ये है ज्योतिषी बनने का ‘गुप्तज्ञान ’ -- अनुज खरे आप मेरे बारे में नहीं जानते भाई साहब, मैं ज्योतिषी, न्यूमेरोलॉजी, सामुद्रिक शास्त्र...
ये है ज्योतिषी बनने का ‘गुप्तज्ञान ’
-- अनुज खरे
आप मेरे बारे में नहीं जानते भाई साहब, मैं ज्योतिषी, न्यूमेरोलॉजी, सामुद्रिक शास्त्र, वास्तुशास्त्र आदि में भंयकर रूप से दखल रखता हूं। दखल ही क्या, मैं तो पूरा का पूरा इनके अंदर ही दाखिल हूं। इस क्षेत्र में मेरी ख्याति चारों और फैलाने में मेरे शिष्य कम रियूमर रिप्रेजेंटेटिव, माउथ पबि्लसिटी डिस्ट्रीब्यूटर जैसे ‘स्नेहीजनों’ का भी गहन हाथ है। मेरे प्रिडिक्शन इतने नपे-तुले, वैज्ञानिक एप्रोच से भरे होते हैं कि उनके गलत होने के बारे में मैंने कभी सुना ही नहीं, क्योंकि विरोधियों की बात पर मैं ध्यान देता ही नहीं और गलत कहने वालों की आवाज पर कान ही नहीं धरता। नपे-तुले का तो यूं मामला है कि हर व्यक्त के लिए ये उसी की इच्छा के अनुरूप नपे-तुले हैं, वैज्ञानिक एप्रोच की जहां तक बात है तो हर आदमी को वैज्ञानिक रूप से सही लगेंगे ही क्योंकि चाहे जब परख लो, बस मतलब सही निकालते आना चाहिए। हालांकि यहां ‘वैज्ञानिकता’ क्या है? इस बारे में मुझसे डायरेक्ट न पूछा जाना चाहिए, क्योंकि विज्ञान में तो मेरा बचपन से ही हाथ तंग है, मूलतः मैं तो कलाकार किस्म का आर्ट्स को समर्पित छात्र रहा हूं। जिसकी इस विषय में सारी ‘कला’ नकल के चुटकों के निर्माण के समय सर्वोच्च शिखर पर दिखाई देती रही है। उस क्षेत्र में मेरे मुकाबले का ‘कलाकार’ पूरे जिले के किसी स्कूल में पाया ही नहीं जाता था। यह बात मैं इतने विश्वास से इसलिए भी कह पा रहा हूं, क्योंकि परीक्षाओं के समय दूर-दूर के स्कूलों के ‘वरिष्ठ’ छात्र तक इस कला की बारीकियां सीखने के लिए मुझसे निरंतर संपर्करत रहा करते थे।
कई बार तो परोपकार की इच्छा के वशीभूत ‘‘कला’’ के स्वांतः सुखाय प्रयोग के स्थान पर उनके लिए महीन अक्षर के प्रयोग द्वारा कैलीग्राफी कला को महान ऊंचाइयां भी देता रहा हूं। होस्टलों आदि तक में अपनी कला के विशेष प्रदर्शनों के आयोजन में परफॉर्मेंस देने के लिए आमंत्रित किया जाता था। आपको भी लगा रहा होगा कि कहां ज्योतिष चर्चा के बीच नकल-चुटके आदि की बातें ले बैठा। भाई साहब, बात कुछ ऐसी है कि दोनों ही क्षेत्र के बीच नितांत गहन अंतर्निहित संबंध है। हालांकि है तो ये बेहद गोपनीय व्यावसायिक तथ्य लेकिन चूंकि आप तो अपने हैं और आपकी क्षमताओं पर भी मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप इस कला में मेरे जितनी ऊंचाइयां तो हरगिज नहीं पा सकते हैं, इस कारण अब आपसे क्या छुपाना। दरअसल यही वह देसी भट्ठीनुमा जगह है जहां एक सच्चे ज्योतिषी का निर्माण होता है। ‘कन्फ्यूज’ मत होइए असल में ज्योतिष जैसे क्षेत्र की मूल शुरुआत यहां से ऐसे ही होती है। क्योंकि दोनों ही क्षेत्र अनुमान और वैज्ञानिक अनुमान आधारित हैं। अनुमान या अनुमान की वैज्ञानिकता इस संदर्भ में की दोनों में गहन अंतर्दृष्टि की जरूरत होती है।
