मेरी आत्म कथा चार्ली चैप्लिन चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा -अनुवाद : सूरज प्रकाश ( पिछले अंक 8 से जारी …) पन्द्र...
मेरी आत्म कथा
चार्ली चैप्लिन
चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा
-अनुवाद : सूरज प्रकाश
(पिछले अंक 8 से जारी…)
पन्द्रह
पहले विश्व युद्ध की शुरुआत में आम राय यही बन रही थी कि ये युद्ध चार महीने से ज्यादा नहीं चलेगा क्योंकि आधुनिक युद्ध का विज्ञान मानव जीवन का इतना अधिक संहार कर बैठेगा कि मानवता इस बर्बरता को रोकने के लिए त्राहि माम त्राहि माम कर उठेगी। लेकिन हम गलती पर थे। इसलिए हम पागलपन भरे विनाश और पाश्विक नर संहार की भूल भुलइंया में घिर गये और ये सब मानवता को हैरान करते हुए चार बरस तक चलता रहा। हमने विश्व के अनुपात को तोड़ना मरोड़ना शुरू किया था और हम उसे रोक ही नहीं पाये। हज़ारों लाखों लोग आपस में लड़ मर रहे थे और लोगों ने ये सवाल पूछना शुरू कर दिया था कि आखिर ये लड़ाई क्यों और कैसे शुरू हुई थी। जो स्पष्टीकरण दिये जा रहे थे, वे बहुत स्पष्ट नहीं थे। कोई कह रहा था कि ये सब एक आर्क ड्यूक की हत्या से शुरू हुआ था, लेकिन ये इतनी बड़ी वजह नहीं थी कि जिसके कारण दुनिया में भीषण अग्नि कांड होता। लोगों को ज्यादा विश्वसनीय कारण चाहिये था। इसके बाद यह कहा गया कि ये सारी लड़ाई इसलिए हो रही थी ताकि दुनिया को लोकतंत्र के लिए और अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। हालांकि कुछ ऐसे थे जिनके पास दूसरों की तुलना में लड़ने की कम वजहें थीं, फिर भी जितने लोग मर रहे थे वे घिनौने लोकतांत्रिक तरीके से मर रहे थे। जैसे-जैसे लाखों लोग मौत के घाट उतारे जा रहे थे, शब्द "लोकतंत्र" और अधिक उछाला जा रहा था। नतीजा यह हुआ कि तख्ते पलट दिये गये और जनतंत्र स्थापित किये गये और पूरे यूरोप का ही चेहरा बदल दिया गया।
लेकिन 1915 में अमेरिका ने ये आरोप लगाया कि "उसका आत्म सम्मान इतना ज्यादा है कि वह लड़ेगा नहीं।" इससे देश को एक नये गीत मैंने अपने बच्चे को सैनिक बनने के लिए बड़ा नहीं किया (आइ डिड नॉट रेज़ माइ बॉय टू बी सोल्जियर) के लिए सूत्र मिल गया। ये गाना आम जनता में बहुत लोकप्रिय हो गया लेकिन तब तक लूसिटानिया की हार हो गयी और इस घटना ने एक नये गीत को जनम दिया। किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी और न ही किसी चीज़ का राशन ही किया गया था। रेड क्रॉस के लिए बाग बगीचों में लगाये जाने वाले मेले-ठेले और पार्टियां आयोजित की जाती थीं और ये सामजिक मेल मिलापों के लिए एक बहाना थीं। ऐसे ही एक आयोजन में एक मोहतरमा ने एक बहुत ही भव्य डिनर में सिर्फ मेरे साथ वाली सीट पर बैठने के लिए रेड क्रॉस को बीस हज़ार डॉलर का चंदा दिया। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, युद्ध की घिनौनी सच्चाई से घर-घर वाकिफ हो चला था।
1918 के शुरू होते न होते अमेरिका ने दो लिबर्टी बांड मुहिम शुरू कीं और अब मैरी पिकफोर्ड, डगलस फेयरबैंक्स और मुझसे अनुरोध किया गया कि हम वाशिंगटन में तीसरी लिबर्टी बांड मुहिम का आधिकारिक रूप से श्रीगणेश करें।
मैं फर्स्ट नेशनल के लिए अपनी पहली पिक्चर द डॉग्स लाइफ लगभग पूरी कर चुका था और चूंकि मैं इस बात का वचन दे चुका था कि इसे बाँड के समय पर ही रिलीज करूंगा, मैं लगातार तीन दिन और तीन रात तक बैठ कर फिल्म का संपादन करता रहा। जिस समय मैंने संपादन का काम पूरा किया तो मैं थका-हारा ट्रेन में सवार हो गया और लगातार दो दिन तक सोता रहा। जब मेरी नींद खुली तो हम तीनों अपना-अपना भाषण लिखने में जुट गये। चूंकि मैंने कभी पहले कोई गम्भीर भाषण नहीं लिखा था, मैं बहुत नर्वस था, इसलिए डगलस ने सुझाव दिया कि तुम इसे रेल स्टेशनों पर हमें देखने के लिए उमड़ने वाली भीड़ पर ही क्यों न आजमाओ। किसी बीच के स्टेशन पर ट्रेन रुकनी थी और निरीक्षण वाले डिब्बे के पिछवाड़े की तरफ काफी भीड़ जमा हो गयी थी। वहीं पर डगलस ने मैरी का परिचय दिया और मैरी ने छोटा-सा भाषण दिया। तभी मेरा परिचय कराया गया। अभी मैंने भाषण देना शुरू ही किया कि ट्रेन चल पड़ी। जैसे-जैसे ट्रेन भीड़ से दूर होती जा रही थी, मैं और अधिक मुखर और ड्रामाई होता जा रहा था, जैसे जैसे भीड़ कम होती जा रही थी, मेरा आत्म विश्वास नयी ऊंचाइयां छूता जा रहा था।
वाशिंगटन की गलियों में हमने राजाओं की तरह फेरियां लगायीं और वहां से हम फुटबॉल के मैदान में पहुंचे। वहीं पर हमने अपने शुरुआती भाषण देने थे।
वक्ताओं के लिए जो मंच बनाया गया था वह कच्चे बोर्डों का था और उस पर चारों तरफ झंडे और पताकाएं लगी थीं। थल सेना और जल सेना के जो प्रतिनिधि हमारे आस-पास खड़े थे, उनमें एक लम्बा, खूबसूरत नौजवान था। हमने आपस में बातचीत शुरू कर दी। मैंने उसे बताया कि मैंने पहले कभी भाषण नहीं दिया है और मुझे बहुत घबराहट हो रही है।
"इसमे घबराने की क्या बात!" उसने आत्मविश्वास के साथ कहा,"अपने कंधे के पीछे से उन्हें बस बता दो कि वे अपने लिबर्टी बाँड खरीदें। बस, ज्यादा मज़ाकिया बनने की कोशिश मत करना।"
"चिंता मत करो!" मैंने व्यंग्य से कहा।
मैंने जल्द ही सुना कि मेरा परिचय दिया जा रहा है। मैं फेयरबैंक्स की-सी अदा के साथ मंच की तरफ बढ़ा और इससे पहले कि एक मक्खी भी उड़ सके, मैंने धूंआधार गोले बरसाना शुरू कर दिया। मैं सांस लेने के लिए भी नहीं रुक रहा था,"जर्मन आपके दरवाजे पर हैं। हमें उन्हें रोकना ही होगा और अगर आप लिबर्टी बाँड खरीदेंगे तो हम उन्हें रोक लेंगे। याद रखिये, आपके खरीदे गये एक-एक बाँड से एक-एक सैनिक की जान बचेगी। माँ का एक-एक लाल बचेगा। इससे लड़ाई जल्दी खत्म हो जायेगी और हम जीत जायेंगे।" मैं इतनी तेज़ी से और इतने उत्साह से बोला कि मैं मंच से ही फिसल गया, मैरी ड्रेस्लर को थामा और उसे गोद में लिये दिये अपने उस युवा खूबसूरत नये दोस्त के ऊपर जा गिरा। वह युवक और कोई नहीं, जलसेना के सहायक सचिव फ्रैंकलिन डी रूजावेल्ट थे।
सरकारी रस्म निपट जाने के बाद हमें व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति विल्सन से मिलना था। जिस वक्त हमें ग्रीन रूम में ले जाया गया, हम उत्तेजना और उत्साह से भरे हुए थे। अचानक ही दरवाजा खुला और एक सचिव ने भीतर झांका और फुर्ती से बोला,"आप ज़रा एक कतार में खड़े हो जायें और कृपया एक कदम आगे आ जायें।" इसके बाद राष्ट्रपति महोदय आये।
मैरी पिकफोर्ड ने शुरुआत की,"जनता की दिलचस्पी बहुत संतुष्ट करने वाली थी मिस्टर प्रेसिडेंट, और मुझे विश्वास है कि बाँड की मुहिम नयी ऊंचाइयों को छूएगी।"
"ये सचमुच थी और रहेग़ी" मैंने पूरी तरह से भ्रमित होते हुए बीच में टंगड़ी मारी।
प्रेसिडेंट ने मेरी तरफ संदेह से देखा और अपने मंत्रिमंडल के एक मंत्री के बारे में एक लतीफा सुनाया कि किस तरह से उसे उनकी व्हिस्की पसंद आती थी। हम सब विनम्रता से हँसे और वहां से रवाना हो गये।
डगलस और मैरी ने बाँड बिक्री की अपनी मुहिम के लिए उत्तरी क्षेत्र चुना जबकि मैंने दक्षिणी क्षेत्र चुना। इसकी वजह ये थी कि मैं उस तरफ कभी नहीं गया था। मैंने लॉस एंजेल्स से अपने एक मित्र रॉब वैग्नर को अपने मेहमान के रूप में मेरे साथ साथ चलने के लिए बुलवा लिया। वह पोर्ट्रेट पेंटर और लेखक था।
धूमधाम से की गयी विज्ञापनबाजी मज़ेदार थी और मैंने इसे खूब होशियारी से संभाला। हमने लाखों डॉलर के बांड बेचे।
उत्तरी कैरोलिना के एक शहर में स्वागत समिति का अध्यक्ष एक बड़ा व्यवसायी था। उसने इस बात को स्वीकार किया कि उसने स्टेशन पर दस छोकरे लगा छोड़े थे जो मेरे आगमन पर मुझ पर सड़े अंडे फेंकते लेकिन स्टेशन हम जब उतरे तो हमारी गम्भीर यात्रा के मकसद को देखते हुए उसने अपना इरादा बदल लिया था।
उसी सज्जन ने हमें डिनर पर आमंत्रित किया। उस डिनर में युनाइटेड स्ट्टेस के कई जनरल मौजूद थे। इनमें जनरल स्कॉट भी थे जो जाहिर तौर मेजबान को पसंद नहीं करते थे। डिनर के दौरान जनरल ने अपने मेज़बान के बारे में कहा, "हमारे मेज़बान और केले में क्या फर्क है?" थोड़ा सा तनाव पैदा हो गया। "हां, आप केले को छील सकते हैं।"
दक्षिणी अमेरिका की सजन्नता की मूर्ति के दर्शन किये मैंने आगस्ता, जॉर्जिया में। जज हैन्शॉ, बाँड समिति के अध्यक्ष वाकई सज्जनता की सौम्य मूर्ति थे। उनसे हमें इस आशय का खत मिला था कि चूंकि हम लोग मेरे जन्म दिन के मौके पर आगस्ता में होंगे, उन्होंने कंट्री क्लब मेरे लिए एक पार्टी का आयोजन किया है। मैं ये कल्पना कर रहा था कि मैं एक बहुत बड़ी भीड़ के केन्द्र में होऊंगा और वहां छिटपुट बातचीत चलती रहेगी, और चूंकि मैं थका हुआ था, मैंने यही बेहतर समझा कि मना ही कर दूं और सीधे ही होटल चला जाऊं।
आम तौर पर जब हम स्टेशन पर पहुंचते थे, वहां पर बहुत बड़ी संख्या में लोग हमारी अगवानी के लिए आये होते और स्थानीय ब्रास बैंड बजाया जाता। लेकिन आगस्ता स्टेशन पर कोई भी मौजूद नहीं था, सिवाय न्यायमूर्ति हैन्शॉ के। उन्होंने काला पोंगी कोट पहना हुआ था और पुराना, धूप से रंग उड़ा पैनामा हैट लगाया हुआ था। वे शांत और विनम्र थे। अपना परिचय देने के बाद वे मेरे और रॉब के साथ एक पुरानी सी घोड़ा गाड़ी में होटल की तरफ चले।
कुछ देर तक हम शांत चलते रहे। अचानक ही न्यायमूर्ति ने मौन भंग किया,"आपकी कॉमेडी के बारे में जो सबसे अच्छी बात लगती है, वो ये है कि आप जानते हैं कि मानव शरीर का सबसे अधिक अशोभनीय अंग उसके चूतड़ हैं और आपकी कॉमेडी फिल्में इसे सिद्ध कर देती हैं। जब आप किसी मोटे से शख्स के चूतड़ पर लात जमाते हैं तो आप उसे उसकी सारी मर्यादा से वंचित कर देते हैं। यहां तक कि आप अगर किसी राष्ट्रपति के उद्घाटन कार्यक्रम में भी आ कर राष्ट्रपति के पीछे आयें और आकर उसे पीछे से एक लात जमा दें तो उसकी सारी भव्यता निकाल का हाथ में धर देंगे। हम धूप में ड्राइव कर रहे थे और वे अपना सिर सनक भरे तरीके से हिला रहे थे। अपने आप से बातें करते हुए,"इसके बारे में कोई शक नहीं है कि गुदा ही आत्म सजगता का आसन होती है।"
मैंने रॉब को टहोका मारा और फुसफुसाया, "लो शुरू हो गयी जन्मदिन की पार्टी।"
पार्टी उसी दिन थी जिस दिन बैठक थी। हैन्शॉ ने अपने तीन और दोस्तों को आमंत्रित कर रखा था। उन्होंने इस बात के लिए क्षमा मांगी कि पार्टी बहुत ही छोटी है। वे कहने लगे कि वे स्वार्थी हैं और चाहते हैं कि हमारा आनंद अकेले ही भोगें।
गोल्फ क्लब बहुत ही खूबसूरत बना हुआ था। हरे लॉन पर ऊंचे दरख्तों की छायाएं बहुत ही कमनीय नज़ारा पेश कर रही थीं। हम छ: लोग एक टैरेस पर एक गोल मेज पर मोमबत्तियों से सजे जन्म दिन के केक के चारों तरफ बैठे।
न्यायमूर्ति जिस वक्त अजवाइन चुभला रहे थे, उन्होंने रॉब पर और मुझ पर एक निगाह डाली,"मुझे नहीं पता कि आप आगस्ता में बहुत ज्यादा बाँड बेच पायेंगे या नहीं, क्योंकि मैं चीज़ें बेचने में बहुत अच्छा नहीं हूं। अलबत्ता, मेरा ख्याल है कि शहर भर को आपके आने की खबर है।"
मैंने आसपास के सौन्दर्य को भीतर उतारना शुरू कर दिया।
"हां, एक बात है। बस, एक ही चीज़ की कमी है। टकसाली शराब की," वे कहने लगे।
इस जुमले से बातचीत का सिलसिला इस तरफ मुड़ गया कि शराबबंदी होनी चाहिये या नहीं होनी चाहिये। "अगर चिकित्सा संबंधी पत्रिकाओं की बात मानें तो शराबबंदी से लोगों की सेहत पर असर पड़ेगा। ऐसी पत्रिकाओं का यह मानना है कि अगर लोग व्हिस्की पीना बंद कर दें तो पेट के अल्सर की बीमारियां बहुत कम हो जायेंगी।" रॉब ने अपनी बात रखी।
लगा कि जज महोदय इस टिप्पणी से नाराज़ हो गये,"जहां तक पेट का सवाल है, उस सिलसिले में तो आप व्हिस्की की बात तो करो ही नहीं। व्हिस्की आत्मा की खुराक है।" तब वे मेरी तरफ मुड़े,"चार्ली, ये आपका उनतीसवां जन्म दिन है, और अभी तक आपने शादी नहीं की?"
