हमारा घर बार संभालती थीं और बाद में मेरी बिजनेस मैनेजर बनीं और मैडम बर्नीयर, मेरी स्विस इंग्लिश सचिव जिन्होंने इस किताब को कई बार टाइप किया।

हम जगह के फैलाव को लेकर थोड़ा सोच में थे और हैरान थे कि क्या ये हमारी आमदनी के भीतर संभाली जा सकेगी लेकिन मकान मालिक ने जो बताया, उससे हमें लगा कि हम इसे अपने बजट के भीतर संभाल सकते हैं। इस तरह से हम कोर्सियर के गांव में रहने आ गये। यहां की कुल आबादी 1350 थी।

हमें वहां के हिसाब से ढलने में एक बरस लग गया। कुछ अरसे तक बच्चे कोर्सियर के गांव वाले स्कूल में जाते रहे। उनके लिये एक समस्या खड़ी हो गयी कि अचानक सब कुछ फ्रेंच में पढ़ाया जा रहा था और हमें उस मनोवैज्ञानिक असर का भी डर था जो इससे उन पर हो सकता था। लेकिन जल्दी ही वे धड़ल्ले से फ्रेंच बोलने लगे। हम देख कर हैरान हो गये कि उन्होंने कितनी जल्दी जीवन की स्विस शैली के अनुरूप अपने आप को ढाल लिया था। यहां तक कि बच्चों की नर्सें मिस के और मिस पिन्नी भी फ्रेंच में मुश्किल महसूस करने लगीं।

और अब हमने युनाइटेड स्टेट्स से सारे संबंध तोड़ने शुरू कर दिये। इसमें काफी समय लग गया। मैं अमेरिकी काउंसुल में गया और उन्हें बताते हुए अपना री-एंट्री परमिट सौंपा कि मैंने युनाइटेड स्टेट्स में अपना घर छोड़ दिया है।

'आप वापिस नहीं जा रहे हैं चार्ली?'

'नहीं,' मैंने एक तरह से क्षमायाचना करते हुए कहा,'मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूं और अब ये सब बदतमीजियां सहन नहीं कर सकता।'

अधिकारी ने कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन कहा,'अच्छी बात है। आप कभी भी साधारण वीज़ा लेकर वहां जा सकते हैं।'

मैं मुस्कुराया और सिर हिलाया,'मैंने स्विट्ज़रलैंड में बसने का फैसला कर लिया है।' हमने हाथ मिलाये और बात वहीं खत्म हो गयी।

अब ऊना ने अपनी अमेरिकी नागरिकता छोड़ने का फैसला किया। इसलिए लंदन की यात्रा के दौरान उसने अमेरिकी दूतावास को सूचित किया। अलबत्ता, उन्होंने कहा कि सारी औपचारिकताओं को पूरा करने में कम से कम पौना घंटा लगेगा। 'क्या बकवास है?' मैंने ऊना से कहा,'ये अजीब बात है कि इसमें इतना समय लगना चाहिये। मैं तुम्हारे साथ चलता हूं।'

जब हम दूतावास में पहुंचे तो अतीत के सारे अपमान और गालियां मेरे भीतर गुब्बारे की तरह फूल गये। ये गुब्बारा किसी भी पल फट सकता था। मैंने ऊंची आवाज़ में आप्रवास विभाग के अधिकारी को बुलाने के लिए कहा। ऊना परेशानी में पड़ गयी। एक दफ्तर के दरवाजे खुले और एक आदमी बाहर आया और बोला,'हैलो चार्ली, क्या आप अपनी पत्नी के साथ ऑफिस के भीतर नहीं आयेंगे?'

उसने ज़रूर मेरे मन की बात पढ़ ली होगी क्योंकि उसने छूटते ही कहा,'कोई अमेरिकी जब अपनी नागरिकता छोड़ता है तो उसे मालूम होना चाहिये कि वह क्या कर रहा है और उसकी दिमागी हालत सही होनी चाहिये। यही वजह है कि हमने प्रश्न पूछने की यह प्रणाली रखी है। यह नागरिक के हितों की रक्षा के लिये है।'

स्वाभाविक है कि इस सब का मेरे लिये कोई मतलब नहीं था।

वह पचास की उम्र के आस पास का शख्स था। 'मैंने आपको 1911 में डेनवर में ओल्ड एम्प्रेस थिएटर में देखा था।' उसने मेरी तरफ निराशा से देखते हुए कहा।

बेशक मैं पिघल गया और हम पुराने सुनहरे दिनों की बात करने लगे।

जब काम निपट गया और अंतिम कागज़ पर हस्ताक्षर कर दिये गये और हम एक दूसरे से विदा के सुकून भरे शब्द कह चुके तो मैं इस मामले में भावनाओं की अपनी कमी के कारण थोड़ा सा उदास हो गया।

लंदन में हम अक्सर मित्रों से मिल लेते। इनमें सिडनी बर्नस्टेन, इवोर मोंटागू, सर एडवर्ड, बेडिंगटनबेहरेंस, डोनाल्ड ओल्डन स्टीवर्ट, एला विंटर, ग्राहम ग्रीन, जे बी प्रिस्टले, मैक्स रेनहार्ट और डगलस फेयरबैंक्स जूनियर आदि थे। हालांकि कुछ मित्रों से हम बहुत कम मिल पाते फिर भी उनका ख्याल राहत देता था जैसे यह जानना सुख देता है कि कहीं कोई तट है और कभी हम उस पोर्ट पर जहाज से गए तो वहां जायेंगे।

लंदन में एक बार जाने पर हमें यह संदेश मिला कि ख्रुश्चेव और बुल्गानिन क्लेरिज होटल में रूसी दूतावास द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में हमसे मिलना चाहेंगे। जब हम वहां पहुंचे तो लॉबी में इतनी भीड़ थी कि तिल धरने की जगह नहीं थी। रूसी दूतावास के एक सदस्य की मदद से हम किसी तरह जगह बनाते हुए उनकी तरफ बढ़े। अचानक सामने की दिशा से हमने ख्रुश्चेव और बुल्गानिन को आते हुए देखा। वे भी हमारी तरह रास्ता बनाते हुए आ रहे थे। और उनके चेहरे के भाव से लगता था कि वे भीड़ से तंग आ चुके हैं और वापिस लौट रहे हैं।

यह साफ देखा जा सकता था कि हताश होने के बावजूद हास्यबोध ने ख्रुश्चेव का साथ नहीं छोड़ा था। जब वे बाहर दरवाजे की तरफ जाने के लिए धक्का मुक्की कर रहे थे तो हमारे एस्कोर्ट ने उन्हें पुकारा,'ख्रुश्चेव!' लेकिन उन्होंने हाथ हिलाकर मना कर दिया। वे तंग आ चुके थे। 'ख्रुश्चेव! चार्ली चैप्लिन!!' हमारे एस्कोर्ट ने चिल्लाकर कहा। बुल्गानिन और ख्रुश्चेव दोनों ही रुके और मुड़े। उनके चेहरे खुशी से दमकने लगे। मैं बहुत खुश हुआ। कुचलती पीसती भीड़ में हमारा परिचय कराया गया। एक दुभाषिए के जरिये ख्रुश्चेव ने बताया कि रूसी लोग मेरी फिल्में कितनी अधिक पसंद करते हैं। इसके बाद हमें थोड़ी सी वोदका पेश की गयी। मुझे लगता है कि काली मिर्च की पुड़िया उसी में गिर गयी थी, लेकिन ऊना को वोदका अच्छी लगी।