ज्योतिष में जहां भूत का अनुमान लगाना होता है। वर्तमान पर नजर रखनी होती है। भविष्य की जानकारी देनी पड़ती है। जिसके लिए हस्तरेखा, कुंडली, ग्रह-नक्षत्र, जन्मांक जैसी सपोर्टिव बातों की मदद ली जाती है। इसी तरह नकल के चुटकों का विज्ञान है ‘माइन्यूट विजन’ के माध्यम से अतीत का अध्ययन, वर्तमान की प्रणाली की विवेचना के उपरांत भविष्य के ‘प्रश्नों’ का अनुमान लगाने का श्रमसाध्य काम करना होता है। सपोर्टिव बातों में यहां विगत के प्रश्न, मास्टर की आकृति-मुखाकृति-प्रवृत्ति का अद्यतन विवेचन, तत्पश्चात भविष्य के आगत की प्रिडिक्शन करना होता है। इसके पश्चात इस कल्पना को कागज पर ‘महीन रूप में’ आंखेंफोडू ढंग से साकार करना होता है। जिसमें परीक्षा हाल में पकड़े जाने का रिस्क भी इन्वॉल्व रहता है। यही तो ज्योतिष में होता है, प्रिडिक्शन के फेल होने का खतरा भी उठाना पड़ता है। तो इस तरह दोनों ही फील्डों में रिस्क है। लेकिन भाई साहब रिस्क उठाकर ही तो कामयाबी मिलती है। सच है ना... तो मैं कह रहा था कि कला का निरंतर अभ्यास ही कालांतर में इस क्षेत्र में आपको सिद्धहस्त बना देता है, जो आगे चलकर ज्योतिष के किसी भी क्षेत्र में उतरने की आधारशिला का काम करता है। तो ऐसा ही मेरे साथ हुआ ‘कला’ के विभिन्न ‘बोध’ से गुजरता हुआ एक दिन में यहां आ पंहुचा।
कहां...?
वहीं, जिसका जिक्र मैंने शुरू में किया था। लगता है आप मेरी विद्वता के कायल नहीं हो पा रहे हैं। एक-दो पीस बताऊं, पढ लीजिए और मेरी काबिलीयत से भयाक्रांत हो जाइए।
आज आपका राशिफल क्या कहता है, दिन कैसा रहेगा, इसका एक सैंपल देखे लें।
मकर राशि : जातक को आज सुखद अहसास रहेगा, दिल प्रफुल्लित रहेगा, जब तक कि ऑफिस में कोई काम नहीं थमा दिया जाता या बॉस डांटता नहीं है। आज आफ सितारे बुलंद हैं, किसी महत्वपूर्ण काम की शुरुआत की जा सकती है। बस अज्ञात शत्रुओं से खतरा रहेगा, वे आफ किसी महत्वपूर्ण काम में टांग अड़ा सकते हैं, बेहतर होगा कि आज महत्वपूर्ण काम की शुरुआत के अंतर्गत इन्हीं अज्ञात शत्रुओं के खिलाफ मोर्चा खोलें। अपने दिन की शुरुआत सारे नजदीकियों में से इन्हीं अज्ञात शत्रुओं को खोजने, उनकी लिस्ट बनाने से करें। रोमांस आदि के मामले में आज का दिन अत्यंत शुभ है, आउटिंग-डेटिंग भी शुरू किया जा सकता है। वाहन चलाने में दुर्घटना योग है, आर्थिक क्षति की संभावना है, नारी पक्ष के निकट संबंधियों यथा पिता, भाई आदि के ग्रहयोग भी प्रबल हैं। नया व्यापार-व्यवसाय किसी भी तरह नए कांट्रेक्ट आदि में क्षति की संभावना है। गर्लफ्रैंड को प्रपोज, शादी की बात चलाई जा सकती है। ले-देकर घर से बाहर निकलने में सावधानी बरतें, वहीं घर के भीतर पत्नी से मामूली बात पर विवाद की आशंका है, इस कारण अत्यंत सावधानी बरतें। ऑफिस से शुभ सूचना मिल सकती है, पत्नी के निकट संबंधियों के आने से सुखद प्रवास का भी योग है। कुल मिलाकर आपका आज का दिन मिलीजुली सफलता वाला मिश्रित फलदायक होगा...।
‘पागल हो गए क्या’?
‘आवाज नहीं आ रही है।’
‘अच्छा गिर गए थे।’उठने में टाइम लग रहा है।’, लगाइए-लगाइए टाइम।’
‘अरे यार, पानी पीलो, कुर्सी पर बैठ जाओ। चक्कर आ रहे हैं क्या?’
‘क्या...?’
‘बेहतर महसूस कर रहे हो।’
‘तो अब प्रस्तुत है वास्तुशास्त्रीय सैंपल, लो झेलो!’