"नहीं," मैं हँसा,"और आपने भी तो नहीं की।"
"नहीं," वे उत्साह से मुस्कराये,"मैंने बहुत सारे तलाक के मामलों की सुनवायी की है। इसके बावजूद अगर मैं एक बार फिर जवान हो जाता तो ज़रूर शादी कर लेता। कुंवारा रहना अकेलापन देता है। अलबत्ता, मैं तलाक में विश्वास रखता हूं। मेरा ख्याल है कि मैं शायद जॉर्जिया में सबसे ज्यादा नापसंद किया जाने वाला जज हूं। अगर दो लोग एक साथ नहीं रह सकते तो उन्हें एक साथ नहीं रहने दूंगा।"
कुछ पलों के बाद रॉब ने घड़ी देखी और कहा,"अगर बैठक साढ़े आठ बजे शुरू होती है तो, हमें जल्दी करनी चाहिये।"
जज महोदय अभी भी अजवाइन के दाने आराम से चुभला रहे थे,"अभी भी बहुत समय है। मेरे साथ चुहलबाजी करते रहो। मुझे गप्प गोष्ठी अच्छी लगती है।"
बैठक के लिए जाते समय रास्ते में हम एक छोटे से पार्क में से हो कर गुज़रे। वहां पर सेनेटरों की बीसेक मूर्तियां लगी होंगी। ये सारे के सारे बेहद दर्प से भरे लग रहे थे। कुछेक ने अपना हाथ पीछे की तरफ कर रखा था और बाकी अपनी कूल्हे पर टिके हुए थे और हाथ में एक छड़ी थामे थे। मज़ाक ही मज़ाक में मैंने कहा कि वे जिन पैंटों पर पीछे से लात जमाने की बात कर रहे थे, ये सब के सब मेरी कॉमेडी में लात मारे जाने के लिए एक दम सही प्रतिमाएं हैं।
"हां," वे लापरवाही से बोले,"इन सब की गुदा में गू भरा हुआ है और इनके ऊंचे मकसद हैं।"
उन्होंने हमें अपने घर पर आमंत्रित किया। बहुत सुंदर जॉर्जियन घर जहां पर वाशिंगटन "सचमुच सोये" थे। घर में अट्ठारहवीं शताब्दी का एंटीक फर्नीचर लगा हुआ था।
"कितना खूबसूरत!" मैंने कहा।
"हाँ, सो तो है, लेकिन बिना बीवी के ये घर आभूषणों के खाली डिब्बे की तरह है। इसलिए मैं इसे देर तक खाली नहीं छोड़ता, चार्ली।"
दक्षिण में हम कई मिलिटरी कैम्पों में गये और हमने कई निराश और हताश चेहरे देखे। हमारे दौरे का क्लाइमैक्स न्यू यार्क में वॉल स्ट्रीट में सब-ट्रेजरी के बाहर अंतिम बाँड मुहिम थी। वहां पर हमने, मैरी, डगलस और मैंने बीस लाख डॉलर से भी ज्यादा के बाँड बेचे।
न्यू यार्क के हालात हताश करने वाले थे। मिलिटरी के तंत्र की काली छाया हर कहीं थीं। इससे कहीं भी कुछ भी बचा हुआ नहीं था। अमेरिका आज्ञाकारिता के सांचे में ढला हुआ था और युद्ध के धर्म के आगे सारे धर्म फीके पड़ गये थे। मैडिसन एवेन्यू के मनहूस गहरे संकरे दर्रे के साथ-साथ मिलिटरी बाँड की नकली चमक-धमक भी हताश करने वाली होती। मैं अपने होटल की बारहवीं मंज़िल की खिड़की में से उन्हें विदेश जाने के लिए अपनी टुकड़ी की तरफ जाते हुए देखता रहता।
सारे माहौल के बावज़ूद बीच-बीच में हँसी के पल आ ही जाते। बॉल पार्क में न्यू यार्क के गवर्नर को सलामी देते हुए सात ब्रास बैंड गुज़रने वाले थे। ऊल-जुलूल किस्म के बैज लगाये हुए विल्सन मिज्नर स्टेडियम के बाहर प्रत्येक बैंड को रोकता और गवर्नर के ग्रैंड स्टैंड के सामने से गुज़रते हुए उसे राष्ट्रीय गीत गाने के लिए कहता। गवर्नर और दूसरे सब लोग जब चार बार खड़े हो चुके तो उसने यह ज़रूरी समझा कि वह बैंडों को पहले से राष्ट्रीय गीत शुरू करने के लिए कहे।
तीसरे लिबर्टी ऋण मुहिम के लिए लॉस एंजेल्स छोड़ते समय मैं मैरी डोरो से मिला। वे पैरामाउंट पिक्चर्स में काम करने के लिए हॉलीवुड आयी थीं। वे चैप्लिन की प्रशंसक थीं। उन्होंने काँसटेंस कॉलियर से कहा कि वे हॉलीवुड में जिस इकलौते शख्स से मिलना चाहती हैं, वह है चार्ली चैप्लिन। उन्हें इस बात का रत्ती भर भी ख्याल नहीं था कि मैं लंदन में ड्यूक ऑफ यॉर्क थियेटर में उनके साथ अभिनय कर चुका था।
सो मैं मैरी डोरो से दोबारा मिला। ये मिलना किसी रोमांटिक नाटक के दूसरे अंक की तरह था। जब कोंसटांस ने मेरा परिचय करा दिया तो मैं बोला,"लेकिन मोहतरमा, हम पहले भी मिल चुके हैं। आपने मेरा दिल तोड़ा था। मैं आपसे मौन प्रेम किया करता था।"
मैरी, हमेशा की तरह खूबसूरत लगती हुईं, लम्बी कमानी के अपने चश्मे में से मेरी तरफ देखते हुए बोलीं, "हाय, कितना थ्रिलिंग।"
तब मैंने उन्हें विस्तार से बताया कि मैं शारलॉक होम्स में बिली बना करता था।
बाद में हमने बाग में खाना खाया। ये ग्रीष्म ऋतु की एक गर्म शाम थी और मोमबत्ती की रोशनी में मैं उन्हें उनके मौन प्रेम में पागल एक नवयुवक की कुंठाओं के बारे में बताता रहा। मैंने उन्हें बताया कि ड्यूक और यार्क थियेटर में मैं उन पलों की टाइमिंग इस तरह से किया करता था कि जब वे अपने ड्रेसिंग रूम से निकलें तो मैं उन्हें सीढ़ियों पर ही मिलूं और गुड ईवनिंग कहूं। हम लंदन और पेरिस के बारे में बातें करते रहे। मैरी को पेरिस अच्छा लगता था और हम बिस्त्रा की, कैफे की और मैक्सिम की और चैम्प्स इलिसिस की बातें करते रहे।
और अब मैरी न्यूयार्क में थीं। और जब उन्हें पता चला कि मैं रिट्ज में ठहरा हुआ हूं, उन्होंने अपने अपार्टमेंट में मुझे शाम के खाने पर आमंत्रित करते हुए एक खत लिखा था। पत्र कुछ इस तरह से था:
चार्ली डीयर,
मेरा चैम्प्स इलिसिस (मैडिसन एवेन्यू) से थोड़ा हट कर अपना अपार्टमेंट है जहां हम एक साथ खाना खा सकते हैं या मैक्सिम (द कॉलोनी) में जा सकते हैं। उसके बाद हम अगर आप चाहें तो हम बोइस (सेन्ट्रल पार्क) में ड्राइव कर सकते हैं।
अलबत्ता, हमने इनमें से कुछ भी नहीं किया, लेकिन मैरी के अपार्टमेंट में अकेले एकांत में खाना खाया।
मैं लॉस एजेंल्स में लौट आया और एथलेटिक क्लब में फिर से अपना मकान ले लिया और अपने काम के बारे में सोचना शुरू किया। ए डॉग्स लाइफ ने कुछ ज्यादा ही वक्त ले लिया था और मैंने जितनी उम्मीद की थी, उससे कहीं ज्यादा खर्च उस पर हो गया था। अलबत्ता, खर्च को ले कर मैं ज्यादा परेशान नहीं था क्योंकि मेरे करार के खत्म होने पर औसत ठीक हो ही जाता। लेकिन मेरी चिंता थी कि मुझसे अपनी दूसरी फिल्म के लिए आइडिया कहां से मिले। तब मेरे मन में एक ख्याल आया, क्यों न युद्ध पर एक कॉमेडी बनायी जाये। मैंने अपने इरादे के बारे में कई मित्रों को बताया। लेकिन सबने अपने सिर हिला दिये। डे मिले ने कहा,"इस वक्त युद्ध का मज़ाक उड़ाना खतरनाक हो सकता है।" खतरनाक हो या न हो, इस ख्याल ने ही मुझे उत्तेजित कर दिया।
मूल रूप से यह योजना बनायी गयी थी कि शोल्डर आर्म्स पांच रील की बनायी जायेगी। इसकी शुरुआत में अपने वतन में ज़िंदगी (होम लाइफ) दिखायी जाती, मध्य में युद्ध होता और अंत वाले अंश में खाने पीने की पार्टीबाजी दिखायी जाती जिसमें यूरोप के सारे के सारे राजे महाराजे कैसर को पकड़ने के अपने वीरतापूर्ण कारनामे के जश्न मना रहे हैं। और हां, अंत में मेरी नींद खुल जाती है।
युद्ध के पहले के और बाद के दृश्य छोड़ दिये गये। जश्न वाली पार्टी के दृश्य कभी नहीं फिल्माये गये। अलबत्ता, शुरुआत के दृश्य ज़रूर फिल्माये गये थे। कॉमेडी संकेतों में अपनी बात कहती थी। उसमें एक चार्लोट को दिखाया गया था कि वह अपने चार बच्चों के साथ घर वापिस लौट रहा है। वह उन्हें एक पल के लिए छोड़ता है, और मुंह पोंछता हुआ और डकार लेता हुआ वापिस आता है।
वह घर में प्रवेश करता है और तभी अचानक ही एक फ्राइंग पैन तस्वीर में आता है और उसके सिर से टकराता है। उसकी बीवी को बिल्कुल भी दिखाया नहीं जाता है लेकिन रसोई में अलगनी पर एक बहुत बड़ी-सी शमीज़ लटकती दिखायी जाती है जिससे बीवी की वृहद् काया का पता चलता है। अगली दृश्यावली में दिखाया जाता है कि सेना में भर्ती के लिए उसकी जांच की जा रही है और उसे सारे कपड़े उतारने के लिए कहा जाता है। टेढ़े कटे कांच के दरवाजे पर वह एक नाम देखता है - डॉक्टर फ्रांसिस। दरवाज़ा खोलने के लिए एक छाया उभरती है और यह सोच कर कि ये कोई महिला है, वह दूसरे दरवाजे से सरक जाता है और अपने आप को कांच के पार्टीशनों के घिरे दफ्तरों की भूल भुलइंया में पाता है जहां बहुत सी महिला क्लर्क अपने-अपने काम में लगी हुई हैं। जैसे ही एक महिला सिर उठाकर उसे देखती है, वह जल्दी से एक डेस्क के पीछे छिप जाता है। लेकिन उसे पता चलता है कि वह दूसरी औरत के सामने पड़ गया है। आखिरकार एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक बचते बचाते वह और ज्यादा कांच के पार्टीशनों वाले दफ्तर में पहुंचता जाता है। अपनी मूल जगह से दूर, और दूर होता जाता है। आखिर में वह अपने आपको अलफ नंगा एक बाल्कनी में पाता है। नीचे की तरफ भीड़ भरा बाजार है। हालांकि यह दृश्यावली फिल्मायी तो गयी थी, लेकिन कभी इस्तेमाल नहीं की गयी थी। मैंने यही सोचा कि चार्लोट को गैर-मामूली ही बनाये रखा जाये जिसकी कोई पृष्ठभूमि नहीं है और वह अपने आपको पहले से ही फौज में पाता है।
सोल्जर आर्म्स तपती गर्मी में लू के थपेड़ों के बीच बनायी गयी थी। छद्म रूप से बनाये गये पेड़ के भीतर काम करना (जैसा कि मैंने एक दृश्यावली के दौरान किया था) आराम से काम करने के अलावा सब कुछ था। मैं बाहर आउटडोर लोकेशन पर काम करने से बहुत घबराता हूं क्योंकि वहां व्यवधान बहुत होता है। आदमी का ध्यान और कल्पनाशक्ति जैसे हवा में ही उड़ जाते हैं।