हम एक छोटा सा घेरा बनाने में सफल हो गये ताकि हम सबकी फोटो खींची जा सके। शोर की वज़ह से मैं कुछ भी नहीं कह पाया। 'आइये चलें, दूसरे कमरे में चलते हैं।' ख्रुश्चेव ने कहा। भीड़ को हमारे इरादे के बारे में पता चल गया और वहां भयंकर मारा मारी शुरू हो गयी।

चार आदमियों की मदद से हमें एक निजी कक्ष में पहुंचाया गया। वहां अकेले होने पर ख्रुश्चेव और हम सब ने राहत की सांस लीं। अब मेरे पास अपने हास्य बोध को जुटा कर बात करने का मौका था। लंदन में पहुंचने के बाद ख्रुश्चेव ने हाल ही में सद्भावना पर बहुत अच्छा भाषण दिया था। यह भाषण सूर्य की किरण की तरह था और मैंने उन्हें यह बात बतायी और कहा कि इससे दुनिया भर में करोड़ों लोगों में शांति के लिए आशा का संचार हुआ है।

हमें एक अमेरिकी रिपोर्टर ने बीच में टोका,'मैं समझता हूं मिस्टर ख्रुश्चेव कि आपका बेटा कल रात शहर में मज़े कर रहा था?'

ख्रुश्चेव मुस्कुराये और मज़े लेने के लिए बोले,"मेरा बेटा गंभीर युवक है और वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बहुत मेहनत कर रहा है। लेकिन कभी-कभार वह मौज मज़ा कर लेता है। मेरा तो यही ख्याल है।'

कुछ ही पलों बाद एक संदेश आया कि मिस्टर हैरोल्ड स्टासेन बाहर खड़े हैं और मिस्टर ख्रुश्चेव से मिलना चाहेंगे। ख्रुश्चेव मेरी तरफ देख कर मज़ाक में बोले,'आपको बुरा तो नहीं लगेगा? वे अमेरिकी हैं!'

मैं हँसा,'मुझे कत्तई बुरा नहीं लगेगा।' बाद में मिस्टर और मिसेज स्टासेन और मिस्टर और मिसेज ग्रोमिको को भीतर लाया गया। ख्रुश्चेव ने तब क्षमा मांगते हुए कहा कि कुछ ही मिनटों में वे उनसे फुरसत पा लेंगे और कमरे के दूसरे कोने में स्टासेन और ग्रोमिको से बात करने के लिए चले गये।

बातचीत करने के हिसाब से मैंने मिसेज ग्रोमिको से पूछा कि क्या वे रूस वापिस जायेंगी। उन्होंने जवाब दिया कि वे अमेरिका वापिस आ रही हैं। मैंने कहा कि वे और उनके पति बहुत लम्बे अरसे तक अमेरिका में रहे हैं। वे हँसी और थोड़ा परेशान भी हुईं। उन्होंने कहा कि मुझे बुरा नहीं लगा,'मुझे वहां अच्छा लगता है।'

मैंने कहा,'मुझे नहीं लगता कि असली अमेरिका न्यू यार्क में प्रशांत के तटों पर है। व्यक्तिगत रूप से मुझे मिडल वेस्ट ज्यादा अच्छा लगता है। वहां उत्तरी और दक्षिणी डेकोटा, मिनीपोलिस और सेंट पॉल जगहें अच्छी लगती हैं। मुझे लगता है कि वही लोग सच्चे अमेरिकी हैं।'

मिसेज स्टासेन अचानक हैरान हो गयीं,'ओह, मैं कितनी खुश हूं कि आपने ये कहा। मेरे पति और मैं मिनेसोटा से ही आये हैं।' वे नर्वस हो कर हँसी और अपनी बात दोहराया,'मुझे कितना अच्छा लगा कि आपने यह बात कही।' मेरा ख्याल है कि वे यह सोच कर चल रही थीं कि मैं अमेरिका के खिलाफ ढेर सारा ज़हर उगलूंगा और उस देश से मुझे जो घाव मिले हैं, उनसे मुझमें कड़ुवाहट भर गयी है। ऐसी बात नहीं थी और अगर ऐसा होता भी तो भी मैं मिसेज स्टासेन जैसी आकर्षक महिला के सामने अपना दुखड़ा तो नहीं ही रोता।

मैं देख रहा था कि ख्रुश्चेव और उनके साथ के लोगों को बहुत देर लग रही हैं इसलिए ऊना और मैं उठे। जब ख्रुश्चेव ने हलचल देखी तो वे स्टासेन को छोड़ कर हमें गुडबाय कहने आये। जब हमने हाथ मिला लिये तो मैंने स्टासेन की एक झलक देखी। उन्होंने दीवार से पीठ सटा रखी थी और सामने की तरफ शून्य में देख रहे थे। मैंने स्टासेन की तरफ न देखते हुए सबसे विदाई ली। मुझे लगा कि इन परिस्थितियों में कूटनीति की यही मांग थी लेकिन उन्हें एक झलक भर देखने से ही मुझे वे पसंद आये।

अगली शाम ऊना और मैंने सेवाय होटल में ग्रिल में अकेले खाना खाया। जिस समय हम स्वीट डिश खा रह थे तो सर विन्स्टन चर्चिल और लेडी चर्चिल भीतर आये और हमारी मेज़ के पास खड़े हो गये। मैंने 1913 के बाद न तो सर विन्स्टन को देखा था और न ही उनसे मेरी बात ही हुई थी। लेकिन लंदन में लाइम लाइट के प्रदर्शन के बाद मुझे युनाइटेड आर्टिस्ट्स, हमारे वितरक से यह संदेश मिला था कि वे सर विन्स्टन को यह फिल्म उनके घर पर दिखाये जाने की अनुमति चाहते हैं।

बेशक, मुझे बहुत अधिक खुशी हुई थी। कुछ ही दिन बाद आभार देते हुए उनका बहुत ही प्यारा पत्र आया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि फिल्म उन्हें कितनी अच्छी लगी है। अब सर विन्स्टन हमारी म़ेज के सामने खड़े थे और हमसे कह रहे थे,'कहो, कैसे हो?' उस 'कहो, कैसे हो' में नाराज़गी का पुट था। मैं तुरंत खड़ा हो गया और मुस्कुराते हुए ऊना का परिचय कराया। उस समय ऊना खाना खाने के बाद सोने जा ही रही थी।