आवास निर्माण के संबंध में मेरी सलाहः आवास निर्माण के लिए भूखंड का चयन करते समय ध्यान रखे कि भूमि दलदली-रेतीली, समतल उच्च ढाल, निम्न उतार वाली हरगिज न हो। भूखंड भी कटा-फटा, समकोण, चतुभुर्ताकार-अष्टभुजाकार, वर्तुलाकार, त्रिकोणीय, बॉक्साकार आदि-आदि बिलकुल ही न हो। भूखंड के सामने किसी भी तरह की शीतोष्ण, उष्णकटिबंधीय, समशीतोष्ण, मरुस्थलीय, जलीय, स्थलीय, वनस्पति आदि न हो। घास आदि का भी अध्ययन कर लें, किसी विद्वान से जान लें, तत्पश्चात पीछे दी गई किसी कैटेगिरी में आती हो तो तत्काल प्रभाव से उसे भी खोदने में जुट जाएं। भूखंड के चयन के पश्चात मृदा के परीक्षण में जुट जाएं-काली मिट्टी-रेतीली मिट्टी-दोमट मिट्टी, भूरी मिट्टी-पीली मिट्टी युक्त कंकरीली मिट्टी आवास निर्माण के लिए योग्य स्थलों में नहीं गिनी जाती है। अतः आवास भूमि पर ऐसी मिट्टी मिले जो उसे छनवा दें।(नोटः बिन मांगे अतिरिक्त सलाह- मिट्टी फिंकवाए नहीं उसे मकान निर्माण की नींव में भरवा दें, मिट्टी भी महंगी हो गई है भई) भू-तल अर्थात ग्राउंड फ्लोर पर जरूरी कक्षों का ही निर्माण करवाएं। प्रथम तल पर या छत के कोने में खांसने-खकारने वाले वृद्व आत्मीयजनों के शयन कक्ष मय डस्टबिन का निर्माण करवाएं। कक्षों के निर्माण मे पैमाना, जेब में नोट, बैंक में बैलेंस, पीएफ से मिलने वाली राशी को बनाएं। इन्हें मार्ड्न टाइम में अति उत्तम एवं सटीक पैमाने माना जाता है। यूं तो वास्तुशास्त्र में वर्ण के अनुसार कक्षों के निर्माण का विधान पृथक-पृथक है किंतु आप अपनी पॉकेटानुसार कक्षों का निर्माण करा सकते हैं। विशेष रूप से अतिथि कक्ष के संबंध में ध्यान रखें कि इसे रातभर खांसने वाले आत्मीय जन के कक्ष के समीप ही रखें, ऐसा करने से धन के व्यर्थ अपव्यय को रोकने का कोण बनता है।
इसी तरह रसोई में सामान रखने की अलमारियों में गुप्त खंडों का निर्माण अवश्य कराएं ताकि काजू-किशमिश, दूध-घी जैसा तर माल नौकरानियों एवं घर के शत्रु पक्षों की पहुंच से सुरक्षित रखा जा सके, इससे स्वस्थ्य की बेहतरी की संभावना पनपती है। पानी एवं अन्य सभी अपशिष्ट पदार्थों की निकासी हेतु नाली अवश्य निकालें, जिसकी बाह्य निकासी सडक या पड़ोसी आवास की ओर रखी जा सकती है, इसी तरह फलदार पौधे घर के भीतर एवं पत्तियोंदार पेड़ घर के बाहर लगाएं, ताकि कचरे का निस्तारण आस-पड़ोस की दिशा में बना रहे इससे घर में सुख-शांति का वास रहेगा। कलह-झगड़े घर के बाहर सड़क पर ही होंगे, वहीं निपटाए जा सकेंगे। खाने की मेज और ड्राइंग रूम की दिशा भले ही कोई रहे लेकिन यहां कुर्सियों की संख्या कम से कम होनी चाहिए ताकि अतिथि हमेशा संख्या को लेकर मितव्ययी बना रहे एवं रिश्तों में आर्थिकी बाधा की संभावना न्यूनतम रहेगी।
‘‘भाई साहब....!, भाई साहब...!, कोमा में चले गए क्या...?’
‘संभलो...संभलो... अभी तो आपको सामुद्रिक शास्त्र, होरा आदि के सैंपल भी तो सुनाना हैं।’
‘क्या भाई साहब ये पत्थर क्यों उठा रहे हो, आंखों से चिंगारियां क्यों निकल रही है?, कपड़े क्यों फाड़ रहे हो आप...?’ न, न... इतनी ‘शालीन’ मुखमुद्रा मत बनाइएं यूं ही बता दीजिए आप मेरी विद्वता के कायल हो गए हैं...।’
‘‘जी क्या कहां आपने’’आप भी मेरी तरह निशानेबाजी, पत्थर सन्नाने में भंयकर रूप से दखल रखते हैं... पूरी तरह इस विधा को समर्पित हैं...! मेरा ज्योतिष भी मुझे नहीं बचा पाएगा..., मैं निकल लूं यहां से...’
इति।
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संपर्क:
अनुज खरे
सी-175 मॉडल टाउन
जयपुर।
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