फिल्म बनाने में कुछ ज्यादा ही समय लग गया और मैं उससे संतुष्ट नहीं था। स्टूडियो में मैंने हरेक के मन में यही बात बिठा दी थी कि फिल्म वाहियात बनी है - और अब, डगलस फेयरबैंक्स इस फिल्म को देखना चाह रहे थे। वे अपने एक दोस्त के साथ आये और मैंने उन्हें चेताया कि मैं इस फिल्म को ले कर कितना निराश हूं और मैं तो सोच रहा था कि इसे कूड़ेदान के हवाले कर दूं। सिर्फ हम तीन लोग प्रोजेक्शन रूम में बैठे। फिल्म शुरू होते ही फेयरबैंक्स ने जो ठहाके लगाने शुरू किये, वे तभी रुकते थे जब वे बीच-बीच में खांसते थे। मेरे प्यारे डगलस, वे मेरे सबसे महान दर्शक थे। जब फिल्म पूरी हो गयी और हम दिन की रौशनी में बाहर आये तो हँसने की वजह से उनकी आँखों में पानी आ गया था।
"क्या आपको वाकई लगता है कि ये मज़ेदार है?" मैंने पूछा।
वे अपने दोस्त की तरफ मुड़े,"आपको इसके बारे में क्या लगता है? ये फिल्म को कूड़े के ढेर में फेंक देना चाहता है?" डगलस की मात्र यही टिप्पणी थी।
सोल्ज़र आर्म्स ने अपार सफलता पायी और फिल्म खास तौर पर युद्ध के दिनों में सैनिकों के बीच खासी लोकप्रिय रही। लेकिन फिर वही बात हुई कि फिल्म बनाने में मुझे उम्मीद से ज्यादा वक्त लगा था और उसकी लागत भी ए डॉग्स लाइफ की तुलना में ज्यादा आयी थी। अब मैं आपने आप से आगे निकल जाना चाहता था और मेरा ख्याल था कि फर्स्ट नेशनल शायद मेरी मदद करें। जब से मैं उनसे जुड़ा था, वे हवा में तैर रहे थे। निर्माताओं और दूसरे कलाकारों को अनुबंधित कर रहे थे और उन्हें 250000 डॉलर प्रति फिल्म और लाभ में से पचास प्रतिशत के हिस्सा अदा कर रहे थे। उनकी फिल्मों की लागत कम होती थी और उन्हें कॉमेडियों की तुलना में बनाना आसान था। और ये तय था कि वे बॉक्स ऑफिस पर कम पैसा पीट रही थीं।
जब मैंने मिस्टर जे डी विलियम्स, फर्स्ट नेशनल के अध्यक्ष से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि वे इस मामले को अपने निदेशकों के सामने रखेंगे। मैं ज्यादा कुछ नहीं चाहता था, बस मेरी चाह यही थी कि अतिरिक्त लागत की भरपाई हो जाये और इससे उन पर दस या पन्द्रह हज़ार डॉलर प्रति फिल्म से ज्यादा का बोझ नहीं पड़ने वाला था। उन्होंने बताया कि वे एक हफ्ते के भीतर ही लॉस एजेंल्स में अपने निदेशकों से मिलने वाले हैं और बेहतर होगा मैं उनसे सीधे ही बात कर लूं।
उन दिनों वितरक लोग गंवार किस्म के कारोबारी आदमी हुआ करते थे और उनके लिए फिल्म एक ऐसा कारोबार था जिस पर गज़ के हिसाब से नाप कर धंधा करते थे। मेरा ख्याल है, मैं अपनी बात अच्छी तरह से कह पाया और ईमानदारी से उनके सामने अपनी वजहें स्पष्ट कर पाया। मैंने उनसे कहा कि मुझे बस, थोड़े से ज्यादा धन की ज़रूरत है क्योंकि मैं उम्मीद से कहीं अधिक खर्च कर रहा हूं। लेकिन मुझे ऐसा भी लगा मानो मैं जनरल मोटर्स से वेतन वृद्धि मांगने वाला इकलौता कर्मचारी होऊं। जब मैंने अपनी बात पूरी कर ली तो एक पल के लिए मौन छा गया और उसके बाद उनके प्रवक्ता ने अपना मुंह खोला,"ठीक है चार्ली, ये तो कारोबार है। आपने करार पर हस्ताक्षर किये हैं और हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप उसे पूरा करेंगे।"
मैंने नपे तुले शब्दों में कहा,"मैं आपको दो महीने के भीतर छ: फिल्में बना कर दे सकता हूं अगर आप उसी तरह की फिल्में चाहते हैं।"
"ये तो आप पर है चार्ली," ठंडी आवाज़ में कहा गया।
मैंने अपनी बात जारी रखी,"मैं इसलिए ज्यादा पैसों की मांग कर रहा हूं ताकि मैं अपने काम का स्तर बरकरार रख सकूं। आपकी उदासीनता से पता चलता है कि आप में मनोविज्ञान और दूरदृष्टि की कमी है। आप कम से कम खाने पीने की चीज़ों का कारोबार तो नहीं ही कर रहे हैं। आप जानते हैं कि आप व्यक्तिगत उत्साह के साथ डील कर रहे हैं।" लेकिन कोई भी तर्क उन्हें डिगा नहीं सका। मैं उनके नज़रिये को समझ नहीं पाया क्योंकि उन दिनों मुझे देश में सबसे अधिक भीड़ जुटाने वाला समझा जाता था।
"मेरा ख्याल है, ये मामला कुछ-कुछ मोशन पिक्चर्स के होने वाले सम्मेलन से संबंध रखता है।" मेरे भाई सिडनी ने कहा,"ऐसी अफवाहें हैं कि फिल्म बनाने वाली सारी की सारी कम्पनियां आपस में मिल रही हैं।"
एक दिन बाद सिडनी ने डगलस और मैरी से मुलाकात की। वे भी परेशान लग रहे थे क्योंकि उनके भी करार खत्म हो रहे थे और पैरामाउंट ने अब तक इस बारे में कुछ भी नहीं किया था। सिडनी की तरह डगलस का भी यही ख्याल था कि हो न हो, इसका संबंध इस फिल्म एकीकरण से ही है, "क्या ख्याल है अगर उनकी चालों पर निगाह रखने के लिए एक जासूस की मदद ली जाये ताकि पता चल सके कि आखिर चल क्या रहा है।"
हम सब एक जासूस रखने पर सहमत हो गये। हमने एक चतुर, आकर्षक और सुंदर-सी दिखने वाली लड़की को इस काम के लिए रखा। उसे जल्द ही एक महत्त्वपूर्ण निर्माण कम्पनी के कार्यपालक के साथ मुलाकात कर ली। उसकी रिपोर्ट में बताया गया था कि वह एलेक्जेन्ड्रा होटल की लॉबी में उस व्यक्ति विशेष के पास से गुज़री थी और उसकी तरफ देख कर मुस्कुरायी थी। तब उसने यह बहाना बनाया कि वह उसे अपना कोई पुराना दोस्त समझ बैठी थी। उसी शाम उस महाशय ने लड़की को अपने साथ डिनर के लिए आमंत्रित किया था। लड़की की रिपोर्ट से हमें पता चला था कि वे महाशय अच्छे खासे ठरकी थे और लार टपकाने की कला में माहिर थे। तीन रातों तक वह उसके साथ बाहर जाती रही और किसी न किसी बहाने से वायदों और बहानों से उसे टरकाती रही। इस बीच इस मामले की पूरी कहानी उसके हाथ लग चुकी थी कि आखिर फिल्म उद्योग में चल क्या रहा है। वे महाशय और उनके साथी सभी निर्माण कम्पनियों को मिला कर चार करोड़ डॉलर की रकम से एक कम्पनी खड़ी कर रहे थे और संयुक्त राष्ट्र में सभी वितरकों के सामने पांच बरस के करार के लिए चुग्गा डाल रह थे। महाशय ने लड़की को बताया था कि वे बेइंतहा पैसा पीटने वाले मुट्ठी भर सनकी कलाकारों द्वारा चलाये जाने के बजाये इस कम्पनी को विधिवत कारोबारी तरीके से उद्योग के रूप में चलाने का इरादा रखते हैं। यही बातें उस लड़की की रिपोर्ट का निचोड़ थीं और इनसे हमारे मकसद पूरे हो जाते थे। हम चारों ने ये रिपोर्ट डी डब्ल्यू ग्रिफिथ और बिल हार्ट को दिखायी और उनकी भी वही प्रतिक्रिया थी जो कि हमारी थी।
सिडनी ने हमें बताया कि हम इस एकीकरण को मात दे सकते हैं अगर हम वितरकों के कान में यह बात डाल दें कि हम अपनी खुद की निर्माण कम्पनी बनाने जा रहे हैं और हमारा इरादा ये है कि हम अपनी बनायी हुई फिल्मों को खुले बाज़ार में बेचेंगे और स्वतंत्र बने रहेंगे। उस वक्त हमारे पास उद्योग में सबसे ज्यादा भीड़ जुटा सकने में सक्षम लोग थे। अलबत्ता, इस परियोजना को लागू करने का हमारा कोई इरादा नहीं था। हमारा लक्ष्य तो बस, यही था कि वितरकों को इस प्रस्तावित एकीकरण के साथ पांच बरस का करार करने से रोकें, क्योंकि सितारों के बिना ये दो कौड़ी का न रहता। हमने ये फैसला किया कि उनके सम्मेलन से एक रात पहले हम सब मिल कर एलेक्जेंड्रा होटल के मुख्य डाइनिंग हॉल में डिनर के लिए आ जुटेंगे और तब प्रेस में इस सिलसिले में घोषणा करेंगे।
उस रात, मैरी पिकफोर्ड, डी डब्ल्यू ग्रिफिथ, डब्ल्यू एस हार्ट, डगलस फेयरबैंक्स और मैं खुद मुख्य डाइनिंग हॉल में एक मेज़ पर आ बैठे। इसका असर बिजली सरीखा था। जे डी विलियम्स बिना किसी शक-शुबहे के सबसे पहले डिनर के लिए आये, हमें देखा और लपकते हुए उलटे पैर लौट गये। एक के बाद दूसरे निर्माता प्रवेश द्वार तक आते, एक निगाह डालते, और लपक कर बाहर निकल जाते, और हम वहां पर बैठे-बैठे बड़े-ब़ड़े कारोबार की बातें हाँक रहे थे। मेजपोश पर अकल्पनीय संख्याएं लिख रहे थे। जब भी कोई निर्माता दरवाजे पर अपना चेहरा दिखाता, डगलस अचानक ही बेसिर-पैर की बातें करने लगते। "मूंगफली पर बंदगोभी और सूअर के मांस पर राशन इन दिनों बाज़ार में धूम मचा रहे हैं," वे कहना शुरू कर देते। ग्रिफिथ और हार्ट ने समझा कि उनका दिमाग चल गया है।
जल्द ही प्रेस के छ: सात सदस्य हमारी मेज़ पर नोट्स ले रहे थे और हम बयान जारी कर रहे थे कि हम अपनी आज़ादी को बरकरार रखने के लिए और आगामी एकीकरण का मुकाबला करने के लिए युनाइटेड आर्टिस्ट्स की एक कम्पनी खड़ी करने जा रहे हैं। इस स्टोरी को अगले दिन पहले पृष्ठ पर जगह मिली।
अगले दिन कई निर्माण कम्पनियों के प्रमुखों ने अपने अपने पद से इस्तीफा दे कर मामूली से वेतन पर और हिस्से पर हमारी कम्पनी में अध्यक्ष पद पर आने का प्रस्ताव रखा। इस तरह की प्रतिक्रिया के बाद हम लोगों ने तय किया कि हम अपनी परियोजना को आगे ले जायेंगे। इस तरह से युनाइटेड आर्टिस्ट्स कार्पोरेशन अस्तित्व में आयी।
हमने मैरी पिकफोर्ड के घर पर एक बैठक रखी। हम में से हरेक व्यक्ति अपने अपने प्रबंधक और वकील के साथ आया। वहां पर इतना बड़ा जमावड़ा हो गया कि हमें जो कुछ भी कहना था, हमें सार्वजनिक सभाओं में किये जाने वाले भाषण की तरह कहना पड़ा। दर असल, जब भी मैं कुछ बोला, हर बार मैं बेहद नर्वस हो जाता। लेकिन मैं मैरी की कानूनी और कारोबारी दक्षता को देख कर दंग था। उन्हें सारी चीजों के नाम तक याद थे। अमूर्तिकरण और आस्थगित स्टॉक वगैरह। उन्हें इन्कार्पोरेशन की सभी धाराएं याद थीं। पेज़ सात पर कानूनी विसंगति, पैरा ए, धारा 27, और वे सहजता से पैरा डी में ओवरलैप और विरोधाभास की बात कर रही थीं। ऐसे मौकों पर वे मुझे हैरान करने के बजाये उदास कर जाती थीं क्योंकि अमेरिका की हर दिल अजीज का एक ऐसा पक्ष था जिससे मैं वाकिफ नहीं था। उनका एक जुमला तो मैं आज तक नहीं भूल पाया हूं। हमारे प्रतिनिधियों के सामने दलीलें देते हुए उन्होंने एक फिकरा कसा, हमें यही करना होगा सज्जनो, मैं हँसते हँसते दोहरा हो गया और दोहराता फिरा, हमें यही करना होगा।