ऊना के चले जाने के बाद मैंने उनसे पूछा कि क्या मैंने कॉफी पीने के लिए उनकी मेज पर आ सकता हूं और मैं उनकी मेज़ पर चला आया। लेडी चर्चिल ने बताया कि उन्होंने ख्रुश्चेव के साथ मेरी मुलाकात के बारे में अखबारों में पढ़ा था।

'मेरी ख्रुश्चेव के साथ हमेशा बहुत अच्छी पटती है।' सर विन्स्टन ने कहा।

लेकिन मैं लगातार महसूस करता रहा कि सर विन्स्टन कोई घाव सहला रहे थे। बेशक 1913 के बाद बहुत कुछ घट चुका था। उन्होंने अपने असीम उत्साह और प्रेरणास्पद मार्गदर्शन से इंगलैंड को उबारा था। लेकिन मैंने सोचा कि उनकी 'आयरन कर्टन' फुल्टन स्‍पीच§ ने शीत युद्ध को बढ़ाने के अलावा और कोई काम नहीं किया था।

बातचीत मेरी फिल्म लाइमलाइट की तरफ मुड़ गयी। आखिर उन्होंने कहा,'दो बरस पहले मैंने आपको फिल्म की बधाई देते हुए एक खत भेजा था। मिला था आपको?'

'ओह, हां,' मैंने उत्साह से कहा।

'तो आपने उसका उत्तर क्यों नहीं दिया?'

'मुझे नहीं लगा कि उसका उत्तर देने की ज़रूरत थी।' मैंने क्षमायाचना करते हुए कहा।

लेकिन वे खुश नहीं हुए। वे नाराजगी से बोले,'मुझे लगा कि ये एक तरह की नाराज़गी है।'

'नहीं, नहीं बिल्कुल नहीं।' मैंने जवाब दिया।

'अलबत्ता,' उन्होंने मेरी बात को काटते हुए जोड़ा,'मुझे आपकी फिल्में हमेशा बहुत अच्छी लगती हैं।'

मैं इतने महान व्यक्ति की विनम्रता को देखकर अभिभूत था कि उन्हें दो बरस पहले के जवाब न मिले खत की भी याद थी। लेकिन मैंने कभी उनकी राजनीति में दखल नहीं दिया। चर्चिल ने कहा था कि मैं यहां पर ब्रिटिश साम्राज्य को भंग करने के लिए अध्यक्षता नहीं कर रहा हूं। ये बात भाषण कला की शैली हो सकती है लेकिन आधुनिक तथ्यों को देखते हुए ये एक निरर्थक बयान था।

ये भंग करने की कार्रवाई राजनीति, क्रांतिकारी सेनाओं, कम्युनिस्ट प्रचार, भड़काऊ भीड़ जुटाने या सड़क के किनारे दिये गये भाषणों का नतीजा नहीं है। ये तो षडयंत्रकारियों के छल कपट का नतीजा है। ये अंतर्राष्ट्रीय विज्ञापनदाता - रेडियो, टेलिविजन और मोशन फिल्में, कारें और ट्रैक्टर, साइंस के नये नये अविष्कार और गति बढ़ाये जाने और संचार की वज़ह से हुई है। यही वे क्रांतिकारी कदम रहे हैं जो साम्राज्यों के ढहने की वज़हें रही हैं।

स्विटज़रलैंड लौटने के तुरंत बाद मुझे नेहरू से एक पत्र मिला। उसके साथ उन्होंने लेडी माउंटबेटन से परिचय का नोट भेजा था। लेडी को विश्वास था कि हम दोनों में बहुत कुछ एक समान होगा। नेहरू कार्सियर के पास से गुज़रने वाले थे और शायद हम मुलाकात कर सकें। लुकेर्ने में उनके राजदूतों की वार्षिक बैठक होने वाली थी। उन्होंने लिखा था कि उन्हें अच्छा लगेगा अगर मैं वहां आऊं और वहां रात गुजारूं। अगले दिन वे मुझे मनोइर दे बान में छोड़ देंगे। इसलिए मैं लुकेर्ने चला गया।

मुझे यह देख कर हैरानी हुई कि वे भी मेरी तरह छोटे कद के आदमी थे। उनकी पुत्री मिसेज गांधी भी मौजूद थीं। वे प्यारी सी शांत महिला थीं। नेहरू मुझे व्यवहार और संवेदनशीलता के हिसाब से बहुत अच्छे व्यक्ति लगे। वे बेहद सतर्क और तारीफ करने वाले व्यक्ति थे। शुरू शुरू में वे संकोचशील लगे। हम एक साथ लुकेर्ने से चले और गाड़ी में मनोइर दे बान के लिए रवाना हुए जहां मैंने उन्हें लंच के लिए आमंत्रित किया था। उनकी पुत्री दूसरी कार में पीछे पीछे आ रही थी क्योंकि उन्हें जिनेवा जाना था। रास्ते में हम दोनों में बहुत मज़ेदार बातें हुईं। उन्होंने लॉर्ड लुईस माउंटबेटन की बहुत तारीफ की जिन्होंने भारत के वाइसराय के रूप में वहां पर इंगलैंड के हित समाप्त करने में बहुत शानदार भूमिका निभायी थी।

मैंने उनसे पूछा कि भारत किस विचारधारा की दिशा की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि दिशा चाहे कोई भी हो, ये भारतवासियों की बेहतरी के लिए है। उन्होंने बताया कि वे पहले ही पंचवर्षीय योजना शुरू कर चुके हैं। नेहरू रास्ते भर बहुत समझदारी से बात करते रहे जबकि उनका ड्राइवर कम से कम सत्तर मील प्रति घंटा या उससे ज्यादा की स्पीड से तंग सड़कों और तीखे मोड़ों पर होशियारी से गाड़ी चला रहा था। नेहरू भारत की राजनीति के बारे में समझाने में व्यस्त थे और मुझे ये बात स्वीकार करनी ही होगी, मैं कार की गति को देखता, पीछे की सीट पर बैठा इतना सहमा हुआ था कि उनकी आधी बातें सुन ही नहीं पाया। कार के ब्रेक लगते, हम आगे की तरफ लुढ़क जाते लेकिन नेहरू बिना रुके बोलते जाते। भगवान का शुक्र है कि कार आखिरकार एक चौराहे पर एक पल के लिए रुकी जहां उनकी पुत्री को हमसे विदा होना था। तभी मैंने देखा कि वे बेहद प्यारे और ख्याल रखने वाले पिता बन गये। उन्होंने अपनी बेटी को गले से लगाया और प्यार से कहा,'अपना ख्याल रखना।' मुझे लगता है कि ये शब्द पुत्री की तरफ से पिता को कहे जाते तो ज्यादा अच्छा लगता।

कोरियाई संकट के दौरान जब पूरी दुनिया एक खतरनाक मोड़ पर सांस रोके खड़ी थी, चीनी दूतावास ने फोन करके पूछा कि क्या मैं जिनेवा में चाउ एन लाइ के सामने सिटी लाइट्स के प्रदर्शन की अनुमति दूंगा? चाउ एन लाइ यह निर्णय लेने वालों की धुरी में थे कि युद्ध होगा या शांति स्थापित की जायेगी।

अगले दिन प्रधानमंत्री ने जिनेवा में हमें अपने साथ खाना खाने के लिए आमंत्रित किया। हम जिनेवा के लिए चलने वाले ही थे कि प्रधानमंत्री के सचिव ने फोन करके बताया कि महामहिम को सम्मेलन में देर हो सकती है और कि हम उनके लिए इंतज़ार न करें। वे बाद में आकर लंच में शामिल हो जायेंगे।

जब हम वहां पहुंचे तो हमारी हैरानी की सीमा न रही जब हमने चाउ एन लाइ को हमारे स्वागत में अपने घर की सीढ़ियों पर इंतज़ार करते हुए देखा। पूरी दुनिया की तरह मैं भी यह जानने के लिए बेचैन था कि सम्मेलन में क्या हुआ। इसलिए मैं उनसे पूछ बैठा। उन्होंने विश्वास के साथ मेरा कंधा थपथपाया,'सब कुछ अच्छी तरह से तय हो गया है।' कहा उन्होंने,'बस पांच मिनट पहले।'

मैंने इस बारे में कई रोचक किस्से सुने थे कि किस तरह से कम्यूनिस्टों को तीसरे दशक में भीतरी चीन में काफी अंदर तक धकेल दिया गया था और किस तरह से माओ त्से तुंग के नेतृत्व में बिखरे हुए कम्यूनिस्ट एक साथ जुटे थे और जैसे जैसे वे पीकिंग की तरफ बढ़ते गए, कारवां बढ़ता गया। उन्होंने साठ करोड़ चीनी जनता का विश्वास वापिस जीता।

चाउ एन लाइ ने उस रात हमें माओ स्ते तुंग की पीकिंग में जीत की मर्मस्पर्शी कहानी सुनायी। वहां पर दस लाख चीनी लोग उनके स्वागत में खड़े थे। एक बहुत बड़े मैदान के एक सिरे पर पंद्रह फुट ऊंचा एक बड़ा सा प्लेटफार्म बनाया गया था। जब वे पीछे से सीढ़ियां चढ़ कर ऊपर आये तो सबसे पहले उनका सिर नज़र आया। लाखों लोगों ने पूरे गले से चिल्ला कर उनका स्वागत किया और जैसे जैसे वे पूरे नज़र आते गये, ये शोर बढ़ता ही गया। जब चीन के विजेता माओ त्से तुंग ने विशाल जन समूह देखा तो एक पल के लिए खड़े रह गये तब उन्होंने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढका और फूट फूट कर रोये।

चाउ एन लाइ ने चीन की प्रसिद्ध मार्च के दौरान उनके साथ कठिनाइयों और दिल तोड़ने वाली कई घटनाओं में सांझेदारी की और जब मैं उनके मेहनती खूबसूरत चेहरे की तरफ देख रहा था तो हैरान हो रहा था कि वे कितने शांत और उŠर्जावान दिखते होंगे।

मैंने उन्हें बताया कि पिछली बार मैं 1936 में शंघाई गया था।

'ओह, हां।' उन्होंने सोचते हुए कहा,'ये हमारे कूच पर निकलने से पहले की बात है।'

'हां, अब तो आपको इतनी दूर नहीं जाना,' मैंने मज़ाक में कहा।

डिनर के समय हमने चीनी शैंपेन पी (खास बुरी नहीं थी) और रूसी लोगों की तरह कई बार जाम टकराये। मैंने चीन के भविष्य के लिए जाम उठाया और कहा कि हालांकि मैं कम्यूनिस्ट नहीं हूं, मैं चीनी जनता और सब लोगों के लिए बेहतर ज़िंदगी के लिए उनकी आशाओं और इच्छाओं में पूरे दिल से उनके साथ हूं।

वेवेय ने हमारे नये दोस्त बने। इनमें से मिस्टर एमेल रोजियर और मिस्टर मिशेल रोजियर और उनके परिवार थे और सब के सब संगीत प्रेमी थे। मैं एमेल के ज़रिये कन्सर्ट पियानोवादक क्लारा हास्किल से मिला। वे वेवेय में रहती थीं और वे जब भी शहर में होतीं क्लारा और दोनों रोजियर परिवार डिनर पर हमारे घर आते और बाद में क्लारा हमारे लिए पियानो बजातीं। हालांकि वे साठ बरस की उम्र पार कर चुकी थीं, वे अपने कैरियर के शिखर पर थीं और उन्होंने यूरोप और अमेरिका दोनों जगह धूम मचा रखी थी। लेकिन 1960 में बेल्जियम में वे एक ट्रेन के पायदान से फिसल गयीं और उन्हें असप्ताल ले जाया गया जहां पर उनकी मृत्यु हो गयी।

कई बार मैं उनके रिकार्ड बजाता हूं। उनकी मृत्यु से पहले बनाये गये रिकार्ड। इस पांडुलिपि को छठी बार लिखने का काम शुरू करने से पहले मैं बिथोवन के पियानो कन्सर्टो नम्बर 3 को लगा देता हूं। इसमें क्लारा पियानो पर हैं और मार्केविच कन्डक्ट कर रहे हैं - ये मेरे लिए सत्य की पराकाष्ठा के इतने ही निकट होते हैं जितना कला का कोई अन्य महान कार्य हो सकता है और जो इस पुस्तक को पूरा करने के लिए मेरे लिए उत्साह का स्रोत रहा है।

अगर हम अपने परिवार के साथ ही इतने व्यस्त न होते तो स्विटज़रलैंड में हमारा बहुत अच्छा सामाजिक जीवन होता। हम स्पेन की रानी और काउन्ट और काउन्टेस्ट शेवरीउ द' आंतरेगुई के काफी नजदीक रहते थे और वे लोग हमारे प्रति बहुत अच्छी तरह से पेश आते थे। इनके अलावा, पड़ोस में बहुत सारे फिल्मी सितारें और लेखक रहा करते थे। हम अक्सर जॉर्ज और बेनिटा सैंडर्स से मुलाकात कर लेते हैं और नोएल कॉवर्ड भी हमारे पड़ोसी हैं। वसंत के दिनों में हमारे कई अमेरिकी और अंग्रेज़ दोस्त हमसे मिलने आते हैं। ट्रूमैन कपोते, जो कभी कभार स्विटज़रलैंड में काम करते हैं, अक्सर आ जाते हैं। ईस्टर की छुट्टिओं के दौरान हम बच्चों को दक्षिणी आयरलैंड ले जाते हैं। ये एक ऐसी यात्रा होती है जिसकी पूरा परिवार हर वर्ष राह देखता है।

गर्मियों में हम शॉर्ट्स पहने टैरेस पर खाना खाते हैं और रात दस बजे तक संध्या वेला की रोशनी देखते बाहर बैठे रहते हैं। अचानक ही हम लंदन और पेरिस और कई बार दो घंटों की आसान यात्रा की दूरी पर वेनिस या रोम जाने का फैसला कर लेते हैं।