उन दिनों मैरी की खूबसूरती के बावजूद कारोबार में काफी निपुण होने के बारे में उनकी ख्याति थी। मुझे याद है, माबेल नोर्माड, जिसने उनसे पहली बार मेरा परिचय कराया था, कहा था, "ये हैं हैट्टी ग्रीन* उर्फ मैरी पिकफोर्ड।"
ऐसी कारोबारी बैठकों में मेरी हिस्सेदारी शून्य रहा करती। सौभाग्य से मेरा भाई सिडनी कारोबार में मैरी की ही तरह चतुर था और डगलस, जो एक सौम्य उदासीनता ओढ़े रहते, हममें से किसी से भी ज्यादा शातिर थे। जिस वक्त हमारे वकील आपस में कानूनी तकनीकी पेचीदगियों में उलझ रहे होते, वे किसी स्कूली बच्चे की तरह कूद फांद करते रहते लेकिन इन्कार्पोरेशन की धाराएं पढ़ते वक्त वे कोई अर्धविराम भी न भूलते।
उन निर्माताओं में से एक जो इस्तीफा दे कर हमारी कम्पनी में आने के लिए इच्छुक थे, एडोल्फ ज़ुकोर, पैरामाउंट के अध्यक्ष और संस्थापक थे। वे ओजस्वी व्यक्तित्व के मालिक थे, छोटे से कद के प्यारे से आदमी। उनकी शक्ल नेपोलियन से मिलती थी और वे थे भी नेपोलियन की तरह गहराई लिये हुए। कारोबार की बात करते समय वे सामने वाले को मुग्ध कर लेते और ड्रामाई हो जाते। वे अपने हंगेरियन उच्चारण में बोले,"आप, आपको इस बात का पूरा हक है कि अपने प्रयासों का पूरा फायदा उठायें क्योंकि आप लोग कलाकार हैं। आप सृजन करते हैं। आप ही लोग हैं जिनकी वजह से लोग आते हैं।" हम विनम्रता से सहमत हो गये। उन्होंने कहना जारी रखा,"आप, आप ऐसी कम्पनी का गठन करने के लिए आये हैं जो कि मेरी निगाह में कारोबार में सबसे ज्यादा भयावह कम्पनी है, अगर अगर," उन्होंने ज़ोर दिया,"अगर इसका सही ढंग से प्रबंधन किया जाये। आप लोग कारोबार के एक सिरे पर सृजक कलाकार लोग हैं और दूसरी तरफ मैं सृजक हूं। इससे अच्छी बात क्या हो सकती है।"
और वे इसी तरह से बात करते रहे। उन्होंने हमें मंत्रमुग्ध कर रखा था। वे हमें अपने सपनों और विश्वासों के बारे में बता रहे थे। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वे थियेटरों और स्टूडियो, दोनों को मिला कर एक करना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि वे ये सब अपना सब कुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार हैं, बस, वे अपने सारे कलाकार हमारे साथ शामिल करना चाहेंगे। वे तनावपूर्ण, संत महंत जैसी वाणी बोल रहे थे,"आपको लगता है कि मैं आपका दुश्मन हूं। लेकिन मैं आपका दोस्त हूं। कलाकार का दोस्त। इस बात को याद रखो, मैं ही वह पहला व्यक्ति था जिसके पास दूरदृष्टि थी। किसने आपके गंदे थियेटर बुहारे? किसने आपकी आरामदायक सीटें लगायीं? मैं ही वह व्यक्ति था जिसने बड़े बड़े थियेटर बनाये। जिसने कीमतें ऊपर उठायीं और इस बात को संभव कर दिखाया कि आपको अपनी फिल्मों के लिए बेइंन्तहा पैसा मिले। इसके बावजूद, आप ही लोग मुझे सूली पर चढ़ाना चाहते हैं।"
ज़ुकोर एक साथ महान कलाकार और कारोबारी व्यक्ति थे। उन्होंने पूरी दुनिया में थियेटरों का बहुत बड़ा जाल सा बिछा दिया था। अलबत्ता, चूंकि वे हमारी कम्पनी में हिस्सा चाहते थे, हमारी बातचीत का कोई फल नहीं निकला।
छ: महीने के भीतर ही मैरी और डगलस नयी बनायी गयी कम्पनी के लिए फिल्में बनाने लगे थे लेकिन मुझे अभी भी फर्स्ट नेशनल को छ: और कॉमेडी बना कर देनी थीं। उनके तकलीफदेह नज़रिये ने मुझे इतना हताश कर दिया कि मेरे काम की प्रगति में बाधा आने लगी। मैंने प्रस्ताव रखा कि मैं अपने करार का हिस्सा खरीद लेता हूं और उन्हें एक लाख डॉलर का लाभ देने के लिए तैयार हूं लेकिन उन लोगों ने इन्कार कर दिया।
चूंकि मैरी और डगलस ही केवल ऐसे कलाकार थे जो अपनी फिल्मों का वितरण हमारी कम्पनी के माध्यम से कर रहे थे, वे मुझसे लगातार इस बात की शिकायत करते रहते कि मेरी बनायी फिल्मों के अभाव में उन पर कितना बोझ पड़ रहा है। वे अपनी फिल्में बीस प्रतिशत की बेहद कम लागत पर वितरित कर रहे थे। उन्होंने कम्पनी को दस लाख डॉलर के घाटे में ला खड़ा किया। अलबत्ता, मेरी पहली फिल्म द गोल्ड रश के प्रदर्शन के साथ ही कर्जे उतार दिये गये थे और इससे कुछ हद तक मैरी ओर डगलस की शिकायती रुख को थोड़ा नरम कर दिया था। इसके बाद उन्होंने कभी शिकायत नहीं की।
युद्ध अब और भीषण हो चला था। बेदर्दी से कत्लेआम और विध्वंस पूरे यूरोप में आतंक मचाये हुए थे। प्रशिक्षण शिविरों में लोगों को सिखाया जा रहा था कि बायोनेट से किस तरह से सामने वाले पर हमला करें, कैसे चिल्लायें, दौड़ें और दुश्मन की अंतड़ियों में बायोनेट घुसेड़ दें और अगर ब्लेड उसके पेट में फंस जाये तो किस तरह से ब्लेड को ढीला करने के लिए उसकी अंतड़ियों में गोली चलायें। उन्माद का पारावार नहीं था। सेना के भगोड़ों को पांच बरस की सज़ा दी जा रही थी और हर आदमी को अपना पंजीकरण कार्ड साथ साथ लिये चलना होता। अगर कोई आदमी साधारण कपड़ों में नज़र आ जाता तो ये शर्म की बात मानी जाती क्योंकि कमोबेश हर आदमी यूनिफार्म में होता। और अगर उसने यूनिफार्म न पहनी होती तो उससे उसके पंजीकरण कार्ड के लिए पूछा जा सकता था और ऐसा भी हो सकता था कि कोई महिला उसे सफेद पंख उपहार में दे जाती।
कुछ अखबारों ने इस बात के लिए मेरी आलोचना की कि मैं युद्ध में क्यों नहीं हूं। दूसरे कुछ लोग मेरे पक्ष में खड़े हो गये। उनका ये तर्क था कि मेरी कॉमेडियों की मेरे सैनिक बनने से ज्यादा ज़रूरी हैं।
जिस वक्त अमेरिकी सेना फ्रांस पहुंची, उस वक्त वह नयी और ताज़ी थी। वह तुरंत कार्रवाई करना चाहती थी, और अंग्रेजों और फ्रांसीसियों, जो कि तीन बरस से खूनी लड़ाई लड़ रहे थे, की अनुभवी सलाह के खिलाफ उत्साह के साथ और जान हथेली पर रख कर लड़ाई में कूद पड़ी लेकिन इसके लिए उसे काफी कीमत चुकानी पड़ी। लाखों सैनिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। हफ्तों तक निराश करने वाली खबरें आती रहीं। मृत और घायल अमेरिकी सैनिकों की लम्बी-लम्बी सूचियां जारी की जाती रहीं। इसके बाद एक ठहराव आया और महीनों तक दूसरे मित्र राष्ट्रों की तरह अमेरिकी भी कीचड़ और खून से भरी खाइयों में पसरे पड़े रहे।
और आखिरकार, मित्र राष्ट्रों ने आगे बढ़ना शुरू किया। नक्शे पर हमारी पताकाएं लहराती नज़र आने लगीं। हर दिन भीड़ की भीड़ उत्सुकता से झंडों को देखती रहती, और आखिरकार खबर आयी। लेकिन काफी बड़ी कीमत चुकाने के बाद। काले बड़े शीर्षक नज़र आये - कैसर हॉलैंड की तरफ भागे। इसके बाद पूरे पन्ने पर दो ही शब्दों वाली खबर आयी - संधि पर हस्ताक्षर। उस वक्त मैं एथलेटिक क्लब में अपने कमरे में था जिस वक्त ये खबर आयी। नीचे सड़कों पर हंगामा सा हो गया। गाड़ियो के हॉर्न, फैक्टरियों के भोंपू, बिगुल बजने शुरू हो गये और रात दिन बजते ही रहे। पूरी दुनिया खुशी के मारे पागल हो गयी थी। हँसना, गाना, नाचना, गले मिलना, चुंबन और प्यार करना चल रहे थे। आखिर शांति स्थापित हो गयी थी।
युद्ध के बिना जीवन ऐसा ही था मानो आपको जेल से रिहा कर दिया गया हो। हम इतने कड़े अनुशासन में रहते आये थे और हमारी इतनी रगड़ाई होती थी कि बाद के महीनों तक बिना पंजीकरण कार्ड के बिना बाहर निकलने में डरते रहे। इसके बावज़ूद, मित्र राष्ट्रों की जीत हुई थी। इसका जो भी मतलब रहा हो। लेकिन वे निश्चित नहीं थे कि उन्होंने शांति पर विजय पा ली है। एक बात तय थी कि जिस सभ्यता को हम अब तक जानते आये थे, वह अब वही नहीं रह जाने वाली थी। वह युग अब जा चुका था। और इसके साथ ही जा चुकी थीं तथाकथित मूल अच्छाइयां, लेकिन फिर, किसी भी युग में मूल अच्छाइयां असाधारण नहीं रही थीं।
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सोलह
टॉम हैरिंगटन एक तरह से मेरी सेवा में आ गया, लेकिन उसने मेरी ज़िंदगी बदलने में बहुत ड्रामाई भूमिका अदा की। वह मेरे दोस्त बर्ट क्लार्क, जो कि कीस्टोन कम्पनी द्वारा रखा गया बहुंगी कलाकार था, का ड्रेसर और ऊपर के काम करने वाला आदमी हुआ करता था। बर्ट जो कि लापरवाह और अव्यावहारिक आदमी थे लेकिन बहुत ही शानदार पिआनोवादक थे, ने एक बार मुझसे कहा था कि मैं उनकी संगीत निर्माण कम्पनी में उनके साथ भागीदारी कर लूं। हमने शहर के बाहरी हिस्से में दफ्तरों वाली इमारत में तीसरी मंजिल पर एक कमरा किराये पर लिया और दो बहुत ही खराब गानों और मेरी संगीतबद्ध की गयी रचनाओं की दो हज़ार प्रतियां प्रकाशित कीं। इसके बाद हम ग्राहकों का इंतज़ार करने बैठ गये। सारा मामला अल्हड़पने का और पागलपन भरा था। मेरा ख्याल है, हमने तीन प्रतियां बेचीं। एक प्रति चार्ल्स कैडमेन को, जो कि अमेरिकी कम्पोजीटर थे और दो प्रतियां हमने राह चलते आदमियों को बेचीं जो नीचे उतरते समय हमारे दफ्तर के आगे से गुज़रे थे।
क्लार्क ने हैरिंगटन को अपने दफ्तर का कार्यभार सौंप रखा था लेकिन एक महीने बाद क्लार्क वापिस न्यूयार्क चले गये और दफ्तर बंद कर दिया गया। अलबत्ता, टॉम वहीं रुक गया और कहने लगा कि वह जिस हैसियत में क्लार्क के साथ काम करता था, उसी हैसियत में मेरे लिए भी काम करना चाहेगा। मुझे सुन कर हैरानी हुई जब उसने मुझे बताया कि उसे क्लार्क से कभी भी वेतन नहीं मिलता था सिर्फ ग़ुज़ारे के नाम पर कुछ मिल जाया करता था जो कि कभी भी हफ्ते के सात आठ डॉलर से ज्यादा नहीं होते थे। शाकाहारी होने के नाते वह सिर्फ चाय, ब्रेड और मक्खन तथा आलू खा कर गुज़ारा कर लिया करता था। निश्चित ही इस खबर से मेरा दिल पसीज गया और मैंने उस अरसे के लिए जिसके लिए उसने संगीत कम्पनी में काम किया था, उसे विधिवत वेतन दिया और इस तरह से टॉम मेरा हैंडीमैन, खिदमतगार और सचिव बन गया।