पेरिस में पॉल लुईस वेलर अक्सर हमारी मेहमाननवाजी करते हैं। वे हमारे खास दोस्त हैं और वे अगस्त में हमारे पूरे परिवार को एक महीने के लिए मेडेटेरियन में अपनी खूबसूरत स्टेट ला रिने जेने में आमंत्रित करते हैं। वहां बच्चों के लिए तैराकी और वॉटर स्कीइंग के भरपूर मौके होते हैं।

दोस्त अक्सर मुझसे पूछते रहते हैं कि क्या मैं युनाइटेड स्टेट्स - न्यू यार्क को मिस करता हूं। मेरा दो टूक जवाब होता है - नहीं। अमेरिका बदल चुका है; इसी तरह से न्यू यार्क भी। बड़े पैमाने पर औद्योगिक संस्थाओं, प्रेस, टेलिविजन और वाणिज्यिक विज्ञापन बाजी ने मुझे अमेरिकी जीवन शैली से पूरी तरह से दूर कर दिया है। मैं सिक्के का दूसरा पक्ष चाहता हूं। जीवन का आसान व्यक्तिगत भाव चाहता हूं। बड़ी बड़ी गलियां और आकाश छूती इमारतें नहीं जो हमेशा बड़े कारोबार और उनकी और भी बड़ी उपलब्धियों की याद दिलाती रहती हैं।

युनाइटेड स्टेट्स में अपने सभी हितों को समाप्त करने में मुझे एक बरस से भी ज्यादा का समय लग गया। वे लाइम लाइट पर मेरी यूरोपीय आय पर 1955 तक टैक्स लगाना चाहते थे। उनका दावा था कि मैं अभी भी अमेरिकी निवासी हूं। भले ही मुझे उस देश में 1952 में घुसने से मना कर दिया गया था। मेरे पास कोई कानूनी राहत नहीं थी जैसा कि मेरे अमेरिकी वकील ने बताया, मामले में अपना पक्ष रखने के लिए उस देश में वापिस जाने के मेरे बहुत कम आसार थे।

अपनी सभी अमेरिकी कंपनियों को भंग करने और अपने सभी अमेरिकी हितों के निवेश समाप्त कर लेने के बाद मैं इस स्थिति में था कि मैं उन्हें यह कह सकूं कि भाड़ में जाओ लेकिन मैं किसी दूसरे देश की रक्षा के अहसान तले नहीं रहना चाहता था। इसलिए मैंने उनके दावे से काफी कम रकम पर और जितनी राशि मुझे देनी चाहिए थी उससे काफी अधिक पर मैंने समझौता कर लिया।

युनाइटेड स्टेट्स के साथ अपने अंतिम संबंध तोड़ना दुखद था। जब हेलेन, बेवरली हिल्स वाले घर की हमारी नौकरानी ने सुना कि हम वापिस नहीं लौट रहे हैं तो उसने ये पत्र लिखा।

प्रिय मिस्टर और मिसेज चैप्लिन,

मैंने आपको कई पत्र लिखे हैं लेकिन उन्हें कभी भी डाक में नहीं डाला। ऐसा लगता है कि आप लोगों के जाने के बाद सब कुछ गलत होता चला गया है- मैंने आज तक अपने परिवार के अलावा और किसी के लिए इतनी पीड़ा नहीं भोगी है। लेकिन सब कुछ इतना अनावश्यक, बेकार और गलत होता चला गया है कि मैं इन सबसे उबर ही नहीं पा रही हूं। और जब हमें ये दुखद समाचार मिलता है, हमें ये डर था कि कभी न कभी ये समाचार आयेगा ही कि हम सब कुछ पैक कर दें - ये बिल्कुल भी संभव नहीं है, ऐसा हो ही नहीं पायेगा, हमने जो भी सामान पैक किया है, सब कुछ आंसुओं से धुल गया है और अभी भी तकलीफ से मेरा सिर दुख रहा है। मुझे नहीं पता कि आप लोग इसे किस तरह से लेंगे। प्लीज़, प्लीज़, मिसेज़ स़ी अगर आप कुछ कर सकती हैं तो मिस्टर स़ी को ये घर मत बेचने दीजिये। हरेक कमरा अभी भी अपने व्यक्तित्व को बनाये रखे हुए है, भले ही उनमें अब कालीन और पर्दे वगैरह ही बचे हैं। मैं इस घर को ले कर इतनी ज्यादा अपनेपन की भावना से भरी हुई हूं कि मैं किसी और को ये घर लेने ही नहीं दूंगी। काश, मेरे खुद के पास इतने पैसे होते, लेकिन ये सोचना ही बेवकूफी है। आप सारी फालतू चीज़ें और स्टाफ निकाल दीजिये। अगर आप चाहें तो ऐसा हो सकता है। लेकिन प्लीज़, घर को रख लीजिये। मैं जानती हूं कि मुझे ये सब नहीं कहना चाहिये लेकिन मैं अपने आपको रोक नहीं पा रही हूं। मैं कभी भी ये ख्याल नहीं छोड़ूंगी कि आप सब कभी तो लौट कर आयेंगे। मिसेज स़ी फिलहाल के लिए इतना ही काफी है। मुझे आपको तीन खत भेजने हैं लेकिन उनके लिए मुझे बड़े लिफाफे की ज़रूरत पड़ेगी। सबको मेरा प्रणाम कहियेगा और इस पैन्सिल से लिखने के कारण मुझे माफ कीजियेगा। मेरा पैन भी तो खराब हो गया है।

सादर

हेलेन

हमें अपने बटलर हेनरी से भी एक खत मिला। उसने लिखा था:

डीयर मिस्टर एंड मिसेज चैप्लिन,

मैंने अरसे से आपको नहीं लिखा है क्योंकि मुझे अपनी स्विस अंग्रेजी में अपने आपको ठीक तरह से अभिव्यक्त करने में अच्छा खासा वक्त लग गया। कुछ सप्ताह पहले मेरे साथ एक बहुत ही मज़ेदार घटना घटी। मुझे लाइम लाइट फिल्म देखने का मौका मिला। ये एक निजी प्रदर्शन था। मिस रुन्सर ने मुझे आमंत्रित किया था। वहां पर बीसेक लोग मौजूद थे। मैं सिर्फ मिस्‍टर और मिसेज सिडनी चैप्लिन, मिस रुन्सर और रौली को ही जानता था। मैंने अपने लिए सबसे पीछे वाली सीट चुनी ताकि मैं अपने ख्यालों के साथ अकेले रह सकूं। फिल्म वाकई शानदार थी। शायद मैं सबसे ज्यादा ऊंची आवाज़ में हँसा होऊंगा लेकिन सबसे ज्यादा आंसू भी मेरी ही आंखों में आये होंगे। ये मेरी देखी अब तक की सबसे अच्छी फिल्म थी। इसे लॉस एंजेल्स में कभी भी नहीं दिखाया गया। लाइम लाइट के संगीत पर आधारित कई रिकार्ड बजाये जाते हैं। बहुत कर्णप्रिय संगीत। जब मैं सुनता हूं तो जैसे बदन में बिजली दौड़ने लगती है। लेकिन ये नहीं बताया जाता कि ये संगीत रचना मिस्टर सी की है। मुझे ये जान कर सुख मिला कि बच्चों को स्विट्ज़रलैंड अच्छा लगा है। बेशक, बड़ों को किसी दूसरे देश में जा कर सेट होने में ज्यादा वक्त लगता है। मेरा तो ये कहना है कि स्विट्ज़रलैंड दुनिया के सबसे खूबसूरत देशों में से एक है। वहां पर पूरी दुनिया से अच्छे स्कूल हैं। और ये सबसे पुराना गणतंत्र भी है 1191 से। जब यहां 4 जुलाई होती है तो वहां पहली अगस्त होती है। स्वतंत्रता दिवस। हालांकि छुट्टी नहीं होती। लेकिन आप सभी पहाड़ों के ऊपर जलती आग देखेंगे। कुल मिला कर सबसे पुरतनपंथी और सबसे सम्पन्न देश। मैं वहां से दक्षिण अमेरिका के लिए 1918 में निकला था। तब से मैं दो बार वापिस गया हूं। मैंने स्विस आर्मी में भी दो बार नौकरी की है। मेरा जन्म सेंट गैलेन, स्विट्ज़रलैंड के पूर्वी हिस्से में हुआ था। बर्न में मेरा एक छोटा भाई है और एक भाई सेंट गैलन में है।

आप सबको मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं

सादर आपका

हेनरी

कैलिफोर्निया में जितने भी लोग मेरे साथ काम करते थे, अभी भी मुझे वेतन ले रहे थे लेकिन अब मेरे स्विट्ज़रलैंड का वासी बन जाने के बाद मैं उन सबको वेतन देना जारी नहीं रख सकता था। इसलिए मैंने सबके सेवा त्याग वेतन का इंतज़ाम किया और सबको बोनस दिया। इससे मुझे कुल 80,000 डॉलर खर्च करने पड़े। एडना पुर्विएंस अपना बोनस लेने के अलावा अपनी मृत्यु के दिन तक मेरे रोज़गार में रही।

मोन्स्योर वेरडाऊ के लिए कास्ट का चयन करते समय, मैंने एडना के लिए मैडम ग्रॉसने की महत्त्वपूर्ण भूमिका चुनी थी। मैं उससे बीस बरस से नहीं मिला था क्योंकि वह कभी भी स्टूडियो नहीं आती थी और ऑफिस की तरफ से उसे साप्ताहिक चेक भिजवा दिया जाता था। बाद में उसने स्वीकार किया था कि जब उसे स्टूडियो फोन कॉल मिला तो वह रोमांचित होने के बजाये डर गयी थी।

जब एडना आयी तो कैमरामैन रॉली मेरे ड्रेसिंग रूम में आया। उसने भी एडना को बीस बरस से नहीं देखा था। 'वो आयी हैं,' उसकी आंखें चमक रही थीं, 'बेशक वे पहले जैसी तो नहीं हैं लेकिन वे फिर भी गज़ब दिखती हैं।' रॉली ने बताया कि वे अपने ड्रेसिंग रूम के बाहर लॉन में इंतज़ार कर रही हैं।

मैं कोई भावुक पुनर्मिलन नहीं चाहता था इसलिए मैंने कारोबारी रुख अपनाया, मानो हम कुछ ही हफ्ते पहले मिले हों,' अरे, कैसी हो, आखिर हमने तुम्हें खोज ही लिया,' मैंने खुशी जताते हुए कहा।

धूप में मैंने देखा कि मुस्कुराते हुए उसके होंठ कांप रहे थे; तब मैंने उसे बताया कि मैंने उसे क्यों याद किया है। मैंने उसे फिल्म के बारे में बताया। 'ये तो बहुत ही शानदार प्रतीत होती है।' एडना हमेशा उत्साह में रहा करती थी।

उसने अपने पात्र के अंश पढ़ कर सुनाये। खराब नहीं था उसका पाठ। लेकिन साथ ही साथ उसकी मौजूदगी से मुझ पर पुराने दिनों की हताश करने वाली यादें हावी होने लगीं। वे दिन जब सब कुछ भविष्य के गर्भ में समाया होता था।

एडना ने अपने आपको भूमिका में झोंक दिया, लेकिन बात नहीं बनी। इस भूमिका के लिए यूरोपीय आभिजात्य की ज़रूरत थी और ये कभी भी एडना में नहीं था। उसके साथ तीन या चार दिन तक काम करने के बाद मुझे ये मानने पर मजबूर होना पड़ा कि वह इस भूमिका के लायक नहीं थी। एडना भी निराश होने के बजाये राहत ज्यादा महसूस कर रही थी। मुझसे वह दोबारा नहीं मिली और न ही उसके समाचार ही मिले जब तक उसने अपनी सेवा समाप्ति के वेतन के लिए आभार मानते हुए स्विट्ज़रलैंड में पत्र लिखा:

डीयर चार्ली,

पहली बार मैं तुम्हारी इतने बरसों पुरानी दोस्ती के लिए और तुमने मेरे लिए जो कुछ भी किया उसके लिए आभार के दो शब्द लिखने की स्थिति में हुई हूं। हमारी शुरुआती ज़िंदगी में हमारे सामने इतनी तकलीफें नज़र नहीं आतीं, और मुझे पता है कि तुम्हें अपनी तकलीफों का हिस्सा मिल चुका है। मुझे विश्वास है कि बेहद प्यारी पत्नी और परिवार के साथ तुम्हारी खुशियों का प्याला भी छलक रहा होगा।

(यहां उसने अपनी बीमारी और डॉक्टरों और नर्सों के खर्चों के बारे में लिखा था लेकिन पत्र की समाप्ति उसने एक लतीफे से की थी जैसा कि वह हमेशा किया करती थी।)

ये मैंने अभी हाल ही में सुना था: एक आदमी को रॉकेट में सीलबंद करके ऊपर आकाश में यह देखने के लिए भेज दिया गया कि देखें, ये कितने ऊपर तक जा सकता है। उससे कहा गया कि वह ऊंचाई को नापता चले। इसलिए वह गिनता रहा, 25000, 30000, 100,000, 500,000। जब वह इतने ऊपर पहुंच गया तो उसने अपने आपसे कहा, 'ओह, यीशू मसीह' तभी एक बहुत ही पतली आवाज़ ने जवाब दिया, 'येस कहिये????'