वह बहुत ही भला आदमी था। उसकी उम्र का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। व्यवहार में वह बहुत ही उत्साही, और विनम्र व्यक्ति था। उसके चेहरे को देख कर लगता मानो सेंट फ्रांसिस का त्यागमयी मूर्ति देख रहे हों। पतले होंठ, ऊंची उठी हुई भौंहें और आंखें जो जगत को उदासीन भाव से देखती प्रतीत होतीं। वह आयरिश वंश का था और अपने आप में मस्त रहने वाली जीव था। वह थोड़ा सा रहस्यवादी चरित्र था। वह न्यू यार्क के पूरब की तरफ से आया था लेकिन वह शो बिजिनेस के फोर्थ में रोजी रोटी कमाने के बजाये किसी मठ के लिए ज्यादा सही लगता था।
वह सुबह सवेरे ही एथलेटिक क्लब में आ जाता और मेरे लिए मेरी डाक और अखबार आदि लेता आता। वह मेरे नाश्ते के लिए आर्डर देता। अक्सर वह मेरे लिए बिना किसी टीका टिप्पणी के लिए मेरे सिरहाने किताबें छोड़ जाता। लाफकाडियो हर्न और फ्रैंक हैरिस। ये ऐसे लेखक थे जिनका मैंने कभी नाम भी न सुना था। टॉम की ही वज़ह से मैंने बोसवैल की लाइफ ऑफ जॉनसन पढ़ी थी। उसका कहना था,"ये किताब रात के वक्त नींद लाने के लिए राम बाण दवा का काम करती है।" जब तक उससे बात न की जाये, वह अपनी तरफ से बात भी न करता। उसे इस बात की महारत हासिल थी कि जिस वक्त मैं नाश्ता कर रहा होता, वह आपको नगण्य बना डालता। टॉम मेरे अस्तित्व का अनिवार्य हिस्सा बन गया। मैं उसे कोई काम करने के लिए कहता भर था, वह सिर हिलाता और काम हो चुका होता।
जिस वक्त मैं एथलेटिक क्लब छोड़ रहा था, अगर उसी वक्त टेलिफोन की घंटी न बजी होती, तो मेरी ज़िंदगी का रुख कुछ और ही हुआ होता। ये टेलिफोन कॉल सैम गोल्डविन की तरफ से था,"क्या मैं उनके बीच हाउस पर तैराकी करने के लिए आना चाहूंगा?" ये 1917 के ढलते दिनों की बात है।
ये खुली खुली, शांत दोपहरी थी। मुझे याद है कि खूबसूरत ऑलिव थॉमस और दूसरी कई खूबसूरत लड़कियां वहां पर मौजूद थीं। जैसे जैसे दिन ढला, मिल्ड्रेड हैरिस नाम की एक लड़की वहां पहुंची। वह अपने एक साथी मिस्टर हैम के साथ आयी थी। मुझे लगा कि वह खूबसूरत थी। किसी ने फिकरा कसा कि वह ईलियेट डैक्सटर पर जान छिड़कती है। उस वक्त वह भी वहां पर मौजूद था और मैंने नोट किया कि ऑलिव पूरी दोपहरी उसी के चक्कर काट रही थी। मैंने देखा कि जनाब उसकी तरफ कोई तवज्जो ही नहीं दे रहे थे। मैंने उसकी तरफ तब तक और ध्यान नहीं दिया जब तक मैं वहां से जाने के लिए तैयार नहीं हो गया। तभी उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं शहर जाते समय उसे रास्ते में छोड़ता चलूंगा? उसने स्पष्ट किया कि वह अपने साथी के साथ झगड़ बैठी है ओर वह पहले ही जा चुका है।
कार में मैंने मज़ाक में कहा कि शायद उसका दोस्त ईलियट डैक्स्टर को ले कर ईर्ष्यालु हो रहा होगा। ऑलिव ने स्वीकार किया कि उसके ख्याल से ईलियट बेहतरीन शख्स है।
मैंने महसूस किया कि उसका ये नौसिखियेपना लिये तरीका अपने बारे में दिलचस्पी पैदा करने का सहज ही औरताना तरीका था। "वह बहुत ही खुशकिस्मत इन्सान है।" मैंने उद्दंडता से कहा। ये सारी बातें हम हल्के फुल्के तरीके से ड्राइव करते हुए कर रहे थे। उसने मुझे बताया कि वह लुई वेबर के लिए काम करती है और अब उसे पेरामाउंट पिक्चर में भूमिका मिली है। मैंने उसे उसके अपार्टमेंट के पास ही छोड़ दिया, अलबत्ता, मुझ पर उसकी यही छाप पड़ी कि वह बहुत ही बेवकूफ किस्म की नवयौवना है और मैं एथलेटिक क्लब में राहत मिलने वाले अहसास के साथ लौटा क्योंकि अब मैं अकेला होने के नाते खुश था। लेकिन अपने कमरे में आये हुए मुझे पांच मिनट भी नहीं बीते थे कि टेलिफोन की घंटी बजी। लाइन पर मिस हैरिस थी,"मैं सिर्फ यही जानना चाहती थी कि इस वक्त आप क्या कर रहे हैं?" उसने बचपने के लहजे में कहा।
मैं उसका नज़रिया देख कर हैरान था मानो हम बहुत लम्बे अरसे से एक दूसरे के अंतरंग स्वीटहार्ट रहे हों। मैंने उसे बताया कि मैं अपने कमरे में ही डिनर लूंगा, और सीधे ही बिस्तर में चला जाऊंगा और एक किताब पढूंगा।
"ओह," उसने अफसोस के साथ कहा और जानना चाहा कि किस किस्म की किताब है ये और मेरा कमरा कैसा है। वह मेरी एकदम अकेले बिस्तर में दुबके हुए कल्पना करना चाहती थी।
ये बेवकूफी भरी बातचीत भली लग रही थी और मुझे उसके साथ चुहलबाजी करने में मज़ा आने लगा।
"मैं आपसे दोबारा कब मिल सकती हूं?" पूछा उसने और मैंने पाया कि मैंने मज़ाक ही में उस पर फिकरा कसा कि वह ईलियट को धोखा दे रही है और उसके आश्वासनों को सुनता रहा कि वह सच में ईलियट की परवाह नहीं करती। इस बात ने शाम के लिए किये गये मेरे संकल्पों को बहा दिया और मैं उसे बाहर डिनर करने के लिए आमंत्रित कर बैठा।
हालांकि उस शाम वह खूबसूरत और खुशमिजाज लग रही थी, मैं अपने आप में उस उत्साह और जोश की कमी महसूस कर रहा था जो किसी खूबसूरत लड़की की मौजूदगी में अक्सर आम तौर पर नज़र आती है। मेरे लिए उसका संभवत: एक ही इस्तेमाल हो सकता है और वो था सैक्स और इसके लिए रोमांटिक रूप से पहल करना, जिसकी मेरे ख्याल से मुझसे उम्मीद की जाती, मुझे बहुत भारी काम लग रहा था।
मैंने उसके बारे में अगले तीन चार दिन तक नहीं सोचा। तभी मुझे हैरिंगटन ने बताया कि उसका फोन आया था। अगर हैरिंगटन ने चलताऊ ढंग से उसका जिक्र न किया होता तो मैंने उससे दोबारा मिलने की जहमत भी न उठायी होती, लेकिन हैरिंगटन ने इस बात का जिक्र कर दिया कि शोफर ने उसे बताया था कि मैं सैम गोल्डविन के घर से इतनी खूबसूरत लड़की के साथ वापिस आया था कि उसने अब तक ऐसी लड़की नहीं देखी थी। इस वाहियत से लगने वाले जुमले ने मेरी अस्मिता को छू लिया था और ये शुरुआत थी।
अब डिनर, नृत्य, चांदनी रात में और समुद्र की सैरें होने लगी थीं और वही हो गया जिसके बारे में सोचा न था।
मिल्ड्रेड परेशान होने लगी।
हैरिंगटन ने जो कुछ भी सोचा, अपने तक सीमित रखा। एक दिन सुबह के वक्त जब वह मेरा बेकफास्ट ले कर आया तो मैंने यूं ही घोषणा की कि मैं शादी करना चाहता हूं, उसने अपनी आँख तक न झपकायी।
"किस दिन?" उसने शांत स्वर में पूछा।
"आज कौन सा दिन है?"
"आज मंगलवार है।"
"तो शुक्रवार को रख लो।" अखबार से निगाह उठाये बगैर मैंने कहा।
"मेरा ख्याल है ये मिस हैरिस ही हैं!!"
"हां।"
उसने वस्तुपरक तरीके से सिर हिलाया,"अंगूठी है आपके पास?"
"नहीं, बेहतर होगा तुम एक अंगूठी का इंतजाम कर लो और बाकी सारी तैयारियां भी कर लो। लेकिन सारे काम गुप चुप तरीके से करना।"
उसने फिर से सिर हिलाया और फिर इसके बाद शादी के दिन तक इस बारे में कोई जिक्र नहीं हुआ। इसने इस बात का इंतज़ाम किया कि हम दोनों की शादी शुक्रवार की रात आठ बजे हो जाये।
उस दिन मैं देर तक स्टूडियो में काम करता रहा। साढ़े सात बजे टॉम चुपचाप सेट पर आया और मेरे कान में फुसफुसाया,"मत भूलिये कि आठ बजे का आपका अपाइंटमेंट है।" जैसे मेरा दिल डूब रहा हो, उस भाव के साथ मैंने अपना मेक अप उतारा और कपड़े पहनने लगा। हैरिंगटन मेरी मदद कर रहा था। जब तक हम कार में बैठ नहीं गये, हम दोनों में एक भी शब्द का आदान प्रदान नहीं हुआ। तब उसने मुझे समझाया कि मुझे आठ बजे मिस्टर स्पार्क्स, स्थानीय पंजीयक के यहां मिस हैरिस से मिलना है।
जब हम वहां पहुंचे तो मिस हैरिस हॉल में बैठी हुई थी। जैसे ही हमने प्रवेश किया वह 'शरारतन मुस्कुरायी तो मुझे उसके लिए थोड़ा सा अफसोस हुआ। उसने साधारण गहरे स्लेटी रंग का सूट पहना हुआ था और बहुत आकर्षक लग रही थी। जैसे ही एक लम्बा दुबला सा, गर्मजोशी से और आत्मीयता से भरपूर एक आदमी वहां आया, और उसने हमें भीतर आने के लिए कहा तो हैरिंगटन ने तेजी से मेरे हाथ में एक अंगूठी सरका दी। ये मिस्टर स्पार्क्स थे।
"तो भई ठीक है चार्ली," कहा उन्होंने, "आपके पास वाकई बहुत ही शानदार सचिव है। आधा घंटा पहले तक मुझे मालूम ही नहीं था कि मुझे आपकी शादी करानी है।"
सर्विस बेहद आसान और तयशुदा थी। जो अंगूठी हैरिंगटन ने मेरे हाथ में सरकाई थी मैंने हैरिस की उंगली में सरका दी। अब हम शादीशुदा थे। रस्म पूरी हो चुकी थी। जिस वक्त हम बाहर निकलने को थे, मिस्टर स्पार्क्स की आवाज सुनायी दी,"दुल्हन को चूमना मत भूलना मिस्टर चार्ली।"
"ओह हां हां ज़रूर, ज़रूर।" मैं मुस्कुराया।
मेरी संवदेनाएं मिली-जुली थीं। मैं महसूस कर रहा था कि मैं बेवकूफी भरे हालात का शिकार हो गया हूं जो कि उतावली भरे और गैर जरूरी थे। एक ऐसा गठजोड़ जिसका कोई ठोस आधार नहीं था। इसके बावजूद मैं हमेशा से एक अदद बीवी चाहता रहा और मिल्ड्रेड खूबसूरत और युवा थी। वह अभी उन्नीस की भी नहीं हुई थी और हालांकि मैं उससे दस बरस बड़ा था, हो सकता है सब कुछ ठीक ठाक निभ जाये।
अगले दिन मैं भारी दिल के साथ स्टूडियो पहुंचा। एडना पुर्विएंस वहीं पर थी। उसने सुबह के अखबार पढ़ लिये थे और जब मैं उसके ड्रेसिंग रूम के आगे से गुज़रा तो वह दरवाजे पर आयी और मृदु स्वर में बोली,"बधाई हो।"
"शुक्रिया।" मैंने जवाब दिया और अपने ड्रेसिंग रूम की तरफ चल दिया। एडना ने मुझे परेशान महसूस करा दिया।
मैंने डगलस के कान में ये बात डाली कि मिल्ड्रेड के दिमाग की मंजिल कुछ खाली सी ही है। मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी कि किसी एन्साइक्लोपीडिया से शादी करूं। मैं अपनी सारी दिमागी उत्सुकताएं किसी भी पुस्तकालय में जा कर शांत कर सकता हूं। लेकिन ये आशावादी थ्योरी एक भीतरी चिंता पर निर्भर करती थी। क्या इस शादी से मेरे काम में खलल पड़ेगा? हालांकि मिल्ड्रेड खूबसूरत और युवा थी, क्या मुझे हर वक्त उसके आस पास मंडराने की ज़रूरत होगी। क्या मुझे इसकी चाहत थी? मैं पसोपेश में था। हालांकि मैं प्यार में नहीं था, अब चूंकि मैं शादीशुदा था, मैं शादीशुदा ही रहना चाहता था और चाहता था कि मेरी शादी सफल हो।
लेकिन मिल्ड्रेड के लिए शादी का मतलब किसी सौन्दर्य प्रतियोगिता को जीतने जैसा रोमांचकारी और उत्तेजनापूर्ण था। उसके लिये ये सब कुछ वैसा था जैसा उसने किसी कहानी की किताब में पढ़ा था। उसे वास्तविकता का कोई आभास नहीं था। मैं उसके साथ गम्भीरता से अपनी योजनाओं के बारे में चर्चा करना चाहता लेकिन उसके दिमाग में कुछ घुसता ही नहीं था। वह हर वक्त व्यग्रता के आलम में होती।
हमारी शादी के दूसरे दिन मैट्रो गोल्डविनमेयर कम्पनी के लुई बी मयेर ने वर्ष में छ: फिल्में बनाने के लिए मिल्ड्रेड को 50,000 डॉलर पर अनुबंधित करने के बारे में बातचीत शुरू की। मैंने उसे ये समझाने की कोशिश की कि वह ये अनुबंध न करे, "अगर तुम फिल्मों में काम करना जारी ही रखना चाहती हो तो मैं तुम्हें एक फिल्म के लिए पचास हज़ार डॉलर दे सकता हूं।"
मैंने जो कुछ भी कहा, उस पर वह मोनालीसा सरीखी मुस्कान के साथ सिर हिलाती रही लेकिन बाद में उसने वह अनुबंध कर लिया।
पहले यह सिर हिलाना और सहमति देना था और बाद में करना ठीक इसके विपरीत था। ये बात कुंठित करने वाली थी। मैं उससे और मयेर, दोनों से ही नाराज़ था। क्योंकि मयेर ने उस वक्त उस पर झपट्टा मारा था जिस वक्त तक हमारी शादी के लाइलेंस की स्याही भी नहीं सूखी थी।
एकाध महीना ही बीता होगा कि कम्पनी के साथ उसकी परेशानियां शुरू हो गयीं। मिल्ड्रेड अब चाहती थी कि मैं मामले को सुलटाने के लिए मयेर से मिलूं। मैंने उसे बताया कि मैं किसी भी हालत में मयेर से नहीं मिलूंगा। लेकिन वह पहले ही मयेर को डिनर पर आमंत्रित कर चुकी थी और उसने मुझे इसके बारे में मयेर के आने से कुछ ही पल पहले बताया। मैं गुस्से के मारे पागल हो रहा था और मेरी हालत खराब थी,"अगर तुम उसे यहां लायी तो मैं उसका अपमान कर बैठूंगा।" अभी मैंने ये अल्फाज कहे ही थे कि सामने वाले दरवाजे की घंटी बजी। मैं खरगोश की माफिक ड्राइंगरूम के साथ सटे कमरे वनस्पति कक्ष में जा कूदा। ये कांच घर की तरह था जिससे बाहर निकलने की कोई राह नहीं थी।
वहां पर छुप कर बैठने का यह समय मेरे लिये की अनंत काल की तरह था और मिल्ड्रेड तथा मयेर मुझसे कुछ ही फुट की दूरी पर बैठे हुए कारोबार की बातें कर रहे थे। मुझे ये अहसास हो रहा था कि मयेर को पता है कि मैं वहां पर छुपा बैठा हूं क्योंकि उनकी बातचीत सम्पादित और उखड़ी उखड़ी लग रही थी। एक पल के मौन के बाद मुझे तसल्ली हो गयी जब मिल्ड्रेड ने जिक्र किया कि शायद मैं घर पर नहीं हूं। इस पर मैंने मयेर को अपनी जगह से उठते हुए सुना और मैं डर के मारे ये सोच कर पसीना पसीना हो गया कि कहीं वे मेरे वाले कमरे में ही न आ जायें और मुझे वहां पर खोज लें। मैंने ऐसा नाटक किया मानो सो रहा होऊं। अलबत्ता, मयेर ने कोई बहाना बनाया और डिनर के लिए रुकने के बजाये चला ही गया।
हमारी शादी हो जाने के बाद पता चला कि मिल्ड्रेड के गर्भ धारण की खबर झूठी थी। कई महीने बीत चुके थे और मैं सिर्फ तीन ही रील की एक कॉमेडी द सनीसाइड ही बना पाया था और इसे बनाना भी मेरे लिए नाकों चने चबाने जैसा रहा। इसमें कोई दो राय नहीं थी कि शादी से मेरी सृजनात्मकता पर असर पड़ रहा था। सनीसाइड के बाद तो ये हाल था कि मुझे सूझता ही नहीं था कि विचार कहां से आयें।
मैं इस हताशा की हालत में ध्यान बंटाने के लिए जब एक बार ऑरफीम थियेटर में चला गया तो ये एक बहुत बड़ी राहत की तरह था और दिमाग की इसी हालत में मैंने एक विलक्षण नर्तक देखा। हालांकि उसमें कुछ भी असाधारण नहीं था, फिर भी अपने अभिनय की समाप्ति पर वह अपने साथ अपने छोटे से बेटे को लाया। चार बरस का बच्चा, ताकि वह उसके साथ झुक कर सलाम करके विदाई ले सके। अपने पिता के साथ झुकने के बाद, उसने कुछ मज़ेदार कदम उठाये, और फिर सायास दर्शकों की तरफ देखा, और उनकी तरफ देख कर हाथ हिलाता हुआ भाग गया। दर्शक गण हँसते हँसते दोहरे हो गये और नतीजा ये हुआ कि बच्चे को दोबारा मंच पर आना पड़ा। इस बार उसने बिल्कुल अलग तरह का डांस किया। ये किसी दूसरे बच्चे के लिए बेहूदगी भरा हो सकता था लेकिन जैकी कूगन प्यारा बच्चा था और दर्शकों ने उसका भरपूर आनंद लिया। उसने जो कुछ भी किया, उस नन्हीं मुन्नी जान में बांध लेने वाला व्यक्तित्व था।
मैंने उसके बारे में अगले हफ्ते तक नहीं सोचा। उसका ख्याल तभी आया जब मैं खुले स्टेज पर अपनी कलाकार मंडली के साथ बैठा हुआ था और अपनी अगली फिल्म के लिए आइडिया सोचने के लिए छटपटा रहा था। उन दिनों में अक्सर उनके सामने बैठ जाता था क्योंकि उनकी मौजूदगी और प्रतिक्रियाओं से ही प्रेरणा मिल जाया करती थी। उस दिन मैं बिलकुल हताश बैठा हुआ था और कुछ भी सूझता नहीं था और उनकी विनम्र मुस्कुराहट के बावजूद मैं जानता था कि मेरी कोशिशें भूसे में लट्ठ चलाने की तरह हैं।
मेरा दिमाग घूमता रहा और मैं उन्हें ऑरफीम में देखे गये नाटक और उस नन्हें मुन्ने जैकी कूगन के बारे में बताने लगा जो अपने पिता के साथ सलाम करने के लिए मंच पर आया था।
किसी ने बताया कि उसने सुबह के अखबार में पढ़ा था कि जैकी कूगन को रोस्को ऑरबक्कल ने अपनी अगली फिल्म के लिए अनुबंधित कर लिया है। इस खबर ने मुझ पर बिजली के झटके का सा असर किया,"ओह मेरे भगवान, मैंने इसके बारे में क्यों नहीं सोचा?" बेशक, वह फिल्मों में तहलका मचा देगा और तब मैं उसकी संभावनाओं के बारे में विस्तार से बात करने लगा, उसकी खिलखिलाहट के बारे में, और उन कहानियों के बारे में जो मैं उसके साथ कर सकता था।
मुझ पर विचार तारी होने लगे,"क्या आप किसी ऐसे ट्रैम्प की कल्पना कर सकते हैं जो खिड़कियों के कांच लगाने का काम करता हो और एक नन्हां सा छोकरा है जो सारे शहर में खिड़कियों के कांच तोड़ता फिरता है और फिर ट्रैम्प आता है और खिड़कियों की मरम्मत करता है। बच्चे और ट्रैम्प के एक साथ रहने के रोमांचकारी करतब और इसी तरह की हरकतें।"
मैं बैठ गया और सारा दिन कहानी बुनने में सिर खपाता रहा। एक दृश्य के बाद दूसरा दृश्य उन्हें बताता रहा जबकि सारे कलाकार मुंह बाये मेरी तरफ हैरानी से देखते रहे कि जो मौका अब हाथ से जा चुका है उस पर मैं क्यों इतने उत्साह से माथापच्ची कर रहा हूं। घंटों तक बैठा मैं हँसी के पल और परिस्थितियां बुनता रहा। तभी अचानक मुझे याद आया, "लेकिन इस सब का फायदा? ऑरबक्कल ने उसे अनुबंधित कर लिया है और शायद उसके दिमाग में भी इसी तरह के ख्याल कुलबुला रहे होंगे। मैं भी कितना मूरख हूं कि इसके बारे में पहले क्यों नहीं सोचा?"
उस पूरी दोपहरी और पूरी रात मैं बच्चे के साथ कहानियां बुनने के अलावा और किसी बारे में सोच ही नहीं पाया। अगली सुबह हताशा की हालत में मैंने मंडली को रिहर्सल के लिए बुलवाया। भगवान ही जानता है कि मैंने ऐसा क्यों किया। कारण ये था कि मेरे पास रिहर्सल कराने को कुछ था ही नहीं। इसलिए मैं दिमागी सरसाम की हालत में मंच पर कलाकारों के साथ बैठा रहा।
किसी ने सुझाया कि मैं कोशिश करूं और किसी और बच्चे को तलाश करूं। हो सके तो नीग्रो बच्चा। लेकिन मैंने संदेह से अपना सिर हिलाया। जैकी जैसे व्यक्तित्व वाला दूसरा बच्चा खोज पाना असंभव है।
साढ़े ग्यारह बजे के करीब कार्ललिस्ले रॉबिनसन, हमारे प्रचार प्रबंधक लपकते हुए मंच पर आये। उनकी सांस उखड़ी हुई थी और वे बेहद उत्साहित थे,"वो जैकी कूगन नहीं है जिसे ऑरबक्कल ने अनुबंधित किया है। उसने तो पिता जैक कूगन को अनुबंधित किया है।"
मैं अपनी कुर्सी से जैसे कूद पड़ा,"जल्दी, जल्दी, पिता को फोन पर बुलवाओ और उससे कहो कि उसका यहां तुरंत आना एकदम ज़रूरी है। बेहद ज़रूरी है।"
खबर ने हम सब में बिजली भर दी। कलाकार लोग इतने अधिक उत्साहित थे कि उनमें से कुछ लोग आये और मेरी पीठ थपथपाने लगे। जब ऑफिस स्टाफ ने इसके बारे में सुना तो वे स्टेज पर ही चले आये और मुझे बधाई देने लगे। लेकिन मैंने जैकी को अब तक अनुबंधित नहीं किया था, अभी भी इस बात की संभावना थी कि ऑरबक्कल को भी अचानक ही इसी तरह का इहलाम हो जाये। इसलिए मैंने रॉबिनसन से कहा कि वह फोन पर जो कुछ भी कहे, चौकस रहे और बच्चे के बारे में किसी को कुछ भी न बताये। "जब तक पिता यहां न आ जाये, उससे भी कुछ न कहा जाये। उससे सिर्फ यही कहा जाये कि यहां तुरंत आना है, कि वह हमारे पास आधे घंटे के भीतर कैसे भी करके पहुंच जाये। लेकिन अगर उसका पता नहीं चलता तो उसके स्टूडियो में जाओ लेकिन जब तक वह यहां न आ जाये, उसे कुछ भी न बताया जाये।" उन लोगों को पिता को तलाशने में खासी परेशानी हुई। वह स्टूडियो में नहीं था, और दो घंटे तक मैं मानो दमघोंटू रहस्य में पड़ा रहा।
आखिरकार, हैरान और परेशान जैकी के पिता ने अपना चेहरा दिखाया। मैंने उसे बाहों से थाम लिया,"वो बहुत बड़ा चमत्कार होगा। इतनी बड़ी घटना आज तक नहीं घटी है। उसे, बस यही करना है कि एक फिल्म में काम करे।" और मैं इसी तरह से अनाप शनाप बकता रहा। उसने ज़रूर यही सोचा होगा कि मैं पगला गया हूं,"इसकी कहानी आपके बेटे को उसकी ज़िंदगी का बेहरतीन मौका देगी।"
"मेरा बेटा?"