प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़ मुझे भविष्य में तुम्हारी तरफ से ज़रूर समाचार मिलें। और सुनो, यहीं वापिस आ जाओ। तुम इसी जगह से नाता रखते हो।

तुम्हारी अभिन्न और सच्ची प्रशंसक

प्यार

एडना

इन सब बरसों में मैंने एडना को कभी भी पत्र नहीं लिखा। मैं हमेशा उसके साथ स्टूडियो के जरिये सम्पर्क करता रहा। उसका अंतिम पत्र इस बात का धन्यवाद देने के लिए था कि वह अभी भी वेतन पर है।

13 नवम्बर 1956

डीयर चार्ली

मैं एक बार फिर हाज़िर हूं तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हुए और वापिस अस्पताल में। (लेबनॉन का कैडर्स)। मैं अपनी गरदन के इलाज के लिए एक्सरे ले रही हूं। इतनी तकलीफ कि इसके बाद नरक भी कुछ नहीं होगा। बेहद तकलीफदेह। अलबत्ता, मुझे जो बीमारी है, उसका यही सबसे अच्छा इलाज बताया जाता है। उम्मीद करती हूं कि सप्ताह के अंत में घर जा सकूंगी और उसके बाद आउट पेशेंट (हाय कितना मज़ेदार)। ऊपर वाले का शुक्रिया कि मेरे बाकी अंग ठीक हैं। ये रोग लोकल है। वे लोग तो यही कहते हैं। मुझे उस शख्‍स की याद आती है जो एक चौराहे पर खड़ा कागज़ की चिंदिंया उड़ा रहा था। एक पुलिस वाला आया और पूछने लगा: 'भई माजरा क्या है?' उसने जवाब दिया,'कुछ खास नहीं, बस हाथियों को दूर कर रहा हूं।'

'लेकिन इस शहर में तो कहीं हाथी हैं ही नहीं,' तो बंदे ने जवाब दिया, 'इसका मतलब मेरी तरकीब काम कर रही है, नहीं क्या?' आज के लिए मेरा यही बेवकूफी भरा लतीफा। मुझे माफ करना।

उम्मीद है, तुम और तुम्हारा परिवार खूब अच्छे से हैं और उस सब का आनंद उठा रहा है जिसके लिए तुमने इतने पापड़ बेले हैं।

हमेशा प्यार सहित

एडना

मुझे इस पत्र के मिलने के कुछ ही दिन बाद उसकी मृत्यु हो गयी थी। और इस तरह से दुनिया जवान होती है। और युवावस्था सामने आती है। और हम, जो थोड़ा सा ज्यादा जी लेते हैं, जैसे जैसे अपनी यात्रा पर आगे बढ़ते हैं, थोड़े और वैरागी हो जाते हैं।

तो! अब मैं अपनी ये राम कहानी समाप्त करता हूं। मुझे लगता है कि समय और परिस्थितियों ने मेरा साथ दिया है। मैं इस दुनिया के स्नेह, प्यार और नफरत में पलता रहा हूं। इसके बावजूद दुनिया ने मुझे अपना ज्यादा प्यार और कम नफरत दी है। मेरी जो भी कमज़ोरियां थीं, मेरा ये मानना है कि भाग्य और दुर्भाग्य बादलों की तरह आते जाते रहे हैं। मैं इस बात को जानता था इसलिए कभी भी जो कुछ बुरा हुआ मेरे साथ, उससे मुझे धक्के नहीं लगे और जो भी अच्छा होता रहा, उस पर मुझे हैरानी होती रही। मेरे जीवन की कोई लीक नहीं थी। कोई दर्शन नहीं था। हम साधु हों या शैतान, जीवन में संघर्ष तो सभी को करना ही पड़ता है। मैं विपरीत परिस्थितियों में भी डिगा नहीं। कई बार छोटी छोटी बातें मुझे व्यथित कर जाती थीं और कई बार बड़ी बड़ी घटनाएं भी मुझे छू नहीं पायीं।

जो भी हो, मेरा आज की जीवन पहले के जीवन से ज्यादा रोमांचपूर्ण है। मेरा स्वास्थ्य बहुत अच्छा है। मैं अभी भी सृजनशील हूं तथा मेरी और फिल्में बनाने की योजना है। शायद अपने लिए न भी बनाऊं, लेकिन अपने परिवार के दूसरे सदस्यों के लिए लिख और निर्देशित कर सकता हूं। उनमें से कइयों का थियेटर की तरफ रुझान है। मैं अभी भी बहुत महत्त्वाकांक्षी हूं। मैं कभी रिटायर हो ही नहीं सकता। कई चीज़ें हैं जो मैं करना चाहता हूं। सिनेमा की अपनी अधूरी पटकथाओं को पूरा करना चाहता हूं। मुझे एक नाटक लिखना और हो सके तो ओपेरा लिखना अच्छा लगेगा। देखें, समय मेरे लिए क्या तय करता है।

शॉपेनहावर ने कहा था कि, खुशी एक नकारात्मक स्थिति है- लेकिन मैं उनसे सहमत नहीं हूं। पिछले बीस बरस से मैं जानता हूं कि खुशी क्या होती है। मैं किस्मत का धनी रहा कि मुझे इतनी शानदार बीवी मिली। काश, मैं इस बारे में और ज्यादा लिख पाता लेकिन इससे प्यार जुड़ा हुआ है और परफैक्ट प्यार सारी कुंठाओं से ज्यादा सुंदर होता है क्‍योंकि इसे जितना ज्यादा अभिव्यक्त किया जाये, उससे अधिक ही होता है। मैं ऊना के साथ रहता हूं और उसके चरित्र की गहराई और सौन्दर्य मेरे सामने हमेशा नये नये रूपों में आते रहते हैं। यहां तक कि जब वह वेवेय की तंग गलियों में मेरे आगे आगे चल रही होती है तो अपनी सादगी पूर्ण गरिमा के साथ अपनी दुबली पतली सीधी काया के साथ, चल रही होती है, उसके लम्बे काले बाल जिसमें एकाध सफेद बाल नज़र आ जाता है, उसकी तरफ से प्यार और प्रशंसा की एक लहर अचानक चल कर मेरी तरफ आती है। वह इसी स्नेह की ही तो मूर्ति है। और मेरा गला रुंध जाता है।

इस तरह की खुशी के साथ, कई बार मैं सूर्यास्त के समय अपने टैरेस पर बैठ जाता हूं और दूर विस्तृत लॉन के परे झील में और उसके भी परे आश्वस्त करते से पहाड़ों की तरफ देखता हूं और इस मूड में किसी भी चीज़ के बारे में नहीं सोचता और पहाड़ों की अद्भुत स्थिरता का आनंद उठाता रहता हूं।

चार्ली चैप्लिन की फिल्में

कीस्टोन के बैनर तले बनी फिल्में

1914

मेकिंग अ' लिविंग (एक रील)

किड ऑटो रेसेस एक वेनिस (अधूरी रील)

माबेल्'स स्ट्रेंज प्रिडिक्टामेंट (एक रील)

बिटवीन शॉवर्स (एक रील)

ए फिल्म जॉनी (एक रील)

टैंगो टैंगल्स (एक रील)

हिज़ फेवरिट पास्टाइम (एक रील)

क्रुएल, क्रुएल लव (एक रील)

द' स्टार बोर्डर (एक रील)

माबेल एट द' व्हील (दो रील)

ट्वेंटी मिनट्स ऑफ लव (एक रील)