"हां हां, आपका बेटा। अगर आप मुझे बस, उसे एक फिल्म में काम कराने दें।"
"अरे, इसमें क्या है? आप ज़रूर उस आफत के परकाले को ले सकते हैं।" कहा उसने।
कहावत है कि बच्चे और कुत्ते फिल्मों में बेहतरीन अदाकार होते हैं। बारह महीने के बच्चे को साबुन की टिकिया के साथ बाथटब में डाल दीजिये और जिस वक्त वह साबुन को पकड़ने की कोशिश करेगा तो वह सबको हँसा हँसा कर पागल कर देगा। सभी बच्चे किसी न किसी रूप में जीनियस होते ही हैं। तरकीब यही है कि उसे बाहर लाया जाये। जैकी के साथ ये सब बहुत आसान था। मूक अभिनय, पैंटोमाइम के कुछ मूलभूत सिद्धांत सीखने भर की ज़रूरत थी और जैकी ने इसमें जल्द ही महारत हासिल कर ली। वह एक्शन में संवेदनाएं और संवेदनाओं में एक्शन डाल सकता था और इसे बार बार दोहरा भी सकता था और कमाल ये था कि उसकी सहजता का असर कहीं कम नहीं होता था।
द किड में एक दृश्य है जिसमें बच्चा एक खिड़की पर पत्थर, बस, फेंकने ही वाला है। एक पुलिसवाला चुपके से उसक पीछे आ खड़ा होता है और जैसे ही बच्चा पत्थर फेंकने के लिए हाथ पीछे करता है, उसका हाथ पुलिसवाले के कोट को छूता है। वह सिर उठा कर पुलिस वाले की तरफ देखता है और खेल खेल में पत्थर उछालता है और वापिस पकड़ता है और फिर मासूमियत से पत्थर फेंक देता है और अचानक ही बगटुट दौड़ना शुरू कर देता है।
इस दृश्य की सारी बारीकियां तय कर लेने के बाद मैंने बिंदुओं पर ज़ोर देते हुए जैकी से कहा कि वह मुझे देखता रहे: "तुम्हारे हाथ में पत्थर है, और फिर तुम खिड़की की तरफ देखते हो। और तब तुम पत्थर फेंकने की तैयारी करते हो। तुम अपने हाथ को पीछे लाते हो, लेकिन तुम पुलिसवाले का कोट महसूस करते हो। तुम उसके बटनों को महसूस करते हो। तब तुम सिर उठा कर ऊपर देखते हो और पाते हो कि ये तो पुलिस वाला है। तुम खेल खेल में पत्थर हवा में उछालते हो और फिर पत्थर फेंक देते हो और यूं ही वहां से चल देते हो और अचानक ही तुम सरपट दौड़ने लगते हो।"
उसने तीन या चार बार दृश्य की रिहर्सल की। आखिरकार पूरे दृश्य की बनावट के बारे में उसे इतना यकीन हो गया कि संवेदनाएं खुद ब खुद दृश्य में चली आयीं। दूसरे शब्दों में दृश्य की बनावट ने संवेदनाओं के लिए जगह बनायी। ये दृश्य जैकी के बेहतरीन द्वश्यों में से एक था और इसकी गिनती फिल्म के महत्त्वपूर्ण दृश्यों में थी।
हां, ये ज़रूर था कि फिल्म के सारे के सारे दृश्य इतनी आसानी से फिल्माये नहीं जा सके थे। जो दृश्य आसान लगते थे, वे उसे अक्सर उलझन में डालते जैसा कि आम तौर पर आसान दृश्यों के साथ हुआ करता है। एक बार मैं चाहता था कि वह स्वाभाविक तौर पर दरवाजे पर झूले लेकिन चूंकि उसके दिमाग में कुछ भी नहीं था, वह अपने बारे में सतर्क हो गया इसलिए हमें ये सीन छोड़ देना पड़ा।
अगर आपके दिमाग में कोई गतिविधि न चल रही हो तो स्वाभाविक रूप से अभिनय करना बहुत मुश्किल होता है। स्टेज पर सुनना मुश्किल होता है। जो शौकिया कलाकार होते हैं, वे ज़रूरत से ज्यादा ध्यान देने लगते हैं। जब तक जैकी के दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहा था, वह बेहतरीन अदाकार रहता।
ऑरबक्कल के साथ जैकी के पिता का करार जल्द ही खत्म हो गया इसलिए अब उसके लिए ये संभव हो गया था कि हमारे स्टूडियो में अपने बेटे के साथ ज्यादा समय तक रह सके और बाद में उसने फ्लापहाउस वाले दृश्य में जेबकतरे की भूमिका भी निभायी थी।
कई बार वह बहुत मददगार साबित होता। फिल्म में एक ऐसा दृश्य था जब यतीमखाने के दो अधिकारी उसे मुझसे ले जाते हैं तो उस दृश्य में हम चाहते थे कि जैकी सचमुच रोये धोये। मैंने उसे हर तरह की डरावनी कहानियां सुनायीं। लेकिन जनाब जैकी बहुत ही अच्छे और शरारतभरे मूड में थे। एक घंटे तक इंतज़ार करने के बाद पिता ने कहा,"लाओ, मैं इसे रुलाता हूं।"
"बच्चे को डराना या मारना वारना नहीं," मैंने अपराधबोध के साथ कहा।
"अरे नहीं, नहीं,ऐसा कुछ नहीं होगा।" पिता ने कहा।
जैकी इतने शानदार मूड में था कि मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कि स्टेज पर रुक पाऊं और देखूं कि उसका पिता क्या करता है इसलिए मैं ड्रेसिंग रूम में चला आया। कुछ ही पलों बाद मैंने सुना कि जैकी ज़ार ज़ार रोये जा रहा है।
"तैयार है ये," कहा पिता ने।
यह वह दृश्य था जिसमें मैं बच्चे को यतीमखाने के अधिकारियों से छुड़वाता हूं और जब वह रो रहा था, मैं उसे गले लगाता हूं और पुचकारता हूं। जब सीन पूरा हो गया तो मैंने पिता से पूछा कि उसने ये किया कैसे?
"मैंने उसे सिर्फ यही कहा कि अगर वह ये सीन नहीं करेगा तो तो हम उसे स्टूडियो से ले जायेंगे और सचमुच उसे यतीमखाने में छोड़ आयेंगे।"
मैं जैकी की तरफ मुड़ा और सान्त्वना देने की नियत से उसे अपनी बाहों में उठा लिया। उसके गाल अभी भी आंसुंओं की वजह से गीले थे,"वे तुम्हें कहीं नहीं ले जा रहे हैं।" मैंने कहा।
"मुझे पता है," वह मेरे कानों में फुसफुसाया,"पापा तो बस, मुझे बुद्धू बना रहे थे।"
गॉवेरनियोर, लेखक और कथाकार, जिन्होंने कई फिल्मों की पटकथा लिखी थी, अक्सर मुझे अपने घर पर बुलवा भेजते।
गुवी, जैसा कि मैं उन्हें पुकारा करता था, बेहद आकर्षक, सहानुभूति रखने वाले व्यक्ति थे। जब मैंने उन्हें द किड के बारे में बताया और कहा कि ये फिल्म किस तरह की शेप ले रही है, प्रहसन के साथ संवेदनाओं का मिश्रण, तो वे बोले,"ये नहीं चलेगा। जो भी रूप अपनाया जाये, शुद्ध होना चाहिये। या तो प्रहसन या फिर ड्रामा। आप दोनों को मिला नहीं सकते नहीं तो कहानी का एक तत्व खो जायेगा।"
हम दोनों के बीच इस बारे में तर्कपूर्ण बहस हुई। मेरा कहना था कि प्रहसन से संवेदनाओं की तरफ मुड़ना महसूस करने और परिस्थितियों को व्यवस्थित करने के विवेक की बात है। मैंने तर्क दिया कि रूप या फार्म तभी आता है जब आदमी कुछ सृजन कर लेता है और यदि कलाकार दुनिया के बारे में सोचता है और ईमानदारी से उस पर विश्वास करता है तो चाहे जो भी मसाला तैयार हो, वह विश्वसनीय लगेगा। हां, ये ज़रूर था कि अपनी इस थ्योरी के पक्ष में मेरे पास कोई आधार नहीं थे, सिर्फ भीतरी संवेग ही थे। अब तक व्यंग्य, स्वांग, यथार्थवाद, प्रकृतिवाद, सुखांत नाटक और फैंटेसी ही चले आ रहे थे, लेकिन कच्चे प्रहसन और संवेदनाएं, जो कि द किड का केन्द्र बिन्दु था, एक तरह का नयापन था।
द किड के संपादन के दौरान, सैम्युअल रेशेवस्की, सात बरस की उम्र का विश्व के बाल शतरंज खिलाड़ी, स्टूडियो में आया। उसे एथलेटिक क्लब में एक साथ बीस खिलाड़ियों के साथ खेलने का प्रदर्शन करना था और इन बीस में से एक डॉक्टर ग्रिफिथ भी थे जो कि कैलिफोर्निया के चैम्पियन थे। सैम्युअल का चेहरा दुबला सा, पीला और तना हुआ था और जब वह लोगों से मिलता था तो उसकी बड़ी बड़ी आंखें चुनौती देती सी, घूरती हुई लगती थीं। मुझे चेताया गया था कि वह बहुत तुनुकमिजाज है और वह किसी से मिलते समय शायद ही कभी हाथ मिलाता हो।
जब उसके प्रबंधक ने हम दोनों का परिचय करा दिया और कुछ शब्द बोल दिये तो वह लड़का मेरी तरफ चुपचाप घूरता खड़ा रहा। मैं अपनी फिल्म के संपादन में लगा रहा और फिल्म की स्ट्रिप्स देखता रहा।
एक पल बाद मैं उसकी तरफ मुड़ा, "तुम्हें आड़ू अच्छे लगते हैं क्या?"
"हां," उसने जवाद दिया।
"तो ऐसा करो, हमारे बगीचे में आड़ुओं से भरा हुआ एक दरख्त है। तुम पेड़ पर चढ़ जाओ और कुछेक तोड़ लो। और साथ ही साथ मेरे लिए भी एक लेते आना।"
उसका चेहरा दमकने लगा,"वाह, बढ़िया, कहां है वह पेड़?"
"कार्ल तुम्हें बता देगा।" मैंने अपने पब्लिसिटी प्रबंधक का जिक्र करते हुए कहा।
पन्द्रह मिनट बाद वह लौटा तो वह बहुत खुश था। उसके पास ढेरों आड़ू थे। ये हमारी दोस्ती की शुरुआत थी।
"क्या आप शतरंज खेल सकते हैं?"
मुझे स्वीकार करना पड़ा कि मुझे नहीं आती।
"मैं आपको सिखा दूंगा। आज रात को आना और मेरा खेल देखना। मैं एक ही वक्त में बीस आदमियों के साथ खेल रहा हूं।" उसने शेखी बघारते हुए कहा।
मैंने वायदा किया और कहा कि मैं उसे बाद में खाने पर ले चलूंगा।
"बढ़िया, मैं जल्दी ही फारिग हो जाऊंगा।"
उस शाम का ड्रामे की तारीफ करने के लिए शतरंज को जानना ज़रूरी नहीं था। अपनी अपनी शतरंज की बिसात पर सिर झुकाये अधेड़ उम्र के बीस व्यक्ति सात बरस के एक बच्चे द्वारा पसोपेश में डाल दिये गये थे और बच्चा भी कैसा, जो अपनी उम्र से भी कम का लगता था।
उसे यू के आकार की मेज़ के केन्द्र पर एक आदमी से दूसरी मेज़ पर जाते हुए देखना अपने आप में किसी ड्रामे से कम नहीं था।
इस नज़ारे में कुछ अतियथार्थवादी था कि किस तरह से तीन सौ आदमियों से भी अधिक का जमावड़ा हॉल में दोनों तरफ सीढ़ीनुमा सीटों पर बैठा हुआ एक बच्चे को बीस आदमियों के खिलाफ अपना दिमाग लड़ाता हुआ चुपचाप देख रहा था। कुछेक लोग मोनालीसा सरीखी मुस्कान लिये अध्ययन करते हुए गहरे शोक में डूबे बैठे थे।
बालक अद्भुत था फिर भी मुझे विचलित कर रहा था क्योंकि मैं देख रहा था कि वह नन्हां सा छोकरा, पूरे ध्यान से कभी एकदम लाल हो जाता और कभी उसका चेहरा निचुड़ कर एकदम सफेद हो जाता। मुझे लग रहा था कि वह अपनी सेहत की कीमत पर खेल रहा था।
"यहां," कोई एक खिलाड़ी पुकारता और वह बाल खिलाड़ी चल कर उसके पास जाता, कुछेक पलों के लिए बिसात का अध्ययन करता, और अचानक ही एक चाल चल देता या ज़ोर ये चिल्ला उठता,"ये लो, शह और मात।" और दर्शकों के बीच हँसी की फुसफुसाहट फैल जाती। मैंने उसे एक के बाद एक आठ खिलाड़ियों को शह और मात देते हुए देखा। इससे हँसी और तारीफ का माहौल बन गया।
और अब वह डॉक्टर ग्रिफिथ की बिसात का अध्ययन कर रहा था। दर्शक गण चुप थे। अचानक ही उसने एक चाल चली, फिर मुड़ा और मेरी तरफ देखा। उसका चेहरा दमक उठा और उसने मेरी तरफ देख कर हाथ हिलाया। ये इस बात का इशारा था कि बस, अब बहुत देर नहीं लगने वाली है।
कई दूसरे खिलाड़ियों को मात देने के बाद वह डॉक्टर ग्रिफिथ की तरफ लौटा। वे अभी भी गहरे चिंतन में थे। "आपने अभी भी अपनी चाल नहीं चली? बालक ने बेसब्री से पूछा।
डॉक्टर ने अपना सिर हिलाया।
"ओह, जल्दी कीजिये, जल्दी।"
ग्रिफिथ मुस्कुराये।
बच्चे ने उन्हें घूर कर देखा,"आप मुझे नहीं हरा सकते। अगर आप ये चाल चलेंगे तो मैं यहां चाल चलूंगा। और आप ये चाल चलेंगे तो मैं वो चाल चल दूंगा।" उसने फटाफट सात आठ चालों के नाम गिना दिये,"हम यहां पर रात भर रुके रहेंगे, इसलिए बेहतर यही है कि हम ड्रा कर लें।"
डॉक्टर ने समझौता कर लिया।