कॉट इन द' कैबरे (दो रील)

कॉट इन द' रेन (एक रील)

ए बिज़ी डे (अधूरी रील)

फैटल मैलेट (एक रील)

हर फ्रैंड द' बैंडिट (एक रील)

द' नॉकआउट (दो रील)

माबेल्'स बिज़ी डे (एक रील)

माबेल्'स मैरिड लाइफ (एक रील)

लॉफिंग गैस (एक रील)

द' प्रापर्टी मैन (दो रील)

द' फेस ऑन द' बार रूम फ्लोर (एक रील)

रिक्रीएशन (अधूरी रील)

द' मास्कुएरेडर (एक रील)

हिज़ न्यू प्रोफेशन (एक रील)

द' राउंडर्स (एक रील)

द' न्यू जेनिटर (एक रील)

दोज़ लव पैंग्स (एक रील)

डाव एंड डाइनामाइट (दो रील)

जेंटलमैन ऑफ नर्व (एक रील)

हिज़ म्युज़िकल कैरियर (एक रील)

हिज़ ट्राइस्टिंग प्लेस (दो रील)

टिल्ली'ज़ पंक्चर्ड रोमांस (छ: रील)

गैटिंग एक्वेंटेड (एक रील)

हिज़ प्रिहिस्टॉरिक पास्ट (दो रील)

द' ऐसेने फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्में

हिज़ न्यू जॉब (दो रील)

ए नाइट आउट (दो रील)

द' चैम्पियन (दो रील)

इन द' पार्क (एक रील)

द' जिट्ने एलोपमेंट (दो रील)

द' ट्रैम्प (दो रील)

बाय द' सी (एक रील)

वर्क (दो रील)

ए वूमेन (दो रील)

द' बैंक (दो रील)

शांघाईड (दो रील)

ए नाइट इन द' शो (दो रील)प

कारमैन (चार रील)

पुलिस (दो रील)

ट्रिपल ट्रबल (दो रील)

द' म्यूचुअल फिल्म्स

द' फ्लोर वॉकर (दो रील)

द' फायरमैन (दो रील)

द' वैगाबौंड (दो रील)

वन ए एम (दो रील)

द' काउंट (दो रील)

द' पॉन शॉप (दो रील)

बिहाइंड द' क्रीन (दो रील)

द' रिंक (दो रील)

ईज़ी स्ट्रीट (दो रील)

द' क्योर (दो रील)

द' इमीग्रैंट (दो रील)

द' एडवंचरर (दो रील)

द' फर्स्ट नेशनल फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्में

ए डॉग्स लाइफ (तीन रील)

द' बाँड (तीन रील)

सनीसाइड (तीन रील)

ए डे'ज़ प्लेज़र (दो रील)

द' किड (छ: रील)

द' आइडिल क्लास (दो रील)

पे डे (दो रील)

इ' पिलग्रिम (चार रील)

द' युनाइटेड आर्टिस्ट्स फिल्म्सके बैनर तले बनी फिल्में (सभी पूरी लम्बाई की फिल्में)

ए वुमैन ऑफ पेरिस

द' गोल्ड रश

द' सरकस

माडर्न टाइम्स

द' ग्रेट डिक्टेटर

मोन्स्यो वरडॉक्स

1953 लाइमलाइट

1957 द' किंग इन द' न्यू यार्क


§ अड़ियल सेंसरशिप और गोपनीयता द्वारा संचार और सूचना पर लादी गयी अभेद्य रुकावटें: इस अभिव्यक्ति को चर्चिल ने 1946 में लोकतांत्रिक और कम्यूनिस्ट देशों के बीच के फर्क को बताने के लिए इस्तेमाल किया था।

(समाप्त)

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अनुवादक परिचय व संपर्क:

सूरज प्रकाश

मूल कार्य

· अधूरी तस्वीर (कहानी संग्रह) 1992

· हादसों के बीच - उपन्यास 1998

· देस बिराना - उपन्यास 2002

· छूटे हुए घर - कहानी संग्रह 2002

· ज़रा संभल के चलो -व्यंग्य संग्रह - 2002

अंग्रेजी से अनुवाद

  • जॉर्ज आर्वेल का उपन्यास एनिमल फार्म
  • गैब्रियल गार्सिया मार्खेज के उपन्यास Chronicle of a death foretold का अनुवाद
  • ऐन फैंक की डायरी का अनुवाद
  • चार्ली चैप्लिन की आत्म कथा का अनुवाद
  • मिलेना (जीवनी) का अनुवाद 2004
  • चार्ल्स डार्विन की आत्म कथा का अनुवाद
  • इनके अलावा कई विश्व प्रसिद्ध कहानियों के अनुवाद प्रकाशित

गुजराती से अनुवाद

· प्रकाशनो पडछायो (दिनकर जोशी का उपन्यास

· व्यंग्यकार विनोद भट की तीन पुस्तकों का अनुवाद

· गुजराती के महान शिक्षा शास्‍त्री गिजू भाई बधेका की दो पुस्तकों दिवा स्वप्न और मां बाप से का तथा दो सौ बाल कहानियों का अनुवाद

संपादन

· बंबई 1 (बंबई पर आधारित कहानियों का संग्रह)

· कथा लंदन (यूके में लिखी जा रही हिन्दी कहानियों का संग्रह )

· कथा दशक (कथा यूके से सम्मानित 10 रचनाकारों की कहानियों का संग्रह)

सम्मान

· गुजरात साहित्य अकादमी का सम्मान

· महाराष्ट्र अकादमी का सम्मान

अन्य

· कहानियां विभिन्न संग्रहों में प्रकाशित

· कहानियों के दूसरी भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित

· कहानियों का रेडियो पर प्रसारण और

· कहानियों का दूरदर्शन पर प्रदर्शन

कार्यालय में

· पिछले 32 बरस से हिन्दी और अनुवाद से निकट का नाता

· कई राष्ट्रीय स्तर के आयोजन किये

वेबसाइट: http://www.geocities.com/kathalar_surajprakash

चिट्ठे: http://soorajprakash.blogspot.com  तथा

http://kathaakar.blogspot.com

ईमेल : kathaakar@gmail.com

mobile : 9860094402

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COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. बेहतरीन रही यह श्रृंख्ला. बधाई एवं आभार.

    निवेदन

    आप लिखते हैं, अपने ब्लॉग पर छापते हैं. आप चाहते हैं लोग आपको पढ़ें और आपको बतायें कि उनकी प्रतिक्रिया क्या है.

    ऐसा ही सब चाहते हैं.

    कृप्या दूसरों को पढ़ने और टिप्पणी कर अपनी प्रतिक्रिया देने में संकोच न करें.

    हिन्दी चिट्ठाकारी को सुदृण बनाने एवं उसके प्रसार-प्रचार के लिए यह कदम अति महत्वपूर्ण है, इसमें अपना भरसक योगदान करें.

    -समीर लाल
    -उड़न तश्तरी

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नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद 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तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया 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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (समापन किश्त)
चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (समापन किश्त)
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