हालांकि मैं मिल्ड्रेड को अब चाहने लगा था लेकिन ऐसा था कि हम एक दूजे के लिए बने ही नहीं थे। वह चरित्र की ओछी नहीं थी, लेकिन गुस्सा दिलाने की हद तक औरताना थी। मैं कभी भी उसके मन की थाह नहीं लगा पाया। उसका दिमाग गुलाबी रंग के रिबनों की मूर्खता से जक़ड़ा हुआ था। वह हमेशा चंचल बनी रहती और हमेशा दूसरे ही आसमानों में विचरती रहती। जब हमारी शादी को एक बरस हो गया था तो हमारा एक बेटा हुआ था जो सिर्फ तीन दिन ही जीवित रहा। इसी बिन्दु से हमारी शादी में बिखराव शुरू हुआ। हालांकि हम एक ही छत के नीचे रहते थे, हम शायद ही एक दूजे से मिलते। कारण यह था कि वह अपने स्टूडियो में बुरी तरह से व्यस्त रहती और मैं अपने स्टूडियो में मसरूफ रहता। हमारा घर उदास घर बन चुका था। मैं घर लौटता तो पाता कि खाने की मेज़ पर एक आदमी के लिए खाना लगा हुआ है। मैं अकेले खाना खाता। अक्सर वह हफ्ते हफ्ते के लिए बाहर होती, उसने कोई खोज खबर न छोड़ी होती। और उसके न होने के बारे में मुझे उसके खाली बेडरूम के खुले दरवाजे से ही पता चलता।
कई बार रविवार के दिन जब वह घर से बाहर जा रही होती, हम अचानक ही मिल जाते और तब वह मुझे चलताऊ ढंग से बताती कि वह ये सप्ताहांत गिशेस या किन्हीं दूसरी सहेलियों के साथ गुज़ारने जा रही है और मैं फेयरबैंक्स (डगलस और मैरी अब शादीशुदा थे) के यहां चला जाता।
और तभी सब कुछ टूटा। ये द किड के सम्पादन के दिनों की बात है। मैं सप्ताहांत फेयरबैंक्स के यहां गुज़ार रहा था। डगलस मेरे पास मिल्ड्रेड के बारे में कुछ अफवाहों के साथ आये,"मेरा ख्याल है तुम्हें पता होना ही चाहिये," कहा उन्होंने।
मैंने कभी यह जानने की कोशिश नहीं की कि इस अफवाहों में कितनी सच्चाई है, लेकिन उनसे मुझे हताशा होती थी। मेरा जब मिल्ड्रेड से आमना सामना हुआ तो वह साफ मुकर गयी।
"जो भी हो, हम इस तरह से एक साथ नहीं रह सकते," मैंने कहा।
बीच में मौन पसर गया और मेरी तरफ ठंडी निगाहों से देखती रही,"आप क्या करना चाहते हैं?" पूछा उसने।
वह इतने नि:संग भाव से बोली कि मुझे थोड़ा झटका सा लगा।
"मेरा . .मेरा ख्याल है हमें तलाक ले लेना चाहिये।" मैंने धीरे से कहा और सोचता रहा कि उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी। उसने कोई जवाब नहीं दिया, इसलिए मैंने थोड़े विराम के बाद कहा,"मेरा ख्याल है कि हम दोनों की ज्यादा खुश रह पायेंगे। तुम अभी युवा हो, तुम्हारे सामने अभी पूरी ज़िंदगी पड़ी है और इसमें कोई शक नहीं कि हम दोनों अच्छे दोस्त बने रह सकते हैं। तुम्हारा वकील मेरे वकील से मिल सकता है इसलिए तुम जो भी चाहो, उसका इंतज़ाम किया जा सकता है।"
"मैं सिर्फ इतना धन चाहती हूं कि अपनी माँ की देखभाल कर सकूं।"
"मेरा ख्याल है ये मुद्दा हम आपस में ही निपटा लें।" मैंने पांसा फेंका।
वह एक पल के लिए सोचती रही फिर उसने अपना फैसला सुनाया,"मेरा ख्याल है मैं अपने वकील से ही बात करूंगी।'
"बिल्कुल ठीक है, मैंने जवाब दिया, इस बीच तुम इसी घर में रहती रहो और मैं एथलेटिक क्लब में वापिस चला जाऊंगा।"
हम दोस्ताना ढंग से अलग हो गये। हममें यह सहमति हो गयी कि वह मानसिक अत्याचार के आधार पर तलाक मांगेगी और हम इस बारे में प्रैस को कुछ भी नहीं बतायेंगे।
अगले दिन टॉम हैरिंगटन मेरा साजो सामान एथलेटिक क्लब में ले गया। ये एक बहुत बड़ी गलती थी क्योंकि जल्दी ही यह अफवाह फैल गयी कि हम दोनों अलग हो गये हैं और प्रैस ने मिल्ड्रेड को फोन करना शुरू कर दिया। उन्होंने क्लब में भी फोन किया लेकिन न तो मैं उनसे मिला और न ही कोई बयान ही दिया। लेकिन मिल्ड्रेड ने धमाकेदार बयान दिया और अखबारों के पहले पन्ने उसके बयान से रंग गये। उसने कहा कि मैंने उसे त्याग दिया है और वह मानसिक अत्याचार के आधार पर तलाक की मांग कर रही है। आधुनिक मानकों से देखा जाये तो हमला बहुत ही मामूली था। अलबत्ता, मैंने उसे फोन किया और पूछना चाहा कि वह प्रैस से क्यों मिली? उसने बताया कि पहले तो वह इन्कार करती रही लेकिन प्रैस ने ही उसे बताया कि मैं पहले ही धमाकेदार बयान दे चुका हूं। दरअसल, प्रैसवालों ने उससे झूठ बोला था ताकि हम दोनों के बीच गलतफहमी पैदा हो जाये और मैंने मिल्ड्रेड को ये बात बतायी। मिल्ड्रेड ने वादा किया कि वह प्रैस में और कोई बयान जारी नहीं करेगी लेकिन उसने बयान दिये।
कैलिफोर्निया के समुदाय सम्पदा कानून के हिसाब से उसे कानूनी तौर पर 25,000 डॉलर मिलते लेकिन मैंने उसके आगे 100,000 डॉलर का प्रस्ताव रखा जो कि उसने पूरे समझौते के रूप में ले लेना स्वीकार कर लिया। लेकिन जब अंतिम कागजात पर हस्ताक्षर करने का समय आया तो वह बिना कोई वजह बताये अपनी बात से मुकर गयी।
मेरा वकील हैरान था। "ज़रूर कुछ न कुछ गड़बड़ है," उसने कहा और सचमुच गड़बड़ थी भी। द किड को ले कर फर्स्ट नेशनल के साथ मेरी कुछ कहा सुनी चल रही थी। ये सात रील की कॉमेडी फिल्म थी और वे चाहते थे कि दो दो रील की तीन कॉमेडी फिल्में बना कर प्रदर्शित करें। इस तरह से उन्हें मुझे द किड के लिए सिर्फ 405,000 डॉलर ही अदा करने पड़ते। चूंकि मुझे इसकी लागत पांच लाख डॉलर से कुछ अधिक ही पड़ी थी और इसमें मेरी अट्ठारह महीने की मेहनत लगी हुई थी, इसलिए मैंने उन्हें बताया कि मैं अपने हक के लिए फर्स्ट नेशनल को नाकों चने चबवा दूंगा। मुकदमे करने की धमकियां दी गयीं। कानूनी तौर पर उनके पक्ष में बहुत कम उम्मीद थी और वे इस बात को जानते थे। इसलिए उन्होंने मिल्ड्रेड के जरिये चालें खेलने का फैसला किया और द किड पर हमला करने की सोची।
चूंकि मैंने अब तक द किड के संपादन का काम पूरा नहीं किया था, मेरी छठी इंद्रीय ने मुझे चेताया कि मैं किसी और राज्य में जा कर संपादन का काम पूरा करूं। इसलिए मैं अपने स्टाफ के दो सदस्यों और 400000 फुट फिल्म के साथ सॉल्ट लेक सिटी के लिए चल पड़ा। फिल्म के पांच सौ रोल थे। हम सॉल्ट लेक होटल में ठहरे। हमने एक बेडरूम में फिल्म को एक तरह से बिछा दिया। हमने फर्नीचर की एक एक चीज इस्तेमाल में ले ली थी। मयानी, कमोड, ड्रावर ताकि फिल्म के रोल वहां पर रखे जा सकें। चूंकि होटल में कोई भी भयंकर रूप से आग पकड़ने वाली चीज होटल में रखना मना होता है, हमें अपना सारा काम गुप्त तरीके से करना पड़ा। ऐसी परिस्थितियों में हम अपनी फिल्म के संपादन में लगे रहे। हमारे पास कम से कम दो हज़ार टेक थे जिनमें से छंटनी करनी थी और हालांकि सब पर संख्याएं डाली हुई थीं, कई बार ऐसा होता कि कोई अंश खो जाता और हमें उस खास अंश को बिस्तर पर, बिस्तर के नीचे, गुसलखाने में खोजने में घंटों लग जाते तब जा कर हमें वह मिलता। इस तरह की दिल तोड़ने वाली अड़चनों और विधिवत सुविधाओं के अभाव के साथ हमने फिल्म के संपादन का काम पूरा किया। ये सब कुछ किसी चमत्कार से ही संभव हो पाया।
और अब मेरे सामने हिमालय में से गंगा निकालने जैसा कठिन काम था। जनता के सामने इसका प्रिव्यू करना। मैंने फिल्म को एक छोटी सी संपादन मशीन के जरिये ही देखा था जिस पर फिल्म एक तौलिये पर पोस्टकार्ड के आकार के आकार फ्रेम में दिखायी जाती थी। मैं इस बात के लिए अपने आपको सौभाग्यशाली समझ रहा था कि मैंने अपने स्टूडियो में फिल्म के रशेज़ सामान्य आकार के स्क्रीन पर देख लिये थे। लेकिन अब मुझे हताश कर देने वाली एक भावना घेरे हुए थी कि मेरी पन्द्रह महीनों की मेहनत अभी भी अंधेरे में है।
स्टूडियो स्टाफ के अलावा किसी ने भी फिल्म नहीं देखी थी। संपादन मशीन पर इसे कई कई बार चला कर देख लेने के बाद हमें कुछ भी ऐसा मज़ाकिया या रोचक नहीं लगा जिसकी हमने उम्मीद की थी। अब अपने आपको सिर्फ यही तसल्ली दे सकते थे कि हमारा पहला उत्साह बासी पड़ चुका है।
हमने फिल्म को अग्नि परीक्षा से गुज़ारने का फैसला किया और बिना किसी पूर्व घोषणा के एक स्थानीय थियेटर में इसके प्रदर्शन की व्यवस्था की। ये एक बहुत बड़ा थियेटर था और तीन चौथाई भरा हुआ था। हताशा में मैं बैठा रहा और फिल्म शुरू होने का इंतज़ार करता रहा। मुझे लगा कि दर्शक वर्ग मेरे प्रति सहानुभूति के कारण ही बैठा है कि मैं जो कुछ भी दिखाऊं, वे देख लेंगे। मुझे अपने आपके फैसले पर ही शक होने लगा कि दर्शक कॉमेडी में क्या पसंद करेंगे और किस बात पर प्रतिक्रिया देंगे। शायद मुझसे चूक हो गयी है। शायद पूरी की पूरी मेहनत पानी में मिट्टी में मिल जाये और दर्शक गण इसे हैरान परेशान हो कर देखें। तब बीमार कर देने वाला ख्याल मुझे आया कि कई बार कॉमेडियन अपनी कॉमेडी के ख्यालों को ले कर कितना गलत हो सकता है।
अचानक ही मेरा पेट उछल कर मेरे गले तक आ गया जब परदे पर स्लाइड आयी: चार्ली चैप्लिन अपनी ताज़ा तरीन फिल्म द किड में। दर्शकों में खुशी की एक लहर दौड़ी और छिटपुट तालियां बजीं। विरोधाभास ही कहिये, इस संकेत ने मुझे परेशानी में डाल दिया: हो सकता है कि वे बहुत ज्यादा की उम्मीदें लगाये बैठे हों और निराशा उनके हाथ लगे।
शुरुआती दृश्य स्पष्ट थे। धीमे और शांत। उन्होंने मुझे रहस्य के गर्त में धकेल दिया। एक मां अपने बच्चे को त्याग कर एक लिमोज़िन में छोड़ जाती है। कार चुरा ली जाती है और आखिरकार चोर बच्चे को कूड़ेदानी के पास छोड़ जाते हैं। तभी मैं आता हूं, ट्रैम्प। इस पर हँसी फूटी और देर तक चलती रही। उन्हें लतीफा नज़र आया। इसके बाद मुझसे कोई गलती नहीं हुई। मुझे बच्चा मिला और मैंने उसे अपना लिया। एक पुराने बोरे को काट पीट कर बनाये गये सोने के बिस्तर, हैम्माक को देख कर लोग हँसते हँसते लोट पोट हो गये और जब मैं चाय की केतली के मुंह पर कटा हुआ निप्पल गला कर उससे बच्चे को दूध पिलाता हूं तो दर्शन चीखने लगे और जब मैं एक पुरानी बेंत की कुर्सी की गद्दी के बीचों बीच छेद करके उसे चैम्बरपॉट पर रख कर बच्चे को उस पर लैट्रिन करने के लिए बिठाता हूं तो लोग पागलों की तरह हँसने लगे। सच तो ये था कि लोग पूरी फिल्म में हँसते ही रहे।
अब चूंकि फिल्म का प्रदर्शन हो चुका था, हमने ये मान लिया कि इसके संपादन का काम पूरा हो गया है। इसलिए हमने बोरिया बिस्तर बांधा और साल्ट लेक से पूरब की तरफ जाने के लिए चले। न्यू यार्क में मुझे रिट्ज में अपने कमरे में ही रहने पर मज़बूर होना पड़ा क्योंकि मुझे फर्स्ट नेशनल द्वारा रखे गये कानूनी नोटिस देने वाले आदमी तंग कर रहे थे। वे लोग मिल्ड्रेड के तलाक के मामले को फिल्म की कुर्की के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। लगातार तीन दिन तक वे लोग होटल की लॉबी में ही मंडराते रहे। बोरियत के मारे मेरा बुरा हाल था। इसलिए जब फ्रैंक हैरिस ने अपने घर पर मुझे खाने पर आमंत्रित किया तो मैं इस मौके के लिए इन्कार नहीं कर पाया। इस शाम अच्छी तरह से परदे में लिपटी एक औरत रिट्ज की लॉबी में से गुज़री और टैक्सी में बैठ गयी। मैं था उस औरत के भेस में। मैंने अपनी भाभी से कपड़े उधार मांगे थे जिन्हें मैंने अपने सूट के ऊपर पहन लिया था। फ्रैंक के घर पहुंचने से पहले ही मैंने टैक्सी में सारा ताम झाम उतार दिया।
* हैट्टी ग्रीन, दुनिया में सबसे अमीर महिलाओं में से एक। उसके बारे में कहा जाता था कि उसने अपनी कारोबारी दक्षता के बल पर 100,000,000 डालर कमाये थे।
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(क्रमशः अगले अंकों में जारी…)
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चार्ली चैप्लिन से मिलना एक अलग सा एहसास है। धरती के इस अदभुत इंसान की आत्मकथा उपलब्ध कराने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएं-जाकिर अली "रजनीश"